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भाग ८१ बारी भौजाइयों की पृष्ठ ८१८
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Waahमस्ती बंटी संग
लेकिन दिन भर दो चार भौजाइयों ने और उस पर हाथ साफ़ कर लिया था, जैसे कच्चे टिकोरों के सब लौंडे दीवाने होते हैं वैसे ही कमसिन लौंडे के लिए खेली खायी भौजाई सब भी।
तो वही दिख गया,
मुझे देखकर वो आम के एक चौड़े पेड़ के पीछे छुपने लगा, मैं उसे अनदेखा करके बाग़ के अंदर जिधर बाग़ और गझिन थी, उधर घुस गयी,
बेचारे बंटी ने चैन की साँस ली,.. वो भी जिधर भौजाइयां रगड़ी जा रही थी, किसी पे दो किसी पे तीन चढ़े हुए,... किसी किसी के ऊपर ननदें चढ़ी अपनी बुर चटवाती, उसे क्या मालूम खतरा टला नहीं है,
बस पीछे से मैंने उसे धर दबोचा, और हड़का लिया,
" अबे स्साले क्या लौंडिया की तरह छुपा है? और छुपने छुपाने से काईन लौंडिया बची है आज तक, जो रहरिया में गन्ने के खेत में जा के छुपती हैं उनकी वहीँ ले ली जाती है। और आज के दिन भौजाई से न कोई ननद बचती है न देवर, "
जबतक वो समझ पाता, खींच के मैं उसे थोड़ा और अंदर, जहाँ बाग़ और गझिन हो गया था, दिन में भी अँधेरा रहता था,...
देवर भाभियों की मस्ती देखकर उसका भी टनटना रहा था,... उसे पकड़ के मैंने थोड़ा और मुठियाया,... फिर एक झटके में खींच के सुपाड़े के ऊपर का चमड़ा खोल दिया, और गरियाया,
" तोर बहिन महतारी समझायी नहीं की अब इसको खुला ही रखो,... रगड़ खा खा के ही पत्थर होगा , टनटना रहा है, अबे स्साले ये समझ ले की पहले बुर रानी को मनाना पड़ता है चाहे लौंडिया हो या मेहरारू। चल चाट , कबो तोर बहिनिया चटाई है की नहीं , आज स्साली है नहीं वरना अपने सामने तुमसे चटवाती, चलो बहिन न सही भौजाई"
घास पर मैं लेटी, ... जाँघे फैलाये,... स्लेटी अँधियारा, गलबाँही डाले बड़े बड़े पुराने पेड़, जिन्होंने न जाने कितनो की प्रेम लीला देखी होगी अपने नीचे,... और जाँघों के बीच में वो नौसिखिया चटोरा,...
आज चाहे कोई ननद हो या भौजाई, किसी की बुर ऐसी नहीं थी जिसमें दो चार कटोरी मलाई न बजबजा रही हो, मेरी कैसे बची रहती मेरी कटोरी में भी खीर छलक रही थी,...
बस जैसे उसकी जीभ वहां लगी वो जोर से गिनगिनाया, पर मुझे मालूम था ये होगा इसलिए मैं पहले से तैयार थी, मैंने झट से अपनी जाँघों के बीच उसके सर को दबोच लिया, लाख कोशिश करे वो हिल नहीं सकता था, बिन चाटे भौजाई की बुर छूट नहीं थी , मरद चोदने के बाद तो जल्दी अपनी मेहरारू की नहीं चाटता, भले वो झड़ी हो न झड़ी हो, ...
तो मालूम हो की न जाने किसकी मलाई अंदर से छलक रही है, फिर कोई भी झिझकेगा ही,... लेकिन इसी झिझक का ही तो इलाज करना ही था,..
कमर उठा के मैंने बुर उसके मुंह में लगा दिया और हड़काया,
" चाट साले, जब तेरी बहन यारन से चुदवा के लौटती है तो शलवार खोल के चटवाती है की नहीं, चाट मेरे भैया तेरे आज के बहनोई का माल है,... कल दुसरे बहनोई का माल ले आउंगी,.. अब छोड़ना मत, चाहे स्कूल से आये चाहे खेत से बोलना दीदी जरा सा मलाई चटवा दो , देखना जरूर चटवायेगी अपने छोटे भैया को, ... चाट स्साले कस कस के एक बूँद मत छोड़ना, एक दम साफ़ हो जाएगी तब दूंगी,... "
कुछ देर में वो खुद जीभ बिल में डाल के मलाई का स्वाद ले रहा था और असर वही हुआ जो मैं सोच रही थी पहले से टनटनाया खूंटा अब और पागल हो गया,...
और इस बार उसके धक्के में तेजी भी थी और ताकत भी, थोड़ा बहुत जोबन का रस लेना भी सीख गया था. मैं शरारत से कभी अपनी बुर निचोड़ लेती, उसके औजार को दबोच लेती और उस बेचारे की हालत खराब हो जाती, ... थोड़ी देर में उसने मुझे दुहरा कर दिया था और लम्बे लम्बेशॉट लगा रहा था,... मैंने भी रोका नहीं ,... और थोड़ी देर में उसने सब अपनी ताकत मेरी बिल में उंडेल दी और कटे पेड़ की तरह मेरे ऊपर,...
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वो अलग होकर मेरे बगल में लेटा ही था की एक झाडी के पास से उठ के आती हुयी सुगना दिखी,... आज भौजाइयों में सबसे ज्यादा वही गरमाई थी, कोई सगा देवर था नहीं , मरद साढ़े तीन साल हो गए क़तर गया था। पच्छिम पट्टी की,...
replied ma'am.Pta nhi tum kya samjh rahe the, lekin tm ne meri USC story pr to review nhi dia. Soooo bad of u
दो दर्जन .. फिर तो पांच-छः अपडेट भी कम पड़ जाएंगे...हैं भी तो दो दर्जन और ज्यादातर कोरी
किसी को भी छोड़ना नाइंसाफी होगी
लिस्ट तो काफी लंबी है..आएगी और जबरदस्त आएगी, जैसे ये कबड्डी और उसके बाद वाले किस्से चल रहे हैं
हाल खुलासा बयान होगा पठान टोली वालियों का
जोरा जोरी हुई चने के खेत में...(गन्ने और अरहर के खेत में भी)एकदम सही कहा आपने
इत्ते दिनों से तोप ढांक कर रखा है तो थोड़ी बहुत जबरदस्ती तो करनी होगी और एक बार किला फ़तेह होगया, झंडा फहर गया तो फिर अगली बार वो जबरदस्ती करेंगी।
बेचारे नए-नवेले शादीशुदा....कुंवारे देवरों को प्रायरिटी मिलती हैं , हाँ उसके बाद तो खुला दाखिला
एकदम और रफ़ूगीरी के साथ साथ कुछ प्रसंग भी बढ़ सकते हैं, ... आपने कहा था इरोटिक प्रसंग तो वो भी
क्या बात कही आपने
क्रमानुसार प्रस्तुति...एकदम एक साथ कई घटनाये एक ही गाँव में होती रहती हैं
जैसे इसी समय मंजू भाभी के पति आये हुए हैं और वो उनके साथ बिजी हैं
छुटकी, गीता और अरविन्द के साथ मजे ले रही है,
मेरी सास बाकी सासों के साथ गाँव के बाहर एक छावनी ( फ़ार्म हाउस की तरह ) में मस्ती ले रही हैं और मेरी ननद रात भर की थकी अपनी सहेली के घर , पति भी अपने दोस्तों के साथ
तो इस लिए एक तरह की घटनाएं एक साथ और उसके बाद दूसरी घटनायें जैसे अब मेरी ननद और मेरे साजन के किस्से बस चार पांच पार्ट बाद , जब भाभियों की मस्ती खतम हो जायेगी। इस लिए सीरियल में सीरियल की तरह