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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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रंग -प्रसंग

मेरी कुछ लम्बी कहानियों जैसे फागुन के दिन चार, मोहे रंग दे और जोरू के गुलाम के साथ कुछ अन्य कहानियों के भी होली प्रसंग

गुलदस्ते की तरह , इस थ्रेड में हैं और साथ साथ सारे होली के रंगीन रिश्ते भी, देवर भाभी, जीजा साली , नन्दोई सलहज, ननद भाभी की होली की मस्ती, गाँव की होली और शहर के मोहल्ले के घर आंगन की होली,

चुने हुए अंश


जरूर पढ़िए , लाइक करिये और कमेंट करिये




It is a tribute to HOLI please do join and enjoy colours of HOLI
 

Jiashishji

दिल का अच्छा
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जोरू का गुलाम भाग १७२

सुहाग दिन या ननदिया चढ़ी अपने भैया के ऊपर



गीता ने पूछ लिया , "कल रात भर कौन चढ़ा था "

गुड्डी ने अपने भइया की ओर देखा और मुस्कराने लगी ,
पर गीता वो तो आज गुड्डी की सारी सरम लाज की ऐसी की तैसी करने में ,

"हे भाउज अइसन रंडी जस मुस्की जिन मारा। साफ़ साफ बोलो न की कल रात भर ऊपर कौन था , कौन चढ़ा था ,"



गुड्डी समझ गयी थी गीता को उसने ननद बना तो लिया था लेकिन इस ननद से पार पाना आसान नहीं थी। " भइया ,... " गुड्डी हलके से बोली।

" तो रात भर वो चढ़े थे , तो अब तुम्हारा नंबर , ... रात भर हचक हचक कर ,.. थोड़ा थक नहीं गए होंगे ,चलो चढ़ो ,.... " उसकी नयी बनी ननद ने हड़काया।

" अरे यार चढ़ जा न , बस एक बार सटा देना ,... फिर नहीं जाएगा तो बोल देना साफ़ साफ़ , मैं हूँ तेरी हेल्प करने के लिए "

अपनी ननद की पीठ सहलाते हुए मैं बड़े प्यार से समझाते मनाते बोली मैं बोली।

मैं और गीता , गुड कॉप बैड कॉप रूटीन कर रहे थे।

गीता भी अब थोड़ा मुलायम ढंग से , " अरे चलो मैं बताती हूँ , कैसे चढ़ते हैं ,मायके में कुछ सीख वीख के नहीं आयी , ... "

और मैंने और गीता ने मिल के उस टीनेजर को उठाया , और उस मोटे लम्बे बांस के ऊपर , गुड्डी दोनों पैर फैला के ,... कसी भी तो बहुत थी उसकी , अभी एक दिन भी नहीं हुए थे फटे ,... उस कच्ची कली के , और आज खुद ऊपर चढ़ के ,... गीता ने मेरी छुटकी ननद के निचले दोनों होंठ फैलाये और उनके सुपाड़े को सेट कर दिया , मुझसे ज्यादा बेहतर कौन जानता था की जब वो दुष्ट , गुलाबी पंखुड़ियों को छूता है तो बस यही मन करता है की , बस घुसेड़ दे , धकेल दे , ठेल दे ,... भले ही जान चली जाय। उनकी ममेरी बहन की भी यही हालत हो रही थी ,पर घुसाए कौन,



और गुड्डी अभी भी बोलने से लजा रही थी ,वो भी गीता के सामने ,...

गीता के हाथ गुड्डी के कच्ची अमिया पर टहल रहे थे ,हलके से दबा के गुड्डी के कान में बोली ,

" मान गयी तुम अभी ,.. भैय्या से बोल न ,... "

गुड्डी के चेहरे पर एकदम ,... दोनों जुबना मस्ती से पथराये थे , बोली वो ,...
" भैया ,... "

उन्होंने कोई रिस्पांस नहीं दिया ,...

" भैया करो न ,... "

कोई और होता तो वही हचक के उस टीनेजर को ,... लेकिन आज उन्हें भी तड़पाने में मजा आ रहा था। और बात सही भी थी इसी लौंडिया ने कितना तड़पाया था उनको , उसकी सारी सहेलियाँ रोज बिना नागा अपने भाइयों से , दिया तो अपने सगे भाई से ही,... और ये ,... अपनी दोनों जाँघों के बीच दबाये छुपाये बचाये,

उसको चिढ़ाते चढ़ाते , वो बोले ,

"क्या करूँ बोल न "

,पर गीता इतनी सॉफ्ट नहीं थी , पूरी ताकत से उसने गुड्डी के निपल मरोड़ दिए , और उसके कान में बोली ,

" क्या सिखाया था तुम्हे कैसे बोलना , स्साली छिनार रात भर चुदवाने में शरम नहीं और चोदवाना बोलने में जान जा रही है , अभी ऐसे जबरदस्ती पेलुंगी न की जान निकल जायेगी , वरना बोल ,... "



रुकते , लजाते , हिचकचाते बोली वो छुई मुई , " भइया ,... " फिर रुक गयी

गीता के नाख़ून गुड्डी के नए नए आये निपल्स में गड गए।

" भैया ,... चोदो न " वो शर्मीली बोली , लेकिन इतने धीमे से की उसने खुद भी नहीं सुना होगा ,

" जरा जोर से बोल न , ... साफ़ साफ बोल न ,.. " वो भी न आज ,...

" भैया चोदो न ,... " अबकी वो थोड़ी तेज और फिर तो ,.... गीता ने पूरे जोर लगा के , ... गीता के दोनों हाथ गुड्डी के कंधे पर थे , पूरी तरह से उसने दबाया , मैं भी हलके से अपनी सुकुमार ननद की पतली कटीली कमर पकड़ के और सबसे बड़ी बात , इन्होने पूरी तेजी से ,पूरी ताकत से ,... गुड्डी ने सिसकी ली , और फिर बड़ी जोर से चीखी ,... लेकिन गीता ने पुश करना नहीं छोड़ा और नीचे से उन्होंने दुबारा , पहले से भी तगड़ा धक्का ,

चीख भी पहले से ज्यादा तेज , ... आधे से ज्यादा सुपाड़ा मेरी ननद की बुरिया ने घोंट लिया था।

मैं समझ रही थी ,दर्द के मारे उस कच्ची कली की जान निकल रही होगी। इतना मोटा सुपाड़ा और मेरी ननद की छोटी सी बिल ,



लेकिन मुझसे ज्यादा गीता मेरी ननद की असलियत समझ रही थी ,वो समझ गयी थी की , इस बारी उमर में भी , भले ही इसकी अबतक फटी नहीं थी , लेकिन मोटे मोटे चींटे इसकी बुरिया में काटते थे। और अब गीता ने ऊपर से प्रेस करना रोक दिया था और उसके भइया ने नीचे से पुश करना।

दो तिहाई सुपाड़ा अंदर , ... मन तो कर रहा था ननद रानी का पूरा अंदर लेने का , एक बार स्वाद ले लेने के बाद कौन लड़की मना कर सकती है घोंटने से ,

गुड्डी कभी गीता को देखती कभी अपने भइया को ,

"करो न भइया ,रुक काहें गए ,डालो न ,... "हिम्मत करके धीरे से वो टीनेजर बोली

" कहाँ डालू ,बोल न ,... " चिढ़ाते हुए वो बोले , और साथ में गीता भी , "तू भी तो धक्का मार ऊपर से "

गुड्डी उन्हें देख कर मुस्करायी और शरारत से बोली ,

" जहाँ डालना चाहते थे , मेरी चूत में , ... " और साथ में उस किशोरी ने दोनों हाथों को बिस्तर पर रख खुद भी प्रेस किया ,

यही तो गीता भी चाहती थी , यही तो मैं भी चाहती थी , ये लड़की खूब खुल के बोले ,खुल के मजे ले

और मैंने और गीता ने साथ साथ , गीता ने उसके कंधे पकड़ के नीचे की ओर ,मैंने उसकी पतली कमर पकड़ के , और उसके बचपन के आशिक ने भी नीचे से जम के धक्का मारा,

पूरा सुपाड़ा अंदर , धंसा , घुसा ,फंसा , अब तो मेरी ननद चाहती भी तो कुछ नहीं कर सकती थी। असल में उसकी तो उसी दिन लिख गयी थी , जिस दिन वो बाजी हर गयी थी ,उस के भैया ने न सिर्फ उसके सामने आम खाया बल्कि उसे भी खिलाया , ... ४ घंटे की गुलामी , गुड्डी रानी की जिंदगी भर की ,...

इत्ता मोटा सुपाड़ा , कच्ची चूत ,.... गुड्डी दर्द से नहा उठी ,पर अबकी चीखने के बजाय ,जोर से उसने अपने होंठ दांतों से काट लिए ,दोनों हाथों से बिस्तर की चद्दर भींच ली ,
अगर गुड्डी बाजी न हारती तो इतना मजा कैसे मिलता । यहां तो हारने वाला भी जीतता है।
 

Jiashishji

दिल का अच्छा
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भैया बहिनी -दिन दहाड़े




पूरा सुपाड़ा अंदर , धंसा , घुसा ,फंसा , अब तो मेरी ननद चाहती भी तो कुछ नहीं कर सकती थी। असल में उसकी तो उसी दिन लिख गयी थी , जिस दिन वो बाजी हर गयी थी ,उस के भैया ने न सिर्फ उसके सामने आम खाया बल्कि उसे भी खिलाया , ... ४ घंटे की गुलामी , गुड्डी रानी की जिंदगी भर की ,...

इत्ता मोटा सुपाड़ा , कच्ची चूत ,.... गुड्डी दर्द से नहा उठी ,पर अबकी चीखने के बजाय ,जोर से उसने अपने होंठ दांतों से काट लिए ,दोनों हाथों से बिस्तर की चद्दर भींच ली ,

उसका चेहरा दर्द से डूबा था , पर वो बूँद बूँद कर दर्द पी रही थी , और हम सब रुके थे , उसके भइया ने ही फिर छेड़ा अपनी बहना को ,

"बोल क्या डालूँ ,... "

और उनकी ममेरी बहन के चेहरे पर जैसे मुस्कान खिल उठी ,दर्द के बावजूद एक बार फिर से ऊपर से धक्के मारते बोली ,

" अपना लंड ,.. डालो न भइया , तुम बहुत तड़पाते हो ,... बदमाश। "

कौन भाई रुक सकता था , पूरी ताकत से उन्होंने अपने चूतड़ को उचकाया , गुड्डी ने भी ऊपर से और एक इंच एक बार में ही
गप्प।

उसकी कल रात की ही फटी चूत में दरेरता फाड़ता , रगड़ता उसके भैया का मोटा लंड अंदर घुस रहा था।



मैंने अपनी ननद की कमर से हाथ हटा लिया था , और अब वो भाई बहन ही , धक्कम धुक्का

धीरे धीरे ऊपर चढ़ी मेरी ननद ने करीब ६ इंच घोंट लिया था और अब उन्होंने भी धक्के लगाने बंद कर दिया था , सिर्फ गुड्डी ही पूरी ताकत लगाकर ऊपर से पुश कर रही थी ,प्रेस कर रही थी।

लेकिन अब मुश्किल था , दो ढाई इंच अभी भी बचा था , और उस चालाक शोख ने एक रास्ता निकाल लिया,

जैसे किशोरियां सावन में झूला झूलती हैं , वैसे ही उस मोटे बांस पर आगे पीछे , और साथ में अब उस की बारी थी उन्हें छेड़ने की ,

अपने छोटे छोटे जुबना उनके होंठों के पास ले जाकर वो हटा लेती थी कभी उनके होंठों पर रगड़ देती थी।



" दे न ,... " अब उनकी बारी थी बिनती करने की ,

"उन्ह ,... नहीं भइया खुल के मांगो न , क्या दूँ ,.. " अब मेरी ननद भी ,... एकदम उन्ही की तरह ,

" अपने टिकोरे , कच्ची अमिया ,... "



" ना , नहीं मिलेगा ,... बदमाश हो तुम ,... साफ़ साफ़ बोल ,.. "

"अपने जोबन ,... उफ़ दो न ,.. "

और गुड्डी उनके होंठ पर रगड़ के हटा लेती।

" अरे अपनी चूँची दे , ... "

" लो न मेरे भैया मैं तो कब से ,... जब से ये टिकोरे आये तब से तुझे देने के लिए ,.. लेकिन एक हाथ ले दूसरे हाथ दे ,.. "

और जैसे कोई शाख खुद झुक जाए , वो झुक के अपने कच्चे टिकोरे अपने बचपन के यार के होंठों पर , और उन्होंने कचकचा के काट लिया





और साथ ही वो समझ गए उनकी बहना क्या मांग रही थी , दोनों हाथों से अपनी बहन की पतली कमर पकड़ के नीचे से करारा धक्का ,मोटा लंड और अंदर

मैं किचेन में चली गयी थोड़ी देर लेके , आखिर गाडी में डीजल भी तो डालना था। हाँ गीता को मैंने वहीँ छोड़ दिया था गीता के सामने मेरी ननद खुल के चुदवाये , खुद बोल बोल के ,... चोदाई के बारे में बात करे , और गीता से उसकी सारी शरम ,.. और उन दोनों में इंटिमेसी भी

जब मैं लौटी थोड़ी देर में तो गुड्डी पसीने पसीने ,लंड आलमोस्ट उसकी चूत में धंसा और अब वो खुद इन्हे ललकार के ,
प्यार में जब तक खुला खेल न हो तब तक मजा कम ही आता है
 

Jiashishji

दिल का अच्छा
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गीता -गुड्डी की जुगलबंदी






और गीता ने इनके पिछवाड़े से अपनी दोनों उँगलियाँ निकाली और उसी से आमलेट का एक बड़ा सा टुकड़ा , तोड़ के सीधे मेरी ननद के मुंह में और मेरी ननद ने गपक कर लिया।

गीता ने बड़ी जोर से मुझे आँख मारी।

इनके पिछवाड़े से निकली, लिथड़ी चुपड़ी गीता की ऊँगली, गुड्डी रानी के मुंह में, गप्प, अभी तो गीता की बदमाशियों की, किंक्स की शुरुआत हुयी थी , मैंने गीता को आँखों से थम्प्स अप किया, लगी रहो गीता रानी।



गुड्डी अपने भैया की बाहों में , और उन्होंने सम्हाल के उसे अपनी गोद में बिठा लिया , खूंटा अभी भी अंदर तक धंसा था , पूरा। दोनों एक दूसरे को पकडे जकड़े ,


' चल भौजी हम तोंहे खियाय देंगी , आखिर ननद की बात मानी आपने ,.. " और गीता ने आमलेट का एक बड़ा सा टुकड़ा , गुड्डी को दिखाय के अपने मुंह में और फिर गीता के मुंह से गुड्डी के मुंह में , गीता उन्हें भी अपने मुंह से कुचला ,अधखाया ,थूक से लिथड़ा , और वो इनके मुँह से भी गुड्डी के मुंह में, साथ में जम के ननद भौजाई की चुम्मा चाटी



मैं भी उसी तरह कभी गुड्डी के मुंह में अपने मुंह से तो कभी गीता के मुंह में ,... ( आखिर वो भी तो मेरी ननद थी ,असल से बढ़कर )

और सच में उन दोनों के हाथ बिजी थे , एक हाथ उनके गुड्डी के कच्चे टिकोरों को मींजने रगड़ने में लगे तो दूसरा गुड्डी की पीठ को पकडे , और गुड्डी ने भी एक हाथ से उनके सर को पकड़ रखा था , और दूसरे हाथ से ,

और वो अंदर घुसा हुआ ,

चार चार अंडे के आमलेटों के साथ साथ हलवा भी था




और मैंगो जूस भी ,...

आधे घंटे तक खाना पीना चला उसके बाद एक बार फिर ,... एक राउंड से गीता थोड़े ही छोड़ने वाली थी।

गीता ने जबरदस्त छेड़छाड़ चालू कर दी , और किसकी अपनी नयकी भौजी की ,... वही गाभिन होने के लिए और पिछवाड़े के फटने के बारे में ,

आखिर मुझे ही अपनी छोटी ननदिया के सपोर्ट में आना पड़ा ,,मैं गुड्डी की ओर से बोली


" अरे दोनों भैया बहिनी मान गए हैं ,तिरबाचा भर दिया है , तो गाभिन तो ये होंगी ही. बस अगले पांच दिन वाली छुट्टी के बाद इसकी पांच दिन वाली छुट्टी की ही छुट्टी हो जायेगी नौ महीने तक। और अगर उस पांच दिन वाली छुट्टी के बाद फिर दुबारा इसकी गुलाबो , पांच दिन के लिए लाल हुईं तो ये तो बोल ही चुकी है , ... तुम जिससे चाहना उससे इसे गाभिन करवा देना , पर ये भइया की बहिनी भी तो अपने भइया के बीज से ही , .... काहें के लिए इधर उधर ,.. और रही बात पिछवाड़े की , ...अभी तो तेरे सामने खुद ये मोटे बांस पर चढ़ चुकी है , ... तो जैसे अगवाड़ा फटा , वैसे पिछवाड़ा भी फट जाएगा। अरे ये यहाँ आयी ही फड़वाने है ,.... "



लेकिन गीता को चुप कराना आसान थोड़े ही है , और बात भी वो अपनी जुबान में करती है ,बल्कि गुड्डी की जुबान भी वही करवा के दम लेगी वो,उसने एकदम साफ़ साफ़ पूछ लिया ,एकदम डायरेक्ट ,...

" भौजी ,कितना दिन हो गए पिछली बार माहवारी हुए , अगली कब होगी ?"



मुझे लगा की गुड्डी शायद अब बुरा मान जाए पर उसने कतई बुरा नहीं माना फिगर में तो , हाईस्कूल में मैथ्स में उसके १०० में १०० नंबर थे , झट से जोड़ दिया उस शोख ने , और वो भी अपने भइया की ओर मुखातिब होकर ,

" भइया ,जब आप आये थे न अबकी , तो बस उसके ठीक दो दिन पहले आंटी जी की टाटा बाई बाई हुयी थी। हफ्ते भर थे आप लोग , और आज मुझे आये दूसरा दिन है , तो सात , दो और दो , कुल ग्यारह दिन पहले ,... ख़तम हुयी थी। मेरी अट्ठाइस दिन की साइकिल है एकदम कैलेण्डर देख कर , ... तो १७ दिन बाद , फिर वो पांच दिन ,.. "




लड़कियाँ तो इतना खुल के अपनी सहेलियों से अपने पीरियड्स की चर्चा नहीं करतीं और ये बहना अपने भइया से ,....


मैं देखती रह गयी. फिर मुझे याद आया की ,... इन्होने ही तो बताया था , जब ये हाईस्कूल में आयी थी और मेरे वो ,उसके कच्चे टिकोरों को देख के लिबराते थे , एक शादी में ,... उसने खुद इनसे केयरफ्री लाने को बोला , बाद में मेसेज दे दिया , छुट्टी ख़तम नो नीड ,... ये तो ये ही इतने सीधे डरपोक थे , वरना कोई भी चापे बिना नहीं छोड़ता

लेकिन गुड्डी के अंक गणित मेरा काम आसान कर दिया , ...

१७ दिन तक तो ये दिन रात,... छह सात दिन तो यहाँ इसकी कबड्डी ,... और फिर इसे मेरे गाँव , .... कब ये मेरी सास पर यहाँ चढ़ाई करेंगे तो उनकी बहन पर मेरे गाँव वाले ,.... पूरे दस दिन तक ,.. और जब ये ,.... इनकी ममेरी बहन लौटेगी तो फिर एकाध दिन में उसकी पांच दिन वाली छुट्टी ,... फिर उसके दस बारह दिन बाद गर्भाधान संस्कार ,...

पर गीता तो एकदम डायरेक्ट एक्शन ,... उसकी निगाह भी एकदम कैलेण्डर पर ,...

" ठीक है , तो ओकरे बाद कउनो गोली वाली नहीं ,समझ लो ,... मैं खुद चेक करूंगी एक एक चीज , भौजी , भइया क गाढ़ी रबड़ी मलाई खाओगी न तो खुदे दूध देने लगोगी। "



गुड्डी को चढ़ाने के लिए उसको सपोर्ट करना जरूरी था, जिस तरह किसी बांकी हिरनिया के लिए हांका किया जाय दोनों ओर से , मैं और गीता मिल के उसे घेर रहे थे ,

मैं गुड्डी की ओर से बोली ,और गीता को चढ़ाया , " अरे हमारी ननद कउनो कमजोर नहीं , उमरिया की बारी है अभी तो क्या हुआ , वो दूध देने को भी तैयार है , और गाभिन होने को भी लेकिन उसके लिए जिसको मेहनत करनी हो ,उसे तो कुछ करना वरना पड़ेगा।

गुड्डी कुछ कम शोख ,शरारती नहीं थी। मेरा साथ मिला और वो और शरीर हो गयी , उनके सोते मूसल की ओर देख कर बहुत हलके से बोली , " ये तो अभी सो रहा है ,... "

" देखा निचोड़ के रख लिया मेरी ननद ने , ... " मैंने भी गुड्डी का साथ दिया ,पर गीता हिम्मत हारने वाली नहीं थी , वो गुड्डी के पीछे पड़ गयी।

" अरे भौजी तो तू काहें के लिए हो ,खाली घोंटने के लिए ,चुदवाने के लिए ,... सो रहा है तो जगाने का काम भी तुम्हारा ही है , ज़रा हाथ में पकड़ो ,सहलाओ ,... "

उनकी ममेरी बहन के कोमल कोमल हाथ, लगते ही 'वो ' तन्ना गया। और गुड्डी सिर्फ पकड़े थोड़े ही थी ,हलके हलके दबा रही थी ,सहला रही थी। अंगूठे और तर्जनी के जोर से उसने सुपाड़ा खोल दिया और फिर अंगूठा सीधे पेशाब वाले छेद पर, कुछ देर हलके हलके वहां दबाया , फिर तर्जनी के लम्बे नाख़ून से सुरसुरी की ,...



उस टीनेजर की उँगलियों में जादू था ,कुछ ही देर में वो कड़ियल नाग जग गया ,लेकिन गुड्डी ने छोड़ा नहीं , आखिर मेरी ननद थी , अब वो सिर्फ उनके मोटे लंड के बेस पर अंगूठे से दबा रही थी ,कभी उनकी बॉल्स को स्क्रैच कर देती तो कभी मुट्ठी में बॉल्स पकड़ के दबा देती और जिस तरह से वो उनकी ममेरी बहन उनकी ओर देख कर ,मुठियाते हुए मुस्करा रही थी , उस किशोरी की आँखे उन्हें उकसा रही थी ,


बस थोड़ी देर में उनकी हालत ख़राब और हुआ वही जो होना था


वो ऊपर, उनकी बहन नीचे

सटासट , सटासट , गपागप ,गपागप



वो घोंट रही थी , उसके भैया घोंटा रहे थे। जबरदस्त धक्के ,

पर गीता सच में असली ननद थी। आ गयी बीच में ,गुड्डी से बोली ,

" आयी तो तू हो ,अपने मायके से भैया के पास , तो धक्का नीचे से तुंही लगावा। "

और गुड्डी ने हलके हलके धक्के अपने छोटे छोटे चूतड़ उछालते हुए लगाने चालू कर दिए , चुदवासी तो वो न जाने कब से थी और अब ये गीता उसकी सारी सरम लाज ,...सब। ...

और उसके भइया भी ,... वो बोले " काहें आयी हो ,... "

" चोदवाने " खिलखिलाते हुए उनकी बहिनिया बोली।
सच में इसी काम के लिए तो आई है ।
 

Jiashishji

दिल का अच्छा
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ham sab ek hi naav men savar hain, aaap jo writers hain unke baare men sochiye, story post karne men kitani mushkil hoti hai, do tin attempt ke baad hi post ho paati hai aur kuch bhi idhar udhar hua to sb gayab. aur main kooshish karti hun ki har comment ka jvaab bhi dun,... fir adrishya pathkon ke rahte ye bhi nahi andaz lagata hai ki kisi ne kahani padhi bhi ya nahi, aur agali post likhne ki bhi ichaa nahi hoti. aur main ek baar phir vahi kahungi ki bas kahaani se jude rahiye aage ke baare men pata chal jaayegaa. lekin sirf padhiey hi mat jude rahiye comment dete rahiye, kyonki post karne ki dikkaton se mod, super mod aur super super mod sb waakif hain par unka yahi kahana hai ' Paisa do' Paid member bano,... aur main sidhant roop men khilaaf hun ki main unhe free me content provide kara rahi hun unke platform pe lo story padhne ya pics dekhne aate hai aur uskaa bhi paisa,... what cant be cured shall be endured. and thanks again for taking my response in the right spirit.
आप बात बिल्कुल सही है ।
 

arushi_dayal

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भाग १७५



लो मेरे भैया बन गयी घोड़ी


( आरुषि जी से प्रेरित उन्ही को समर्पित, होली के अवसर पर यहपोस्ट )



पति, पत्नी और

वो ( पति की बहिनिया)



दस पंद्रह मिनट में वो भी आ गए ,साथ में चाइनीज खाना।

……………….

लो मेरे भइया बन गयी घोड़ी

डाल दो लौडा कर दो चौड़ी



इनके आने के पहले मैंने गुड्डी को आरुषि दयाल की यह पंक्तिया पढ़वाई थीं तो गुड्डी खिलखिला के बोली,

" अरे आरुषी जी को मेरे मन की ये बातें कैसे पता चल गयीं " तो मैंने उसे हँस के समझाया,

" जिसे तन की सब एक नजर में देख के पता चल जाए उसे डाक्टर साहिबा कहते हैं और जिस बिन देखे मन की बात पता चल जाए उसे आरुषि दयाल कहते हैं , लेकिन ये बोल तेरा मन करता है घोड़ी बनने का "



" एकदम भाभी, आपके साजन का घोड़े जैसा है तो घोड़ी तो बनना बनता है न " वो गुड्डी मेरी ननद कम छिनार नहीं थी , और अभी खाना खाते हुए भी मैं उसे वही दो लाइने बार बार सुना के चिढ़ा रही थी,....


खाना बाद में ख़तम हुआ , इनकी नयी नयी रखैल को हम दोनों ने पहले ही खाना शुरू कर दिया। सामने इत्ते मस्त कच्चे टिकोरे हों तो कौन छोड़ता है। उसकी वही हाईस्कूल वाली फ्राक , और अब तो ब्रा का कवच भी नहीं था कच्ची अमिया के ऊपर , हम दोनों कुतरने लगे , वो हलके हलके प्यार से , और मैं कचकचा कर।


कुछ देर में हम तीनों बेड रूम में थे , और ननद रानी की फ्राक जमीन पर ( उसके अलावा कुछ पहना भी नहीं था उसने ).

बस उस को हम दोनों ने बाँट लिया , बाएं वाला उस छिनार के बचपन के यार के हिस्से , और दाएं वाला मेरे।



यही तो मैं चाहती थी उनकी इस सो कॉल्ड सीधी साधी बहना की हम दोनों मिल के बिस्तर पर , ... और आज तो गुड्डी रानी की ऐसी की तैसी होने वाली थी , और ये बस शुरुआत थी।

सच में मैं उनको ब्लेम नहीं करती , स्साली के नए नए आये छुटके जुबना थे ही ऐसे , किसी का ईमान डोल जाय। मैं कभी हलके से तो कभी कचकचा के उसकी कच्ची अमिया कुतर रही , दांतो के निशान पड़ने हो तो पड़ें ,



कुछ देर में हम दोनों के कपडे भी फर्श पर ,जहाँ गुड्डी की फ्राक पड़ी थी।

हाँ अपने भइया की शार्ट तो उसी ने खोली ,और जैसे बटन दबाने पर स्प्रिंग वाला चाक़ू उछल कर बाहर , उसी तरह वो मोटा मूसल भी ,एकदम खड़ा तना ,तन्नाया ,बौराया।

और हम दोनों ने साथ चाटना शुरू कर दिया ,जैसे दो सहेलियां मिल कर लॉलीपॉप चाटती हैं , बस उसी तरह से। एक ओर से उनकी किशोर ममेरी बहन की जीभ सपड़ सपड़ और दूसरी ओर से मेरी जीभ लपड़ लपड़ लंड के बेस से लेकर , एक दम ऊपर तक , कभी सुपाड़े को वो अपनी जीभ से चाटती तो कभी मैं , और फिर लिक करते हुए वापस लंड के बेस तक , मस्त लिक कर रही थी वो अपने भैया के खूंटे को एकदम जैसे कोई हाईस्कूल वाली लड़की सॉफ्टी चाटती है ,


बिचारे उनकी हालत ख़राब हो रही थी , पर हालत तो उनकी तबसे ख़राब थी जबसे उनकी इस बहना पर जवानी चढ़ी थी ,




'सॉफ्टी ' शेयर करते हुए मैं और गुड्डी एक दूसरे को देख भी रहे थे ,मुस्करा भी रहे थे , सुपाड़ा उनका गजब का कड़ा , तना , और मुझसे नहीं रहा गया ,

गप्प

पूरा सुपाड़ा मैं घोंट गयी और चूसने चुभलाने लगी , नीचे का हिस्सा उनकी टीनेजर बहन के हिस्से में था , पर मेरे रसीले होंठ सरकते हुए और नीचे ,और नीचे , ,

मेरे और मेरी ननद की लार ने इनके लंड को एकदम मस्त चिकना कर दिया था और सटक लिया मैंने आधे से ज्यादा , पांच छह इंच , ... गुड्डी की जीभ अब सिर्फ बेस के आसपास ,

एक पल के लिए मैंने होंठ बाहर किये और अपनी ननद को समझाया ,

" अरे यार बाँट लेते हैं न , मैं गन्ना चूस रही हूँ तो तू रसगुल्ले का मजा ले न। "

समझ तो वो गयी ,पर जो नहीं समझी तो मेरे हाथ ने समझा दिया।

अबकी गन्ना आलमोस्ट पूरा मेरे मुंह के अंदर और मेरे हाथ ने मेरी किशोर ननदी के होंठ उनके बॉल्स पर , और उस नदीदी ने उनके एक बॉल को अपने रसीले होंठ के बीच गड़प कर लिया ,और लगी चूसने चुभलाने। उनका गन्ना अब सीधे मेरे हलक पर ठोकर मार रहा था , मैं मजे से उस मोटे मीठे डंडे को चूस रही थी , और इनकी ममेरी बहन इनके पेल्हड़ ( बॉल्स )को



मैंने गुड्डी को जरा सा इशारा किया तो उसने पैतरा बदला और अब दूसरा वाला उस किशोरी के मुंह में था , कुछ देर तक तो बारी बारी से उसने ,फिर एक बार बड़ा सा मुंह उसने खोला , कल जैसे गीता ने उसका मुंह खोलवाया

और

गप्प



दोनों रसगुल्ले उनकी ममेरी बहन के मुंह में ,

पूरा खूंटा मेरे मुंह में ,... कुछ देर चूस के मेरे होंठ खूंटे को चाटते हुए ऊपर और एक बार फिर मेरी जीभ उनके पेशाब के छेद को छेड़ रही थी ,सुरसुरी कर रही थी ,

मेरी ननद ने भी मेरी देखा देखी दोनों बॉल्स को आजाद किया पर उसकी जीभ अब बॉल्स को कस कस के चाट रही थीं और जैसे ही मेरे होंठ सरकते हुए एक बार फिर उनके बालिश्त भर के लंड के बेस तक पहुंचे ,

मेरी टीनेजर ननद ने ,एक बार फिर से रसगुल्लों को अपने मुंह में लेकर चूसना चुभलाना शुरू कर दिया।

बीबी और बहन के इस डबल अटैक ने उनकी हालत खराब कर दी थी , वो सिसक रहे थे चूतड़ पटक रहे थे , पर अभी तो बाजी हम दोनों के हाथ में थी। मै कसकस के चूस रही थी और उनकी बहन भी ,
कोमल जी...मैं वास्तव में आपकी ऋणी हूं। आपने मेरी चंद पंक्तियों को इतना महत्व और सराहना दी है। हमेशा कुछ ऐसे संबंध होते हैं जो पवित्र होते हैं लेकिन हमेशा वांछित होते हैं। जिस तरह से आप अपनी कहानी में संबंधों को चित्रित करते हैं, वह किसी को भी उसके मोह के बारे में सोचने पर मजबूर कर सकता है। भाई और बहन के बीच यौन अनुभव को बहुत अच्छी तरह से चित्रित किया गया है

जीवन की सिर्फ वही है मौज

भइया जब चोद बहना को रोज
 

komaalrani

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लो उनका दीदार हुआ, रंग बरसे दिन मज़ेदार हुआ

अब तक तो बस होली थी, अब मेरा त्यौहार हुआ


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बहुत ही बढ़िया प्यारी पिक्चर है और उतनी ही मस्त दोनों लाइनें,... जबरदस्त

आभार आपका इस थ्रेड पर पधारने का और इसे शेयर करने का

धन्यवाद, कोटिशः आभार
 
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jpjindal

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भैया भी भाभी भी



और मेरी ननद की रगड़ाई देख कर अब मेरी चूत में भी चींटे काट रहे थे।

" ननद रानी , तेरी बुर में तो मेरे मरद का मोटा लौंड़ा घुसा हुआ है ,मेरी बुर का क्या होगा , चल चाट मेरी बुर और सिर्फ चाटने से ही नहीं होगा , झाड़ना भी होगा। " झुक कर मैंने अपनी टीनेजर ननद के गाल की चुम्मी ली ,उसके कान में बोला और ठीक उसके चेहरे के ऊपर ,...

………………………
उस शोख किशोरी ने अपने होंठ खोल दिए थे और मेरे निचले होंठ , सीधे उसके भीगे शहद से मीठे होंठो पर , और हलके हलके उसके होंठ मेरे निचले होंठों पर रगड़ रहे थे ,घिसट रहे , कुछ ही देर में उसने चूसना भी शुरू कर दिया। मैंने थोड़ा और जोर बढ़ाया और अब मेरी बुर गुड्डी के होंठों से चिपकी। मेरा मुंह मेरे सैंया की ओर ,...

अब गुड्डी रानी को हम दोनों ने बाँट लिया था ,चूत उस किशोरी की उनके हिस्से में बाकी उसके ऊपर का सब कुछ मेरे हिस्से में ,... आखिर भाभी थी उसकी।

एक हाथ ने फिर कच्ची अमिया का रस लेना शुरू किया और दूसरे हाथ ने नीचे , कभी मैं उसकी पतली कमरिया सहलाती तो कभी पान के पत्ते ऐसे चिकना पेट।
थोड़ी देर में गुड्डी की क्लिट मेरे अंगूठे और तर्जनी के बीच , कभी सिर्फ सहलाती कभी रगड़ देती। पता नहीं कितनी बार वो झड़ने के करीब आयी , पर हम दोनों में यह तय था , आज इसे जल्दी नहीं झड़ने देना है ,तड़पने देना है। मैं जोर जोर से अपनी बुर अपनी ननद के मुंह पर रगड़ रही थी ,घिस रही थी और अब गुड्डी ने अपनी जीभ भी मेरी बुर में ठेल दी।

गोल गोल ,ऊपर नीचे ,

मैं उनकी ओर देख के मुस्कराती , वो अपने होंठ मेरे ओर बढ़ाते और मैं कस के उन्हें चूम लेती . फिर तो अगला धक्का इतना करारा लगता की बस गुड्डी की रग रग कराह उठती।

हम दोनों मिल कर उस मस्त गुड़िया को कुचल मसल रहे थे , बिना किसी रहम के

रहम के लिए थोड़ी में इतनी मुश्किल से उसे फंसा के लायी थी।

और जब लगता की हम दोनों से दबी उनकी ममेरी बहिनिया झड़ ही जायेगी तो बस वो मुझे देख कर मुस्कराते और मेरे लम्बे नाखून
कभी उनकी बहन के निप्स पर ,कभी क्लिट पर ,... जोर से गड़ जाते , और दर्द की लहर ,...
पर थोड़े देर में ही वो मस्त माल , कभी चूतड़ उचकाती तो कभी सिसकने की कोशिश करती ,

मैंने अपने नितम्ब गुड्डी के चेहरे से हटाया,दोनों चूतड़ खोला अपना पूरी ताकत से ,

" मुंह खोल ,पूरा ,...और बड़ा , ...सुन साफ़ साफ़ अगर मुंह बंद हुआ तो एक हाथ से तेरी नाक दबाऊँगी दूसरे से टेंटुआ , सांस के लिए तरस जायेगी। चाट ,... अरे अभी यार अपने भइया की गांड तो इत्ता मस्त चाट रही थी , अब भाभी का ,... "

और जब तक वो कुछ समझती ,मुंह बंद करने की कोशिश करती , मेरी खुली गांड का छेद सीधे मेरी ननद के मुंह पर , ... और अब वो चाह कर भी अपना मुंह नहीं बंद कर सकती थी। मैंने उसे वार्न करने के लिए अपना एक हाथ उसके नथुने पर रखा ,पर उसकी जरूरत नहीं पड़ी।

लौंडिया समझदार थी ,
उसकी जीभ लपड़ सपड़

अब मेरी हालत खराब हो रही थी ,किसी कुंआरी किशोरी की जीभ पहली बार वहां ,...

मेरे हाथ अब गुड्डी के जुबना पर तो कभी क्लीट पर ,
पर गुड्डी भी कम नहीं थी , फास्ट लरनर

मेरी पक्की ननद , कुछ देर में उसकी जीभ मेरे पिछवाड़े वाले छेद के अंदर ,

और साथ में ही गुड्डी के हाथ मेरे आगे के आग लगे छेद पर ,दो उंगलिया , अंदर अंगूठा क्लीट पर ,
मैं भी अब जोर जोर से गुड्डी का क्लिट रगड़ रही थी ,
इनके धक्के भी तूफानी हो गए थे ,हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,


झड़ी सबसे पहली गुड्डी ,फिर ये और साथ में मैं ,

हम तीनो साथ साथ देर तक झड़ते रहे ,रुक जाते फिर झड़ते ,... और जैसे बेहोश , ... कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर ,

मेरी निगाह खुली तो ये अभी भी गुड्डी के अंदर धंसे , थोड़ी सी रबड़ी मलाई बाहर छलक गयी थी।

गुड्डी के होंठों पर मेरा रस ,

उन्होंने जैसे ही अपना मूसल निकाला मेरी उँगलियाँ ननद की चूत , और रबड़ी मलाई सीधे उसकी चूत से उसके चेहरे पर। अच्छी तरह फेसियल करा दिया मैंने उसका , लिथड़ लिथड़ कर। …….और मैंने अपनी ननद को चूम लिया।

मेरे मरद के वीर्य से लिथड़ा चुपड़ा उस किशोरी का ,उनकी ममेरी बहन का चेहरा सच में बहुत प्यारा लग रहा था। मीठा मीठा।
nailed it...
 

komaalrani

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अगर गुड्डी बाजी न हारती तो इतना मजा कैसे मिलता । यहां तो हारने वाला भी जीतता है।
क्या बात कही आपने, वाह हार कर भी जीत मिलती है, एकदम सही।
 
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