कहानी जो स्टोरीलाइन के साथ हो तो इतना बड़ा होना स्वाभाविक है...जोरू का गुलाम में अब तक ४६, ४८,७९ शब्द लिखे जा चुके हैं, और कहानी पोस्ट करते समय थोड़े बहुत शब्द प्रसंग के अनुसार बढ़ ही जाते हैं तो करीब ५ लाख शब्द मैं आप सब मित्रों के सामने अब प्रस्तुत कर चुकी हूँ,
मैं यह कहानी एम एस वर्ड में सेव करती हूँ ( फ़ॉन्ट साइज ११ ) और टाइप गूगल की सहायता से,... देवनागरी में,
और यह अबतक १९५५ पृष्ठ पार कर चुकी है, और जैसा मैंने कहा लिखते समय कुछ जुड़ ही जाता है तो २,००० पृष्ठ, जो किसी हार्डबाउंड पुस्तक के स्वरूप का शायद होता और अभी १००० पृष्ठों के आस पास की कहानी बची है,...
यह कथा यात्रा लम्बी है, अनेक प्रसंग, अनेक चरित्र,... उपन्यास के रूप में ज्यादा,...
तो अब गुड्डी का भैया भाभी के घर में नयी सुबह बस शुरू हो रही है,...
नहीं मैं विराम नहीं ले रही हूँ ,अल्प विराम भी नहीं,... बस जल्द ही अगली पोस्ट में आप नए परिवेश में उस टीनेजर से मिलेंगे, एक दूसरी टीनेजर के साथ,...
और बचे हुए कहानी के पार्ट को मिला कर ये 8 लाख शब्दों को पार कर जाएगी...
कोई विरले हीं कहानी को इस लेवल तक ले कर जाते हैं और कहानी कंप्लीट भी करते हैं....