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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Luckyloda

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रेडियों मिर्ची

बचपन के दिन भुला न देना




जान बूझ के ये सब की ओर देखने लगे पर दिया ने रेडियो मिर्ची ऑन कर दिया , मेरी जेठानी की कल रात की रिकार्डिंग ,

वो बोल रही थीं ,इंटर में आने के पहले ही दर्जन भर से ऊपर घोंट चुकी थी।

" मेरा इंटरकोर्स तो इंटर में शुरू हुआ " भोली बन के दिया बोली ,"इसलिए मैं हार मानती हूँ।"



और उसने रेडियों मिर्ची का स्टेशन बदल दिया अब जेठानी जी मेरी कोकिल कंठी अपनी शहद घुली आवाज में

नीले गगन के तले अपने और सामू के प्रथम मिलन की बातें बखान रही थीं




मैंने दर्द से आँखे बंद कर ली पर सामू भी न ,कचकचा के मेरे टिकोरों पे काट के उसने मुझे आँखे खोलने पर मजबूर कर दिया।

मेरी जाँघे फटी जा रही थीं , ' वहां ' बहुत तेज तीखा सा दर्द हो रहा था।

पर आठ दस पूरी ताकत से धक्के मारने के बाद अब वो सिर्फ , पुश कर रहा था ,ढकेल रहा था ,ठेल रहा था।



ये नयी नयी किशोरी का दर्द न , जब होता है न तो बस मन करता है की नहीं अब और नहीं ,अगली बार सोचूंगी भी नहीं

और बस जब कम होने लगता है तो मन करता है ,... और दर्द क्यों नहीं हुआ।

दर्द अब कम हो रहा था ,लेकिन टीस अभी भी थी पर , जो दर्द देता है वही दवा देता है।

और सामू अब मलहम लगा रहा था , अपने होंठों से कभी मेरे गालों होंठों को चूम के

तो कभी उन्ही होंठों से कच्ची अमिया को छू के सहला के।




मुझे लग रहा था की आधा तो घुस ही गया होगा।

पर जब वो एक पल के लिए सीधे बैठा ,तो मैंने देखा ,सिर्फ सुपाड़ा ही अंदर धंसा था बाकी खूंटा तो बाहर ही निकला था।

उसका तना मोटा खूंटा देख के भी बस मैंने ,नीचे से चूतड़ उचका दिए , ज़रा सा मुस्करा दिया ,

और इतना इशारा काफी था।
अबकी उसने मेरी दोनों नरम कलाइयां अपने हाथ से पकड़ीं ,थोड़ा सा 'उसे बाहर' किया ,

और , .... और ,.... और



मेरी आँखों के आगे तारे नाच रहे थे ,मैं चीख रही थी ,चिल्ला रही थी , मारे दर्द के बिलबिला रही थी



और अब गुड्डी और दिया दोनों मिल के मेरी जेठानी को पकड़ के गा रही थीं ,

" कैसे फटी हो भौजी कैसे फटी ,

अरे तोहरी बुरिया कैसे फटी , बोल भौजी तोर बुरिया कैसे फटी।"




अरे सामू से फटी ,हो सामू से फटी , गन्ने के खेत में सामू से फटी।

पहले टांग उठाया , फिर धीरे से सटाया अरे कस के घुसाया ,


सामू ने अरे जालिम सामु ने फाड़ी बुरिया ऐसे फटी ,

हो ननदी ऐसे फटी , अरे ननदी ऐसे फटी


इनकी भाभी ,गुड्डी और दिया की भाभी चुपचाप बियर के कैन खोलने में लग गयीं।

दिया भी न ,मेरी जेठानी के हाथ से चिल्ड बियर का कैन लेकर उसने एक चुस्की लगाई और फिर जबरन वो जूठा कैन सीधे

मेरी जेठानी के होंठों पर और जबरदस्ती गटका दिया और बोली ,

" अरे भाभी ज़रा पी के देखिये न ,ये वाला ज्यादा मस्त है या कल आपने बार में सारे शहर के सामने जो पी थी।

आज तो आप पी के टुन्न भी हो सकती हैं ,आउट भी हो जाएंगी तो क्या हुआ आपकी ननदें ,देवर देवरानी ही तो हैं। "


जेठानी समझ गयी थी ये रिकार्डिंग अब बिल्ली के गले की घंटी बन गयी है , ऊपर से गुड्डी ने थोड़ी और कश्मीरी लाल मिर्च छिडकी। आखिर मेरी जेठानी पर तो उसी के काटने वाली थीं न।

" सुन दिया ,यार आज कल पोर्न साइट्स पर आडियो सेक्स स्टोरीज काफी चल रही हैं और सुना है वो थोड़ा बहुत पैसा भी दे देते हैं। "

" नहीं यार , ऐसे कैसे ,और मान लो पोस्ट कर दें और कोई अपनी बचपन की छिनार भाभी जी की आवाज पहचान ले तो ? " दिया ने और ,

लेकिन गुड्डी ऐसे कहाँ बोली ,

अरे यार पहचान लेगा तो क्या हुआ , आखिर इनके गाँव में तो सबको इनकी कच्ची जवानी की कबड्डी के किस्से मालूम ही होंगे ,फिर बहुत हुआ , भाभी ने अगर कहा हम लोगों से तो देखंगे ,.. डिलीट कर देंगे। "





जेठानी बेचारी चुपचाप खाने में लगी थीं , और अब समझ गयी थी की गाडी अब नाव पर चढ़ गयी बाजी अब ननदों के हाथ में है और ननदों की चाभी देवरानी के हाथ में।

लेकिन दिया देख रही की मेरी जेठानी सिर्फ वेज डिशेज ही और उससे नहीं रहा गया।

कबाब खाते हुए दिया बोली ,




" मस्त मटन कबाब है , मन करता है बनाने वाले के हाथ चूम लूँ। "
Khali hath hi chumne hai...


Ye to nainsafi hai bhabhi k sath ..... itni pyari Taji fati huyi chut hai use chume..... itne gajab chuchi h unhe chume....




Par ye Ladki bhi na.....
 

komaalrani

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will not be visiting Forum for next 8-9 days, best wishes for festivals .
 

Nick107

Ishq kr..❤
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रेडियों मिर्ची

बचपन के दिन भुला न देना




जान बूझ के ये सब की ओर देखने लगे पर दिया ने रेडियो मिर्ची ऑन कर दिया , मेरी जेठानी की कल रात की रिकार्डिंग ,

वो बोल रही थीं ,इंटर में आने के पहले ही दर्जन भर से ऊपर घोंट चुकी थी।

" मेरा इंटरकोर्स तो इंटर में शुरू हुआ " भोली बन के दिया बोली ,"इसलिए मैं हार मानती हूँ।"



और उसने रेडियों मिर्ची का स्टेशन बदल दिया अब जेठानी जी मेरी कोकिल कंठी अपनी शहद घुली आवाज में

नीले गगन के तले अपने और सामू के प्रथम मिलन की बातें बखान रही थीं




मैंने दर्द से आँखे बंद कर ली पर सामू भी न ,कचकचा के मेरे टिकोरों पे काट के उसने मुझे आँखे खोलने पर मजबूर कर दिया।

मेरी जाँघे फटी जा रही थीं , ' वहां ' बहुत तेज तीखा सा दर्द हो रहा था।

पर आठ दस पूरी ताकत से धक्के मारने के बाद अब वो सिर्फ , पुश कर रहा था ,ढकेल रहा था ,ठेल रहा था।



ये नयी नयी किशोरी का दर्द न , जब होता है न तो बस मन करता है की नहीं अब और नहीं ,अगली बार सोचूंगी भी नहीं

और बस जब कम होने लगता है तो मन करता है ,... और दर्द क्यों नहीं हुआ।

दर्द अब कम हो रहा था ,लेकिन टीस अभी भी थी पर , जो दर्द देता है वही दवा देता है।

और सामू अब मलहम लगा रहा था , अपने होंठों से कभी मेरे गालों होंठों को चूम के

तो कभी उन्ही होंठों से कच्ची अमिया को छू के सहला के।




मुझे लग रहा था की आधा तो घुस ही गया होगा।

पर जब वो एक पल के लिए सीधे बैठा ,तो मैंने देखा ,सिर्फ सुपाड़ा ही अंदर धंसा था बाकी खूंटा तो बाहर ही निकला था।

उसका तना मोटा खूंटा देख के भी बस मैंने ,नीचे से चूतड़ उचका दिए , ज़रा सा मुस्करा दिया ,

और इतना इशारा काफी था।
अबकी उसने मेरी दोनों नरम कलाइयां अपने हाथ से पकड़ीं ,थोड़ा सा 'उसे बाहर' किया ,

और , .... और ,.... और



मेरी आँखों के आगे तारे नाच रहे थे ,मैं चीख रही थी ,चिल्ला रही थी , मारे दर्द के बिलबिला रही थी



और अब गुड्डी और दिया दोनों मिल के मेरी जेठानी को पकड़ के गा रही थीं ,

" कैसे फटी हो भौजी कैसे फटी ,

अरे तोहरी बुरिया कैसे फटी , बोल भौजी तोर बुरिया कैसे फटी।"




अरे सामू से फटी ,हो सामू से फटी , गन्ने के खेत में सामू से फटी।

पहले टांग उठाया , फिर धीरे से सटाया अरे कस के घुसाया ,


सामू ने अरे जालिम सामु ने फाड़ी बुरिया ऐसे फटी ,

हो ननदी ऐसे फटी , अरे ननदी ऐसे फटी


इनकी भाभी ,गुड्डी और दिया की भाभी चुपचाप बियर के कैन खोलने में लग गयीं।

दिया भी न ,मेरी जेठानी के हाथ से चिल्ड बियर का कैन लेकर उसने एक चुस्की लगाई और फिर जबरन वो जूठा कैन सीधे

मेरी जेठानी के होंठों पर और जबरदस्ती गटका दिया और बोली ,

" अरे भाभी ज़रा पी के देखिये न ,ये वाला ज्यादा मस्त है या कल आपने बार में सारे शहर के सामने जो पी थी।

आज तो आप पी के टुन्न भी हो सकती हैं ,आउट भी हो जाएंगी तो क्या हुआ आपकी ननदें ,देवर देवरानी ही तो हैं। "


जेठानी समझ गयी थी ये रिकार्डिंग अब बिल्ली के गले की घंटी बन गयी है , ऊपर से गुड्डी ने थोड़ी और कश्मीरी लाल मिर्च छिडकी। आखिर मेरी जेठानी पर तो उसी के काटने वाली थीं न।

" सुन दिया ,यार आज कल पोर्न साइट्स पर आडियो सेक्स स्टोरीज काफी चल रही हैं और सुना है वो थोड़ा बहुत पैसा भी दे देते हैं। "

" नहीं यार , ऐसे कैसे ,और मान लो पोस्ट कर दें और कोई अपनी बचपन की छिनार भाभी जी की आवाज पहचान ले तो ? " दिया ने और ,

लेकिन गुड्डी ऐसे कहाँ बोली ,

अरे यार पहचान लेगा तो क्या हुआ , आखिर इनके गाँव में तो सबको इनकी कच्ची जवानी की कबड्डी के किस्से मालूम ही होंगे ,फिर बहुत हुआ , भाभी ने अगर कहा हम लोगों से तो देखंगे ,.. डिलीट कर देंगे। "





जेठानी बेचारी चुपचाप खाने में लगी थीं , और अब समझ गयी थी की गाडी अब नाव पर चढ़ गयी बाजी अब ननदों के हाथ में है और ननदों की चाभी देवरानी के हाथ में।

लेकिन दिया देख रही की मेरी जेठानी सिर्फ वेज डिशेज ही और उससे नहीं रहा गया।

कबाब खाते हुए दिया बोली ,




" मस्त मटन कबाब है , मन करता है बनाने वाले के हाथ चूम लूँ। "
Namaste bhabhi ji.. charan sparsh💋💋
Kya likha he aapne...
Man aur lun$😉 dono hi khusi se hilore bhar rhe he ..
Kamdev ki krupa he aap pr💋😉🙏
 

raniaayush

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मुझे क्या क्या जली कटी न सुनाई, उनका वश चलता तो अपने शाप से मुझे खरगोश बना देतीं।
🤣🤣🤣🤣
 

Romeo 22

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will not be visiting Forum for next 8-9 days, best wishes for festivals .
:love:
 
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