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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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1०० वां भाग

छुटकी -होली दीदी की ससुराल में का १०० वां भाग पोस्टेड, पृष्ठ १०३५


भाग १०० - ननद की बिदायी

कृपया पढ़ें और अपने कमेंट जरूर दें
 
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komaalrani

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जोरू का गुलाम ( दूसरा हिस्सा )

भाग १६१


रेशमी उजाला है मखमली अँधेरा




2015 hyundai genesis 3.8 awd 0 60

मम्मी स्काइप से गायब हो गयी थीं और मैं भी ,... गुड्डी की पदचाप ने मुझे सोच से वापस ला दिया



…………………….


सबसे पहले पेट पूजा ,
आधी बोतल काले कुत्ते की खाली हो गयी ,




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ये ब्लैक डॉग की बॉटल मैंने इसी मौके के लिए रखी थी , जब इनकी बहन इनके साथ बिस्तर पर होगी , हमारे घर में।

और मैं और गुड्डी दोनों इन्हे छेड़ रहे थे ,एक तरुणी ,एक किशोरी

३४ सी और ३२ सी के बीच में दबे ये ,...



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हम लोगों के बेबी डाल, ब्लैक डॉग की बॉट्ल के साथ ही सरक कर बिस्तर पर चले गए थे , हम दोनों लेसी ब्रा पैंटी में


2015 hyundai genesis 3.8 awd 0 60

और वो सिर्फ शार्ट में

"हे देख कैसे कुनमुना रहे हैं ..." मेरी ननद बोली.

" तेरे बारे में सोच सोच के लेकिन चल पहले मेरे बारी है..." मैंने बोला.

मेरे वो बगल में लेटे थे. मैंने और गुड्डी ने मिल के उन्हें पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया था

और मैंने पहले तो गुड्डी की ३२ सी ब्रा उनके चेहरे पे फिराई फिर उनकी मुश्के हम दोनों ने मिल के बाँध दी. गुड्डी प्रेसिडेंट गाइड थी और गाँठ बांधने में एक दम एक्सपर्ट...अब वो बिचारे लाख दम लगा दें टस से मस नहीं हो सकते थे.

मैंने गुड्डी के कान में कुछ बोला और मुस्करा के उसने अपने नितम्बो तक लम्बे घने पूरी तरह खुले बालों को आगे कर लिया और सीधे उनके ऊपर...और उस तह की उस किशोरी का कोई भी अंग " मेरे उनके' देह से नहीं छु रहा था.

वो मुस्करा रही थी.



वो पागल हो रहे थे.


कभी अपनी देह उचकाते...कभी पलंग से बंधे हाथ छुड़ाने की कोशिश करते लेकिन...सब बेकार...बस आँखों से उसकी जवानी का मस्त रस पान कर सकते थे...

" अरे यार तेरा ही माल है...तेरे लिए ही इसे पटा के ले आई हूँ...लेकिन अभी तड़पो थोड़ी देर..".मैंने सोचा.




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गुड्डी ने अपने लम्बे बाल उनके चेहरे पे लहरा दिया...बस उसकी छुअन ...तड़पन...बेचारे...और फिर और थोडा झुक के बालों के परदे के भीतर से उसने रसीले होंठों से उनके होंठों को छु भर दिया.

440 वोल्ट का करेंट हल्का होता..

पलंग पे उसकी कुहनियाँ टिकी थीं...उनकी देह के एकदम पास .. वो थोड़ा और पीछे सरकी और अब उसके बाल लम्बे केश उनकी छाती पे थे...और दोनों एक दूसरे को देख के मुस्करा रहे थे..

वो अपनी गरदन को हलकी सी जुम्बिश दे के कभी अपने बालों को उनकी छाती पे सहला देती , कभी थोड़ा नीचे होके उन्हें हलके से रगड़ देती...

बालों के परदे से उसके उभार थोड़ा छुपते थोडा दीखते...


वो बिचारे ....'वो' एकदम तन्नाया खड़ा था.




मैं कुहनी और पेट के बल लेट के पास से खेल देख रही थी.



गुड्डी थोड़ा और नीचे सरकी..उसके बाल अब उनके पेट के निचले भाग के पास सहला रहे थे.

वो सोच रहे थे की गुड्डी के बाल अब वहां टच करेंगें ...पर वो शैतान ...उसने बालों की एक लट बनायी खूब मोटी और उससे...' उसको' बाँध दिया...

और फिर ऊपर नीचे ..४-५-६ बार...


साथ में उसकी शरारती निगाहें जिस तरह मुस्कराते हुए उनके चेहरे को देख रही थीं और साथ में अब बिलकुल खुले उसके किशोर उभार ...जैसे दावत दे रहे हों...



2015 hyundai genesis 3.8 awd 0 60

वो बेचैन होके बार बार अपने चूतड उचकाते ...

लेकिन ब्रा की गाँठ बड़ी तगड़ी थी...

गुड्डी ने 'उसे' तो बालों से आजाद कर दिया लेकिन अब वो रेशमी जुल्फें उनकी जाँघों पे सितम ढा रही थीं.


अचानक वो उनके ऊपर से उठ के अलग हो गयी और मेरे पास आके बैठ गयी. वहीँ से उसने उन्हें एक जबरदस्त फ्लाईंग किस दिया...

वो उसे लालची निगाहों से देख रहे थे.



" कैसे देखते हो आप ..नदीदे ..." दोनों हाथों से अपने जोबन को छुपाने की कोशिश करते हुए वो जालिम अदा के साथ बोली...



2015 hyundai genesis 3.8 awd 0 60

" आंखों पे पट्टी बाँध दूं क्या..." मैंने मुस्कराते हुए पुछा.

"एकदम भाभी..." वो बोली..



" तो इससे अच्छा और क्या होगा..."

और मैंने एक झटके में झट उसकी काली शियर ट्रांसपरेंट लेसी थांग खींच ली




2015 hyundai genesis 3.8 awd 0 60

और पहले तो दोनों हाथ से उनका मुंह खुलवा के अंदर घुसेड के उसका स्वाद चखाया और फिर उनकी आंखों पे...
 
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Rajizexy

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जोरू का गुलाम ( दूसरा हिस्सा )

भाग १५८


रेशमी उजाला है मखमली अँधेरा


2015 hyundai genesis 3.8 awd 0 60


मम्मी स्काइप से गायब हो गयी थीं और मैं भी ,... गुड्डी की पदचाप ने मुझे सोच से वापस ला दिया



…………………….


सबसे पहले पेट पूजा ,
आधी बोतल काले कुत्ते की खाली हो गयी ,

ये ब्लैक डॉग की बॉटल मैंने इसी मौके के लिए रखी थी , जब इनकी बहन इनके साथ बिस्तर पर होगी , हमारे घर में।

और मैं और गुड्डी दोनों इन्हे छेड़ रहे थे ,एक तरुणी ,एक किशोरी

३४ सी और ३२ सी के बीच में दबे ये ,...



हम लोगों के बेबी डाल, ब्लैक डॉग की बॉट्ल के साथ ही सरक कर बिस्तर पर चले गए थे , हम दोनों लेसी ब्रा पैंटी में और वो सिर्फ शार्ट में

"हे देख कैसे कुनमुना रहे हैं ..." मेरी ननद बोली.

" तेरे बारे में सोच सोच के लेकिन चल पहले मेरे बारी है..." मैंने बोला.

मेरे वो बगल में लेटे थे. मैंने और गुड्डी ने मिल के उन्हें पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया था और मैंने पहले तो गुड्डी की ३२ सी ब्रा उनके चेहरे पे फिराई फिर उनकी मुश्के हम दोनों ने मिल के बाँध दी. गुड्डी प्रेसिडेंट गाइड थी और गाँठ बांधने में एक दम एक्सपर्ट...अब वो बिचारे लाख दम लगा दें टस से मस नहीं हो सकते थे.

मैंने गुड्डी के कान में कुछ बोला और मुस्करा के उसने अपने नितम्बो तक लम्बे घने पूरी तरह खुले बालों को आगे कर लिया और सीधे उनके ऊपर...और उस तह की उस किशोरी का कोई भी अंग " मेरे उनके' देह से नहीं छु रहा था.

वो मुस्करा रही थी.

वो पागल हो रहे थे.

कभी अपनी देह उचकाते...कभी पलंग से बंधे हाथ छुड़ाने की कोशिश करते लेकिन...सब बेकार...बस आँखों से उसकी जवानी का मस्त रस पान कर सकते थे...

" अरे यार तेरा ही माल है...तेरे लिए ही इसे पटा के ले आई हूँ...लेकिन अभी तड़पो थोड़ी देर..".मैंने सोचा.

गुड्डी ने अपने लम्बे बाल उनके चेहरे पे लहरा दिया...बस उसकी छुअन ...तड़पन...बेचारे...और फिर और थोडा झुक के बालों के परदे के भीतर से उसने रसीले होंठों से उनके होंठों को छु भर दिया.

440 वोल्ट का करेंट हल्का होता..

पलंग पे उसकी कुहनियाँ टिकी थीं...उनकी देह के एकदम पास .. वो थोड़ा और पीछे सरकी और अब उसके बाल लम्बे केश उनकी छाती पे थे...और दोनों एक दूसरे को देख के मुस्करा रहे थे..

वो अपनी गरदन को हलकी सी जुम्बिश दे के कभी अपने बालों को उनकी छाती पे सहला देती , कभी थोड़ा नीचे होके उन्हें हलके से रगड़ देती...

बालों के परदे से उसके उभार थोड़ा छुपते थोडा दीखते...

वो बिचारे ....'वो' एकदम तन्नाया खड़ा था.

मैं कुहनी और पेट के बल लेट के पास से खेल देख रही थी.



गुड्डी थोड़ा और नीचे सरकी..उसके बाल अब उनके पेट के निचले भाग के पास सहला रहे थे.

वो सोच रहे थे की गुड्डी के बाल अब वहां टच करेंगें ...पर वो शैतान ...उसने बालों की एक लट बनायी खूब मोटी और उससे...' उसको' बाँध दिया...

और फिर ऊपर नीचे ..४-५-६ बार...

साथ में उसकी शरारती निगाहें जिस तरह मुस्कराते हुए उनके चेहरे को देख रही थीं और साथ में अब बिलकुल खुले उसके किशोर उभार ...जैसे दावत दे रहे हों...

वो बेचैन होके बार बार अपने चूतड उचकाते ...

लेकिन ब्रा की गाँठ बड़ी तगड़ी थी...

गुड्डी ने 'उसे' तो बालों से आजाद कर दिया लेकिन अब वो रेशमी जुल्फें उनकी जाँघों पे सितम ढा रही थीं.

अचानक वो उनके ऊपर से उठ के अलग हो गयी और मेरे पास आके बैठ गयी. वहीँ से उसने उन्हें एक जबरदस्त फ्लाईंग किस दिया...

वो उसे लालची निगाहों से देख रहे थे.



" कैसे देखते हो आप ..नदीदे ..." दोनों हाथों से अपने जोबन को छुपाने की कोशिश करते हुए वो जालिम अदा के साथ बोली...

" आंखों पे पट्टी बाँध दूं क्या..." मैंने मुस्कराते हुए पुछा.

"एकदम भाभी..." वो बोली..



" तो इससे अच्छा और क्या होगा..." और मैंने एक झटके में झट उसकी काली शियर ट्रांसपरेंट लेसी थांग खींच ली और पहले तो दोनों हाथ से उनका मुंह खुलवा के अंदर घुसेड के उसका स्वाद चखाया और फिर उनकी आंखों पे...
Kya teasing ki hai guddi ne apne hair ko use karke.
Nice update
👌👌👌💯💯🔥
 
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komaalrani

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ब्लाइंडफोल्ड






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" कैसे देखते हो आप ..नदीदे ..." दोनों हाथों से अपने जोबन को छुपाने की कोशिश करते हुए वो जालिम अदा के साथ बोली...

" आंखों पे पट्टी बाँध दूं क्या..." मैंने मुस्कराते हुए पुछा.

"एकदम भाभी..." वो बोली..



" तो इससे अच्छा और क्या होगा..." और मैंने एक झटके में झट उसकी काली शियर ट्रांसपरेंट लेसी थांग खींच ली और पहले तो दोनों हाथ से उनका मुंह खुलवा के अंदर घुसेड के उसका स्वाद चखाया और फिर उनकी आंखों पे...



दो इंच का थांग ना गुड्डी की जवानी को, उसकी गोरी चिकनी 'परी' को अच्छी तरह छिपा पा रहा था और ना ही उनके आँख को पूरी तरह ढक पा रहा था...बस आँखे कुछ कुछ ढँक गयी थीं.

"चल अब हमारा तुम्हारा खेल शुरू ..."



ये कह के हंसते हुए मैंने उसे हल्का सा धक्का दिया और वो सीधे ..उनके..अपने भैया के बगल में..एक बित्ते की भी दूरी नहीं रही होगी दोनों में...बस बिचारे हमने जो मुश्के बाँधी थी हिल डुल नहीं पा रहे थे ...आँखों पर भी उनके माल की सेक्सी जालीदार थांग बंधी थी...हाँ झलक तो उन्हें मिल ही रही थी पैंटी से छन छन के..

" नहीं भाभी..." वो अदा दिखा रही थी लेकिन उसकी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे चुगली कर रही थीं की बस...अब...

मैंने उसकी दोनों बाहों को पकड़ के उसके सर के नीचे रख दिया..और अगले पल मेरे होंठ उसके होंठों पे ...

जैसे कोई भोंरा नयी खिली हवा में हिलती डुलती कली पे बैठ जाये..




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पहले एक हलकी सी किस्सी ...फिर कस के मैंने उसके निचले रसीले गुलाबी होंठ को अपने होंठ के बीच में ले के कस के चूसना चुभलाना शुरू कर दिया और साथ साथ बीच में बोलती भी जाती थी,

" क्या मस्त रसीले होंठ है यार तेरे...जब इन होंठों में इत्ता रस है तो निचले वाले तो एक रस की खान होंगे...ओह वाह...उम्ह्ह उम्ह्ह ..."



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ये सब उनको तडपाने तरसाने के लिए था ...



( तड़प तो वो बिचारे ना जाने कब से रहे थे अपनी इस कजिन के लिए ...जब से उसके जोबन ने अंगड़ाई लेनी शुरू की थी...जब से टिकोरे आने शुरू हुए थे).

मेरे लम्बी उंगलिया साथ उसके गोरे गुलाबी गालों को , कन्धों को सहला रही थीं. एक उनगली उतर के ठीक उसके उभार के नीचे आगयी और वहां उसने हलके से छेड़ना शुरू कर दिया.

मेरे होंठ भी नीचे उतर के पहले उसकी लम्बी गर्दन के पास एक पल के लिए ठहरे ...एक हलकी सी किस के बाद उसके खूबसूरत कंधे ...जैसे कोई तितली एक बाग़ में एक फूल से दूसरे फूल पे उडती फिरे बस वही हालत मेरे प्यासे होंठों की हो रही थी..

और फिर सीधे उसके किशोर गदराये मस्त उभारों के नीचे..हलके हलके छोटे छोटे चुम्बन, साथ में मैं अपनी जीभ से उसके उभारों को छेड़ भी दे रही थी..




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वो सिसक रही थी, गिनगिना रही थी...मैंने आँखे उठा के उसके चेहरे को देखा...



गजब की मस्ती थी बस रस बरस रहा था...आँखे अधखुली सी होंठ अपने आप हिल रहे थे...

थोडा बहोत खेल तमाशा तो पहले भी उसके साथ किया था ' इनके ' मायके में ...लेकिन


आज वो उसके 'बचपन के यार कम भैया' बगल में लेटे थे ...

और मैं अपने घर में थी...

मालकिन, अपने घर की भी और अपने घर वाले की भी



बहोत हुयी अब आँख मिचौली खेलूंगी अब रस की होली...
 
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komaalrani

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बहोत हुयी अब आँख मिचौली खेलूंगी अब रस की होली...



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ननदिया का रस

जैसे कोई बाज झपटे ..मेरे प्यासे होंठों ने उसके खड़े कड़े निपल्स को गपक लिया...पहले तो हलके हलके चुम्बन और फिर..हलके से सिर्फ होंठो से दबा कर...

बड़ी जोर से उसकी सिसकी निकल गयी..

मैंने दांतों से बहोत हलके से काटा..

उयीई ओह्ह वो चीखी....



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'उनके' हाथ बंधे थे थोड़ी सी आँखे भी लेकिन कान तो दोनों खुले थे...

मैंने जीभ से निपल के टिप को थोडा सा सहलाया और फिर एक बार...अबकी थोड़े ज्यादा जोर से बाईट किया...

युईईईईईइ ...वो जोर से चीखी ...लेकिन साथ ही मस्ती में उसने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को अपने उभारों पे दबा दिया.

" अभी तो शुरुआत है जानम मेरे घर में आई हो...देखना क्या क्या होता है तुम्हारे साथ...और फिर दो दिन में कमल और अजय जीजू भी रिनू के साथ काठमांडू से लौट के आने वाले हैं...फिर तो.." मैंने सोचा

और साथ में दूसरा निपल मेरे अगुठे और तरजनी के बीच ..पहले तो हलके हलके दबाया और फिर कस के भींच दिया....मेरे लम्बे नाखूनों ने भी निपल पे हलके से खरोंच के निशान बना दिए ..



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थोड़ी देर में पूरा उभार मेरे होंठों के हवाले था...मैं चूस रही थी चाट रही थी...हलके हलके बाईट कर रही थी


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और दूसरा जोबन मेरे हाथ कस कस के मसल रहे थे रगड़ रहे थे ..

वो मस्ती में मेरे बालों को कस कस के खिंच रही थी अपने छोटे छोटे चूतड बिस्तर पे पटक रही थी...रगड़ रही थी...

मैंने एक पल के लिए कनखियों से साइड में देखा...

बिचारे 'वो' उनकी तो हालत खराब थी..अपनी सीधी साधी बहना से भी ज्यादा ...वो तड़प रहे थे मचल रहे थे और कनखियों से हम दोनों का खेल तमाशा देख रहे थे ...

मैंने उसके उभार दोनों हाथों से पकड़ के उन्हें दिखाते हुए कस के चूम लिया...मानों कह रही होऊं ..." लोगे क्या ..तेरा ही तो माल है जानम..."

और फिर मेरे होंठो ने पहाड़ों से उतर के घाटी का रास्ता पकड़ा ...उसकी पतली कमर चिकना पेट गहरी नाभी..रस का कुंवा तो अभी नीचे था....


लेकिन उसके जोबन आजाद होगये हों ऐसा नहीं था.,..

मेरे अब तक इन्तजार कर रहे दोनों हाथों ने उन्हें धर दबोचा और अब तक जितना उन्होंने ने मेरे सैयां को...उसके शहर के सारे लौंडों को तडपाया था उसका बदला लेने लगे..हलके हलके नहीं कस के...



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मैंने अपना चेहरा एक पल के लिए ऊपर किया गुड्डी एक दम मस्ती में डूबी थी और वही हालत उनके भाई की भी थी...( कजिन ही सही कहती तो वो भैय्या ही)

दोनों को देख के मैंने एक लाइन गाई जो उन्हें छेड़ने के लिए मैं और मेरी जिठानी गाते थे ...




छोट छोट जोबना दाबे में मजा देय अरे ..छोट छोट जोबना दाबे में मजा देय ..

अरे ननदी हमारी अरे बहना तुम्हारी चोदे में मजा देय ...


साढे तीन बजे गुड्डी जरूर आना साढे तीन बजे...ऐल्वल से


( ऐल्वल उसके मुहल्ले का नाम था जहाँ उनकी कजिन रहती थी)

और कस के एक बात फिर अपनी ननद के होंठों को चूम लिया. अबकी उसने भी उतने ही जोर से रिस्पाण्ड किया. मेरे निचले होंठ को अपने दोनों होंठ के बीच ले के वो चूस रही थी चुभला रही थी...दो पल के बाद मैंने उसके दोनों होंठों को अपने होंठों के बीच दबाया और अपनी लम्बी जीभ उसके मुंह मने घुसेड दी जैसे कोई लंड चुसाने के लिए पेल रहा हो...



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थोड़ी देर की टंग फाईट के बाद वो मेरे जीभ को हलके हलके चूसने लगी...
मेरे सैयां की बहन सीखती बहोत तेज थी...सिखाने के लिए ही तो उसे हम अपने साथ लाये थे




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मेरे दोनों हाथ अभी भी कस कस के उसकी चून्चियां दबा रहे थे.

मेरे दोनों टांगों ने उसकी दोनों लम्बी टांगों के बीच जाके अच्छी तरह फैला दिया था.मेरी भरी भरी जांघे अब उसकी जाँघों से रगड़ रही थीं..

गुड्डी ने अपने लम्बे नाखून कस के मेरे कन्धों में धंसा दिए थे.

मैंने जैसे ही अपने होंठ उसके नरम गुलाबी होंठों से अलग किये ...वो कस कस के मुझे किस करने लगी.

मैंने अपनी दोनों जांघें उसके चेहरे के थोड़ी ऊपर की और वो इशारा समझ गयी.

मेरी लाल मुनिया अभी भी बंद थी...उसने अपनी लम्बी उँगलियों से मेरी लेसी गुलाबी पैंटी को एक झटके में खिंच के नीचे कर दिया...अब मेरी चिकनी चमेली उसके होंठों से इंच भर की दूरी पे थी...




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बगल में लेटे वो भी टुकुर टुकुर देख रहे थे ....



मैंने शरारत से गुड्डी की एक उंगली खिंच के अपनी कसी गुलाबी लव लिप्स के ऊपर रगडा और उसकी टिप्स भीतर तक डाल के कस के भींच ली ...

रस में लथपथ उंगली की टिप निकाल के अपने हाथ से पकड़ के मैंने उनके होंठों के ऊपर रगड़ दिया..

मेरा योनी रस तो उन्होंने बहोत चखा था लेकिन अपनी ,'सीधी साधी बहन' की उंगली से...ये मौका पहला था ...

मैंने नीचे देखा तो...उनके हथियार की हालत ख़राब थी...पूरा तन्नाया जोश से पागल हो रहा था ...
 
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कच्ची कोरी बारी ननदिया


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मेरा योनी रस तो उन्होंने बहोत चखा था लेकिन अपनी ,'सीधी साधी बहन' की उंगली से...ये मौका पहला था ...

मैंने नीचे देखा तो...उनके हथियार की हालत ख़राब थी...पूरा तन्नाया जोश से पागल हो रहा था ...



मैंने गुड्डी के होंठों पे एक कस के किस ली और फिर सीधे नीचे...जिस रस कूप का रस छकने के लिए मेरे होंठ बेचैन थे ...

उसकी गोरी गोरी किशोर जांघे पूरी तरह खुली फैली ...और उनके बीच...

उसे देख के जब मेरी इत्ती हालत खराब हो गयी तो मेरे 'वो' तो पागल ही हो जायेंगे...



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क्या जन्नत थी...

गुलाबी पुत्तियाँ एकदम कसी कसी...( अभी तक कुछ गया भी तो नहीं था उनमे मेरी उंगली के सिवाय वो भी सिर्फ टिप ...झिल्ल्ली तो मेरे 'उनको' फाड्नी थी )

रसीली एकदम मक्खन ...चिकनी ( उसे मालूम था की उसके भैय्या को झांटे एकदम नहीं पसंद थी तो आने के पहले उसने खुद एकदम सफाचट कर लिया था...)




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मैंने अगल बगल जाँघों पे एक दो किस्सी ली और उसकी पुत्तियाँ...ऐसे काँप रही थी जैसे हवा के झोंकों से शाख पे कोई गुलाब की नन्ही सी कली काँप जाय .....

मैंने अपनी लम्बी जुबान निकाल के बस टिप से ...उसके ' बाहरी होंठों' के किनारे किनारे हलके से लिक कर लिया ..पहले हलके हलके और फिर जोर से जल्दी जल्दी



2015 hyundai genesis 3.8 awd 0 60

वो काँप रही थी मचल रही थी..लेकिन अब मैं रुकने वाली नहीं थी...उसका मटर का दाना ...क्लिट..घूँघट में बंद था..बस हलके से झाँक रहा था..मैंने पहला किस बहोत हल्का सा वहीँ लिया और फिर मेरे दोनों होंठों के बीच उसके निचले होंठ कैद थे...मैं हलके हलके चूस रही थी चुभला रही थी..बिना किसी जल्दी के ..

रस की पहली बूँद जब उसके कुंवे से निकली तो मैंने चाट ली...फिर अंगूठे और तरजनी से मैंने उसके गुलाबी होंठों को खोला ..मस्त गीला रस से भरा...

और मेरे जुबान की टिप वहां घुस के चपड चपड ...ऊपर से नीचे ..ऊपर से नीचे ...और फिर हलके से अन्दर बाहर...जैसे मेरी जीभ ना हो लंड हो जिससे मैं उसे चोद रही होऊं ...

रस अब बरस रहा था सावन की झड़ी लग गयी थी ...

वो भी पागल हो रही थी...सिसकियाँ भर रही थी चूतड पटक रही थी मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ के अपने परी पे रगड़ रही थी...



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पागल वो भी हो रहे थे ...बंधे हुए हाथ कसर मसर हो रहे थे गांठों के अन्दर से..पलंग पे देह रगड़ रहे थे...जालीदार पैंटी से उनकी आँखे बंद जरूर थीं ...लेकिन काफी कुछ दिख रहा था...



मुझे भी एक शरारत सूझी मैंने खिंच के गुड्डी के एक हाथ की उंगली उसके रस कूप में ...

वो समझ गयी मेरी बदमाशी..और उसने हाथ खींचने की कोशिश की पर मेरे आगे उस बिचारी की क्या बिसात

रस से अच्छी तरह भीगी लथपथ वो उंगली अब मैंने अपने हाथ से 'उनके' होंठों के बीच ...



2015 hyundai genesis 3.8 awd 0 60

उन्होंने सब चाट ली ...

क्यों कैसा लगा मेरी ननदी का चूत रस ...मैंने हंस के पुछा ...

जवाब में उन्होंने होंठ पे लगी एक बूँद को भी कस के चाट लिया...



देख तेरे भैय्या को कित्ता अच्छा लगता है तेरा आमरस मेरा मतलब है...काम रस...मैंने चिढाया ..

वो कैटरिना की तरह मुस्करा दी...



अब तेरी बारी मैंने उससे बोला...



" एकदम भाभी लेकिन..." उनकी आँखों पे बंधे पट्टी कम पैंटी की ओर देखती वो बोली...

" अरे तो खोल दे ना...देख तो वैसे भी वो रहे हैं ...फिर पैंटी भी तेरी भैय्या भी तेरे..."

मैं समझ गयी वो चाहती है की हम दोनों के खेल तमाशे को उसके भैया भी देखें, उसके जोबन के जादू का असर उसके भैया के ऊपर भी पड़े,... और उनके आँखों पर बंधी उसकी थांग खोल दी जाए,...

खोल के अदा से उस कमसिन ने ऐसे फेंका की ...बस सीधे उनके लंड पे...मानो वहां टांग दिया हो...



अब तो वो थोडा बहोत पर्दा जो था वो भी ख़तम हो गया.

लेकिन बिना उसकी परवाह किये गुड्डी सीधे मेरे ऊपर...

भले ही वो नौसिखिया हो...लेकिन एक नयी नवेली का, कच्ची कली का मजा ही अलग है..

मैंने कस के उसे अपनी बांहों में भर लिया...भींच लिया.

कोई देख के कही नहीं सकता था की ये नयी खिलाडन है. गुड्डी ने मेरे सर को कस के पकड़ा और मेरे होंठों पे एक खूब गरमागरम चुम्बन जड़ दिया.

मैंने आज उसे ही सारी पहल करने देना चाहती थी.



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फिर उसके किशोर होंठ कभी मेरे गालों पे कभी पलकों पे कभी कंधो पे ...वो चूम भी रही थी और मुस्करा भी रही थी. लेकिन अगली बार जब उसके होंन्थ मेरे होंठों से जुड़े तो बस मैंने पकड़ लिया तो फिर जो लिप लाक हुआ होंठ एक दूसरे से रगड़े गए और मैंने ज़रा सा होंठ खोला तो उसकी जुबान अन्दर...

अब की बिना इंतज़ार किये मैं ने उसकी जीभ चुसनी शुरू कर दी.

क्या रस था ...उसने जब छुड़ाने की कोशिह्स की तो मैं क्यों छोड़ती अपनी कुँवारी किशोर ननद का रस...

और अब गुड्डी के हाथ मैदान में आ गए मेरा सर छोड़ के मेरे उभारों पे ..

मैंने उसे बैठा दिया अब वो मेरी गोद में ...


लेकिन पहल अभी भी वही कर रही थी...मेरे दोनों जोबन कस कस के मसल रही थी..होंठों को चूम रही थी चाट रही थी..



'उनके' हाथ भले ही बंधे हो लेकिन आँखे तो खुल ही गयी थीं इस लिए नयन सुख लेने से कौन रोक सकता था उनको...


और मैं चाहती भी तो यही थी...उन्हें तडपाना तरसाना चाहती थी

और हो भी वही रहा था..उनकी आँखे हम दोनों से चिपकी हुयी थीं...फेविकोल से भी ज्यादा क़स के ...

मैंने गुड्डी का ध्यान उनकी ओर दिलाया तो उसने उन्हें देख के मुंह चिढा दिया ओर एक फ्लाईंग किस दे दी...


अब तो वे बदहाल
 
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मेरा योनी रस तो उन्होंने बहोत चखा था लेकिन अपनी ,'सीधी साधी बहन' की उंगली से...ये मौका पहला था ...

मैंने नीचे देखा तो...उनके हथियार की हालत ख़राब थी...पूरा तन्नाया जोश से पागल हो रहा था ...



मैंने गुड्डी के होंठों पे एक कस के किस ली और फिर सीधे नीचे...जिस रस कूप का रस छकने के लिए मेरे होंठ बेचैन थे ...

उसकी गोरी गोरी किशोर जांघे पूरी तरह खुली फैली ...और उनके बीच...

उसे देख के जब मेरी इत्ती हालत खराब हो गयी तो मेरे 'वो' तो पागल ही हो जायेंगे...



क्या जन्नत थी...

गुलाबी पुत्तियाँ एकदम कसी कसी...( अभी तक कुछ गया भी तो नहीं था उनमे मेरी उंगली के सिवाय वो भी सिर्फ टिप ...झिल्ल्ली तो मेरे 'उनको' फाड्नी थी )

रसीली एकदम मक्खन ...चिकनी ( उसे मालूम था की उसके भैय्या को झांटे एकदम नहीं पसंद थी तो आने के पहले उसने खुद एकदम सफाचट कर लिया था...)



मैंने अगल बगल जाँघों पे एक दो किस्सी ली और उसकी पुत्तियाँ...ऐसे काँप रही थी जैसे हवा के झोंकों से शाख पे कोई गुलाब की नन्ही सी कली काँप जाय .....

मैंने अपनी लम्बी जुबान निकाल के बस टिप से ...उसके ' बाहरी होंठों' के किनारे किनारे हलके से लिक कर लिया ..पहले हलके हलके और फिर जोर से जल्दी जल्दी

वो काँप रही थी मचल रही थी..लेकिन अब मैं रुकने वाली नहीं थी...उसका मटर का दाना ...क्लिट..घूँघट में बंद था..बस हलके से झाँक रहा था..मैंने पहला किस बहोत हल्का सा वहीँ लिया और फिर मेरे दोनों होंठों के बीच उसके निचले होंठ कैद थे...मैं हलके हलके चूस रही थी चुभला रही थी..बिना किसी जल्दी के ..

रस की पहली बूँद जब उसके कुंवे से निकली तो मैंने चाट ली...फिर अंगूठे और तरजनी से मैंने उसके गुलाबी होंठों को खोला ..मस्त गीला रस से भरा...

और मेरे जुबान की टिप वहां घुस के चपड चपड ...ऊपर से नीचे ..ऊपर से नीचे ...और फिर हलके से अन्दर बाहर...जैसे मेरी जीभ ना हो लंड हो जिससे मैं उसे चोद रही होऊं ...

रस अब बरस रहा था सावन की झड़ी लग गयी थी ...

वो भी पागल हो रही थी...सिसकियाँ भर रही थी चूतड पटक रही थी मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ के अपने परी पे रगड़ रही थी...

पागल वो भी हो रहे थे ...बंधे हुए हाथ कसर मसर हो रहे थे गांठों के अन्दर से..पलंग पे देह रगड़ रहे थे...जालीदार पैंटी से उनकी आँखे बंद जरूर थीं ...लेकिन काफी कुछ दिख रहा था...



मुझे भी एक शरारत सूझी मैंने खिंच के गुड्डी के एक हाथ की उंगली उसके उसके रस कूप में ...

वो समझ गयी मेरी बदमाशी..और उसने हाथ खींचने की कोशिश की पर मेरे आगे उस बिचारी की क्या बिसात

रस से अच्छी तरह भीगी लथपथ वो उंगली अब मैंने अपने हाथ से 'उनके' होंठों के बीच ...



उन्होंने सब चाट ली ...

क्यों कैसा लगा मेरी ननदी का चूत रस ...मैंने हंस के पुछा ...

जवाब में उन्होंने होंठ पे लगी एक बूँद को भी कस के चाट लिया...



देख तेरे भैय्या को कित्ता अच्छा लगता है तेरा आमरस मेरा मतलब है...काम रस...मैंने चिढाया ..

वो कैटरिना की तरह मुस्करा दी...



अब तेरी बारी मैंने उससे बोला...



" एकदम भाभी लेकिन..." उनकी आँखों पे बंधे पट्टी कम पैंटी की ओर देखती वो बोली...



" अरे तो खोल दे ना...देख तो वैसे भी वो रहे हैं ...फिर पैंटी भी तेरी भैय्या भी तेरे..."

खोल के अदा से उस कमसिन ने ऐसे फेंका की ...बस सीधे उनके लंड पे...मानो वहां टांग दिया हो...



अब तो वो थोडा बहोत पर्दा जो था वो भी ख़तम हो गया.

लेकिन बिना उसकी परवाह किये गुड्डी सीधे मेरे ऊपर...

भले ही वो नौसिखिया हो...लेकिन एक नयी नवेली का, कच्ची कली का मजा ही अलग है..

मैंने कस के उसे अपनी बांहों में भर लिया...भींच लिया.

कोई देख के कही नहीं सकता था की ये नयी खिलाडन है. गुड्डी ने मेरे सर को कस के पकड़ा और मेरे होंठों पे एक खूब गरमागरम चुम्बन जड़ दिया.

मैंने आज उसे ही सारी पहल करने देना चाहती थी.

फिर उसके किशोर होंठ कभी मेरे गालों पे कभी पलकों पे कभी कंधो पे ...वो चूम भी रही थी और मुस्करा भी रही थी. लेकिन अगली बार जब उसके होंन्थ मेरे होंठों से जुड़े तो बस मैंने पकड़ लिया तो फिर जो लिप लाक हुआ होंठ एक दूसरे से रगड़े गए और मैंने ज़रा सा होंठ खोला तो उसकी जुबान अन्दर...



अब की बिना इंतज़ार किये मैं ने उसकी जीभ चुसनी शुरू कर दी.

क्या रस था ...उसने जब छुड़ाने की कोशिह्स की तो मैं क्यों छोड़ती अपनी कुँवारी किशोर ननद का रस...

और अब गुड्डी के हाथ मैदान में aa गए मेरा सर छोड़ के मेरे उभारों पे ..

मैंने उसे बैठा दिया अब वो मेरी गोद में ...लेकिन पहल अभी भी वही कर रही थी...मेरे दोनों जोबन कस कस के मसल रही थी..होंठों को चूम रही थी चाट रही थी..



'उनके' हाथ भले ही बंधे हो लेकिन आँखे तो खुल ही गयी थीं इस लिए नयन सुख लेने से कौन रोक सकता था उनको...और मैं चाहती भी तो यही थी...उन्हें तडपाना तरसाना चाहती थी

और हो भी वही रहा था..उनकी आँखे हम दोनों से चिपकी हुयी थीं...फेविकोल से भी ज्यादा क़स के ...मैंने गुड्डी का ध्यान उनकी ओर दिलाया तो उसने उन्हें देख के मुंह चिढा दिया ओर एक फ्लाईंग किस दे दी...अब तो वे बदहाल
Ek panth 2 kaaj, hubby ko tadafana aur nanad ke ubharon ka ras chakhna.Kya baat hai didi, typical Komal style.
Adbhut, erotic & madak update
👌👌👌👌👌
💯💯
💯💯
🔥🔥🔥
 

komaalrani

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Kya teasing ki hai guddi ne apne hair ko use karke.
Nice update
👌👌👌💯💯🔥
First Like and first comment aapki oar se, i feel so thrilled,... thanks sooooooooo much and other story has also been updated, apake aane se himmat hausala aur vishvaas sab badh jataa hai, thanks soooooooooooooo much
 

komaalrani

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Ek panth 2 kaaj, hubby ko tadafana aur nanad ke ubharon ka ras chakhna.Kya baat hai didi, typical Komal style.
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ekdam sahi kaha aapne bibi aur behan dono ka maja saath saath
 

komaalrani

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मैंने इस दृष्टि से विश्लेष्ण नहीं किया था...
लेकिन जब किया तो सचमुच टॉप में आपकी कहानियों को पाकर सुखद आश्चर्य हुआ...
लेकिन जैसे किसी शादी विवाह में जहाँ नॉन-वेज खाना भी हो तो लोग उस पर टूट पड़ते हैं...
इसका यह मतलब कदापि नहीं कि वेज खाना अच्छा नहीं... या उसके खाने वाले कम हैं तो उसे पसंद नहीं किया जा रहा...

बल्कि इतनी भीड़ में भी आपकी कहानियों को एक अच्छा व्यूज मिला है...
पर JKG के ऑलमोस्ट दुगने पोस्ट पर (मोहे रंग दे से) व्यूज उससे कम मिले...
ऐसा मेरी समझ के बाहर है....
इसके कारण कई हैं

पहला कारण तो यही है कई लोगों ने इसे पढ़ रखा होगा या पूरा नहीं भी पढ़ा होगा तो कुछ पोस्टें या किसी अन्य फोरम में देख के उन्हें लगता होगा की अरे ये तो पढ़ी है,...

दूसरी बात जब मैंने ये कहानी यहां फिर से पोस्ट करनी शुरू की तो ढेर सारे लोगों ने कहा की नहीं जहाँ से यह अधूरी रह गयी थी , पिछले फोरम के बंद होने के कारण से बस वहीँ से शुरू करूं, पर कुछ लोगों ने साथ भी दिया।

तीसरी बात न सिर्फ इस फोरम में बल्कि कई ग्रुप्स में पी डी ऍफ़ वर्शन इस कहानी का है ,... इसलिए भी,...

और शायद लेकिन उनकी संख्या नगण्य सी ही होगी, जो अक्सर अपने को कहानी के पुरुष कैरेक्टर से आडेंटीफाई करते हैं और नायिका की भूमिका बस सहायक सी होती है, मौके मौके पे आके शोभा बढ़ाने वाली, ... वो भी शायद,


लेकिन मूल कारण पहले तीन ही थे ,

लेकिन मुझे लगा की बीच से कहानी शुरू करने का मतलब नहीं है,... पढ़ने वाले कहाँ से सूत्र पकड़ेंगे और कई तो नए पाठक भी नए फोरम में होंगे, फिर पी डी ऍफ़ में चित्र नहीं होते न पाठक पाठिकाओं से संवाद होता है , इसलिए हिम्मत कर के मैंने कहानी शुरू कर दी,... और आप ऐसे मित्रों का स्नेहिल साथ मिला, शुभाकांक्षा मिली तो कहानी अभी करीब आधे से ज्यादा पूरी हो चुकी है, विघ्न बाधाएं भी पड़ीं,

कोरोना की महामारी के दौरान मेरी भी इच्छा नहीं हो रही थी पोस्ट्स करने की,

फिर कुछ खलजन भी आये जिनकी वंदना गोस्वामी जी ने भी की थी

बहुरि बंदि खल गन सतिभाएँ। जे बिनु काज दाहिनेहु बाएँ॥
पर हित हानि लाभ जिन्ह केरें। उजरें हरष बिषाद बसेरें॥1॥


( अब मैं सच्चे भाव से दुष्टों को प्रणाम करता हूँ, जो बिना ही प्रयोजन, अपना हित करने वाले के भी प्रतिकूल आचरण करते हैं। दूसरों के हित की हानि ही जिनकी दृष्टि में लाभ है, जिनको दूसरों के उजड़ने में हर्ष और बसने में विषाद होता है॥)

खल का काम ही खलल डालना है,... तो महीने भर से ऊपर कहानी रुकी रही , अब लेकिन आप सब का साथ, कहानी का पहला हिस्सा समाप्त हो गया , १५० भाग से ज्यादा ,... और पूरी होने तक तो व्यूज निश्चित रूप से १. ५ मिलियन हो जायँगे जो एरोटिक विधा में सर्वोपरि होंगे ,

पर मेरे लेखे व्यूज से ज्यादा महत्वपूर्ण है सुख मित्रों के हृदय में उपजे पढ़ते समय और इस कसौटी पे मेरे ख्याल से यही कहानी किसी से १९ नहीं है
 

komaalrani

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