दिया की दावत
मेरी जेठानी रिएक्ट तो नहीं कर रही थीं पर मुझे मालूम था की उनके सीने पर कैसे ५६ छुरियां चल रही होंगी ,वो लौंडिया मार्का ननदें जो सिर्फ उनकी एक निगाह उठाने से , पानी पानी हो जाती थीं आज ,...
बस उन्होंने बात बदलने की कोशिश की और करती भी क्या ,
" हे दिया तू रोटी एक ले न ,वरना कहेगी भाभी ने खिलाया भी नहीं ,... " प्यार से उसकी थाली में एक गरमागरम रोटी डालती वो बोलीं।
ये भी अपनी भौजाई की ओर से आगये ,गुड्डी को समझाते हड़काते बोले ,
"गुड्डी तू भी न , ...अरे खाने की टेबल पर खाने की बाते करते हैं और कुछ नहीं,भाभी ने तेरे इत्ते प्यार से खाना बनाया है और तू भी न ,... "
अपने देवर को अपनी ओर आते देख के मेरी जेठानी भी , फूल के कुप्पा ,उनकी हिम्मत बढ़ी और ३६ का सीना ५६ का हो गया।
पर दिया ,उसके चेहरे की रंगत बदल रही थी ,वो बार बार टेबल पर इधर से उधर देखती , और गुस्सा उसका म
और बबल बर्स्ट हो गया , आलमोस्ट।
" भाभी ये क्या ,टेबल ओर सिर्फ घास फूस , कुछ भी भी खाने लायक नहीं ,कबाब ,चिकेन, मटन दो प्याजा ,आप भी ,... "
वो अपने बगल में बैठी मेरी जेठानी से बोली।
शायद उनके देवर का साथ या फिर दिया ने कुछ ज्यादा ही , जेठानी ने रात से पहली बार थोड़ी हिम्मत की ,
" तुम तो जानती ही हो इस घर में ,... यहाँ के संस्कार ,यहाँ तो लहुसन प्याज भी नहीं , वो तो , इसलिए आज सब्जी में ,... "
हिचकते ,रुकते दबी जुबान में जेठानी बोल रही थीं।
पर दिया की जुबान ,वो न रुकने वाली थी न दबने वाली , एकदम ज्वालामुखी ,
" स्साली रंडी की औलाद , इस घर में ,... इस घर की माँ की चूत , भोंसड़ी की कल रेस्टोरेंट में हम सब के सामने ६ मटन कबाब डकार गयी और सांस भी नहीं ली , सबके सामने ,तब इस संस्कार मादरचोद , ... तेरी माँ ने आलोकनाथ से चुदवा के तुझे पैदा किया था क्या की जब देखो तब संस्कार संस्कार बोलती रहती हो। ई संस्कार कहाँ गए था जब अपने हरवाहे के टट्टे चाट रही थी नीले गगन के तले , दूध वाले की मलाई खा रही थीं इंटर में पहुँचने के पहले। मायके की जब्बर छिनार , ससुराल में पहुंचते ही संस्कार संस्कार ,... टूटे पंख वाले झींगुर की चोदी , ई सब बैंगन भिंडी तेरी गांड में डाल दूंगी इसकी कलछुल से ,अभी सबके सामने तेरी नयी नयी फटी गांड में ,छिनार। वरना कहीं से भी कबाब ,मटन कुछ भी ,... सुन गुड्डी कल की इनकी मन की बात तेरे मोबाइल में हैं न ,
गुड्डी ने मोबाइल अपने हाथ में ले लिया जैसे केबीसी में फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट में लोग वोटिंग मीटर हाथ में ले लेते हैं ,और इन्तजार करने लगी ,आपका समय शुरू होता है अब का और खुश हो के मेरी जेठानी को दिखाते बोली ,
" हाँ हैं न , ... "
" तो बस कर दे उसका सार्वजिनक प्रसारण , सबसे पहले इनके मायके वालियों के पास , फिर ,... "
बीच बचाव में और कौन आता ,दिया के गुस्से को को ठंडा करने की हिम्मत किसमें थी सिवाय उसके भैय्या और मेरे सैंया के अलावा ,
" अरे दिया ,रहने दे न ,और भाभी आप भी ,... आप की ननदे हैं अभी इनकी खेलने खाने की उमर है। आप से अच्छा कौन समझेगा इस उमर कीगरमी और मुलायमियत। कल रात में जो कबाब आपने खाये थे , बस एक प्लेट में बने रखे हैं खाली सेंकना है मटन कबाब है वो ,आपको कितना अच्छा लगा था ,... "
" पोर्क चाप और फिश कटलेट भी तो वही रखे हैं बड़े फ्रिज में " मैं क्यों मौक़ा छोड़ती। वो बड़ा फ्रिज तो इतना संस्कारी था ,मुझे भी उसे छूने की इजाजत नहीं थी।
" भैय्या , भाभी कह रही थी आप रोगनजोश अच्छा बनाते हैं , "
उन्होंने एक अच्छे बहु टाइप ब्लश किया ,तेरी भाभी भी न और अपनी भाभी से बोले ,
" भाभी ,उसी बड़े फ्रिज में रोगन जोश भी है एक कैसरोल में बस थोड़ा सा हीट अप कर दीजियेगा , "
मेरी जेठानी जिन्होंने एगलेस पेस्ट्री मेरी लायी इन्ही की बर्थ डे की मुझसे फेंकवायी थी की क्या पता और मुझसे मेरे मायके की हर आदमी की कसम खिलवाई गयी थी की मैंने उस क्या पता पेस्ट्री को बड़े फ्रिज में तो नहीं रखा , आज उस फ्रिज से मटन कबाब , पोर्क चाप , फिश कटलेट ,रोगन जोश निकाल के जिस किचेन में लहसून प्याज नहीं आता था , वहीँ गरम करने ,सेंकने जा रही थी।
उनके किचेन में पहुंचने के पहले जोर का हाई फाइव हुआ ,दिया और गुड्डी के बीच।
अब इनके और दिया के बीच बड़ी सी डाइनिंग टेबल थी तो हाई फाइव तो मुश्किल था इसलिए बस दिया की लम्बी टांगो ने टेबल के नीचे से इनकी तीसरी टांग से टांग मिलाई।
" यार मान गए दिया तुझे आज जो चीज मांग वो तेरी , ... " खुश हो के मैंने ननद को एवमस्तु टाइप आशीर्वाद दिया।
" आप के बगल में जो छह फिटा बैठा है ,दे दीजिये न उस को ,... " खिलखिलाती हुयी दिया बोली।
उसका गुस्सा कितना जबरदस्त ऐक्टिंग था मैं अब समझी।
" अरे यार वो तो तेरा ही ही है ,जब चाहे तब ,.. " हंस के मैं बोली,फिर जोड़ा
" अच्छा चल आज हम लोगों के जाने तक तू जितनी बार चाहे ,हम लोग बीच में भी नहीं आयंगे। "
पर गुड्डी का मुंह लटक गया हम में वो भी तो इन्क्ल्यूडेड थी।
लेकिन दिया ,उसे गुदगुदाते बोली ,
" कमीनी जल कुकड़ी ,आज रात भर स्साली तेरी टाँगे उठी रहेंगी पर अपनी सहेली के लिए ज़रा भी त्याग बलिदान की भावना नहीं। घोर कलयुग ,घोर कलयुग , चल यार तू भी क्या याद करेगी किसी दिया नाम की दिल वाली से पाला पड़ा था , थोड़ा बहुत तुझे भी चखा दूंगी ,अब तो तो स्माइल मार मेरी नानी। "
गुड्डी ने जबरदस्त स्माइल मार दी।
और अब दिया ने अपने तरकश के तीर अपने 'भैया ' की ओर खोल दिए ,
" क्या भैय्या कबाब के साथ कुछ चिल्ड बियर सियर हो तो मजा आये ,ऐसा क्या सूखा सूखा ,... कुछ है क्या। "