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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Satyaultime123

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आप की बात एकदम सही है १०० फीसदी, बेटे के हक़ की

लेकिन असल में मज़बूरी थी। नन्दोई को रोकना था ननद के पास पहुँचने से, होलिका माई का आसीर्बाद था की पांच दिन के अंदर ननद गाभिन हो जाएंगी, तो बहन को भाई से गाभिन करवाने का लालच, और बहन की कोख से सगे भाई की बिटिया, पहलौठी की पैदा हो और ननद उसे देखा के अपने भैया को ललचाये की बस थोड़ी सी बड़ी होने दे इसे,

अगर कहीं ननदोई जी ननद के पास पहुँच जाते उन पांचदिनों में तो बहन की कोख में भाई का बीज डालने का प्लान गड़बड़ा जाता और माँ तो यही रहेगी आज नहीं तो कल,

इसलिए ननदोई को ननद के पास पहुँचने से रोकने के लिए सास बहु ने मिल के ये जाल बुना

माँ का भी नंबर आएगा, देर है अंधेर नहीं
अब मां के नंबर में और देरी मत कीजिए। 🙏
 
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Aarti sharma

Independent girl apni zindagi apne hisab se jine w
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आप की बात एकदम सही है १०० फीसदी, बेटे के हक़ की

लेकिन असल में मज़बूरी थी। नन्दोई को रोकना था ननद के पास पहुँचने से, होलिका माई का आसीर्बाद था की पांच दिन के अंदर ननद गाभिन हो जाएंगी, तो बहन को भाई से गाभिन करवाने का लालच, और बहन की कोख से सगे भाई की बिटिया, पहलौठी की पैदा हो और ननद उसे देखा के अपने भैया को ललचाये की बस थोड़ी सी बड़ी होने दे इसे,

अगर कहीं ननदोई जी ननद के पास पहुँच जाते उन पांचदिनों में तो बहन की कोख में भाई का बीज डालने का प्लान गड़बड़ा जाता और माँ तो यही रहेगी आज नहीं तो कल,

इसलिए ननदोई को ननद के पास पहुँचने से रोकने के लिए सास बहु ने मिल के ये जाल बुना

माँ का भी नंबर आएगा, देर है अंधेर नहीy
Ye tu hai didi
Intzaar ka fal mitha hota hai didi
Aunty g ka fal tu pura paka hoa hai
Jiju ke tu maje hai
 
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komaalrani

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अब मां के नंबर में और देरी मत कीजिए। 🙏
साथ बनाये रखिये देखिये कहानी किधर मुड़ती है
 
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Milind

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आदरणीय कोमल जी.. हमेशा से आप का मूक पाठक रहा हूं 🙏🏽..
कृपयां आप के इस भूतोना भविष्य लेखनी कि इंडेक्स बनाइये... क्या उपन्यास बना हैं..
वर्णीत नही होता 🙏🏽
ढेर सारी शुभ कामना 🙏🏽
 
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komaalrani

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आदरणीय कोमल जी.. हमेशा से आप का मूक पाठक रहा हूं 🙏🏽..
कृपयां आप के इस भूतोना भविष्य लेखनी कि इंडेक्स बनाइये... क्या उपन्यास बना हैं..
वर्णीत नही होता 🙏🏽
ढेर सारी शुभ कामना 🙏🏽
बहुत बहुत आभार

पहले पेज पर पहली पोस्ट में ही इंडेक्स है एक बार फिर से देखिये, आप ऐसे पाठक मित्रों क़े साथ और समर्थन से ही यह कहानी आगे बढ़ रही है अगली पोस्ट भी जल्द ही।
 
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komaalrani

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आदरणीय कोमल जी.. हमेशा से आप का मूक पाठक रहा हूं 🙏🏽..
कृपयां आप के इस भूतोना भविष्य लेखनी कि इंडेक्स बनाइये... क्या उपन्यास बना हैं..
वर्णीत नही होता 🙏🏽
ढेर सारी शुभ कामना 🙏🏽

आपकी सुविधा क़े लिए में इंडेक्स अब तक का यहाँ भी दे दे रही हूँ , कहानी अगर शुरू से न पढ़ी हो तो जरूर पढियेगा और हर पोस्ट पर लाइक और कमेंट भी


पूर्वाभास - पृष्ठ १ और २

भाग १ -पृष्ठ ५ छुटकी - होली, दीदी की ससुराल में

भाग २
पृष्ठ ८ छुटकी -बंधे हाथ, ट्रेन में

भाग ३ पृष्ठ १३ चाय चाय

भाग ४,
पृष्ठ १९ छुटकी का पिछवाड़ा और नन्दोई जी का इरादा

भाग ५ - पृष्ठ २२ गोलकुंडा पर चढ़ाई- चलती ट्रेन में

भाग ६ --पृष्ठ २९ -३० रात भर ट्रेन में, सटासट,...

भाग ७ पृष्ठ ३५ रेल में धक्क्म पेल

भाग ८ पृष्ठ ४० छुटकी पहुंच गयी जीजा के गाँव


भाग ९ -पृष्ठ ४६ मेरी सास

भाग १० --पृष्ठ ५० ननद, नन्दोई और छुटकी का पिछवाड़ा


भाग ११ - पृष्ठ ५३ सासू , ननदिया ( नैना ) का महाजाल

भाग १२ - पृष्ठ ५८ दो बहेलिये ( सासू और नैना ननदिया)

भाग १३ -पृष्ठ ६२ पूरा गाँव,... जीजा

भाग १४ पृष्ठ ६६ देवर मेरे

भाग १५ पृष्ठ ७२ चंदू देवर

भाग १६ -पृष्ठ ७७ फागुन का पहला दिन- देवर भौजाई

भाग १७ -पृष्ठ ८१ छुटकी - प्यार दुलार और,...

भाग १८ - पृष्ठ ८७ चुन्नू की पढ़ाई

भाग १९ - पृष्ठ ९१ ननदों भौजाइयों की रंगभरी कबड्डी

भाग २० -पृष्ठ ९३ छुटकी की हालचाल

भाग २१ - पृष्ठ ९९ छुटकी पर चढ़ाई -

भाग २२ पृष्ठ १०३ रात बाकी

भाग २३ पृष्ठ १०९ नई सुबह

भाग २४ पृष्ठ ११३ देवर भाभी की होली

भाग २५
पृष्ठ १२१ छोटा देवर - कैसे उतरी नथ चुन्नू की


भाग २६
पृष्ठ १२७ पिलानिंग - कच्ची ननदों की लेने की

भाग २७ पृष्ठ १३२ और छुटकी की होली



भाग २८ पृष्ठ १३६ - किस्सा इन्सेस्ट यानी भैया के बहिनिया पर चढ़ने का-
उर्फ़ गीता और उसके भैया अरविन्द का


भाग २९ पृष्ठ - १४५ इन्सेस्ट का किस्सा -तड़पाओगे, तड़पा लो,... हम तड़प तड़प के भी

भाग ३० पृष्ठ १५२ किस्सा इन्सेस्ट का, भैया और बहिनी का -( अरविन्द -गीता ) दूध -मलाई
भाग ३१ पृष्ठ १६५ किस्सा इन्सेस्ट का,-रात बाकी बात बाकी


भाग ३२ पृष्ठ १७८ इन्सेस्ट गाथा अरविन्द और गीता,-
सुबह सबेरे

भाग ३३ पृष्ठ २०० अरविन्द और गीता की इन्सेस्ट गाथा सांझ भई घर आये
भाग ३४ पष्ठ २१४ इन्सेस्ट कथा - चाची ने चांदनी रात में,...
भाग ३५ पृष्ठ २२५ फुलवा

भाग ३६ - पृष्ठ २३६ इन्सेस्ट किस्सा- मस्ती भैया बहिनी उर्फ़ गीता -अरविन्द की

भाग ३७ - पृष्ठ २५० इन्सेस्ट कथा - और माँ आ गयीं
भाग ३८ पृष्ठ २६० मेरे पास माँ है
भाग ३९ - पृष्ठ २७१ माँ, बेटा, बेटी और बरसात की रात
भाग ४० पृष्ठ २८६ इन्सेस्ट गाथा - गोलकुंडा पर चढ़ाई -भाई की माँ के सामने
भाग ४१ पृष्ठ ३०३ इन्सेस्ट कथा - मामला वल्दियत का उर्फ़ किस्से माँ के
भाग ४२ पृष्ठ ३१७ इन्सेस्ट कथा माँ के किस्से,
भाग ४३ पृष्ठ ३२९ इन्सेस्ट कथा- माँ के किस्से, मायके के
भाग ४४ पृष्ठ ३४१ रिश्तों में हसीन बदलाव उर्फ़ मेरे पास माँ है

भाग ४५ पृष्ठ ३४८ गीता चली स्कूल

भाग ४६ पृष्ठ ३६३ तीन सहेलियां खड़ी खड़ी, किस्से सुनाएँ घड़ी घड़ी

भाग ४७ पृष्ठ ३७५ रोपनी

भाग ४८ - पृष्ठ 394 रोपनी -फुलवा की ननद

भाग ४९ पृष्ठ ४२० मस्ती -माँ, अरविन्द और गीता की

भाग ५० पृष्ठ ४३५ माँ का नाइट स्कूल

भाग ५१ पृष्ठ ४५६ भैया के संग अमराई में

भाग ५२ पृष्ठ ४७९ गन्ने के खेत में भैया के संग


भाग ५३ - पृष्ठ ४९ ४ फुलवा की ननद

भाग ५४ पृष्ठ ५०६ स्वाद पिछवाड़े का

भाग ५५ पृष्ठ ५२१ माँ
भाग ५६ - पृष्ठ ५३६ - गीता और खेत खलिहान

भाग ५७- पृष्ठ ५४६ कुश्ती ननद भौजाई की -

भाग ५८ पृष्ठ ५५७ मंजू भाभी, मिश्राइन भाभी और स्ट्रेटजी

भाग ५९ पृष्ठ ५६७ कबड्डी ननद और भौजाई की
भाग ६० पृष्ठ ५७३ कबड्डी राउंड २
भाग ६१ पृष्ठ ५८१ कबड्डी राउंड ३

भाग ६२ पृष्ठ ६०५ कबड्डी फाइनल राउंड

भाग ६३ पृष्ठ ६१६ जीत गयी भौजाइयां

भाग ६४ पृष्ठ ६२४ ननदों की हार भाभियों की मस्ती

भाग ६५ पृष्ठ ६३२ भाभियाँ की जीत का जश्न

भाग ६६ पृष्ठ ६३९ ननदों संग मस्ती -मज़ा कच्ची कली रूपा का


भाग ६७ पृष्ठ ६४३ होलिका माई
भाग ६८ - पृष्ठ ६६२ हो गयी शाम घर की ओर

भाग ६९ पृष्ठ ६७३ पिलानिंग कल की , ननदों की

भाग ७० पृष्ठ ६८४ रेनू और कमल
भाग ७१ पृष्ठ ६९३ किस्सा रेनू और कमल का
भाग ७२ पृष्ठ ७०३ मेरा भाई मेरी जान--किस्से भैया बहिनिया के
भाग ७३ - पृष्ठ ७२१ किस्से भैया बहिनिया के
भाग ७४ पृष्ठ ७३२ मस्ती रेनू और कमल की,
भाग ७५ पृष्ठ ७४४ पठान टोले वाली
भाग ७६ - पृष्ठ ७४९ बुर्के वाली पठान टोले की

भाग ७७ पृष्ठ ७६५ इंटरवल के बाद ननदों की मस्ती
भाग ७८ पृष्ठ ७७९ चंदा का पिछवाड़ा और कमल का खूंटा
भाग ७९ - पृष्ठ ७९५ हिना और दूबे भाभी

भाग ८० पृष्ठ ८०७ चमेलिया -गुलबिया

भाग ८१ पृष्ठ ८१८ बारी भौजाइयों की

भाग ८२ पृष्ठ ८३० सुगना भौजी
भाग ८३ पृष्ठ ८४५ महुआ चुये
भाग ८४ पृष्ठ ८५८ ननद के भैया बने उनके सैंया-

भाग ८५ पृष्ठ ८७० इन्सेस्ट कथा -ननद के भैया बन गए सैंया -

भाग ८६ ----पृष्ठ ८८३ इन्सेस्ट कथा - सैंया बने नन्दोई

भाग ८७ - पृष्ठ ८९७ इन्सेस्ट कथा -इंटरवल और थोड़ा सा फ्लैश बैक

भाग ८८ पृष्ठ ९०९ - इन्सेस्ट कथा - मेरा मरद -मेरी ननद
भाग ८९ - पृष्ठ ९१९ - इन्सेस्ट कथा - इनकी माँ - मेरी सास
भाग ९०- पृष्ठ ९३३ - वह रात
भाग ९१ पृष्ठ ९४३ नया दिन नयी सुबह -सास बहू
भाग ९२ पृष्ठ ९५० ननद और आश्रम -
भाग ९३ पृष्ठ ९६३ नन्दोई सलहज और सास
भाग ९४--- पृष्ठ ९७१ मस्ती सास और सलहज के साथ -
 
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Shetan

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भाग ९०

वह रात
१९,२४, २५९

--



--
अबकी जो सास बोलीं तो मैं चिढ़ाते बोली " अरे अभी हमरे सास क पूत आ रहा है, नम्बरी बहनचोद, मादरचोद, झड़वा लीजियेगा न उससे जो मजा बेटे के साथ है वो बहू के साथ थोड़ी है , ... "

तबतक बाइक की आवाज सुनाई पड़ी, हल्की सी दूर से आती हुयी,



मेरी सास खिलखिलायीं, " आ गया तेरा खसम, अभी ठोकेगा मेरी समधन की बिटिया को "

"एकदम आपकी समधन ने दामाद किसलिए बनाया था उनको, इसीलिए तो लेकिन आज मेरी सास का पूत पहले मेरी सास को,... "

हँसते हुए सास की बिल में एक साथ दो ऊँगली ठेलते हुए मैंने उन्हें चिढ़ाया।



लेकिन बाइक की जैसी ही रुकने की आवाज आयी, मेरा मन कुछ आशंका से भर गया,... ये उनकी बाइक की आवाज तो नहीं थी, फिर मैंने मन को समझाया। क्या पता उनकी बाइक खराब हो गयी हो इसलिए किसी दोस्त की बाइक से या, कोई दोस्त छोड़ने आया हो,

जल्दी से मैंने और सासू जी ने अपनी साड़ी ठीक की,

सांकल की आवाज, साथ में जोर से दरवाजे को खड़काने की आवाज आयी, मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया,नौ साढ़े नौ हो गया था, पूरे गाँव में सोता पड़ा था, और सामने मेरे,

===

चिंटू इनका खास दोस्त, बगल के गांव का, एकदम बदहवास, बाल बिखरे, शर्ट की बटन भी जल्दी में उल्टी सीधी बंद,

मैं किसी अनहोनी की आशंका से घबड़ा उठी, मेरी सास के तो बोल नहीं फूट रहे थे,


" का हुआ चिंटू भैया, तोहार भैया,.... " बड़ी मुश्किल से मैं बोल पायी।

चिंटू मुझे पल भर देखता रहा, फिर बड़ी हिम्मत बटोर के रुक रुक के बोल पाया,

" भौजी,.... भैया,... अस्पताल,... पुलिस,"



मुझे तो जैसे काठ मार गया, कुछ सूझा नहीं थोड़ी देर को, लेकिन फिर हिम्मत कर के मैं बोली,

" चिंटू भैया अंदर आइये, बैठ के बात करिये, "

मेरी सास पर तो जैसे बज्र गिर गया था, मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे, बस पथराई आँखों से मुझे देख रही थीं। अब सब मुझे ही सम्हालना, अपने को भी सास को भी.


चिंटू बैठ गया था, मैं उसके लिए पानी ले आयी, और पानी पी के थोड़ी उसकी हालत ठीक हुयी। उसने बोलना शुरू किया,

" भैया,... "

" का हुआ भैया को " अब मेरी सास से रहा नहीं गया, वो बोल पड़ीं। मैंने इशारे से उन्हें चुप रहने को बोला और चिंटू के हाथ में दुबारा पानी की ग्लास पकड़ा दी।

पानी फिर पिया उसने, सांस ली और बोला,

" भैया कहलवाए हैं, ... "



और अब मेरी और मेरी सास की साँस फिर चलना शुरू हुयी। मुझे मालूम था की किसी को खाली पानी नहीं देते, झट से मैं एक प्लेट गुझिया ले आयी,



" भैया, गुझिया खा लो, अपने हाथ से बनायी हूँ, इतना दूर से आ रहे हो, पहले खा लो, फिर पानी पी के आराम से बताओ। " मैं बोली,

सास मेरी बगल रखी बसखटिया पर बैठ गयीं, मैं खड़ी ही रही और चिंटू ने बोलना शुरू किया,

कुल मिला जुला के बात यह थी की परेशानी इनकी नहीं नन्दोई जी की थी, बल्कि नन्दोई जी के एक दोस्त की, एकदम घर ऐसा दोस्त, सगे भाई से बढ़कर,
अरे सासु माँ. तुम्हारी समधन की बिटिया को तो लाया ही पेलने के लिए है. और वो आई भी पेलवाने के लिए ही है. आप बताओ घोटोगी अपनी समधन के दामाद का.

ये चिंटू भईया भी ना. पहले ही शब्द भाभी भैया पुलिस हस्पताल.. उनका बोलना और सासु माँ की गांड फट गई.

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ये तो समज़ादरी सासु माँ के समधन की बेटी का. समज़दारी से काम के लिआ. बहुरिया को भी तब ही चेन आया.

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मौके पे तो सासु माँ की साड़ी निचे तो कर ली. दो उंगकी डाली जो थी. मगर अब चिंटू भैया आए हैं. देवर भी है. और उनके भी तो बिटवा हुए ना. हो जाए एक बार.
 

Shetan

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हादसा



शहर में नन्दोई जी को कुछ काम था तो सुबह ही वो और इनके दोस्त गए थे, शाम को दोनों लोग लौट रहे थे, अलग अलग बाइक पे, रास्ते में उनके दोस्त का ऐक्सिडेंट हो गया, इनके दोस्त की बाइक किसी को बचाने के चक्कर में किसी पेड़ से टकराई और दोस्त को काफी चोट आयी है। होश में नहीं है. उसे लेकर नन्दोई जी पास में ही एक ट्रामा सेंटर में,.. जो सड़क के बगल में ही था पहुंचे।

एडमिट तो उसने कर लिया, लेकिन एक्स रे और बाकी कुछ नहीं हो पा रहा है. लाइट नहीं है, जेनरेटर उसके पास है नहीं, और खाली एक कम्पाउंडर है , बोल रहा है डाक्टर सुबह आएंगे।

और एक चक्कर पुलिस का हो गया है,....एक कोई पुलिस वाला था वो नन्दोई जी के पीछे,

अब वो अपनी बाइक पे किसी तरह लाद के ले आये थे तो उनके भी सारे कपड़ो पे खून लगा था,

बस पुलिस वाला उनके पीछे की ये तो पुलिस केस है पहले थाने चलो, बयान होगा। उन्होंने सौ पचास दे के निबटना चाहा लेकिन पुलिस वाला लम्बा हाथ मारना चाहता था, उसने उस कम्पाउंडर को बोल के उनका भी खून निकलवाया लिया जांच के लिए , कि दारु पी के गाड़ी चला रहे थे . और थोड़ी बहुत तो उन्होंने पी रखी ही थी.

वो चाहते थे की अपने दोस्त को किसी ढंग के नर्सिंग होम में ले जाए लेकिन ट्रामा सेंटर वाला छोड़ने को नहीं तैयार, और फिर पुलिस केस एक बार हो गया तो और मुश्किल। वैसे भी बिना जान पहचान के रात में कौन नर्सिंग होम वाला सुनता है।



तो नन्दोई जी का फोन आया इनके पास, बस,

चिंटू कुछ रुक के बोला,

" भैया से ज्यादा किसकी ताकत होगी, पुलिस दरोगा, थाना तहसील, शहर में भी उनका तो नाम ले के कितने बार काम हो जाता है, तो इसलिए, ... "



कोई इनकी तारीफ़ करता है तो मेरा सीना ख़ुशी से फूल जाता है, इतना अच्छा लगता है की बस, मैंने प्लेट में से एक बड़ी सी फूली हुयी गुझिया निकाल के चिंटू को पकड़ाई,

" अरे भैया एक गुझिया और लो, अरे भौजी के हाथ से, अरे हमरे हाथ से नहीं खाये थे न "



माता जी की, मेरी सासू की चिंता दूर हो गयी थी वो भी अब अपने रंग में आ गयीं, चिंटू को चिढ़ाया, "अरे कैसे देवर हो, भौजी दे रही है और, ... "

चिंटू ने मुस्कराकर गुझिया गप कर ली, फिर आगे की बात बताई,, वो जो सुविधा नर्सिंग होम है न ,



" हाँ हाँ नाम तो हम भी सुने है बहुत बड़ा है जिला अस्पताल तो बच्चा लगता है, उसके आगे, पूरे शहर में नाम है लेकिन महंगा भी " मैंने जोड़ा,

" हां उहे लल्लू सिंह क है, लेकिन जो जो भर्ती हुआ तो दो चार बिगहा खेत तो गिरवी रखाया समझ लीजिये, लेकिन चलाते तो उनके बेटे अक्षय परताप हैं , वो भैया के जिगरी, भैया बरसते पानी में रात को कह दें तो रात भर खड़े रहें, लल्लू सिंह तो खाली, आपन राजनीति,... अबकी जिला पंचायत लड़ेंगे, "

गुझिया खाते हुए चिंटू बोला, फिर जोड़ा,


" भैया अक्षय बाबू के फोन घुमाये, स्पीकरवा ऑन था, बाबू साहेब पे तो अइसन असर हुआ, बोले, भैया आपके बहनोई हमारे बहनोई। मेहमान जी की बात है, हम अभी शहर से बाहर है नहीं तो खुदे आते, मैनेजरवा क भेजते हैं सब इंतजाम कर देगा, आप को तो जानता है अच्छी तरह से, बस फोन रखिये,

और ओकरे बाद भैया कउनो सी ओ है उनको फोन लगाए, वो तो अइसा गरियाये दरोगवा को, बोले कुल ट्रामा सेंटर से महीना बंधा है तब भी स्साले चवन्नी अठन्नी के लिए , पता करता हूँ कौन है अभी छह महीने लाइन हाजिर होगा, साहेब लोगन क मेहरारू क पेटीकोट धोय धोय के,… कुल हफ्ता वसूली भूल जाएगा, "



मैं ख़ुशी से चिंटू का मुंह देख रही थी, हलके से बोली , 'फिर,'




और एक गुझिया पकड़ा दी,



गुझिया खाते खाते चिंटू बोला,

" हम तो भैया से बोले की, भैया कुल काम तो हो गया अब आपके जाने की कौन जरूरत, तो वो बोले की नहीं जीजा बहुत परेशान है हमार जाब जरुरी है, हम समुआ के साथ जा रहे हैं तू घर जाय के अपनी भौजी और माई को बता देना नहीं तो रात भर दोनों जनी थारी लिहे अगोरीहें, न खइहें न सोइहें, यह लिए, और हम से बोले हैं की तू दो चार लौंडन के साथ एकदम भिन्सारे आ जाना, का पता खून वून देवे के पड़े, जीजा उंहा कहाँ इंतजाम करीहें और ओनके निकरे के पहले मैनेजर क फोन आ गया था की भैया,… एम्बुलेंस निकल गयी है। "



" वो जो मार बोल रहा था ट्रामा वाला की जाय न देब, एकबार हमरे यहाँ भर्ती हो गए हैं तो,… "

सासू माँ ने पूछा,





और चिंटू ने हँसते हुए गुझिया ख़त्म करते हुए, कहा, अरे लल्लू सिंह क एमबुलेंस आय रही है सुन क ससुरे क मूत सरक गया, हिम्मत पड़ती उसकी, "



लेकिन मेरे दिमाग में अब दूसरी परेशानी घूम रही थी, चिंटू से मैंने साफ़ साफ़ पूछ लिया, " भैया, तोहार भैया खाना वाना, ... "

वो हँसते हुए बोला,

" भौजी, वो हमार बात सुनते ? लेकिन माई आके खड़ी होगयी सामने, थाली लेके, खाना खाई के ही निकरे हैं उनके जाने के बाद हम चले हैं। हाँ और बोले हैं की अपनी भौजी से बोल देना परेशान एकदम मत होंगी, हस्पताल में फोनवा लगता नहीं है, वो दोपहर तक पक्का आ जाएंगे "



मैंने चैन की साँस ली।
उनकी तारीफ सुनकर तोहरा सीना फूल जाता है. तो देवर को भी तो अपनी भौजी का फुला सीना देखने को मिल जाता है.

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वैसे बात टेंशन की नहीं है. बस उनके आने मे देरी होंगी. चिंटू को गुजिया पे गुजिया खिलाए जा रही हो. कुछ और भी खिलाओ. देवर है री.
 
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