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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

L.k.nee cha

Qut killer
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Mujhe to pahale hi pata tha ki guddi ek tohafa hai Kamal jiju ke lie kyo ki komal to pyar Kamal jiju se karti hai or usne wada bhi Kiya tha ki apne pati ki gand dilwane ki or gand to dilwadi ab guddi ko kab dilwati hai lekin ha komal na sahi rinu jarur apne pati se pyar karti hai Jo uski lie uski pasand ki ladaki 100 rupaye me guddi ko kharid Lia or waji par koi pyar kisi or se Kar Raha hai or naam kisi or ka bataya jaraha hai
 
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malikarman

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रास्ता उनके मायके का











आधे से ज्यादा रास्ता उनके मायके का पार हो चुका था।

आसमान में अभी भी शावक से सफ़ेद भूरे बादल एक दूसरे का पीछा कर रहे थे ,आपस में खिलवाड़ कर रहे थे।



और दरवाजे से झांकती शर्माती नयी बहुरिया की तरह ,

ताज़ी ताज़ी सुबह की शरमाती किरणे भी बादल का घूंघट हटाने की कोशिश कर रही थीं।



दूर दूर तक धानी चूनर की तरह धान के खेत फैले थे और उनमें झुकी रोपनी करने वाली ग्राम्याएँ , सोहनी के गाने गा रही थीं।




आम के घने बगीचे , और गन्ने के खेत ,




मुझे मम्मी के गाँव की याद आ गयी और इनका मम्मी से किया गया वायदा ,


अपनी ममेरी बहन को ८-१० दिन के लिए मम्मी के गांव ,





मेरे मायके भेजने का वायदा ,


और फिर उसकी कुटाई होती ,


गन्ने के खेत में ,



आम के बगीचे में , मेंड़ के पीछे ,


झोपड़ी के नीचे ,

एक साथ तीन चार लौंडे ,




चमरौटी के , भरौटी के ,अहिरौटी के ,

और गाँव की औरतें भी , ...

फिर उसे पक्की छिनार होने से कोई रोक नहीं सकता था।


सच्च में कितना मज़ा आएगा, स्साली , छिनार , ...

भाभी मेरे यहाँ ये नहीं होता , मेरे यहाँ वो नहीं होता , ... आपके मायके की तरह यहाँ नहीं,




सही है , जब मेरे मायके के मोटे लौंड़े घोंटेंगी वो , वो भी एक साथ दो दो तीन तीन ,




हरदम दोनों ओर से सड़का टपकेगा , तब पता चलेगा उसे , ... चूत का तो भोंसड़ा बनेगा ही , गांड भी फाड़ी जायेगी









लेकिन उसके पहले तो मुझे बाजी जीतनी है उससे , ...

"मेरे भैया आम छू भी नहीं सकते , ... भाभी आप का हार तो गया ,"






भैया उसके , उसी के हाथ से खिलवाउंगी इन्हे ,



और उस जेठानी के सामने , ...





"तूने भी गलत बाज़ी लगा ली , तू मेरे देवर को जानती नहीं , आम का तो नाम नहीं ले सकता ये ,

और खिलाने की बात तो सपने में भी नहीं सोचना , मैं तो जानती हूँ न अपने देवर को , तू तो अभी कल की आयी है ,... "




एक बार हार गयी वो फिर तो , ... पहले ये चढ़ेंगे फिर इनके साले
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मम्मी की वार्निंग




ये उठ गए थे पर ड्राइव अभी भी मैं ही कर रही थी , दोनों ओर सड़क के गाँव , गन्ने के खेत , आम से लदी अमराई,



इनके मायके का रास्ता आधे से ज्यादा पार हो चुका था , इनके गाल पे कस के चिकोटी काटते मैंने चिढ़ाया,

" बस थोड़ी देर और फिर पहुँच जाएंगे हम तेरे बहन कम माल के इलाके में , लेना स्साली की रगड़ रगड़ के '

इनकी मुस्कराहट इनका मन बता रही थी।


मुझे मम्मी के गाँव की याद आ गयी और इनका मम्मी से किया गया वायदा ,


अपनी ममेरी बहन को ८-१० दिन के लिए मम्मी के गांव ,





मेरे मायके भेजने का वायदा ,


और फिर उसकी कुटाई होती ,


गन्ने के खेत में ,



आम के बगीचे में , मेंड़ के पीछे ,


झोपड़ी के नीचे ,

एक साथ तीन चार लौंडे ,




चमरौटी के , भरौटी के ,अहिरौटी के ,

और गाँव की औरतें भी , ...

फिर उसे पक्की छिनार होने से कोई रोक नहीं सकता था।


सच्च में कितना मज़ा आएगा, स्साली , छिनार , ...

भाभी मेरे यहाँ ये नहीं होता , मेरे यहाँ वो नहीं होता , ... आपके मायके की तरह यहाँ नहीं,




सही है , जब मेरे मायके के मोटे लौंड़े घोंटेंगी वो , वो भी एक साथ दो दो तीन तीन ,




हरदम दोनों ओर से सड़का टपकेगा , तब पता चलेगा उसे , ... चूत का तो भोंसड़ा बनेगा ही , गांड भी फाड़ी जायेगी


लेकिन उसके पहले तो मुझे बाजी जीतनी है उससे , ...

"मेरे भैया आम छू भी नहीं सकते , ... भाभी आप का हार तो गया ,"






भैया उसके , उसी के हाथ से खिलवाउंगी इन्हे ,



और उस जेठानी के सामने , ...

"तूने भी गलत बाज़ी लगा ली , तू मेरे देवर को जानती नहीं , आम का तो नाम नहीं ले सकता ये ,

और खिलाने की बात तो सपने में भी नहीं सोचना , मैं तो जानती हूँ न अपने देवर को , तू तो अभी कल की आयी है ,... "




एक बार हार गयी वो फिर तो , ... पहले ये चढ़ेंगे फिर इनके साले

चिढाते हुए मैंने इन्हें छेड़ा ,

' रस्ता नहीं कट रहा है क्या , अरे वो छिनार भी खूब चुदवासी हो रही होगी। "

वो कुछ नहीं बोले पर जीन्स में तना उनका बल्ज बोल रहा था।



" मिलते ही चुम्मा लेना उसका , और वो भी अपनी भौजाई के सामने। "

लेकिन उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दिया जैसे सुन के अनसुना कर दिया।


और मुझे मम्मी की वार्निंग याद आगयी ,

,

"चीजें इतनी आसान नहीं होंगी तेरी ससुराल में।


अपने मायके में पहुँच के इसके वापस अपने कोकून में घुसने के पूरे चांसेज है ,

पुरानी फेमिलियर टेरिटरी , होम पिच का अडवांटेज , उसकी भौजाई ,बहन ,

तुमको पूरा ध्यान देना होगा और पहली वार्निंग पर ही साम दाम दंड भेद , सब ,... "


बस ,

भला हो स्मार्ट फोन बनाने वालों का

बात करने के अलावा सब कुछ हो जाता है

,फेसबुक , चैट ,मेल व्हाट्सअप , फोटो ,फ़ाइल टांसफर

बस उसी यंत्र का इस्तेमाल किया मैंने।

अपनी बहन कम माल के लिए लेटेस्ट आई फोन खरीदा था उन्होंने ,

" सुनो , मैं सोच रही थी जो गुड्डी के लिए तुमने फोन लिया है न उसमें तुम्हारी कुछ फोटुएं लोड कर दूँ , ... ये कैसी रहेगी। "



और ये कह के मैंने उन्हें उनकी एक फोटी दिखाई ,

हसबैंड डे के दिन की , पूरी ब्राइडल फाइनरी में , चोली लहंगा , कम्प्लीट मेक अप।

फर्स्ट प्राइज मिला था उन्हें ,

" धत्त , ... "

झेंप गए , फिर अपनी आँखों से बरजा उन्होंने।

" तो ये वाली , ... "

अब मैं भी पूरे जोश में आ गयी थी और उन को एक दूसरी फोटो दिखाई ,

=कल रात की चेहरा इनका एकदम पूरा साफ साफ़


" प्लीज , प्लीज डिलीट कर दो न , ... "
अब वो मिन्नत करने की हालत में आगये थे।

" चलो कर देती हूँ , "

मैं मान गयी पर ये उन्हें भी मालूम था और मुझे भी ,

ये सब दसों जगह , मेरे मेल अकाउंट में ,व्हाट्सअप पे , मम्मी के पेज पे , यानी बस एक बटन दबाना था और फिर वापस ,


" अच्छा चलो , उसके फोन में डालती नहीं हूँ लेकिन दिखा दूंगी उसको भी

और तेरी उस पूरे मोहल्ले में बांटने वाली भौजाई को भी ,आखिर उन्हें मालूम तो चले तेरी असली पसन्द ,... "







और अब जो फोटो मैंने उन्हें दिखाई , बस उनकी फट गयी।


लेटेस्ट थी ,चलने के ठीक पहले जब,...
उनका चेहरा लाज से लाल हो गया ,

उस गुलाबी गाल को चूम के मैं बोली ,

" चल यार नहीं दिखाती , ये सब हम लोगों का ही राज रहेगा , लेकिन बोल न उस की चुम्मी लेगा न अपनी भौजाई के सामने। "


हाँ कहने के अलावा कोई रास्ता बचा था क्या उनके पास ?


" अरे ऐसे थोड़ी ,उसके मम्मे भी तो खूब मस्त है , बोल उसकी कच्ची अमिया दबा दबा के चूमोगे न



अपनी ममेरी बहन को। "

मैं अपना अडवांटेज प्रेस कर रही थी।


और न उन्होंने सिर्फ हाँ बोला , बल्कि खुल के ,

उनसे तिनतिरबाचा भरवाया ,अपनी ननद को दस मोटी मोटी गाली भी दिलावाई।

लेकिन इन सब का असर उनके ऊपर भी हो रहा था , जो मैंने सोचा था एकदम वैसा ,

तंबू में बम्बू खड़ा हो गया था जीन्स का बल्ज एकदम टाइट ,



उसे ऊपर से रगड़ते मलसते मैंने जीन्स थोड़ी सी खोल दी और अंदर ऊँगली डाल के चेक चेक किया ,

एकदम कड़ा , तैयार ,

इसका मतलब उनके मन में भी बस उसी मस्त किशोरी की शक्ल घूम रही थी।

' बस थोड़ी देर की बात है , मिलने दो उसे , देखना चुमवाऊंगी , चटवाउंगी ,चुसवाऊँगी , सब करेगी वो छिनार , बहुत तड़पाया है तुझे उस स्साली ने। "

उनके उत्थित लिंग को मैंने एश्योर किया।


और शहर शुरू हो गया था ,

उनका मायका मेरी ससुरालऔर शहर के शुरू में ही , एक इनफेमस या सच कहूँ तो फेमस मोहल्ला था , रेड लाइट एरिया , ...एक गंज।

और जब उनकी बहन को उनके माँयकेवालियों मैं गारी गाती थी तो बिना इस मोहल्ले का नाम लिए गारियाँ पूरी ही नहीं होती थी।

" ... की बहिना छिनार , वो दुवारे खड़ी ,..गंज में उघारे खड़ी ,... "

" एक किया ,दो किया , साढ़े तीन किया अरे नौसौ , अरे नौ सौ भंडुवे ,...गंज के। "


दरवाजे पर पूरा सिंगार किये , ग्राहकों को पटाती ,फंसाती रंडिया खड़ी थी ,



" क्या देख रहे हो , कही तेरा माल , तेरी वो बहना तो यहाँ नहीं खड़ी है। "

बिचारे वो , मैने फिर चिढ़ाया ,

" अरे उस के लिए तो ग्राहक मैं ले चल रही हूँ न , उसकी नथ उतराई तो तुझे करनी है। हाँ एक बार बस तू चढ़ जाए न , बस देखना , वो तो इन रंडियों को भी मात कर देगी। घबड़ा मत ,एकदम रंडी नबर वन बना दूंगी मैं उसे ,प्रामिस। "

वो शर्मा भी रहे थे ,मुस्करा भी रहे थे।

' और ये तुम्हारी फोटुएं नहीं दिखाउंगी उसे बस याद रखना ,जो होने वाली रंडी नम्बर वन है न बस उससे एकदम रंडी की तरह ही पेश आना , एकदम खुल के और सबके सामने ,... नो लाज झिझक। "

और ये कहते हुए मैंने अपना फोन अपने पर्स में रख दिया।
और तब तक उनका घर आ गया।

जेठानी मेरी दरवाजे पर ही मिल गयीं।
 

Rahul201220

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मम्मी की वार्निंग




ये उठ गए थे पर ड्राइव अभी भी मैं ही कर रही थी , दोनों ओर सड़क के गाँव , गन्ने के खेत , आम से लदी अमराई,



इनके मायके का रास्ता आधे से ज्यादा पार हो चुका था , इनके गाल पे कस के चिकोटी काटते मैंने चिढ़ाया,

" बस थोड़ी देर और फिर पहुँच जाएंगे हम तेरे बहन कम माल के इलाके में , लेना स्साली की रगड़ रगड़ के '

इनकी मुस्कराहट इनका मन बता रही थी।


मुझे मम्मी के गाँव की याद आ गयी और इनका मम्मी से किया गया वायदा ,


अपनी ममेरी बहन को ८-१० दिन के लिए मम्मी के गांव ,





मेरे मायके भेजने का वायदा ,


और फिर उसकी कुटाई होती ,


गन्ने के खेत में ,



आम के बगीचे में , मेंड़ के पीछे ,


झोपड़ी के नीचे ,

एक साथ तीन चार लौंडे ,




चमरौटी के , भरौटी के ,अहिरौटी के ,

और गाँव की औरतें भी , ...

फिर उसे पक्की छिनार होने से कोई रोक नहीं सकता था।


सच्च में कितना मज़ा आएगा, स्साली , छिनार , ...

भाभी मेरे यहाँ ये नहीं होता , मेरे यहाँ वो नहीं होता , ... आपके मायके की तरह यहाँ नहीं,




सही है , जब मेरे मायके के मोटे लौंड़े घोंटेंगी वो , वो भी एक साथ दो दो तीन तीन ,




हरदम दोनों ओर से सड़का टपकेगा , तब पता चलेगा उसे , ... चूत का तो भोंसड़ा बनेगा ही , गांड भी फाड़ी जायेगी


लेकिन उसके पहले तो मुझे बाजी जीतनी है उससे , ...

"मेरे भैया आम छू भी नहीं सकते , ... भाभी आप का हार तो गया ,"






भैया उसके , उसी के हाथ से खिलवाउंगी इन्हे ,



और उस जेठानी के सामने , ...

"तूने भी गलत बाज़ी लगा ली , तू मेरे देवर को जानती नहीं , आम का तो नाम नहीं ले सकता ये ,

और खिलाने की बात तो सपने में भी नहीं सोचना , मैं तो जानती हूँ न अपने देवर को , तू तो अभी कल की आयी है ,... "




एक बार हार गयी वो फिर तो , ... पहले ये चढ़ेंगे फिर इनके साले

चिढाते हुए मैंने इन्हें छेड़ा ,

' रस्ता नहीं कट रहा है क्या , अरे वो छिनार भी खूब चुदवासी हो रही होगी। "

वो कुछ नहीं बोले पर जीन्स में तना उनका बल्ज बोल रहा था।



" मिलते ही चुम्मा लेना उसका , और वो भी अपनी भौजाई के सामने। "

लेकिन उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दिया जैसे सुन के अनसुना कर दिया।


और मुझे मम्मी की वार्निंग याद आगयी ,

,

"चीजें इतनी आसान नहीं होंगी तेरी ससुराल में।


अपने मायके में पहुँच के इसके वापस अपने कोकून में घुसने के पूरे चांसेज है ,

पुरानी फेमिलियर टेरिटरी , होम पिच का अडवांटेज , उसकी भौजाई ,बहन ,

तुमको पूरा ध्यान देना होगा और पहली वार्निंग पर ही साम दाम दंड भेद , सब ,... "


बस ,

भला हो स्मार्ट फोन बनाने वालों का

बात करने के अलावा सब कुछ हो जाता है

,फेसबुक , चैट ,मेल व्हाट्सअप , फोटो ,फ़ाइल टांसफर

बस उसी यंत्र का इस्तेमाल किया मैंने।

अपनी बहन कम माल के लिए लेटेस्ट आई फोन खरीदा था उन्होंने ,

" सुनो , मैं सोच रही थी जो गुड्डी के लिए तुमने फोन लिया है न उसमें तुम्हारी कुछ फोटुएं लोड कर दूँ , ... ये कैसी रहेगी। "



और ये कह के मैंने उन्हें उनकी एक फोटी दिखाई ,

हसबैंड डे के दिन की , पूरी ब्राइडल फाइनरी में , चोली लहंगा , कम्प्लीट मेक अप।

फर्स्ट प्राइज मिला था उन्हें ,

" धत्त , ... "

झेंप गए , फिर अपनी आँखों से बरजा उन्होंने।

" तो ये वाली , ... "

अब मैं भी पूरे जोश में आ गयी थी और उन को एक दूसरी फोटो दिखाई ,

=कल रात की चेहरा इनका एकदम पूरा साफ साफ़


" प्लीज , प्लीज डिलीट कर दो न , ... "
अब वो मिन्नत करने की हालत में आगये थे।

" चलो कर देती हूँ , "

मैं मान गयी पर ये उन्हें भी मालूम था और मुझे भी ,

ये सब दसों जगह , मेरे मेल अकाउंट में ,व्हाट्सअप पे , मम्मी के पेज पे , यानी बस एक बटन दबाना था और फिर वापस ,


" अच्छा चलो , उसके फोन में डालती नहीं हूँ लेकिन दिखा दूंगी उसको भी

और तेरी उस पूरे मोहल्ले में बांटने वाली भौजाई को भी ,आखिर उन्हें मालूम तो चले तेरी असली पसन्द ,... "







और अब जो फोटो मैंने उन्हें दिखाई , बस उनकी फट गयी।


लेटेस्ट थी ,चलने के ठीक पहले जब,...
उनका चेहरा लाज से लाल हो गया ,

उस गुलाबी गाल को चूम के मैं बोली ,

" चल यार नहीं दिखाती , ये सब हम लोगों का ही राज रहेगा , लेकिन बोल न उस की चुम्मी लेगा न अपनी भौजाई के सामने। "


हाँ कहने के अलावा कोई रास्ता बचा था क्या उनके पास ?


" अरे ऐसे थोड़ी ,उसके मम्मे भी तो खूब मस्त है , बोल उसकी कच्ची अमिया दबा दबा के चूमोगे न



अपनी ममेरी बहन को। "

मैं अपना अडवांटेज प्रेस कर रही थी।


और न उन्होंने सिर्फ हाँ बोला , बल्कि खुल के ,

उनसे तिनतिरबाचा भरवाया ,अपनी ननद को दस मोटी मोटी गाली भी दिलावाई।

लेकिन इन सब का असर उनके ऊपर भी हो रहा था , जो मैंने सोचा था एकदम वैसा ,

तंबू में बम्बू खड़ा हो गया था जीन्स का बल्ज एकदम टाइट ,



उसे ऊपर से रगड़ते मलसते मैंने जीन्स थोड़ी सी खोल दी और अंदर ऊँगली डाल के चेक चेक किया ,

एकदम कड़ा , तैयार ,

इसका मतलब उनके मन में भी बस उसी मस्त किशोरी की शक्ल घूम रही थी।

' बस थोड़ी देर की बात है , मिलने दो उसे , देखना चुमवाऊंगी , चटवाउंगी ,चुसवाऊँगी , सब करेगी वो छिनार , बहुत तड़पाया है तुझे उस स्साली ने। "

उनके उत्थित लिंग को मैंने एश्योर किया।


और शहर शुरू हो गया था ,

उनका मायका मेरी ससुरालऔर शहर के शुरू में ही , एक इनफेमस या सच कहूँ तो फेमस मोहल्ला था , रेड लाइट एरिया , ...एक गंज।

और जब उनकी बहन को उनके माँयकेवालियों मैं गारी गाती थी तो बिना इस मोहल्ले का नाम लिए गारियाँ पूरी ही नहीं होती थी।


" ... की बहिना छिनार , वो दुवारे खड़ी ,..गंज में उघारे खड़ी ,... "

" एक किया ,दो किया , साढ़े तीन किया अरे नौसौ , अरे नौ सौ भंडुवे ,...गंज के। "


दरवाजे पर पूरा सिंगार किये , ग्राहकों को पटाती ,फंसाती रंडिया खड़ी थी ,



" क्या देख रहे हो , कही तेरा माल , तेरी वो बहना तो यहाँ नहीं खड़ी है। "

बिचारे वो , मैने फिर चिढ़ाया ,

" अरे उस के लिए तो ग्राहक मैं ले चल रही हूँ न , उसकी नथ उतराई तो तुझे करनी है। हाँ एक बार बस तू चढ़ जाए न , बस देखना , वो तो इन रंडियों को भी मात कर देगी। घबड़ा मत ,एकदम रंडी नबर वन बना दूंगी मैं उसे ,प्रामिस। "

वो शर्मा भी रहे थे ,मुस्करा भी रहे थे।

' और ये तुम्हारी फोटुएं नहीं दिखाउंगी उसे बस याद रखना ,जो होने वाली रंडी नम्बर वन है न बस उससे एकदम रंडी की तरह ही पेश आना , एकदम खुल के और सबके सामने ,... नो लाज झिझक। "

और ये कहते हुए मैंने अपना फोन अपने पर्स में रख दिया।
और तब तक उनका घर आ गया।

जेठानी मेरी दरवाजे पर ही मिल गयीं।

अपने मकसद को पूरा करने के लिए अपने पति को ब्लैकमेल करती हुई "पति सेे सच्चा प्यार करने वाली नायिका/पत्नी :lotpot:

नायिका अपने पति के लिए नही बल्कि अपने दोनो जिजुओ और अपने मायके के मर्दो के लिए नई चूतो का इंतज़ाम कर रही है,

और बेवकूफ पति सोच रहा है कि उसकी पत्नी उसके मजे के लिए कितना कुछ कर रही है। :lol1:
 
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komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग ७७

मायके में





मेरी जेठानी ( और उनकी भाभी ) दरवाजे पर ही खड़ी मिल गयीं ,


और उनकी फ़ट के हाथ में आ गयी, अच्छी तरह मुझे देख के,




आलमोस्ट स्लीवलेस बैकलेस ब्लाउज, खूब लो कट,

आँचल लुढ़कता हुआ, ...

दसो बार उन्होंने मुझे सिखाया था , पल्लू सिर्फ सर ही नहीं माथे को ढके रहना चाहिए , मायके में नहीं हो अपनी, ससुराल में हो, बहू वो भी छोटी बहू एक संस्कारी घर की बहू, मेरी आलमारी खुद उन्होंने चेक की थी और एक दो शार्ट स्लीव के या थोड़े लो कट ब्लाउज सब उन्होंने जब्त कर लिए थे ,' इस घर में ये सब नहीं चलता '



पर आज उसी घर में और वो उम्मीद कर रही थीं की मैं झुक के उनके पैर छूऊँगी, ... उन्होंने बार बार सिखाया था और कोई मोहल्ले वाली आएं और मैं पैर छुऊँ तो जैसे सर्कस में रिंग मास्टर कोड़ा लेकर खड़ा रहता है , देखता रहता है शेर सही से स्टूल पर बैठा है की नहीं चारों पैर सिकोड़ के,...

बस एकदम उसी तरह ,... दाएं हाथ से आँचल पकड़ के और इस तरह की माथा और आँचल पैर पर अच्छी तरह लगे , ...




यह नहीं की ज़रा सा झुक गए ,हो गया,... और वो एक नहीं सात बार , दोनों पैर , पहले दायां , फिर बायां ,...

बल्कि जेठानी जी ने दायां पैर हल्का सा बढ़ा भी दिया था, ... और मैं जानती थी वो यही करेंगी,

पर उन्हें इस बात का इशारा देना जरूरी था , चीजें बदल रही हैं ,

और खिलखिलाते हुए मैंने उन्हें अँकवार में भर दिया और अपने उभारों से उनके उभारों को हलके से रगड़ते बोली,...

"पहले से थोड़े ज्यादा , जेठ जी की ही मेहरबानी है या कोई और,... इसलिए हम लोग उन लोगों के जाने के एक दिन बाद आये "

हंसी तो वो भीं पर उनकी निगाह अपने देवर को खोज रही थीं , जिसे वो अबतक अंगूठे के नीचे,

और देवर को देख कर के तो उनकी सचमुच में फ़ट के,...



बस एकदम , .... शेल शॉक्ड , बोल नहीं निकल रहे थे उनके ,...

बस यही तो मैं चाहती थी।

मेरी जेठानी की आँखे बस उनके ऊपर ,...

मूंछे सफाचट , एकदम क्लीन् शेव्ड चिकना चेहरा , आलमोस्ट वैक्स्ड लुक ,





उनके होंठों पे मेरी होंठों की स्मज्ड लिपस्टिक ,

जेल लगे हुए बाल , सेट किये हुए , आलमोस्ट कंधे तक बढे



पिंक फ्लोरल एकदम झलकउवा शर्ट , टाइट हिप हगिंग रिप्ड जीन्स ,

कानों में चमकते हुए स्टड्स ,





हाथ में सुनहली ब्रेसलेट ,


जेठानी की फट के हाथ में आ गयी , और मैंने आयोडाइज्ड नमक का तुरंत छिड़काव किया


" क्यों दीदी अच्छे हैं न इनके कान वाले , ... प्योर गोल्ड हैं , ... इनकी सास ने दिए हैं , उन्होंने ही ले जाकर छिदवाया भी , बोलीं आज कल तो सारे लड़के पहनते हैं "



और सबसे बढ़ कर उनका एकदम बदला ऐटिट्यूड


उन्होंने अपनी भाभी को हग कर लिया। और मेरी जेठानी ने भी उन्हें भींचते हुए चिढाया ,

" एकदम मस्त चिकना हो गया है। "

" एकदम दीदी " मैंने भी हामी भरी।

( और वैसे भी मेरी उस ननद के खिलाफ तो मेरी जेठानी के साथ हम लोगों का साझा गठबंधन था ही )

मैंने पीछे से उनके देवर की पिछवाड़े की दरार में ऊँगली रगड़ी तो , कुछ हल्का सा गीला ,

मलाई अभी भी , ऊँगली का प्रेशर बढ़ाते हुए मैंने अपनी जेठानी से पूछा ( लेकिन निगाहें इन्ही के चेहरे पर अटकी थीं )

" दीदी इनके माल का क्या हाल है? "




" अरे माल तो बेहाल है , सुबह से ,

दो बार फोन आ चुका है , एकदम काटने लायक कटकटौवा गाल हो गए हैं उसके। "

मेरी जेठानी ने उन्हें छेड़ा।




भले ही कुछ बातों में हम में मतैक्य न हो ,लेकिन हमारी ननद नाम लेकर उनकी रगड़ाई करने में हम एकदम एकजुट होजाते थे।

" अरे कटवाने वाली तैयार है ,बेकरार है ,काटने वाला भी आ गया है , फिर क्या , क्यों हैं न ?"



अबकी सीधे मैंने उनसे पूछा

और बजाय शर्माने बुरा मानने के , झिझकने के वो मुस्करा रहे थे।

और मुझे अपनी उस ननद के साथ लगी बाजी याद आगयी ,

हार गयी तो चार घंटे तक उसे मेरी सारी बाते माननी होगी ,



और चार घंटे में तो उस्की गंगा में इतनी डुबकियां लगेंगी , और उसके इतने एम् एम् इस बनेगे की ,... हरदम के लिए


मैं मुस्कराने लगी।

तबतक मेरी जेठानी ने मुझसे खुल के पूछा ( ये बाथरूम चले गए थे )

" अरे तूने तो मेरे देवर को एकदम बदल दिया "


मुस्कराती हुयी उनकी भाभी बोलीं।



" एकदम दीदी , लेकिन ये बोलिये दिल से ,.... अच्छे लगते हैं न "


मैंने उनकी आँखों में आँखे डालते साफ साफ़ पूछ लिया।

खिलखिलाते हुए वो बोलीं ,

" एकदम , लेकिन ये सोच की जब वो तेरी ननद देखती तो उस की तो फट के ,... "

उनकी बात बीच में काट के , हँसते हुए मैं बोली ,

" अरे दीदी उस की फड़वाने के लिए तो तो इन्हें ले आयी हूँ , आप को बाजी याद है न ,
बस और फिर फटने वाली चीज को वो स्साली कब तक बचा के रखेगी। "





मेरी दिमाग में उन के माल के लिए बनाई गयी तमाम स्कीम घूम रही थी ,जो मैंने और मम्मी ने मिल के बनाई थीं।





लगेज सारा लाद के वो ऊपर ले आये , हम लोगो के कमरे में।
 
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komaalrani

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हमारा कमरा










मेरे दिमाग में उन के माल के लिए बनाई गयी तमाम स्कीम घूम रही थी ,जो मैंने और मम्मी ने मिल के बनाई थीं।



लगेज सारा लाद के वो ऊपर ले आये , हम लोगो के कमरे में।
…………………
हमारा कमरा ऊपर की मंजिल पर था , जहां मैं शादी के बाद आयी थी ,


जहाँ हमारी सुहागरात मनी।







मैंने उस कमरे की खिड़की खोल के एक गहरी साँस ली , ढेर सारी खट्टी मीठी यादें जुडी हैं इस कमरे से।

सच बोलूं तो मीठी बहुत ज्यादा , खट्टी बस थोड़ी सी ,दाल में नमक जैसी ,

इनका प्यार दुलार , इज्जत सब कुछ मिला मुझे इस कमरे में ,

और खुल के मजे भी।

पहली रात ही , ...




हम दोनों ही नौसिखिये थे , ...


लेकिन जिस तरह सम्हल के ,





इन्होंने और जितना मेरी भभियों ने सिखा के भेजा था ,

उससे भी ज्यादा ,

पहली रात ही मैं सीख गयी थी ,शादी के बाद की रातें सोने के लिए नहीं होतीं ,

पूरे तीन बार ,




और अगले दिन , दिन में भी घात लगा दी थी उन्होंने।





इस कमरे की तो मैं रानी थी , जब मैं और ये इस कमरे में होते तो बस ,

सिर्फ सेक्स ही नहीं ,



जो तुम को हो पसंद वही बात करेंगे ,

चाहेंगे , निभाएंगे ,सराहेंगे , आप ही को ,...



बस एकदम उसी स्टाइल में और वो भी दिल से।



लेकिन जहाँ कमरे से हम बाहर होते ,नीचे की मंजिल पे जहाँ मेरी जिठानी ,सास ,इनकी सब मायकेवालियां होतीं ,

बस जैसे मुझे पहचानेंगे नहीं

( हाँ बीच बीच में लालचियों की तरह छुप छुप के देखने से बाज नहीं आते थे वहां भी )

न कोई बात ,न कुछ।

और मेरे कमरे में भी ,जैसे कोई मायके वाली आ जाये ,

भले ही उसके पहले मुझसे चिपके बैठे हों ,

एकदम दूर हो के , जैसे पहचानते भी न हों ,...

और कई बार तो एक सिम्बालिक प्रजेंस भी ,

मैंने वो कंडोम वाला वाकया तो कई बार बताया है ,

बात छोटी सी थी लेकिन मेरे दिल को सालती थी।


कंडोम वो पहले दिन से ही इस्तेमाल करते थे ,

लेकिन वो फेमली प्लानिंग टाइप वाला,

चीनू मेरी बड़ी मौसेरी बहन ने मुझे डॉटेड कंडोम के बारे में बताया तो मैंने इनसे बोला था ,




और अगले ही दिन , वो ले आये और दिन में ही उन्होंने इस्तेमाल भी कर डाला ,




खूब मज़ा आया , मुझे भी और उन्हें भी।



पहली बार दिन में , हिप्स उछाल उछाल के , सिसक सिसक के




सेक्स के बाद भी हम लोग बहुत देर तक एक दुसरे को भींचे बांहों में कस के बांधे पड़े रहते थे ,

वो मेरे अंदर

और आज तो स्पेशल मजा आया था इसलिए ,

लेकिन थोड़ी देर में मेरी कोई मायके वाली ने खटखट की और मैंने झट से पास में रखे अपने वेडिंग ऐल्बम में उसे रख दिया।

बस वही ,

रात में उन्होंने देख लिया की कण्डोम वेडिंग एलबम में उन फोटुओं के बीच पड़ा है


जहाँ वो उनकी ममेरी बहन की हमारी शादी में डांस करते,

बस बिना कुछ बोले वो अलफ़ , दूसरी ओर करवट कर के ,


बिना कुछ 'किये धरे ' सो गए।

इतना बुरा लगा मुझे ,



पर अगले दिन सुबह भोर होने के पहले ही , जैसे रात की सारी बात भूल के ,

रात का भी उधार चुकता कर दिया उन्होंने।

सुबह एक राउंड तो रोज होता था था लेकिन उस दिन पहली बार

सुबह सबेरे दो राउंड , फर्स्ट टाइम , ...


और वो भी खूब देर तक।



मैंने उनकी ओर देखा वार्डरोब में वो मेरे और अपने कपडे रख रहे थे ,


पर पहले

छू भी नहीं सकते थे , कुछ बोलो भी तो चिढा के बोलते थे ,

कपडे उतारने की जिम्मेदारी मेरी तेरे भी अपने भी

और रखने की जिम्मेदारी तुम्हारी।

एक दिन मैं वार्डरोब में कपडे रख रही थी की मेरी ननद आ गयी ,

वही उनकी ममेरी बहन ,गुड्डी।

उसे चिढाते हुए मैंने बोला ,


" देखो अपने भैया को , अपना एक भी काम अपने से , अपने कपडे भी तहियाकर नहीं रख सकते। "




इठलाकर ठसके से बहुत नाजो अंदाज से वो कमिसन किशोरी मुझे छेड़ने की कोशिश करते हुए ,बोली ,



" अरे भाभी आप को लाये ही इसलिए हैं न ,काम करने के लिए। मेरे भैय्या थोड़े ही कुछ करेंगे। "



अपनी नाजनीन ननद के गोरे गुलाबी गालों को हलके से पिंच करते मैं चिढाया ,

" कमसिन हो नादाँ हो , ... अरे तुझे अभी भी ये नहीं मालुम , करते तो तेरे भइय्या ही हैं , मैं तो सिर्फ करवाती हूँ।

बोल तूने कभी करवाया की नहीं उनसे। "

अब वो थोड़ी शरमा गयी।

मेरी ऊँगली मेरी ननद के गालों से उसके गुलाब से होंठों पर और फिर नीचे ,...

" बच्ची हो तुम अभी ,करने करवाने के बारे में तुझे अभी सिखाना पडेगा। " मैंने फिर छेड़ा।

" बच्ची वच्ची नहीं हूँ ,पूरे ,... साल की हो गयी हूँ। कित्ते साल हो गए टीनेजर हुए। " तुनक के वो बोली।





" अरे तब तो तुम एकदम 'करवाने ' लायक हो गयी , मेरे ससुराल वाली मैंने सुना था चौदह में चुदवासी हो जाती है और तुम तो और ,तेरी कच्ची अमिया भी तो कैसी गदरा रही है। बोल 'करवा' दूँ तेरे भैया से , वैसे भी मेरी पांच दिन वाली छुट्टी आने वाली है , बिचारे का उपवास हो जाएगा। "

मैं अब खुलके अपनी ननद को छेड़ रही थी।






मेरी ऊँगली उस के कच्चे टिकोरों पर थी ,कड़े कड़े , नए जवानी के गदराते उभार ,

" धत्त भाभी ,आप को सिर्फ एक ही बात सूझती है। "

झुंझला के मेरे चंगुल से छूटने की कोशिश करते वो बोली।

" अपने भैय्या से पूछ न , उनको भी सिर्फ एक बात ही सूझती है। "


हँसते हुए मैं बोली।

उनकी आवाज मेरा ध्यान खीच के मुझे वापस लायी।



मेरे अंडर गारमेंट्स कहाँ रखें , वो पूछ रहे थे।
 
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malikarman

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हमारा कमरा










मेरे दिमाग में उन के माल के लिए बनाई गयी तमाम स्कीम घूम रही थी ,जो मैंने और मम्मी ने मिल के बनाई थीं।



लगेज सारा लाद के वो ऊपर ले आये , हम लोगो के कमरे में।
…………………
हमारा कमरा ऊपर की मंजिल पर था , जहां मैं शादी के बाद आयी थी ,


जहाँ हमारी सुहागरात मनी।







मैंने उस कमरे की खिड़की खोल के एक गहरी साँस ली , ढेर सारी खट्टी मीठी यादें जुडी हैं इस कमरे से।

सच बोलूं तो मीठी बहुत ज्यादा , खट्टी बस थोड़ी सी ,दाल में नमक जैसी ,

इनका प्यार दुलार , इज्जत सब कुछ मिला मुझे इस कमरे में ,

और खुल के मजे भी।

पहली रात ही , ...




हम दोनों ही नौसिखिये थे , ...


लेकिन जिस तरह सम्हल के ,





इन्होंने और जितना मेरी भभियों ने सिखा के भेजा था ,

उससे भी ज्यादा ,

पहली रात ही मैं सीख गयी थी ,शादी के बाद की रातें सोने के लिए नहीं होतीं ,

पूरे तीन बार ,




और अगले दिन , दिन में भी घात लगा दी थी उन्होंने।





इस कमरे की तो मैं रानी थी , जब मैं और ये इस कमरे में होते तो बस ,

सिर्फ सेक्स ही नहीं ,



जो तुम को हो पसंद वही बात करेंगे ,

चाहेंगे , निभाएंगे ,सराहेंगे , आप ही को ,...



बस एकदम उसी स्टाइल में और वो भी दिल से।



लेकिन जहाँ कमरे से हम बाहर होते ,नीचे की मंजिल पे जहाँ मेरी जिठानी ,सास ,इनकी सब मायकेवालियां होतीं ,

बस जैसे मुझे पहचानेंगे नहीं

( हाँ बीच बीच में लालचियों की तरह छुप छुप के देखने से बाज नहीं आते थे वहां भी )

न कोई बात ,न कुछ।

और मेरे कमरे में भी ,जैसे कोई मायके वाली आ जाये ,

भले ही उसके पहले मुझसे चिपके बैठे हों ,

एकदम दूर हो के , जैसे पहचानते भी न हों ,...

और कई बार तो एक सिम्बालिक प्रजेंस भी ,

मैंने वो कंडोम वाला वाकया तो कई बार बताया है ,

बात छोटी सी थी लेकिन मेरे दिल को सालती थी।


कंडोम वो पहले दिन से ही इस्तेमाल करते थे ,

लेकिन वो फेमली प्लानिंग टाइप वाला,

चीनू मेरी बड़ी मौसेरी बहन ने मुझे डॉटेड कंडोम के बारे में बताया तो मैंने इनसे बोला था ,




और अगले ही दिन , वो ले आये और दिन में ही उन्होंने इस्तेमाल भी कर डाला ,




खूब मज़ा आया , मुझे भी और उन्हें भी।



पहली बार दिन में , हिप्स उछाल उछाल के , सिसक सिसक के




सेक्स के बाद भी हम लोग बहुत देर तक एक दुसरे को भींचे बांहों में कस के बांधे पड़े रहते थे ,

वो मेरे अंदर

और आज तो स्पेशल मजा आया था इसलिए ,

लेकिन थोड़ी देर में मेरी कोई मायके वाली ने खटखट की और मैंने झट से पास में रखे अपने वेडिंग ऐल्बम में उसे रख दिया।

बस वही ,

रात में उन्होंने देख लिया की कण्डोम वेडिंग एलबम में उन फोटुओं के बीच पड़ा है


जहाँ वो उनकी ममेरी बहन की हमारी शादी में डांस करते,

बस बिना कुछ बोले वो अलफ़ , दूसरी ओर करवट कर के ,


बिना कुछ 'किये धरे ' सो गए।

इतना बुरा लगा मुझे ,



पर अगले दिन सुबह भोर होने के पहले ही , जैसे रात की सारी बात भूल के ,

रात का भी उधार चुकता कर दिया उन्होंने।

सुबह एक राउंड तो रोज होता था था लेकिन उस दिन पहली बार

सुबह सबेरे दो राउंड , फर्स्ट टाइम , ...


और वो भी खूब देर तक।



मैंने उनकी ओर देखा वार्डरोब में वो मेरे और अपने कपडे रख रहे थे ,


पर पहले

छू भी नहीं सकते थे , कुछ बोलो भी तो चिढा के बोलते थे ,

कपडे उतारने की जिम्मेदारी मेरी तेरे भी अपने भी

और रखने की जिम्मेदारी तुम्हारी।

एक दिन मैं वार्डरोब में कपडे रख रही थी की मेरी ननद आ गयी ,

वही उनकी ममेरी बहन ,गुड्डी।

उसे चिढाते हुए मैंने बोला ,


" देखो अपने भैया को , अपना एक भी काम अपने से , अपने कपडे भी तहियाकर नहीं रख सकते। "




इठलाकर ठसके से बहुत नाजो अंदाज से वो कमिसन किशोरी मुझे छेड़ने की कोशिश करते हुए ,बोली ,



" अरे भाभी आप को लाये ही इसलिए हैं न ,काम करने के लिए। मेरे भैय्या थोड़े ही कुछ करेंगे। "



अपनी नाजनीन ननद के गोरे गुलाबी गालों को हलके से पिंच करते मैं चिढाया ,

" कमसिन हो नादाँ हो , ... अरे तुझे अभी भी ये नहीं मालुम , करते तो तेरे भइय्या ही हैं , मैं तो सिर्फ करवाती हूँ।

बोल तूने कभी करवाया की नहीं उनसे। "

अब वो थोड़ी शरमा गयी।

मेरी ऊँगली मेरी ननद के गालों से उसके गुलाब से होंठों पर और फिर नीचे ,...

" बच्ची हो तुम अभी ,करने करवाने के बारे में तुझे अभी सिखाना पडेगा। " मैंने फिर छेड़ा।

" बच्ची वच्ची नहीं हूँ ,पूरे ,... साल की हो गयी हूँ। कित्ते साल हो गए टीनेजर हुए। " तुनक के वो बोली।





" अरे तब तो तुम एकदम 'करवाने ' लायक हो गयी , मेरे ससुराल वाली मैंने सुना था चौदह में चुदवासी हो जाती है और तुम तो और ,तेरी कच्ची अमिया भी तो कैसी गदरा रही है। बोल 'करवा' दूँ तेरे भैया से , वैसे भी मेरी पांच दिन वाली छुट्टी आने वाली है , बिचारे का उपवास हो जाएगा। "

मैं अब खुलके अपनी ननद को छेड़ रही थी।






मेरी ऊँगली उस के कच्चे टिकोरों पर थी ,कड़े कड़े , नए जवानी के गदराते उभार ,

" धत्त भाभी ,आप को सिर्फ एक ही बात सूझती है। "

झुंझला के मेरे चंगुल से छूटने की कोशिश करते वो बोली।

" अपने भैय्या से पूछ न , उनको भी सिर्फ एक बात ही सूझती है। "


हँसते हुए मैं बोली।

उनकी आवाज मेरा ध्यान खीच के मुझे वापस लायी।



मेरे अंडर गारमेंट्स कहाँ रखें , वो पूछ रहे थे।
Nice but....mujhe lagta aapne kuchh chhupa liya hai...inke dono jija se bahut kuchh hua hoga wo aapne nahi bataya
 
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