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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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बिचारी जेठानी








बिचारी जेठानी जी, एकदम उनका मुंह तो खुला रह गया।


यही इफेक्ट तो मैं देखना चाहती थी।

" अरे क्यों नहीं साफ़ साफ़ कहते की कैसे जुबना उभार उभार के नाच रही है , रंडी की तरह। लेकिन हैं इसके छोटे छोटे। "

मैंने और पलीता लगाया

सच में उनकी निगाहें उस आइटम गर्ल के सीने पर ही चिपकी थीं।




" इतने छोटे भी नहीं है। " ध्यान से देखते वो बोले।

" अरे दी , अपनी उस ममेरी बहन की कच्ची अमिया से कम्पेयर कर के बोल रहे हैं। "

मैंने बातचीत में जेठानी जी को भी लपेटा।

" अब इनके माल के भी इतने छोटे नहीं है , बड़े हो गए हैं। "

जेठानी जी क्यों मौक़ा चूकतीं।




" अरे तो क्या किसी से दबवाने मिजवाने लगी है ,क्या। "मैंने मुँह बनाकर चकित होते हुए पूछा

अब डांस छोड़के वो भी हम लोगों की बात सुन रहे थे।


और मैंने अपनी दुनाली का मुंह उनकी ओर कर दिया ,

" देख ले , मैं कहती थी न। दबवाना मिजवाना शुरू ही कर दिया है अब किसी का घोंट भी लेगी , अबकी बिना सोचे निवान कर लो उसका। "

मैं उनसे बोली।

वापस सीरियल चालु हो गया था।

"अंगूरी भाभी मेरी सेकेण्ड फेवरिट भाभी है। "

अब वो बोले।

" और फर्स्ट , ... " उत्सुकता वश उनकी भाभी ने पूछ लिया।

" आप और कौन , ... "

उन्होंने अपनी भौजाई से न सिर्फ बोला बल्कि अपना हाथ उनके कंधे पर भी रख दिया।

अब एक हाथ मेरे कंधे पर और दूसरा जेठानी जी के कंन्धे पर।

" बड़ा मक्खन लगाया जा रहा है , क्या बात है। "

प्यार से बिना उनका हाथ हटाये , उनकी भाभी ने उनके गाल पर एक चपत लगा दी।





" अरे एकदम बड़ी बात है , आखिर आप अपनी छुटकी ननद से इनका मिलना कराएंगी। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। "

मैंने जोड़ा।





डेढ़ घंटे बाद एक दूसरा सीरयल था।

जेठानी जी ने पूछा , पूड़ी सब्जी बना ले जल्दी हो जायेगी।

एकदम भाभी वो बोले , और अब वो भी सीरयल देखने लगे थे , उसकी हीरोइन का नाम ले के बोले ,





" उसका पिछवाड़ा तो एकदम जबरदस्त है। "

जेठानी जी ने अब चौंकना बंद कर दिया था लेकिन बोली ,

" अच्छा तो तुझे अब पिछवाड़े का भी शौक लग गया है। "

" और क्या दी ,अगवाडे पिछवाड़े में क्या अंतर करना "

जवाब मैंने दिया उनकी ओर से।

किचेन में वो हम लोगों के साथ थे , पूड़ी बेलते समय भी हम लोगो की छेड़छाड़ जारी थी , जेठानी जी बेल रही थीं और मैं छान रही थी।

' दीदी इनको भी कुछ काम पकड़ा दीजिये न खाली बैठे हैं। "

मैंने उकसाया ,

" पूड़ी बेलने के लिए बोलूं क्या , ... "

और फिर मजाक का लेवल बढ़ाते हुए बेलन दिखा के उन्हें छेड़ा ,

" क्यों देवर जी कभी बेलन पकड़ा है ? "

" अरे दीदी , पकड़ा बोल रही हैं , ...इन्होंने छुआ है , सहलाया है ,पकड़ा है ,रगड़ा है , सब कुछ ,... "

मैं अपने पिया की आँख में आँख डाल के बोल रही थी।




" सही कह रही है , तभी मैं कहूँ , बचपन से इत्ते चिकने ,बिना पकड़े , छुए ,रगड़े ,... कैसे बचे होंगे ,.. "

अब दी भी मेरे लेवल पे।

और वो ऐसे शरमा रहे थे जैसे गौने की रात के बाद नयी दुल्हन से उसकी ननद जेठानी रात का राज खोद खोद के पूछ रही हों।

" सही है हर तरह का मजा लेना चाहिए , लेकिन बिचारि मेरी उस ननद को क्यों तड़पा रहे हो , ठोंक दो न ये खूँटा। "

अब उनकी भाभी की निगाह खुल के उनके खूंटे पे ,

खाते समय भी वही मजाक छेड़छाड़


उन्होने बरतन उठाने की कोशिश की तो उनकी भाभी बोलीं ,

"घबड़ाओ मत कल से तुझसे सब काम करवाउंगी , अगर काम वाली नहीं आयी तो , ... "

" भाभी आज कल भी वही कलावती ही आती हैं न , ... "

बात बदलने में माहिर वो ,उन्होंने बात बदलने की पूरी कोशिश की।

काम कलावती की माँ करती थी लेकिन कलावती शादी के पहले और शादी के बाद भी जब उसकी माँ नहीं आती थी तो आती थी।





शादी के बाद भी उसका मरद कमाने पंजाब चला गया था , इसलिए ज्यादातर वो मायके में ही रहती थी।

उम्र में मुझसे तीन चार साल छोटी , १८ की , देह भी भरी भरी और रिश्ते में तो ननद लगती थी तो मजाक भी एकदम खुल के।


" अरे बड़ी याद आ रही है कलावती की कुछ चक्कर है क्या , हाँ सही कह रहे हो उसकी माँ कही बाहर गयी है वही आती है "

जेठानी जी ने टेबल समेटते कहा।
बिचारे ,उन्होंने बात बदली और सीरयल लगा दिया।

और सीरियल देखते देखते उनके मुंह से मेरी जेठानी से बात करते करते निकल गया ,

" भाभी , इसका पिछवाड़ा कित्ता मस्त है। "

" अच्छा तो अब तुम पिछवाड़े पे भी नजर रखने लगे , और वैसे देवर जी , आपका भी पिछवाड़ा कम नहीं है। "

बिचारे गुलाल हो गए और मैं अब बात बदलने ,उन्हें बचाने के लिए आगे आ गयी।

" दी वैसे इनके माल का भी पिछवाड़ा भी कम नहीं है , एकदम ब्वाइश ,लौंडा मार्का। निहुरा के लेने लायक। "




मेरी जेठानी हंसने लगी और उन्हें चिढाते उनके गाल पे चिकोटी काटते बोलीं ,

" अरे इनसे पूछ न ये तो कबसे इसको ताड़ रहे हैं "

और निशाना उनकी ओर कर के पूछने लगी , " क्यों जब से हाईस्कूल में आयी या उसके भी पहले से। "

उनकी मुस्कराहट इस बात का सबूत थी की इनकी ममेरी बहन के बारे में बात में इनको भी मजा आ रहा है।

सीरियल ख़तम होते ही ये उठे और जम्हाई लेते , अंगड़ाई लेते बोले ,

" भाभी चलता हूँ , नींद आ रही है। "

" नींद आ रही है या कुछ और ,... " उनकी भौजाई ने छेड़ा।

" जो समझ लीजिये। " उन्होंने भी मुस्कराते हुए , उन्ही के अंदाज में जवाब दिया।

बाहर मौसम भी आशिकाना हो रहा था।

बादल उमड़ घुमड़ रहे थे , बीच बीच में बिजली चमक रही थी , रात में तेज बारिश के पूरे आसार थे ,और मैं इनका इशारा और इरादा दोनों समझ गयी थी।
 
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जोरू का गुलाम भाग ७९




मौसम आशिकाना







बाहर मौसम भी आशिकाना हो रहा था।


बादल उमड़ घुमड़ रहे थे , बीच बीच में बिजली चमक रही थी ,





रात में तेज बारिश के पूरे आसार थे ,और मैं इनका इशारा और इरादा दोनों समझ गयी थी।

मैं भी ऊपर अपने कमरे में चलने के लिए उठी लेकिन , ....

सैंडल पहनते समय मेरा पैर थोड़ा मुड़ गया।



तेज दर्द उठा ,रोकते रोकते भी मेरे मुंह से चीख निकल गयी।



एकदम कन्सर्न्ड होके वो घुटनों के बल जमीन पर बैठ गए और मेरा पैर अपनी गोद में लिया , और सहलाने लगे।

मोच तो नहीं आयी थी पर , ... दर्द हो रहा था।


सम्हाल के उन्होंने सैंडल उतार दी , पर मैं कनखियों से अपनी जेठानी जी को देख रही थी।


दर्द के बावजूद मैं अपनी मुस्कान नहीं दबा पायी।



मेरी जेठानी चेहरे का एक्सप्रेशन , एनवी ,ऐंगर, कुढ़न , ...सब कुछ पल भर में एक साथ उनके चेहरे पर।
…………………………………..

और मैं एक बार फार यादों की सीढी पर चढ़ के वापस फ्लैश बैक में ,...


एक बार उठते समय अनजाने में मेरे पाँव इनके टखनों से छू गए , और यही मेरी जेठानी ,

इत्ती जोर की मुझे डांट पड़ी , घुडक के बोलीं ,

" क्या करती हो , अरे सपने में भी पति को पैर से नहीं छूना चाहिए , सीधे नरक में जाती है औरत जो गलती से भी अपने पति को पैर से ,... "





नरक का तो पता नहीं लेकिन इस समय जिस तरह से वो मेरे पैर छू रहे थे ,सहला रहे थे , आई वाज जस्ट फ़ीलिंग हैवनली।


और मेरी जेठानी कुलबुला रही थीं , अनईजी महसूस कर रही थीं।



कर रही थीं तो करे, मेरे पैर शान से इनके गोद में , ...

मेरा पति मैं चाहे जो कुछ करूँ उसके साथ।

उनकी उंगलिया ,हल्के हलके मेरे तलुवे सहला रही थीं।






अंगूठे से धीरे धीरे जहां दर्द हो रहा था उसे वो दबा रहे थे और चेहरा उनका मेरे चेहरे की ओर ,

जैसे कोई चकोर चाँद को देखता है ,

" दर्द ,... कुछ,... "

कंसर्ड टोन में उन्होंने पूछा।

" हाँ कम हुआ है लेकिन कोई क्रीम वीम , तो शायद ज्यादा ,... "



मैं अब एक स्टूल पर बैठी थी। और मेरी बात पूरी होने के पहले ही वो उठ कर किचेन में

और थोड़ी देर में कटोरी में थोड़ा सा कडुवा तेल , हल्का गुनगुना और उसमे हल्दी लहुसन और न जाने क्या क्या ,...



मम्मी ने सच में उन्हें बहुत अच्छे से ट्रेन किया था ,एकदम मालिश वाला बना दिया था।
 
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नायिका / कोमल के पति ने उसके दोनो जीजू के साथ सेक्स को होने नही दिया था और आगे भी पति नायिका / कोमल को उसके जीजू या दुसरो से चुदने नही देता,

इसलिए बदला लेने / जीजू को खुश करने और भविष्य मे पति दोबारा रोक-टोक ना करे,
इसलिए कोमल ने अपनी बहन के साथ मिलकर अपने पति को बातों के जाल मे फँसा कर कमल जीजू से गांड फड़वा दी।

अब जिसने पति की ही गांड फाड़ दी, अब उस पति की क्या कभी हिम्मत होगी, उनको उसकी पत्नी को चोदने से रोक पाए।

बस सारा यही मामला है, पहले जीजू से पति की गांड फड़वा कर एक कोने मे बैठा दिया, और खुद नायिका / कोमल मजे से अपने दोनो जीजू से चुदती रही।

इस फोरम मे गे ( लड़का-लड़का ) सेक्स दिखाना मना है, इसलिए जीजू से पति की गांड फड़ाई को लिखा नही गया है।
Komal ki chudai jiju se hui...aapne wo nahi likha????
 

komaalrani

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Komal ki chudai jiju se hui...aapne wo nahi likha????

Thanks, just be with me, with this story and there are many turns and twists
 
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komaalrani

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मालिश वाला




और थोड़ी देर में कटोरी में थोड़ा सा कडुवा तेल , हल्का गुनगुना और उसमे हल्दी लहुसन और न जाने क्या क्या ,...


मम्मी ने सच में उन्हें बहुत अच्छे से ट्रेन किया था ,एकदम मालिश वाला बना दिया था।


दो उँगलियों में तेल लगा के पहले तो उन्होंने हलके हलके मेरे तलुवों पे ,

मैं स्टूल पर वैठी थी और वो जमींन पर , मेरे पैर उनकी गोद में।


पहले तो उन्होंने हलके हलके बहुत सेंसुअस तरीके से मेरे पैर को अपने घुटने पर रख के सहलाया। फिर उनकी जादू भरी उंगलीयाँ ,

उफ़ मैं बता नहीं सकती , कैसे पहले हलके हलके उन्होंने मेरी एड़ी को टैप किया ,



अपनी उँगलियों के नकल्स से उसे धीमे धीमे दबाया और फिर फिर धीमे धीमे प्रेशर बढ़ता गया।

अंगूठे और तर्जनी के बीच कभी एड़ी को वो दबाते तो कभी कभी मुट्ठी सी बना के मेरी एड़ी पे प्रेशर बढ़ा के , ...दर्द तो कब का काफूर हो गया। बीच बीच में उनकी उँगलियाँ मेरे गाढ़े लाल महावर लगे पैरों पर इस तरह फिसलती थीं जैसे वो फिर से महावर लगा रहे हों।


और अब तलुवों को सहलाते हलके हलके प्रेशर से , ... मैं एकदम ,... इत्ता अच्छा लग रहा था की ,



लग रहा था की जहाँ वो दबा रहे हैं वहां से सीधे कोई नर्व मेरे निपल्स पे , मेरे बूब्स पे , ....

मेरे गदराये बूब्स एकदम पथरा गए थे। निपल्स भी खूब कड़े मस्त ,और ब्रा का पहरा तो वैसे भी उन पर नहीं था ( आज उनके मायके में न सिर्फ पहली बार मैं शलवार सूट पहनी थी बल्कि पहली बार ब्रा लेस भी बेडरूम के बाहर आयी थी ),

एक अजब सी एरोटिक सनसनाहट मेरी देह में दौड़ रही थी ,

लेकिन वो लड़का न जिसे मैं बहुत प्यार करती हूँ , बहुत प्यार करती हूँ , बहुत दुष्ट है ,एकदम बदमाश , लोफर।

उसने एक बार ज़रा सा आंखे ऊपर की और मेरे जुबना का हाल देख , उसकी उँगलियों शरारते और बढ़ा दीं।

उनके दोनों हाथ एक साथ ,

अंगूठे से वो मेरे ऐंकल पर प्रेशर बढ़ा रहे थे , अपनी हथेली के बेस से मेरे तलवे को रगड़ रगड़ के सहला रहे थे

और उनके झुकने से कभी कभी मेरे पैर के अंगूठे ,उँगलियाँ उन गालों अनजाने खा जा रही थीं।



उस लड़के को मेरी देह के एक एक पोर का पता था , कहाँ दबाने से क्या होता है , और अब वह पूरी तरह से,....






और ,... और ,... मैं अब हवा में उड़ रही थी।

वो नसे जो मेरे बूब्स को पागल कर दे रही थी , अब मेरी सोनचिरैया भी फुदकने लगी थी ,फड़फड़ाने लगी थी।

मैंने अपने को अब पूरी तरह से उनके ऊपर छोड़ दिया था ,

जो करना हो करे , मायका उनका , मैं उनकी ,


मर्जी उनकी।



लेकिन जादू मेरा भी कम नहीं था ,मेरे पैरों का ,

मेरे गोरे गुलाबी पैर , मखमली तलवे , पैरों में लगा गाढ़ा लाल रंग का महावर ,

पैरों की हर उँगलियों में उन्हें छेडते बिछुए और गुनगुनाती ,खिलखिलाती चांदी की हजार घघरूओं वाली पायलिया , छम छम करती।



और वो तो इन पैरों के दीवाने थे ,



मसाज करते भी उनकी आँखे बार बार बार कभी मेरे रेड स्कारलेट पेंटेड मेरे पैरों के अंगूठों ,उँगलियों पे तो कभी महावर रचे तलुओं पे ,


और जब उनकी आँख मेरी आँखों से मिली , मिन्नत करती , मनाती

तो मेरी हंसती गाती आँखे मान गयीं ,
जैसे साथ साथ अंगूठे और उँगलियों को हिला के , बिछुओं की रुम झूम से मैंने सहमति दे दी।

बस अगले ही पल उनके नदीदे शरारती होंठ मेरे पैर के अंगूठे पे पहले उनके होंठों का मेरे पैर के अंगूठे पर हलके से टच ,फिर ,...

फिर लिक ,

जस्ट स्लो एंड लिंगरिंग



और फिर , एकदम खुल्लमखुला किस ,


और फिर मैंने वो सीन देखा जिसे देखने के लिए मेरी आँखे तड़प रही थीं। मेरा मन तरस रहा था न जाने कबसे ,


मेरी जेठानी दरवाजे पर खड़ी , न उनसे देखा जा रहा था न हटा जा रहा था।




" आइये न दीदी , अभी तो हम लोग ऊपर जा ही रहे हैं ,आपके देवर को बहुत निन्नी आ रही है ,लगता है सपने में अपने माल से मिलने की जल्दी है। "

मैंने बुलाया , वो आयीं लेकिन जल्दी से जाने के लिए उनसे देखा नहीं जा रहा था।

पर मैं भी , मम्मी की बेटी ,उनका हाथ मैंने कस के पकड़ लिया , और चिढाया ,



" अरे आपको क्यों नींद आ रही है ,कल तो जेठ जी भी नहीं थे रतजगा करवाने के लिए , या फिर आपने भी कोई यार वार , .... "

" तू भी न , अरे जाने के पहले उनका एडवांस ओवरटाइम जो चल रहा था एक हफ्ते से ,... "

बात मेरी जेठानी मुझसे थी

लेकिन आँखे उनकी बार बार न देखने की कोशिश करते हुए भी ,मेरे पैरों और उनके होंठों को देख रहा था ,




और मुझे याद आ रहा था ,

एक्जैक्टली यही जगह ,

पक्का यही जगह थी ,

मेरी शादी के ४-५ महीने हो चुके थे , हम सभी थे ,

मैं, ये उनकी वो माल कम ममेरी बहन ,मेरी सासु ,इनकी बुआ और मोहल्ले की कुछ बड़ी बूढी टाइप सास के रिश्ते वाली औरतें , ये उठे और अनजाने में मेरा पैर उनके पैर से छू गया ,
 

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