ये ननद भौजाई की जुगलबंदी ...दिया -मिल बाँट के,
ननद भौजाई साथ साथ
और मैं मान गयी दिया दिया को क्या मस्त लंड चूसती थी ,एकदम मेरे टक्कर की ,
और अबकी बाजी खूब लम्बी चली ,
मुझे मालूम था की ये तो इतने जल्दी झड़ने वाले नहीं
और हुआ वही ,दिया ही।
पर अगले राउंड में गेम के नियम बदल गए ,
दिया को हम लोगों ने मिल के बाँट लिया ,मैंने और मेरे साजन ने
" हे अकेले मेरी ननदिया का रस लूट रहे हो ,बहुत ले लिया इसके शहद के छत्ते का रस ,अब मेरा नंबर है " मैंने उन्हें हड़काया
अब दिया सिर्फ इनका मोटा कड़क लंड चूस रही थी
दिया की चूत मेरे होंठों के हिस्से
और गुड्डी क्यों बची रहती ,तो दिया के बूब्स गुड्डी के होंठों ने दबोच लिए
और जिस तरह गुड्डी दिया के निप्स चूस रही थी ,ये साफ़ था की ये खेल उन्होंने कितनी बार पहले खेला होगा
कुछ देर में वो हचक के दिया का मुंह चोद रहे थे ,सीधे हलक तक
और दिया भी उसे भी डीप थ्रोट में रस आ रहा था , उसके होंठ वैक्यूम क्लीनर को मात दे रहे थे।
इस थ्री सम का मजा अलग ही था , और जो होना था वो हुआ ,
मेरी जीभ की करामात , दिया तीसरी बार झड़ी।
और वो ,अब उनका मोटा बालिश्त भर वाला मूसल चंद सीधे उस किशोरी ,इंटर वाली पंजाबी कुड़ी के गले तक धंसा
और जिस तरह दिया चूस रही थी , अपने रसीले होंठों से , गालों से ,
उसने भी मलाई निकालनी शुरू कर दी ,
कुछ तो मलाई दिया ने सीधे गटक ली ,आखिर उसके भय्या की गिफ्ट थी , पर बाकी उसके मुंह में
और गाल एक दम फूल गए ,
पर उनकी सारे जादू मंतर की किताब की मालकिन तो मैं थी ,मुझे मालूम था की तिलों से कैसे तेल निकला जाता है ,
मेरी लम्बी ऊँगली सीधे उनके पिछवाड़े ,और थोड़ी देर में प्रॉस्ट्रेट पर प्रेशर का असर ,
अबकी पहली बार से भी ज्यादा ,रबड़ी मलाई ,और कितना वो अपने मुंह में रोकती ,
कुछ छलक कर उस किशोरी के होठों से बाहर
और एक धार सीधे मेरी मस्त ननद दिया रानी के गदराये जोबन पर ,
लेकिन गुड्डी किस लिए थी ,पैदायशी भाइचोद ,और इतनी गाढ़ी थक्केदार मलाई , बस उस नंदीदी ने अपनी सहेली के होंठों से गालों ,ठुड्डी से और सबसे अंत में
उभारों से चाट चूट कर सब साफ़ कर दिया।
और अब वो अलग हो के अपनी बहन और उसकी सहेली की कन्या क्रीड़ा देख रहे थे।
बुरा हो , मार्टिन कूपर का ,मोबाइल फोन बनाने वाले का।
उनका फोन बज उठा ,मिस्टर खन्ना , उनकी कंपनी के वी पी ,डी फैक्टो हेड ,उनके बॉस ,
अब कल उनको ज्वाइन करना था इसलिए कुछ काम धाम ,शेड्यूलिंग चालू हो गयी ,
झट से उन्होंने जींस धारण की ,शर्ट देह पर टांगी और मोबाइल पे चालू ,कपडे पहनने में वो छिनार औरतों से भी तेज थे।
कही नेपथ्य की आवाजें न सुनाई दें इसलिए फोन लेकर वो ऊपर ,हमारे कमरे में।
गुड्डी उनकी बहन भी कौन कम छिनार थी। और उसकी सिर्फ ब्रा ही तो उतरी थी उसके भैया का हाथ बाँधने के लिए ,
ब्रा वहीँ पलंग पर पड़ी रह गयी और उसने अपना टॉप पहन लिया।
दिया ने भी ब्रा पैंटी का मोह छोड़ा और अपनी स्कूल यूनिफार्म धारण कर ली।लेकिन गोरे गोरे गाल अभी भी उसकी रबड़ी मलाई से भरे , खूब फूले ,
इधर देवर उनके अपने कमरे में सिधारे और उधर उनकी भौजाई , बर्तन किचेन का काम करके , अपनी ननदों के बीच।
और जैसे शेरनियों के झुण्ड के बीच में कोई हिरणी आ जाय , बस उसी तरह
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अपने साजन के साथ....
कोई किसी से कम नहीं...
सब एक से बढ़ कर एक....
अब मोबाइल ... वापसी की भूमिका बना चुका है....
और वहाँ भी कितने हीं लोगों का बेसब्री से इंतजार है....
खासकर बंगाली रसगुल्लों का...(कृपया बहुवचन का ध्यान दें.... )
एकदम स्पंजी रसगुल्ले....
मुँह में लेते हीं... एकदम घुलने वाले....