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भाग ६१,राउंड ३
10,14,380
( राउंड दो भौजाइयां ५ - ननद ३ प्वाइंट )
मोहिनी भाभी जिन्होंने गुलबिया के साथ हांका कर के उसे हम लोगों की ओर धकेला था, बस पीछे से कस के अपने दोनों हाथों बेला के जोबन पकड़ लिए और गाल पे चूमते बोलीं,
काहो बेला रानी कैसे कैसे दबवायी हो जोबन तो जबरदस्त है,... मोहिनी भाभी से एक बात मैंने होली में सीखी थी,... ननदों के कपडे उतारते नहीं है, बस फाड़ देते हैं,... और मोहिनी भाभी ने जबतक बेला सम्हले टॉप के चीथड़े चीथड़े कर के नंदों की ओर चैलेन्ज देती बोलीं
" अगली बार जिसको फड़वाना हो आ जाये,... "
बाहर बैठी मेरी एक जेठानी ने कच्ची कलियों से कहा,
" अरे तुम लोग भी जिसको जिसको फड़वाना हो अपना नाम लिखवाओ, अबकी हर साल की तरह नहीं होगा, ... सब नंदों की फटेगी आज,..."
तबतक गुलबिया, चमेलिया और चननिया ने पकड़ के बेलवा को लिटा दिया था, चननिया उसके मुंह पे चढ़ के चूत अपनी चटा रही थी, मोहिनी भाभी बेला के दोनों जोबन का रस ले रही थी एक हाथ से दायीं चूँची मसल रही थी, दूसरी को मुंह में ले चूस रही थीं और हथेली से चूत पे रगड़ रही थीं,...
बेला जमीन पर हाथ पटक कर अपनी हार मान रही थी पर कच्ची ननद पा के कौन भौजाई छोड़ती हाँ उसी समय ब्रेक की सीटी बच गयी तो बेला बाहर, हाँ कपडा एक सूत नहीं बचा था।
और सबसे बड़ी बात वो चौकड़ी टूट गयी थी। अब सिर्फ लीला अकेले थी गीता कभी आगे बढ़ के तो कभी उसके साथ और उसकी एक सहेली थी तो लेकिन आधी ताकत से खेल रही थी। और हमारी टीम में ८ लेकिन अब हमारी टीम में लोग थक रहे थे सिवाय छुटकी मेरे और गुलबिया चमेलिया के।
हम लोग अभी दो प्वाइंट से आगे थे लेकिन प्रैक्टिकली ३ प्वाइंट से , ननदों की टीम में ११ में से ५ खिलाड़ी अब गेम से बाहर थे,... फर्स्ट राउंड में ही छुटकी ने रेनू को बैक किक या म्यूल किक से उन्ही के पाल्हे में मारा था। उसके और बाद कजरी जब हमारी ओर आयी तो उसकी भौजी गुलबिया ने ही। रमजनिया ने नीलू को और गुलबिया ने नीता को उन्ही के इलाके में जाके मारा था और अभी छुटकी ने ऐंकल टैकल कर के बेला को,...
पर हमारे भी ३ खिलाड़ी बाहर हो गए थे,... रज्जो और दूबे भाभी ननदों के इलाके में जाके पकड़ी गयी थीं और मुझे नैना से बचाने के चक्कर में मंजू भाभी गेम से बाहर हो गयी थी.
पर उनकी टैकल करने वाली एक खिलाड़ी चंदा अब मोच से घायल थी और आधी से भी कम ताकत से खेल रही थी। इसलिए हम लोगों को क्लियर अडवांटेज था।
तीसरे राउंड की शुरुआत भी हम लोगों की अच्छी नहीं रही, मोहिनी भाभी, मेरी जेठानी धर दबोची गयीं, और दबोचने वाली और कौन वही लीलवा,...
मोहिनी भाभी एक छुटकी को मार के निकल रही थीं की लीलवा ने लंगड़ी मारी,
वो गिरीं और लीलवा ने दबोच लिया और साथ वाली जिसे अब हम लंगड़ी घोड़ी कह के चिढ़ा रहे थे, वो भी दौड़ तो नहीं पा रही थी, लेकिन एक टांग से उछल के उनके ऊपर बैठ गयी और साथ ही साथ एक झटके ब्लाउज तार तार कर के हम लोगों की ओर फेंक दिया, फिर तो भौजाई का जोबन लूटने वाली ननदों में होड़ मच गयी थी, साड़ी भी फट गयी थी और पांच हिस्से में फाड़ के नैना ने हम लोगों की ओर फेंक दिया
लेकिन सबसे बदमाश गितवा, उसने पेटीकोट न फाड़ा न उतारा, बस नाड़ा खींच के बाहर निकाल दिया और पकड़ के मोहिनी भाभी को इस तरह खड़ा की सब ननद भौजाई साफ़ साफ़ देख लें,
सरसरा के पेटीकोट नीचे सरक गया. दो छुटकियों ने पकड़ के टाँगे फैला दी और अब मोहिनी भौजी की खुली बुर सब के सामने, हलकी हलकी झांटे जैसे चार पांच दिन पहले साफ़ की हों,... और उसे दो ऊँगली अंदर डाल के नैना ने फैला दिया
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( राउंड दो भौजाइयां ५ - ननद ३ प्वाइंट )
मोहिनी भाभी जिन्होंने गुलबिया के साथ हांका कर के उसे हम लोगों की ओर धकेला था, बस पीछे से कस के अपने दोनों हाथों बेला के जोबन पकड़ लिए और गाल पे चूमते बोलीं,
काहो बेला रानी कैसे कैसे दबवायी हो जोबन तो जबरदस्त है,... मोहिनी भाभी से एक बात मैंने होली में सीखी थी,... ननदों के कपडे उतारते नहीं है, बस फाड़ देते हैं,... और मोहिनी भाभी ने जबतक बेला सम्हले टॉप के चीथड़े चीथड़े कर के नंदों की ओर चैलेन्ज देती बोलीं
" अगली बार जिसको फड़वाना हो आ जाये,... "
बाहर बैठी मेरी एक जेठानी ने कच्ची कलियों से कहा,
" अरे तुम लोग भी जिसको जिसको फड़वाना हो अपना नाम लिखवाओ, अबकी हर साल की तरह नहीं होगा, ... सब नंदों की फटेगी आज,..."
तबतक गुलबिया, चमेलिया और चननिया ने पकड़ के बेलवा को लिटा दिया था, चननिया उसके मुंह पे चढ़ के चूत अपनी चटा रही थी, मोहिनी भाभी बेला के दोनों जोबन का रस ले रही थी एक हाथ से दायीं चूँची मसल रही थी, दूसरी को मुंह में ले चूस रही थीं और हथेली से चूत पे रगड़ रही थीं,...
बेला जमीन पर हाथ पटक कर अपनी हार मान रही थी पर कच्ची ननद पा के कौन भौजाई छोड़ती हाँ उसी समय ब्रेक की सीटी बच गयी तो बेला बाहर, हाँ कपडा एक सूत नहीं बचा था।
और सबसे बड़ी बात वो चौकड़ी टूट गयी थी। अब सिर्फ लीला अकेले थी गीता कभी आगे बढ़ के तो कभी उसके साथ और उसकी एक सहेली थी तो लेकिन आधी ताकत से खेल रही थी। और हमारी टीम में ८ लेकिन अब हमारी टीम में लोग थक रहे थे सिवाय छुटकी मेरे और गुलबिया चमेलिया के।
हम लोग अभी दो प्वाइंट से आगे थे लेकिन प्रैक्टिकली ३ प्वाइंट से , ननदों की टीम में ११ में से ५ खिलाड़ी अब गेम से बाहर थे,... फर्स्ट राउंड में ही छुटकी ने रेनू को बैक किक या म्यूल किक से उन्ही के पाल्हे में मारा था। उसके और बाद कजरी जब हमारी ओर आयी तो उसकी भौजी गुलबिया ने ही। रमजनिया ने नीलू को और गुलबिया ने नीता को उन्ही के इलाके में जाके मारा था और अभी छुटकी ने ऐंकल टैकल कर के बेला को,...
पर हमारे भी ३ खिलाड़ी बाहर हो गए थे,... रज्जो और दूबे भाभी ननदों के इलाके में जाके पकड़ी गयी थीं और मुझे नैना से बचाने के चक्कर में मंजू भाभी गेम से बाहर हो गयी थी.
पर उनकी टैकल करने वाली एक खिलाड़ी चंदा अब मोच से घायल थी और आधी से भी कम ताकत से खेल रही थी। इसलिए हम लोगों को क्लियर अडवांटेज था।
तीसरे राउंड की शुरुआत भी हम लोगों की अच्छी नहीं रही, मोहिनी भाभी, मेरी जेठानी धर दबोची गयीं, और दबोचने वाली और कौन वही लीलवा,...
मोहिनी भाभी एक छुटकी को मार के निकल रही थीं की लीलवा ने लंगड़ी मारी,
वो गिरीं और लीलवा ने दबोच लिया और साथ वाली जिसे अब हम लंगड़ी घोड़ी कह के चिढ़ा रहे थे, वो भी दौड़ तो नहीं पा रही थी, लेकिन एक टांग से उछल के उनके ऊपर बैठ गयी और साथ ही साथ एक झटके ब्लाउज तार तार कर के हम लोगों की ओर फेंक दिया, फिर तो भौजाई का जोबन लूटने वाली ननदों में होड़ मच गयी थी, साड़ी भी फट गयी थी और पांच हिस्से में फाड़ के नैना ने हम लोगों की ओर फेंक दिया
लेकिन सबसे बदमाश गितवा, उसने पेटीकोट न फाड़ा न उतारा, बस नाड़ा खींच के बाहर निकाल दिया और पकड़ के मोहिनी भाभी को इस तरह खड़ा की सब ननद भौजाई साफ़ साफ़ देख लें,
सरसरा के पेटीकोट नीचे सरक गया. दो छुटकियों ने पकड़ के टाँगे फैला दी और अब मोहिनी भौजी की खुली बुर सब के सामने, हलकी हलकी झांटे जैसे चार पांच दिन पहले साफ़ की हों,... और उसे दो ऊँगली अंदर डाल के नैना ने फैला दिया
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