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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०

वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट

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komaalrani

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सुगना का उपवास खत्म...
बंटी के रूप में जवनका देवर ..
अब कस कस के...
उपवास तोड़ने के लिए नयी उम्र की नयी फसल से ज्यादा अच्छा क्या होगा, सुगना भौजी अपना जांगर पूरा दिखाएंगी, वो काटे जाते मुर्गे की तरह फड़फड़ायेगा, तड़फड़ायेगा, और फिर,
 

komaalrani

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अब तो थाल परस दिया...
केवल मुँह मारने की बारी है...
मारने की बारी आने पर ससुर चूकने वाले थोड़े ही हैं

लेकिन अब मुसीबत के मारे फालिज मार दिया है , खुद का खड़ा होना मुशिकल है तो,
 

komaalrani

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थाई तेल मालिश...
थाई ( जांघ ) और उससे आगे और बीच में भी मालिश

सुगना ऐसी जवान छनछनाती बहुरिया किसी भी स्पा वाली को पीछे छोड़ दे बॉडी टू बॉडी मसाज में
 

komaalrani

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ससुर बहु की आरुषि जी कविता के बाद आपका ये एपिसोड ..
सोने पे सुहागा...
लेकिन ससुर-बहु की चुदाई का सीन थोड़ा और डिटेल में होना चाहिए था....
होगा होगा एकदम डिटेल में होगा

जैसे कबड्डी वाला सीन डिटेल में हुआ

कबड्डी के बाद ननद और देवर भौजाई वाला सीन डिटेल में हुआ

उसी तरह सुगना और ससुर का एक नहीं अनेक सीन और ये भी की क्या सुगना के ससुर ठीक हो पाए, क्योंकि सुगना का अब स्थायी सहारा तो वहीँ हैं
 

komaalrani

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किसे कम कहें.. किसे ज्यादा..
दोनों ने मन को मोह लिया...
थोड़ा सुगना और उसके ससुर का और डिस्क्रिप्शन होता तो मजे की पराकाष्ठा हो जाती...
अरे इसमें भी कोई सोचने की बात है,

आरुषि जी का कोई जवाब नहीं, इस फोरम में किस्से कहानी वाले सैकड़ों हैं लेकिन वैसे कविता और चित्र, आरुषि जी अकेली हैं अपना उदाहरण स्वयं।
 

komaalrani

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किसे कम कहें.. किसे ज्यादा..
दोनों ने मन को मोह लिया...
थोड़ा सुगना और उसके ससुर का और डिस्क्रिप्शन होता तो मजे की पराकाष्ठा हो जाती...
होगा, आगे आएगा

लेकिन अभी देवर भाभी के किस्से चल रहे हैं इसमें एक भाग से अधिक सुगना और ससुर के बारे में बात करना थोड़ा विषयांतर हो जाता, और आगे की देवर भाभी के पोस्ट्स से जोड़ना टेढ़ा होता,

इसलिए सुगना और ससुर के विस्तृत चार पांच पोस्ट्स आएंगे
 

komaalrani

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बहुत अच्छी कहानी चल रही है। वास्तव में देवर के लिए बुर का इंतजाम करना भौजाई की ही जिम्मेवारी होती है। कच्चा लंड जल्दी झड़ नही पाता और शुरुआत ही बुर से हो तो देर से झड़ने की आदत पड़ जाती है। वहीं अगर बुर न मिले और देवर मुट्ठी मारने लग जाए तो हाथ की जगह बुर बहुत ही मुलायम होती है इसीलिए डालते ही झड़ जाने की बिमारी धर लेती है। इसलिए लंड की पिचकारी की शुरुआत बुर को रंगने से ही होनी चाहिए।
बहुत बहुत धन्यवाद

एकदम सही कहा आपने यह जिम्मेदारी भाभी की है और आपने जिस व्यवहारिक पक्ष पर प्रकाश डाला वह १०० प्रतिशत सत्य है।

आपका साथ और आपके कमेंट के लिए मैं और मेरी कहानी दोनों आभारी हैं।

:thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks:
 

komaalrani

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Next Part soon
 
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