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भाग ८१ - बारी भौजाइयों की
१५,७४, ०८०
और अब नंदों ने दौड़ा दौड़ा के एक भौजी को पकड़ना शुरू किया।
रज्जो भाभी मौका पाके सटक ली थीं , नंदों ने दो चार छुटकियो को दौड़ाया, कम्मो, बेला, लीना,दीपा सब और रज्जो भौजी पकड़ी गयीं , पास में ही एक पेड़ों के झुण्ड में, ...
" काहो भौजी कउनो मायके का यार आया था का जो ननदो का साथ छोड़ के ,... "
मेरे साथ बैठी रेनू ने वही से चिढ़ाया,
लीना, चंदा और कम्मो ने उन्हें छाप लिया, हाथ पैर सब पकड़ के,.... और थोड़ी देर में एक देवर रज्जो भाभी पर भी चढ़ा।
शायद ही कोई भौजाई बची होगी जिस पे दो दो लौंडे न चढ़े हों, असल में भाभियाँ थीं कम देवर थे ज्यादा और फिर अभी ननदें भी अपने भाइयों के साथ साथ,.... जिस भौजाई की टाँगे उठा के कोई देवर पेल रहा था उस के मुंह में कोई ननद चढ़ी अपनी बुर चटा रही थी।
सिवाय दूबे भाभी के, जिनकी अभी जबरदस्त रगड़ाई हुयी और पूरी तरह देवरों की रबड़ी मलाई से नहाई थीं वो,
और मैं कमल के सिंहासन पे बैठी थी, बगल में रेनू उसकी बहन।
मेरी निगाहें बार बार चमेलिया -गुलबिया की ओर लौट रही थीं, एक की गांड विनोदवा मार रहा था दूसरे की पंकजवा, दोनों ही जबरदस्त लौण्डेबाज लग रहे थे जिस तरह से पिछवाड़े की सेवा कर रहे थे. चमेलिया और गुलबिया दोनों ही दो दो देवर के बीच पिस रही थीं, रगड़ी जा रही थी लेकिन मौके का फायदा उठा के वो धक्के भी मार रही थीं. ननदों को गरिया भी रही थीं समझा भी रही थी।
नीलू और लीला का तीन महीने बाद गौना होना है तो उन दोनों से गुलबिया कह रही थी,
" अरे काहें को खी खी कर रही हो, देखो और सीखो,... पहली होली में ही देवर और ननदोई एक साथ चढ़ेंगे। नयी नयी सलहज हो तो बिना बुलाये नन्दोई ससुराल होली में आते है, असली पिचकारी से होली खेलने। सीख लो दो दो पिचकारी पिचकाने का तरीका। "
चारो बल्कि सभी ६ चमेलिया और गुलबिया भी साथ साथ झड़े, झड़ते रहे,... और जैसे अखाड़े में थक के पहलवान पड़े रहे जमींन पर आम की उस बगिया में देवर भौजाई चिपके पड़े रहे।
कुछ देर में ही सब भौजाई चुद रही थीं, किसी किसी के ऊपर दो दो देवर एक साथ चढ़े, और जिसके ऊपर सिर्फ एक चढ़ा हो उसको एक साथ दो तीन ननदें छाप लेतीं, यहाँ तक की कच्चे टिकोरे वालियां भी, भौजाइयों के ऊपर चढ़ चढ़ के अपनी चूत चटा रही थीं।
जैसे किसी की नाक कट जाए और वो नक कटी कहे अरे मैं बहुत सुन्दर लग रही हूँ, तुम लोग भी कटवा लो,... मुझे तो स्वर्ग दिख रहा है, और जब तक किसी और की न कटवा ले उसे चैन न मिले, तो वही हालात भौजाइयों की हो रही थी,
जिसपर दो तीन देवर चढ़ते, वो दूसरी भौजाइयों को भी चढाती,... अरे बड़ा मजा आ रहा है , एक छेद का मजा तो रोज ननदी के भैया देते हैं लेकिन अगर एक छेद में इतना मजा तो दो छेद में तो दूना मजा,
और ननदों को भी उकसाती तो वो सब भी पकड़ लेती और भाई बहिन मिल के भौजाई की चोद देते,...
वैसे भी भौजाइयां कम थी,
हम लोगों की कबड्डी टीम में से ही सिर्फ दूबे भाभी, मैं, रज्जो भाभी, चमेलिया और गुलबिया बची थीं।
मंजू भाभी के ' वो ' शहर से महीने में आते थे दो चार दिन के लिए आते थे और महीने का हिसाब चुकता कर देते थे, सूद के साथ, तो मंजू भाभी मेरे जेठ के साथ अपने घर में और चुन्नू भी यहाँ तो घर में वो और उनके सैंया,...
चननिया तो कल ही बोल के चली गयी थी,... उसे कुछ काम था, रमजानिया को भी कहीं जाना था वो आयी तो थी लेकिन दोपहर के पहले ही चली गयी।
ये तो चार पांच भौजाई कल कबड्डी और उस के बाद की मस्ती देख के आ गयी थीं, इसलिए हम लोगों की टीम में आठ दस,...
पर ननदें अट्ठारह बीस,... आठ दस की झिल्ली ही आज फटी थी, और देवर भी उतने ही, और वो सब मिल के हम भौजाइयों के पीछे पड़ गए थे पर ननदें लालच भी दे रही थीं,
" भैया, आज तो मिल गया लेकिन अगर रोज चाही न तो पहले हचक के गुलबिया भौजी क गाँड़ मारो कस चाकर चूतड़ है, मायके में तो खूब गांड मरवाती थी"
और भौजाई भी, जो आठ दस आयी थीं उनमे से आधे से ज्यादा के मरद बाहर ही रहते थे, ... दो चार तो पास के शहर में तो कुछ हफ्ते दो हफ्ते में आते थे, पानी निकाल के चले जाते थे और कुछ महीने में,... और बाकी किसी का पंजाब, किसी का बंबई, सूरत, अहमदाबाद,.. साल में एक दो बार छुट्टी मिली ट्रेन का टिकट मिला तो,
गुलबिया को बड़ी उम्मीद थी की उसके ननद का भाई होली में जरूर आएगा, छुट्टी भी मिल गयी थी लेकिन जनरल में भी घुसने की जगह नहीं मिली, एकदम छनछनाई,... तो उन भौजाइयों की दिवाली होली सब हो गयी, एक साथ इतने नए नए लौंडों के साथ
आरती, , दुलारी सविता, सुगना, रीता,
१५,७४, ०८०
और अब नंदों ने दौड़ा दौड़ा के एक भौजी को पकड़ना शुरू किया।
रज्जो भाभी मौका पाके सटक ली थीं , नंदों ने दो चार छुटकियो को दौड़ाया, कम्मो, बेला, लीना,दीपा सब और रज्जो भौजी पकड़ी गयीं , पास में ही एक पेड़ों के झुण्ड में, ...
" काहो भौजी कउनो मायके का यार आया था का जो ननदो का साथ छोड़ के ,... "
मेरे साथ बैठी रेनू ने वही से चिढ़ाया,
लीना, चंदा और कम्मो ने उन्हें छाप लिया, हाथ पैर सब पकड़ के,.... और थोड़ी देर में एक देवर रज्जो भाभी पर भी चढ़ा।
शायद ही कोई भौजाई बची होगी जिस पे दो दो लौंडे न चढ़े हों, असल में भाभियाँ थीं कम देवर थे ज्यादा और फिर अभी ननदें भी अपने भाइयों के साथ साथ,.... जिस भौजाई की टाँगे उठा के कोई देवर पेल रहा था उस के मुंह में कोई ननद चढ़ी अपनी बुर चटा रही थी।
सिवाय दूबे भाभी के, जिनकी अभी जबरदस्त रगड़ाई हुयी और पूरी तरह देवरों की रबड़ी मलाई से नहाई थीं वो,
और मैं कमल के सिंहासन पे बैठी थी, बगल में रेनू उसकी बहन।
मेरी निगाहें बार बार चमेलिया -गुलबिया की ओर लौट रही थीं, एक की गांड विनोदवा मार रहा था दूसरे की पंकजवा, दोनों ही जबरदस्त लौण्डेबाज लग रहे थे जिस तरह से पिछवाड़े की सेवा कर रहे थे. चमेलिया और गुलबिया दोनों ही दो दो देवर के बीच पिस रही थीं, रगड़ी जा रही थी लेकिन मौके का फायदा उठा के वो धक्के भी मार रही थीं. ननदों को गरिया भी रही थीं समझा भी रही थी।
नीलू और लीला का तीन महीने बाद गौना होना है तो उन दोनों से गुलबिया कह रही थी,
" अरे काहें को खी खी कर रही हो, देखो और सीखो,... पहली होली में ही देवर और ननदोई एक साथ चढ़ेंगे। नयी नयी सलहज हो तो बिना बुलाये नन्दोई ससुराल होली में आते है, असली पिचकारी से होली खेलने। सीख लो दो दो पिचकारी पिचकाने का तरीका। "
चारो बल्कि सभी ६ चमेलिया और गुलबिया भी साथ साथ झड़े, झड़ते रहे,... और जैसे अखाड़े में थक के पहलवान पड़े रहे जमींन पर आम की उस बगिया में देवर भौजाई चिपके पड़े रहे।
कुछ देर में ही सब भौजाई चुद रही थीं, किसी किसी के ऊपर दो दो देवर एक साथ चढ़े, और जिसके ऊपर सिर्फ एक चढ़ा हो उसको एक साथ दो तीन ननदें छाप लेतीं, यहाँ तक की कच्चे टिकोरे वालियां भी, भौजाइयों के ऊपर चढ़ चढ़ के अपनी चूत चटा रही थीं।
जैसे किसी की नाक कट जाए और वो नक कटी कहे अरे मैं बहुत सुन्दर लग रही हूँ, तुम लोग भी कटवा लो,... मुझे तो स्वर्ग दिख रहा है, और जब तक किसी और की न कटवा ले उसे चैन न मिले, तो वही हालात भौजाइयों की हो रही थी,
जिसपर दो तीन देवर चढ़ते, वो दूसरी भौजाइयों को भी चढाती,... अरे बड़ा मजा आ रहा है , एक छेद का मजा तो रोज ननदी के भैया देते हैं लेकिन अगर एक छेद में इतना मजा तो दो छेद में तो दूना मजा,
और ननदों को भी उकसाती तो वो सब भी पकड़ लेती और भाई बहिन मिल के भौजाई की चोद देते,...
वैसे भी भौजाइयां कम थी,
हम लोगों की कबड्डी टीम में से ही सिर्फ दूबे भाभी, मैं, रज्जो भाभी, चमेलिया और गुलबिया बची थीं।
मंजू भाभी के ' वो ' शहर से महीने में आते थे दो चार दिन के लिए आते थे और महीने का हिसाब चुकता कर देते थे, सूद के साथ, तो मंजू भाभी मेरे जेठ के साथ अपने घर में और चुन्नू भी यहाँ तो घर में वो और उनके सैंया,...
चननिया तो कल ही बोल के चली गयी थी,... उसे कुछ काम था, रमजानिया को भी कहीं जाना था वो आयी तो थी लेकिन दोपहर के पहले ही चली गयी।
ये तो चार पांच भौजाई कल कबड्डी और उस के बाद की मस्ती देख के आ गयी थीं, इसलिए हम लोगों की टीम में आठ दस,...
पर ननदें अट्ठारह बीस,... आठ दस की झिल्ली ही आज फटी थी, और देवर भी उतने ही, और वो सब मिल के हम भौजाइयों के पीछे पड़ गए थे पर ननदें लालच भी दे रही थीं,
" भैया, आज तो मिल गया लेकिन अगर रोज चाही न तो पहले हचक के गुलबिया भौजी क गाँड़ मारो कस चाकर चूतड़ है, मायके में तो खूब गांड मरवाती थी"
और भौजाई भी, जो आठ दस आयी थीं उनमे से आधे से ज्यादा के मरद बाहर ही रहते थे, ... दो चार तो पास के शहर में तो कुछ हफ्ते दो हफ्ते में आते थे, पानी निकाल के चले जाते थे और कुछ महीने में,... और बाकी किसी का पंजाब, किसी का बंबई, सूरत, अहमदाबाद,.. साल में एक दो बार छुट्टी मिली ट्रेन का टिकट मिला तो,
गुलबिया को बड़ी उम्मीद थी की उसके ननद का भाई होली में जरूर आएगा, छुट्टी भी मिल गयी थी लेकिन जनरल में भी घुसने की जगह नहीं मिली, एकदम छनछनाई,... तो उन भौजाइयों की दिवाली होली सब हो गयी, एक साथ इतने नए नए लौंडों के साथ
आरती, , दुलारी सविता, सुगना, रीता,
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