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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९८

अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, मजे ले, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
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motaalund

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एकदम सही कहा आपने

टीम का सेलेक्शन सही होने से आधी जंग जीत ली गयी और गितवा के सवाल का जवाब छुटकी ने दे दिया, बस अब चार आने की स्ट्रेटजी और प्लानिंग बाकी की असली कबड्डी में

जो आपने कहा है वैसे ही होगी कबड्डी।
और जीत का आधा इनाम तो लेस्बियन रेसलिंग में लेकिन असली अगले दिन जब कुंवारे कच्चे केले टाइप देवर भी मैदान में रहेंगे और उनकी आँखों पर पट्टी बांध के,... अगर ननदें हार गयीं तो बस सगी बहन तो सगी नहीं तो चचेरी फुफेरी जो भी हो,... न कोई कुँवारी ननद बचेगी न देवर और सब भाभियों के सामने,... हो हल्ले के साथ।
ऐसा शमां बाँधा है कि हम पाठकगण खुद को भी दर्शक दीर्घा में महसूस करने लगे हैं....
 

motaalund

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क्या याद दिला दिया आपने

लेकिन असली मस्ती होती थी बारात के जाने के बाद, लड़कियां औरतें तो जाती नहीं थी,... और एकाध बड़े बुजुर्ग टाइप जो बचते थे उन्हें घर से बहुत दूर,... एक असली वाकया है , एक जेठ रुके थे घर के बाहर बरात जाने के,... जब वो सो गए तो उनकी भी भौजाइयां थीं, बस चार ने बसखटिया पकड़ी और उठा के पास के बगीचे में,...

और क्या नहीं होता था कहीं डोमकच बोलते कहीं रतजगा तो कहीं,...

और साथ साथ दर्जनों रस्में, जब लग जाता था की लड़की वाले के यहाँ शादी की रस्म हो गयी होगी तो उसके बाद आंधी तूफ़ान की घरिया खोली जाती थी,...

कोई कुछ बनता था कोई कुछ,... पुलिस वाला, वैद्य,... और सुबह होने के पहले लड़का भी होता था कपडे का बना,... और एक से एक

मेरी कुछ कहानियों में हल्का सा जिक्र आया है इस का ,
जाने कहाँ गए वो दिन....
 

motaalund

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दो बातें

पहली बात तो फुलवा गाभिन है इसलिए उसका

दूसरे इस खेल में खाली बबुआन की लड़कियां भौजाइयां भाग लेती थीं और पहली बार चार बाकी टोले वाली भौजाइयां सरप्राइज पॅकेज में वो भी ये मान के की अपोजिशन होगा उसका तो निबटेंगे
हाँ .. गाभिन होने पर कबड्डी के खेल वाली जोरा जोरी नहीं हो सकती...
लेकिन जिक्र तो उठ हीं सकता है कि अगर वो होती तो....
 

motaalund

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कोमल जी,

ये दाल भरी पूड़ी को अपने यहां बेड़ई बोलते हैं ये वही है ना, आलू की रसीली सब्जी के साथ वाली।

Please confirm

सादर
थोड़ा अंतर है...
 

motaalund

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और उन लाइनों को लिखते समय, और अभी फिर से रंग प्रसंग में दुहराते हुए

एको रस: करुण

महाकवि भवभूति ने इसी लिए कहा था उत्तर रामचरित में.

नागार्जुन की एक प्रसिद्ध कविता है

कालिदास ! सच-सच बतलाना
इन्दुमती के मृत्युशोक से
अज रोया या तुम रोये थे?
कालिदास ! सच-सच बतलाना !
शिवजी की तीसरी आँख से
निकली हुई महाज्वाला में
घृत-मिश्रित सूखी समिधा-सम
कामदेव जब भस्म हो गया
रति का क्रंदन सुन आँसू से
तुमने ही तो दृग धोये थे
कालिदास ! सच-सच बतलाना
रति रोयी या तुम रोये थे?


तो जब मैंने दो पोस्टें इस कहानी में लिखी, ( इस पोस्ट के पहले वाली ),...

अब आगे क्या कहूं,...
आप को हर रस लिखने में पारंगत हासिल है....
 

Shetan

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