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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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अब आप जोरू का गुलाम छोड़ दें,कोमल जी जो जोरू का गुलाम कहानी है लोग पढ़ते थे कुछ तो कहानी समझने में कंफ्यूज हो गए और कुछ हीरो पद के हिसाब से जो हीरो का कैरेक्टर निभाया जा रहा है बहुत लोगों को बुरा लगा था इसलिए बोला था कोमल मैं हीरो का 10 इंच 4 इंच मोटा एक टाइमिंग उनका बढ़ा दो कोई भी पुरुष हो उसको शामिल करती हैं तो 6 इंच 7 इंच 7:15 इंच ढाई इंच मोटा रखना था इसलिए बोल रहा था कि आपका मन भी रह जाए और दर्शकों भी मन रह जाए आगे कहानी खींचने में कोई दिक्कत ना आए रही बात कुछ अलग करने की आपके दिमाग के ऊपर है कोमल जी हीरो का सेक्स लाइफ सबसे अलग रहना चाहिए जैसे हीरो की मां मौसी मामी बुआ और हीरो की सास हो यह पोंचो का थोड़ा अलग ही रिश्ता है इन पोंचो में lesbian सेक्स करवाया जाए तो कितना अच्छा रहेगा सेक्स करने के टाइम पर सिर्फ हीरो का नाम से गाली दी जाए हीरो का नाम से छेड़खानिया की जाए बात-बात पर कोई भी त्यौहार हो जैसे समारोह हो हीरो का नाम पर छेड़खानी हो लाड थोड़ा प्यार थोड़ा प्रेम थोड़ा जब यह सब कहानी में इस्तेमाल किया जाता है तो कहानी अपने आप खींची हुई चली जाती है हीरो का सेक्स domination BDSM ki tarah ho जैसा कैरेक्टर हो उसे हिसाब से फोटो डालो ऐसी कहानी भी अलग हो जाएगी मां बेटी का सपना भी पूरा हो जाएगा जैसे बनाना चाहती थी दर्शकों का भी मन रह जाएगा कुछ अपना दिमाग लगा लेना कोमल में आपको कैसे रखना है क्या करना है सलाह कुछ ठीक लगे तो अमल करना कमेंट करके जरूर बताना आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
Apke gyan ke koi seema nhi hai komal Ji. Anant sagar ho aap gyan kaपुष्पधन्वा
छुटकी की आखिरी पोस्ट, होलिका माई में कामदेव और रति से जुड़े, कुछ फर्टिलटी रिचुअल से संबंधित और कुछ तंत्र प्रतीक हैं। मुझे पूरा विश्वास है की मेरे सुधी पाठक अच्छी तरह समझ गए होंगे,
लेकिन फिर भी मैं थोड़ी बहुत बात इस पोस्ट के बारे में फिर से दुहराना चाहूंगी।
कहानी में भी यह बात मैंने कहि थी की होलिका के दहन के बारे में कहीं कहीं उसे कामदेव के दहन से भी जोड़ कर देखा जाता है। होली को बसंतोत्स्व या मदनोतस्व से भी एक जमाने में जोड़ा जाता था और इस प्रसंग में वही विम्ब हैं,
कहानी की यह लाइन देखें
और फिर एक अजीब सी फूलों की मिली जुली महक,.. किंशुक, आम के बौर और चमेली के साथ जैसे पोखर के ताजे कोपल खोल रहे, सरोज और कुमुदनियाँ हों,... वो महक तेज हो रही थी,
कामदेव को हम पुष्प धन्वा भी कहते हैं उनके पांच शर पुष्पों से ही बने है और उसी के चार बाणों का यहाँ जिक्र हैं. पांच बाण है, आम्रमंजरी, चमेली, दो प्रकार के कमल और अशोक के फूल, ... और वह सुगंध उनमें से चार बाणो की याद दिलाती है, तो वह सुगंध पुष्पधन्वा के तीरों का असर है और उस के साथ किंशुक या पलाश ( टेसू ) की गंध भी जुडी है जिसके बिना हम होली को कौन कहे फागुन की कल्पना नहीं कर सकते।
और कामदेव और होली से जुड़े इन पुष्पों की गंध बार बार इस कहानी में आती है।
वह चांदनी, वह संगीत, वह फूलों की गमक, ... बढ़ती ही जा रही थी,...
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मेरी आंखे झुकीं, वो सिद्धासन में बैठीं, उनकी नाभि तक देख रही थी, फिर थोड़ा सा सर उठाया तो उन्नत उरोज भभूत ऐसे होली की राख में लपटे जैसे दग्ध मन्मथ का देहांश हो, ...
एक बार वही फूलों की महक, किंशुक, आम्र मंजरी, चमेली,... भीनी भीनी,... मेरी देह मेरे काबू में नहीं थी, और भीतर से कोई बोल रहा था कोमल अब इसे काबू में करने की जरूरत भी नहीं,... जैसे माँ की गोद में बचपन में, अभी भी सहज हो जाती हूँ, बिलकुल वैसे ही,...
उन्होंने दुलार से मेरे सर पर हाथ फेरा,... फिर ठुड्डी पकड़ कर मेरा चेहरा हलके से ऊपर किया,... मेरी आँखे अभी भी नीचे लेकिन तब भी मैं उनकी ग्रीवा तक देख रही थी, एक दिव्य रूप,... वह स्पर्श, जैसे मस्तिष्क, मन से लेकर पूरे तन में एक फुरहरी सी फ़ैल गयी, रोम सारे खड़े,... मेरी सारी इन्द्रियाँ चैतन्य, जैसे बारिश हो रही हो और मैंने एक छोटी बच्ची की तरह अंजुरी रोपे अमृत बूंदो को इकठ्ठा करने की कोशिश कर रही हूँ,...
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कुछ देर में एक बार फिर से वही मदन समीर किंशुक आम्र मंजरी की महक वाली महुआ के रस से भी तेज और अबकी सिर्फ हम पांचो को नहीं सारी औरतों, लड़कियों को,... चांदनी भी निकल आयी थी, हमें नहला रही थी,... थोड़ी देर में हम सब सामान्य हो गए,... सब से पहले सास लोग निकल गयीं कल की होली भौजाई देवर और नंदों की होती उसमें घर का कोई भी बड़ा, सास नहीं होती थीं,...
कामदेव के तीर तो फूल से जुड़े हैं और उनका धनुष गन्ने का है और होलिका के आशीर्वाद में गन्ने का भी जिक्र आया
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पुष्पधन्वा के इन पुष्पशर के साथ साथ होलिका रति का रूप इस प्रसंग में थीं। और वह भभूत दग्ध कामदेव के देहांश का रूप. रति के विलाप के बाद आशीष मिला था यह राख होने के बाद तो पुनर्जीवित नहीं हो सकते, लेकिन सूक्ष्म रूप में मन में रहेंगे इसलिए मन्मथ कहलाये।
रति के साथ तो सारी काम क्रिया ही जुडी है, काम क्रिया को रति क्रिया भी कहते हैं. और सीधे रति रूपा का आशीष।
जैसे आग की भट्ठी,... कितनी ऊर्जा, लेकिन गर्मी ऐसी जो शीतलता दे,... बर्फ को छूने पर जैसे कई बार हाथ जलता लेकिन धीरे धीरे मेरा हाथ भी उसी तरह,... और उनकी उँगलियों ने मेरी उँगलियों को अपने भगोष्ठों पर,.... अमृत कुंड में कोई स्नान कर ले, रति रस का वो स्पर्श,... निर्झर स्रोत,... और मेरी उँगलियों से होते हुए मेरे तन मन में ,
इस तरह के अनेक प्रतीक इस भाग में हैं
उसी के साथ फर्टिलिटी सिंबल जो लोक कलाओं में खास तौर से विवाह से जुडी जहाँ सिर्फ औरतें रहती हैं, जैसे कोहबर,... वहां सिर्फ पुरुषों में दूल्हा ही जाता है, कोहबर के चित्र में बांस, बँसवाड़ी पुरुष प्रतीक हैं ( जो आप सोच रहे हैं वो कारण तो है ही ) क्योंकि माना जाता है की बांस की आयु बहुत होती है उसी तरह महिला प्रतीक चिन्ह के तौर पर कुमुदनी बनती है और कहानी के इस पार्ट में दोनों आते हैं
उन पेड़ों के पीछ सैकड़ों साल पुरानी बँसवाड़ी, ... जिसके बांस सिर्फ शादी में मंडप के लिए, किसी जाति की बाइस पुरवा में लड़की की शादी हो या लड़के की बांस यहीं से, लेकिन बांस काटने के पहले भी खूब पूजा विधान,... और शादी के अलावा कोई उस बँसवाड़ी की ओर मुंह भी नहीं करता था,... उसी बँसवाड़ी के घने झुरमुट में,....
हां मालूम था उसके अंत में एक पोखर है लेकिन गाँव की बड़ी बूढ़ियों ने, गुलबिया की सास ने, सबने बरजा था, बल्कि कभी सपने में उसकी बात भी नहीं करनी थी,...
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जैसे पोखर के ताजे कोपल खोल रहे, सरोज और कुमुदनियाँ हों
तंत्र प्रतीकों का उल्लेख अगले भाग में
Apke gyan ke koi seema nhi hai komal Ji. Anant sagar ho aap gyan ka
कोमल जी आप ठीक कह रही हैं लेकिन उसमें फ्लैशबैक में दिखाया गया है एक कहानी है उसमें कर सकती हैं आप रंग प्रसंग में इसमें आप बन सकती हैं जीकेजी मैं एक दो कमी थी अगर आप यही सुधरी होती तो पूरा कहानी हम पढ़ पाते जैसे उसमें सजन का लिंग छोटा रखना आपका पचवारा दूसरे से मवाना जो पांचो महिलाओं में लेस्बियन करवाने के लिए कहा था अभी भी हो सकता है कहानी लास्ट तक कहानी तो बहुत बढ़िया लिखी हो एक दो कमी से जो पूरा कहानी पूरा छोड़ना पड़ा आधा पढ़ो आधा छोड़ कर पढ़ो मजा नहीं आता आपका बहुत-बहुत धन्यवादमोहे रंग दें
पढ़ें उस में हीरो आप को उसी तरह का मिलेगा, उस के जैसा उस कहानी में कोई और पुरुष नहीं है, वह अकेला। आप का इन्तजार करुँगी उस कहानी पर लिंक भी दे रही हूँ
कोमल जी आप ठीक कह रही हैं लेकिन जीकेजी में एक तो गलती सुधार कारी होती कोमल मैं हम आनंद लेकर इस कहानी को ना पढ़ते गुड्डी की भाभी जो एक कोठी पर गई है की भाभी जो गुड्डी के गुनहगार थी तो गुड्डी ही सजा देती domination BDSM गुड्डी जब अपने भाभी को कुटिया बनती गले में पत्ता और चैन वाला आता है वह लगती और पीछे जब पूछ लगती है एक महीना कुटिया बनाकर अपना गुल्मी करवाती तब जाकर उसकी सजा पूरा होता है उसकी भाभी जैसे सोची थी उसके साथ जब उसकी ननद उसके साथ करती तो बहुत आनंद आता क्या आगे कुछ ऐसा होगा मैं कहानी तो चटपटा लिखती हूं मैं बहुत हॉट कहानी बस एक दो गलती की वजह से पूरा दिमाग ऑफ हो जाता है कोमल मैं एक दो गलती है इसी सुधार दोगी तो अच्छा रहेगा दूसरों पुरुषों के लिंग से दो-तीन इंच बड़ा रहना चाहिए और मोटा टाइमिंग तो अच्छा रखा है आपने सुधारना है तो यही सुधार तो बाकी है कहानी वैसे ही चलने दो आपका बहुत-बहुत धन्यवादमेरे ख्याल से हम इस कहानी में इसी कहानी के बारे में ख़ास तौर से पिछले पोस्ट के बारे में बातें करें, तो बाकी पाठकों को भी फायदा होगा और मुझे भी की जरूरी सुधार मैं कर पाऊँगी।
जहां तक जोरू का गुलाम का सवाल है वो कहानी अपने आखिरी भाग में है, अच्छी बुरी जैसी भी है, १००० पेज पूरी करने वाली है, २०० से ज्यादा पोस्ट्स हो चुके हैं और करीब बीस लाख व्यूज भी।
तो छुटकी की इस कहानी का पिछला पार्ट कैसा लगा यह बताएं तो ज्यादा अच्छा रहेगा
कोमल मैं एक दो कहानियां और आई हैं जो मैच करते हैं जैसे आप अपनी ननद को अपने जिले में आप रंडी बनाना चाहती थी यह कहानी पढ़ोगे आपको मिल जाएगा रेखा ने बनाया अपने ननद को हॉट गर्ल्स कोमल मैं जो कहानी है जो अपनी ननद के ऊपर लिख रही हो सेम यह कहानी भी वैसे ही लिखी गई है दूसरा रेखा ने बनाया पति को कूकाहोल्ड जैसे अपने पति को लेकर लिख रही हो दूसरे के साथ संबंध बनाए पति भी साथ दे यह कहानी पढ़ोगे वही फील होगा आपको यह सब कहानी पढ़ने के बाद कोमल में एकदम गढ़वा जैसा फील होता है यह सब कहानी पढ़ना ही नहीं कभी थोड़ा बहुत सब पढ़ लेता हूं दूसरों पुरुषों को रखन कोई गलत बात नहीं है मैं लेकिन हीरो को सही ढंग से ना रखना यह गलत बात है आपका बहुत-बहुत धन्यवादपढ़ें उस में हीरो आप को उसी तरह का मिलेगा, उस के जैसा उस कहानी में कोई और पुरुष नहीं है, वह अकेला। आप का इन्तजार करुँगी उस कहानी पर लिंक भी दे रही हूँ,...
कोमल जी जीकेजी में सुधारना है तो एक दो चीज सुधार दो कहानी में सजना का रोल कर रहा है दूसरों पुरुषों से लिंग दो-तीन इंच लंबा रखना और मोटा टाइमिंग बहुत अच्छा रखी हैं जो सजन का रोल कर रहा है यह रेनू उनकी साली है साली नंनद भी साथ में आए तो अच्छा रहेगा कोमल मैं सुधरना है तो यही सुधार दो हर एक पोस्ट आपका आनंद लेकर पढ़ सके आपसे आग्रह करता हूं आपका बहुत-बहुत धन्यवादमेरे ख्याल से हम इस कहानी में इसी कहानी के बारे में ख़ास तौर से पिछले पोस्ट के बारे में बातें करें, तो बाकी पाठकों को भी फायदा होगा और मुझे भी की जरूरी सुधार मैं कर पाऊँगी।
जहां तक जोरू का गुलाम का सवाल है वो कहानी अपने आखिरी भाग में है, अच्छी बुरी जैसी भी है, १००० पेज पूरी करने वाली है, २०० से ज्यादा पोस्ट्स हो चुके हैं और करीब बीस लाख व्यूज भी।
तो छुटकी की इस कहानी का पिछला पार्ट कैसा लगा यह बताएं तो ज्यादा अच्छा रहेगा /
कोमल जी जो पिछला पोस्ट आया था बहुत अच्छा लगा था छुटकी की इस कहानी में जो कोमल का जो सजना है दूसरे पुरुषों से दो-तीन इंच लंबा और मोटा रखना एक टाइमिंग बड़ा के रखना बस आपसे यही आग्रह करता हूं कहानी में क्योंकि इनका रोल ज्यादा रहेगा कहानी आपके जैसी अच्छी लगती है वैसे ही लिखो आप एकदम चटपटा लिखती हैं आपका पोस्ट पढ़ने के बाद आनंद आ जाए सुधार करना है तो इतना ही कर दो बस आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कोमल मैंमेरे ख्याल से हम इस कहानी में इसी कहानी के बारे में ख़ास तौर से पिछले पोस्ट के बारे में बातें करें, तो बाकी पाठकों को भी फायदा होगा और मुझे भी की जरूरी सुधार मैं कर पाऊँगी।
thanksकोमल जी जीकेजी में सुधारना है तो एक दो चीज सुधार दो कहानी में सजना का रोल कर रहा है दूसरों पुरुषों से लिंग दो-तीन इंच लंबा रखना और मोटा टाइमिंग बहुत अच्छा रखी हैं जो सजन का रोल कर रहा है यह रेनू उनकी साली है साली नंनद भी साथ में आए तो अच्छा रहेगा कोमल मैं सुधरना है तो यही सुधार दो हर एक पोस्ट आपका आनंद लेकर पढ़ सके आपसे आग्रह करता हूं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
thanksकोमल जी जो पिछला पोस्ट आया था बहुत अच्छा लगा था छुटकी की इस कहानी में जो कोमल का जो सजना है दूसरे पुरुषों से दो-तीन इंच लंबा और मोटा रखना एक टाइमिंग बड़ा के रखना बस आपसे यही आग्रह करता हूं कहानी में क्योंकि इनका रोल ज्यादा रहेगा कहानी आपके जैसी अच्छी लगती है वैसे ही लिखो आप एकदम चटपटा लिखती हैं आपका पोस्ट पढ़ने के बाद आनंद आ जाए सुधार करना है तो इतना ही कर दो बस आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कोमल मैं