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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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और वो बेचारा तीनों बार हार जाता है,... फिर मौरी सेरवाने में नयी बहु, उसकी दुल्हन के सामने गांव की भौजाई सब अपनी ननदों को उसकी बहन को उसी का नाम लग लगा के खूब गरियाती है, लेकिन बगल में बैठी 'मिठाई ' के लालच में वो सब कुछ करता है,...

अब तो मौरी का चलन लगभग खत्म हीं हो गया है...
लेकिन फिर भी कहीं कहीं....
बहुत सी पुरानी यादों को संजो कर सम्हाल कर गठरी में बाँध कर बैठती हूँ, कभी मौका देख के निकाल के उन यादों को पुरानी रस्मो को इन सब कहानियों के बहाने ताज़ा कर लेती हूँ, और फिर बांध बूंध के, सर पर लाद के आगे की ओर निकल पड़ती हूँ, ...


मौरी सेरवाने की कंगन खोलने की रस्म बस अब यादें रह गयी हैं
 

komaalrani

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“”

दो तीन ऐसी भौजाइयां जो अभी लड़कोर नहीं थीं, तीन चार साल पहले गौना हुआ था,..

जैसे दूल्हे को दुल्हिन लाने पे दूल्हे के मायके में कोहबर में पासा खिलाया जाता है , दूध में अंगूठी डाल के ढुंढवायी जाती है और बगल में बैठी भौजाई कान में देवर को समझा देती है, अगर गलती से भी एक बार जीत गए न,... तो ये मिठाई जो बगल में बैठी है आज रात में नहीं मिलेगी खाने को सोच लो,...

“”

Waah
🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

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Puri S.W.A.T analysis ho rahi hai mast 👌👌👌
ekdam bina uske haarane ka poora chaance tha aur abki Nandon ko harana hi tha, saal bhar unhe ragdne ka fayda devaron ka fayada
 

komaalrani

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Thanks komaalrani ji apne busy samay mei se kuch waqt humare liye bhi nikala , after all this is all fun and we all have bigger role and responsibility out of the xforum world
yes and this post brought a turn in the story taking it away from the story of Arvind and Geeta to back to chhutaki,... and also underlining that Geeta and Chhutki will keep on playing important roles.
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
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बहुत सी पुरानी यादों को संजो कर सम्हाल कर गठरी में बाँध कर बैठती हूँ, कभी मौका देख के निकाल के उन यादों को पुरानी रस्मो को इन सब कहानियों के बहाने ताज़ा कर लेती हूँ, और फिर बांध बूंध के, सर पर लाद के आगे की ओर निकल पड़ती हूँ, ...


मौरी सेरवाने की कंगन खोलने की रस्म बस अब यादें रह गयी हैं
Very well said Komal mam,
kabhi kabhi tum itni achhi batein karke mujhe bhavuk kar deti ho, apni khubsurat lekhni se.Proud of u 💋 Komal didi.
 

komaalrani

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Bahut hi garam aur mast tayari
planning and preaperation is half begun and half done
 

komaalrani

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Yes attack is the best defence , ye naya india hai ghuss ke marta hai
Ekdam aur is kahani men Nayki Bhauji hain jo Nanadon ki unke maayke men ghus ke maarengi
 

komaalrani

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तन और मन दोनों से बड़ी हो गई... है गीता...

तन और मन दोनों से बड़ी हो गई... है गीता...
जिम्मेदारियां कई बार वक्त से पहले बड़ा कर देती हैं

और कई बार बूढा भी।


पर शायद इस फोरम /कथा शैली की परम्परा से अलग मैं वो बातें कर रही हूँ जिसे सुनने सुनाने न कोई आता है न करनी चाहिए पर क्या करूँ मेरी कहानियां शरारती बच्चों की तरह है एक अलग दिशा में मुड़ जाती है और बाते भी।

इसी तरह के पार्ट थे जब जिंदगी फंतासी पर भारी पड़ गयी। भाग ५५ और ५६ इसी तरह के पार्ट थे।
 

komaalrani

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ये फुलवा की बहन भी तो चमेलिया है...
तो फिर कुसुमा के नए नाम से कंफ्यूजन नहीं होगा...
दोनों साथ साथ नहीं आएँगी।
 

komaalrani

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कोमल जी,

ये दाल भरी पूड़ी को अपने यहां बेड़ई बोलते हैं ये वही है ना, आलू की रसीली सब्जी के साथ वाली।

Please confirm

सादर
बेड़ई में पीठी या भराई उड़द की होती है और मसाले हैं, ...

दलभरी में चने की दाल पहले मसाले के साथ बना कर, फिर उसे पीस कर, एक पेस्ट सा बना लेते हैं और पराठे के अंदर भर के ज्यादा घी में सेंक के बनाते हैं

कहीं कहीं उसे पूड़ी की तरह डीप फ्राई की तरह भी बनाते हैं और उसे खीर के साथ या बखीर, गन्ने के रस में बनी या गुड़ में ( अगर गन्ने सा समय नहीं है )

और कई जगहों पर रसम होती है जब दुल्हन नयी नयी आती है तो कोहबर में ननदों के साथ, यही दलभरी बासी, ( एक दिन पहले रात की बनी ) और बखीर खाती है बल्कि ननदें खिलाती हैं. यह कंगन छुड़ाने के पहले होता है।

दूल्हा दुल्हन अकेले कंगन छुड़ाने के बाद ही मिल सकते हैं,

कंगन छुड़ाने की रस्म का एक मैं वीडियो भी संलग्न कर रही हूँ

अलग अलग जगह पर अलग तरीके से ये रस्म होती है लेकिन दुलहन के आने के बाद की ये एक जरूरी रस्मों में हैं।


 
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