ये पहला गैंगबैंग था इस कहानी का .. मेरे हिसाब से...फट गया हिना का पिछवाड़ा
कमल का खूंटा एकदम फनफनाया, मैंने कमल और रेनू दोनों को हिना का पिछवाड़ा दिखा के इशारा किया, कमल के पहले रेनू समझ गयी,...
" अरे भैया एकदम कोरा पिछवाड़ा, अगवाड़ा तुमने फाड़ा तो पिछवाड़ा कौन फाड़ेगा,... मार लो गांड हिना रानी की, ... अगर आज तुमने इसकी गांड मार ली तो तेरी ये बहन रोज बिना नागा देगी अपनी, पांच दिन की छुट्टी में भी,... दिखा दो स्साली को,... "
रेनू बोली और खुद उसका खूंटा पकड़ के,
दोनों हाथ से हिना के चूतड़ पकड़ के रेनू ने फैलाया, मुंह में ढेर सारा थूक लेके बड़ा सा बबल बना के उस दरार पर थूक दिया, एक बार, दो बार ऊँगली से फैला भी दिया, कमल की निगाह भी उसी दरार पे टिकी थी,
और रेनू ने अपने हाथ से भाई का खूंटा पकड़ के सटा दिया,...
" तेरी बहन की कसम मार दे पूरी ताकत से ऐसे फाड़ जैसे आज तक किसी की फाड़ी न हो, दिखा दो इसको मेरे भैया में कितनी ताकत है "
दोनों चूतड़ पकड़ के जो कमल ने ठेला तो हिना की चीख बाइसो पुरवा में सुनाई दी होगी, पर ननदों की चीख से बढ़िया म्यूजिक भाभी के लिए क्या होगी
और सब भौजी लोग कमल के पीछे,...
हाँ देवर फाड़ दो अरे आज फाड् दिया तो हम सबकी ननद तोहरे नाम,... कमल में ताकत की कमी तो थी नहीं,...
ऊपर से रेनू उसके पीछे अब खुल के अपने उभार उसकी पीठ से रगड़ रही थी, ऊँगली से खूंटे के बेस पर आठ दस धक्के लगातार, एक बार जब गांड का छल्ला पार हो गया तो वो रुक गया, आधा खूंटा बाहर था,...
थोड़ी देर तक वो और पंकज दोनों रुके रहे, फिर नीचे से पंकज ने पेलना शुरू किया और ऊपर कमल रुक गया।
दोनों बारी बारी से, ... और अब जब दोनों के मूसल जड़ तक अंदर थे तो गुलबिया बोली, अरे एक छेद तो बाकी है,...
चुन्नू वहीँ खड़ा था बेला के साथ,... और बेला ने गुलबिया को लहकाया, अरे भौजी देवर तो तोहार बगल में ही हैं
बस चुन्नू का हिना के मुंह में
लेकिन मैं सिर्फ कमल को देख रही थी
जिस तरह से वो हिना की गाँड़ मार रहा था, कभी आराम आराम से कभी रगड़ रगड़ के बेरहमी से जैसे अंदर की चमड़ी छील भी जाए तो उसे परवाह नहीं, उस का काम सिर्फ ठेलना है। जड़ तक ठेलने के बाद कुछ देर बस उसे घुसेड़े पड़ा रहता जिससे हिना की गाँड़ अच्छी तरह फैली रहे, उसे मोटे लंड का मजा भी मिले आदत भी पड़ जाए, और उतनी देर में नीचे से पंकज चोद चोद के हिना की बुर के चीथड़े उडाता, क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा।
और जब नीचे के धक्के हलके होते ही कमल बहुत आराम आराम से अपना बित्ते भर का मूसल बाहर निकाल के फिर दोनों हाथों से हिना के लौंडा छाप चूतड़ पकड़ के हचक के पेलता, एक धक्के में ही गांड का छल्ला पार।
हिना दर्द से दुहरी हो रही थी, लेकिन चिल्ला भी नहीं पा रही थी। मुंह में तो चुन्नू ने अपनी डाट लगा रखी थी, हलक तक।
ऊपर से सबसे ज्यादा जुलुम रेनू ढा रही थी, कभी वो और गुलबिया, हिना के निपल्स को पकड़ के रगड़ देती तो कभी क्लिट मसल देती और रेनू कहती,
" अब गाँव में स्कूल में पर्दा वरदा सब बंद,... बोल "
बोलती कैसे मुंह में तो चुन्नू की डाट लगी थी। लेकिन सर हिला के हाँ करती, रेनू ने क्या क्या नहीं हिना से हामी भरवाई,... और जरा सी देर हुयी तो वो बस इशारा करती, कमल भैया।
बस इतना काफी था, कमल अपनी कमर के पूरे जोर से ऐसा धक्का मारता हिना की गांड में की अगर वो गांड नहीं चार बच्चो की माँ का भोसंडा भी चोदता तो उसकी चूल चूल ढीली हो जाती .
जो लड़कियां कल तक कमल को चिढ़ाती थीं, उसे देने के बारे में सोचती भी नहीं थी वो आज इस मोटे मूसल को देख के उसकी करामात देख के ललचा रही थीं। हिना तो उन सबमें कच्ची थी लेकिन अभी कमल ने उसकी झिल्ली फाड़ी, चूत से खून बहाया, और अब ऐसे जबरदस्त तरीके से गाँड़ मार रहा है, ... सोच रही थीं हम फालतू में डरते थे, मजा तो इसी में हैं, अब तो रेनू से दोस्ती करने में भलाई है। वो चाहेगी तभी ये मूसल मिलेगा।
रज्जो भाभी ने एक कच्ची उम्र की ननद से कहा, " देख ये सैयदानी को, पठान टोला वाली को कैसे मस्ती से गाँड़ मरवा रही है।
" लेकिन भौजी हिना को दर्द भी बहुत हो रहा है " वो नासमझ बोली।
" अरे ननद रानी , जब बच्चा बियाओगी तो इससे १०० गुना ज्यादा दर्द होगा, बच्चे की साइज देखो, लंड की साइज देखो, तो का बच्चा न बियाओगी, गाभिन न होगी। "
सुगना भौजी क्यों मौका छोड़ देतीं। छेड़ते हुए उन्होंने समझाया।
चमेलिया और रेनू के साथ एक दो और ननद भौजाइयां अब हिना की रगड़ाई कर रही थीं , कस के गैंग बैंग हो रहा था।
बीस मिनट के बाद एक एक करके तीनो ने हर छेद में अपना पानी छोड़ा,... थोड़ी देर तक सब चिपके रहे फिर धीरे धीरे अलग हुए,...
कमल के पास जाके मैं बोली,
" देवर जी अब तो नेग बनता है आज डबल धमाका हुआ,... एक तो बचपन का प्यार एकदम कुंवारा अगवाड़ा पिछवाड़ा, फिर एक कच्ची कली का भी अगवाड़ा भी फाड़ा पिछवाड़ा भी,... और वो कुल लड़कियों, भौजाइयों के सामने,... "
" एकदम भौजी जो कहिए " वो मुस्करा के बोला,
" बस और कुछ नहीं अब मेरी इस ननदिया के साथ नागा नहीं होना चाहिए, एकदम रखैल बना के रखो, अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों,... " मैंने मन की बात कह दी।
सैयदानी तो इससे ज्यादे की कूवत रखती है...
लेकिन शुरुआत के लिए इतना सही है...