सीरियल हीं सही है...
पैरेलल में तो हौच-पौच हो जाएगा...
एकदम एक साथ कई घटनाये एक ही गाँव में होती रहती हैं
जैसे इसी समय मंजू भाभी के पति आये हुए हैं और वो उनके साथ बिजी हैं
छुटकी, गीता और अरविन्द के साथ मजे ले रही है,
मेरी सास बाकी सासों के साथ गाँव के बाहर एक छावनी ( फ़ार्म हाउस की तरह ) में मस्ती ले रही हैं और मेरी ननद रात भर की थकी अपनी सहेली के घर , पति भी अपने दोस्तों के साथ
तो इस लिए एक तरह की घटनाएं एक साथ और उसके बाद दूसरी घटनायें जैसे अब मेरी ननद और मेरे साजन के किस्से बस चार पांच पार्ट बाद , जब भाभियों की मस्ती खतम हो जायेगी। इस लिए सीरियल में सीरियल की तरह