कोमल मैं आपकी हर एक कहानी में पड़ा हूं लेकिन पूरा नहीं पड़ा हूं इसलिए कि उसमें हीरो को रोल देखकर गढ़वा जैसा लगता है जैसे अभी जोरू का गुलाम पकड़ लो आपकी कहानी उसका पढ़ने के बाद फीलिंग क्या आती है पता है कोमल मैं आपको कोई मांस खाकर हड्डी फेंक दीजिए कोई कुत्ता खाए कुत्ते वाली फीलिंग आती है किस लिए कुत्ते वाली फीलिंग आती है वह भी बता दे रहा हूं मतलब किसी को भोगने के बाद तब जाकर झूठा हीरो को मिलता है खाने के लिए यह हुआ कुत्ते वाली फीलिंग दूसरा उसे कहानी में गढ़वा बोल-बोल के सचमुच में एकदम गढ़वा ही बना दी हो इसलिए गढ़वा लगता है कि जो हीरो दूसरे को गांड मारना चाहिए उसकी गांड दूसरे से खुद मरवा दे रही हो आप इसलिए गढ़वा लगता है तीसरा मां बहन भौजाई बीवी का जैसे दलाल लगता है दलाल कैसे लगता है मैं बताता हूं भोजी कोठी पर बहन जिले की रंडी बीवी दूसरे से छुड़वाने में बेस्ट इसलिए दलाल लगता है हीरो वाली फीलिंग किधर आती है इससे अच्छा होता कि वह जो बेचारा कंपनी में कम कर रहा है कंपनी छुड़वा दो यार जब घर में चार रंडियां कमाने वाली हो हीरो को कमाने की जरूरत क्या है जो फ्री में कर रही हैं वही पैसा लेकर करें हीरो को भी आराम मिले पूरा दलाल लगता है हीरो किधर लगता है यह उसे कहानी पढ़ने के बाद यही फीलिंग आती है सिर्फ इस पर आपका क्या कहना है कमेंट करके जरूर बताना बहुत-बहुत धन्यवाद यह जो दो पोस्ट की हो जोरू को गुलाम में बहुत शानदार था हीरो के बारे में ऐसा कुछ लिखो कोमल मैं की जो शुरू से लेकर अंत तक हीरो को दबदबा बना रहे हीरो जैसे फीलिंग आना चाहिए बस आपसे यही कहना था लाइक कमेंट कर दिया हूं बहुत-बहुत धन्यवाद