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तू काश मिले मुझ को अकेली तो बताऊँ।
सुलझे मिरी क़िस्मत की पहेली तो बताऊँ।।
आने से तिरे पहले ख़बर दे दी हवा ने,
आँखों पे मिरे रख तू हथेली तो बताऊँ।।
महके हैं तिरे जिस्म की ख़ुशबू से फ़ज़ाएँ,
नाराज़ न हों चम्पा चमेली तो बताऊँ।।
क्यों तेरे मुक़द्दर में नहीं मेरी मोहब्बत,
दिखलाए तू बे-रंग हथेली तो बताऊँ।।
वीरानियाँ तन्हाइयाँ मौसम है ख़िज़ाँ का,
अनवार करो दिल की हवेली तो बताऊँ।।
चेहरे पे मिरे राज़ टटोला न करो तुम,
हमराज़ बने आँख नशीली तो बताऊँ।।
इज़हार-ए-मोहब्बत की तलब दिल में लिए हूँ,
तन्हा जो मिले तेरी सहेली तो बताऊँ।।
आँखों में तिरी याद कहीं ज़ख़्म न कर दे,
निकले ये अगर फाँस नुकीली तो बताऊँ।।
_________चाॅद अकबराबादी
सुलझे मिरी क़िस्मत की पहेली तो बताऊँ।।
आने से तिरे पहले ख़बर दे दी हवा ने,
आँखों पे मिरे रख तू हथेली तो बताऊँ।।
महके हैं तिरे जिस्म की ख़ुशबू से फ़ज़ाएँ,
नाराज़ न हों चम्पा चमेली तो बताऊँ।।
क्यों तेरे मुक़द्दर में नहीं मेरी मोहब्बत,
दिखलाए तू बे-रंग हथेली तो बताऊँ।।
वीरानियाँ तन्हाइयाँ मौसम है ख़िज़ाँ का,
अनवार करो दिल की हवेली तो बताऊँ।।
चेहरे पे मिरे राज़ टटोला न करो तुम,
हमराज़ बने आँख नशीली तो बताऊँ।।
इज़हार-ए-मोहब्बत की तलब दिल में लिए हूँ,
तन्हा जो मिले तेरी सहेली तो बताऊँ।।
आँखों में तिरी याद कहीं ज़ख़्म न कर दे,
निकले ये अगर फाँस नुकीली तो बताऊँ।।
_________चाॅद अकबराबादी