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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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Ekdam Jethani ki harkte aisi thin, aur DIYA ekdam unke takkar kinahi... nahi itna to banta hai...
Thanksआइये आपका इंतजार था...
देर लगी आने में तुमको...
शुक्र फिर भी आये तो....
are uske bhi ' Bhai ' hain naa,...लेकिन ये छंदा साली तो बच निकली...
इसका भी कुछ इंतजाम होना चाहिए....
मेरे और आपके विचार एकदम मिलते हैं और दिया ही इस को अंजाम देगी, गुड्डी के पर काटने की सारी पिलानिंग का बदला वो अच्छी तरह लेगी।जेठानी के सारे संस्कार तो उनकी गांड़ में घुसानी चाहिए....
और जेठानी भी तो इन सब में रस ले रही हैं....
भले हीं ऊपर से कुछ भी दिखावा करे...
अंदर हीं अंदर मजे ले रही है....
एकदम दिया भी यही चाहती हैइस दिया की तो जम कर लेनी होगी...
इसका इंतजार बहुत दिनों से था...
आखिर उसे भी अपने भैया और गुड्डी के भैया का अंतर पता होना चाहिए...
खैर अलग-अलग खाने का मजा अलग-अलग होता है....
उसी तरह दिया भी स्वाद बदल के देखेगी....
Thanks so muchदिया की चेरी पहले हीं उसके भैया ने लूट ली है....
अब तो आपके सैंया दिया की ऐसी बजाएं कि इसी चुदाई को याद करके भैया का इंतजार करते हुए अगली बार के लिए बेकरार रहे...
Thanks so muchAwesome update , aapki likhi kahani kitni bhi padho kam hai
Ekdam sahi kaha aapneदिया तो जितना भी दे दे..
कम हीं लगता है....
(मेरा मतलब कहानी में उसके जिक्र और भैया के साथ मजे से भी है.)
आखिर पंजाबी कुड़ी का जलवा तो सिर चढ़ कर बोलता है....
फिर दिया कैसे किसी से कम रहेगी...