सिर्फ वही उतरन की साड़ी, देह पे उसके बाद एक चिथड़ा भी नहीं बचना चाहिए, हर अंग पे उस माई के परसाद का स्पर्श होना चाहिए और फिर आधे घंटे के अंदर उसका असर पूरा हो जायेगा, जोबन एकदम पथरा जायँगे, जैसे प्रस्तर प्रतिमाओ में होते हैं,... निपल दोनों बरछी की नोक, योनि से हल्का हल्का मादक अलग ढंग की महक वाला स्त्राव निकलना शुरू करेगा, बस बूँद बूँद और उसकी महक जिस मरद की नाक में भी पड़ी तो बसंत में फूलों से भरी बगिया में जो
भौरे की हालत होती है, वही हालत होगी,... और बदमासी में कही वो एक बूँद किसी मर्द को चखा दिया, तो फिर तो खरगोश भी सांड़ हो जायेगा,... और अगर पहले से सांड़ हो तो दस सांड़ों की ताकत आ जायेगी,...
पर उस के साथ जरूरी है सुहागन का सोलह सिंगार, मांग में भरभराता, सिन्दूर, गले में मंगल सूत्र, आँखों में काजल, होंठों पे लाली हलकी नहीं पूरी और पैरों में घुंघरू वाले बिछुए,... कोहनी तक चूड़ियां, कुछ चुरमुर करें कुछ चटके,