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Serious ज़रा मुलाहिजा फरमाइये,,,,,

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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ऐ उम्र-ए-नाज़ तुझ को गुज़ारे गुज़र न था।
हम बोरिया-नशीनों का कोई भी घर न था।।

दुनिया-ए-हस्त-ओ-बूद में मेरे सिवा तुझे,
सब काबिल-ए-क़ुबूल थे मैं मो'तबर न था।।

ये दिल जो मेरे सीने में बजता है रात-दिन,
वो दर्द सह चुका है कि जो मुख़्तसर न था।।

इक चाँद रो रहा था सर-ए-आसमान-ए-इश्क़,
तारों की अंजुमन में कोई चारागर न था।।

ये शोर-ओ-ग़लग़ला है कि लुटता है मय-कदा,
क्या वाँ पे कोई 'ग़ालिब'-ए-आशुफ़्ता-सर न था।।

थे अंदरून-ए-ज़ात कई लाख हादसात,
लेकिन तुम्हारी याद से दिल बे-ख़बर न था।।

इम्काँ चहार सू था सफ़र का मगर 'क़मर'
तन्हा खड़ा हुआ था कोई हम-सफ़र न था।।

_________क़मर अब्बास 'क़मर'
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को।
न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को।।

दुआ बहार की माँगी तो इतने फूल खिले,
कहीं जगह न रही मेरे आशियाने को।।

मिरी लहद पे पतंगों का ख़ून होता है,
हुज़ूर शम्अ' न लाया करें जलाने को।।

सुना है ग़ैर की महफ़िल में तुम न जाओगे,
कहो तो आज सजा लूँ ग़रीब-ख़ाने को।।

दबा के क़ब्र में सब चल दिए दुआ न सलाम,
ज़रा सी देर में क्या हो गया ज़माने को।।

अब आगे इस में तुम्हारा भी नाम आएगा,
जो हुक्म हो तो यहीं छोड़ दूँ फ़साने को।।

'क़मर' ज़रा भी नहीं तुम को ख़ौफ़-ए-रुस्वाई,
चले हो चाँदनी शब में उन्हें बुलाने को।।

________'क़मर' जलालवी
गायक:- गुलाम अली
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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छोड़ कर घर-बार अपना हसरत-ए-दीदार में।
इक तमाशा बन के आ बैठा हूँ कू-ए-यार में।।

दम निकल जाएगा हसरत से न देख ऐ नाख़ुदा,
अब मिरी क़िस्मत पे कश्ती छोड़ दे मंजधार में में।।

देख भी आ बात कहने के लिए हो जाएगी,
सिर्फ़ गिनती की हैं साँसें अब तिरे बीमार में।।

फ़स्ल-ए-गुल में किस क़दर मनहूस है रोना मिरा,
मैं ने जब नाले किए बिजली गिरी गुलज़ार में।।

जल गया मेरा नशेमन ये तो मैं ने सुन लिया,
बाग़बाँ तो ख़ैरियत से है सबा गुलज़ार में।।

_______'क़मर' जलालवी
 

VIKRANT

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कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को।
न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को।।

दुआ बहार की माँगी तो इतने फूल खिले,
कहीं जगह न रही मेरे आशियाने को।।

मिरी लहद पे पतंगों का ख़ून होता है,
हुज़ूर शम्अ' न लाया करें जलाने को।।

सुना है ग़ैर की महफ़िल में तुम न जाओगे,
कहो तो आज सजा लूँ ग़रीब-ख़ाने को।।

दबा के क़ब्र में सब चल दिए दुआ न सलाम,
ज़रा सी देर में क्या हो गया ज़माने को।।

अब आगे इस में तुम्हारा भी नाम आएगा,
जो हुक्म हो तो यहीं छोड़ दूँ फ़साने को।।

'क़मर' ज़रा भी नहीं तुम को ख़ौफ़-ए-रुस्वाई,
चले हो चाँदनी शब में उन्हें बुलाने को।।

________'क़मर' जलालवी
गायक:- गुलाम अली
Greattt shubham bro. Such a mind blowing poetries. :applause::applause:
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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आवाज़ दे रही है ये किस की नज़र मुझे।
शायद मिले किनारा वहीं डूब कर मुझे।।

चाहा तुझे तो ख़ुद से मोहब्बत सी हो गई,
खोने के बाद मिल गई अपनी ख़बर मुझे।।

हर हर क़दम पे साथ हूँ साया हूँ मैं तिरा,
ऐ बेवफ़ा दिखा तो ज़रा भूल कर मुझे।।

दुनिया को भूल कर तिरी दुनिया में आ गया,
ले जा रहा है कौन इधर से उधर मुझे।।

दुनिया का हर नज़ारा निगाहों से छीन ले,
कुछ देखना नहीं है तुझे देख कर मुझे।।

________क़मर जलालाबादी
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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तेरे ख़्वाबों में मोहब्बत की दुहाई दूँगा।
जब कोई और न होगा तो दिखाई दूँगा।।

मेरी दुनिया में फ़क़त एक ख़ुदा काफ़ी है,
दोस्तो कितने ख़ुदाओं को ख़ुदाई दूँगा।।

दिल को मैं क़ैद-ए-क़फ़स से तो बचा ले आया,
कब उसे क़ैद-ए-नशेमन से रिहाई दूँगा।।

कोई इंसाँ नज़र आए तो बुलाओ उस को,
उसे इस दौर में जीने पे बधाई दूँगा।।

देख लूँ अपने गरेबाँ ही में मुँह डाल के मैं,
अपने हालात की किस किस की बुराई दूँगा।।

तुम अगर छोड़ गए मुझ को तो यूँ तड़पूँगा,
सारी दुनिया को ग़म-ओ-दर्द-ए-जुदाई दूँगा।।

तेरी ही रूह का नग़्मा हूँ अगर मिट भी गया,
मैं तुझे दूसरी दुनिया से सुनाई दूँगा।।

________क़मर जलालाबादी
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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क्या है ऊँचाई मोहब्बत की बताते जाओ।
पंछियों उड़ के यूँ ही ख़्वाब दिखाते जाओ।।

पेड़ पत्थर का जवाब आज भी देते फल से,
चोट खाओ भले पर रिश्ते निभाते जाओ।।

यूँ भी पैग़ाम मोहब्बत का पहुँच जाएगा,
साथ इंसाँ के परिंदों को बसाते जाओ।।

शहर में काम बहुत सारे समय लेकिन कम,
मत करो बात मगर हाथ हिलाते जाओ।।

इक दो मत-भेद तो हर घर में हुआ करते हैं,
इन को नेता जी हवा मत दो बुझाते जाओ।।

गाँव में नाव थी काग़ज़ की सफ़र आसाँ था,
इक मुसाफ़िर हूँ यहाँ राह दिखाते जाओ।।

गालियाँ ऐसे ही दो मुझ को हमेशा 'आतिश'
ग़लतियाँ मेरी इसी तरह बताते जाओ।।

________'आतिश' इंदौरी
 
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