Shetan
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Wah maha triveni sangam par is bar renu baji mar gai komalji. Apne bhaiya kam bhatar ke sare komaliya ki gath fasa hi di. Par fagun he to dewar ko kon rokega. Komaliya to chhinar nandiya ko bhi na roke. Maza aa gaya.मस्ती बाग़ में -ननद और देवर संग
रेनू के होठ मेरे होंठों से हटे तो कमल के होठ मेरे होंठों से चिपक गए, और रेनू के होंठ मेरे निप्स को चूस रहे थे,
बड़ी ताकत थी कमल के हाथों में,... मेरे उभारों पर झरते हुए महुआ के फूलों को उसने इस तरह मसला की जैसे वो शराब बन के मेरे शराब के दोनों प्यालों में,और पीने वाला मेरा देवर तो था ही, कमल,... आज उसकी मैंने बरसों की साध पूरी की थी लेकिन उसने भी तो मेरी बात मानी, जो मैंने उसकी माँ से वादा किया था वो पूरा हुआ,...
और तभी क्या जोरदार धक्का, जैसे किसी ने पेट पर घूंसा मारा,...
और मैंने बहुत जोर से गरियाया,
"अपनी महतारी का भोंसड़ा चोद चोद के तुझे स्साले भोंसड़ा चोदने की आदत पड़ गयी है, ... ऐसी जल्दी क्या थी,..."
पर उसे तो जल्दी थी, उसने मुझे दुहरा कर दिया और क्या रगड़ रगड़ के,...
मैं टप टप चुये सफ़ेद मोती के दानों ऐसे महुए के बिस्तर पे और मेरी देह पे जो महुए के फूल उसकी बहिनिया ने रगड़े थे, रखे थे हम दोनों की देह से चूर चूर हो के पिस के, साथ में आम के बौर की महक, हलकी हलकी चलती सांझ की फगुनहट से भरी हवा,
और मेरे ऊपर चढ़ा मेरा देवर, बगल में उसकी बहन, मेरी ननद
और उसकी बहन ने भी, ...
अरे भौजी तोहें देवर की मलाई चखा दूँ, जबतक दोनों मुंह में न जाए,... और मेरे मुंह में अपनी आज पहली बार चुदी अपनी चुत रगड़ रगड़ के, कमल की सब मलाई मेरे मुंह में,.. मैं क्यों छोड़ देती। मेरे देवर की रबड़ी मलाई,.. और साथ में ननद की चूत चूसने का सुख,...
कभी जीभ अंदर कर के कभी रगड़ रगड़ के,
उधर कमल का हर धक्क्का सीधे बच्चेदानी में लग रहा था, स्साला शुरू से ही चौथे गियर में था,... आधे घंटे के बाद ही वो झडा तबतक मैं और रेनू दो बार झड़ चुके थे.
मैंने उठने की कोशिश की, हे कमल चलने दे अब शाम हो गयी है, बाकी लोग भी जा रहे हैं।
ढलते सूरज की किरणे, आम और महुआ के पत्ते से छन छन कर जमीन पर आ रही थी, पिघलते सोने की तरह। बाहर बगीचे से नंदों, भौजियों की आवाजें अब धीमी पड़ती जा रही थीं, लेकिन एक बार के बाद कौन देवर भौजाई को छोड़ता है और कौन भौजाई का ही मन भरता है, और यहाँ तो रेनू ऐसी छिनार ननद भी थी जो पहली बार अपने भाई से चुदी थी लेकिन लग उसकी जन्म जन्म की रखैल की तरह थी। अपने भाई की ओर से वही बोली,,
" भौजी, बस थोड़ी देर और, और कौन आप अकेली हैं आपकी ननद और देवर भी तो हैं "
उसके हाथ मेरे जोबन पे टहल रहे थे।
" अरे नहीं मना थोड़ी कर रही हूँ, आज नहीं तो फिर कभी, देख तेरे भाई ने कितना कीचड़ कर दिया है, चोदल बुर फिर से चोदने में मजा थोड़े ही आता है, "
रेनू महा छिनार धीरे से मेरे कान में बोली
" अरे तो भौजी पिछवाड़े क छेद, हमार भाई बहुत मस्त गांड मारता है "
मैंने खींच के उसे चूम लिया और उसके भाई को सुनाते बोली,
" ये छिनार तोहार कुल चालबाजी हम समझ रहे हैं सोच रही की देवर क कुल मलाई यहीं ख़तम हो जाए और रात में टांग फैलाये के सोवा, चोदवावे क न पड़े, "
" अरे नाही भौजी, चार साल से टरका रही थी जब से कच्ची अमिया आना शुरू हुयी थी, अब ये तो आज आपका आसीर्बाद था, एक मिनट नहीं सोने दूंगा, आपकी ननद को चोद चोद के, गौने की रात है आज उसकी, "
कमल ने पक्का वादा किया। वैसे तो वायदे लोग करते रहते हैं लेकिन मेरी ससुराल में जब कोई मरद अपनी बहिन चोदने का वायदा करता है तो मैं जरूर मान जाती हूँ।
और मैं मान गयी, हलके हलके मैं कमल का मूसल छू रही थी, सहला रही थी, अभी भी थोड़ा थका, थोड़ा सोया सा, फिर मैंने रेनू को काम पे लगाया,
" भैया क दुलारी, चल अपने भैया क मलाई चाट चूट के साफ़ करो, एको बूँद बची रह जाए, कौन भौजाई नहीं चाहेगी की उसकी ननद उसकी अपने भौजाई क बुर से अपने भैया क मलाई भैया के सामने साफ़ करे, "
रेनू चाट चूस भी रही थी, छेड भी रही थी, चिढ़ा भी रही थी,
" केकरा मूसल यह में अंदर गया था पहले तोहरे मायके में भौजी " ऊँगली कर के कमल की मलाई निकाल के मुझे दिखा के चाटते रेनू ने चिढ़ाया,
" छिनार, तोहार भैया गौना करा के लाये थे, ओहि रात, "
मेरी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की खिलखिलाती रेनू मेरी बुर में कस कस के दो ऊँगली घुमाती बोली,
" अरे हमको, अरे पूरे गाँव को मालूम है नयकी भौजी इतने जोर से चोकरी थीं, जब उनकी फटी थी, अरे हमरे गाँव क मरदन क अलावा केकर ताकत बा जउन हमारी नयकी भौजी क अस सुंदर चिक्क्न बुर क झिल्ली फाड़े, भौजी क महतारी यही लिए तो भेजी थी, सोच समझ के पता कई के। "
बात रेनू की एकदम सही थी।
इन्होने सिर्फ मेरी नहीं मेरी दोनों छोटी बहनों की झिल्ली फाड़ी और छुटकी की एक सहेली, यहाँ तक की मेरे ममेरे भाई के पिछवाड़े का भी नेवान उन्होंने ही किया। और हम सब बहनों के पिछवाड़े का भी सिवाय छुटकी के, जो उन्होंने मेरे ननोदयी को वादा कर दिया था,
लड़के एक तो अपनी माँ बहिन की गारी सुन के गरमाते हैं दूसरे दो लड़कियों की मस्ती देख के,
रेनू अब कस कस के मेरी बुर चूस रही थी, मेरी जाँघे फैली जा रही थीं, मलाई कब की साफ़ हो गयी थी सीधे मेरी बुर से ननद के पेट में , और ये देख के कमल का खूंटा फनफना रहा था , स्साले का सच में बहुत मोटा था कोई भी लड़की सुपाड़ा देख के ही भड़क जाए, और गांड मारने के तो नाम पर ही ,