आ गयीं जेठानी रानी
इधर देवर उनके अपने कमरे में सिधारे और उधर उनकी भौजाई , बर्तन किचेन का काम करके , अपनी ननदों के बीच।
और जैसे शेरनियों के झुण्ड के बीच में कोई हिरणी आ जाय , बस उसी तरह
………………………………….
पहले तो दिया ने उन्हें दबोचा और सीधे अपने होंठ भौजाई के होंठों पर ,
चुम्मा
फिर होंठ खोले और
मेरे उनकी मलाई , मेरी ननद और जेठानी ने बाँट ली।
ऊपर से गुड्डी के कमेंट्स
" अरे भौजी देखिये आपकी ननदे कितनी ईमानदार हैं एकदम मिल बाँट के खाती पीती हैं , गटक जाइये आपके देवर का ही माल है। "
बिचारी मेरी जेठानी क्या बोलतीं उनके होंठों को तो दिया के होंठों ने सील कर दिया था
और गुड्डी के तीर और तीखे हो गए ,
" क्यों भौजी आपके मायके वालों का ज्यादा स्वादिष्ट था या मेरे भैय्या का , सामू की मलाई का स्वाद तो याद होगा। "
और तब तक दिया के होंठ भी खुल गए कमेंट के लिए ,
" अरे तू भूल गयी ,वो गर्भाधान केंद्र में हमारी भाभी ने तो हाईस्कूल में ही ,सांड सेंटर में सामू और उसके दोस्त दोनों का चूसा था ,हैं न भाभी , न याद हो तो रिकार्डिंग सुनाये हम , "
" लेकिन लास्ट टाइम आपने किस मायके वाले को चूसा था संदीपवा का क्या , क्यों किसकी मलाई में ,... "
गुड्डी बोली लेकिन दिया का एक हाथ पड़ गया उसकी पीठ पे।
"चुप रह कमीनी , अरे इतनी मस्त गाढ़ी रबड़ी के आगे किसका नाम ले लिया ,बड़ी मुश्किल से तो दो बूँद उसका निकलता था . है न, जरा उनको भी हमारे शहर की मलाई का मजा लेने दे आराम से और अपने गाँव की मलाई एकदम भूल गयी होंगी अब तक ,है न भाभी। "
दिया एकदम थर्ड गियर।
लेकिन तब तक जेठानी ने भी अपने देवर की मलाई उदरस्थ कर ली थी , एक दो बूँद होंठों पर थी और वो भी चाट ली।
उनकी निगाह बिस्तर पर पड़ी दिया और गुड्डी की ब्रा पे पड़ी और उन्हें बात बदलने के लिए एक टॉपिक मिल गया।
" हे तुम दोनों की ब्रा , इस बिस्तर पर कैसे ,.... " मुस्कराते हुए जेठानी ने तीर चलाया।
पर बात बदलने में , और देखने में सिर्फ वही थोड़ी तेज थीं ,उनकी ननदें दिया और गुड्डी उनसे भी एक हाथ आगे ,
दिया ने उनके लो कट ब्लाउज में झांकते हुए खुली खुली गोलाइयों को देख लिया , ढेर सारे निशान
दिया का एक हाथ जेठानी के कंधे पर और दूसरे से ब्लाउज का एक हुक खोलते हुए वो बोली ,
" अरे भाभी जान , आपके यहां इतने निशान ,लगता है रात में मच्छरों ने खूब काटा। "
गुड्डी कौन पीछे रहती ,उसने भी एक हुक खोल दिया और बोली ,
" अरे दिया देख ,नीचे भी हैं , लगता है कोई मच्छर भौजी की चोली में घुस गया था और खूब रस लिया। "
आलमोस्ट निपल तक बूब्स खुल गए थे और दिया के हाथ अब उनके उभार पर टहल रहे थे , वो गुड्डी से बोली ,
" सुन यार ये ढक्क्न तो खोल , ज़रा ठीक से देखूं , कोई क्रीम वीम लगानी पड़ेगी लगता है ,"
और गुड्डी ने मौक़ा देख के आराम से धीरे धीरे मेरी जेठानी की फ्रंट ओपन ब्रा खोल दी , और ब्लाउज का एक हुक और
बस छलक कर गदराये जुबना बाहर।
मेरे सैयां और उन दोनों के भैय्या के दांतों के निशान पूरे उभारों पर खूब कचकचा के रात भर काटा था उन्होंने , और दोनों शैतान चालू हो गयीं।
" क्यों भाभी सामू का काटा अब तक ,... " गुड्डी ने बड़े भोलेपन से पूछा।
" तू भी न यार , अब तक उसके बाद तो बीसों बल्कि कम से कम चालीस पचास , ... क्यों भाभी हाफ सेंचुरी तो शादी के पहले ही बन गयी होगी न " दिया ने छेड़ा।
अब गुड्डी की बारी थी दिया को हड़काने की ,
" तू भी यार मेरी भाभी कोई हिसाब रखती हैं , कौन उनको पैसा लेना है ,कोई रंडी थोड़ी हैं , बस ज़रा मना नहीं कर पाती किसी को बड़े दिल वाली हैं "
गुड्डी ने दिया को समझाया।
दिया ने भाभी का आखिरी हुक भी खोल दिया और ब्रा निकालती हुयी बोली
" भाभी , आप हम दोनों की ब्रा के बारे में पूछ रही थीं न ,चलिए आपकी ब्रा भी बस वहीँ पर , आखिर ननदों की ब्रा थोड़ा अकेलापन महसूस कर रही थी ,भौजाई की ब्रा के बिना।