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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०
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जोरू का गुलाम भाग २१२ डिस्को -डिस्को
21,78,268
उसके दोस्तों का रिमाइंडर आ गया था , डिस्को से , निधि उसके क्लास की हेडगर्ल भी वहां पहुँच चुकी थी।
दस मिनट में हम दोनों भी डिस्को में ,... पायल ,... अमिष और निधि बाहर गेट पर ही मिल गए। ……………………….
…….
जबरदस्त डिस्को लग रहा था और उससे भी जबरदस्त भीड़ , ज्यादातर टीनेजर लेकिन कुछ १०-२० % यंग कपल्स मेरी एज के भी।
बाहर चार पांच बाउंसर खड़े , बहुत ही रिस्ट्रिक्टेड एंट्री , ओनली कपल्स, या सिंगल गर्ल्स , उसमें भी रेगुलर मेंबर्स को भी चेक कर के ही ,...
मैं जब कार पार्क कर के लौटी तो दूर से ही देखा, गुड्डी , अमिश और निधि के साथ ,
और सारे डिस्को में घुसने का वेट कर रहे लड़कों की निगहने गुड्डी की देह पर , एकदम चिपकी।
" स्साले , बस चले तो यहीं खड़े खड़े चोद दें इसको ,ऐसे घूर रहे हैं। " मैंने मुस्कराते हुए सोचा।
पर मेरी ननद थी ही ऐसी , एकदम शोला। चम्पई रंग , सुरु के पेड़ की तरह लम्बी ,छरहरी , सिवाय , ... उसकी गोलाइयों के ,
और जो ड्रेस से उसने पहन रखी थी , वो देह से एकदम चिपकी , उसके किशोर उभारों को और उभार रही थी , कटाव ,कड़ापन सब
और सबसे बढ़कर उसके एकदम खड़े खड़े निप्स , साफ़ साफ़ झलक रहे थे , ड्रेस उसके नितम्बों के ठीक नीचे ख़तम हो गयी
और मेरी ननद के जुबना से कम जालिम नहीं थे उसके नितम्ब , एकदम जानमारु , खूब कड़े , और ऊपर से पतली कटीली २४ इंच की कमरिया पर ३३ के चूतड़ भी बड़े लग रहे थे।
( वैसे भी मेरा टारगेट था साल भर के अंदर उसके उभार मेरी साइज के ,... ३४ लेकिन कप साइज मेरी तरह से सी नहीं बल्कि डी , और हिप्स कम से कम ३५ लेकिन कमर २४ से एक सूत भी नहीं बढ़नी चाहिए और मैंने अपने जिम ट्रेनर से बात कर ली थी इसके लिए )
अमिश ने गुड्डी को जोर से हग कर रखा था , और गुड्डी भी बड़े मजे से उसकी बाँहों में ,...
और जैसे ही मैं पहुंची , अनुज , वही जिसके चाचा का वो सेवन स्टार होटल था और वो डिस्को , पायल डिस्को , अपने मैनेजर के साथ ,
मुझे देखते ही उसके चेहरे पर जैसे पूनम का चाँद खिल उठा ,... और वो मेरी ओर बढ़ता उसके पहले मैं ही
और अब हम लोगों का हग , गुड्डी अमिश के हग को मात कर रहा था ,
थोड़ी देर में हम लोग डिस्को के अंदर , ... अनुज के चक्कर में न कोई चेकिंग न कुछ , बल्कि पहुँचते ही
एक वेट्रेस ड्रिंक्स के साथ,
निधि ने गुड्डी को इशारा किया और दोनों ने एक एक बियर उठा ली , मैंने भी ,
डांस फ्लोर खचाखच भरा था , देह से देह छिली पड़ रही थी , और मैं समझ रही थी ये डांस के लिए जगह सबसे पॉपुलर क्यों है ,
परफेक्ट फ्लोर , स्ट्रोब लाइट्स लेकिन बाकी डिस्को में एक हल्का सा मखमली अँधेरा , हलकी नीली परपल लाइट्स ,
और उस पर्पल ब्ल्यू लाइट्स के बीच हलके हलके उड़ता धुआँ , ...
और बजाय पाइप्ड म्यूजिक के लाइव डीजे , ड्रिंक्स अटैच्ड बार के साथ , वेट्रेस , डांस एरिया के चारो ओर ,
और मैंने देख लिया , वो सिर्फ ड्रिंक्स ही नहीं , सिगी ,... और ,... मैंने अंदाज लगा लिया की ये और भी ,
क्या जबरदस्त रिश्ता चुना आपने, नन्दोई और सलहज का।मेरे प्रिय पाठकों...प्रस्तुत है अनाचार यथार्थता पर एक नई कविता। आशा है कि मुझे वही प्रेरणा मिलेगी जो मुझे पहले मिली थी….
शुरू कर रही हूं सलहज और ननदोई की कहानी
कैसे एक सलहज बन गई ननदोई की दीवानी
सुंदर बांका नौजवान और दिखाने में शरीफ
ननद रानी भी करती थी उनकी खूब तारीफ
पंकज जी भी बड़े शर्मीले देख के आँख चुराते थे
भाभी जी के सम्बोधन से मुझको सदा बुलाते थे
गुड्डी मेरे बहुत करीब थी मुझको बहुत ही भाती थी
दोनों जी भर बतियाते वो जब भी मायके आती थी
मेरी ननद की शादी को अभी हुआ था एक ही साल
पर एक साल में ही ननदोई जी ने कर दिया कमाल
दुबली पतली ननद थी मेरी और नींबू छोटे छोटे
अब बाहर को निकली गांड और मम्मे मोटे मोटे
पूछो जब भी राज़ इसका वो थोडा शरमाती थी
सब पति की मेहनत बस इतना ही कह पाती थी
वैसे तो मेरे पति भी बिस्तर में दिखलाते थे पूरा दम
पर दस साल की शादी में अब रोमांस हो गया कम
हफ़्ते में बस एक दो बार ही चुत मे लंड घुसाते थे
और एक बार में होकर ठंडे वो जल्दी सो जाते थे
बत्तीस की उमर थी मेरी और उमंगे अभी जवान
सेक्स को लेकर दिल में मेरे भरे थे खूब अरमान
कुचल दी दिल की चाहत सब छोड़ दिया किस्मत पे
खुद को मैंने झोंक दिया था अपनों की खिदमत में
लेकिन कभी देख ननद को दिल में होती थी हलचल
कुछ नादानी करने को मेरा भी मन मचले था हर पल
इस बार जब आई गुड्डी तो मैंने खूब उसे उक्साया
जाग उठी सब दबी चाहते फिर जो उसने बतलाया
खुल के बोलो ननद रानी अब मुझसे क्या शरमाना
हम दोनों तो राज़दार हैं फिर मुझसे क्या घबराना
बालिशत भर का ख़ूँटा इनका और हद से ज़्यादा मोटा
कड़क तो इतना हो जाता है जैसे कोई बांस का सोटा
सुहागरात को नंगा करके पतिदेव ने इतनी करी ठुकाई
अगले दो दिन गरम पानी के टब में करती रही सिकाई
ख़ूब दबाते हैं मम्मे मेरे और ख़ूब चूसते चूत
चूस चूस के निकाल देते हैं मेरी चूत से मुत
जब भी मौका मिलता इनको मैं जाती हूं पेली
पहले हफ़्ते में ही पंकज ने गांड थी मेरी ले ली
दिन रात मेरी चूत से कामरस की नदिया बहती थी
पूरी रात मेरी चूत और गांड इनके लौड़े पे रहती थी
हनीमून में तो चोद चोद के हालत पतली कर दी थी
मेरे हर इक छेद में पंकज ने अपनी मलाई भर दी थी
अब भी इतनी ठरकी है ये मेरी रोज़ रात को लेते हैं
पहले चुसवाते अच्छे से लौड़े फ़िर मेरी चूत में देते हैं
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भारी हो गई सांसे मेरी धड़क धड़क दिल जाए
ऐसा कोई मर्द कभी भी काश मुझे मिल जाए
कितनी अलग है गुड्डी से ये सेक्स लाइफ हमारी
दस साल की शादी में बाद भी मेरी गांड कुंवारी
दिन मैं तो जो मुझे बनाकर रखे वो अपनी रानी
रोज़ रात को खोद खोद के निकाले चूत का पानी
दस साल में औरत की क्या सब हसरते मर जाती है
अपने दिल की बात वो किसी से क्यों नहीं कह पाती है
भाभी अब तुम अपनी बोलो क्या अब भी भैया सताते हैं
मेरी इस गदराई भाभी को क्या अब भी रोज़ जगाते हैं
तेरी शादी अभी नई है हमारे बीत गए दस साल
अपना तो हफ़्ते में दो दिन तेरे जैसा नहीं है हाल
भाभी तुम तो अभी जवान ही क्यों करती हो ऐसी बात
भैया की जगह पंकज होते तो सोने ना दे तुम्हें पूरी रात
गुड्डी ने तो बेख्याली मे बोल दी ऐसी बात
लेकिन उसने छेड़ दिए थे सोए हुए जज्बात
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aap ki pics ke saath aap ke comments bhi lajawab hai kya baat kahi aapbe Sharab and Shabab, thanks so much for regular support, comments and letting me use you pics.
Just wonderful
Raiziya ab bahcaa ke kya karegi aur jo bachi khuchi ek pichvaade vaali cheej hai usko lootne ka mere Kamal Jiju aa hi rahe hain.
Thanks for Jabrdst commentsYe shapna to ham bhi kab se dekh rahe he. Ki kab lagega nandiya rani ka meena bazar.
ननदिया के अगवाड़े और पिछवाड़े दोनों ओर एक असली मसाले वाली खोँसूंगी और बोलूंगी, चल नाच रंडी की तरह
ufff sutta nashe ko aur jyada dugna kar dega. Uff do ladko ke bich nandiya fas gai. Amezing. Ek bhoujai ko tabhi shukun milta he. Jab nandiya randi....
![]()
Thanks so much, aapka support, aapki pcis aapke comments ne hi is story ko ye mukaam diya hai.
कोमला जी को 1100 पेज पूरे करने पर बधाई। आप सचमुच अद्भुत और शानदार हैं। आपने डिस्को संस्कृति को बहुत अच्छी तरह से चित्रित किया है लेकिन बेचारे लड़कों का केएलपीडी करवा दिया। आशा है कि अगली बार उन्हें भी ब्याज मिलेगा और गाइडी के दोनों छिद्रों का उपयोग इसके लिए किया जाएगा।घर
वापस घर
और जब ब्रेक हुआ तो बस बारह बजने वाले थे।
निधि ने अनुज और अमिश को बोला उसे चलना होगा , उसके पैरेंट्स ने कर्फ्यू पास सिर्फ साढ़े बारह का दिया था , तब तक उसे अपने घर में होना था। और मैं और गुड्डी भी निधि के साथ निकल लिए।
पन्दरह बीस मिनट में हम लोग घर पर थे।
………
" चल स्साली, उतार कपडे ,... " मैं गुड्डी से बोली।
हम दोनों अपने बेडरूम में थे।
खिलखिलाते हुए उस शरीर ने मेरे कपडे उतार दिए।
थोड़ी देर में हम ननद भौजाई बिस्तर पर थे , और कपडे बिस्तर के चारों ओर।
नहीं आज हम लोगों ने कोई बदमाशी नहीं की , चार दिन का रतजगा , और कल से तो और , कमल जीजू अजय जीजू , रीनू
लेकिन डिस्को की गर्मी भी उतारनी थी और उसके बिना नींद भी नहीं आनी थी तो बस सिम्पल 69, दो अकेली लड़कियों का एक इलाज,
पहल उसी ने की, असल में चिढ़ा मैं ही रही थी, उसकी चुनमुनिया को हथेली से रगड़ती ननद रानी,... इस प्रेम गली में कित्ते लौंडो की उँगलियाँ घुसी आज,... और मैंने एक ऊँगली घुसेड़ दी,
ऊँगली अंदर, सच बाहर,...
दोनों की बल्कि तीन, सबसे पहले अनुज फिर अमिश और एक कोई और था जिस के साथ मैं ग्राइंड कर रही थी, लेकिन स्साले उन सब की माँ की गाँड़ मारुं , झाड़ा किसी ने नहीं, सब आग लगा के चल दिए,
गुड्डी खिलखिलाते हुए बोली
' शांत बालिका शांत, जिन जिन की आज ऊँगली घुसी है जल्द ही उन सबके मोटे लम्बे लंड तेरी बुर में होंगे , तेरी भौजी आशीर्वाद है,... और झाड़ने के लिए तेरी भौजी है ही न "
बस ननद के शहद के छत्ते में मैंने मुंह लगा दिया, शहद टपक रहा था,...
कौन लड़की थी आज जो डिस्को में गीली नहीं हुयी होगी, ज्यादातर ने तो वहीँ मलाई भी घोंटी होगी। .
और ननद ने भौजाई की चासनी चाटनी शुरू कर दी,... गीता ने एकदम पक्की चूत चटोरी बना दिया था मेरी ननद को रोज बिना नागा चूत चूसा के और हर बार अलग ढंग से,... गुड्डी कभी जीभ से सपड़ सपड़ चाटती तो कभी जीभ अंदर डाल के,... गोल गोल घुमाती,
मैं क्यों पीछे रहती मैंने भी उसकी चिकनी चूत चौड़ी कर के चाटना शुरू कर दिया,
कुछ देर में गुड्डी मेरे ऊपर थी , हम दोनों टिपिकल ६९ में
६-७ मिनट के अंदर हम दोनों साथ साथ झड़े
और उसके बाद बस पांच मिनट में हम दोनों , घोड़े बेचकर सोई ,
और क्या सोई मैं सुबह साढ़े सात बजे आँख खुली।
गुड्डी बिस्तर पर नहीं थी,