- 22,168
- 57,648
- 259
एकदम सही कहा आपने जवानी की चौखट लांघने के समय जो छटपटाहट होती है , डर भी लगता है मन भी करता है , एक किशोरी एक किशोर और होली का मौका हो , भौजाई का रिश्ता हो , फिर तोउधर छुटकी और इधर चुन्नू... दोनों की नथ उतारी जाएगी...
एक की पिछवाड़े की और एक की अगवाड़े की ...
बहुत हीं मजेदार समां बाँध दिया है...
दोनों की तड़प नथ उतरते समय तो बढ़ जाएगी...
लेकिन उसके बाद का अनूठा मजा दोनों को सराबोर क्र देगा...
बहुत खूब...
निज कबित्त केहि लाग न नीका। सरस होउ अथवा अति फीका॥ जे पर भनिति सुनत हरषाहीं। ते बर पुरुष बहुत जग नाहीं॥6॥ |
This is your greatness didi, this is truly your skill you are just awsome didi what ever you write just become epic becuase if you read a lot , but whatever be the reason we are here just because if magic what you do Through your wordsरसीली हो या अत्यन्त फीकी, अपनी कविता किसे अच्छी नहीं लगती? किन्तु जो दूसरे की रचना को सुनकर हर्षित होते हैं, ऐसे उत्तम पुरुष जगत् में बहुत नहीं हैं
निज कबित्त केहि लाग न नीका। सरस होउ अथवा अति फीका॥
जे पर भनिति सुनत हरषाहीं। ते बर पुरुष बहुत जग नाहीं॥6॥
.................
पर विधना ने मेरे भाग्य में ऐसे दुर्लभ मित्रों की असीम संख्या प्रदान की है , जो उत्तर भी देते है , सुख दुःख में हाल चाल भी पूछते हैं और सबसे बढ़कर , कृति कैसी भी हो हर पोस्ट के बाद , तारीफ़ भी करते हैं हौसला अफजाई भी , ... जिससे इस कथा यात्रा की आधी थकान उतर जाती है।
बहुत बहुत आभार सब मित्रों का उनके स्नेह का आशीर्वाद का, मेरी लम्बी अनुपस्थिति के बाद भी उन्होंने हिम्मत बाद बढ़ाई और इन पोस्टों पर आकर उत्साह भी
Didi do some Inovative thing here try some thing which never happenedएकदम सही कहा आपने जवानी की चौखट लांघने के समय जो छटपटाहट होती है , डर भी लगता है मन भी करता है , एक किशोरी एक किशोर और होली का मौका हो , भौजाई का रिश्ता हो , फिर तो
आपने एकदम गागर में सागर भर दिया आप ऐसे मित्र सहृदय पाठक पा कर कौन नहीं धन्य हो उठेगा , मेरी लेखनी की ओर से कोटिश आभार
Ye v aapne sahi kahaekdam sahi kaha aapne javaani ka ahassas Devar ko uski Bhbahi nahi karayegi to kya Bhabhi ki Nanad karayegi,... thanks for such a nice comment
nahi nahi abhi ekdam kunwara tha, kacha kela,... us ko HP to theek se maloom nahi tha,.... haan ek baar bhabhi sikha padha legi tab to Bhbahi khud hi use apni nanadon par chaadhyegiYe v aapne sahi kaha
Pr kya pata chunnu ko ye ahsas bhabhi ki nanad karwa chuki ho
मेरी नजर में आपकी प्रत्येक कृति एक से बढ़ कर उत्तम स्थान पाने योग्य हैरसीली हो या अत्यन्त फीकी, अपनी कविता किसे अच्छी नहीं लगती? किन्तु जो दूसरे की रचना को सुनकर हर्षित होते हैं, ऐसे उत्तम पुरुष जगत् में बहुत नहीं हैं
निज कबित्त केहि लाग न नीका। सरस होउ अथवा अति फीका॥
जे पर भनिति सुनत हरषाहीं। ते बर पुरुष बहुत जग नाहीं॥6॥
.................
पर विधना ने मेरे भाग्य में ऐसे दुर्लभ मित्रों की असीम संख्या प्रदान की है , जो उत्तर भी देते है , सुख दुःख में हाल चाल भी पूछते हैं और सबसे बढ़कर , कृति कैसी भी हो हर पोस्ट के बाद , तारीफ़ भी करते हैं हौसला अफजाई भी , ... जिससे इस कथा यात्रा की आधी थकान उतर जाती है।
बहुत बहुत आभार सब मित्रों का उनके स्नेह का आशीर्वाद का, मेरी लम्बी अनुपस्थिति के बाद भी उन्होंने हिम्मत बाद बढ़ाई और इन पोस्टों पर आकर उत्साह भी