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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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शिलाजीत जैसा जोशवर्धक अपडेट..... बस अब जल्दी से खेल शुरु कर दीजिएकमल -रेनू का भाई
तब तक चार पांच देवर एक साथ आये, एक के साथ रज्जो भौजी भी थीं जिन्हे मैंने सकारा था की कुछ भी हो कमल को रेनू के भाई को जरूर ले आना ,... रज्जो भौजी ने इशारा किया
यही कमल है।
नैना ने जैसा बोला था एकदम वैसे ही, रॉ रफ़ और वाइल्ड,... लम्बा, मस्क्युलर, थोड़ी दाढ़ी हलकी हलकी बढ़ी दो चार दिन की,... चौड़ा सीना, देख के लगता था जबरदस्त ताकत होगी, एक अलग तरह की महक,... मैं शायद नहीं पहचानती अगर रज्जो भाभी ने इशारा न किया होता लेकिन वो पहचान गया और हाथ जैसे उसने जोड़े मैंने कस के बाहों में भर लिया और कस के अपने गदराये जोबन को उसकी चौड़ी छाती पर रगड़ती हुयी बोली,
'अरे देवर भौजी फागुन में गले मिलते हैं और देवर भाभी क फागुन बारहों महीने रहता है,... "
और डोलची से निकाल के एक लड्डू सीधे उसके मुंह में ठेल दिया, लेकिन उसका रंग ढंग पता चल गया कुछ तो उसकी बात से,... वो बोला,
" अरे भौजी अस छोट छोट लड्डू खाये में मजा नहीं अब आता अब तो तोहार ऐसे गद्दर,... " उसकी बात बीच में काटते मैं बोली,
" अरे कइसन देवर हो जो भौजाई से पूछते हो, ले लो न, लेकिन तोहरे बहिनियन क जउन छोट छोट हौ वो तो दबा दबा के बड़ा कर दो न,... अस मस्त माल घर में रखे हो,... "
और पता चला उसके पैंट के तम्बू से झट्ट से टनटना के, और मैं ने हाथ लगा के नाप लिया, चंदू से और मेरे इनसे खाली १९-२० का फरक था, लेकिन असली खतरनाक चीज़ थी, रेनू के भाई कमल का सुपाड़ा, बहुत ही मोटा, पहाड़ी आलू ऐसा, जैसे कोई मुट्ठी करे, और कड़ा भी जबरदस्त,...
तभी लड़कियां डरती थीं, और ऊपर से वो पेलता भी बिना दया माया के और सूखे,... मैंने हलके सुपाड़े को सहलाना शुरू कर दिया और वो और कड़ा होने लगा, अंगूठे से में रगड़ रही थी, और साथ में चिढ़ा रही थी,
" आज देवर को नन्दोई बनाना है, देखना कौन कौन नन्द पे चढाती हूँ तोहके,... "
वो कौन चुप रहने वाला था, कमल, रेनू का भाई बोला, " अरे भौजी तोहार ननद कुल डराय के पास नहीं आतीं, हाँ,... "
मैं समझ रही थी वो क्या बोलने वाला था लेकिन मैंने कस के खूंटे को दबा के उसकी बात काट के छेड़ा,...
" अरे अब तोहार भौजी हैं तोहरे साथ,... जउन जउन ननद छिनार मना करे तो पटक के पेलवाउंगी अपने देवर का, उहो सूखे,... "
लेकिन तबतक किसी ने पीछे से मुझे दबोच लिया, और दोनों हाथ आगे खूंटा ठीक पीछे की दरार में,..
" भौजी खाली कमल को देंगी की हमहुँ के खाली आगे से की पीछे से "
जवाब मेरी ओर से ननद ने दिया। कौन ननद भौजाई को रगड़ने का मौका छोड़ती हैं , लीलवा थी, बोली
" अरे पंकजवा, नयकी भौजी आगे से भी देती हैं और पीछे से भी और वो भी साथ साथ,... सरकाओ साड़ी, फैलाओ और ठोंक दो, "
पंकज , यानी कम्मो का बड़ा भाई, नंबरी चोदू। इसी से हम लोगो ने कम्मो की सील फड़वाने का तय किया था,...
तबतक रज्जो भाभी ने कम्मो के के भाई को गप्प से वो शिलाजीत वाला लड्डू खिला दिया, और मैंने भी अपना पिछवाड़ा उसके खूंटे पे रगड़ना शुरू कर दिया और मुड़ के पंकज को आँख मारी और लीलवा से बोली,
" अरे हमार छिनार भाइचोद ननद क बात कभी गलत हो सकती है लेकिन बहनचोद देवर पहले दो दो ननद के पेलें फिर अगवाड़े से पिछवाड़े से जैसे चाहे वैसे, ननद पियासी रहे, भौजी मजा लूटें ये ठीक थोड़े ही है "
और कमल को पकड़ के जिधर बाग़ गझिन था मैं उधर वैसे तो तय था की सब देवरों की आंख पे पट्टी बाँधी जायेगी, उनकी बहनों पे उन्हें चढाने के पहले,... जिससे वो ऐन मौके पे खूंटा तुड़ा के न भागें, और जब एक बार वो झिल्ली फाड़ लेंगे, हचक हचक के चोदने लगेगें, तो झड़ने के पहले उनकी आँख से भौजाइयां पट्टी खोलेंगी,... और गरियायेंगी,
" कयों बहनचोद मजा आ रहा है बहिन चोदने में, अरे छिप छिप के तो बहुत चोदा होगा, आज भौजाई लोगन के सामने, अब तो बन गए पक्के बहिनचोद,... "
और झड़ते समय कौन लौंडा बाहर निकालेगा,... और ननद के गाभिन होने का भी डर नहीं था, और एक बार जब सबके सामने बहिन चोद दिया तो फिर ननद कौन मुंह से नखड़ा करती, और फिर भौजाइयां भी पीछे पड़तीं,...
अरे बुर तो फड़वायी ही ली हो गाँड़ भी फड़वा लो,... भाई चोद,...
लेकिन कमल और रेनू के साथ ये नहीं चलने वाला था,
एक तो कमल छुट्टा सांड़, इत्ती बेरहमी से चोदता था की चार चार बच्चों की माँ भी पानी मांग जाती, वो मानेगा भी नहीं पट्टी बंधवाने के लिए,... दूसरे वो तो खुद जबसे उसकी बहन रेनू नीचे से खून फेंकने लगी तब से उसको चोदने के चक्कर में था,... लेकिन रेनू उसकी बहन ऐसी हदस गयी थी उसका मोटा लम्बा खूंटा देखकर, और चुदने वालियों की चीख रोना धोना सुन के,...
और कमल ने रेनू को बोल दिया था वो नहीं तो कोई नहीं, ...
इस चक्कर में रेनू बारहवें में पहुचं गयी फिर भी कोरी थी,... जबकि गाँव में शायद ही कोई लड़की हाईस्कूल पार कर पाती हो, टांग उठाने के पहले।
Kamal didi kamal .. vakayi me aap great ho ... ... kafi samay baad wapas aaya to ek naya cheej sikhne ko mila . . . Ye to management ka skill aap time time par deti ho vo bahut hi usefull hai . . . Agar log sikh sake to ..खेत खलिहान
छुटकी सुन रही थी और एक बार फिर दोनों चुप थीं।
गीता अब सचमुच बड़ी हो गयी थी।
कुछ देर तक दोनों चुप बैठी रहीं, फिर गीता ने मुस्कराते हुए छुटकी की ओर देखा, फिर उसके बगल में आकर बैठ गयी और उसे चिपका लिया और उसके कान में बोली,....
" तू छोटी है लेकिन बात सही कहती है। "
छुटकी को कुछ समझ में नहीं आया लेकिन वो मुस्करा दी,...
गीता उसके बगल में बैठी रही फिर कुछ रुक के बोली,
" दो बाते बता रही हूँ , तुझे , सिर्फ तुझे, तू मेरी असली वाली छोटी बहन है ".
छुटकी को अभी भी कुछ समझ में नहीं आया , लेकिन गीता ने बात साफ़ की,...
" ये बात न मुझे माँ ने बताई, न भैया ने लेकिन थोड़ा बहुत जो देखा समझा उससे अंदाज लगा के कह रही हूँ। जो तू कह रही थी न माँ भी यही चाहती है,... बाहर न जाने वाली बात , जब से बाऊ जी का पता नहीं चल रहा है,.. और पास के गाँव वाले दो जवान लड़के,... क़तर में, अरे वहीँ जहाँ वो फ़ुटबाल मैच,...हाँ हाँ वही,... माँ एकदम चुप्प हो गयी थीं।
गीता और छुटकी दोनों कुछ देर चुप बैठी रहीं फिर गीता ने बोलना शुरू किया, जैसे कोई राज़ की बात कर रही हो।
जानती हो भैया से उन्होंने तीन तिरबाचा भरवाया है, ... मैं बाहर खड़ी सुन रही थी,... बंबई क़तर जाना तो दूर की बात ,… मेरी, अपनी बाऊ सबकी कसम धरायी, बस खेती किसानी,.. पास के शहर में भी कोई नौकरी चाकरी नहीं,... जा सकते हैं काम हो, घूमना हो लेकिन कमाई खेत से ही।
जब से बाऊ जी का पता नहीं चल रहा है,...माँ बोलती तो नहीं,ऊपर से तो बहुत खुश खुश रहती है, लेकिन जब कभी आँगन में अकेले बैठती है तो उसका मुंह एकदम,... और मैं पास जाती हूँ तो बस गोद में दुपका लेती है, जब मैं बहुत छोटी थी एकदम वैसे,...
माँ ने सब काम धीरे धीरे भैया को सौंप दिया था और मेरे सामने मैं देखती थी,
जमीन के कागज़ जो बाऊ जी ने सब माँ के नाम कर दिए थे,... उनमें मेरा और भैया दूनो का नाम जोड़ दिया था और शर्त ये रखी थी की बिना हम तीनों की मर्जी के इंच भी नहीं बिक सकती। और काम धाम सब खेत का भैया के हवाले और चाचा के बंबई जाने के बाद चाची ने भी सब जिम्मेदारी भैया को ही सौंप दी थी,... माँ ने न सिर्फ समझाया बल्कि खेत में भेज के, मजूर मजूरिन का काम सिर्फ देखना नहीं, खुद साथ साथ करो तब अंदाज लगता है, ...
और बाकी गाँव वाले अगर कटनी रोपनी का एक कट्ठा देते थे तो माँ कहती थी भैया से दो नहीं तो डेढ़ से कमी नहीं,.. और माँ पहले खुद खेत में जाती थी लेकिन अब उसने बंद कर दिया था, भैया या मैं । हाँ कउनो टोला में कउनो जाती में अगर बिटिया क बियाह तो माँ सबसे पहले,... हर रस्म में, लड़के की शादी हो तो बरात बिदा करने भी और दुल्हन उतारने भी,...
वही गुन माँ ने धीरे धीरे मुझे भी,..
रोपनी में दो दिन तो गयी ही, कटनी में भी,..
अगर भाई को दो तीन दिन शहर में किसी काम से जाना है तो खेत और बाग़ के एक इंच का काम मैं अकेले देख लेती थी, कहाँ खाद डालनी है , गन्ने में कीड़े तो नहीं लग रहे हैं,... सब कुछ स्कूल के बाद और जिस दिन छुट्टी है तो,.. और नहीं तो घर का सारा काम काज,... गाय भैंस, आधा दर्जन, ...ग्वालिन भौजी ने दूध दुहना सिखा दिया है , माँ तो पहले से ही , शादी के बाद से ही अपनी,... और सानी चारा गोबर,... सब कर लेती हूँ,...
माँ जो गपाष्टक बैठक करती थी आस पड़ोस की औरतों के साथ,... बाद में पता चला,... काम करने वालियां भी उसमें, खूब हंसी मजाक ,... माँ ने प्लान किया था,... अब वो चली गयी तो स्कूल बंद होने के बाद गर्मी में,.. गर्मी बरसात खेत में तो ज्यादा काम होता नहीं तो दुपहरिया, तिझरिया में बड़ी, पापड़, चिप्स ये सब बनाने का प्रोग्राम,... बेचने का काम भैया के जिम्मे, माँ ने पहले से ही कहीं बात कर लिया है,....और अब माँ नहीं है तो मेरे जिम्मे, गर्मी की छुट्टी में, मेरा स्कूल बंद ,... खेती किसानी बंद तो यही सब
गीता एक बार फिर चुप हो गयी थी लेकिन अबकी खुश थी, मुस्करा रही थी।
तो भैया की पढ़ाई, ये सब चक्कर में,... छुटकी को तो हर बात जांननी थी,...
गीता हंसी बोली माँ ने बोल रखा है हम दोनों को अगर इम्तहान में फेल हुए तो कान का पान बनाउंगी।
हाँ भैया ने कालेज छोड़ दिया है लेकिन प्राइवेट बी ए कर रहा है. पर वो एग्रिकल्चर भी पढ़ना चाहता था तो वो तो प्राइवेट में नहीं हो सकता है तो किताब ला के,... क्या मास्टर लोग जानेगे, और वो ऑनलाइन कभी वीडियो कभी पढ़ के,... अरविन्द भैया तो हर चीज में
गीता तो एकदम अपने भाई की फैन थी पर छुटकी को चिढ़ाने से कौन रोक सकता था
किताब पढ़ के कौन खेती करता है, छुटकी हँसते हुए बोली।
गीता भी हंसने लगी बोली तेरी पिटाई करुँगी तो पता चलेगा, पिटाई के लिए मुझे कोई किताब नहीं पढ़नी पड़ेगी,... तूने हम लोगों के गन्ने के खेत तो देखे होंगे,...
छुटकी अब मज़ाक के मूड में थी बोली नहीं दी, जैसे आपने देखा था गन्ने के खेत अंदर से जमीन पे लेट के ऊपर कोई चढ़ा हुआ,
" घबड़ा मत जल्दी देख लेगी और गिनती भूल जाएगी कितने चढ़ेंगे लेकिन मैं दूसरी बात कह रही हूँ, ... भैया गन्ने के खेत के बारे में ,
छुटकी को रोकना मुश्किल था, हँसते हुए बोली, मुझे मालूम है आपके साथ और आपके पहले भी,... गन्ने के खेत में तो मास्टरी है उनकी
और तेरे साथ भी करेंगे घबड़ा मत और मैं बगल में बैठ के देखूंगी, गन्ने के खेत में हँसते हुए गीता बोली,
फिर जो उसने बताया उसका सार संक्षेप यह है की, गन्ने का दाम अच्छा नहीं मिलता था, माँ ने भी बात की मिल वालों से , तो परेशानियां थी,... एक तो सबके गन्ने साथ कटते थे तो पेराई में,... और मिल वाले की मर्जी, ... फिर मिल वाले की मजबूरी ये थी की मिल कुछ महीने ही चलती थी अगर ऐसे गन्ने लोग बोयें जो कुछ पहले हो जाएँ , कुछ बाद में हो तो मिल ज्यादा दिन तक चल पाएगी, और जिसके गन्ने पहले आयंगे उन्हें कुछ ज्यादा मिलेगा,... बस भैया लखनऊ गया था वहां कोई गन्ने का रिसर्च करते हैं इक्षु करके कुछ है, मिल वालों ने ही बताया था,... वहीँ से ले आया है रिसर्च वाले और मिल वाले भी साथ दे रहे हैं दो बीघा हमारा और दो बीघा चाची का ,... और असली फायदा ये होगा की देखा देखी बाद में बाकी गाँव वाले भी,
लेकिन छुटकी अब सीरियस बात करने के मूड में नहीं थी चिढ़ाते हुए बोली
अरे ये सब कहानी है असल में अरविन्द भैया चाहते है की जितनी जल्दी गन्ने के खेत में उतनी जल्दी मेरी दी के ऊपर चढ़ाई,... लेकिन चाची का खेत,...
अरे नहीं उस खेत में तो सबसे पहले तेरे ऊपर चढ़वाऊंगी भैया को , और चाची एक दो महीने पहले चली गयीं, चाचा तो बताया था बाऊ जी का काम पहले बम्बई फिर वो भी क़तर,... तो चाची की एकलौती लड़की मेडिकल कोचिंग कर रही थी, उसका मेडिकल में हो गया, अब वो गाँव आती नहीं। तो जिस शहर में उसका हुआ है वहीँ दो कमरे का मकान लेकर, छोटा सा है लेकिन बेटी के पास है और खेती क काम सब चाची ने अरविन्द भैया को सौंप दिया।
और एक बार फिर से गीता छुटकी से सट के बैठ गयी थी, उसके कंधे पे हाथ रख के जैसे न जाने कब बिछुड़ी सहेलियां हो,एकदम राजदार,... और अपने मन की एक और बात, जो उसने न जाने कब से मन के किसी कोने में सात ताले में बंद कर के रखी हो,... और एकदम धीमे धीमे,...
" एक बात और, न तो माँ ने कभी कही न भैया ने, भैया का तो सवाल ही नहीं वो तो पैदायशी बुद्धू है,... लेकिन मुझे लगता है,... "
Aap ke sabdo me ek naya purvanchal dikhta hai .. . Khas taur par banaras . . . Bebaki se likhna aur aasani se bhawanao ko samjhana koi aap se sikhe kaas mai aap ke pass baith kar kuch aur sikh pata sahitya me . . . . Adbhut ..सही है, अक्सर, गोदान में किसी स्टेशन से गुलाबी साडी, पैरों में चौड़ा महावर, प्लास्टिक की गुलाबी सैंडिल,... और फाफामऊ में जैसे गंगा जी पार होती हैं,... वह गठरी धीरे धीरे खुलने लगती है,... इलाहाबाद में साथ का आदमी जो स्टेशन पर उसके साथ था लेकिन जैसे जानता पहचानता न हो,... अब स्टेशन से चाय ले आता है,... और कुछ देर में चकर मकर,... और जबलपुर इटारसी पार होते होते पूरी तरह खुल चुकी होती है।
लौटानी का हाल तो आपने बयान कर ही दिया, एक कोरा में एक ऊँगली पकडे,
लेकिन कुछ ही मेहरारू खुसकिस्मत होती हैं, उसका मन तो पहले दिन से ही करता है साथ जाने का, लेकिन बिघ्न बाधाएं भी होती है जैसे जेठानी और सास। जिंदगी भर हम चूल्हा चौका किये और ये नयको,... जेठानी सास से परछन के बाद ही,... अरे मरद को तो पहले दिन से मुट्ठी में कर लिए है महतारी जादू टोना सीखा के भेजी है, लेकिन हमहुँ बहुत दिन से मायके नहीं गए हैं,... और सोचती कुछ और है जो भी थोड़ा बहुत पैसा इसका मरद भेज रहा ये गयी तो वो भी
जोरू का गुलाम में भी जेठानी यही चाहती है की देवरानी देवर के साथ काम पर न जाए और हुआ वही, जाते ही देवर को बदल दिया।
लेकिन दूसरी बात ये भी परदेस में रहने का ठिकाना, छोटी एक कमरे की खोली भी हो मरद राजी हो जाएगा, ... लेकिन वो भी कहीं सीढ़ी के नीचे,... कहीं जिस ठेले पर दिन भर सबजी बेचता है उसी के बगल में रात और सुबह सुलभ शौचालय,... या स्टेशन पर वेंडर है तो उसी स्टाल पर या कई एक साथ तो मुश्किल है, पर कोशिश वो भी करता है जल्द से जल्द इंतजाम कर फेमली लाने का,... खाने की बड़ी तकलीफ है ये सबसे कॉमन बहाना,...
और कभी कभी आना जाना कुछ दिन के लिए जैसे इस कहानी में गितवा की माँ
शुरू शुरू में बच्चे छोटे और सास, कौन देखेगा फिर खेत बाड़ी,...
और बाद में दो बार एक बार बच्चो के साथ घूमने फिरने, और फिर बच्चे जब थोड़े बड़े हो गए तो उन्हें ननिहाल भेज के दो महीने के लिए,...
माइग्रेशन में सिंगल मेल माइग्रेंट सबसे ज्यादा है और उसके बाद पति पत्नी,... और सबसे बड़ी बात ये माइग्रेशन कभी भी पूरा नहीं होता, साल में एक बार दो बार, घर से नाता जुड़ा ही रहता है
और हम सब महानगर में थोड़ा बहुत गाँव साथ में लेकर जाते हैं, यादों में आदत में
और शहर तो अच्छी तरह आ जाता है , अब लोकगीतों में भी मम्मी पापा आ गए हैं और भोजपुरी पिक्चरों में हीरो सुजीत कुमार की तरह धोती कुरता और कंधे पर लाठी ले के नहीं दीखते बल्कि जींस में नजर आते हैं,...
उफ्फभाग ७२ - मेरा भाई मेरी जान
किस्से भैया बहिनिया के
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Xforum pr ab komal ji bomb fodne wali hai, esa dhamaka pehle kabhi nhi hua hogaमस्ती की पाठशाला
नंदों की
थोड़ी देर में बाकी जेठानियाँ भी आ गयीं,... चननिया ने मना कर दिया था कुछ काम था, मंजू भाभी भी नहीं आ रही थी, रमजानिया भी थोड़ी देर में चली जाती लेकिन ६-७ और दस बजने के पहले आ गयीं।
दस बजते बजते १८-२० भाभियाँ आ गयीं, कल की कबड्डी टीम वाली मंजू भाभी और चननिया को छोड़ के बाकी सब ८ लोग थीं, दूबे भाभी भी दस बजे के पहले आ गयी थीं, रामजानिया को जाना था लेकिन साढ़े ग्यारह बजे, पर कल कबड्डी की बाद की मस्ती के चलते और भी, सब की सब मेरी जेठानियाँ ही, रानो, कामिनी, निम्मी सब मुझसे चार से सात आठ साल तक बड़ी थी, दो चार और आने वाली थीं, और दूबे भाभी ने सबको काम पकड़ा दिया, ननदों के आने के बाद चार काम था,
पहला था, उन्हें सुई लगवाने का जो काम मेरे अरे चमेलिया के जिम्मे,
मोहिनी भाभी और रमजनिया मिल के ठंडाई पिलातीं जिसमें रमजानिया की लायी जड़ी बूटी पड़ी थी जो आधे एक घण्टे में उन्हें लंड के लिए पागल कर देती थी, वैसे भी होलिका माई के भभूत का असर तो सब पर था ही,..
तीसरा काम था बिलिया में तेल डालने का, .... वैसे तो ऊँगली में तेल लगा के अंदर तक या बुर फैला के डाल देते लेकिन करीब दर्जन भर तो ऐसी थीं जिनकी आज फटनी थी,... तो एक जो मशीन में तेल डालते हैं कुप्पी ऐसी, पतला सा नोजल बस वैसे ही, वो दो चार दूबे भाभी ने इंतजाम किया था,... और उसमें शुद्ध कडुवा तेल, जो कस कस के छरछराये परपराये, और नोजल से अंदर ही पड़े यानी बाहर का हिस्सा तेल से हल्का ही गीला ही,... लेकिन वो तेल ऐसा नहीं था, उसमें भी रामजनिया की करामात थी, ... ऐसी जड़ी बूटियां, जो एक तो फटी चूत को भी टाइट कर दें, कुँवारी ऐसी, दूसरे थोड़ी देर में हजार चींटियां एक साथ काटती नंदों की बुर में और वो लंड की मलाई से ही ठीक होती, तेल लगाने का काम दूबे भाभी ने रानो और निम्मी को पकड़ा दिया।
और सबसे कठिन काम था नंदों को समझाने का अपने सगे भाई के खूंटे पर चढ़ने का,... और ये काम दूबे भाभी ने अपने जिम्मे लिया था उनके साथ ठकुराइन भौजी जो दूबे भाभी की उम्र की ही थीं उनके जिम्मे,...
चुदी चुदाई ननदें तो अपने आप ही लंड पे,चढ़ने के लिए बेकरार थीं
लेकिन परेशानी थी जो दर्जन भर बारी कुँवारी थी,... उनकी फड़वाने की
और उनको भी तीन जोड़ी भाभियों में बाँट दिया गया,...
मेरे हिस्से में रेनू, कम्मो, रूपा और लीना पड़ीं। और देवर हमारे थे तो खाली नंदे थोड़ी मजा लेतीं, तो दो एकदम कुंवारे और दो सबसे लम्बू मोटू पे मैंने निशान लगा दिया था, उसके बाद जिस देवर की मर्जी हो,... आज न तो देवर मना कर सकता था न भाभी। और मैं तो होलिका माई की उतरन पहनी थी , मैं जो सोचती चाहती, देवर ननद जो सामने होता वो भी उसी तरह सोचने लगता, ...
लेकिन तब भी मेरी परेशानी सिर्फ एक थी, और इच्छा भी एक ही थी,... परेशानी थी रेनू आएगी की नहीं,... कल मैंने उसकी चाची को पक्का वादा किया थी की उनकी भतीजी की झिल्ली उनका बेटा ही फाड़ेगा, और हचक के और गाँड़ भी मारेगा, और मैंने वादा तो नहीं किया था लेकिन अपने से तय कर लिया था की रेनू के भाई से, कमल से एक दो और कुँवारी की झिल्ली भी फड़वाउंगी और जो कच्ची उमर वाली नंदे उछल रही थीं उस पर भी उसे चढ़ाउंगी, ... नैना ने बोला था वैसा रफ और वाइल्ड सेक्स वाला कोई है नहीं लेकिन सवाल ये था की रेनू आ जाए, अगर उसे जरा भी अंदाजा लग जाएगा की आज उसका भाई उसकी कच्ची चूत फाड़ेगा तो वो आएगी नहीं ,
अभी दस नहीं बजा था लेकिन चंदा दिखी, वही कल कबड्डी में जिसके एक पैर में मोच लग गयी थी और कल उसकी जरा भी रगड़ाई नहीं हुयी थी बल्कि, चननिया, और दूबे भौजी ने मिल के उसके पैरों पे जड़ी बूटी लगाई, पैरों में पट्टी बाँधी,... बहुत ख्याल किया,... चंदा ने किसको किसको अपने ऊपर चढ़वाया था कहना मुश्किल था, नहीं शब्द वो जानती नहीं थी, लेकिन फायदा ये था की सब लड़को लड़कियों दोनों में बहुत ही पॉपुलर,...
रज्जो भाभी ने उसको ही काम पकड़ाया था रेनू को लाने का,... चंदा के साथ ही रेनू भी थी, मीना भी थी और एक दो लड़कियां और,... मैंने चैन की साँस ली, ... चंदा ने रेनू की ओर इशारा करके दूर से ही आँख मारी और मैंने मुस्कराकर जवाब दिया ,
और रेनू के आते ही उससे अँकवार भर के मिली,...
" अरे आज तक मोटी सुई नहीं लगवाई हो तो पतली वाली तो लगवा लो ,"
मैंने छेड़ा और आशा बहू ने अंतरा की पहली सूई लगा के शुरुआत की,... अब तीन महीने तक पाने भाई कमल से दिन रात चुदवाये, पेट नहीं फूलना था,... मैंने और चंदा ने उसका हाथ पकड़ा, और मोहिनी भाभी ने जड़ी मिली ठंडाई का ग्लास पकड़ा दिया।
वो ठंडाई सुड़क रही थी और मैं चिढ़ा रही थी,
" अरे निचले होंठों से भी आज घोंटना पड़ेगा'
" अरे भाभी मैं तो कबसे,... आप को मना थोड़े ही कर रही हूँ , आपके मुंह में गुड़ घी। लेकिन मेरा वो भाई, उसके साथ,... " उसने हँसते हुए अपनी परेशानी बतायी,
" अरे यार आज उसको भी देख लुंगी लेकिन तेरा भरतपुर आज लुट के रहेगा, ... बस तू मना मत करना, रो सकती हो चीख चिल्ला सकती हो " मैंने उसके गाल पे चिकोटी काटते, हुए चिढ़ाया।
तभी मुझे बेला दिखी,...
रज्जो भाभी के साथ और मैं खुश. मेरी इच्छा पूरी हुयी आज उसकी मुझे चुन्नू से फड़वानी थी, सारी नन्दो में सबसे कोमल सुकवार यही थी,... गोरी इतनी की छूने पर मैली हो जाए, दूध में कोई दो थोड़ा सा ईंगुर डाल दे तो रंग वैसा, हँसे तो दूध मखाने की तरह, जोबन बस अभी आ ही रहे थे, लेकिन देखने वालों की नज़र से छुप नहीं सकते थे,.. उसे मुझे लड़कों की नजर से बचा के रखना था, लेकिन मैं आज खुद उसका रस लिए बिना छोड़ने वाली नहीं थी.
और उस पर तो मेरे देवर चुन्नू का नाम लिखा था, उम्र में उससे थोड़ा ही बड़ा, उतना ही शर्मीला, लेकिन पम्प चलने लगा था दो दिन पहले मैंने चला के पानी निकाल के देखा था, अच्छा खासा गाढ़ा और कल होली खेलने के नाम पर उस पर चढ़ के उसे चोद भी दिया था और उसे चुदाई सिखा भी दी थी, लेकिन होली की आशीष मैंने उसे दे दी थी,फिर तो बस घंटे दो घण्टे में ये मेरी ननद, कच्ची कली हम लोगों की बिरादरी में आ जाती,... उसके आते ही मैंने उसे गपुच लिया और सीने से लगा लिया, अपने बड़े बड़े जोबन उसकी जस्ट आती कच्ची अमिया दबायी, एक हाथ से छोटे छोटे लौंडे टाइप चूतड़ को सहलाया और कस के होंठों से उसके होंठों को चूम के सीधे आशा बहू के पास अंतरा सुई लगवाने, और उन्होंने छेड़ा,
" अभी तो मोट मोट अपने भाई लोगन क सुई लगवानी होगी, इससे काहें डर रही हो,... "
बेला पूछ भी पाती की काहें की सुई है, आशा बहू की सहेली जो उनसे भी चार हाथ आगे थी, समझाते बोली, हाथ पकड़ के
" अरे पेट क पक्का इलाज है तीन महीना का, कुछ भी खाओगी, दिन में चार बार बार पांच बार जब जब मन करे,... न पेट फूलेगा, न उलटी आएगी "
आशा बहू ने इंजेक्शन लगा दिया तो उनकी सहेली ने बेला की स्कर्ट के अंदर हाथ डाल के उसकी चुनमुनिया रगड़ते अब साफ़ साफ़ समझाया,...
" इस वाले मुंह में, अब घोंटना शुरू कर दो लम्बा मोटा अपने भाइयों का खूंटा , बिना किसी डर के न पेट फूलेगा, न उलटी आएगी,... "
जब तक बेला कुछ समझती मैं उसे खींच के रामजानिया के पास, जहाँ डबल डोज भांग वाली ठंडाई में रमजनिया ने अपनी जड़ी बूटी मिला के जबरदस्त , दो घूँट ही काफी होता,... पीने के बाद कुल लाज शरम गायब और चूत में ऐसी आग लगती की अगर सगा भाई भी सामने हो तो उसे पटक के चोद देगी।
और मैंने अपने हाथ से,... अरे एक भाभी के हाथ से, कह के बेला को डबल डोज घोंटा दी, आज उसे मेरे बहुत देवरों का लंड घोंटना होगा, ... और मैं भी रस लूंगी,...
Ab to intejar nhi hota is orgy party kaकच्ची कोरी बेला
जब तक बेला कुछ समझती मैं उसे खींच के रामजानिया के पास, जहाँ डबल डोज भांग वाली ठंडाई में रमजनिया ने अपनी जड़ी बूटी मिला के जबरदस्त , दो घूँट ही काफी होता,... पीने के बाद कुल लाज शरम गायब और चूत में ऐसी आग लगती की अगर सगा भाई भी सामने हो तो उसे पटक के चोद देगी।
और मैंने अपने हाथ से,... अरे एक भाभी के हाथ से, कह के बेला को डबल डोज घोंटा दी, आज उसे मेरे बहुत देवरों का लंड घोंटना होगा, ... और मैं भी रस लूंगी,...
लेकिन ननदें तो पहिले से ही गर्मायी बौराई थीं, दूबे भाभी ने समझा दिया था मुझे, कल शाम को होलिका माई का परसाद, वो भभूत,... असर तो बहुत लम्बा रहता है,... लेकिन २४ घण्टे तक तो एकदम पगलाई रहेंगी लंड के लिए,... जिन पांच नंदों की माहवारी पिछली होली के बाद शुरू हुयी थी उनकी बिल में तो खुद उन्होंने अपने हाथ से , बाकी के लिए भभूत उन्होंने मुझे दिया था, और मैंने जी भर भर के सबकी बिल में ऊँगली अंदर डाल के दोनों फांके फैला के,...
दूबे भाभी ने बोला था की धूप जैसे जैसे चढ़ेगी ननदों की बुर की गर्मी बढ़ेगी,....
और साफ़ साफ़ दिख भी रहा था
और एक बात और दूबे भाभी ने समझाया था की बिलिया में जब २४ घंटे तक भभूत का घनघोर असर होता है उस समय अगर कउनो लौंडे की मलाई बिल में पड़ गयी तो वो असर परमानेंट, उसको पक्की छिनार होने से कोई रोक नहीं सकता।
एक और मेरी जेठानी ने जोड़ा,
" लेकिन ननद का भी तो फायदा होगा, एक तो कच्ची चूत की तरह चूत टाइट रहेगी, हर रात गौने की रात,... हरदम,... दो चार बच्चे उगल देगी तब भी, ... दूसरे कउनो रोग दोष नहीं लगेगा बिल में , ... "
बेला क न कोई सगा भाई था न चुन्नू की कोई सगी बहन,... हाँ रिश्ते से सबसे नजदीक बेला ही थी उसकी बहन, चचेरी लेकिन सगी से बढ़कर, समौरिया भी आलमोस्ट, इसलिए बचपन से दोस्ती और बेला राखी भी उसी को बांधती और वो ही सिर्फ बेला से ही राखी बंधवाता था तो बेला की झिल्ली फाड़ने वाला उसके अलावा कौन हो सकता था,... हाँ लेकिन पहला राउंड मैं उसे किसी खेली खायी ननद पे चढ़ाना चाहती थी , एक तो फिर दूसरे राउंड में टाइम लगेगा,... दूसरे कुछ चुदाई का गुन ढंग सीख जाएगा, और कच्ची कली की झिल्ली फाड़ने के लिए कुछ तो ताकत लगेगी और तरकीब आनी चाहिए ही,
हालंकि सब काम भौजाई लोग ही करतीं, ... चुन्नू के आँख पे पहले पट्टी बाँधी जाती, काली खूब मोटी और उसे बगिया में दो तीन भौजाइयां पटक के लिटा देतीं, फिर उसकी बहन बेला का नंबर आता,... और उसके पास च्वायस होता, या तो बिन बोले चुपचाप भौजाई की बातें माने या अपनी झिल्ली भौजाई की मुट्ठी से फड़वाये और फिर सब सांड ऐसे लौंडो से गैंग बैंग करवाए,
तो भौजाई लोग ( और तब तक मैं भी आ जाती खेल में ) जबरदस्ती पकड़ के उसके हाथ में उसके भाई का आधा सोया जाग लंड पकडातीं,
और बहन का , बेला का काम होता सब भाभियों के सामने अपने भाई का लंड मुठियाना सहलाना पकड़ के, सुपाड़ा खोल के सहलाना, और झुक के पहले चुम्मा लेना, हलके हलके चूसना,...
और जब लंड एकदम टनटना जाए, देवर चोदने के लिए बेताब हो जाए,... तो दो ननदें बेला को पकड़ के चुन्नू के खड़े लंड के ऊपर और मेरी जिम्मेदारी होती, वो कसी बिन चुदी चूत को फैला के, देवर का लंड पकड़ के उसके ऊपर सेट करने की,... फिर दोनों भौजाइयां कंधा पकड़ के जोर जोर से दबातीं और नीचे से उसका भाई भी ( उस बिचारे को क्या मालूम होता की जिसकी चूत उसका लंड खा रही है वो उसकी बहन है ) धक्का ऊपर की ओर मारता,
एक बार सुपाड़ा अंदर घुस जाने पे चुन्नू ऊपर बेला नीचे,...
हाँ झड़ने के ठीक पहले चुन्नू की या जो भी देवर होता उसकी पट्टी खोल देतीं,
और जोर जोर से चिढ़ातीं, गरियाती
" हां देवर राजा, हां भैया जोर से चोदा अपनी बहिनिया को पूरा पानी बच्चेदानी में, अरे बहनचोद लगा दे ताकत फाड़ तो दिया बहन की चूत आज, चलो आगे से हम लोगों के भाई चढ़ेंगे,... गिरा दे पानी अंदर, ... अरे ननद रानी मजा आ रहा है न भैया से चुदवाने में न "
और झड़ते समय कौन मरद बाहर निकालता है और एक बार पूरे गाँव की भौजाइयों के सामने अपने भाई से चुद के अपनी बहन को चोद के दोनों की लाज झिझक ख़तम हो जाती
बेला के टॉप के ऊपर से दोनों चूजों को कस के रगड़ते मैंने स्कर्ट के अंदर हथेली घुसा दी. एकदम चिक्कन, चुनमुनिया,... हथेली से रगड़ते मैंने चिढ़ाया,...
" आज घुसेगा, बेला लम्बा मोटा,... "
ठंडाई ख़तम करते मुस्करा के बोली, " अरे हमार मीठ भौजी रोज बिन नागा घोटती हैं तो आज उनकी ननद भी घोंट लेगी "
" तेरे लिए खास इंतजाम किया है, लम्बा मस्त,... " मैंने उसके गाल पे चूम के बताया।
" अच्छा भौजी आपने घोंटा है वो,... जो मेरे लिए इंतजाम किया है " खिलखिलाती बेला बोली। और मैंने हड़का लिया,
" क्या,... नाम लेने में फट रही है,... बोल न साफ़ साफ़ " और कुछ ठंडाई का असर कुछ रमजनिया की जड़ी का, ननद गरमा रही थी, बिना झिझके बोली,
" लंड,... तो वो लंड आपने भौजी घोंटा है की नहीं "
" एकदम, चढ़ के चोदा है उसको, बिना जाँच पड़ताल किये अपने ननद के लिए थोड़े ही,... सटासट पेलेगा मेरी छोटी ननद को मोटा लंड,... "
मैंने उसे छेड़ा,...
लेकिन तबतक दूबे भाभी ने मुझे इशारा किया बड़की बगिया में जाने के लिए, और मेरी निगाह घड़ी पर पड़ी बस पांच मिनट बचे थे, जो टाइम देवरो को दिया था, मैंने अपनी एक जेठानी केतकी को बेला को सौंपा,... और मेरे साथ गुलबिया रमजानिया भी,... दो चार ननदें, नीलू, लीला, चंपा भी,... सब पर ठंडाई का असर हो रहा था,... जो खेली खायी ननदें थी वो सब आज हम सब भौजाइयों के साथ,.. और जो कच्ची कलियाँ उन्हें पटाने में फंसाने में हम लोगों का साथ दे रही थी,..
Chunnu ki to nikal padiइंतजाम देवरों के लिए
दूबे भाभी ने मुझे इशारा किया बड़की बगिया में जाने के लिए, और मेरी निगाह घड़ी पर पड़ी बस पांच मिनट बचे थे, जो टाइम देवरो को दिया था, मैंने अपनी एक जेठानी केतकी को बेला को सौंपा,... और मेरे साथ गुलबिया रमजानिया भी,... दो चार ननदें, नीलू, लीला, चंपा भी,... सब पर ठंडाई का असर हो रहा था,... जो खेली खायी ननदें थी वो सब आज हम सब भौजाइयों के साथ,.. और जो कच्ची कलियाँ उन्हें पटाने में फंसाने में हम लोगों का साथ दे रही थी,..
रमजानिया और चमेलिया के बड़ी सी डलिया में चालीस पचास लडडू,..
आज दूबे भाभी ने अपना खजाना खोल दिया, शुद्ध पहाड़ से आया शिलाजीत, जिसका एक दो बार के बाद खड़ा नहीं होता उसका भी आज पांच छह के राउंड के बाद भी बैठने का नाम नहीं लेगा और कड़ापन और देर तक रगड़ाई,... एकदम सांड़ कल जिस तरह कमल का जिक्र उसकी माँ ने किया था और उससे पहले नैना ने मैंने दूबे भाभी से पूछा भी की जो पहले से सांड़ होगा वो,...
वो हंस के बोलीं, ... दस सांड़ के बराबर और कुँवारी बछिया को बचाना उससे, चार दिन तक चल नहीं पाएगी,...
मैंने रेनू की ओर मुस्करा के देखा वो अपनी सहेली चंदा से बतिया रही थी,...
न चल पाए तो न चल पाए. हम भाभियाँ किस लिए हैं टांग के घर पहुंचा देंगे, और वैसे भी उसकी चाची और माँ दोनों ही हफ्ते भर के लिए उसकी चाची के मायके चली गयी होंगी और घर पर भी तो वही दस सांड़ की ताकत वाला उसका भाई कमल मिलेगा,... इत्ते दिन से तड़पा रही थी बेचारे को, उमर की कच्ची नहीं थी, १२ में गयी थी लेकिन थी अभी बिन चुदी।
रेनू को अंदाज नहीं था की आज जिससे बचा के रखी है इत्ते दिन से वही चढ़ेगा और वो भी सब भौजाइयों के सामने,...
बड़की बगिया में सबसे पहले देवर आया, और कौन चुन्नू,...
मंजू भाभी ने उससे मेरा नाम लेकर कहा था और मेरे नाम पे तो वो बरसते पानी में खड़ा हो जाए,...
रमजानिया और मैं नीलू के साथ वो पेसल लड्डू वाली डोलची लेकर खड़े थे, ... चुन्नू से मैं बोली हे खोल, ...
वो कनफुजिया गया, और हँसते हुए मैंने चिढ़ाया
" अबे तेरी गाँड़ नहीं मारनी है, नेकर नहीं खोलनी है,मुंह खोल "
और उसने मुंह खोल दिया, कच्चे केले को देख कर कौन नहीं ललचाता, नीलू के भी ऊपर और नीचे वाले दोनों मुंह में पानी आ रहा था, झट्ट से उसने शिलाजीत वाला लड्डू चुन्नू के मुंह में डाल दिया,...
उसका असर शुरू हो रहा था, और मैंने उसे और चढ़ाया, " हे देवर भौजी क नाम मत डुबोना,... उसने तेरे मुंह में डाला तू नीचे वाले मुंह में डाल हचक के,... " और नेकर के ऊपर से उसका थोड़ा थोड़ा टनटनाया लंड पकड़ के दबा दिया, जादू सा असर हुआ. एकदम खड़ा,
नीलू की आँखे वहीँ,...
" चल देखती हूँ तोहार भौजी कुछ डालना वालना सिखाई भी है की नहीं,... तू नहीं डाल पायेगा तो मैं ही चढ़ के डाल लूंगी "
हंस के नीलू उसे पकड़ के बाग़ जिधर गझिन थी खींच के ले गयी,...
तब तक चार पांच देवर एक साथ आये, एक के साथ रज्जो भौजी भी थीं जिन्हे मैंने सकारा था की कुछ भी हो कमल को रेनू के भाई को जरूर ले आना ,... रज्जो भौजी ने इशारा किया
यही कमल है।
Mast bu
Masti ki shuruat
Ekdam sahi kaha aapne aur shuruaat hogi aur kisase