***** *****'दीदी' की ले ली
मिश्रायिन भाभी और मंजू बीच में एक दूसरे को देखकर मुश्कुरा रही थी। मिश्रायिन भाभी ने गियर बदला और दीदी की चूत पे हमला तेज किया। अब उनकी दो उंगलियां दीदी की चूत में तेजी से गोल-गोल घूम रही थी। और अंगूठा क्लिट पे। हथेली का निचला हिस्सा भी चूत को रगड़ रहा था और दूसरा हाथ, दीदी की चूची पे। एक चूची मंजू मसल रही थी तो दूसरी वो, और दोनों काम प्रवीण महिलाओं के बीच मुकाबला चल रहा था की दोनों मैं कौन ज्यादा एक्सपर्ट है चूची मर्दन में।
दीदी अब खूब जोर से चूतड़ उचका रही थी, सिसक रही थी और अबकी वो जब झड़ने के कगार पे पहुँची तो मिश्रायिन भाभी रुकी नहीं बल्की झुक के उनकी क्लिट अपने होंठों के बीच दबा लिया और जोर से चूसने लगी। दीदी झड़ रही थी। जोर से झड़ रही थी लेकिन मिश्रायिन भाभी रुकी नहीं, हाँ एकाध पल के लिए। कुछ देर के बाद उनकी रफ्तार धीमी हुई। लेकिन फिर वही। तीन-चार मिनट के अन्दर दीदी दुबारा किनारे पे थी और अबकी मिश्रायिन भाभी ने अंगूठे और तरजनी के बीच क्लिट मसलना शुरू कर दिया और मंजू को इशारा किया जिसने खूब जोर से दीदी का निपल पिंच कर दिया। दीदी के दोनों निपल एकदम खड़े थे जिससे लग रहा था की उन्हें कितनी मस्ती छाई है।
कुछ ही देर में दीदी तीन-चार बार झड़ गई। और अब उनकी चूत से खूब पानी बाहर आ रहा था। उसका फायदा उठाकर मिश्रायिन भाभी ने अपनी तीन उंगली पेल दी, एकदम जड़ तक। दी के चेहरे पे दर्द उभर आया। लेकिन खूब तेजी से मिश्रायिन भाभी ने उसे अन्दर-बाहर करना शुरू किया और दूसरे हाथ से जोर-जोर से क्लिट मसलना शुरू किया। दर्द सिसकियों में बदल गया और दीदी ने एक बार फिर से झड़ना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में वो थेथर हो गईं बुर पूरी तरह रस से लिपटी।
एक बार झड़ना बंद नहीं होता की दूसरी बार शुरू हो जाता। लेकिन मिश्रायिन भाभी और मंजू की जुगलबंदी रुकी नहीं। मंजू अपनी बुर से दीदी के मुँह को सील किये हुए थी इसलिए बिचारी चीख चिल्ला भी नहीं सकती थी। तब तक मेरी भाभी, ननदों के झुरमुट से किसी तरह से छूट के आ गई लेकिन उनकी ब्रा आलमोस्ट खेत रही। किसी तरह उनके उभार को बस कवर कर रही थी और उनके आँगन में पहुँचते ही मिश्रायिन भाभी के चेहरे पे मुश्कान नाच उठी।
उन्होंने कुछ हाथ से इशारा किया और मेरी भाभी किचेन की ओर मुड़ पड़ी।
और वो जब बाहर आई तो उनके हाथ में नारियल के तेल की बोतल थी। जो उन्होंने मिश्रायिन भाभी को दे दी। और दीदी के जांघों के बीच जो मोर्चा अब तक मिश्रायिन भाभी ने सम्हाल रखा था, खुद सम्हाल लिया।
मंजु से भी उन्होंने कुछ इशारा किया। फर्क सिर्फ इतना था की पहले दीदी की चूत में उंगली थी और अब भाभी के होंठ जोर-जोर से किस कर रहे, चाट रहे, कसकर चूस रहे थे।
लेकिन मैं मिश्रायिन भाभी को देखकर चकित था। पहले उन्होंने अपनी सब चूड़ियां दाए हाथ से निकाली, फिर एक मोटा भारी कंगन था, वो उतारा और फिर दो अंगूठियां उन्होंने पहन रखी थी वो भी निकाल दी। मेरी मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।
अब भाभी जो नारियल का तेल लायीं थी वो उन्होंने अपने बाएं हाथ में लिया और फिर उससे दायें हाथ में तेल की मालिश शुरू कर दी। लेकिन इतना भी जैसे काफी नहीं हो। दायें हाथ की सारी उंगलियां उन्होंने जोड़ी। और उपर से सीधे बोतल से तेल गिराना शुरू कर दिया। अब दायां हाथ कलाई तक, बल्की आलमोस्ट कुहनी तक नारियल के तेल में डूब गया था। बारी-बारी से भाभी और मंजू, उन्हें देखती और दोनों शरारत से मुश्कुराती। दीदी के देखने का सवाल ही नहीं था की क्योंकि मंजू उनके ऊपर चढ़ी हुई थी और कभी अपनी बुर, और कभी गाण्ड मुँह पे रगड़ रही थी, उनके दोनों हाथ भी उसने पकड़ रखे थे।
मेरी भाभी भी। उनका सिर दीदी की दोनी खूब चिकनी गोरी, रेशमी जवान जांघों के बीच झुक हुआ था और अपने तगड़े हाथों से उन्होंने दीदी की जांघों को बुरी तरह फैला रखा था। और भाभी की जीभ दीदी के निचले होंठों पे लप-लप हो रही थी। उन्होंने थोड़ी देर जोर-जोर से चाटने के बाद दीदी की चूत को अपने दोनों होंठों के बीच भींच लिया और जोर-जोर से रस लेने लगी।
भाभी भी कम कन्या प्रेम में प्रवीण नहीं लग रही थी। जैसे कोई बनारसी लंगड़े आम की फांक मुँह लगा लगाकर चाटे चूसे, वो उसे उसी तरह चाट रही थी, जोर-जोर से चूस रही थी। उनके गोरे सलोने होली के रंग गुलाल से लिपटे गालों पे अब दीदी का चूत रस चमक रहा था। फिर उन्होंने आराम से अपनी दोनों उंगलियों से दीदी की चूत के दोनों फांक फैलाए और उसके बीच अपनी चूत, जैसे कोई मर्द लण्ड ठेलता है ठेल दिया। भाभी की ठुड्डी अब दीदी की चूत के बेस पे और लम्बी सुतवां नाक, दीदी की जोश में आई उभरी बौराई क्लिट पे बार-बार रगड़ खा रही थी।
भाभी की इस चुसाई और चटाई का नतीजा वही हुआ जो होना था। दीदी थोड़ी देर में बार-बार आँगन में, रंगों से लथपथ अपने भारी भारी चूतड़ पटक रही थी, मचल रही थी, उछाल रही थी। लेकिन मेरी भाभी भी मिश्राइयिन भाभी से कम नहीं थी की अगर जिस ननद पे उन्होंने घुड़सवारी कर ली उसे, मंजिल तक पहुँचा के ही छोड़ती थी, वो लाख अपने सवार को हटाने की, पटकने की कोशिश करे।
और हुआ वही। दीदी थोड़ी देर में ही जोर-जोर से झड़ने लगी। लेकिन भाभी रुकी नहीं चूत चूसती रही जुबान से उसे चोदती रही, कोई मर्द क्या चोदेगा जिस जोश से भाभी चोद रही थी और थोड़ी देर में दीदी फिर झड़ने लगी। इस तरह तीन-चार बार दीदी को झाड़ने के बाद भाभी ने अब सीधे उनकी क्लिट चूसनी शुरू की। दीदी चूत रस में लथपथ थी। वो बार-बार चूतड़ पटक रही थी लेकीन भाभी रुकने का नाम नहीं ले रही थी।