Shetan
Well-Known Member
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Kafi maza aaya. Bahot hi amezing aur shararat se bhare daylog the. Aapne shasur bahu par to paheli bar likha. Par aapne consept me jo masti aur erotic ko jo mix kiya vo shandar tha. Umid he sugna bhouji ke muh se jo komaliya ke shasurji ke khute ki jo tarif ki esa conversation mazak masti aage ke update me do to maza hi aa jaeयह पोस्ट सुगना भौजी ,
आरुषि जी की कविता ससुर और बहू से अनुप्राणित है और आरुषि जी को ट्रिब्यूट के तौर पर समर्पित है।
कंचन और ससुर कहानी का आरुषि जी ने एक काव्य रूपांतर प्रस्तुत किया था, मेरी कहानी जोरू के गुलाम में कई भागो में। यह कविता पृष्ठ ११९५ ( पोस्ट ११९५० ) से शुरू हुयी थी जिसमे आरुषि जी ने कहा था,
"आज एक नई कविता शुरू कर रही हूं जो एक कहानी से प्रेरित है जो मैंने यहां ससुर और बहू (कंचन और ससुर) के बीच यौन संबंधों पर पढ़ी है।"
और मैंने उनकी पंक्तियों से प्रभावित होकर लिखा था
" अब जो आपने ससुर बहु का यह प्रंसग यहाँ दिखाया है, तो मुझे लग रहा है की आपकी इस कविता के ट्रिब्यूट के तौर पर छुटकी होली दीदी की ससुराल में एक छोटा ही प्रसंग, बहू और ससुर के बारे में लिखने का प्रयास करूँ, जो आपकी कविता की प्रतिछाया भी नहीं होगी पर मेरी ओर से एक छोटा सा ट्रिब्यूट होगा इस कविता को, : ( जोरू का गुलाम -पृष्ठ ११९६)
तो बस वही छोटी सी कोशिश है सुगना और ससुर के रूप में
हाँ एक बात और
इस भाग में सवाल ज्यादा उपजे हैं
क्या सुगना के ससुर ठीक हो पाए ?
हिना की माँ और ठाकुर साहब, सुगना के ससुर का जिक्र भी आया है,
और सबसे बढ़कर सुगना और ससुर जी का असली किस्सा एक लाइन में निपटा दिया " रात को दावत हुयी जम कर "
तो तबियत खराब होने के पहले करीब साल भर के किस्से बस एक लाइन में
नहीं नहीं , अगर आप सब को यह हिस्सा अच्छा लगा तो यह किस्सा खूब विस्तार से सात आठ भाग में जैसे अरविंद और गीता का या रेनू और कमल का किस्सा है उसी तरह आएगा
लेकिन लाइक करना, कमेंट करना ही बताएगा की सुगना और उनके ससुर की का रिश्ता आपको कैसा लगा।
Jaruri nahi ki sex seen do. Par aap jo mazakiya andaz ka conversation likhti ho use padhne me bahot maza aata he.