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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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Sorry for late reply. Right now I am busy in some important work.
However I have gone through your posts.
Presentation of picture matches with the context described in the text and found to be arousing more erotic experience.
You are GEM to this platform.
Keep posting more.


Thanks so much and never say sorry, please. we all have our preoccupations and carve out some time to transport ourselves to the fantasy world, the word of dream filled rainbows, welcome and next post soon
 
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komaalrani

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मस्ताती, पिघलती, मचलती, बदलती,

ननदिया

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उसकी बात को काटते उसकी कच्ची अमियों को जीभ से चाटती मैं बोली ,

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" अरे यार तू भी तो बहुत अच्छी है एकदम प्यारी प्यारी , मीठी मीठी ,... तेरे भैय्या ने अपने से चुन चुन के कुछ ख़ास पिक्चरें भी डाली हैं। उसे भी जरूर देखना ,हाँ और साथ में जैसे बताया न ,अंगूठे और ऊँगली के बीच में अपनी फांको को लेकर हलके हलके ,...बस सोचना की तेरे भैय्या तुझे ,... और हाँ जब झड़ना तो मुझे टेक्स्ट जरूर करना। सोने से पहले कम से कम तीन बार , .. "

" और हाँ यार तेरे स्साले भौंरे भी तो बहुत है, एक को तू तूने बोला हैं की उसकी दूकान पे आने को, और उसने लॉलीपॉप खिलाने का वायदा भी किया है न, ... "

" एकदम भाभी, स्साला नम्बरी ठरकी है, और आज तो उसका बाबू नहीं है तो फिर तो, ... " गुड्डी मुस्कराती हुयी बोली,

" तो सुन जब वो लॉलीपॉप देगा न, तो ऐसे पकड़ना जैसे उसका खूंटा पकड़ रही है, और उसे दिखा के अपनी जीभ निकाल के पहले तो लॉलीपॉप को खूब अच्छे से लिक करना,



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जैसे उसके लंड का सुपाड़ा चाट रही है, फिर धीरे धीरे गप्प कर लेना जैसे सुपाड़ा तेरे मुंह में चला गया, ... और हाँ चूसते चाटते समय निगाह उसके खूंटे पर होनी चाहिए, ये लड़के लोग तो लड़की से बात करेंगे लेकिन निगाह बूब्स पे चिपकी रहेगी, जैसे लड़की से नहीं उसके बूब्स से बात कर रहे हों , तो हम लोग क्यों नहीं उसे देख सकतीं, देख के लिबरा सकती हैं,... " मैंने ननदिया के निप्स को फ्लिक करते समझाया।

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" भाभी, स्साला पागल हो जाएगा। " गुड्डी खिलखिलाती हुयी बोली,

" अरे यार पागल ही तो करना है , यार तेरी स्साली इत्ती मस्त आती हुयी जवानी , उभरते हुए जोबन,... और हाँ तेरे इस हवा मिठाई का दीवाना है न तो ढक्कन लगा के मत जाना, नो ब्रा, और कोई पुरानी एकदम टाइट झलकौवा घिसी हुयी,...

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वो मुस्करा रही थी और मैंने अगला इंस्ट्रक्शन दे दिया,

" जब भी किसी यार को देखो न तो बस ये समझ की उसका मोटा लंड तेरी कसी चूत में और वो तुझे चोद रहा है, अपनी चूत बार बार भींच के सोच की चूत में लंड भींच रही है , फिर आज रात को ११ बजे से वो तेरे फेसबुक वाले जब चैट करेंगे न तो अपनी बुलबुल रानी को आजाद रखना और साथ साथ फिंगरिंग भी चूत में करते रहना। "




गुड्डी की उंगलियां उसकी चूत को सहला रही थी और मेरी उंगलिया गुड्डी के निप्स को ,..

" हाँ भाभी हाँ एकदम "

हलके हलके फिंगरिंग करती वो बोली।


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और मैंने अपनी ट्रेनिंग टेस्ट कर ली ,

अपनी सेक्सी कमसिन ननद के गाल चूमते मैंने पूछ लिया , बोल ननद रानी क्या सोचेगी अपने फोन में वो अच्छी वाली नीली पीली फ़िल्में देखते समय , ऊँगली करते समय अपनी चूत मसलते समय।

" कि मेरे भैय्या मुझे ,... "

और वो एक पल के लिए हिचकी तो कस के मैंने गुड्डी की घुंडियां मरोड़ दी।


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" ईईईई ,चीखी वो और बोली ,

मेरे भैय्या मुझे चोद रहे हैं। "

गुड्डी बोली।




धीमे धीमे उसकी झिझक जा रही थी।

" क्या डालेंगे तेरे भैय्या अपना तेरे कहाँ "

कचकचा कर मैंने उसकी कच्ची अमिया को काटा और एक बार फिर उसके कान में फुसफुसाया।


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" भैय्या अपना लंड , मेरी चूत में "

गुड्डी अब बिना हिचक बोल रही थी।
,
पांच बार और जोर जोर,मैंने हुक्म दिया।

और अपनी उँगलियों के बीच बुर की फांके रगड़ाती अब खुल के मेरी छुटकी ननदिया बोल रही थी।

" भैय्या अपना लंड मेरी चूत में,... "

पांच बार।

" ज़रा निहुर अपनी गांड दिखा , और वो निहुर गयी।


कुतिया बनी

क्या मस्त चूतड़ थे ,

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एकदम बबल बॉटम ,गोरे गोरे बहुत बड़े नहीं लेकिन खूब कसे और बीच में मुश्किल से दिखने वाली दरार ,एकदम ऐसी जिसके लिए लौण्डेबाज तरसते है।

मेरी ऊँगलिया थोड़ी देर तक ननद के चूतड़ का रस लेती रही फिर दोनों नितम्बो को कस के फैला के मैंने अंगूठा गुड्डी की गाँड़ पे गड़ा दिया। .

और मेरे बिना कुछ बोले वो किशोरी बोल उठी ,

" भाभी ,गांड। "

और मेरे मन में वो बातें कौंध उठी जो इनकी साली रीनू,कमल जीजू और मैं इनके माल के पिछवाड़े के बारे में कर रहे थे।

इसकी फोटो देखके रीनू ही बोली,

"स्साली,तेरी ननद का पिछवाड़ा तो बहुत मस्त है , हचक के गांड मारने लायक है
 

komaalrani

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ननद का पिछवाड़ा



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मेरे मन में वो बातें कौंध उठी जो इनकी साली रीनू,कमल जीजू और मैं इनके माल के पिछवाड़े के बारे में कर रहे थे।



इसकी फोटो देखके रीनू ही बोली,

"स्साली,तेरी ननद का पिछवाड़ा तो बहुत मस्त है , हचक के गांड मारने लायक है ,क्यों। "



"एकदम लेकिन अभी कच्ची कली है बहुत कसा होगा , खूब तेल वेल लगा के चिकना कर के तब कहीं मुश्किल से घुसेडवा पाएगी ,"

कमल जीजू ने अपना एक्सपर्ट कमेंट दिया।

" अरे तो लगा लीजियेगा न कड़वा तेल ,मेरी ननद है मैं ही तेल का खर्चा बर्दाश्त कर लूंगी "

मुस्कराती मैं बोली।

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"एकदम नहीं , स्साली की एकदम सूखी मारना जीजू , और उमर की बात आप कर रहे हो , इस से दो दो साल छोटे लौंडो की नेकर सरका के , निहुरा के ,... "
रीनू कस के बोली।


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बात तो रीनू की एकदम सही थी लेकिन सूखे सूखे , ...

और ये तो एकदम नयी बछेड़ी , यंग टीनेजर ,

" कहीं फट फटा गयी तो ,... "

धीरे से मैंने अपना आब्जेक्शन बताया , पर रीनू ने हल बता दिया,

" मोची से सिलवा लेगी ,ऐसा क्या।"

बड़ी मुश्किल से इस बात पर आम सहमति बनी की कमल जीजू मेरी ननद की कोरी गांड मारने से पहले बस ज़रा सा थूक अपने मोटे सुपाड़े के टिप पे लगा सकते हैं।



गुड्डी की कोरी गांड को मेरा अंगूठा हलके हलके दबा रहा था , चिढ़ाते हुए मैंने बोला,

" ननद रानी मस्त मजा आएगा तेरी गांड मारने वाले को और तुझे भी आएगा जब तेरी गांड में लंड घुसेगा। "

" नहीं नहीं भाभी इधर नहीं , ये तो ....ये इस काम के लिए ,... "
गुड्डी चिहुंक कर बोली।



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जवाब में मैंने जोर से उसकी कच्ची अमिया एक बार और कुतर ली ,फिर हंस के समझाया,

" तभी तो कहती हूँ तू न एकदम बच्ची है ,अरे तुझसे छोटी उमर के लौंडे , बिना बोले , खुद निहुर के नेकर सरका देते हैं ,एक बार मरवाओगी न तो खुद बोलेगी हाँ भाभी ने सही कहा था। "


" स्साली, अरे ये मेरे ऊपर छोड़, गाँड़ तो तेरी मारी ही जायेगी, और ऐसी हचक के मारी जायेगी, इत्ता मोटा लंड घुसवाऊँगी तेरी गाँड़ में, बस जान नहीं निकलेगी और सब कुछ हो जाएगा, ऐसा कस के पेलेगा वो, जैसे कोई सांड़ नयी बछिया पर चढ़ता है न , एकदम वैसे,... "


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वो एकदम हदस गयी, चेहरा एकदम सफ़ेद, पर यही तो मैं चाहती थी. मुश्किल से मेरी ओर मुंह कर के बोली,

" भाभी, बहुत दर्द होगा,... ? "

उसके गोल गोल चूतड़ सहलाते मैं बोली , " एकदम, देख मैं झूठ नहीं बोलती, दर्द तो होगा और बहुत होगा, लेकिन गाँड़ मरौव्वल का मज़ा ही यही है , जब तक मरवाने वाली दर्द के मारे बिलखने न लगे तो तब तक न गाँड़ मरवाने वाली को मज़ा न गांड मारने वाले को, जब रगड़ता दरेरता चीरता फाड़ता घुसता है , दर्द के मारे, लेकिन मजा भी उसी में है, अच्छा चल ये बता जब तू सोज घर से स्कूल जाती है , स्कूल से घर आती है, ... तो लड़के मजे लेते हैं न , मजे ले ले के कमेंट करते हैं न ,...

" हाँ भाभी एकदम बिना नागा। स्सालों को पता नहीं एक्स्ट्रा क्लास की भी कैसे महक मिल जाती है, सीटी और उस से ज्यादा एक से एक कमेंट। " वो खिलखिलाती बोली।

" समझ ले " मैं भी हंसती बोली, अच्छा ये बता आगे से ज्यादा कमेंट मिलते हैं या पीछे से ,... "

" पीछे से,... बस दो चार कदम आगे निकलती हूँ तो बस उनके और कई तो साथ साथ पीछे चलते रहते हैं बोलते रहते हैं " हंस के कबूला उसने।

मैंने प्यार से उसके चूतड़ों को सहलाया और एक हल्का सा चांटा लगाया और बोली,

" तो देख ले , ये है तेरे कसर मसर करते, मस्त मस्त गोल मटोल चूतड़ों का जादू, इसलिए ही पीछे से ज्यादा,... तेरी गाँड़ तो , न मरवाना भी पाप और न मारना भी पाप। फिर देख तुझे कुछ नहीं करना और मैं रहूंगी न तेरे साथ अपनी मीठी ननद के पिछवाड़े का फीता कटवाने के लिए , तू बस निहुर जाना कुतिया की तरह , वरना मैं पकड़ के तुझे निहुरा दूंगी और तेरा ये पीछे वाला छेद, थोड़ा दोनों अंगूठे से फैला दूंगी , बस उसके बाद तो जो करेगा वो मोटा बांस वाला करेगा, सटायेगा, घुसेड़ेगा, धकेलगा, पेलेगा,...


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और एक बार बस सुपाड़ा घुस गया तो तू चीखती चिल्लाती रहना बिना अच्छी तरह कम से कम्म आधे घंटे गांड मारे ,... देखना चार पांच बार मरवाने के बाद...

मेरा अंगूठा उसकी गांड के छेद पर घसर मसर ,... लेकिन तभी मेरे तेज कानो ने हल्के से दरवाजा बंद होने की आवाज सुनी।

यानी वो चिपकू वर्मा इनका दोस्त गया ,और दो तीन मिनट में ये ऊपर।

"चल पैंटी पहन ले तू "

पैंटी पहन कर गुड्डी टॉप भी ठीक कर रही थी लेकिन मैंने उसके निप्स खुले ही रहने दिए।

मुझे कुछ याद आया ,


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Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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uff kuch zyada hi ushma hai har ek update mein....
so bhabhi ki baatien ab nanad rani bina na nukur kiye hi maan rahi hai... jo jo bhabhi bol rahi hai, usme Haan mein Haan mila rahi... bilkul teacher student ki tarah... bhabhi ke jo nirdesh de rahi hai wohi karne ko utshuk ho uthi hai guddi...
Are training bhi to itni jabardast de rahi hai usko... upor se guddi ke sanvedanasheel guptaango ko sensually ched chad kar uska bhi to rahi hai... ek tarah bhabhi apni chutki nanad rani se jo karwana chaahti hai usme kamyaabi milti jaa rahi hai ushe..
Well... Shaandar update, shaandar lekhni, shaandar shabdon ka chayan aur sath hi kaamukata se utpann hua khatti mithi prem ras se bhar pur dilkash kirdaaro ki bhumika bhi..

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills komaalrani ji :yourock: :yourock:
 
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अपने भैय्या का

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मुझे कुछ याद आया ,



" हे तुझे बोला था न , की अपने भैय्या का लंड पकड़ने को दबाने को "
मैं कड़क के बोली।


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"पकड़ा तो था ,शार्ट के ऊपर से ,"सहम कर वो कमसिन बोली।



"स्साली ,छिनार ,भाईचोद, तेरे सारे खानदान की फुद्दी मारुं , तुझे शार्ट पकड़ने को बोला था की ,... "

मैंने अपनी बात जान बूझ के आधी छोड़ दी।

" भैय्या का लंड पकड़ने को लेकिन वो भैय्या कहीं ,... " वो हिचकते हुए बोली।

"तो भैय्या से कहती न , वो मना थोड़े ही करते , बोल क्या बोलती तू। "

मैंने चढ़ाया।

" भैय्या , अपना लंड मुझे पकड़ने दो न "


खिलखिलाते वो शोख बोली।


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इत्ते धीमे ज़रा जोर से बोल न। मैं ने कहा।

उनके सीढ़ी चढने की आवाज बहुत हलकी सी आ रही थी।

" भैय्या अपना लंड मुझे पकड़ने दो न "


अबकी उसकी बोली न सिर्फ तेज थी बल्कि बहुत सेंसुअस भी।

उन्होंने शायद सुन भी लिया होगा लेकिन मैं रिस्क क्यों लेती मैंने गुड्डी से बोला ,

" हाँ थोड़ा और सेक्सी ढंग से , पटाते हुए बोल न "

" भैय्या , प्लीजजजजजज , मुझे अपना लंड पकड़ने दो न ,प्लीज्ज "


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गुड्डी एकदम हस्की सेक्सी आवाज में बोल रही थी।

अबकी तो उन्होंने पक्का सूना होगा और साथ ही दरवाजे पर खट खट हुयी।

गुड्डी झेंपी लेकिन मैं कहाँ छोड़ने वाली थी ,

" एक बार बचा है ,बोल न और फिर दरवाजा खोल दें "

और मैंने गुड्डी के निप्स पिंच कर दिए।

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भैय्या , प्लीजजजजजज , मुझे अपना लंड पकड़ने दो न ,प्लीज्ज " गुड्डी ने एकदम सिडक्टिव सेक्सी ढंग से बोला ,और दरवाजा खोल दिया।
///////////////////////////

अबकी तो उन्होने शर्तिया सुना होगा और सबूत मेरे सामने था ,उनका खूंटा ,एक बार फिर जगने लगा था।

किसी से भी अगर कोई यंग सेक्सी टीनेजर ऐसे बोले तो खूंटा खड़ा होयेगा ही.


मेरी आँख का इशारा काफी था , और अब वो न सिर्फ अपने भैय्या के खूंटे को शार्ट के अंदर पकड़े थी बल्कि हलके हलके सहला रही थी ,दबा रही थी , मसल रही थी।

पहली बार उसने लिंग स्पर्श किया था और उस छुअन का जो मजा है रोमांच है ,सिहरन है वो एक किशोरी ही बता सकती है जसिने पहली बार एक लम्बा कड़क खूब मोटा लंड पकड़ा हो।


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मैंने फिर पाला बदला , और उन्हें चढ़ाया ,

"कुछ तो सीखो ,मुझसे नहीं तो गुड्डी से ,लड़की हो के खुद तुमसे बोली , तुम्हारा लंड माँगा और खुद तेरे शार्ट में हाथ डाल के मुठिया रही है। बिचारी इत्ती देर से अपना जुबना दिखा रही है ,ललचा रही है तुझे ये मस्त खटमिट्ठी कच्ची अमिया एक्दम खुली और तू भी न ,... "

हाथ तो आउट आफ ऐक्शन थे लेकिन होंठ दांत ,

इत्ती देर के बाद उन्होंने कच्ची अमिया कुतरी , पहले हलके से जैसे डरते डरते , फिर थोड़ा जोर से और प्यार से।




उन्हें गियर चेंज करने के लिए गुड्डी ने मजबूर किया ,एक झटके में उसने लंड का चमड़ा खींचा ,मोटा सुपाड़ा बाहर ,शार्ट के आलमोस्ट ट्रांसपरेंट कपडे से झलकता ,

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और अब वो भी जोर जोर से गुड्डी के निप्स चूस रहे थे , वो निप्स जिसके लिए वो न जाने कब से दीवाने थे।


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मैं कहाँ थी ? नहीं नहीं मैं भाई बहन के बीच में नहीं बल्कि दूर खड़ी और बहुत बिजी ,

इत्ती मस्त सीन चल रही तो मोबाइल से थोड़े ही काम चलता है , हाई पावर हैंडी कैम जिसमे तगड़ा ज़ूम भी था।

उस झलकौवा शार्ट से झलकते मेरी ननद के कोमल कोमल हाथ उनके मोटे टनटनाये खूंटे को मुट्ठियाते ,

और उनके होंठ सीधे गुड्डी की कच्चे टिकोरे चूसते ,चाटते ,कुतरते।

उनकी बहना के दोनों किशोर जोबन अब कैद से बाहर थे ,टॉप और ब्रा की।

और उसके भैय्या के होंठों के बीच कैद हो गए थे , कभी जीभ से निप्स वो फ्लिक करते तो कभी दोनों होंठों के बीच दबा दबा के चूसते।

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मैंने थोड़ी और आग लगायी ,

" हे मेरी ननद तो बिलो द बेल्ट मजे ले रही और तुम सिर्फ कमर के ऊपर , ... कुछ तो सीखो मेरी ननद से। "

लेकिन गुड्डी ने रूल सेट कर दिया ,

" भैय्या मैंने इस खोला नहीं और देखा भी नहीं ,इसलिए तू भी बस ,.. "

यानी पैंटी हटनी नहीं थी।


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उनके होंठ निपल्स से नेवल पर और फिर गुड्डी की चिकनी मखमली जाँघों पर।

ललचायी निगाहों से वो गुड्डी की पैंटी बल्कि सिर्फ दो इंच की लेसी थांग निहार रहे थे जो बहुत मुश्किल से गुड्डी की रसीली भीगी भीगी फांको को छिपाये थी।

हिम्मत कर के उन्होंने एक ऊँगली की टिप लेसी थांग के ऊपर से गुड्डी की फांक पर रखी और उसकी लेबिया के किनारे किनारे ,


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गुड्डी गिनगीना उठी और जवाब में उसने मुठियाने की रफ़्तार तेज कर दी।

इन्होने भी उस टीनेजर की थांग से ढकी लेबिया पे प्रेशर बढ़ा दिया।

और उसी समय


नीचे से हंकार आ गयी , चाय आ जाओ सब लोग।

मैं उन्हें आँख से इशारा कर रही थी अरे एक झटके में थांग सरका के चूत का नजारा तो देख लो ,

पर वो भी न ,

गुड्डी की वार्निंग और नीचे से उनकी भाभी की आवाज।

लेकिन गुड्डी इत्ती सीधी नहीं थी।

उनके उठने के पहले ही गुड्डी ने दूसरे हाथ से उनका बॉक्सर शार्ट खींच दिया ,और खूंटा निकल के बाहर।

क्लिक ,क्लिक

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वो गुड्डी को शिकायत की नजर से देख रहे थे , पर गुड्डी मुस्कराते हुए बोली ,

' अरे भइया थोड़ी बहुत बेईमानी चलती है। क्यों भाभी। "

"एकदम,.." जल्दी जल्दी साडी बांधते हुए मैंने अपनी ननद को सपोर्ट किया।

उन्हें तो बस अपनी शार्ट ठीक करनी थी और गुड्डी को अपना टॉप ,

और हम तीनो सीढ़ी से धड़धड़ नीचे।

गुड्डी के वो दो घंटे १२ मिनट पहले ख़त्म हो चके थे।
 

komaalrani

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uff kuch zyada hi ushma hai har ek update mein....
so bhabhi ki baatien ab nanad rani bina na nukur kiye hi maan rahi hai... jo jo bhabhi bol rahi hai, usme Haan mein Haan mila rahi... bilkul teacher student ki tarah... bhabhi ke jo nirdesh de rahi hai wohi karne ko utshuk ho uthi hai guddi...
Are training bhi to itni jabardast de rahi hai usko... upor se guddi ke sanvedanasheel guptaango ko sensually ched chad kar uska bhi to rahi hai... ek tarah bhabhi apni chutki nanad rani se jo karwana chaahti hai usme kamyaabi milti jaa rahi hai ushe..
Well... Shaandar update, shaandar lekhni, shaandar shabdon ka chayan aur sath hi kaamukata se utpann hua khatti mithi prem ras se bhar pur dilkash kirdaaro ki bhumika bhi..

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills komaalrani ji :yourock: :yourock:

Ekdm yahi to purpose tha, thoda sa light domination, thoda sa seduction and mind control, change, raakh ke andar chhip chingaari bahar aa gayi aur vahi chingarai ab deh ka davaanal banegi

thanks once again for support and your presence here
 

Ravi jha

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Awesome update par mujhe phir se ek baat aapki samajh me nahi aayi ki aapne apni kori gand apne jija ko di aur nanad ki bhi kori gand jija ko aapke Pati kori gand nahi mar sakte ya aap jo kahani me pati prem dikha rahi hai yeh jhutha hai aisa kuch bhi mujhe samajh me nahi aaya.
 
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chodumahan

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ये ननद भौजाई की चुहलबाजी तो एकदम कमाल की थी..
रस से भरपूर और गुदगुदाने वाली...
 
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komaalrani

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बदलाव की कहानी,

मेरी कहानियों में एक अंतर्निहित थीम होती है, बदलाव की, वैसे तो हम लोग हर रोज हर पल बदलते रहते हैं, काल और स्थान के परिप्रेक्ष्य में भी और अपने खुद के परिप्रेक्ष्य में भी,

एक ग्रीक दार्शनिक हेराक्लाइटस ने कहा था, " आप किसी उसी नदी में दुबारा कदम नहीं रख सकते। "

क्योंकि, कुछ नदी बदल जाती है , कुछ आप बदल जाते हैं.

और इस बदलाव में कुछ ऐसे बिंदु भी आते हैं जब वह बदलाव परिलक्षित होने लगता है , जैसे किचेन में चाय का पानी चूल्हे पर चढ़ाने पर गरम तो वह पहले पल से ही होने लगता है , लेकिन जब वह खदबदाने लगता है, भाप निकलने लगती है तो लगता है, हाँ गरम हो गया।

तो बदलाव के ऐसे शिखर इस कहानी में भी कई बार आएं जैसे एक दिशा में बहती नदी किसी दूसरी दिशा में मुड़ जाए, 'इनके' परिप्रेक्ष्य में मैं कहूँगी, जोरू का गुलाम का दूसरा भाग ही, या वो कई भाग जिसमें बर्थडे के तीन दिनों का वर्णन है, उस बदलाव के एक मुख्य बिंदु की तरह थे,
उसी तरह से पिछले कुछ भाग , गुड्डी के साथ हुए बदलाव के लिए,

हाँ एक बात, भले कुछ फोर्स्ड लगे, कुछ जबरदस्ती पर पहली बाद तो इस कहानी के साथ ' फेम डॉम ' का टैग लगा भी है, लेकिन यह बदलाव सिर्फ उन्ही चीजों को बाहर लाता था जो मन में कहीं न कहीं कुलबुलाते रहते हैं, या फ्रायड की शब्दावली का प्रयोग करूँ तो 'इड' जैसे ' सुपर ईगो ' से दबा रहता है, जैसे इनके साथ था , अच्छे बच्चे ये नहीं करते, अच्छे बच्चे वो नहीं करते, एक प्रोटोटाइप से कन्फर्म करके एक्सेप्टेंस पाने की भावना, या गुड्डी के साथ भी जैसे इनकी बर्थ दे के प्रसंग में उन्होंने खुद याद किया, की कैसे में ये जब वो लग रहा था सो रही है तो उन्होंने उसके किशोर बस आ रहे उभारों को कपडे के ऊपर से छुआ था , सहलाया था, और गुड्डी ने फोन पर इनसे बात में भी और पिछले पार्ट्स में भी उसके अंदर के भाव बस बाहर आ गए,

और उन बदलावों के साथ संबंधों का स्वरूप भी एक नया रूप ले लेता है, कुछ खट्टी यादों को मीठे रिश्ते भुला देते हैं,

हाँ ये आरोप लगते हैं , लगते रहेंगे, की मेरी कहानी में चीजों को कुछ ख़ास प्रसंगो को मनोभावों को बहुत बढ़ा चढ़ा कर,

लेकिन ये बात कला के सभी रूपों के लिए सही है, और उनका अभिप्राय भी है , जब हम किसी मशहूर व्यक्ति की नाक बड़ी और पतली नुकीली देखते हैं और उसे पहचान जाते हैं तो कैरकेचरिस्ट का पर्पज सर्व हो जाता है, भले ही वास्तविक जीवन में उसकी नाक इतनी नुकीली या बड़ी न हो,

इसी तरह हमें इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप में एक सेल को जब देखते हैं और माटोकॉंड्रिया, न्यूक्लियस का चित्र खींचते है या कोई जेनटिक बायोलॉजिस्ट जींस की विवेचना करता है

कोई श्रृंगार रस का कवि नायिका के लिए यह कहता है की आँखे कानों से बाते कर रही हैं , लेकिन अगर किसी लड़की की आँखे वास्तव में कानों तक हों तो बजाय सुन्दर लगने के वो अप्राकृतिक ही लगेंगी, पर पढ़ने वाला यह समझ जाता है की नायिका की आँखे बड़ी बड़ी हैं ,

बस इसी तरह, बिना अलंकार के साहित्य आभूषण विहीन स्त्री की तरह है, ( भले ही वह आभूषण लज्जा का , चितवन का या मुस्कान का ही क्यों न हो )

और यह बात इरोटिक रचनाओं में और थोड़ी बढ़ती है क्योंकि उसका भाव ही काम भाव को जगाना है

और हमें यह मानना चाहिए की काम, चार पुरुषार्थों में एक है,


मैं कहानी के साथ पढ़ने वालों से कभी कभी कुछ कहने सुनने की भी कोशिश करतीं और एकदम सन्नाटा हो तो खुद से ही,


तो चलिए एक बार फिर कहानी आगे बढ़ाते हैं,...
 

chodumahan

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बदलाव की कहानी,

मेरी कहानियों में एक अंतर्निहित थीम होती है, बदलाव की, वैसे तो हम लोग हर रोज हर पल बदलते रहते हैं, काल और स्थान के परिप्रेक्ष्य में भी और अपने खुद के परिप्रेक्ष्य में भी,

एक ग्रीक दार्शनिक हेराक्लाइटस ने कहा था, " आप किसी उसी नदी में दुबारा कदम नहीं रख सकते। "

क्योंकि, कुछ नदी बदल जाती है , कुछ आप बदल जाते हैं.

और इस बदलाव में कुछ ऐसे बिंदु भी आते हैं जब वह बदलाव परिलक्षित होने लगता है , जैसे किचेन में चाय का पानी चूल्हे पर चढ़ाने पर गरम तो वह पहले पल से ही होने लगता है , लेकिन जब वह खदबदाने लगता है, भाप निकलने लगती है तो लगता है, हाँ गरम हो गया।

तो बदलाव के ऐसे शिखर इस कहानी में भी कई बार आएं जैसे एक दिशा में बहती नदी किसी दूसरी दिशा में मुड़ जाए, 'इनके' परिप्रेक्ष्य में मैं कहूँगी, जोरू का गुलाम का दूसरा भाग ही, या वो कई भाग जिसमें बर्थडे के तीन दिनों का वर्णन है, उस बदलाव के एक मुख्य बिंदु की तरह थे,
उसी तरह से पिछले कुछ भाग , गुड्डी के साथ हुए बदलाव के लिए,

हाँ एक बात, भले कुछ फोर्स्ड लगे, कुछ जबरदस्ती पर पहली बाद तो इस कहानी के साथ ' फेम डॉम ' का टैग लगा भी है, लेकिन यह बदलाव सिर्फ उन्ही चीजों को बाहर लाता था जो मन में कहीं न कहीं कुलबुलाते रहते हैं, या फ्रायड की शब्दावली का प्रयोग करूँ तो 'इड' जैसे ' सुपर ईगो ' से दबा रहता है, जैसे इनके साथ था , अच्छे बच्चे ये नहीं करते, अच्छे बच्चे वो नहीं करते, एक प्रोटोटाइप से कन्फर्म करके एक्सेप्टेंस पाने की भावना, या गुड्डी के साथ भी जैसे इनकी बर्थ दे के प्रसंग में उन्होंने खुद याद किया, की कैसे में ये जब वो लग रहा था सो रही है तो उन्होंने उसके किशोर बस आ रहे उभारों को कपडे के ऊपर से छुआ था , सहलाया था, और गुड्डी ने फोन पर इनसे बात में भी और पिछले पार्ट्स में भी उसके अंदर के भाव बस बाहर आ गए,

और उन बदलावों के साथ संबंधों का स्वरूप भी एक नया रूप ले लेता है, कुछ खट्टी यादों को मीठे रिश्ते भुला देते हैं,

हाँ ये आरोप लगते हैं , लगते रहेंगे, की मेरी कहानी में चीजों को कुछ ख़ास प्रसंगो को मनोभावों को बहुत बढ़ा चढ़ा कर,

लेकिन ये बात कला के सभी रूपों के लिए सही है, और उनका अभिप्राय भी है , जब हम किसी मशहूर व्यक्ति की नाक बड़ी और पतली नुकीली देखते हैं और उसे पहचान जाते हैं तो कैरकेचरिस्ट का पर्पज सर्व हो जाता है, भले ही वास्तविक जीवन में उसकी नाक इतनी नुकीली या बड़ी न हो,

इसी तरह हमें इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप में एक सेल को जब देखते हैं और माटोकॉंड्रिया, न्यूक्लियस का चित्र खींचते है या कोई जेनटिक बायोलॉजिस्ट जींस की विवेचना करता है

कोई श्रृंगार रस का कवि नायिका के लिए यह कहता है की आँखे कानों से बाते कर रही हैं , लेकिन अगर किसी लड़की की आँखे वास्तव में कानों तक हों तो बजाय सुन्दर लगने के वो अप्राकृतिक ही लगेंगी, पर पढ़ने वाला यह समझ जाता है की नायिका की आँखे बड़ी बड़ी हैं ,

बस इसी तरह, बिना अलंकार के साहित्य आभूषण विहीन स्त्री की तरह है, ( भले ही वह आभूषण लज्जा का , चितवन का या मुस्कान का ही क्यों न हो )

और यह बात इरोटिक रचनाओं में और थोड़ी बढ़ती है क्योंकि उसका भाव ही काम भाव को जगाना है

और हमें यह मानना चाहिए की काम, चार पुरुषार्थों में एक है,


मैं कहानी के साथ पढ़ने वालों से कभी कभी कुछ कहने सुनने की भी कोशिश करतीं और एकदम सन्नाटा हो तो खुद से ही,


तो चलिए एक बार फिर कहानी आगे बढ़ाते हैं,...
जैसा कि आपने ऊपर कहा कि बदलाव हरेक प्राणी के जीवन का अभिन्न अंग है.. और ये सतत प्रकृति के हर अवयवों पर भी लागू होता है...
और ये बदलाव मनुष्य के जीवन में कई बार नए मोड़ के साथ क्रांतिकारी परिवर्तन भी लाते है. जो रोमांचक होते है और एक नई ऊर्जा भी भर देते हैं..
एक ही ढर्रे पर चलती जिंदगी कई बार बोर सी लगने लगती है...

कहानी में कई बातें परोक्ष तौर पर तो कभी गूढ़ अर्थों में व्यक्त की जाती है और कई बार तो पाठकों के कल्पनाओं पर छोड़ दिया जाता है...
इससे कहानी में रोचकता और उत्सुकता बनी रहती है..
कई बार जाहिर सी बातों को भी शब्दों के खूबसूरती से रोचक से प्रस्तुत किया जा सकता है..
ये आपकी कहानी में प्रचुर मात्रा में होती है और आगे की बातों को जानने के लिए उत्सुक बनाती है...
इसके लिए आप बधाई की पात्र है.
मेरा शत शत नमन आपको..
 
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