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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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Bhut shandaarHoti to hai UNDERGROUND Parking, multi level parking,... to kya bura hai
Bhut shandaar updateजोरू का गुलाम भाग १४७
और आ गयी दिया
बस थोड़ी देर ही आँख लगी।
उन्होंने ही मुझे उठाया , पैकिंग इन्होने पूरी कर दी थी।
दो बजने वाले थे ,गुड्डी और उसकी मस्त मस्त सहेलियों के आने का टाइम , गुड्डी के स्कूल की पार्टी यानी फुलटाइम मस्ती
स्कूल से कालेज एक लम्बी छलांग होती है ,इंटर की सारी लड़कियॉं और पार्टी दे रही ११ वीं की लड़कियां
मस्ती तो होनी ही थी , फिर कौन कहाँ जाए , कब मिले
स्कूल की यूनिफार्म ,चहारदीवारी लांघ कर कालेज में पहुंचने की खुशी ,
और सहेलियों से बिछुड़ने का गम भी
कोई अपनी सालियों का इतनी बेसब्री से इन्तजार नहीं करता जितना वो अपनी 'बहनों ' का कर रहे थे।
हम दोनों धड़धडाते नीचे आगये ,किचेन से खाने की खुशबू आ रही थी ,आज पहली बार मैं जेठानी के हाथ का बना खाना खाने वाली थी।
टेबल आलरेडी सेट थी ६ के लिए ,हम तीन हमारे तीन ,गुड्डी और उसकी शैतान सहेलियां , दिया और छन्दा ,मेरी फेवरिट ननदें , पार्टनर्स इन क्राइम।
हम लोग बरामदे में खड़े ही थे की बाहर से चहकने की आवाजें आने लगीं , और धड़ाक से दरवाजा खुला , सबसे पहले दिया।
मैंने उसको आँख भर देखा भी न होगा की उसने मुझे दबोच लिया और जोर से चीखी ,
भाभीइइइइइइ
आज मेरी कमीनी ननद के बूब्स तो टॉप्स फाड़ के सचमुच बाहर आ रहे थे। उसने भी गुड्डी कीतरह अपनी हाईस्कूल की यूनिफार्म टाइट सफ़ेद टॉप और छोटा सा नीला स्कर्ट पहन रखा था। अब हाईस्कूल के टॉप में इंटर पास के बूब्स तो समाने से रहे।
और एक अच्छी सी भाभी की तरह पहले तो मैंने उसे अपनी हथेलियों में लेके दुलराया ,सहलाया फिर जोर जोर से मसल दिया। उन प्यारे प्यारे कबूतरों को मैं बंद तो देख नहीं सकती थी ,इसलिए टॉप के ऊपर के दो बटन ,
पर दिया कौन सी कम ,एकदम मेरी परफेक्ट ननद ,...
और आज मैंने तो उन टीनेजर्स की तरह क्रॉप्ड टॉप और रिप्ड जींस पहन रखी थी ,अपनी ससुराल में बगावत का झंडा बुलंद करते।
बल्कि अपनी कामयाबी का परचम लहराते ,और उसमे मेरी इस छिनार ननद का भी बहुत हाथ था मेरी सबसे तगड़ी सिपहसालार।
बस दिया ने अपने उन टीन टॉप फाडू बूब्स से मेरे छलकते बूब्स को बराबर की टक्कर देनी शुरू की।
घिस्स्म घिसाई ,रगड़ाई मसलाई ,
और हम दोनों के हाथ टॉप के अंदर सीधे जुबना का रस लेते ,असली ननद भौजाई की तरह।
दिया ने बताया गुड्डी के स्पेशल प्राइज मिला
कर्टसी कच्ची अमियों का ,
जूनियर्स ने सारे सीनियर्स को पहले तो टॉप लेस किया , फिर उनके कच्चे टिकोरों का कम्पटीशन ,
गुड्डी की जीत में जेठानी का भी बड़ा हाथ था जो उन्होने रच रच कर अपनी ननदी के जुबना पर मेंहदी रची थी।
लेकिन दिया की बड़ी बड़ी आँखे कहीं इधर उधर चकर मकर कुछ ढूंढ रही थीं।
मैं समझ गयी उस की कजरारी आंखे किस के चक्कर में हैं ,
और वो वाशरूम से निकले तो वो भी ,जैसे कोई चुम्बक ,..
( मेरी कमीनी ननद के टॉप में दो बड़े बड़े चुम्बक ही तो थे )
भैय्या ,वो चीखी और मेरी बाँहों से मेरे साजन की बाँहों में ,
एकदम असली भाई बहन भी मात।
जिस तरह से दोनों भाई बहन ने एक दूसरे को भींच रखा था।
मेरे उनके हाथ सीधे अपनी 'बहना ' के टॉप पर गोलाइयों की नाप जोख करते हुए ,
और दिया के हाथ अपने भइया क झलकौवा बॉक्सर शार्ट के ऊपर से लम्बाई मोटाई और कड़ाई अपनी नरम नरम कलाई से नापते।
सच में बिना दिया के मेरी जेठानी को शीशे में उतारना बहुत टेढ़ा काम था और आज उनकी तस्सली बख्श मरम्मत में भी वो मेरा पूरा साथ देने वाली थी।
नरम नरम कोमल उँगलियाँ एक टीनेजर की हों ,वो भी दिया ऐसी तो खूंटे को खड़ा होने में कितना टाइम लगता है ,बस टनाटन।
और जो मैंने अपनी ननदिया के टॉप के बटन खोल दिए थे उसका फायदा मेरे साजन की उँगलियों ने उठाया सीधे अंदर ,
और नतीजा वही उनकी बहना की चूँचिया एकदम पथरा गयीं ,
………..
और तभी जेठानी निकलीं ,किचेन से पसीने से भीगी ,लथपथ , छोटा सा लो कट ब्लाउज एकदम देह से चिपका ,पेटीकोट भी नहीं तो साडी भी उसी तरह
( एक्जास्ट फैन और चिमनी में आज सुबह से 'कुछ गड़बड़ ' हो गयी थी ,इसलिए और )
दोनों हाथूं में बाउल ,
और पता नहीं उन्हें देख कर या , दिखा कर ,दिया ने इक जबरदस्त चुम्मी अपने 'भैय्या ' की ले ली ,सीधे उनके होंठों पर और फिर वो चुम्मी ,डीप फ्रेंच किस में
मैंने अपनी निगाह गुड्डी की ओर की ,फिर इधर उधर ,
" हे छन्दा नहीं आयी ,.. " मैंने सवाल दागा।
" वो धंधे पर निकल गयी " जवाब दिया की ओर से आया।
" अरे भाभी ये भी न , आप तो जानती है न उसके कितने कजिन्स हैं और वो उसकी एक नहीं सुनते , बस अपने मन की ,... बस तो उसके इंटर पास होने की पार्टी के लिए , ...हाँ लेकिन वो आप लोगों के जाने के पहले आ जायेगी , उसने प्रॉमिस किया है " गुड्डी खिलखिलाते हुए बोली।
( मालूम तो मुझे अच्छी तरह था कि दिया के सगे भाई ने दिया की , और रोज बिना नागा कबड्डी ,और छन्दा के कोई सगा भाई तो था नहीं तो उसने एक कजिन से ही नथ उतरवा ली , फिर तो वो कजिन कजिन में भेद कैसे करती तो फिर चचेरे , फूफेरे मौसेरे ,ममेरे , रिश्ते के ,मोहल्ले के नाते कजिन ,... किसी से भी उसने कोई भेदभाव नहीं किया। )
जेठानी बिचारी दोनों हाथ में बरतन पकडे , सोच रही थीं शायद कोई पकड़वा ले , दूसरा समय होता तो उनकी ननदें ,देवरानी दौड़ के ,पर ,....
ऊपर से गुड्डी , बजाय अपनी बड़ी भाभी को हेल्प करने के उसने दिया को उकसाया , पर दिया तो और बड़ी छिनार ,
Superb superb update दीदीरेडियों मिर्ची
बचपन के दिन भुला न देना
जान बूझ के ये सब की ओर देखने लगे पर दिया ने रेडियो मिर्ची ऑन कर दिया , मेरी जेठानी की कल रात की रिकार्डिंग ,
वो बोल रही थीं ,इंटर में आने के पहले ही दर्जन भर से ऊपर घोंट चुकी थी।
" मेरा इंटरकोर्स तो इंटर में शुरू हुआ " भोली बन के दिया बोली ,"इसलिए मैं हार मानती हूँ।"
और उसने रेडियों मिर्ची का स्टेशन बदल दिया अब जेठानी जी मेरी कोकिल कंठी अपनी शहद घुली आवाज में
नीले गगन के तले अपने और सामू के प्रथम मिलन की बातें बखान रही थीं
मैंने दर्द से आँखे बंद कर ली पर सामू भी न ,कचकचा के मेरे टिकोरों पे काट के उसने मुझे आँखे खोलने पर मजबूर कर दिया।
मेरी जाँघे फटी जा रही थीं , ' वहां ' बहुत तेज तीखा सा दर्द हो रहा था।
पर आठ दस पूरी ताकत से धक्के मारने के बाद अब वो सिर्फ , पुश कर रहा था ,ढकेल रहा था ,ठेल रहा था।
ये नयी नयी किशोरी का दर्द न , जब होता है न तो बस मन करता है की नहीं अब और नहीं ,अगली बार सोचूंगी भी नहीं
और बस जब कम होने लगता है तो मन करता है ,... और दर्द क्यों नहीं हुआ।
दर्द अब कम हो रहा था ,लेकिन टीस अभी भी थी पर , जो दर्द देता है वही दवा देता है।
और सामू अब मलहम लगा रहा था , अपने होंठों से कभी मेरे गालों होंठों को चूम के
तो कभी उन्ही होंठों से कच्ची अमिया को छू के सहला के।
मुझे लग रहा था की आधा तो घुस ही गया होगा।
पर जब वो एक पल के लिए सीधे बैठा ,तो मैंने देखा ,सिर्फ सुपाड़ा ही अंदर धंसा था बाकी खूंटा तो बाहर ही निकला था।
उसका तना मोटा खूंटा देख के भी बस मैंने ,नीचे से चूतड़ उचका दिए , ज़रा सा मुस्करा दिया ,
और इतना इशारा काफी था।
अबकी उसने मेरी दोनों नरम कलाइयां अपने हाथ से पकड़ीं ,थोड़ा सा 'उसे बाहर' किया ,
और , .... और ,.... और
मेरी आँखों के आगे तारे नाच रहे थे ,मैं चीख रही थी ,चिल्ला रही थी , मारे दर्द के बिलबिला रही थी
और अब गुड्डी और दिया दोनों मिल के मेरी जेठानी को पकड़ के गा रही थीं ,
" कैसे फटी हो भौजी कैसे फटी ,
अरे तोहरी बुरिया कैसे फटी , बोल भौजी तोर बुरिया कैसे फटी।"
अरे सामू से फटी ,हो सामू से फटी , गन्ने के खेत में सामू से फटी।
पहले टांग उठाया , फिर धीरे से सटाया अरे कस के घुसाया ,
सामू ने अरे जालिम सामु ने फाड़ी बुरिया ऐसे फटी ,
हो ननदी ऐसे फटी , अरे ननदी ऐसे फटी।
इनकी भाभी ,गुड्डी और दिया की भाभी चुपचाप बियर के कैन खोलने में लग गयीं।
दिया भी न ,मेरी जेठानी के हाथ से चिल्ड बियर का कैन लेकर उसने एक चुस्की लगाई और फिर जबरन वो जूठा कैन सीधे
मेरी जेठानी के होंठों पर और जबरदस्ती गटका दिया और बोली ,
" अरे भाभी ज़रा पी के देखिये न ,ये वाला ज्यादा मस्त है या कल आपने बार में सारे शहर के सामने जो पी थी।
आज तो आप पी के टुन्न भी हो सकती हैं ,आउट भी हो जाएंगी तो क्या हुआ आपकी ननदें ,देवर देवरानी ही तो हैं। "
जेठानी समझ गयी थी ये रिकार्डिंग अब बिल्ली के गले की घंटी बन गयी है , ऊपर से गुड्डी ने थोड़ी और कश्मीरी लाल मिर्च छिडकी। आखिर मेरी जेठानी पर तो उसी के काटने वाली थीं न।
" सुन दिया ,यार आज कल पोर्न साइट्स पर आडियो सेक्स स्टोरीज काफी चल रही हैं और सुना है वो थोड़ा बहुत पैसा भी दे देते हैं। "
" नहीं यार , ऐसे कैसे ,और मान लो पोस्ट कर दें और कोई अपनी बचपन की छिनार भाभी जी की आवाज पहचान ले तो ? " दिया ने और ,
लेकिन गुड्डी ऐसे कहाँ बोली ,
अरे यार पहचान लेगा तो क्या हुआ , आखिर इनके गाँव में तो सबको इनकी कच्ची जवानी की कबड्डी के किस्से मालूम ही होंगे ,फिर बहुत हुआ , भाभी ने अगर कहा हम लोगों से तो देखंगे ,.. डिलीट कर देंगे। "
जेठानी बेचारी चुपचाप खाने में लगी थीं , और अब समझ गयी थी की गाडी अब नाव पर चढ़ गयी बाजी अब ननदों के हाथ में है और ननदों की चाभी देवरानी के हाथ में।
लेकिन दिया देख रही की मेरी जेठानी सिर्फ वेज डिशेज ही और उससे नहीं रहा गया।
कबाब खाते हुए दिया बोली ,
" मस्त मटन कबाब है , मन करता है बनाने वाले के हाथ चूम लूँ। "
1 Dam se duniya badal gyi...दिया, मेरे ' ये' और,... जलकुकड़ी जेठानी
जेठानी बिचारी दोनों हाथ में बरतन पकडे , सोच रही थीं शायद कोई पकड़वा ले , दूसरा समय होता तो उनकी ननदें ,देवरानी दौड़ के ,पर ,....
ऊपर से गुड्डी , बजाय अपनी बड़ी भाभी को हेल्प करने के उसने दिया को उकसाया , पर दिया तो और बड़ी छिनार ,
मेरे सैंया के मूसल चंद को उनके झलकौवा शार्ट के ऊपर से रगड़ते मसलते उसने खुल के पकड़ लिया और गुड्डी को दिखाते बोली ,
" देख तू रही है ,कितनी मस्त चीज पकड़ी हूँ। तू ही पकड़ा ले और फिर तेरी भाभी ने तो अपने गाँव में कितनों का हँसते हँसते पकड़ लिया तो ये कौन सी,... "
और फिर एक बार जबरदस्त चुम्मी मेरे सैंया की
और उन्होंने भी अबकी दिया के मुंह में अपनी जीभ घुसेड़ के चुम्मी का जबरदस्त जवाब दिया।
उनकी भाभी देख रही थी ,कुढ़ रही थी ( ये तो नहीं कह सकती की उनकी झांटे सुलग रही थीं क्योंकि मैं खुद देख चुकी थी उनकी गुलाबो एकदम मक्खन मलाई थी। ) और टेबल पर उन्होंने बर्तन रख दिए। और फिर किचेन की ओर मुड़ गयीं ,पर मुड़ने के पहले उन्होंने अपने देवर और उस पंजाबी कुड़ी को कनखियों से भर नजर देख लिया।
दो दिन में ही दुनिया कहाँ से कहाँ बदल जाती है।
दो दिन पहले यही समय रहा होगा जब ये ऊपर हमारे कमरे से उतरे दिया और छन्दा के साथ ,गुड्डी पीछे पीछे ,सिर्फ इनका हाथ दिया के कंधे पर था।
और क्या गुस्सा दिखाया जेठानी जी ने , ..एकदम झनक कर ,
उन्होंने सिर्फ ये पूछ दिया थी की आप लोगों के लिए पिज्जा ले आऊं क्या ?
" नहीं ,एकदम नहीं ,न कोई जाएगा , न कोई पिज्जा विज्जा आएगा। " एकदम पुराने जमाने के क्रोधित ऋषि मुनियों की तरह , आलमोस्ट शाप वाली आवाज में
और उन लोगों के बाहर निकलने के पहले ,
' ये गुड्डी कम थी क्या जो भी ये आ गयी। शरम लिहाज सब घोल के पी गयीं , और तुम भी सींग कटा के बछेड़ियों में ,तुम्हे तो मना करना चाहिए। "
मुझे क्या क्या जली कटी न सुनाई, उनका वश चलता तो अपने शाप से मुझे खरगोश बना देतीं। मैंने घडी देखी देखी थी ,चार मिनट अट्ठाइस सेकंड तक लगातार बिना रुके मुझे वो जली कटी , ... यहाँ तक की मेरे मायके वालों को , सिर्फ पढ़ाई लिखाई से कुछ नहीं होता ,संस्कार आने चाहिए , वो तो सिखाया नहीं ,...
चुम्मा ब्रेक करके आज दिया बोली ,
" अरे ज़रा जल्दी खाना लगाइये न , क्या इत्ते धीमे धीमे ,... तेज भूख लगी है। "
……..
चार मिनट दस सेकेण्ड में पूरी टेबल , दाल, कढ़ी , चार तरह की सब्जी ,गरम रोटियां ,पुलाव , सब कुछ टेबल पर था और वो खड़ी हम लोगों का इन्तजार कर रही थीं।
रोज टेबल पर सबसे पहले वो बैठतीं थीं पर आज मैं और मैंने खींच के इनको भी,...
मैं समझ रही थी जेठानी जी मेरे साथ बैठना चाहती थीं ,गुड्डी से दूर ,
पर दिया तो उसने खींच कर जेठानी जी को अपने और गुड्डी के बीच में बैठा दिया।जेठानी पसीने में नहायी ,कपडे उनके गोरी चम्पई देह से चिपके , लथपथ लेकिन तभी अपने हाथ से निकाल के कभी दिया को देती तो कभी गुड्डी को तो कभी हम लोगों को।
" देख मैं कहती थी न मेरी बड़ी भाभी देने में ज़रा भी हिचकिचाती नहीं ,और सब को देती हैं , बस लेने वाला चाहिये। "
गुड्डी ने दिया से बोला।
" बात तो तू एकदम सही कह रही है ,कल की बातें हो भाभी ने खुद पाने मोबाईल से रिकार्ड कर के मुझे भेजी थीं , तूने सुना था न , इनके गाँव में तो शायद ही कोई बचा होगी जिसने इनकी कच्ची अमिया न कुतरी हो , स्कूल के लौंडे भी ,मास्टर भी ,.. देती हैं भौजी बस लेने वाला चाहिये। "
दिया ने इनकी भौजी के ऊपर और नमक मिर्च छिड़का।
और गुड्डी क्यों छोड़ती अभी २४ घंटे तो नहीं हुए थे उसके पर काटने वाली धमकी के। बोली ,
" एकदम सुना था इनकी कोकिल कंठी शहद घुली आवाज में ,फुल डिटेल्स के साथ। मेरी मोबाइल पे तो अभी भी है ,और साथ में मैं अपने टैब पैट ,भइया जो आईपैड लाये हैं उस पे और गूगल हार्ड ड्राइव पे तो मैंने भाभी के नाम से एक फोल्डर भी बना दिया है ,पासवर्ड भी सिम्पल है ,हमार भौजी। बस जब चाहो तब शेयर कर लो। "
मेरी जेठानी रिएक्ट तो नहीं कर रही थीं पर मुझे मालूम था की उनके सीने पर कैसे ५६ छुरियां चल रही होंगी ,वो लौंडिया मार्का ननदें जो सिर्फ उनकी एक निगाह उठाने से , पानी पानी हो जाती थीं आज ,...
बस उन्होंने बात बदलने की कोशिश की और करती भी क्या ,
" हे दिया तू रोटी एक ले न ,वरना कहेगी भाभी ने खिलाया भी नहीं ,... " प्यार से उसकी थाली में एक गरमागरम रोटी डालती वो बोलीं।
सभी के सभी अपने बहुत शानदार हैLast Update Posted is on
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Kya gajab non veg baijjti ki hai bhabhi kiदिया की दावत
मेरी जेठानी रिएक्ट तो नहीं कर रही थीं पर मुझे मालूम था की उनके सीने पर कैसे ५६ छुरियां चल रही होंगी ,वो लौंडिया मार्का ननदें जो सिर्फ उनकी एक निगाह उठाने से , पानी पानी हो जाती थीं आज ,...
बस उन्होंने बात बदलने की कोशिश की और करती भी क्या ,
" हे दिया तू रोटी एक ले न ,वरना कहेगी भाभी ने खिलाया भी नहीं ,... " प्यार से उसकी थाली में एक गरमागरम रोटी डालती वो बोलीं।
ये भी अपनी भौजाई की ओर से आगये ,गुड्डी को समझाते हड़काते बोले ,
"गुड्डी तू भी न , ...अरे खाने की टेबल पर खाने की बाते करते हैं और कुछ नहीं,भाभी ने तेरे इत्ते प्यार से खाना बनाया है और तू भी न ,... "
अपने देवर को अपनी ओर आते देख के मेरी जेठानी भी , फूल के कुप्पा ,उनकी हिम्मत बढ़ी और ३६ का सीना ५६ का हो गया।
पर दिया ,उसके चेहरे की रंगत बदल रही थी ,वो बार बार टेबल पर इधर से उधर देखती , और गुस्सा उसका म
और बबल बर्स्ट हो गया , आलमोस्ट।
" भाभी ये क्या ,टेबल ओर सिर्फ घास फूस , कुछ भी भी खाने लायक नहीं ,कबाब ,चिकेन, मटन दो प्याजा ,आप भी ,... "
वो अपने बगल में बैठी मेरी जेठानी से बोली।
शायद उनके देवर का साथ या फिर दिया ने कुछ ज्यादा ही , जेठानी ने रात से पहली बार थोड़ी हिम्मत की ,
" तुम तो जानती ही हो इस घर में ,... यहाँ के संस्कार ,यहाँ तो लहुसन प्याज भी नहीं , वो तो , इसलिए आज सब्जी में ,... "
हिचकते ,रुकते दबी जुबान में जेठानी बोल रही थीं।
पर दिया की जुबान ,वो न रुकने वाली थी न दबने वाली , एकदम ज्वालामुखी ,
" स्साली रंडी की औलाद , इस घर में ,... इस घर की माँ की चूत , भोंसड़ी की कल रेस्टोरेंट में हम सब के सामने ६ मटन कबाब डकार गयी और सांस भी नहीं ली , सबके सामने ,तब इस संस्कार मादरचोद , ... तेरी माँ ने आलोकनाथ से चुदवा के तुझे पैदा किया था क्या की जब देखो तब संस्कार संस्कार बोलती रहती हो। ई संस्कार कहाँ गए था जब अपने हरवाहे के टट्टे चाट रही थी नीले गगन के तले , दूध वाले की मलाई खा रही थीं इंटर में पहुँचने के पहले। मायके की जब्बर छिनार , ससुराल में पहुंचते ही संस्कार संस्कार ,... टूटे पंख वाले झींगुर की चोदी , ई सब बैंगन भिंडी तेरी गांड में डाल दूंगी इस कलछुल से ,अभी सबके सामने तेरी नयी नयी फटी गांड में ,छिनार। वरना कहीं से भी कबाब ,मटन कुछ भी ,... सुन गुड्डी कल की इनकी मन की बात तेरे मोबाइल में हैं न ,
गुड्डी ने मोबाइल अपने हाथ में ले लिया जैसे केबीसी में फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट में लोग वोटिंग मीटर हाथ में ले लेते हैं ,और इन्तजार करने लगी ,आपका समय शुरू होता है अब का और खुश हो के मेरी जेठानी को दिखाते बोली ,
" हाँ हैं न , ... "
" तो बस कर दे उसका सार्वजिनक प्रसारण , सबसे पहले इनके मायके वालियों के पास , फिर ,... "
बीच बचाव में और कौन आता ,दिया के गुस्से को को ठंडा करने की हिम्मत किसमें थी सिवाय उसके भैय्या और मेरे सैंया के अलावा ,
" अरे दिया ,रहने दे न ,और भाभी आप भी ,... आप की ननदे हैं अभी इनकी खेलने खाने की उमर है। आप से अच्छा कौन समझेगा इस उमर कीगरमी और मुलायमियत। कल रात में जो कबाब आपने खाये थे , बस एक प्लेट में बने रखे हैं खाली सेंकना है मटन कबाब है वो ,आपको कितना अच्छा लगा था ,... "
" पोर्क चाप और फिश कटलेट भी तो वही रखे हैं बड़े फ्रिज में "
मैं क्यों मौक़ा छोड़ती। वो बड़ा फ्रिज तो इतना संस्कारी था ,मुझे भी उसे छूने की इजाजत नहीं थी।
" भैय्या , भाभी कह रही थी आप रोगनजोश अच्छा बनाते हैं , "
उन्होंने एक अच्छे बहु टाइप ब्लश किया ,तेरी भाभी भी न और अपनी भाभी से बोले ,
" भाभी ,उसी बड़े फ्रिज में रोगन जोश भी है एक कैसरोल में बस थोड़ा सा हीट अप कर दीजियेगा , "
मेरी जेठानी जिन्होंने एगलेस पेस्ट्री मेरी लायी इन्ही की बर्थ डे की मुझसे फेंकवायी थी की क्या पता और मुझसे मेरे मायके की हर आदमी की कसम खिलवाई गयी थी की मैंने उस क्या पता पेस्ट्री को बड़े फ्रिज में तो नहीं रखा , आज उस फ्रिज से मटन कबाब , पोर्क चाप , फिश कटलेट ,रोगन जोश निकाल के जिस किचेन में लहसून प्याज नहीं आता था ,
वहीँ गरम करने ,सेंकने जा रही थी।
उनके किचेन में पहुंचने के पहले जोर का हाई फाइव हुआ ,दिया और गुड्डी के बीच।
अब इनके और दिया के बीच बड़ी सी डाइनिंग टेबल थी तो हाई फाइव तो मुश्किल था इसलिए बस दिया की लम्बी टांगो ने टेबल के नीचे से इनकी तीसरी टांग से टांग मिलाई।
" यार मान गए दिया तुझे आज जो चीज मांग वो तेरी , ... " खुश हो के मैंने ननद को एवमस्तु टाइप आशीर्वाद दिया।
" आप के बगल में जो छह फिटा बैठा है ,दे दीजिये न उस को ,... " खिलखिलाती हुयी दिया बोली।
उसका गुस्सा कितना जबरदस्त ऐक्टिंग था मैं अब समझी।
" अरे यार वो तो तेरा ही ही है ,जब चाहे तब ,.. " हंस के मैं बोली,फिर जोड़ा
" अच्छा चल आज हम लोगों के जाने तक तू जितनी बार चाहे ,हम लोग बीच में भी नहीं आयंगे। "
पर गुड्डी का मुंह लटक गया हम में वो भी तो इन्क्ल्यूडेड थी।
लेकिन दिया ,उसे गुदगुदाते बोली ,
" कमीनी जल कुकड़ी ,आज रात भर स्साली तेरी टाँगे उठी रहेंगी पर अपनी सहेली के लिए ज़रा भी त्याग बलिदान की भावना नहीं। घोर कलयुग ,घोर कलयुग , चल यार तू भी क्या याद करेगी किसी दिया नाम की दिल वाली से पाला पड़ा था , थोड़ा बहुत तुझे भी चखा दूंगी ,अब तो तो स्माइल मार मेरी नानी। "
गुड्डी ने जबरदस्त स्माइल मार दी।
और अब दिया ने अपने तरकश के तीर अपने 'भैया ' की ओर खोल दिए ,
" क्या भैय्या कबाब के साथ कुछ चिल्ड बियर सियर हो तो मजा आये ,ऐसा क्या सूखा सूखा ,... कुछ है क्या। "