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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Premkumar65

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मैं एकदम पास पहुँच के, एक पेड़ की आड़ में खड़े होके देख रही थी|



लेकिन...लग रहा था जैसे होली उन लोगों के घर को बचा के निकल गई थी|




जहाँ चारों ओर फाग की धूम मची थी, वहीं उसके देह पे रंग के एक बूंद का भी निशान नहीं था| चारों ओर रंगों की बरसात और यहाँ एकदम सूखा...होली में तो कोई भेद भाव नहीं होता, कोई छोटा बड़ा नहीं...लेकिन..|


मुझे बुरा तो बहुत लगा पर मैं समझ गई|

फिर मैंने दोनों हाथों में खूब गाढ़ा लाल पेंट लगाया और पीछे हाथ छिपा के...उसके सामने जा के खड़ी हो गई और पूछा,

“क्यों लाला, अभी से नहा धो के साफ वाफ हो के...”

“नहीं भौजी, अभी तो नहाने जा हीं रहा था...”


वो बोला|

“तो फिर होली के दिन इतने चिक्कन मुक्कन कैसे बचे हो? रंग नहीं लगवाया...”

“रंग...होली...हमसे कौन होली खेलेगा, कौन रंग लगायेगा...?”



“औरों का तो मुझे नहीं पता, लेकिन ये तेरी भौजी आज तुझे बिना रंग लगाये नहीं छोड़ने वाली|”


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दोनों हाथों में लाल पेंट मैंने कस के रगड़-रगड़ के उसके चेहरे पे लगा दिया|

मैं उससे अब एकदम सट के खड़ी थी| सिर्फ धोती में उसकी एक-एक मसल्स साफ दिख रही थीं, पूरी मर्दानगी की मूरत हो जैसे|

लेकिन वो अब भी झिझक रहा था|

मैंने बचा हुआ पेंट उसकी छाती पे लगा के, उसके निप्पल्स को कस के पिंच कर दिया और चिढ़ाते हुए बोली,


“देवरानी तो बहुत तारीफ करती है तुम्हारी| तो सिर्फ लगवाओगे हीं या लगाओगे भी|”

“भौजी, कहाँ लगाऊं...?”



अब पहली बार मुस्कुरा के मेरी देह की ओर देखता वो बोला|

मैंने भी अपनी देह की ओर देखा, सच में पहले तो मेरी सास, ननद और फिर 'जो कुछ' नंदोई और ननद ने मिल के लगाया था, फिर सुनील और उसके दोस्तों ने जिस तरह कीचड़ में रगड़ा था, उसके बाद चंपा भाभी के यहाँ...मेरी देह का कोई हिस्सा बचा नहीं था|

“एक मिनट रुको...”

मैं बोली और फिर पेड़ के पीछे जा के मैंने सब कुछ उतार के सिर्फ साड़ी लपेट ली, अपने स्तनों को कस के उसी में बाँध के...रंगों और पेंट की झोली, कुएं के पास रख दी और कुएं पे जा के बैठ के बोली
,



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“रोज तो तुम्हारे निकाले पानी से नहाती थी| आज अपने हाथ से पानी निकालो और मुझे नहलाओ भी, धुलाओ भी|”

थोड़ी हीं देर में पानी की धार से मेरा सारा रंग वंग धुल गया|

पतली गुलाबी साड़ी अच्छी तरह देह से चिपक गई थी|

गदराए जोबन के उभार, यहाँ तक की मेरे इरेक्ट निप्पल्स एकदम साफ साफ झलक रहे थे| दोनों जांघे फैला के मैं बोली,


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अरे देवर जी, जरा यहाँ भी तो डालो, साड़ी अपने आप सरक के मेरी जाँघों के ऊपरी हिस्से तक आ गई थी|


पूरे डोल भर पानी उसने सीधे वहीं डाला और अब मेरी चूत की फांक तक झलक रही थी| जवान मर्द और वो भी इतना तगड़ा...धोती के अंदर अब उसका भी खूंटा तन गया था|


“क्यों हो गई न अब डालने के लायक...”

सीना उभार कर मैंने पूछा|

और उसका इन्तजार किये बिना रंग उसके चेहरे, छाती हर जगह लगाने लगी|

अब वो भी जोश में आ गया था| कस-कस के मेरे गाल पे, चेहरे पे और जो भी रंग उसके देह पे मैं लगाती वो रगड़-रगड़ के मेरी देह पे...साड़ी के ऊपर से हीं कस-कस के मेरे रसीले जोबन पे भी...

लेकिन अभी भी उसका हाथ मेरी साड़ी के अंदर नहीं जा रहा था|

“अरे सारी होली बाहर हीं खेल लोगे तुम दोनों, अंदर ले आओ भौजी को|”

अंदर से निकल के कुसुमा बोली| और वो मुझे गोद में उठा के अंदर आंगन में ले आया| कुसुमा ने दरवाजा बंद कर दिया| उसके बाद तो...


पूरे आंगन में रंग बरसने लगा, हर पेड़ टेसू का हो गया|

बस लग रहा था कि सारा गाँव नगर छोड़ के फागुन यहीं आ गया हो|

कुसुमा भी हमारे साथ, कभी मेरी तरफ से तो कभी उसकी| उसने अपने मरद को ललकारा,

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“हे अगर सच्चे मर्द हो तो आज भौजी को पूरी ताकत दिखा दो|”

मैं भी बोली


“हाँ देवर, जरा मैं भी तो देखूं कि मेरी देवरानी सही तारीफ करती थी या...अगर अपने बाप के हो तो...”

और मैंने उसकी धोती खींच दी|

मैंने अब तक जितने देखे थे, सबसे ज्यादा लंबा और मोटा...


फिर वो मेरी साड़ी क्यों छोड़ता|



उसे मैंने अपने ऊपर खींच के कहा,

“देवर जरा आज फागुन में भाभी को इस पिचकारी का रंग तो बरसा के दिखाओ|”


पल भर में वो मेरे अंदर था| चुदाई और होली साथ-साथ चल रही थी|

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कुसुमा ने कहा, “जरा हम लोगों का रंग तो देख लो और एक घड़े में गोबर और कीचड़ के घोल से बना (और भी 'पता नहीं क्या-क्या' पड़ा था) मेरे ऊपर डाल दिया| मैंने उसके मर्द को उसके सामने कर दिया| क्या ताबड़ तोड़ चुदाई कर रहा था| मस्त हो कर मेरी चूत भी कस-कस के उसके लंड को भींच रही थी|


अब तक जितने भी लंड से मैं चुदी थी उनसे ये २० नहीं २२ रहा होगा| जैसे हीं वो झड़ के अलग हुआ मैंने कुसुमा को धर दबोचा और रंग लगाने के साथ निहुरा कर, उसे पटक के, सीधे उसकी चूत कस-कस के चाटने लगी और बोली,


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“देखूं, इसने कितना मेरे देवर का माल घोंटा है|”


जैसे दो पहलवान अखाड़े में लड़ रहे हों, हम दोनों कस-कस के एक दूसरे की चूचियाँ रगड़ रहे थे, रंग, गोबर और कीचड़ लगा रहे थे| उधर मौका देख के वो पीछे से हीं कुतिया की तरह मुझे चोदने लगा|
मैं उसे कस के हुचुक हुचुक कर कुसुमा की चूत अपनी जीभ से चोद रही थी|



वो नीचे से चिल्लाई, “ये तेरी भौजी छिनाल ऐसे नहीं मानेगी, हुमच के अपना लंड इसकी गांड़ में पेल दो|”

मैं डर गई पर बोली, “और क्या, अकेले तुम्हीं देवर से गांड़ मराने का मजा लोगी|”




लेकिन जैसे ही उसने गांड़ में मूसल पेला, दिन में तारे दिख गये| मैं भी हार मानने वाली नहीं थी| मेरी चूत खाली हो गई थी|




मैं उसे कुसुमा की झाँटों भारी बुर पे रगड़ने लगी|

कुछ हीं देर में हमलोग सिक्स्टी नाइन की पोज में थे लेकिन वो घचाघच मेरी गांड़ मारे जा रहा था|


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हम दोनों दो-दो बार झड़ चुके थे| उसने जैसे हीं गांड़ में झड़ने के बाद लंड निकाला, सीधे मैंने मुँह में गड़प कर लिया| वो लाख मना करता रहा लेकिन मैंने चाट चूट के हीं छोड़ा|

तीन बार मेरी बुर चुदी|
मैं उठने की हालत में नहीं थी|
Wow what a sexy episode.
 

Premkumar65

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भाग १८

चुन्नू की पढ़ाई



" अरे अभी तो मेरी तेरी होली उधार है , अब तो इम्तहान का बहाना भी नहीं है , " उसका गाल सहलाते मैं बोली।


" नहीं नहीं , भाभी प्लीज मैं होली नहीं खेलता, ... " छटकते वो बोला।

और इसी अदा पे तो मैं निहाल हो गयी। बहुत मज़ा आता है इन कमसिन उमर वालों पर जबरदस्ती करने में,

" तुम मत खेलना, मैं तो खेलूंगी, सबसे छोटे देवर हो मेरे, होली में भले बच गए इम्तहान के चक्कर में लेकिन अब थोड़ी , और अभी तो चार दिन पूरे बचे हैं "



और एक बार फिर गुदगुदी लगाते मैं पहले पेट , फिर मेरा हाथ नेकर की अंदर और मैंने उसे पकड़ लिया,



ठीक ठाक बल्कि अच्छा खासा था, ...

मेरे पकड़ते ही वो कसमसाने लगा, जैसे कोई जीजा होली में साली की नयी नयी आती चूँची पकड़ के दबा दे,... पर न जीजा छोड़ते हैं और न मैं छोड़ने वाली थी और थोड़ी ही देर में सोते से वो जग गया, मूसल चंद तो नहीं लेकिन साढ़े पांच छह से तो कम नहीं ही रहा होगा, और कड़ा भी बहुत ,



लेकिन सबसे अच्छी बात, जो इस उमर के लड़कों में होती है छूते ही टनटना गया. वो छटपटा रहा था छूटने की कोशिश कर रहा था, लेकिन बार चिड़िया चंगुल में आ जाए तो फिर,... कुछ देर तक तो मैं दबाती रही, बस उसके कड़ेपन का मोटापे का अंदाज ले रही थी, बहुत अच्छा लग रहा था, फिर हलके हलके सहलाते मैंने छेड़ा,

" हे देवर जी, एच पी,... अरे हैंडप्रैक्टिस करते हो न,... किसका नाम ले ले कर अपनी किस बहन " उसकी कोई सगी तो थी नहीं तो चचेरी बहनों का नाम ले ले कर मैंने छेड़ा, नीता, मीता, नैना, रीता, किस किस का, या और है क्यों,..."



वो जितना शर्मा रहा था, मैं उतने ही कस कस के मुठिया रही थी, और एक झटके में उसका ऊपर का चमड़ा खींच के, अच्छा खासा मोटा सुपाड़ा, लीची ऐसा रसदार, गप्प से मुंह में लेने लायक,.... ' हे आज से ये ऐसे ही खुला रहेगा, समझे ' खुले सुपाड़े पर अंगूठा रगड़ते मैं बोली,




बड़ी मुश्किल से सिसकते हुए उसके मुंह से निकला, भाभी,... छोड़ दीजिये न"


उसके कान में मैंने अपनी जीभ गोल गोल घुमाई, पल्लू मेरा कब का गिर गया था, उभार पीछे से मैं उसके पीठ पर रगड़ रही थी, हल्के हल्के। एक हाथ तो औजार पे था , पर दूसरा तो खाली था,... बस उसके नाख़ून, उसके ब्वाय टिट्स पर, और जोर से खरोंच के,... चिढ़ाया उसको,... "

"क्या छोड़ दूँ , साफ़ साफ़ बोल न, नूनी मत कहना, अब ये नूनी नहीं रही, सच्ची बोल दे एक बार फिर छोड़ दूंगी,... "



बड़ी मुश्किल से दस बार ल बोलने के बाद उसके मुंह से लंड निकला, तो मैंने मुट्ठी ढीली कर छोड़ दिया, लेकिन अगले पल कस के दबोच लिया और अबकी फुल स्पीड से मुठियाने लगी, पांच मिनट तो हो ही गए थे,



जित्ती उसकी हालत खराब हो रही थी उत्ता मुझे मज़ा आ रहा था, और अब साथ में कभी मेरी जीभ उसके इयर लोब्स को छू लेती, कभी गाल को सहला देती, कभी गले के पीछे रगड़ देती, और उँगलियाँ सांप बिच्छू की तरह उसके सीने पर डोल रही थीं, कभी उसके ब्वाय टिट्स को नोच लेती,..

वो गहरी गहरी साँसे ले रहा था, देह उसकी एकदम टेन्स हो गयी थी, और वो एकदम लोहे की रॉड, इतना कड़ा, मैं बिना रुके पूरी तेजी से आगे पीछे आगे पीछे, ... कभी अंगूठे से बेस को दबा देती तो कभी बॉल्स भी सहला देती, ... बीच बीच में मैं घड़ी भी देख रही थी, दस मिनट हो गए मुठियाते,... लेकिन अभी,



पर एक दो मिनट के बाद उसके मुंह से आवाज निकली, पूरी जोर से छुड़ाने की कोशिश करते चुन्नू बोला,


" भाभी, मेरी अच्छी, भाभी प्लीज छोड़ दीजिये न "

" नहीं छोडूंगी, ... क्यों छोडूं बोल,... " कस के मुट्ठी में दबाते, रगड़ते मैंने उसे चिढ़ाया।


" भाभी, भाभी,... पता नहीं कैसा कैसा लग रहा है,... प्लीज भाभी,... हो जाएगा, कुछ निकल जाएगा,... " अब उस की आँखे बंद हो रही थीं , देह और कड़ी,...


" अरे तो निकल जाने दे न, क्या करेगा बचा बचा के,... निकलने दे "

मैंने मुठियाने की रफ्तार फुल स्पीड पर कर दी, ...एक बार फिर मेरी निगाह दीवाल घडी पर , बारह मिनट हो गए थे, और अब.,...

फिर जो पिचकारी छूटी तो भी मेरे हाथ रुके नहीं, मुट्ठी भर मलाई,कुछ तो सीधे मेरे चेहरे पे ,



गाल पर लगी मलाई मैंने उसके गालों पर अपने गालों से रगड़ दी , और मुस्करा के मैं बोली " हैप्पी होली , चल भाभी देवर की होली की शुरआत हो गयी। "

और चलने के पहले मैंने उसका एक कस के चुम्मा लिया कर चेता भी दिया, ' कल असली होगी देवर भाभी की, तैयारी कर के रखना, और अगर दरवाजा बंद मिला न तो मेरी तेरी, देवर भाभी की हरदम के लिए कुट्टी,...



नीचे मैं उतरी तो मंजू भाभी ने मुस्कराते हुए पुछा, देवर का गुस्सा कम हुआ की नहीं।



मैंने अपनी हथेली खोल के दिखा दी , देवर रस से सनी थी,... " पिघल गया, लेकिन असली होली देवर भाभी की कल होगी, असली वाली,...हाँ देवर के पिचकारी में रंग है ये पता चल गया "


मंजू भाभी के यहाँ ही कल भौजाइयों का जमावड़ा होना था, तय हुआ की ११ बजे सब लोग अपने घर का काम निपटा के,...



" एकदम लेकिन मैं दस बजे ही आ जाउंगी, ... " चलते हुए मैं बोली

" देवर से रंग खेलने,... " हंस के वो बोलीं, लेकिन मैंने बाहर निकल के मुड़ के अपना इरादा साफ़ कर दिया,... 'देवर की नथ उतारने।'


I was also christened into sex world by a married lady. What a lovely way you describe the proceedings with the young nubile boy. Fantastic.
 

Premkumar65

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नैना ननदिया -आँखों देखा हाल




' और भौजी क्या जबरदस्त आपकी बहना चीखी, आधे सुपाड़े में ही उस की जान निकल गयी " खिलखिलाते हुए नैना बोली।


वो चीख तो मैंने भी सुनी थी लेकिन मैं आगे की बात सुनना चाहती थी,... आगे चीख क्यों नहीं निकली और वो राज नैना ने खोल दिया,

और मेरा इनके ऊपर और प्यार उमड़ पड़ा, सच में इनके ऊपर तो मैं सब कुछ लुटा दूँ, और मैंने मारे ख़ुशी के उनकी बहन महतारी सब गरिया डाली।



हुआ ये था की ननदोई जी लाख कोशिश कर रहे थे घुस नहीं रहा था आगे , और छुटकी जोर जोर से सुबक रही थी , उसके गोरे गोरे गाल आंसू में भीग गए थे, और उन्होंने ही रास्ता निकाला ,


अपनी छुटकी साली के साथ ६९ में, वो ऊपर थी, और ये, एक तो उनका ऐसे ही मोटा बांस, फिर वो नयी उमर वाली, और उन्होंने न सिर्फ हलक तक पेल दिया बल्कि अपने दोनों पैरों से कस के मेरी छुटकी बहिनिया के सर को भी पकड़ के दबोच लिया, अब उनके ,मोटे बांस से ज्यादा मोटी डॉट कौन सी उनकी साली के मुंह में लग सकती थी , चीखे चाहे जितना चीखना चाहे , गों गों से ज्यादा कुछ नहीं निकल पायेगा , और भले ही वो ऊपर थी लेकिन उनके हाथ सँड़सी से भी ज्यादा तगड़े थे बस कस के अपनी छोटी साली के सर को उन्होंने दबोच लिया था , और एक बार हलक तो वो एक बित्ते का लंड घुस गया तो फिर तो ,...




साथ साथ उनके मूसल से कम करामाती उनकी जीभ नहीं थी, वो सुरसुराती हुयी साली की कसी बिल में और उनकी दोनों उँगलियाँ उसकी जादू के बटन पे कभीसहला देते तो कभी वो मस्ती से पागल हो जाती और कभी नाख़ून से क्लिट नोच लेते तो दर्द से दुहरी,...

कभी वो कस कस के संतरे की फांको सी रसीली अपनी साली की फांके चूसते तो कभी क्लिट तो कभी जीभ प्रेम गली में घुस के सुरसुराती , सहलाती थोड़ी देर में ही छुटकी की कसी चूत पानी फेंकने लगी , गाँड़ में घुसे मोटे सुपाड़े को भूल जीभ का मजा लेने लगी

नैना खूब खुश हो रही थी सुनाते सुनाते, बोली



" भौजी, भैया और जीजू ने मिल के क्या जबरदस्त गाँड़ मारी साली की,... अब वो चीख सकती नहीं थी , फिर जब वो क्लिट सहलाते तो पिछवाड़े से उसका ध्यान हट जाता,.. बस उसी समय जीजू दोनों हाथों से चूतड़ पकड़ के जोर से हलब्बी धक्का मारते, बस चार पांच धक्के में एक बार पूरा सुपाड़ा घुस गया तो वो रुक गए , फिर भैया ने आपकी छुटकी बहिनिया को चूस चूस के थेथर कर दिया , चार पांच बार तो झड़ी ही होगी वो,...



मैं बहुत खुश छुटकी पर भी लेकिन छुटकी से बढ़ के उसके जीजू पर भी, क्या ट्रिक निकाली अपनी छोटी साली की कुँवारी गाँड़ फड़वाने की , अच्छा हुआ दोनों लोग साथ गए थे और उनको तो छुटकी पर चढ़ने का एक्सपीरियंस भी था, ... लेकिन मैंने नैना ननदिया को हड़का लिया कौन भौजाईननद की गलती निकालने की हड़काने का मौका छोड़ती है ,

" हे बार बार आपकी बहिनिया , आपकी बहिनिया कह रही हो ,... तुम्हारी कुछ नहीं लगती क्या "

" गलती हो गयी नयकी भौजी ( गांव में सब मुझे नयकी भौजी और सासें नयकी या नयको ही कहती थीं ). एकदम लगती है , मेरी छिनार , रंडी मेरे सब भाइयों की रखैल , छुटकी भौजी है। "

फिर उसने आगे का हाल सुनाना जारी रखा।


और उसके बाद आपके नन्दोई ने क्या पेलगाडी चलाई, पूरा अंदर तक पेल के ही रुके, बेचारी टसुए बहा रही थी , चुत्तड़ पटक रही थी, लेकिन ऐसा माल कौन छोड़ता, और मेरे जीजू तो एकदम कमीने हैं, बस गाँड़ की महक लग जाए , फिर कोरी,...





लेकिन भौजी बिना बेरहमी के गाँड़ न मारी जाए, न उसके बिना गाँड़ मारने वाले को मजा न मरवाने वाली को,...



इस मामले में नैना ननद की बात से मैं पूरी तरह सहमत थी, जबतक चीख पुकार न हो रोई रोहट न , दो दिन तक जिसकी मारी जाए वो टांग फैला के न चले,... पूरे गाँव जवार को मालूम न पड़ जाए की आज पिछवाड़े कुदाल चली है,... और इनकी और नन्दोई जी की तो पूरी जे सी बी थी,...

और अब ये पता चल गया की आगे की चीख क्यों नहीं सुनाई पड़ी ,...

नैना ने पूरा हाल खूब रस ले ले के सुनाया , कैसे मेरे नन्दोई ने धक्के पर धक्के मार के पहले आधा लंड पेल दिया , फिर थोड़ी देर बाद जब गाँड़ को लंड की आदत पड़ गयी तो हल्का हल्का पुश कर के पूरा लंड जड़ तक ,... उसके बाद इन्होने भी अपना लंड साली के मुंह से निकाल लिया , नन्दोई जी कभी हलके हलके अंदर बाहर करते तो कभी हचक के ,... एक बार में पूरा तो नहीं लेकिन आधा ठेल देते,...




नैना सुना तो मेरी छुटकी बहिनिया के बारे में रही थी लेकिन मुझे अपना याद आ रहा था किस तरह नन्दोई जी ने ऐन होली , ननद और अपने दोस्त के सामने मुझे हचक के , क्या गाँड़ मारी थी मेरी ,... मेरे पिछवाड़े के तो दीवाने हैं वो,...

तूने पूरा देखा क्या ,... मैंने नैना से पूछा तो वो बोली

नहीं भौजी ,... अरे जो आपका देवर मेरे ऊपर चढ़ा था पेड़ पे उसने फेचकुर फेंक दिया ,... और मुझको भी कई जगह जाना था , लेकिन फटते हुए तो अपनी आँख से देखा ,... पर मैं अपने जीजा ( मेरे नन्दोई उसके जीजा ही तो लगे ) को जानती हूँ बना दुबारा पेल गाड़ी चलाये उन्होंने नहीं छोड़ा होगा ,...

नैना को और दो चार घर जाना था कल की होली के लिए,... और मेरा घर भी आ गया था,


वो बोली कल सुबह सात बजे तक आ जाएगी, और मैं घर में घुस गयी।
Sach bataun Komal ji, Chhutki ki gand ke udghatan ka asli maza to detail me lichen me hi aata. Naina ke batane me maza nahin aaya. Yahu to story ka main part tha.
 

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komaalrani

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Sach bataun Komal ji, Chhutki ki gand ke udghatan ka asli maza to detail me lichen me hi aata. Naina ke batane me maza nahin aaya. Yahu to story ka main part tha.
agae padhiyega to aayega maja chhutaki ke pichvaade ka, abhi bahoot kuch hona hai and thanks for your views
 

komaalrani

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Bilkul , saal ka tyohar hai , banta hai
Thanks for the understanding.
 

komaalrani

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और सबसे मस्त -




दीदी संग होली ( पेज १६ )

नया प्रसंग -रंग प्रसंग में



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komaalrani

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रिश्ते ही रिश्ते

और होली का मजा रिश्तों में- एक बार पढ़ तो लें





देवर भाभी की होली ( पेज १० )

ननद भाभी की होली ( पेज १० )

गाँव की होली ( पेज १२ )

सलहज नन्दोई की होली ( पेज १३ )

जीजा साली की होली ( पेज १३ )

घर आंगन की होली ( पेज १४ )


और सबसे मस्त -



दीदी संग होली ( पेज १६ )

नया प्रसंग -रंग प्रसंग में





प्लीज रिश्तों का आनंद इन रंग प्रसंगों से होली का लें और

अपनी लाइक जरूर दर्ज कराएं और प्रतिक्रिया भी
 
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दोनों बहनों की एक साथ,... छुटकी रो रही थी , चीख रही थी अपने हाथ पटक रही थी , पर जितना वो तड़पती उतना ही नन्दोई जी और कस कस के,... तभी मैंने देखा की मेरे साजन भी, उन्हें मैं क्यों बख्शती , उनकी भी शार्ट उतर गयी , ननदोई का खूंटा मेरी छोटी बहन की गाँड़ में और ननदोई के साले का खूंटा नन्दोई की सलहज के मुंह में ,... मस्त हो कर मैं चूस रही थी , और जब बीच में उन्हें छोड़ के उनकी साली की चुत चुसाई में लग जाती तो मेरी उँगलियाँ , दस बाहर मिनट तक नन्दोई जी छुटकी की गाँड़ मारते रहे , छुटकी चीखती चिल्लाती रही,... पर पता नहीं साले जीजा में क्या बात चीत हुयी , खिलाड़ी बदल गए , अब छुटकी के जीजा छुटकी के पिछवाड़े,... छुटकी की चीख के साथ मेरी भी चीख निकली , पीछे से ननदोई जी ने मेरी गाँड़ में ठेल दिया था और एक बार में आधा बांस, मैं जोर से चीखी,... और मेरी छिनार ननद खूब जोर से हंसी, " अब मजा आ रहा है , दोनों बहनों की एक साथ गाँड़ मारी जा रही है , खुले आँगन में " हम दोनों बहने सिक्सटी नाइन की पोज में , मेरी बहन के पिछवाड़े मेरे साजन और मेरे पिछवाड़े नन्दोई जी , मेरी गाँड़ के रसिया और मैं भी कभी गांड में उनके लंड को निचोड़ लेती कभी उनके धक्के का जवाब धक्के से देती , कभी उनकी बहिन महतारी गरियाती , आधे घंटे के बाद जीजा साले एक साथ झड़े, और देर तक हम दोनों के अंदर , मुझे सहारा देकर ननद जी ने खड़ा किया और सासू जी ने छुटकी को। सासू जी छुटकी को लेकर अपने कमरे की ओर जाने लगीं तो छुटकी का मुंह छोटा सा हो गया, वो मुड़ मुड़ के अपने जीजू की ओर देखने लगी, और इनकी आँखे भी ललचाती हुयी छुटकी को देख रही थीं सासू जी की आँखों से तो कुछ छिपा नहीं रहता, तो बस छुटकी से वो बोलीं,... " बस मुझे ज़रा सी नींद लगने लगे तो तू अपनी दीदी के पास चली जाना।" बोल तो वो छुटकी से रही थी लेकिन, जैसे सूरज को देख के कमल खिलता है, उनका चेहरा खिल रहा था. उधर ननद रानी भी नन्दोई जी के साथ जाने के लिए मुड़ी तो मैंने नन्दोई जी को जबरदस्त आँख मार दी, और इन्हे उकसाते, ननद जी को छेड़ते अपने साजन से बोली, " आज आपने मेरी बहिनिया की गाँड़ मारी तो कल अपनी बहिनिया की मारिएगा,.. बहुत मस्त चूतड़ हैं ननद रानी के " और साथ में कस के चिकोटी ननद के मोटे मोटे चूतड़ों में काट ली,... " मुस्कराती ननद, नन्दोई के साथ अपने कमरे में, और ये बोले, " तेरी ननद की तो कल देखी जायेगी, आज अभी तो ननद की भाभी अपना पिछवाड़ा बचाएं " मैं भी जानती थी और ये भी जानते थी की न मैं बचाने वाली न ये छोड़ने वाले, अरे बचाने के लिए थोड़ी मेरी माँ ने इनके पास भेजा था, पर मैं बोली, " तो कल ननद के पिछवाड़े पर ननद के भइया चढ़ेंगे, पक्का " और खिलखिलाते हुए अपने कमरे में इनके आगे आगे , मैं खुद पलंग को निहुर के पकड़ के, दरवाजा भी इन्होने नहीं बंद किया , इत्ती जल्दी मची थी इस जल्दबाज को,... बस मेरी साड़ी पकड़ के खींचनी शुरू की और उनसे तेज मैंने अपनी साड़ी उतारकर वहीँ फर्श पे, साया मोड़ के उन्होंने कमर तक कर दिया, ब्लाउज की आधी बहने तो छेड़छाड़ में इनकी बहना ही खोल देती थीं,... बाकी इन्होने, टाँगे मैंने खुद अच्छी तरह फैला दीं,...
दोनों बहनों की एक साथ,... छुटकी रो रही थी , चीख रही थी अपने हाथ पटक रही थी , पर जितना वो तड़पती उतना ही नन्दोई जी और कस कस के,... तभी मैंने देखा की मेरे साजन भी, उन्हें मैं क्यों बख्शती , उनकी भी शार्ट उतर गयी , ननदोई का खूंटा मेरी छोटी बहन की गाँड़ में और ननदोई के साले का खूंटा नन्दोई की सलहज के मुंह में ,... मस्त हो कर मैं चूस रही थी , और जब बीच में उन्हें छोड़ के उनकी साली की चुत चुसाई में लग जाती तो मेरी उँगलियाँ , दस बाहर मिनट तक नन्दोई जी छुटकी की गाँड़ मारते रहे , छुटकी चीखती चिल्लाती रही,... पर पता नहीं साले जीजा में क्या बात चीत हुयी , खिलाड़ी बदल गए , अब छुटकी के जीजा छुटकी के पिछवाड़े,... छुटकी की चीख के साथ मेरी भी चीख निकली , पीछे से ननदोई जी ने मेरी गाँड़ में ठेल दिया था और एक बार में आधा बांस, मैं जोर से चीखी,... और मेरी छिनार ननद खूब जोर से हंसी, " अब मजा आ रहा है , दोनों बहनों की एक साथ गाँड़ मारी जा रही है , खुले आँगन में " हम दोनों बहने सिक्सटी नाइन की पोज में , मेरी बहन के पिछवाड़े मेरे साजन और मेरे पिछवाड़े नन्दोई जी , मेरी गाँड़ के रसिया और मैं भी कभी गांड में उनके लंड को निचोड़ लेती कभी उनके धक्के का जवाब धक्के से देती , कभी उनकी बहिन महतारी गरियाती , आधे घंटे के बाद जीजा साले एक साथ झड़े, और देर तक हम दोनों के अंदर , मुझे सहारा देकर ननद जी ने खड़ा किया और सासू जी ने छुटकी को। सासू जी छुटकी को लेकर अपने कमरे की ओर जाने लगीं तो छुटकी का मुंह छोटा सा हो गया, वो मुड़ मुड़ के अपने जीजू की ओर देखने लगी, और इनकी आँखे भी ललचाती हुयी छुटकी को देख रही थीं सासू जी की आँखों से तो कुछ छिपा नहीं रहता, तो बस छुटकी से वो बोलीं,... " बस मुझे ज़रा सी नींद लगने लगे तो तू अपनी दीदी के पास चली जाना।" बोल तो वो छुटकी से रही थी लेकिन, जैसे सूरज को देख के कमल खिलता है, उनका चेहरा खिल रहा था. उधर ननद रानी भी नन्दोई जी के साथ जाने के लिए मुड़ी तो मैंने नन्दोई जी को जबरदस्त आँख मार दी, और इन्हे उकसाते, ननद जी को छेड़ते अपने साजन से बोली, " आज आपने मेरी बहिनिया की गाँड़ मारी तो कल अपनी बहिनिया की मारिएगा,.. बहुत मस्त चूतड़ हैं ननद रानी के " और साथ में कस के चिकोटी ननद के मोटे मोटे चूतड़ों में काट ली,... " मुस्कराती ननद, नन्दोई के साथ अपने कमरे में, और ये बोले, " तेरी ननद की तो कल देखी जायेगी, आज अभी तो ननद की भाभी अपना पिछवाड़ा बचाएं " मैं भी जानती थी और ये भी जानते थी की न मैं बचाने वाली न ये छोड़ने वाले, अरे बचाने के लिए थोड़ी मेरी माँ ने इनके पास भेजा था, पर मैं बोली, " तो कल ननद के पिछवाड़े पर ननद के भइया चढ़ेंगे, पक्का " और खिलखिलाते हुए अपने कमरे में इनके आगे आगे , मैं खुद पलंग को निहुर के पकड़ के, दरवाजा भी इन्होने नहीं बंद किया , इत्ती जल्दी मची थी इस जल्दबाज को,... बस मेरी साड़ी पकड़ के खींचनी शुरू की और उनसे तेज मैंने अपनी साड़ी उतारकर वहीँ फर्श पे, साया मोड़ के उन्होंने कमर तक कर दिया, ब्लाउज की आधी बहने तो छेड़छाड़ में इनकी बहना ही खोल देती थीं,... बाकी इन्होने, टाँगे मैंने खुद अच्छी तरह फैला दीं,...
दोनों बहनों की एक साथ,... छुटकी रो रही थी , चीख रही थी अपने हाथ पटक रही थी , पर जितना वो तड़पती उतना ही नन्दोई जी और कस कस के,... तभी मैंने देखा की मेरे साजन भी, उन्हें मैं क्यों बख्शती , उनकी भी शार्ट उतर गयी , ननदोई का खूंटा मेरी छोटी बहन की गाँड़ में और ननदोई के साले का खूंटा नन्दोई की सलहज के मुंह में ,... मस्त हो कर मैं चूस रही थी , और जब बीच में उन्हें छोड़ के उनकी साली की चुत चुसाई में लग जाती तो मेरी उँगलियाँ , दस बाहर मिनट तक नन्दोई जी छुटकी की गाँड़ मारते रहे , छुटकी चीखती चिल्लाती रही,... पर पता नहीं साले जीजा में क्या बात चीत हुयी , खिलाड़ी बदल गए , अब छुटकी के जीजा छुटकी के पिछवाड़े,... छुटकी की चीख के साथ मेरी भी चीख निकली , पीछे से ननदोई जी ने मेरी गाँड़ में ठेल दिया था और एक बार में आधा बांस, मैं जोर से चीखी,... और मेरी छिनार ननद खूब जोर से हंसी, " अब मजा आ रहा है , दोनों बहनों की एक साथ गाँड़ मारी जा रही है , खुले आँगन में " हम दोनों बहने सिक्सटी नाइन की पोज में , मेरी बहन के पिछवाड़े मेरे साजन और मेरे पिछवाड़े नन्दोई जी , मेरी गाँड़ के रसिया और मैं भी कभी गांड में उनके लंड को निचोड़ लेती कभी उनके धक्के का जवाब धक्के से देती , कभी उनकी बहिन महतारी गरियाती , आधे घंटे के बाद जीजा साले एक साथ झड़े, और देर तक हम दोनों के अंदर , मुझे सहारा देकर ननद जी ने खड़ा किया और सासू जी ने छुटकी को। सासू जी छुटकी को लेकर अपने कमरे की ओर जाने लगीं तो छुटकी का मुंह छोटा सा हो गया, वो मुड़ मुड़ के अपने जीजू की ओर देखने लगी, और इनकी आँखे भी ललचाती हुयी छुटकी को देख रही थीं सासू जी की आँखों से तो कुछ छिपा नहीं रहता, तो बस छुटकी से वो बोलीं,... " बस मुझे ज़रा सी नींद लगने लगे तो तू अपनी दीदी के पास चली जाना।" बोल तो वो छुटकी से रही थी लेकिन, जैसे सूरज को देख के कमल खिलता है, उनका चेहरा खिल रहा था. उधर ननद रानी भी नन्दोई जी के साथ जाने के लिए मुड़ी तो मैंने नन्दोई जी को जबरदस्त आँख मार दी, और इन्हे उकसाते, ननद जी को छेड़ते अपने साजन से बोली, " आज आपने मेरी बहिनिया की गाँड़ मारी तो कल अपनी बहिनिया की मारिएगा,.. बहुत मस्त चूतड़ हैं ननद रानी के " और साथ में कस के चिकोटी ननद के मोटे मोटे चूतड़ों में काट ली,... " मुस्कराती ननद, नन्दोई के साथ अपने कमरे में, और ये बोले, " तेरी ननद की तो कल देखी जायेगी, आज अभी तो ननद की भाभी अपना पिछवाड़ा बचाएं " मैं भी जानती थी और ये भी जानते थी की न मैं बचाने वाली न ये छोड़ने वाले, अरे बचाने के लिए थोड़ी मेरी माँ ने इनके पास भेजा था, पर मैं बोली, " तो कल ननद के पिछवाड़े पर ननद के भइया चढ़ेंगे, पक्का " और खिलखिलाते हुए अपने कमरे में इनके आगे आगे , मैं खुद पलंग को निहुर के पकड़ के, दरवाजा भी इन्होने नहीं बंद किया , इत्ती जल्दी मची थी इस जल्दबाज को,... बस मेरी साड़ी पकड़ के खींचनी शुरू की और उनसे तेज मैंने अपनी साड़ी उतारकर वहीँ फर्श पे, साया मोड़ के उन्होंने कमर तक कर दिया, ब्लाउज की आधी बहने तो छेड़छाड़ में इनकी बहना ही खोल देती थीं,... बाकी इन्होने, टाँगे मैंने खुद अच्छी तरह फैला दीं,...
 

Premkumar65

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दोनों बहनों की एक साथ,... छुटकी रो रही थी , चीख रही थी अपने हाथ पटक रही थी , पर जितना वो तड़पती उतना ही नन्दोई जी और कस कस के,... तभी मैंने देखा की मेरे साजन भी, उन्हें मैं क्यों बख्शती , उनकी भी शार्ट उतर गयी , ननदोई का खूंटा मेरी छोटी बहन की गाँड़ में और ननदोई के साले का खूंटा नन्दोई की सलहज के मुंह में ,... मस्त हो कर मैं चूस रही थी , और जब बीच में उन्हें छोड़ के उनकी साली की चुत चुसाई में लग जाती तो मेरी उँगलियाँ , दस बाहर मिनट तक नन्दोई जी छुटकी की गाँड़ मारते रहे , छुटकी चीखती चिल्लाती रही,... पर पता नहीं साले जीजा में क्या बात चीत हुयी , खिलाड़ी बदल गए , अब छुटकी के जीजा छुटकी के पिछवाड़े,... छुटकी की चीख के साथ मेरी भी चीख निकली , पीछे से ननदोई जी ने मेरी गाँड़ में ठेल दिया था और एक बार में आधा बांस, मैं जोर से चीखी,... और मेरी छिनार ननद खूब जोर से हंसी, " अब मजा आ रहा है , दोनों बहनों की एक साथ गाँड़ मारी जा रही है , खुले आँगन में " हम दोनों बहने सिक्सटी नाइन की पोज में , मेरी बहन के पिछवाड़े मेरे साजन और मेरे पिछवाड़े नन्दोई जी , मेरी गाँड़ के रसिया और मैं भी कभी गांड में उनके लंड को निचोड़ लेती कभी उनके धक्के का जवाब धक्के से देती , कभी उनकी बहिन महतारी गरियाती , आधे घंटे के बाद जीजा साले एक साथ झड़े, और देर तक हम दोनों के अंदर , मुझे सहारा देकर ननद जी ने खड़ा किया और सासू जी ने छुटकी को। सासू जी छुटकी को लेकर अपने कमरे की ओर जाने लगीं तो छुटकी का मुंह छोटा सा हो गया, वो मुड़ मुड़ के अपने जीजू की ओर देखने लगी, और इनकी आँखे भी ललचाती हुयी छुटकी को देख रही थीं सासू जी की आँखों से तो कुछ छिपा नहीं रहता, तो बस छुटकी से वो बोलीं,... " बस मुझे ज़रा सी नींद लगने लगे तो तू अपनी दीदी के पास चली जाना।" बोल तो वो छुटकी से रही थी लेकिन, जैसे सूरज को देख के कमल खिलता है, उनका चेहरा खिल रहा था. उधर ननद रानी भी नन्दोई जी के साथ जाने के लिए मुड़ी तो मैंने नन्दोई जी को जबरदस्त आँख मार दी, और इन्हे उकसाते, ननद जी को छेड़ते अपने साजन से बोली, " आज आपने मेरी बहिनिया की गाँड़ मारी तो कल अपनी बहिनिया की मारिएगा,.. बहुत मस्त चूतड़ हैं ननद रानी के " और साथ में कस के चिकोटी ननद के मोटे मोटे चूतड़ों में काट ली,... " मुस्कराती ननद, नन्दोई के साथ अपने कमरे में, और ये बोले, " तेरी ननद की तो कल देखी जायेगी, आज अभी तो ननद की भाभी अपना पिछवाड़ा बचाएं " मैं भी जानती थी और ये भी जानते थी की न मैं बचाने वाली न ये छोड़ने वाले, अरे बचाने के लिए थोड़ी मेरी माँ ने इनके पास भेजा था, पर मैं बोली, " तो कल ननद के पिछवाड़े पर ननद के भइया चढ़ेंगे, पक्का " और खिलखिलाते हुए अपने कमरे में इनके आगे आगे , मैं खुद पलंग को निहुर के पकड़ के, दरवाजा भी इन्होने नहीं बंद किया , इत्ती जल्दी मची थी इस जल्दबाज को,... बस मेरी साड़ी पकड़ के खींचनी शुरू की और उनसे तेज मैंने अपनी साड़ी उतारकर वहीँ फर्श पे, साया मोड़ के उन्होंने कमर तक कर दिया, ब्लाउज की आधी बहने तो छेड़छाड़ में इनकी बहना ही खोल देती थीं,... बाकी इन्होने, टाँगे मैंने खुद अच्छी तरह फैला दीं,...
बहुत लंबे समय से बाहर था । हॉस्पिटल के चक्कर लग रहे थे । अब देखते आपकी कहानी में क्या हुआ
दोनों बहनों की एक साथ,... छुटकी रो रही थी , चीख रही थी अपने हाथ पटक रही थी , पर जितना वो तड़पती उतना ही नन्दोई जी और कस कस के,... तभी मैंने देखा की मेरे साजन भी, उन्हें मैं क्यों बख्शती , उनकी भी शार्ट उतर गयी , ननदोई का खूंटा मेरी छोटी बहन की गाँड़ में और ननदोई के साले का खूंटा नन्दोई की सलहज के मुंह में ,... मस्त हो कर मैं चूस रही थी , और जब बीच में उन्हें छोड़ के उनकी साली की चुत चुसाई में लग जाती तो मेरी उँगलियाँ , दस बाहर मिनट तक नन्दोई जी छुटकी की गाँड़ मारते रहे , छुटकी चीखती चिल्लाती रही,... पर पता नहीं साले जीजा में क्या बात चीत हुयी , खिलाड़ी बदल गए , अब छुटकी के जीजा छुटकी के पिछवाड़े,... छुटकी की चीख के साथ मेरी भी चीख निकली , पीछे से ननदोई जी ने मेरी गाँड़ में ठेल दिया था और एक बार में आधा बांस, मैं जोर से चीखी,... और मेरी छिनार ननद खूब जोर से हंसी, " अब मजा आ रहा है , दोनों बहनों की एक साथ गाँड़ मारी जा रही है , खुले आँगन में " हम दोनों बहने सिक्सटी नाइन की पोज में , मेरी बहन के पिछवाड़े मेरे साजन और मेरे पिछवाड़े नन्दोई जी , मेरी गाँड़ के रसिया और मैं भी कभी गांड में उनके लंड को निचोड़ लेती कभी उनके धक्के का जवाब धक्के से देती , कभी उनकी बहिन महतारी गरियाती , आधे घंटे के बाद जीजा साले एक साथ झड़े, और देर तक हम दोनों के अंदर , मुझे सहारा देकर ननद जी ने खड़ा किया और सासू जी ने छुटकी को। सासू जी छुटकी को लेकर अपने कमरे की ओर जाने लगीं तो छुटकी का मुंह छोटा सा हो गया, वो मुड़ मुड़ के अपने जीजू की ओर देखने लगी, और इनकी आँखे भी ललचाती हुयी छुटकी को देख रही थीं सासू जी की आँखों से तो कुछ छिपा नहीं रहता, तो बस छुटकी से वो बोलीं,... " बस मुझे ज़रा सी नींद लगने लगे तो तू अपनी दीदी के पास चली जाना।" बोल तो वो छुटकी से रही थी लेकिन, जैसे सूरज को देख के कमल खिलता है, उनका चेहरा खिल रहा था. उधर ननद रानी भी नन्दोई जी के साथ जाने के लिए मुड़ी तो मैंने नन्दोई जी को जबरदस्त आँख मार दी, और इन्हे उकसाते, ननद जी को छेड़ते अपने साजन से बोली, " आज आपने मेरी बहिनिया की गाँड़ मारी तो कल अपनी बहिनिया की मारिएगा,.. बहुत मस्त चूतड़ हैं ननद रानी के " और साथ में कस के चिकोटी ननद के मोटे मोटे चूतड़ों में काट ली,... " मुस्कराती ननद, नन्दोई के साथ अपने कमरे में, और ये बोले, " तेरी ननद की तो कल देखी जायेगी, आज अभी तो ननद की भाभी अपना पिछवाड़ा बचाएं " मैं भी जानती थी और ये भी जानते थी की न मैं बचाने वाली न ये छोड़ने वाले, अरे बचाने के लिए थोड़ी मेरी माँ ने इनके पास भेजा था, पर मैं बोली, " तो कल ननद के पिछवाड़े पर ननद के भइया चढ़ेंगे, पक्का " और खिलखिलाते हुए अपने कमरे में इनके आगे आगे , मैं खुद पलंग को निहुर के पकड़ के, दरवाजा भी इन्होने नहीं बंद किया , इत्ती जल्दी मची थी इस जल्दबाज को,... बस मेरी साड़ी पकड़ के खींचनी शुरू की और उनसे तेज मैंने अपनी साड़ी उतारकर वहीँ फर्श पे, साया मोड़ के उन्होंने कमर तक कर दिया, ब्लाउज की आधी बहने तो छेड़छाड़ में इनकी बहना ही खोल देती थीं,... बाकी इन्होने, टाँगे मैंने खुद अच्छी तरह फैला दीं,...
 
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