- 22,118
- 57,295
- 259
भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
please read, enjoy and comment. your support is requested
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
please read, enjoy and comment. your support is requested
Last edited:
आप का यह कमेंट मेरी पूरी स्टोरी पर भारी है सब का निचोड़ निकाल दिया आपने, जो बात मैं नहीं कह पा रही थी थी वो आपने कह दिया, एक साथ गाँव, ननद और भौजाई के बारे मेंयथार्थ चित्रण किया है। ननदों का कॉन्फिडेंस हमेशा ही हाई रहता है। क्योंकि वे वही पली बढ़ी होती हैं। गली कूची का सारा पता होता है। आंवला, अमरखा, करौंदा, कइथा का पेड़ कहां है। कइथा कवने लौंडे से तुड़वाना है सब कुछ। लेकिन हिचकिचाहट दूर करना, कच्चे टिकोरों को पकने तक सेना, चूत का उद्घाटन, यार से कैसा व्यवहार रखना है, चुदाई मिंजाई का ज्ञान, ननदों को भौजाइयों से ही लेना पड़ता है। इसीलिए कोई अपने को किसी से कम नहीं समझता। यही द्वंद इनके खेलों में भी देखने को मिलता है। और कबड्डी हो तो क्या ही कहने। सारे पैराग्राफ मनमोहक हैं। बेहद रोमांचक दृश्यों का वर्णन किया है।
Asli technical kaam to Gitwa ne hi kiya,sab ko saf saf nazara dikha diaभाग ६१,राउंड ३
10,14,380
( राउंड दो भौजाइयां ५ - ननद ३ प्वाइंट )
मोहिनी भाभी जिन्होंने गुलबिया के साथ हांका कर के उसे हम लोगों की ओर धकेला था, बस पीछे से कस के अपने दोनों हाथों बेला के जोबन पकड़ लिए और गाल पे चूमते बोलीं,
काहो बेला रानी कैसे कैसे दबवायी हो जोबन तो जबरदस्त है,... मोहिनी भाभी से एक बात मैंने होली में सीखी थी,... ननदों के कपडे उतारते नहीं है, बस फाड़ देते हैं,... और मोहिनी भाभी ने जबतक बेला सम्हले टॉप के चीथड़े चीथड़े कर के नंदों की ओर चैलेन्ज देती बोलीं
" अगली बार जिसको फड़वाना हो आ जाये,... "
बाहर बैठी मेरी एक जेठानी ने कच्ची कलियों से कहा,
" अरे तुम लोग भी जिसको जिसको फड़वाना हो अपना नाम लिखवाओ, अबकी हर साल की तरह नहीं होगा, ... सब नंदों की फटेगी आज,..."
तबतक गुलबिया, चमेलिया और चननिया ने पकड़ के बेलवा को लिटा दिया था, चननिया उसके मुंह पे चढ़ के चूत अपनी चटा रही थी, मोहिनी भाभी बेला के दोनों जोबन का रस ले रही थी एक हाथ से दायीं चूँची मसल रही थी, दूसरी को मुंह में ले चूस रही थीं और हथेली से चूत पे रगड़ रही थीं,...
बेला जमीन पर हाथ पटक कर अपनी हार मान रही थी पर कच्ची ननद पा के कौन भौजाई छोड़ती हाँ उसी समय ब्रेक की सीटी बच गयी तो बेला बाहर, हाँ कपडा एक सूत नहीं बचा था।
और सबसे बड़ी बात वो चौकड़ी टूट गयी थी। अब सिर्फ लीला अकेले थी गीता कभी आगे बढ़ के तो कभी उसके साथ और उसकी एक सहेली थी तो लेकिन आधी ताकत से खेल रही थी। और हमारी टीम में ८ लेकिन अब हमारी टीम में लोग थक रहे थे सिवाय छुटकी मेरे और गुलबिया चमेलिया के।
हम लोग अभी दो प्वाइंट से आगे थे लेकिन प्रैक्टिकली ३ प्वाइंट से , ननदों की टीम में ११ में से ५ खिलाड़ी अब गेम से बाहर थे,... फर्स्ट राउंड में ही छुटकी ने रेनू को बैक किक या म्यूल किक से उन्ही के पाल्हे में मारा था। उसके और बाद कजरी जब हमारी ओर आयी तो उसकी भौजी गुलबिया ने ही। रमजनिया ने नीलू को और गुलबिया ने नीता को उन्ही के इलाके में जाके मारा था और अभी छुटकी ने ऐंकल टैकल कर के बेला को,...
पर हमारे भी ३ खिलाड़ी बाहर हो गए थे,... रज्जो और दूबे भाभी ननदों के इलाके में जाके पकड़ी गयी थीं और मुझे नैना से बचाने के चक्कर में मंजू भाभी गेम से बाहर हो गयी थी.
पर उनकी टैकल करने वाली एक खिलाड़ी चंदा अब मोच से घायल थी और आधी से भी कम ताकत से खेल रही थी। इसलिए हम लोगों को क्लियर अडवांटेज था।
तीसरे राउंड की शुरुआत भी हम लोगों की अच्छी नहीं रही, मोहिनी भाभी, मेरी जेठानी धर दबोची गयीं, और दबोचने वाली और कौन वही लीलवा,...
मोहिनी भाभी एक छुटकी को मार के निकल रही थीं की लीलवा ने लंगड़ी मारी,
वो गिरीं और लीलवा ने दबोच लिया और साथ वाली जिसे अब हम लंगड़ी घोड़ी कह के चिढ़ा रहे थे, वो भी दौड़ तो नहीं पा रही थी, लेकिन एक टांग से उछल के उनके ऊपर बैठ गयी और साथ ही साथ एक झटके ब्लाउज तार तार कर के हम लोगों की ओर फेंक दिया, फिर तो भौजाई का जोबन लूटने वाली ननदों में होड़ मच गयी थी, साड़ी भी फट गयी थी और पांच हिस्से में फाड़ के नैना ने हम लोगों की ओर फेंक दिया
लेकिन सबसे बदमाश गितवा, उसने पेटीकोट न फाड़ा न उतारा, बस नाड़ा खींच के बाहर निकाल दिया और पकड़ के मोहिनी भाभी को इस तरह खड़ा की सब ननद भौजाई साफ़ साफ़ देख लें,
सरसरा के पेटीकोट नीचे सरक गया. दो छुटकियों ने पकड़ के टाँगे फैला दी और अब मोहिनी भौजी की खुली बुर सब के सामने, हलकी हलकी झांटे जैसे चार पांच दिन पहले साफ़ की हों,... और उसे दो ऊँगली अंदर डाल के नैना ने फैला दिया
Mohini bhabhi ke to chhed khol diye muthi pichhe dal karमोहिनी भाभी पकड़ी गयीं,
ननदों का हल्ला
,... मोहिनी भाभी एक छुटकी को मार के निकल रही थीं की लीलवा ने लंगड़ी मारी, वो गिरीं और लीलवा ने दबोच लिया और साथ वाली जिसे अब हम लंगड़ी घोड़ी कह के चिढ़ा रहे थे, वो भी दौड़ तो नहीं पा रही थी, लेकिन एक टांग से उछल के उनके ऊपर बैठ गयी और साथ ही साथ एक झटके ब्लाउज तार तार कर के हम लोगों की ओर फेंक दिया,
फिर तो भौजाई का जोबन लूटने वाली ननदों में होड़ मच गयी थी, साड़ी भी फट गयी थी और पांच हिस्से में फाड़ के नैना ने हम लोगों की ओर फेंक दिया
लेकिन सबसे बदमाश गितवा, उसने पेटीकोट न फाड़ा न उतारा, बस नाड़ा खींच के बाहर निकाल दिया और पकड़ के मोहिनी भाभी को इस तरह खड़ा की सब ननद भौजाई साफ़ साफ़ देख लें, सरसरा के पेटीकोट नीचे सरक गया.
दो छुटकियों ने पकड़ के टाँगे फैला दी और अब मोहिनी भौजी की खुली बुर सब के सामने, हलकी हलकी झांटे जैसे चार पांच दिन पहले साफ़ की हों,...
और उसे दो ऊँगली अंदर डाल के नैना ने फैला दिया और सब भौजाइयों को
दिखाते ललकार के बोली,...
" अरे छिनारों चूतमरानो, बहुत तोहार बुर कुलबुलात बा न। बस आधा घंटा, हर साल की तरह एक बार भी भौजाई हारेंगी, बुर गाँड़ मरवाएँगी, अरे लजाने क कौन बात तोहार महतारी कुल दान दहेज़ दे के यहां हमरे गाँव में चुदवाने ही तो भेजी हैं, चुदवा के गाभिन हो, बियाने के लिए, गाँड़ मरवाने, लंड चूसने के लिए। तो हमरे भाई सब से तो बहुत चोदवाये होगी, अपने मरद देवर से लेकिन आज ननद क नंबर है, घबड़ा जिन तोहरे देवर से कम मजा ननद नहीं देंगी, मुट्ठी नहीं कोहनी तक पेलेंगे हम सब, ... और अगवाड़े पिछवाड़े एक साथ, ... मोहिनी भौजी क तो ट्रेलर है बाकी सबका नंबर आएगा। "
उसके बाद तो सब ननद आग मूतने लगीं,
जो खेल रही थीं वो भी जो बाहर बैठीं और और अब तक उदास बैठीं तो वो भी और सब एक एक भौजाई का नाम ले के
इसकी गाँड़ मैं मारूंगी , इसको मैं नंगी नचाउंगी और खाली आज नहीं साल भर क गुलामी,..
लेकिन नैना फिर बोली,
लेकिन एक बात भौजाई का तो काम ही मरवाना है,... लेकिन ई हमार नयकी भौजी, अरे कोमल भौजी ( वैसे तो ननदें भाभी का और भाभियाँ ननदों का नाम नहीं लेती थी गाली चाहे जीतनी गंदी दें, पर आज सब छूट थी और नैना मेरी ननद भी थी और सहेली भी ) क गाँड़ सबसे पहले हम मारब और उनकी छुटकी बहिनया क भी,"
अब बाकी ननदें बोलनी लगीं नहीं हम भी हम भी और नैना ने मुद्दा साफ़ किया
" अरे हम यह कहे हैं की कोमल भौजी क सबसे पहल गाँड़ हम मारेंगे खाली ये देखने के लिए की हमरे भैया और अपने सैंया से मरवा मरवा के अभी तक गाँड़ का भोंसड़ा और चूतर का चबूतरा कोमल भौजी ने किया है की नहीं। नहीं तो हम सब ननद मिल के,… दस दिन तक चूतड़ रख के बैठ नहीं पाएंगी,... हमरे बाद सब का नमबर आएगा, ... और उनकी छुटकी बहिनिया का तो मैंने सट्टा लिखवा लिया है की उसे पूरे गाँव की नहीं ब्लाक की. तहसील की रंडी बनाउंगी तो सब का नमबर लगेगा ,
लीलवा तानी पहले मोहिनी भौजी क बुरिया में पेल,... अरे ऊँगली से का होगा ई अपने मायके में तो गदहा से चुदवाती थीं , मुट्ठी पेल फिर थोड़ी देर में कोहनी तक "
सच में लीलवा ने मोहिनी भाभी की बिल में खड़े खड़े पूरी मुट्ठी पेल दिया,
बाहर बैठी मेरी ननद चिल्लाईं,
" अरे लीलवा कोहनी तक पेल, और अंदर,... कमल खिलाय दे, अंदर घुसेड़ के मुट्ठी खोल दे पेल हचक के मालूम हो जाय भौजाई लोगन क क्या होने वाला हैं थोड़ी देर में सबके साथ "
मोहिनी भौजी के चेहरे पर दर्द और मजे का मिला जुला रंग साफ़ दिख रहा था वो हलकी सी चीखीं की ननदों के हल्ले ने पूरे गाँव को सर पर उठा लिया।
फिर उनको जबरन निहुरा के सबसे छोटी उमर की ननदियों ने भी अपनी बुर चुसवाई
और दो चार मिनट के बाद मोहिनी भाभी ने हार मान ली।
बहुत रगड़ाई हुयी मोहिनी भाभी की.
मोहिनी भाभी के चूतड़ बड़े मस्त थे, खूब गोल मटोल कड़े कड़े और बड़े बड़े,... जब चूतड़ मटका के चलती थीं तो गाँव के सारे मर्दों का खूंटा खड़ा हो जाता था, और जितना मैं इतने दिनों में इस गाँव के मर्दो को जान गयी थी, कोई दिन नागा नहीं जाता होगा जिस दिन उनके पिछवाड़े मूसल नहीं चलता होगा, ...
और निहुरी हुयी मोहिनी भाभी के मस्त मस्त चूतड़ों को पूरी ताकत से फैला के नैना ननदिया सब ननदों को ललकार रही थी,...
" बस थोड़िके देर है अभी कुल भौजी लोगन क चूतड़ अइसन फैलाय के गपागप गपागप मुट्ठी पेलेंगे हम सब,... तुम सब अभी से चुन लो कौन कौन भौजाई की गाँड़ मारोगी, अरे ननद भौजाई के रिश्ते में उमर नहीं देखी जाती,... आज कउनो बचनी नाहीं चाहिए,.... बस थोड़ी देर में हर बार की तरह ननदों की टीम जीतेगी,... फिर आज कुल ननदें भौजाई लोगन के निहुरा के अइसन मारेंगी,... "
सारी ननदों ने इतनी जोर से मुठ्ठी हवा में लहरा के हल्ला किया की बाहर बैठी भाभियाँ दहल गयीं,...
एक से एक गालियां जिस जिस की रतजगे में रगड़ाई हुयी थी कभी वो सब ननदें उतनी ही जोर से हल्ला कर रही थी और कुछ नयी बियहता सिकुड़ गयीं तो कुछ पुरानी हम लोगों को गुस्से से देख रही थीं,....... क्या जरूरत थी पंगा लेने की ,
Komal heroine ko line par karne se kese rok sakta hai koiiनयकी भौजी,
मिश्राइन भौजी ने हमारी टीम का हौसला बुलंद कर रखा था वैसे भी हमारी टीम की पुरानी खिलाड़ियों में सिर्फ वही एक बची थीं, रज्जो, मोहिनी, मंजू और दूबे भाभी सब आउट हो गयी थीं, जिन चार लोगों को हम ने चुना था उसमें से भी रमजनिया आउट हो गयी थी, सिर्फ ६ हम बचे थे मैं, छुटकी, मिश्राइन भौजी और तीन चमेलिया, गुलबिया और,...
मैंने तय किया की अब मैं जाउंगी , ननदों की ओर हालाँकि मिश्राइन भाभी ने वार्न किया की अगर मैं फंस गयी तो फिर मेरी वो दुर्गत होगी और उससे भी बढ़के मेरी टीम वाली हार मान लेंगी, तो मैं कुछ भी हो बच के निकल आऊं और नैना को पकड़ने के चक्कर में न आऊं।
लेकिन मैंने वही सब किया जो मुझे मना किया गया था, मैंने साडी का आँचल फेंटे की तरह कमर में बांध लिया और उससे मेरी चोली भी कस के बंध गयी,
मैं जानती थी ननदें पहले वहीँ हाथ मारेंगी, और तीर की तरह अंदर घुसी जिधर नैना मुझे चैलेंज कर रही थी, और छुटकियो को उकसा रही थी बाहर बैठी हल्ला कर रही नंदों को चढ़ा रही थी
" देखो देखो बाइस्कोप देखो भौजी लोगन क मटकती गाँड़ देखो, चौड़ी चौड़ी बुर देखो, देखो देखो "
अरे मोहिनी भौजी की जो नन्दो ने मस्त मुट्ठी की एक साथ गाँड़ और बुर में,…. बेचारी नयकी भौजी, हमरे कोमल भौजी से नहीं रहा गया खुदे आय गयीं चोदवाये "
" अरे महतारी इनकी खुदे भेजी थीं इनको और जब यहाँ का मोटा मोटा लंबा लम्बा पसंद आ गया तो उनकी छोटी बहिनियों को भेज दी, कुछ दिन में ऊ खुदे और माझिलीकी भी, लेकिन जब आ गयी हैं तो इनकी रगड़ाई तो मोहिनी भौजी से डब्बल होगी "
पीछे से लीलवा ने आवाज लगाई।
मैं जान रही थी ये सब मेरा ध्यान भटकाने के लिए है जैसे क्रिकेट में स्लेजिंग करते हैं बस उसी तरह, पीछे से लीलवा आगे से छुटकी सब,...
लेकिन नैना की स्ट्रेटजी,..... मान गयी मैं नैना ननदिया को , जैसे मैं उसकी ओर बढ़ी बस बित्ते भर की दूरी ढेर सारी छुटकियो ने नैना को छाप लिया, उसे छूने के पहले मुझे इन छुटकियों से निबटना पड़ता और वो सब फ्राक और लेगिंग वाली, बड़ी ही फुर्तीली . और उस झुण्ड में कन्नी काट के वो बायीं ओर मुड़ी.
लीलवा जो बोल रही थी मैं समझ रही थी उसकी लोकेशन , गितवा के साथ वो एकदम लाइन के पास दाएं ओर से मुझे घेरने की कोशिश करेगी क्योंकि मैं नैना का पीछा बायीं तरफ जा के करुँगी,
पिंसर मूवमेंट बाएं ओर से नैना, दाएं से गीता और लीलवा
और एकदम बीच में वो दीवाल की तरह लंगड़ी घोड़ी, चंदा खड़ी थी , पैर में मोच से वो भाग तो नहीं सकती थी लेकिन दबोच सकती थी और उमर में सबसे बड़ी, वजन में भी तो बस पल भर के लिए मुझे रोक लेती, खुद ऊपर गिर जाती और उतना टाइम काफी था गितवा और लीलवा को मुझे पकड़ने के लिए।
मैं उन तीनो की ओर देख भी नहीं रही थी, लेकिन उन सबो को नहीं मालूम था की मेरे पीछे भी चार आँखे हैं,
मैं दिखाने के लिए नैना की ओर मुड़ी बायें लेकिन फिर पूरा चक्कर काट के सीधे उस लंगड़ी घोड़ी, चंदा को बजाय छू के भागने के सीधे लड़ गयी और एक हाथ से उसका टॉप पकड़ के खींचा जबतक वो सम्हलती मैंने दाएं पैर से हलके से उसकी उसी पैर में जहाँ मोच थी,
वो भहरा के गिरी और उस काब्लाउज फट के मेरे हाथ में... दोनों जोबन बाहर
अब भौजाइयों ने खूब हल्ला किया,.....सारी ननदों की फटेगी खूब फटेगी, साल भर फटेगी हमारे मायके वाले ससुराल वाले सब फाड़ेंगे,
लेकिन थी वो तगड़ी, गिरते हुए भी उसने जमीन पर से अपनी सही टांग मेरी टांग में फंसाने की कोशिश की अगर मैं इस दांव के लिए तैयार न होती, तो गयी थी. तब भी आधी तो झुक ही गयी , और झुके झुके धक्का देकर उसका फटा टॉप हाथ में लपेटे मैं अपनी लाइन की ओर लपकी,
बस आधे मिनट का अंतर् होगा वरना गितवा और लीलवा मुझे छाप लेती पर इतना टाइम बहुत था मैंने कस के डाइव मारी और मेरा आधा शरीर लाइन के पार
लेकिन चंदा ने अभी भी कस के दोनों हाथों से मेरे पैर को पकड़ रखा था ,पर लाइन पार करने के बाद मेरी सहेलियां मेरी मदद को आ सकती थीं और मैंने इशारा किया तो गुलबिया और चमेलिया दोनों , ... बड़ी ताकत थी दोनों के हाथ में, मेरे साथ साथ घसीटती हुयी वो चंदा भी, लाइन इस पार
Very erotic super duper gazab kabbadi game between bhabies & nanads.तीसरा राउंड ख़तम
अरे लीला, कुछ आज लीला, कुछ काल्ह लीला, लीला लीला,....
छुटकी अपनी हथेली से लीला की बिल रगड़ रही थी और थोड़ी देर में लीलवा पनियाने लगी,...
एकदम एक्सपर्ट भौजाइ की तरह छुटकी ननद को गीली कर रही थी, फिर दो उंगलिया मुंह में और सीधे एक झटके में लीला की बिल के अंदर,...
बाहर से एक भौजाई चिल्लाई,...
अरे छुटकी ये स्साली कातिक में कउनो कुत्ता नहीं छोड़ती, एक दो ऊँगली से का होगा ससुरी का,...
और छुटकी की तीसरी ऊँगली भी अंदर, फिर जिस तेजी से अंदर बाहर कर रही थी, गोल गोल घुमा रही थी किसी चार बच्चो की माँ की भी हालत खराब हो जाती, साथ ही छुटकी ने अपना अंगूठा लीला की क्लिट पे लगा के रगड़ना शुरू कर दिया,...
लीला काँप रही थी
पर घडी चल रही थी साढ़े तीन मिनट हो गए थे,...
और अब चमेलिया भी मैदान में आ गयी बस उसने अपना मुंह लगाया और कस के क्लिट चूसने लगी ,
और गुलबिया जो दोनों जुबना दबोचे थी उसके निपल पकड़ के रंगड़ने मसलने लगी,...
और अचानक जिस तरह से लीला उछली मैं समझ गयी, छुटकी को उसका जी प्वाइंट मिल गया बुर के अंदर, और छुटकी भी समझ गयी बस वहीँ अंदर ऊँगली से उसने रगड़ना शुरू कर दिया,.... अब जबकि दुबारा लीलवा उछली तो मैंने छुटकी को ननद के चूतड़ की ओर इशारा किया और अब छुटकी की दो ऊँगली गाँड़ के अंदर,... पूरे दो पोर,...
बस लीला ने झड़ना शुरू कर दिया,... मैं कस के उस के दोनों पैर जकड़े हुए था, अब चननिया ने लीलवा के हाथ छोड़ दिए मैं भी हट गयी , जिससे सब ननदें भौजाइयां लीलवा की हालत और छुटकी की ताकत देख लें,...
पांच मिनट होते होते लीलवा चार बार झड़ चुकी थी, वो लीलवा जिसको झड़ाने में इस गाँव के बड़े बड़े चुदक्क्ड़ मर्दों का पसीना छूट जाता था, छुटकी ने उसे झाड़ झाड़ कर थेथर कर दिया था।
जब हम सब ने छोड़ दिया तो भी उसे उठने में दिक्कत हो रही थी मैंने और चमेलिया ने उसे पकड़ के उठाया,... अब वो छुटकी को मुस्करा के देख रही थी,... बस मुस्कराती छुटकी ने लीलवा की बुर से निकली तीन उँगलियाँ उसकी मुंह में,...
अरे चाट ला चासनी, जिसको चाटने के लिए यह गाँव क कुल लौंडे बेचैन रहते हैं,...
लीलवा भी कम नहीं थी जैसे कोई मोटा लौंड़ा चूसे उस तरह छुटकी की उँगलियाँ चूस रही थी, और जैसे ही वो उठी छुटकी ने लीलवा की गाँड़ से निकली ऊँगली उसके मुंह में ठेल दी
इहो तो तोहरे देह क हो ,...
तीसरा राउंड ख़तम हो चुका था,...बस एक राउंड और ,... ननदों की टीम में अब चार बची थीं ,, नैना, गीता, कम्मो और पायल,... जो चार लड़कियां उनकी असली डिफेंडर थीं अब गायब हो गयी थीं.
भाभियों की टीम में अभी भी छः बची थी मैं मिसराइन भौजी, छुटकी, चमेलिया, गुलबिया और चननिया।
Sss besabri se is pal ka intjar tha. Mera nashib network aaj 4g mila. Aur yahi story pahele kholi. In salwar kamiz vali chhinaro ko aaj pata chalega. Saree vali khagad bhojaiyo ki takat. Khel ki sharuat bahot mast kari he. Chuav ke hisab se chunotiya to sahi he.भाग ५९ कबड्डी ननद और भौजाई की
हमारी टीम
९,८३,३७१
अबकी हमारी टीम एकदम अलग थी, छ वो थीं जो मेरी टीम की कोर स्ट्रेंथ थी। मैं और छुटकी। छुटकी तो जिले की कब्बडी टीम में तीन साल से थी और कुछ समय पहले स्टेट की अंडर 15 वाली टीम में बस होते होते रह गयी थी. लेकिन असली चार थीं, गुलबिया कजरी की भौजी नउनिया बहू जो पिछले साल गौने आयी थी, उमर में मेरी समौरिया,
चमेलिया, कल्लू की मेहरारू, गाँव में अकेली मेरी देवरानी, मेरे बाद जिसका गौना हुआ था, देह की बड़ी कड़ी,..
रमजनिया उमर में मुझसे थोड़ी बड़ी होगी पर हर चीज में होशियार और उसी के सहारे मैंने चंदू का किला जीता था और इन चारो में उमर में सबसे बड़ी लेकिन बहुत तगड़ी जिससे ८ -१० गाँव की ननदें नाम सुनने पे भागती थीं, अहिराने की चननिया, जो मंजू भाभी ने सजेस्ट किया था.
हम छह के अलावा टीम की कप्तान थीं मंजू भाभी, ३४-३५ की उमर की जिनके छोटे देवर चुन्नू को मैंने आज ही छोटे से बड़ा किया था, और दो और सीनियर लोग साल दो साल बड़ी, दूबे भाभी और मिश्राइन भाभी , जो जोश में और मस्ती में हम लोगों की ही टक्कर की थीं। कप्तान तो मंजू भाभी थी लेकिन हिम्मत बढानेवाली, अनुभवी और कोच कहें, मेंटर कहें मिश्राइन भौजी ही थीं तो ये हो गयी नौ।
बची दो तो वो मेरी दो जेठानियाँ,
असल में कई साल से बबुआने में नयी बहुएं तो टिकती ही नहीं थी सब मर्द के साथ नौकरी पे और साल दो साल पे कभी आएँगी लेकिन होली में तो शायद ही कोई,...
और गलती उनसे ज्यादा हमारी पट्टी के मर्दों की थीं, गलती भी क्या मन ,...हमारे गाँव के मर्द जो शहर में रहते थे, तो होली में अपनी साली सलहज के साथ ससुराल की ओर मुंह करते और बहुएं अपने मायके का, नहीं तो शहर की कालोनी की होली।
लेकिन ये दो एकदम अलग मिट्टी की बनी थीं, रज्जो और मोहिनी।
और जो दो चार थीं, जिनके मरद शहर में रहते थे वो कभी गाँव कभी शहर सबका साल भर के अंदर पेट फूल गया तो दो चार बच्चा दे देने के बाद न होली खेलने का जोश बचता न ताकत।
रज्जो भौजी के मर्द पंजाब में थे , वो भी आती जाती थीं लेकिन गौने की रात ही उन्होंने कसम दिला दी थी अगले पांच साल तक खाली कबड्डी होगी पेट नहीं फूलेगा। उनकी माँ भी बड़ी समझदार गोली खिला के और छह महीने की खुराक दे के भेजा था,... फिर उन्होंने तांबे का ताला लगवा लिया, साल में दो चार महीने मरद के पास बाकी टाइम गाँव में सास ससुर के पास, और गाँव में भी जवान होते देवरों की कोई कमी तो थी नहीं।
वही हाल मोहिनी का था, दोनों से मेरी खूब पटती थी। लेकिन होली की कबड्डी टीम में पहले उन्हें जगह नहीं मिली थी।
असल में पहले मेरी सबसे बड़ी उम्र की जेठानियाँ ही, औसत उम्र भौजाई की टीम की ३५-३६ के बीच की होती थी, आधी तो ४०-४५ पार वाली शायद ही किसी के चार पांच बच्चे न हों तो बस, और अब मेरी टीम की औसत उमर २४-२५ के बीच की होगी, हम ६ तो ( छुटकी की उमर क्या बताना )
मतलब मैं मेरी दो जेठानियाँ रज्जो और मोहिनी, कजरी की भौजी गुलबिया, कल्लू की मेहरारू, गाँव में मेरी अकेली देवरानी चमेलिया और रमजनीया तो १८ से २३ के बीच वाले, दूसरी बात आज मोटिवेशन भी जबरदस्त था जीतने के बाद रगड़ाई का जोश और कमिटमेंट भी, ... और सबसे बढ़ के हम सब में विश्वास था,.. हम होंगे कामयाब,... और नैना ननदिया की टीम में ओवरकॉन्फिडेंस इत्ते साल से जीतते आ रहे हैं,
लेकिन ननदों को नहीं मालूम था जमाना बदल गया है उनके गाँव में कोमल भौजी आ गयी है और साथ में उनकी सबसे छुटकी बहिनिया छुटकी भी है,....
और जैसा मुझे उम्मीद थी नैना ने पहले यही जिद की की छुटकी भी हमारी टीम में शामिल होगी और मैंने साफ़ मना कर दिया,... वो कोई गाँव की भौजाई थोड़े ही है अरे गाँव के लड़कों की बात है सब उसके जीजा लगेगें,... ये बात मानती हूँ लेकिन लड़कियां उसकी ननद कैसे लगेगीं,
सास सब न्यूट्रल थीं उन्होंने साफ़ कर दिया की मैं और नैना जैसे तय करें
दस मिनट तक हुज्जत हुयी आखिर मैंने कहा की ठीक है छुटकी खेलेगी लेकिन वो हमारी बारहवीं खिलाड़ी रहेगी और उनकी ओर से ११ खिलाड़ी रहेंगे, नैना तो शायद मान जाती वो इतना श्योर थी और किसी तरह आज खुले आम छुटकी की रगड़ाई करना चाहती थी पर उसके टीम की बाकी लड़कियां उसके पीछे पड़ गयीं अंत में नैना ने कहा
“आप बस मेरी एक यही बात मान लीजिये उसके बदले में आप की जो शर्त हो “
मैंने बस दो तीन बाते बताई , पहली मैच सिर्फ घंटे भर का होगा, ( पहले टाइम अनलिमिटेड होता था तो ननदें पहले तो भौजाइयों को थका देती थीं और उसके बाद आराम से रगड़ रगड़ के हराती थीं ) लेकिन नैना ने कहा डेढ़ घंटे से कम में क्या, दोनों ओर जोड़ के २२ खिलाड़ी हैं और ये सास लोगों ने बीच का रास्ता निकाला - बीस बीस मिनट के चार राउंड, पहले और तीसरे राउंड के बाद तीन तीन मिनट का और दूसरे राउंड के बाद हाफटाइम चार मिनट का। और नैना मान गयी , लेकिन सिर्फ ये शर्त लगा दी की मैच ड्रा नहींहोगा , उस समय जितने खिलाड़ी बचे होंगे उसके आधार पर फैसला हो जाएगा और ये बात मैंने मान ली।
दूसरी बात झाड़ने वाली, जो खिलाड़ीन झड़ गयी या बोल दी की वो झड़ गयी है बस वो खेल से बाहर उसे दुबारा जिन्दा नहीं कर सकते,...
और मेरे आगे कुछ बोलने के पहले नैना बोली,... सब शर्तें आप अम्पायर लोग को बता दें सब मैंने मान लिया लेकिन आज आपकी बहना की अच्छी तरह फटेगी सबके सामने,
टीम का नाम अम्पायर लोगों को बताना था और तीन लोगों में मेरी सास, एक मेरी चचिया सास, और एक और उन्ही की साथ थी,... लेकिन उन सब ने सुबह सुबह छुटकी का भोग लगाया था और मेरी सास तो मैं रात को दिन कहूं तो वो हाँ में हाँ मिलाने वाली थीं।
जो मैं सोच रही थी की गुलबिया, चमेलिया, रमजानिया और चननिया के भौजाइयों के टीम में शामिल होने ननदें बड़ी जोर से उछलेंगी पर वैसा ज्यादा कुछ नहीं हुआ जो दो चार लड़कियां उछली तो मेरे कुछ बोलने के पहले गितवा ने उन्हें आड़े हाथ लिया, होली में इ सब का,... और गितवा के भाई का तो हर पट्टी में , और गितवा की भी फुलवा की छोटकी बहिनिया से जबरदस्त दोस्ती थी और उसी के साथ और भी,... नैना को कुछ फरक नहीं पड़ता था। और असली बात ये थी की नउनिया की छुटकी बिटिया, गुलबिया की ननद कजरी तो नैना की खास थी और उसकी टीम में थी , तो अगर उसे कजरी को अपनी टीम में खिलाना था तो गुलबिया, कजरी की भौजी को कैसे मना करती, और एक बार गुलबिया आ गयी तो बाकी सब भी,...
लेकिन थोड़ी बहुत भुनभुनाई भौजाइयां ही, ज्यादातर जो इस बार टीम में नहीं थी... बबुआने में ये सब,... आज तक तो ऐसा,... लेकिन मिश्राइन भौजी ने एक बार आँखे तरेरी सब चुप और मंजू भौजी ने समझाया अरे आज एक बार बस जीत जाएँ हम लोग सबसे पहले तुंही लोग कच्ची कली क भोग लगाओगी।