Ab to guddi samajh main accept kar li hai ki pehli bhaiya.....phir koi or.... चुनिया -बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
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तेरी अम्मा के नखड़े मैं सारे उठाउंगी, तेरी माई के नखड़े मैं सारे उठाउंगी ,
और मुड़ के सुरजू की माई की ओर सर झुका के दोनों हाथ जोड़ के फिर से एक चक्कर मार के ठुमका लगा के गाया
तेरी अम्मा के नखड़े मैं सारे उठाउंगी, तेरी माई के नखड़े मैं सारे उठाउंगी ,
सुरजू की माई खूब खुश, उन्होंने हाथ उठा के आशीर्वाद दिया और चुनिया ने बुच्ची को देख के पास में जा के गाना आगे बढ़ाया
बुच्ची की ओर मुड़ के बोली लेकिन, और बुच्ची ने भौहे मटकायी जैसे पूछ रही हो क्या?
और चुनिया ने क्या कमर मटकायी, क्या चक्कर मारा और फिर माला जैसे एकदम बन्ना बने बुच्ची के पास ले जा के गाया
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
तेरी अम्मा के नखड़े मैं सारे उठाउंगी, तेरी माई के नखड़े मैं सारे उठाउंगी ,
लेकिन तेरी बहना पे अपने भाई को चढ़ाउंगी, तेरी बुच्ची पे अपने गप्पू को चढ़ाउंगी
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
और अब वो जोर से हो हो हुयी, लड़कियों ने मुंह में ऊँगली डाल के सीटी मारी, ढोलक खूबी तेज से टनकने लगी, बुच्ची जैसे सोच में पड़ गयी, ये शर्त माने न माने
लेकिन चुनिया ने फिर गाया
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
तेरी अम्मा के नखड़े मैं सारे उठाउंगी, तेरी माई के नखड़े मैं सारे उठाउंगी ,
लेकिन तेरी बहना पे अपने भाई को चढ़ाउंगी, तेरी बुच्ची पे अपने गप्पू को चढ़ाउंगी
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
और बन्ना बनी बुच्ची को पकड़ने की कोशिश की लेकिन बुच्ची मुस्कराते हुए, उसकी बाहों से फिसलकर निकल गयी, और दूर खड़ी होक उसे जीभ चिढ़ाते हुए अंगूठा दिखाने लगी,
कोई भौजाई बोली, " अरे बन्ने मान जा, तेरा भी फायदा तेरी बहना का भी फायदा, लम्बा मोटा औजार मिलेगा, गपागप घोंटेंगी
दूसरी बोली, दूल्हे की बहन पर तो दुल्हिन के मायके वालों का पहला हक होता है
और चुनिया ने फिर अपनी बात साफ़ की
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
सेजों पे तुझे मजा कराउंगी, तुझे मैं मस्ती खूब कराउंगी
लेकिन तेरी बहना का जोबन अपने भाई से मिजवाउंगी
तेरी बुच्ची का जोबन गप्पू से मलवाउंगी
और अब मामला एकदम खुल के था, टॉप तो दोनों के ऊपर उठ गए थे, लेकिन रामपुर वाली भाभी ने गाने का लेवल एकदम से बढ़ा दिया और अब सब औरतें, लड़कियां मजे ले लेकर गा रही थीं,
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी, बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
सेजों पे तुझे मजा कराउंगी, तुझे मैं मस्ती खूब कराउंगी
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी,सेजों पे तुझे मजा कराउंगी,
लेकिन पहले तेरी बहना को, तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
और बुच्ची जो खूब मजे ले रही थी, खुद निहुर के घोड़ी बन गयी, और चुनिया, उसके पीछे, और एक झटके में बुच्ची की शलवार का नाड़ा भी खुला और शलवार सरक के घुटने तक, और गाना फिर तेज हो गया था, चुनिया और गप्पू की बड़ी बहन, रामपुर वाली भौजी गा रही थीं , साथ में अब सब लड़कियां, औरतें
लेकिन पहले तेरी बहना को, तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
अपने गप्पू से तेरी बुच्ची को खूब चुदवाउंगी , गपागप चुदवाउंगी
और सब लोग मान गए बुच्ची और चुनिया की जोड़ी को, स्साला क्या कोई मरद चोदेगा, जिस तरह से चुनिया ने सबके सामने बुच्ची की टाँगे फैलायीं, बीच में अपनी दोनों टाँगे फंसा दी, की धक्के पड़ने पर स्साली सिकोड़ न ले, और फिर एक हाथ कमर पे और दूसरा जोबन पे और रगड़ रगड़ के, गिन गिन के धक्के मारे,, चुनिया की भी शलवार किसी लड़की ने खींच के नीचे, और अब दोनों सहेलियों की चुनमुनिया आपस में रगड़ खा रही थी, लेकिन चुनिया ने कुछ उसके कान में भी कहा, प्यार से भी धमका के,
" स्साली, बोल हाँ, सबके सामने, नहीं तो एक साथ तीन ऊँगली अंदर करूंगी, जो तुझे अपने सुरजू भैया से अपनी झिल्ली फड़वाने का शौक है न बस यहीं फट जायेगी सबके सामने और तेरे भैया को फटी फटी मिलेगी, "
" कमीनी, हाँ तो कर दिया है, अब कैसे करूँ, स्साली ऊँगली किया न तो कुट्टी, पक्की वाली और तेरा भाई भी देखता रह जाएगा, " बुच्ची गुस्से से धीमे धीमे फुसफुसाते बोली, लेकिन डर उसे लग रहा था, कहीं सच में ये छिनार,
" चल एक बार और हाँ बोल दे, सबके सामने जोर से " चुनिया ने दोनों जांघों के बीच एक हथेली डाल के अपनी सहेली की कुँवारी एकदम कच्ची सहेली को रगड़ते बोला
" लेकिन तू ऊँगली नहीं करेगी, और पहले अपने भैया से उसके बाद पक्का चल तू भी क्या याद करेगी, गप्पू बेचारा इत्ते दिन से पीछे पड़ा है तो उसका भी मन रख दूंगी। " मुस्कराते हुए बुच्ची बोली
और एक बार फिर से गप्पू की बड़ी बहन, रामपुर वाली भौजी दुहरा रही थीं, जोर जोर से गा रही थीं
लेकिन पहले तेरी बहना को, तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
अपने गप्पू से तेरी बुच्ची को खूब चुदवाउंगी , गपागप चुदवाउंगी
और अबकी बुच्ची ने एक बार फिर जोर से हाँ हाँ हाँ कहा पूरे पांच बार, और चारो ओर देखकर, रामपुर वाली भौजी को भी सुनाते हुए ,
वो हाँ तो सबने सुनी और सब समझ गए किस बात की हाँ है लेकिन ये बात भी कई लोगो ने सुनी जो बुच्ची ने बोली थी,
" पहले अपने भैया से उसके बाद पक्का चल तू भी क्या याद करेगी, गप्पू का भी मन रख दूंगी। "
और जिन लोगों ने सुनी उसमे इमरतिया, मुन्ना बहू, मंजू भाभी, रामपुर वाली भाभी के आलावा भी घर की कई भौजाइयां, लड़कियां और काम करनेवाली थीं,
बस अपनी जीत का जैसे एलान करते हुए चुनिया ने बुच्ची का कुर्ता पूरी तरह अब खींच के उतार दिया, खड़ी होक लहराया और पूरी ताकत से जो फेंका तो सीधे मुन्ना बहू की गोद में और उन्होंने दबोच लिया।
Ye geet to chaar chand laga rahe haiरामपुर वाली भौजी --सुरजू सिंह की माई
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और चुनिया और बुच्ची को सुरजू सिंह की माई ने इशारे से बुला लिया और दोनों को अपनी गोद में , बाँहों में भींच लिया,
कन्या रस की वो पुराने प्रेमी और ऊपर से ऐसी कच्ची कलियाँ मिलती कहाँ है, फिर सबके सामने खुले में अपने घर की छत पे, दुलराते सहलाते, पहले तो उन्होंने बुच्ची की एक कच्ची अमिया कस के दबा दी, उसके निपल पे चिकोटी काट ली।
उसकी माँ का भी तो कितनी बार उन्होंने इसी तरह, ....
सुरजू की बूआ, उनकी ननद, तो कुंवारे में भी , बियाह के बाद भी भी, खूब रस लिया था तो अब बिटिया का, और फिर दोनों हाथों में लड्डू,
लेकिन अब गाने और नाच का काम भौजाइयों के जिम्मे आ गया था और सबसे पहले उतरी चुनिया की बड़ी बहन, रामपुर वाली भौजी, मायका उनका रामपुर का था इसलिए सब रामपुर वाली भौजी कहते थे, लेकिन बियाह के आयी थीं, सुरजू सिंह की ननिहाल में
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और सुरजू सिंह की माई को दिखा दिखा के, चिढ़ा चिढ़ा के उन्होंने गाना शुरू किया
जब तेरा मुन्ना छोटा था , जब ये बन्ना छोटा था, बोतल से दूध पीता था, तब ये बन्ना तेरा था,
और क्या एक्टिंग की रामपुर वाली भाभी ने, थी भी बहुत सुन्दर, गोरी चिकनी और जोबन भले ही ३४ का हो लेकिन ३६ डी डी से कम का नहीं लगता था,
एक तो २६ इंच की पतली कटीली कमरिया, फिर चोली हरदम छोटी सी और इतना टाइट पहनती थीं की जोबन हरदम छलकते आधे बाहर रहते थे, मर्दो को ललचाते, और सुरजू तो उनके फेवरेट देवर, इसलिए न सिर्फ वो खुद आयीं बल्कि अपने भाई गप्पू और छोटी बहन चुनिया को भी साथ लायी।
बड़ी मामी अभी नहीं आ पायी थीं, उनके मायके में कुछ था लेकिन वो भी दो चार दिन में आने वाली थीं, पर उनकी बहू ये रामपुर वाली भाभी, अपनी बहन और भाई के साथ, सूरजु की माई के साथ उनकी छनती भी खूब थी , मजाक में न वो रिश्ता देखती थी न उमर और गारी गाते समय या मजाक करते समय सब कुछ एकदम खोल के और यही चीज बड़की ठकुराइन को बहुत पंसद थी इसलिए दस बार उन्होंने बोला था, ' रामपुर वाली दस बारह दिन पहले से आना होगा, जैसे लगन लगे, वरना तोहार देवर है तू जाना "
" अरे मैं नहीं आउंगी तो आपको गारी कौन देगा, और गारी देने वाली आठ दस ननद मिल भी जाएंगी तो आपका पेटकोट का नाड़ा कौन खोलेगा, मैं भी देखूं वो जगह जहां से आपने अस लजाधुर देवर निकाला है " हँसते हुए रामपुर वाली बोलीं,
" अरे तोहार महतारी आती न तो बताती " हँसते हुए बड़की ठकुराइन बोलीं
" आएँगी, वो भी आएँगी, अब आपने इतने प्यार से बुलाया है , और रामपुर वाली डरती नहीं है , आपकी समधन बरात जाने के चार दन पहले से आ जाएंगी। " भौजी बोलीं
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तो अब वो सुरजू की माई को अपनी सास को चिढ़ा चिढ़ा के गा रही थीं
जब तेरा मुन्ना छोटा था , जब ये बन्ना छोटा था, बोतल से दूध पीता था, तब ये बन्ना तेरा था,
अब बोतल से व्हिस्की पियेगा, साथ में मेरे झूमेगा, अब ये बन्ना मेरा है ,
और क्या सीधे बोतल से व्हिस्की पी के झूमने की एक्टिंग की उन्होंने और फिर अगली लाइन गायी और उनके साथ बाकी गाँव की भौजाइयां भी झूम झूम के गा रही थीं
जब हाफ पेंट पहनता था, छोटी सी नेकर पहनता था, तब ये बन्ना तेरा था,
अब सूट बूट पहनता है , अब ये बन्ना मेरा है, अब ये बन्ना मेरा है।
और सुरजू सिंह की माई को चिढ़ा के चमका के, हाथ दिखा दिखा के , और मजा तो तब आया जब अगली लाइन आयी और अपनी छोटी ऊँगली दिखा के
जब इसकी छोटी सी नूनी थी , तू तेल इस में लगाती थी, तब ये बन्ना तेरा था, तब ये मुन्ना तेरा था
और क्या जबरदस्त हंसी हुयी , लेकिन रामपुर वाली भाभी ने उन्हें बख्शा नहीं, बगल में बैठ के छोटी ऊँगली दिखा दिखा के
जब इसकी छोटी सी नूनी थी , तू तेल इस में लगाती थी, तब ये बन्ना तेरा था, तब ये मुन्ना तेरा था
और फिर खड़ी हो के
जब इसकी छोटी सी नूनी थी , तू तेल इस में लगाती थी, तब ये बन्ना तेरा था, तब ये मुन्ना तेरा था
अब मोटा सा लौंड़ा है, अब लम्बा सा लौंड़ा है, अब ये बन्ना मेरा है।
कम से कम दस बार उन्होंने अपने हाथ को कोहनी के पास से पकड़ के सुरजू सिंह के औजार के बारे में अपनी सास को दिखा दिखा के
अब मोटा सा लौंड़ा है, अब लम्बा सा लौंड़ा है, अब ये बन्ना मेरा है।
अब मोटा सा लौंड़ा है, अब लम्बा सा लौंड़ा है, अब ये बन्ना मेरा है।
लेकिन अब बड़की ठकुराइन बोल पड़ीं,
"गलत एकदम गलत, अरे तेरे देवर का बचपन से ही मोटा लौंड़ा था, नहीं तो उसकी बूआ से पूछ लो व् बगल में बैठी हैं मेरे, ये भी खोल खोल के तेल लगाई हैं"
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वो जोर से मुस्करायी, और सहमति में सर हिलाया,
और ठकुराइन ने दूसरा गवाह पेश किया, " बुच्ची क माई भी आएँगी, तो वो बताएंगी, आधे टाइम तो तेल बुकवा वही करती थीं कीबच्चों में कैसा था लेकिन अब कैसा है ये तो भौजाई लोगों को मालूम होना चाहिए, बोल इमरतिया,
उनकी आँखे न सिर्फ इमरतिया से बल्कि सबसे कह रही थीं " कइसन भौजाई हो जो अभी तक न पकड़ी हो न घोंटी हो, "
लेकिन इमरतिया की आँख की चमक और मुस्कान साफ़ साफ़ सुरजू की माई से कह रही थी, " पकड़ भी चुकी हूँ और घोंट भी चुकी हूँ अपने देवर का, अइसन वइसन भौजाई नहीं हूँ "
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और बड़ी बूढी औरतों को छोडिये ये दोनों बिन बोली बातें, सब खेली खायी भौजियां भी समझ गयी,अब शेर ने शिकार कर लिया है, पक्का आदमखोर बल्कि औरतखोर हो गया है और अब एक बार बड़का नाग, कुंडली खोल के लंगोट की डलिया से बाहर आ गया है तो बिना डसे रहेगा नहीं। और मुस्करा भी रही थीं,
" बोल इमरतिया, " कौन मां अपने बेटे की तारीफ़ नहीं सुनना चाहती,
और इमरतिया ने जैसे रामपुर वाली भाभी दिखा रही थीं , एकदम कोहनी से पकड़ के हिला हिला के इशारा किया, मतलब बित्ते से भी बड़ा
बहुत ही सुंदर नाच गान चल रहा है.... देखो तो क्या वादा लिया जा रहा है मीठी मिठाई के लालच में...छुटकी -होली दीदी की ससुराल में
भाग ११० नाच -चुनिया और बुच्ची
२८,०००,९४
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" अरे तो कौन गलत कर रही है "
चुनिया की बड़ी बहन, रामपुर वाली भौजी, जो सुरुजू के ननिहाल से आयी थीं , सुरजू की माई के पास छोटी मामी के पीछे बैठीं थीं, वही से बुच्ची के समर्थन में गुहार लगाई,
" अरे तो हमर ननद रानी कौन गलत कर रही हैं , बुरिया है तो चोदी ही जायेगी,.... तो मालिया से चुदवा के सेहरा, ...बजजवा से चुदवा के कपड़ा और मोचिया से चुदवा के अपने भैया के लिए जूता ले आयी तो बहन हो तो ऐसी, ....चुदाई का मजा भी और पैसे की बचत भी , मंहगाई के जमाने में "
लेकिन साथ ही में अपनी छोटी बहन चुनिया को अपने सामने बैठी अपनी फुफिया सास, सुरजू की माई की ओर इशारा किया
और चुनिया के पास तो खजाना था, वो चालू हो गयी और अबकी निशाने पे सुरजू की माई थीं, वैसे भी दूल्हे की बहन और माई सबसे ज्यादा गरियाई जाती हैं और बहन से भी ज्यादा माई
एक दो लाइने तो बन्ने की तारीफ़ में फिर बाद मुद्दे पे पहुँच गयी
बन्ने के सर पे सेहरा सोहे, सेहरा सोहे,
बन्ने के सर पे सेहरा सोहे, सेहरा सोहे
बन्ने के सर पे सेहरा सोहे, सेहरा सोहे, अरे लोग कहें मलिया का जना,
बन्ने के तन पे सूट सोहे , अरे सूट सोहे,
अरे सूट सोहे, लोग कहें,, बजजवा जना
सुरजू की गाँव की एक बूआ अपनी भौजाई, सुरजू की माई से बोलीं,
" अरे भौजी,.... केतना लोगन से चुदाई के मुन्ना को पैदा की हो, मालिया भी बजजवा भी , मोचिया भी,... की अपने मामा क जनमल हो "
सुरजू क माई अपनी ननद को कुछ जवाब देती उसके पहले चुनिया ने अगली लाइन शुरू कर दी
धोबी की गली हो के आया बना, लोग कहें धोबी का जना
अरे लोग कहे, अरे लग कहें, गदहे का जना
अबकी तो खूब जबरदस्त ठहाका लगा और सबसे ज्यादा खुद सुरजू क माई और सबसे पहले कमेंट उन्होंने ही मारा, अपने पीछे बैठी मुन्ना बहू और इमरतिया और रामपुर वाली भौजी को देख के
" भाई गदहे वाली बात तो दूल्हे क भौजाई लोग अच्छी तरह से बता सकती हैं, अब ये जिन कहा की नाप तौल नहीं की हो अपने देवर की "
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और फिर चुनिया को उन्होंने चढ़ाया, गाना तो बिटिया बहुत बढ़िया गा रही हो, ढोलक भी जबरदस्त लेकिन तनी नाच वाच हो, तब लगे की लड़का का बियाह है।
और चुनिया ने बुच्ची को खींच के खड़ा कर दिया,
दोनों ही गजब का नाचती थीं और जब जोड़े में नाचती थीं तो कहना ही क्या,
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और चुनिया ने झट से बन्नी का रोल पकड़ लिया, जिस अदा से घूंघट दिखाया, हाथ में जयमाल लिए और बुच्ची की ओर कुछ लजाते, कुछ शरमाते देखा
और बुच्ची ने भी किसी का दुप्पटा झपट के सर पे पगड़ी लगा के एकदम दूल्हे वाला रोल,
और दोनों क्या लग रहे थे, सिर्फ ऐक्टिंग से, ढोलक अब रामपुर वाली भाभी के हाथ में थी, अब उन्ही के साथ बैठी मंजू भाभी मजीरा हाथ में लेकर उसी ताल पर बजा रही थी, और जब गाने की पहली लाइन, बल्कि आधी लाइन ही चुनिया ने गायी
बन्ना पहले वादा करले, बन्ना पहले वादा करले
और क्या कस के ठुमके लगाए चुनिया ने, अपने छोटे छोटे चूतड़ मटकाये, पतली कमर लचकाई, और आँखों से इशारा करते, बन्ना बनी बुच्ची के पास पहुंची, दोनों हाथ ऐसे किये जैसे बस अब जयमाल डाल देंगे,
और बुच्ची भी, उसके चेहरे पे हर तरह के भाव, जैसे पूछ रही हो क्या वादा करना है, फिर आंखे जिस तरह से ललचायी नज़रों से चुनिया को देख रही थी, जैसे दुलहा जयमाल के समय नयी नयी दुल्हन को देखता है और बस यही सोचता ही की कितनी जल्दी ये मीठी मिठाई कहने को मिलेगी, बस बुच्ची उसी तरह
और थोड़ा पीछे हट के माला हाथ में लिए आगे बढ़ने की एक्टिंग करते हुए चुनिया ने लाइन पूरी की,
बन्ना पहले वादा करले, बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
बन्ना पहले वादा करले, बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
बुच्ची जैसे माला डलवाने के लिए बेताब हो, आगे बढ़ी, पर चुनिया पीछे हट गयी, उसकी ओर पीठ कर के एक चक्कर लगा के फिर वही लाइन दुहरायी
बन्ना पहले वादा करले, बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी।
बन्ना बनी बुच्ची ने जोर जोर से हाँ हाँ में सर हिलाया और माला डलवाने के लिए गर्दन आगे बढ़ाई,
लेकिन चुनिया मुस्कराती, मुंह बिचकाती ना ना में सर हिलाती पीछे मुड़ गयी और दूर से फिर बन्ना बनी बुच्ची को चिढ़ाते, उकसाते हुए गाया
बन्ना पहले वादा करले, बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी।
पीछे से सुरजू के ननिहाल की कोई लड़की, जो सब चुनिया का साथ दे रही थीं , ताली बजा रही थीं, गा रही थीं, बोली
" अरे मत डालना, सर हिलाने से नहीं होता, तीन तीर्बाचा भरवा बन्ने से, मुंह से बोल के हाँ हाँ, करवा,
पीछे से गाँव की कोई भौजाई बोलीं, बुच्ची की ओर से,
"अरे दो इंच के चीज के लिए इतना निहोरा करवा रही है, बुच्ची हाँ मत बोलना "
लेकिन सुरजू की माई, चुनिया की ओर से बोलीं,
" अरे उसी दो इंच की चीज से दुनिया निकलती है "
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बुच्ची बेचारी हाथ जोड़ के निहोरा कर रही थी, बन्ना बनी आखिर हार के तीन बार हाँ बोली,
" ऐसे नहीं नाक रगड़वा साली से इतनी मीठी मिठाई मिलेगी "
मंजू भाभी ने अपनी ननद को चिढ़ाया
बुच्ची ने सर झुका के वो बात भी मान ली और एक बार मंजू भाभी की ओर भी मुंह करके तीन बार हाँ बोल दी ,
और चुनिया एकदम बन्ना बनी बुच्ची के पास, दोनों हाथों में जैसे माला लेकर डालने के लिए खड़ी हो और गाने की अगली लाइन गायी
छुटकी -होली दीदी की ससुराल में
भाग ११० नाच -चुनिया और बुच्ची
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" अरे तो कौन गलत कर रही है "
चुनिया की बड़ी बहन, रामपुर वाली भौजी, जो सुरुजू के ननिहाल से आयी थीं , सुरजू की माई के पास छोटी मामी के पीछे बैठीं थीं, वही से बुच्ची के समर्थन में गुहार लगाई,
" अरे तो हमर ननद रानी कौन गलत कर रही हैं , बुरिया है तो चोदी ही जायेगी,.... तो मालिया से चुदवा के सेहरा, ...बजजवा से चुदवा के कपड़ा और मोचिया से चुदवा के अपने भैया के लिए जूता ले आयी तो बहन हो तो ऐसी, ....चुदाई का मजा भी और पैसे की बचत भी , मंहगाई के जमाने में "
लेकिन साथ ही में अपनी छोटी बहन चुनिया को अपने सामने बैठी अपनी फुफिया सास, सुरजू की माई की ओर इशारा किया
और चुनिया के पास तो खजाना था, वो चालू हो गयी और अबकी निशाने पे सुरजू की माई थीं, वैसे भी दूल्हे की बहन और माई सबसे ज्यादा गरियाई जाती हैं और बहन से भी ज्यादा माई
एक दो लाइने तो बन्ने की तारीफ़ में फिर बाद मुद्दे पे पहुँच गयी
बन्ने के सर पे सेहरा सोहे, सेहरा सोहे,
बन्ने के सर पे सेहरा सोहे, सेहरा सोहे
बन्ने के सर पे सेहरा सोहे, सेहरा सोहे, अरे लोग कहें मलिया का जना,
बन्ने के तन पे सूट सोहे , अरे सूट सोहे,
अरे सूट सोहे, लोग कहें,, बजजवा जना
सुरजू की गाँव की एक बूआ अपनी भौजाई, सुरजू की माई से बोलीं,
" अरे भौजी,.... केतना लोगन से चुदाई के मुन्ना को पैदा की हो, मालिया भी बजजवा भी , मोचिया भी,... की अपने मामा क जनमल हो "
सुरजू क माई अपनी ननद को कुछ जवाब देती उसके पहले चुनिया ने अगली लाइन शुरू कर दी
धोबी की गली हो के आया बना, लोग कहें धोबी का जना
अरे लोग कहे, अरे लग कहें, गदहे का जना
अबकी तो खूब जबरदस्त ठहाका लगा और सबसे ज्यादा खुद सुरजू क माई और सबसे पहले कमेंट उन्होंने ही मारा, अपने पीछे बैठी मुन्ना बहू और इमरतिया और रामपुर वाली भौजी को देख के
" भाई गदहे वाली बात तो दूल्हे क भौजाई लोग अच्छी तरह से बता सकती हैं, अब ये जिन कहा की नाप तौल नहीं की हो अपने देवर की "
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और फिर चुनिया को उन्होंने चढ़ाया, गाना तो बिटिया बहुत बढ़िया गा रही हो, ढोलक भी जबरदस्त लेकिन तनी नाच वाच हो, तब लगे की लड़का का बियाह है।
और चुनिया ने बुच्ची को खींच के खड़ा कर दिया,
दोनों ही गजब का नाचती थीं और जब जोड़े में नाचती थीं तो कहना ही क्या,
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और चुनिया ने झट से बन्नी का रोल पकड़ लिया, जिस अदा से घूंघट दिखाया, हाथ में जयमाल लिए और बुच्ची की ओर कुछ लजाते, कुछ शरमाते देखा
और बुच्ची ने भी किसी का दुप्पटा झपट के सर पे पगड़ी लगा के एकदम दूल्हे वाला रोल,
और दोनों क्या लग रहे थे, सिर्फ ऐक्टिंग से, ढोलक अब रामपुर वाली भाभी के हाथ में थी, अब उन्ही के साथ बैठी मंजू भाभी मजीरा हाथ में लेकर उसी ताल पर बजा रही थी, और जब गाने की पहली लाइन, बल्कि आधी लाइन ही चुनिया ने गायी
बन्ना पहले वादा करले, बन्ना पहले वादा करले
और क्या कस के ठुमके लगाए चुनिया ने, अपने छोटे छोटे चूतड़ मटकाये, पतली कमर लचकाई, और आँखों से इशारा करते, बन्ना बनी बुच्ची के पास पहुंची, दोनों हाथ ऐसे किये जैसे बस अब जयमाल डाल देंगे,
और बुच्ची भी, उसके चेहरे पे हर तरह के भाव, जैसे पूछ रही हो क्या वादा करना है, फिर आंखे जिस तरह से ललचायी नज़रों से चुनिया को देख रही थी, जैसे दुलहा जयमाल के समय नयी नयी दुल्हन को देखता है और बस यही सोचता ही की कितनी जल्दी ये मीठी मिठाई कहने को मिलेगी, बस बुच्ची उसी तरह
और थोड़ा पीछे हट के माला हाथ में लिए आगे बढ़ने की एक्टिंग करते हुए चुनिया ने लाइन पूरी की,
बन्ना पहले वादा करले, बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
बन्ना पहले वादा करले, बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
बुच्ची जैसे माला डलवाने के लिए बेताब हो, आगे बढ़ी, पर चुनिया पीछे हट गयी, उसकी ओर पीठ कर के एक चक्कर लगा के फिर वही लाइन दुहरायी
बन्ना पहले वादा करले, बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी।
बन्ना बनी बुच्ची ने जोर जोर से हाँ हाँ में सर हिलाया और माला डलवाने के लिए गर्दन आगे बढ़ाई,
लेकिन चुनिया मुस्कराती, मुंह बिचकाती ना ना में सर हिलाती पीछे मुड़ गयी और दूर से फिर बन्ना बनी बुच्ची को चिढ़ाते, उकसाते हुए गाया
बन्ना पहले वादा करले, बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी।
पीछे से सुरजू के ननिहाल की कोई लड़की, जो सब चुनिया का साथ दे रही थीं , ताली बजा रही थीं, गा रही थीं, बोली
" अरे मत डालना, सर हिलाने से नहीं होता, तीन तीर्बाचा भरवा बन्ने से, मुंह से बोल के हाँ हाँ, करवा,
पीछे से गाँव की कोई भौजाई बोलीं, बुच्ची की ओर से,
"अरे दो इंच के चीज के लिए इतना निहोरा करवा रही है, बुच्ची हाँ मत बोलना "
लेकिन सुरजू की माई, चुनिया की ओर से बोलीं,
" अरे उसी दो इंच की चीज से दुनिया निकलती है "
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बुच्ची बेचारी हाथ जोड़ के निहोरा कर रही थी, बन्ना बनी आखिर हार के तीन बार हाँ बोली,
" ऐसे नहीं नाक रगड़वा साली से इतनी मीठी मिठाई मिलेगी "
मंजू भाभी ने अपनी ननद को चिढ़ाया
बुच्ची ने सर झुका के वो बात भी मान ली और एक बार मंजू भाभी की ओर भी मुंह करके तीन बार हाँ बोल दी ,
और चुनिया एकदम बन्ना बनी बुच्ची के पास, दोनों हाथों में जैसे माला लेकर डालने के लिए खड़ी हो और गाने की अगली लाइन गायी




वाह कोमलजी. इस पोस्ट की मस्ती शारारत का लेवल तो सबसे हाई है. चुनिया को मान गए. पहले तो सूरज की महतारी का सन्मान कर के उनसे मज़ाक मस्ती करने की परमिशन ली. और गलती की माफ़ी मांगी. रिश्ते मे छोटे होने का एहसास दिया. सूरज के माई ने भी हस कर आशीर्वाद दिया. यह गांव की प्रथा मर्यादा बड़ो का मान सन्मान जताता है. और फिर क्या मस्त लाइन गई है.. चुनिया -बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
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तेरी अम्मा के नखड़े मैं सारे उठाउंगी, तेरी माई के नखड़े मैं सारे उठाउंगी ,
और मुड़ के सुरजू की माई की ओर सर झुका के दोनों हाथ जोड़ के फिर से एक चक्कर मार के ठुमका लगा के गाया
तेरी अम्मा के नखड़े मैं सारे उठाउंगी, तेरी माई के नखड़े मैं सारे उठाउंगी ,
सुरजू की माई खूब खुश, उन्होंने हाथ उठा के आशीर्वाद दिया और चुनिया ने बुच्ची को देख के पास में जा के गाना आगे बढ़ाया
बुच्ची की ओर मुड़ के बोली लेकिन, और बुच्ची ने भौहे मटकायी,.... जैसे पूछ रही हो क्या?
और चुनिया ने क्या कमर मटकायी, क्या चक्कर मारा और फिर माला जैसे एकदम बन्ना बने बुच्ची के पास ले जा के गाया
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
तेरी अम्मा के नखड़े मैं सारे उठाउंगी, तेरी माई के नखड़े मैं सारे उठाउंगी ,
लेकिन तेरी बहना पे अपने भाई को चढ़ाउंगी, तेरी बुच्ची पे अपने गप्पू को चढ़ाउंगी
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
और अब वो जोर से हो हो हुयी, लड़कियों ने मुंह में ऊँगली डाल के सीटी मारी, ढोलक खूबी तेज से टनकने लगी, बुच्ची जैसे सोच में पड़ गयी, ये शर्त माने न माने
लेकिन चुनिया ने फिर गाया
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
तेरी अम्मा के नखड़े मैं सारे उठाउंगी, तेरी माई के नखड़े मैं सारे उठाउंगी ,
लेकिन तेरी बहना पे अपने भाई को चढ़ाउंगी, तेरी बुच्ची पे अपने गप्पू को चढ़ाउंगी
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
और बन्ना बनी बुच्ची को पकड़ने की कोशिश की लेकिन बुच्ची मुस्कराते हुए, उसकी बाहों से फिसलकर निकल गयी, और दूर खड़ी होक उसे जीभ चिढ़ाते हुए अंगूठा दिखाने लगी,
कोई भौजाई बोली, " अरे बन्ने मान जा, तेरा भी फायदा तेरी बहना का भी फायदा, लम्बा मोटा औजार मिलेगा, गपागप घोंटेंगी
दूसरी बोली, दूल्हे की बहन पर तो दुल्हिन के मायके वालों का पहला हक होता है
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और चुनिया ने फिर अपनी बात साफ़ की
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
सेजों पे तुझे मजा कराउंगी, तुझे मैं मस्ती खूब कराउंगी
लेकिन तेरी बहना का जोबन अपने भाई से मिजवाउंगी
तेरी बुच्ची का जोबन गप्पू से मलवाउंगी
और अब मामला एकदम खुल के था, टॉप तो दोनों के ऊपर उठ गए थे, लेकिन रामपुर वाली भाभी ने गाने का लेवल एकदम से बढ़ा दिया और अब सब औरतें, लड़कियां मजे ले लेकर गा रही थीं,
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी, बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
सेजों पे तुझे मजा कराउंगी, तुझे मैं मस्ती खूब कराउंगी
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी,सेजों पे तुझे मजा कराउंगी,
लेकिन पहले तेरी बहना को, तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
और बुच्ची जो खूब मजे ले रही थी, खुद निहुर के घोड़ी बन गयी,
और चुनिया, उसके पीछे, और एक झटके में बुच्ची की शलवार का नाड़ा भी खुला और शलवार सरक के घुटने तक, और गाना फिर तेज हो गया था, चुनिया और गप्पू की बड़ी बहन, रामपुर वाली भौजी गा रही थीं , साथ में अब सब लड़कियां, औरतें
लेकिन पहले तेरी बहना को, तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
अपने गप्पू से तेरी बुच्ची को खूब चुदवाउंगी , गपागप चुदवाउंगी
और सब लोग मान गए बुच्ची और चुनिया की जोड़ी को, स्साला क्या कोई मरद चोदेगा, जिस तरह से चुनिया ने सबके सामने बुच्ची की टाँगे फैलायीं, बीच में अपनी दोनों टाँगे फंसा दी, की धक्के पड़ने पर स्साली सिकोड़ न ले, और फिर एक हाथ कमर पे और दूसरा जोबन पे और रगड़ रगड़ के, गिन गिन के धक्के मारे,, चुनिया की भी शलवार किसी लड़की ने खींच के नीचे, और अब दोनों सहेलियों की चुनमुनिया आपस में रगड़ खा रही थी, लेकिन चुनिया ने कुछ उसके कान में भी कहा, प्यार से भी धमका के,
" स्साली, बोल हाँ, सबके सामने, नहीं तो एक साथ तीन ऊँगली अंदर करूंगी, जो तुझे अपने सुरजू भैया से अपनी झिल्ली फड़वाने का शौक है न बस यहीं फट जायेगी सबके सामने और तेरे भैया को फटी फटी मिलेगी, "
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" कमीनी, हाँ तो कर दिया है, अब कैसे करूँ, स्साली ऊँगली किया न तो कुट्टी, पक्की वाली और तेरा भाई भी देखता रह जाएगा, "
बुच्ची गुस्से से धीमे धीमे फुसफुसाते बोली, लेकिन डर उसे लग रहा था, कहीं सच में ये छिनार,
" चल एक बार और हाँ बोल दे, सबके सामने जोर से "
चुनिया ने दोनों जांघों के बीच एक हथेली डाल के अपनी सहेली की कुँवारी एकदम कच्ची सहेली को रगड़ते बोला
" लेकिन तू ऊँगली नहीं करेगी, और पहले अपने भैया से उसके बाद पक्का चल तू भी क्या याद करेगी, गप्पू बेचारा इत्ते दिन से पीछे पड़ा है तो उसका भी मन रख दूंगी। "
मुस्कराते हुए बुच्ची बोली
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और एक बार फिर से गप्पू की बड़ी बहन, रामपुर वाली भौजी दुहरा रही थीं, जोर जोर से गा रही थीं
लेकिन पहले तेरी बहना को, तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
अपने गप्पू से तेरी बुच्ची को खूब चुदवाउंगी , गपागप चुदवाउंगी
और अबकी बुच्ची ने एक बार फिर जोर से हाँ हाँ हाँ कहा पूरे पांच बार, और चारो ओर देखकर, रामपुर वाली भौजी को भी सुनाते हुए ,
वो हाँ तो सबने सुनी और सब समझ गए किस बात की हाँ है लेकिन ये बात भी कई लोगो ने सुनी जो बुच्ची ने बोली थी,
" पहले अपने भैया से उसके बाद पक्का चल तू भी क्या याद करेगी, गप्पू का भी मन रख दूंगी। "
और जिन लोगों ने सुनी उसमे इमरतिया, मुन्ना बहू, मंजू भाभी, रामपुर वाली भाभी के आलावा भी घर की कई भौजाइयां, लड़कियां और काम करनेवाली थीं,
बस अपनी जीत का जैसे एलान करते हुए चुनिया ने बुच्ची का कुर्ता पूरी तरह अब खींच के उतार दिया, खड़ी होक लहराया और पूरी ताकत से जो फेंका तो सीधे मुन्ना बहू की गोद में और उन्होंने दबोच लिया।




वाह कोमलजी. इस पोस्ट की मस्ती शारारत का लेवल तो सबसे हाई है. चुनिया को मान गए. पहले तो सूरज की महतारी का सन्मान कर के उनसे मज़ाक मस्ती करने की परमिशन ली. और गलती की माफ़ी मांगी. रिश्ते मे छोटे होने का एहसास दिया. सूरज के माई ने भी हस कर आशीर्वाद दिया. यह गांव की प्रथा मर्यादा बड़ो का मान सन्मान जताता है. और फिर क्या मस्त लाइन गई है.
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बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी
तेरी अम्मा के नखड़े मैं सारे उठाउंगी, तेरी माई के नखड़े मैं सारे उठाउंगी ,
लेकिन तेरी बहना पे अपने भाई को चढ़ाउंगी, तेरी बुच्ची पे अपने गप्पू को चढ़ाउंगी
बन्ना पहले वादा करले पीछे माला डालूंगी.
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चुनिया मौका चुकी नही. उसका इरादा पहले से ही अपने भाई की हसरत पूरी करना था. इसी लिए मज़ाक मज़ाक मे बुची से हामी भरवाना चाहती थी.
गांव की औरते ऐसे मौके पर अपनी नांदिया को कैसे ना छेड़े. बुची को जैसे हा बुलवाने समझा रही हो. अरे पगली तेरा फायदा तेरे भाई का फायदा. और कहे भी तो सही रही है. दूल्हे की बहन पर तो दुल्हन के मायके वालों का ही हक़ होता है. छिनार नांदिया को चाहे दुल्हन का भाई चोदे चाहे दुल्हन के मायके का कुत्ता. अमेज़िंग.
बुची को हा बुलवाना था तो चुनिया ने आगे गाना चालू ही रखा. और लाइन जोड़ती गई.
लेकिन तेरी बहना का जोबन अपने भाई से मिजवाउंगी
तेरी बुच्ची का जोबन गप्पू से मलवाउंगी
और ऐसे मौके पर रामपुर वाली चुनिया और गप्पू की बड़ी बहन ने तो बुची को रंडी बनाने के लिए कुछ अलग ही लाइन जोड़ दी.
लेकिन पहले तेरी बहना को, तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
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कार्तिक मास मे कुतिया कई कुत्तो से चुदती है तो बुची को कार्तिक की कुतिया बनाकर कइयों से चुदवाने की हामी भरवाने की कोसिस की.
बुची भी साली पक्की छिनार. खुद घोड़ी बन गई. और पजामा खुद निचे सरका दिया. चुनिया ने उसे कश लिया.
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और धमकी दे दी. की तीन उंगली डाल कर उसकी झील्ली फाड़ देगी. फिर अपने भाई सूरज से झील्ली फाड़वाने का सपना ख़तम. वो छिनार मान गई. और सबने पूरी लाइन एक बार जोर से.
लेकिन पहले तेरी बहना को, तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
तेरी बुच्ची को घोड़ी बनवाऊंगी, तेरी बुच्ची को कातिक की कुतिया बनवाऊंगी,
अपने गप्पू से तेरी बुच्ची को खूब चुदवाउंगी , गपागप चुदवाउंगी
पचास हजार लाइक और वो भी सिर्फ १७ हजार पोस्ट पर
हर पोस्ट पर तीन लाइक्स
बहुत बहुत बधाई
सूरजु की माई -- इमरतिया
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पर सूरजु की पूरी अब तक की जवानी तो अखाड़े में और गुरु ने कहा था की औरत के आगे नजर झुका के, तो इमरतिया के अलावा सूरजु किसी से बात भी नहीं करते थे, और उनकी माँ को यही बात सता रही थी,
पर इमरतिया ने जिम्मा ले लिया था अपने देवर को बियाह के पहले नंबरी चोदू बनाने का और कोक शास्त्र के ८४ आसनो की प्रैक्टिस कराने का
और जैसे ही बियाह सुरुजू का पक्का हुआ, लड़की वाले आये बरीक्षा ( एंगेजमेंट ) कर के गए, सूरजु के गुरु ने उन्हें अखाड़े की कसम से, ब्रम्हचर्य की शपथ से आजाद कराया, अखाड़े का लंगोट अखाड़े में रह गया, बस उस दिन से दुनो बौरा गयीं, सूरजु सिंह क माई और भौजाई, बड़की ठकुराईन और इमरतिया दोनों, जैसे कभी सूरजु को देखतीं या उसके बारे में बोलतीं, सीधे चुदाई ही सूझती, और इमरतिया तो खैर असल भुआजी मात, अइसन भौजाई थी, तो देवर के बियाह की बात से गरमाना ही था, देवर को सीखा पढ़ा के, चढ़ा के, देवरानी के लिए तैयार करना था, लेकिन इमरतिया से ज्यादा बड़की ठकुराइन की बुरिया में आग लगी थी और इमरतिया अब उन्हें खुल के छेड़ती भी थी, सूरजु का नाम ले ले कर,
झाड़ते समय अब वो रुक जाती और बड़की ठकुराइन से बोलती, "पहले बोल हमरे देवर से चुदवाओगी"
" अरे झाड़ न स्साली, हमरे बेटवा क चोदी, अरे जो बड़ा बड़ा चूतड़ मटका के चलती हो न तो तोहार गांड भी मारेगा, " गरमा के सूरजु की माई बोलतीं
" अरे हमार देवर है जो चाहे वो करे, अब तो लंगोटा खुल गया है, बुर भी मरवाउंगी, गाँड़ भी लेकिन तू पहले बोला साफ़ साफ़ तब आज झाड़ूंगी " इमरतिया उन्हें और तंग करती,
" अरे ठीक है तोहार देवर, जो तू चाहे करवावा, अच्छा चुदवा लेब " हंस के वो कबूल करतीं और गच्चाक से दो उँगलियाँ सूरजु की माई क बुर में, स्साली क बुर अभी भी एकदम टाइट, इमरतिया ने गाँव की कितनी कुँवार लड़कियों की होली में, सावन में झूले पे ऊँगली की लेकिन उन सबसे टाइट ठकुराइन की थी, कुछ तो उनको सब ट्रिक आती थी, चुनमुनिया का ख्याल भी करती थीं अपने, और कुछ इमरतिया को जड़ी बूटी का भी ज्ञान था, मर्दो वाली भी लड़कियों वाली भी, चार बच्चो की भोंसड़ी वाली भी, एकदम नया माल लगती, और बड़की ठकुराइन ने तो सिर्फ एक जना था और वो भी बीस साल पहले,
लेकिन इमरतिया तब भी ठकुराइन को तंग करती, दोनों जोबना पे तेल लगाते बोलती,
" अरे स्साली, रंडी क जनी, बेटा चोद, कबूल करो, किरिया खा तीन बार की अपने बेटवा से चुदवाओगी, सूरजु क लंड घोटगी यह भोंसडे में "
" अरे झाड़ दे स्साली, बोल तो दिया, चल किरिया खाती हूँ, कसम ले ले घोंटूंगी उसका लंड, अब तो झाड़ दे "
और झाड़ते समय भी इमरतिया वही सब बोलती, " अरे असली मजा तो तब आएगा, जब हमरे देवर क मोट लंड जाई, अब तक क कुल लंड भुला जाओगी स्साली "
झड़ते समय दोनों एक से एक गालियां और दिन में कम से कम दस बार कबुलवाती सूरजु क माई से, और कई बार तो सबके समाने भी बुलाती , " बहनचोद तो कुल लौंडे हैं यह गाँव क, लेकिन हमार देवर पक्का मादरचोद है, "
और सूरजु क माई गेंहू कूटने पीसने वालियों के सामने ही इमरतिया को चिढ़ातीं, " मादरचोद है तो तोहार झांट काहें सुलग रही है , तुम भी चुदवा लो न, कइसन भौजाई हो, हमार देवर होत तो एक दिन भी नागा नहीं करती। "--
तो सूरजु क माई को जब उनकी भौजाइयों और ननदों ने पकड़ के खड़ा किया, साड़ी तो कब की उतर गयी थी, पेटीकोट भी कमर तक, खूब चिकनी गोरी गोरी केले के तने ऐसी जाँघे, मांसल, रसीली और उस के बीच, रौशनी में चमकती, दमकती पावरोटी ऐसी फूली फूली बुर, दोनों फांके एकदम चिपकी, समझदार औरतें देख के समझ गयी थीं, न जाने कितने लौंड़े का धक्का इसने खाया होगा,
अरे सूरजु की नानी ने उनकी माई को जब उनकी पहली माहवारी हुयी, तभी बाल बनाते समय समझाया था,
" भूख लगने पर मरद जैसे रोटी नहीं गिनते, कितनी खायी, वैसे जवानी चढ़ते समय, औरत लंड नहीं गिनती कितने घोंटे। अरे बिधना इतना मेहनत करके जांघो के बीच ये सुन्दर छेद बनाया और किस लिए, सिर्फ लंड खाने के लिए। " और सूरजु की माई ने अपनी माई की वो बात गाँठ बाँध ली, न रिश्ता न नांता, लंड तो लंड। लेकिन अभी भी उनकी चुनमुनिया इतनी टाइट थी, और उससे भी बढ़कर हरदम गीली, मखमल की तरह मुलायम, उसे देख के नयी नयी गौने उतरी बहूये भी लजा गयीं, ऐसी टाइट और गीली तो उनकी भी नहीं रहती।
रामपुर वाली भौजी, वैसे तो रिश्ते में उनकी बहू लगती थी, उनके मायके की, लेकिन मजाक के मामले में एकदम सूरजु क माई क टक्कर की, पीछे से जकड के अपनी हथेली अपनी सास की बुर पे रगड़ते हुए पूछ रही थीं,
" बताइये बातोये सब लोग, अब इसमें कितने गए हैं ये पूछने का मतलब नहीं, लेकिन अब अगला लंड किसका जाएगा, बताइये बताइये , दूल्हा की माई की बुरिया में "
और पूरी ताक्त से बुलबुल की चोंच खोल दी, और बुर के अंदर अभी भी, सैकड़ों लंड का धक्का खा के भी लाल गुलाबी और रस से भीगी रामपुर वाली भाभी ने फिर सवाल दोहराया,
" दूल्हे की माई क बुरिया में केकर लंड जाई, बोला बोला, अइसन रसीली गुलाबी गुलाबी बुरिया केकर लौंड़ा खायी "
" अरे दूल्हे क माई क बुरिया में, दूल्हे का लंड जाई, हमरे तोहरे देवर क लंड, इनके बेटवा क लंड " जोर से हँसते हुए मुन्ना बहू बोली,
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" और हमरे भतीजा क, दूल्हा का, बरात तबतक न जाई जबतक दूल्हे के लंड पे दूल्हे क माई न चढ़ेंगी, " कांति बुआ ने कस के अपनी भौजाई के जोबन रगड़ते हुए कहा।
लेकिन सूरजु का माई भी खूब मजा ले रही थीं, उन्होंने छुड़ाने की कोशिश नहीं की बल्कि, रामपुर वाली भाभी, और मुन्ना बहू को चैलेंज किया,
" अरे इतना भौजाई हैं, अभी तक अपने देवर क लंड घोंटी नहीं है, पहले भौजाई लोग बताये उनके देवर क लौंड़ा है केतना बड़ा, "
मुन्ना बहू और रामपुर वाली भाभी की निगाह इमरतिया की ओर पड़ी, और इमरतिया क मुस्कराहट ने कबूल कर लिया की वः देवर के खूंटे पे चढ़ चुकी है बल्कि पूरा बित्ता फैला के इमरतिया ने इशारा भी कर दिया की उसके देवर का सूरजु का लंड, पूरे बित्ते का, बल्कि उससे भी बड़ा है , और कलाई मुन्ना बहू की पकड़ के उसकी मोटाई भी बता दी,
औरतों के मुंह से चीख निकल गयी, और बुच्ची, चुनिया और उस की समौरिया वाली गाँव की लड़कियों की बिल गीली ho गयी एक ओर से सूरजु की माई को उनकी ननद, सूरजु की बुआ कांति बुआ ने पकड़ रखा था, और दूसरी ओर से उनकी भौजाई, सूरजु क छुटकी मामी ने, दबोच रखा था, और सूरजु क मामी बोलीं,
" हमरे ननद क कम मत समझा, गदहा, घोडा, कुत्ता सब का लंड चुकी हैं सूरजु क महतारी तो तोहरे देवर के लंड भी सट्ट से घोंटेंगी और वो भी आड़े तिरछे, चोरी छिपे नहीं, खुल के सब के सामने, माटी कोड़ने जाएंगे न बस वहीँ खुले खेत में, भरी बगिया में, भौजाई लोग अपने देवर क लंड खड़ा करना, और हम इनकी ननद भौजाई मिल के चढ़ा देंगे, तोहरे देवर के लंड पे। "
लेकिन जबरदस्त जवाब दिया, रामपुर वाली भाभी ने, वो सूरजु का माई का बुरिया अभी भी फैलाये थीं, तो अपनी सास को गरिया के चिढ़ाते बोलीं,
" अरे तोहार लोगन क देवर, नहीं जो उनका खड़ा करना पड़ेगा , हमरे देवर का तो हरदम खड़ा रहता है, खासतौर से मामी, बुआ और महतारी को देख के, और तोहरे ननद क बुरिया कितना पनिया रही है, खाली हमरे देवर क लंड क नाम सुन के, अरे घबड़ाइये मत, बहन चोद तो कुल मरद होते हैं, हमार देवर पक्का मादरचोद है "
लेकिन तब तक सूरजु की चाची और उनकी एक दो देवरानी ने मिल के कांति बुआ को दबोच लिया और अब उनकी बिल खुल गयी और सूरजु की माई का पेटीकोट डाउन हो गया, वो अपनी ननद को चिढ़ाने में लग गयीं
अब एक बार फिर से सूरजु की माई मतलब गाँव की चाची, ताई, लोगों का पलड़ा भारी था और बुआ लोगों की रगड़ाई शुरू हो गयी, और सूरजु की माई ने कांति बुआ की खिंचाई करते हुए कहा, बिना ये सोचे की उनकी भतीजी बुच्ची और उस की उम्र की लड़कियां भी हैं,
" भूल गयी गौने के पहले कैसे तोहरे दोनों छेद में तोहार दू दू भाई कैसे मजा लिए थे, आगे वाले छेद में सूरजु क बाबू और गंडिया में सूरजु क चाचा, फिर बदल बदल के, "
अब तो गाँव की चाचियों, ताइयों ने इतनी जोर का ठहाका लगाया, कई तो उस समय थीं भी जब यह बात हुयी थी, कांति बुआ की शादी हो गयी थी, गौना नहीं हुआ था, हाँ अगहन में तारीख रखी गयी थी, उसी साल होली में, सूरजु की माई के गौने आये तीन साल हो गए थे, और कांति बुआ ने गाँव की लड़कियों के साथ मिल के होली में भौजी की रगड़ाई का प्लान बनाया था, लेकिन सूरजु क माई, अपनी जेठानी देवरानी से मिल के, सूरजु क एक मौसी आयी थीं, एकदम कुवार, गौना का बियाह भी नहीं हुआ था और साली को देख के सूरजु क बाबू और चच्चा क रोज फड़फड़ाता था। बस सूरजु क माई ने जुगाड़ करवा दिया, शर्त भी बता दी, आँख पे पट्टी बांध के पेलना होगा, अभी थोड़ा लजाती है,
बस सूरजु क मौसी ने, अपने जिज्जा का सूरजु के बाबू का चूस चूस के, उनका भी बम्बू जबरदंग था, और फिर अपने दुपट्टा से कस के उनक आँख पे पट्टी बाँध दी, और सूरजु के बाबू के उस खड़े लंड पे चढ़ाई गयीं,
सूरजु क बुआ, उनकी कुल भौजाई पकड़ के, उनके मुंह पे पट्टी बाँध के
और चीख पुकार कर रही थी सूरजु का मौसी, जिससे सूरजु का बाबू सोचें की आपन कोरी साली की फाड़ रहे हैं
और जब बांस पूरा घुस गया तो सूरजु की माई, अपने देवर को, सूरजु के चाचा को,आँख पे पट्टी बाँध के खुद अपने हाथ से उनका लंड पकड़ के कांति बुआ की कोरी गांड पे सटा दी , सूरजु की चाची ने अपनी ननद की गांड कस के फैला दी औरकरारा धक्का मारा कांति बुआ के भाई ने
सूरजु की माई ने पट्टी खोल दी , कांति बुआ के मुंह से और क्या जोर से चोकरी वो, लेकिन दोनों भाई ने मिल के रगड़ रगड़ के अपनी बहिनिया की बुर भी चोदी और गांड भी मारी, फिर बदल बदल के, हाँ दुबारा जब दोनों भाई झड़ रहे थे तो दोनों के आँख की पट्टी उनकी भौजाइयों ने खोल दी, और झड़ते समय कौन बाहर निकालता है, भले बहन की ही बुर और गांड क्यों न हो
जबतक सूरजु की माई ये किस्सा सुना रही थीं की एक ज्योतिषी आये /आयीं
ज्योतिषी जी लगता है सीधे बनारस से आये थे, पोथी पत्रा समेटे, माथे पे त्रिपुण्ड, खूब गोरे, थोड़े स्थूल, धोती जैसे तैसे बाँधी, ऊपर से कुरता पहने, एक हाथ में चिमटा भी,खड़का के बोले, " अलख निरंजन, अलख निरंजन, किसी को बच्चा न हो रहा हो, कोई लंड के बिन तरस रही हो, बाबा सब का हल करेंगे, सबकी परेशानी दूर करेंगे, सबका भाग बाँचेंगे "
अरे चुनिया रामपुर वाली भौजी की छोटी बहन, दर्जा नौ वाली, तो भौजी की बहन भी तो एक तरह से भौजी हुयी, भैया की स्साली,Chuniya bhi bhabhiyo ka sath de rahi hai.
Chiz mast hai.maza aaiga surju ko.
क्या बात है. यह हुई टक्कर वाली बात. ऐसा महसूस हो रहा है. मै खुद किसी शादी मे शामिल हुई हु.रामपुर वाली भौजी --सुरजू सिंह की माई
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और चुनिया और बुच्ची को सुरजू सिंह की माई ने इशारे से बुला लिया और दोनों को अपनी गोद में , बाँहों में भींच लिया,
कन्या रस की वो पुराने प्रेमी और ऊपर से ऐसी कच्ची कलियाँ मिलती कहाँ है, फिर सबके सामने खुले में अपने घर की छत पे, दुलराते सहलाते, पहले तो उन्होंने बुच्ची की एक कच्ची अमिया कस के दबा दी, उसके निपल पे चिकोटी काट ली।
उसकी माँ का भी तो कितनी बार उन्होंने इसी तरह, ....
सुरजू की बूआ, उनकी ननद, तो कुंवारे में भी , बियाह के बाद भी भी, खूब रस लिया था तो अब बिटिया का, और फिर दोनों हाथों में लड्डू,
लेकिन अब गाने और नाच का काम भौजाइयों के जिम्मे आ गया था और सबसे पहले उतरी चुनिया की बड़ी बहन, रामपुर वाली भौजी, मायका उनका रामपुर का था इसलिए सब रामपुर वाली भौजी कहते थे, लेकिन बियाह के आयी थीं, सुरजू सिंह की ननिहाल में
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और सुरजू सिंह की माई को दिखा दिखा के, चिढ़ा चिढ़ा के उन्होंने गाना शुरू किया
जब तेरा मुन्ना छोटा था , जब ये बन्ना छोटा था, बोतल से दूध पीता था, तब ये बन्ना तेरा था,
और क्या एक्टिंग की रामपुर वाली भाभी ने, थी भी बहुत सुन्दर, गोरी चिकनी और जोबन भले ही ३४ का हो लेकिन ३६ डी डी से कम का नहीं लगता था,
एक तो २६ इंच की पतली कटीली कमरिया, फिर चोली हरदम छोटी सी और इतना टाइट पहनती थीं की जोबन हरदम छलकते आधे बाहर रहते थे, मर्दो को ललचाते, और सुरजू तो उनके फेवरेट देवर, इसलिए न सिर्फ वो खुद आयीं बल्कि अपने भाई गप्पू और छोटी बहन चुनिया को भी साथ लायी।
बड़ी मामी अभी नहीं आ पायी थीं, उनके मायके में कुछ था लेकिन वो भी दो चार दिन में आने वाली थीं, पर उनकी बहू ये रामपुर वाली भाभी, अपनी बहन और भाई के साथ, सूरजु की माई के साथ उनकी छनती भी खूब थी , मजाक में न वो रिश्ता देखती थी न उमर और गारी गाते समय या मजाक करते समय सब कुछ एकदम खोल के और यही चीज बड़की ठकुराइन को बहुत पंसद थी इसलिए दस बार उन्होंने बोला था, ' रामपुर वाली दस बारह दिन पहले से आना होगा, जैसे लगन लगे, वरना तोहार देवर है तू जाना "
" अरे मैं नहीं आउंगी तो आपको गारी कौन देगा, और गारी देने वाली आठ दस ननद मिल भी जाएंगी तो आपका पेटकोट का नाड़ा कौन खोलेगा, मैं भी देखूं वो जगह जहां से आपने अस लजाधुर देवर निकाला है " हँसते हुए रामपुर वाली बोलीं,
" अरे तोहार महतारी आती न तो बताती " हँसते हुए बड़की ठकुराइन बोलीं
" आएँगी, वो भी आएँगी, अब आपने इतने प्यार से बुलाया है , और रामपुर वाली डरती नहीं है , आपकी समधन बरात जाने के चार दन पहले से आ जाएंगी। " भौजी बोलीं
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तो अब वो सुरजू की माई को अपनी सास को चिढ़ा चिढ़ा के गा रही थीं
जब तेरा मुन्ना छोटा था , जब ये बन्ना छोटा था, बोतल से दूध पीता था, तब ये बन्ना तेरा था,
अब बोतल से व्हिस्की पियेगा, साथ में मेरे झूमेगा, अब ये बन्ना मेरा है ,
और क्या सीधे बोतल से व्हिस्की पी के झूमने की एक्टिंग की उन्होंने और फिर अगली लाइन गायी और उनके साथ बाकी गाँव की भौजाइयां भी झूम झूम के गा रही थीं
जब हाफ पेंट पहनता था, छोटी सी नेकर पहनता था, तब ये बन्ना तेरा था,
अब सूट बूट पहनता है , अब ये बन्ना मेरा है, अब ये बन्ना मेरा है।
और सुरजू सिंह की माई को चिढ़ा के चमका के, हाथ दिखा दिखा के , और मजा तो तब आया जब अगली लाइन आयी और अपनी छोटी ऊँगली दिखा के
जब इसकी छोटी सी नूनी थी , तू तेल इस में लगाती थी, तब ये बन्ना तेरा था, तब ये मुन्ना तेरा था
और क्या जबरदस्त हंसी हुयी , लेकिन रामपुर वाली भाभी ने उन्हें बख्शा नहीं, बगल में बैठ के छोटी ऊँगली दिखा दिखा के
जब इसकी छोटी सी नूनी थी , तू तेल इस में लगाती थी, तब ये बन्ना तेरा था, तब ये मुन्ना तेरा था
और फिर खड़ी हो के
जब इसकी छोटी सी नूनी थी , तू तेल इस में लगाती थी, तब ये बन्ना तेरा था, तब ये मुन्ना तेरा था
अब मोटा सा लौंड़ा है, अब लम्बा सा लौंड़ा है, अब ये बन्ना मेरा है।
कम से कम दस बार उन्होंने अपने हाथ को कोहनी के पास से पकड़ के सुरजू सिंह के औजार के बारे में अपनी सास को दिखा दिखा के
अब मोटा सा लौंड़ा है, अब लम्बा सा लौंड़ा है, अब ये बन्ना मेरा है।
अब मोटा सा लौंड़ा है, अब लम्बा सा लौंड़ा है, अब ये बन्ना मेरा है।
लेकिन अब बड़की ठकुराइन बोल पड़ीं,
"गलत एकदम गलत, अरे तेरे देवर का बचपन से ही मोटा लौंड़ा था, नहीं तो उसकी बूआ से पूछ लो व् बगल में बैठी हैं मेरे, ये भी खोल खोल के तेल लगाई हैं"
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वो जोर से मुस्करायी, और सहमति में सर हिलाया,
और ठकुराइन ने दूसरा गवाह पेश किया, " बुच्ची क माई भी आएँगी, तो वो बताएंगी, आधे टाइम तो तेल बुकवा वही करती थीं कीबच्चों में कैसा था लेकिन अब कैसा है ये तो भौजाई लोगों को मालूम होना चाहिए, बोल इमरतिया,
उनकी आँखे न सिर्फ इमरतिया से बल्कि सबसे कह रही थीं " कइसन भौजाई हो जो अभी तक न पकड़ी हो न घोंटी हो, "
लेकिन इमरतिया की आँख की चमक और मुस्कान साफ़ साफ़ सुरजू की माई से कह रही थी, " पकड़ भी चुकी हूँ और घोंट भी चुकी हूँ अपने देवर का, अइसन वइसन भौजाई नहीं हूँ "
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और बड़ी बूढी औरतों को छोडिये ये दोनों बिन बोली बातें, सब खेली खायी भौजियां भी समझ गयी,अब शेर ने शिकार कर लिया है, पक्का आदमखोर बल्कि औरतखोर हो गया है और अब एक बार बड़का नाग, कुंडली खोल के लंगोट की डलिया से बाहर आ गया है तो बिना डसे रहेगा नहीं। और मुस्करा भी रही थीं,
" बोल इमरतिया, " कौन मां अपने बेटे की तारीफ़ नहीं सुनना चाहती,
और इमरतिया ने जैसे रामपुर वाली भाभी दिखा रही थीं , एकदम कोहनी से पकड़ के हिला हिला के इशारा किया, मतलब बित्ते से भी बड़ा



