Arey yahi kaha rok diya , abhi to khel shuru bhi nahi huaरमजनिया
लेकिन मुझे उसके बारे में ज्यादा पता करना था और ये काम मेरी ननदें या जेठानियाँ नहीं कर सकती थीं , कुछ काम सिर्फ काम करनेवालियाँ ही कर सकती थीं , ... और वो भी ,... मैंने गुलबिया को पकड़ा जो हमारे घर पर काम करती थी , और एक तरह से घर की ही थी , उसने इतना काम किया की मुझे बता दिया की रमजनिया चंदू के खेत पर काम करती है , उसे ही , ... वो कभी कभी हम लोगों के खेत पर भी , तो मैं एक दिन खेत पर गयी थी , वहीँ मैंने उससे बात किया तो वो बहुत जोर से खिलखिला के हंसी ,
" भौजी आप भी , लेकिन आप कउनो काम पहली बार कहीं है , बाकि बात ये है की शेर की गुफा में जाने वाली बात है , लेकिन ये भी मैं कह सकती हूँ की , अगर कोई काम ये कर सकता है तो आप ही कर सकती हैं "
और उसने भी उन्ही ' दूध के कटोरों ' की बात की, लेकिन एकदम साफ़ साफ़ ,
उसको चंदू का ' अड्डा ' भी मालूम था , टाइम भी और सब बातें भी उसने अच्छी तरह समझा दी , चंदू का खेत और हम लोगों का खेत सटा हुआ था , था भी वो हमारी पट्टेदारी का , घर भी हम लोगों के घर के पास ही था , हमारी छत से जहाँ मेरा कमरा था , उसका घर साफ़ दिखता था।
बस , जहाँ उसका खेत शुरू होता था उसी के एक कोने में , एक खूब बड़ी सी बँसवाड़ी एकदम गझिन ,
हम लोगों के खेत से जो पगडंडी जाती थी , उसी से सटी , वहीँ पर दो तीन पाकुड़ , बस उसी पाकुड़ और बँसवाड़ी के पीछे उसने एक अखाडा खोद रखा था , जहाँ दो घंटा सुबह , दो घंटा शाम , दंड बैठक , कसरत , .... वहीँ बगल में एक कोठरिया सी भी थी , बस दोपहर में भी वहीँ , .... एक ओर ऊँचे गन्ने के खेत ,...
और एक दिन मैं सुबह सुबह पहुँच गयी , उसने अपनी कसरत ख़त्म की ही थी , लंगोट के ऊपर एक धोती सी बस लपेटी थी की मैं गयी ,
एक पल के लिए तो वो चौंका , लेकिन मुझे मुस्कराते देख कर वो भी , लेकिन आज मेरे बोल नहीं फूटे ,...
मेरे जोबन पथरा रहे थे , मेरा मुंह सूख रहा था और मेरी बुलबुल का मुंह गीला हो रहा था ,... परफेक्ट वी ,
कमर तो शायद मेरी इतनी पतली रही होगी , केहरि कटि , २५ -२६ की लेकिन सीना कितना चौड़ा , ... ४५- ४६ से कम नहीं होगा ,... एक एक मसल्स साफ़ साफ़ दिख रही थी , कंधे भी एकदम वृषभ कंध ,... क्या ताकत होगी इस आदमी के अंदर मैं सोच रही थी ,
मेरी एक खूब मायके की खेली खायी भौजी थीं , उन्होंने बताया था ,...
"अगर ऐसा आदमी कभी दिख जाए न ,.. एक तो उसे कुँवारी लड़की पसंद नहीं आतीं , दुसरे कुँवारी उसे झेल भी नहीं सकती , .. हड्डी हड्डी तोड़ देता है वो ,... इसलिए थोड़ी बड़ी उम्र की , गदरायी , भरे बदन वाली शादी शुदा ही उसे पसंद आती है ,"
मैं बड़ी उम्र की तो नहीं थी , लेकिन गदरायी , भारी बदन की और शादी शुदा तो थी ही ,
आज वही पहले बोला ,
" आज भौजी सबेरे सबेरे ,.... दरशन दे दिया आपने ,... " मुस्कराते हुए बोला वो, और मैं वापस कुछ नार्मल , हुयी , चिढ़ाते हुए में बोली ,
" क्यों सबेरे सबेरे भौजी को देखकर ,... घबड़ा रहे हो ,... कहीं आज का दिन , खराब न हो जाए ,... "
" अरे नहीं भौजी , आप ने सबेरे सबेरे दरसन दे दिया तो फिर तो आज का दिन तो बहुत अच्छा बीतेगा , ... सबसे अच्छा ,... " वो हँसते हुए बोला ,
सच में जिस जगह अड्डा उसने बनाया था , वहां की बातें न बाहर दिखाई पड़ सकती थीं , इतनी गझिन बँसवाड़ी , पाकुड़, अमराई थी।
" अरे तब तो मैं रोज आउंगी , मेरे देवर का दिन अच्छा बीते , इससे अच्छी बात देवर की भौजी के लिए क्या होगा , बकी एक बात है ,... "