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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

arushi_dayal

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होगा होगा एकदम डिटेल में होगा

जैसे कबड्डी वाला सीन डिटेल में हुआ

कबड्डी के बाद ननद और देवर भौजाई वाला सीन डिटेल में हुआ

उसी तरह सुगना और ससुर का एक नहीं अनेक सीन और ये भी की क्या सुगना के ससुर ठीक हो पाए, क्योंकि सुगना का अब स्थायी सहारा तो वहीँ हैं
Thanks Komal ji
मस्ती बाग़ में -ननद और देवर संग

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रेनू के होठ मेरे होंठों से हटे तो कमल के होठ मेरे होंठों से चिपक गए, और रेनू के होंठ मेरे निप्स को चूस रहे थे,

बड़ी ताकत थी कमल के हाथों में,... मेरे उभारों पर झरते हुए महुआ के फूलों को उसने इस तरह मसला की जैसे वो शराब बन के मेरे शराब के दोनों प्यालों में,और पीने वाला मेरा देवर तो था ही, कमल,... आज उसकी मैंने बरसों की साध पूरी की थी लेकिन उसने भी तो मेरी बात मानी, जो मैंने उसकी माँ से वादा किया था वो पूरा हुआ,...

और तभी क्या जोरदार धक्का, जैसे किसी ने पेट पर घूंसा मारा,...
और मैंने बहुत जोर से गरियाया,

"अपनी महतारी का भोंसड़ा चोद चोद के तुझे स्साले भोंसड़ा चोदने की आदत पड़ गयी है, ... ऐसी जल्दी क्या थी,..."
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पर उसे तो जल्दी थी, उसने मुझे दुहरा कर दिया और क्या रगड़ रगड़ के,...
मैं टप टप चुये सफ़ेद मोती के दानों ऐसे महुए के बिस्तर पे और मेरी देह पे जो महुए के फूल उसकी बहिनिया ने रगड़े थे, रखे थे हम दोनों की देह से चूर चूर हो के पिस के, साथ में आम के बौर की महक, हलकी हलकी चलती सांझ की फगुनहट से भरी हवा,

और मेरे ऊपर चढ़ा मेरा देवर, बगल में उसकी बहन, मेरी ननद


और उसकी बहन ने भी, ...

अरे भौजी तोहें देवर की मलाई चखा दूँ, जबतक दोनों मुंह में न जाए,... और मेरे मुंह में अपनी आज पहली बार चुदी अपनी चुत रगड़ रगड़ के, कमल की सब मलाई मेरे मुंह में,.. मैं क्यों छोड़ देती। मेरे देवर की रबड़ी मलाई,.. और साथ में ननद की चूत चूसने का सुख,...


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कभी जीभ अंदर कर के कभी रगड़ रगड़ के,


उधर कमल का हर धक्क्का सीधे बच्चेदानी में लग रहा था, स्साला शुरू से ही चौथे गियर में था,... आधे घंटे के बाद ही वो झडा तबतक मैं और रेनू दो बार झड़ चुके थे.



मैंने उठने की कोशिश की, हे कमल चलने दे अब शाम हो गयी है, बाकी लोग भी जा रहे हैं।

ढलते सूरज की किरणे, आम और महुआ के पत्ते से छन छन कर जमीन पर आ रही थी, पिघलते सोने की तरह। बाहर बगीचे से नंदों, भौजियों की आवाजें अब धीमी पड़ती जा रही थीं, लेकिन एक बार के बाद कौन देवर भौजाई को छोड़ता है और कौन भौजाई का ही मन भरता है, और यहाँ तो रेनू ऐसी छिनार ननद भी थी जो पहली बार अपने भाई से चुदी थी लेकिन लग उसकी जन्म जन्म की रखैल की तरह थी। अपने भाई की ओर से वही बोली,,

" भौजी, बस थोड़ी देर और, और कौन आप अकेली हैं आपकी ननद और देवर भी तो हैं "
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उसके हाथ मेरे जोबन पे टहल रहे थे।


" अरे नहीं मना थोड़ी कर रही हूँ, आज नहीं तो फिर कभी, देख तेरे भाई ने कितना कीचड़ कर दिया है, चोदल बुर फिर से चोदने में मजा थोड़े ही आता है, "

रेनू महा छिनार धीरे से मेरे कान में बोली

" अरे तो भौजी पिछवाड़े क छेद, हमार भाई बहुत मस्त गांड मारता है "


मैंने खींच के उसे चूम लिया और उसके भाई को सुनाते बोली,


" ये छिनार तोहार कुल चालबाजी हम समझ रहे हैं सोच रही की देवर क कुल मलाई यहीं ख़तम हो जाए और रात में टांग फैलाये के सोवा, चोदवावे क न पड़े, "
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" अरे नाही भौजी, चार साल से टरका रही थी जब से कच्ची अमिया आना शुरू हुयी थी, अब ये तो आज आपका आसीर्बाद था, एक मिनट नहीं सोने दूंगा, आपकी ननद को चोद चोद के, गौने की रात है आज उसकी, "

कमल ने पक्का वादा किया। वैसे तो वायदे लोग करते रहते हैं लेकिन मेरी ससुराल में जब कोई मरद अपनी बहिन चोदने का वायदा करता है तो मैं जरूर मान जाती हूँ।

और मैं मान गयी, हलके हलके मैं कमल का मूसल छू रही थी, सहला रही थी, अभी भी थोड़ा थका, थोड़ा सोया सा, फिर मैंने रेनू को काम पे लगाया,

" भैया क दुलारी, चल अपने भैया क मलाई चाट चूट के साफ़ करो, एको बूँद बची रह जाए, कौन भौजाई नहीं चाहेगी की उसकी ननद उसकी अपने भौजाई क बुर से अपने भैया क मलाई भैया के सामने साफ़ करे, "

रेनू चाट चूस भी रही थी, छेड भी रही थी, चिढ़ा भी रही थी,
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" केकरा मूसल यह में अंदर गया था पहले तोहरे मायके में भौजी " ऊँगली कर के कमल की मलाई निकाल के मुझे दिखा के चाटते रेनू ने चिढ़ाया,

" छिनार, तोहार भैया गौना करा के लाये थे, ओहि रात, "

मेरी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की खिलखिलाती रेनू मेरी बुर में कस कस के दो ऊँगली घुमाती बोली,

" अरे हमको, अरे पूरे गाँव को मालूम है नयकी भौजी इतने जोर से चोकरी थीं, जब उनकी फटी थी, अरे हमरे गाँव क मरदन क अलावा केकर ताकत बा जउन हमारी नयकी भौजी क अस सुंदर चिक्क्न बुर क झिल्ली फाड़े, भौजी क महतारी यही लिए तो भेजी थी, सोच समझ के पता कई के। "
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बात रेनू की एकदम सही थी।

इन्होने सिर्फ मेरी नहीं मेरी दोनों छोटी बहनों की झिल्ली फाड़ी और छुटकी की एक सहेली, यहाँ तक की मेरे ममेरे भाई के पिछवाड़े का भी नेवान उन्होंने ही किया। और हम सब बहनों के पिछवाड़े का भी सिवाय छुटकी के, जो उन्होंने मेरे ननोदयी को वादा कर दिया था,

लड़के एक तो अपनी माँ बहिन की गारी सुन के गरमाते हैं दूसरे दो लड़कियों की मस्ती देख के,

रेनू अब कस कस के मेरी बुर चूस रही थी, मेरी जाँघे फैली जा रही थीं, मलाई कब की साफ़ हो गयी थी सीधे मेरी बुर से ननद के पेट में , और ये देख के कमल का खूंटा फनफना रहा था , स्साले का सच में बहुत मोटा था कोई भी लड़की सुपाड़ा देख के ही भड़क जाए, और गांड मारने के तो नाम पर ही ,
अद्भुत और बहुत बढ़िया अपडेट कोमल जी। अपने सामने चुदती हुई ननदो को देख कर कौन भोजाई अपने अरमानो को काबू में रख सकती है। और फिर कमल जैसा मुस्टंडा और उसके ऊपर से उसका लंबा मोटा हथियार देख कर कोई भी औरत खुद ही पैर खोल में उसके नीचे आ जाए मरवाने को…few line from me as token of appreciation;

बँसवाड़ी के झुरमुट में वहां महुआ के पेड़ के नीचे
कमल दबोच के भाभी को चुची को जोर से मीचे

महुआ की शराब सा नशा भाभी के योवन रस में
दौर रहा है बन के लहू कमल की हर एक नस में

सेज बनी है फूलों की और महक आम के बौर से
महक रही है फिजा सारी मदमस्त हवा के शोर से

मसल रहा है महुआ के फूल थाम के सख्त उभार
नीचे से पनियाई चूत में करता अपने लौड़े से वार

रगड़ रगड़ के चोदे भाभीऔर चख्ता भरपुर जवानी
देख के उसका जोश जवानी भाभी भी हुई दीवानी

चूत झड़ चुकी भाभी की लेकिन सुलग रहे अरमान
भाभी की मोटी गांड में फंसी है अब देवर की जान

लेकर मुँह में चूसे लौड़ा बन के अपने देवर की रांड
निहुर गई देवर के आगे अब खोल के अपनी गांड

मुट्ठी ऐसा मोटा सुपाड़ा जब अंड़स गया पिछवाड़े
हचक हचक के फाड़े गांड और धक्के जोर से मारे

भाभी के दोनों छेदो में देवर ने भर दी आज मलाई
भाभी भी खूब याद करेगी देवर से ऐसी हुई ठुकाई

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Sutradhar

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Thanks Komal ji

अद्भुत और बहुत बढ़िया अपडेट कोमल जी। अपने सामने चुदती हुई ननदो को देख कर कौन भोजाई अपने अरमानो को काबू में रख सकती है। और फिर कमल जैसा मुस्टंडा और उसके ऊपर से उसका लंबा मोटा हथियार देख कर कोई भी औरत खुद ही पैर खोल में उसके नीचे आ जाए मरवाने को…few line from me as token of appreciation;

बँसवाड़ी के झुरमुट में वहां महुआ के पेड़ के नीचे
कमल दबोच के भाभी को चुची को जोर से मीचे

महुआ की शराब सा नशा भाभी के योवन रस में
दौर रहा है बन के लहू कमल की हर एक नस में

सेज बनी है फूलों की और महक आम के बौर से
महक रही है फिजा सारी मदमस्त हवा के शोर से

मसल रहा है महुआ के फूल थाम के सख्त उभार
नीचे से पनियाई चूत में करता अपने लौड़े से वार

रगड़ रगड़ के चोदे भाभीऔर चख्ता भरपुर जवानी
देख के उसका जोश जवानी भाभी भी हुई दीवानी

चूत झड़ चुकी भाभी की लेकिन सुलग रहे अरमान
भाभी की मोटी गांड में फंसी है अब देवर की जान

लेकर मुँह में चूसे लौड़ा बन के अपने देवर की रांड
निहुर गई देवर के आगे अब खोल के अपनी गांड

मुट्ठी ऐसा मोटा सुपाड़ा जब अंड़स गया पिछवाड़े
हचक हचक के फाड़े गांड और धक्के जोर से मारे

भाभी के दोनों छेदो में देवर ने भर दी आज मलाई
भाभी भी खूब याद करेगी देवर से ऐसी हुई ठुकाई

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वाह आरुषि मैम


आपके कवित्व का तो जवाब नहीं।


घटना को कविता में जीवंत कर देना, ये सिर्फ आप ही कर सकती हैं।


आपकी कविता "iceing on the cake" से भी आगे निकल जाती हैं।

हार्दिक आभार


सादर
 

exforum

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जिसे तैरना आता हो उसे स्विमिंग सिखाने में क्या मजा आएगा। जिसे तैरना न आता हो उसे स्विमिंग सिखाने में मजा भी आता है उद्देश्य भी होता है और लास्ट में गुरु की भी फीलिंग आती है। जो ननद भौजी की ही समौरी होती है साल छ महीने में उसका भी गवना चला जाता है। ऐसी ननद भौजाई में खूब बनती है। और दोनों मिलके बाकी कुंवारी ननदों की लाज शर्म दूर करवाके बुर और लंड का संगम करवाती हैं। जितनी ज्यादा शर्मीली सकुचाने वाली ननद होती है उसे चुदवाने में उतना ही ज्यादा मजा आता है। कई बार इस काम के लिए अरहर के खेत काम आते हैं। जेठ असाढ़ हो तो ढैंचा का खेत, शरद ऋतु में सरसों की फसल काम आ जाती है। भौजाई ननद के लिए किस हद तक जा सकती है अनुमान लगाना कठिन है। कभी ट्रैक्टर के ड्राइवर का कल्याण कर देती हैं। कभी ट्यूशन टीचर को उकसा देती हैं । कभी दर्जी से जोबन की नपाई करवा देती हैं तो कभी ब्यूटी पार्लर में। कोई बहुत लज्जावान डॉक्टर गांव के अस्पताल में आ जाए तो उसे भी गांव के हुस्न का दीदार करवा देती हैं बदले में आशा बहु इनके देवरों के लिए नई नर्सों की गांड़ बुर दिलवा देती है और समय समय पर सुई दवाई भी बताती रहती है। भौजी के मुख्य हथियार देवर तो इनके इशारे पर ही काम करते हैं।
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २२२

गुड्डी बाई
updates posted, please do read, enjoy, like and comment.
 

komaalrani

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Finally kamal ko komal bhabhi ke komal komal sharir ko bhogne ka sukh milega.
Ekdam, Thanks for your regular and supportive comments on all the stories
 

komaalrani

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komaalrani

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Not

Not fair komal ji, aadhe ghnte ki chudai 2 line me khatam kardi. Esa to hai nhi ki aadhe ghante kamal or komal ne ek dusre se kuchh bola nahi hoga. Yahan apko direct speech ka jyada se jyada use krna chahiye. Khaskar jab kahani ka main character ho to or achhe se thoda extra likh skte hai. Jese real life me bhi koi chup chap nhi krte. Vese hi yahan pr kare
kaafi kuch agali post men hai jise aapne pasand bhi kiya, thanks
 

komaalrani

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Bahut mast ragd

Bahut mast ragdai hui hai
Samuhik ka Mjaa to kyi baar aa chuka tha Dube Bhabhi ke saath,

Chameliya aur Gulabiya ke saath,

Heena ke saath

isliye ye post thodi alag thi jisme maahaul par jyada jor tha
 

komaalrani

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Mast likh rahi ho komalji.
Thanks so much, none of my stories are complete without your supportive comments, mujhe aur meri kahaniyon ko aapke comments ka intezaar rahata hai.
 

Shetan

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भाग ८३

महुआ चुये,
१६,५४,८००


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मैंने आगे का काम सुगना के हवाले कर दिया,... अरे तोहरी पट्टी क है तोहार पड़ोसी, देवर, तो लड़का से मर्द बनाने का काम अब सुगना भौजी तोहरे जिम्मे,

एकदम अब किसी दिन नहीं छोडूंगी इसको रोज,... और नयको तू जा रेनुवा चोकर रही है।



मैं सुगना को बंटी के पास छोड़ कर रेनू के पास जहाँ बाकी भौजाई ननद और देवर थे, वहां आ गयी

लेकिन रेनू वहां नहीं थी,...

किसी ने बोला की आपको ढूंढते बँसवाड़ी की ओर गयी है,...


उधर तो बाग़ और गझिन थी, आम के साथ महुआ, पाकड़, और दो चार खूब पुरानी बँसवाड़ी, जल्दी उधर कोई नहीं आता था.

कहीं दिखी नहीं, हाँ उसकी कभी खिलखिलाहट कभी मुझे पुकारने की आवाज हलकी हलकी सुनाई दे रही थी। मैं बँसवाड़ी के झुरमुट के पास तक पहुंच गयी थी, पीछे बहुत घने पुराने दो पाकड़ के चार महुए के बहुत पुराने पेड़, महुए के फूलों की मादक महक आ रही थी, एकदम नशा सा हो रहा था,
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तभी पीछे से मुझे किसी ने दबोच लिया,

बड़ी तगड़ी पकड़ थी, महक हलकी सी जानी पहचानी, जबरदस्त हाथ उसके सीधे उभारों पर,... जिस तरह से वो निप्स को छु रहा था,..

घने पेड़ों के झुरमुट के बीच,... वैसे ही अँधेरा हो रहा था,... और अब शाम की दस्तक भी शुरू हो गयी थी,... पकड़ इतनी तगड़ी की मैं मुड़ भी नहीं सकती थी,... तभी सामने से रेनू दिखी हंसती खिलखिलाती,... जैसे किसी बच्चे को खोया खिलौना अचानक मिल गया हो, उसकी हंसी मुझे चिढ़ा रही थी, छेड़ रही थी, उकसा रही थीं, असली ननद।


और मैं समझ गयी मुझे दबोचने वाला कौन है, उसका भाई भी भतार भी, ... और फिर उससे तो बिना गारी के बात करना उसकी और रिश्ते दोनों की बेइज्जती होती।

" हे अपनी महतारी के खसम, बहनचोद, तेरी बहिनिया की गाँड़ अपने देवर से मरवाऊँ,... वहां सरम लग रही थी की सबके सामने लेने में गांड फट रही थी. "
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" अरे नहीं भौजी, वहां हिस्सा बंटाने वाले बहुत आ जाते हैं, और यहाँ केहू को अंदाज भी नहीं लगेगा,..."

और जैसे कोई फूलों की डोलची उठाये उसने मुझे बाहों में उठा लिया और सीधे महुए के पेड़ के नीचे, जहाँ ढेर सारा महुआ चूआ था,...

रेनुवा, पहले से वहीँ खड़ी खिलखिला रही थी,... वहीँ उसने लिटा दिया,... रेनू जैसे कोई बहुत खेली खायी हो अपनी गोद में मेरा सर रख लिया, साड़ी दोनों उभारों पर से सरका दी,...

और नीचे गिरे ढेर सारे ताजे महुए को मेरे जोबन पर मसल दिया।


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सच में वहां कोई आवाज भी नहीं आ रही थी, लग रहा था हम तीनों किसी और दुनिया में हों,...

" हमार भौजी महुआ क सराब हैं एकदम, ... " रेनू बोली और झुक के उसने मुझे चूम लिया, ...


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मैंने भी दोनों बाहों से उसे पकड़ के झुका लिया, जैसे कोई फूलों से लदी शाख हो,... और कस के चूम लिया,...

मेरी कल परसाद में मिली साड़ी छल्ले की तरह बस मेरी पतली कमर में लिपटी और दोनों लम्बी गोरी टाँगे,...
जहाँ होनी चाहिए, देवर के कंधे पर,...



कमल ने सीख लिया था जल्दी बाजी में कोई मजा नहीं, ...

और मेरे जोबन पर जो महुआ उसकी बहन ने मसला रगड़ा था, कभी झुक के उसे होंठों से चुनता तो कभी महुआ के बीच आँख मिचौली कर रहे मेरे निप्स को,...


मेरे होठ तो उसकी बहन के होंठों के साथ छल कबड्डी खेल रहे थे.

उस टीनेजर के होंठ आज पहली बार चूमे गए थे चूसे गए थे और अब सारी दुनिया का रस छलक रहा था उनमे,...

लेकिन रेनू उसकी आंखे तो अब अपने भाई से हट नहीं रही थीं, एक पल के लिए मेरे होंठों को आजाद कर के उसने अपने भाई के होंठों को चूम लिया,... और अपने भाई के होंठो का रस अपने होंठों से मेरे होंठों पर,,... लेकिन फिर रेनू के होठ मेरे होंठों से हटे तो कमल के होठ मेरे होंठों से चिपक गए, और रेनू के होंठ मेरे निप्स को चूस रहे थे,

बड़ी ताकत थी कमल के हाथों में,... मेरे उभारों पर झरते हुए महुआ के फूलों को उसने इस तरह मसला की जैसे वो शराब बन के मेरे शराब के दोनों प्यालों में,

और पीने वाला मेरा देवर तो था ही, कमल,... आज उसकी मैंने बरसों की साध पूरी की थी लेकिन उसने भी तो मेरी बात मानी, जो मैंने उसकी माँ से वादा किया था वो पूरा हुआ,...
Wah ri renu. Kuchu khas makshad se aai he. Soch rahi he apne bhai kam bhatar ke sahare konaliya ko daboch legi. Par pichhli nandiya aur dewaro ka hal dekha nahi. Pela to bhoujiyo ne hi. Par amezing triveni sangam banaya komalji.

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