कुछ स्थानीय प्रथा....“”
नाग पंचमी के दिन जैसे लड़के बहनों की गुड़िया की पीट पीट के बुरी हाल कर देते हैं बस वही हाल फुलवा की उस बारी उमर की ननदिया की हो रही थी, ब्लाउज जो कस के छोटे छोटे जोबन को दबोचे था और फुलवा के गाँव के लौंडो को चुनौती दे रहा था, ज्यादातर बटन टूट चुके थे , बस एक दो बटनों के सहारे किसी तरह से ब्लाउज में जोबन छुपने की बेकार कोशिश कर रहे थे.
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ये कुछ समझा नहीं कोमल जी , जरा explain कीजिए