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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

motaalund

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Part 175
please do read, enjoy, like and comment

happy holi



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प्रापर्टी, सास, गुड्डी- लाल डायरी का रहस्य


"नयी देवरानी" की पिलानिंग





" दीदी आप भी जबरदस्त हो , पक्का लेकिन आपके देवर, ... " हंसती हुयी वो छुटकी बोली।

" अरे अब तक जैसे काम चलाते थे चलाएंगे, नहीं तो जिस छेद से निकले हैं वो उसी में धक्कम धुक्का करेंगे,...और फिर वो तो खाली पढ़ने लिखने में लगा रहता है उसको तो ये भी नहीं मालूम होगा की छेद कहाँ होगा , तुझी को पकड़ के सटाना पडेगा " जेठानी ने उसी तरह जवाब दिया।



" वो काम तो मैं अँधेरे में भी कर लूंगी, वो मेरे ऊपर छोड़ दीजिये सास ननद को आप चोदना, आप के देवर को मैं चोद दूंगी। " हँसते हुए वो 'होने वाली देवरानी' संदीप का माल बोली।





"थोड़ा चीखना चिल्लाना भी बेचारे को यही भरम रहे की बंद सील मिल रही है। " जेठानी ने और ज्ञान दिया

" अरे आपके कमरे तक सुनाई पडेगा , होने वाली सासू माँ भी सुन लेंगी , ... आपकी सिखाई हुयी हूँ , आपकी छोटी बहन " छोटी बोली। और फोन रख दिया।



तो पहली बात थी की शादी जिस से होने वाली थी वो पहले से ' लोडेड' और दूसरे वो जैसी भी थी शादी के बाद उनको मिलती भी नहीं , मायके के यारों से ही ,...


और एक बात और थी जो मुश्किल से समझ में आयी , लेकिन डायरी में साफ़ हो गया ,

ससुर जी ने कुछ ऐसी विल कर रखी थी की सारी पैतृक प्रॉपर्टी , जिसमें गाँव का घर जमीं , शहर का घर सब कुछ दोनों बहुओ के नाम , ... लेकिन जब तक दोनों की रजामंद न हो , एक तिनका भी इधर से उधर नहीं हो सकता था। ससुर जी ने ये शायद सोचा होगा की घर में झगड़ा बहुएं करवाती हैं, तो अगर दोनों एकमत रहें शायद इसी बहाने , और एक पेंच उन्होंने और लगा दिया था की , बहुओं को अपने पतियों की कंसेंट या नो ओबजक्शन भी लेना होगा , सास जी जबतक रहेंगी , जीवन भर उन्हें घर में रहने का हक होगा और भरण पोषण भी करना होगा।

तो जेठानी जी ने हफ्ते भर के अंदर कंसेंट जेठ जी से ले लिया था। और प्लान उनका यही था की देवरानी भी उनके कंट्रोल वाली आ गयी तो उसे भी सीखा पढ़ा के , पहले तो देवर से कंसेंट फिर सारी प्रापर्टी दोनों के नाम चढ़ जाती ,

लेकिन मामला इत्ता सिंपल भी नहीं था,... और प्रापर्टी भी कम नहीं थी , और ये सब बातें भी मुझे जेठानी और जिसे वो देवरानी बना के लाना चाहती थीं उन की बातों से उजागर हुयी जो जेठानी ने जस की तस दिन घडी के साथ लाल डायरी में अपने हाथों से लिख रखी थी ताकि सनद रहे और खुद उनके खिलाफ काम आये।

शहर में तो सिर्फ एक बड़ा सा मकान था , लेकिन गाँव में खूब बड़ा सा दो खंड का घर ,



सामने दो दो कूँवे , बगीचा , और कई आम के बाग़, खेत,...





लेकिन सब कुछ बटाई पर , हाँ बुआई और कटाई के समय सास जी जाती थीं और कभी कभी जेठ जी भी साथ साथ, सब नाऊ कहार काम करने वाले पुराने ज़माने के, ... और बटाईदार भी ससुर जी के जमाने से, ... तो होनेवाली देवरानी जो प्री लोडेड थी, और घर के वंश का चिराग दहेज़ में साथ लाने वाली थी उसने आइडिया दिया,...



" अगर आप कह रही हैं दी, आप के देवर दी, इत्ते सीधे हैं तो उन्हें तो मैं दो दिन में पेटीकोट के नाड़े में बाँध दूँगी , आप के इशारे पे चल के। और जैसे जैसे आप ने सिखाया है चौथे दिन , चौथी के पहले कागज साइन करा लूंगी,... बस वो अपने बड़े भैया से जरूर पूछेंगे,.. "


बात काटती हुयी हँस के जेठानी बोलीं, " अरे उन की चिंता न कर, बस तू आ जा , तेरे जीजा तो,... उनकी तो ऐसी एक चाभी मेरे पास है , उनके सामने तेरी उस कंटाइन सास को मैं नंगे भी भी नचा दूँ तो वो कुछ नहीं बोल सकते,... वो मैं जैसे कहूँगी वैसे ही तेरे वाले से कहेंगे,... "



होने वाली खुश होके बोली,

"दी आप हैं तो चिंता क्या है, पर मैंने कल रात में संदीप भैया से बात की थी , तो उन्होंने एक बात पते की बोली, ... कागज़ आ जाने से पूरा नहीं होगा, पहले गाँव वाला सब कुछ दाखिल खारिज या पता नहीं क्या बोलते हैं , हम दोनों के नाम से वसीयत के हिसाब से करवाना पड़ेगा , और हो सकता है कुछ रजिस्ट्री आफिस का भी काम हो , उसके पहले लेखपाल से सब जमीन की खतौनी का नंबर , ... और भी पता नहीं क्या,...

मैंने कहा भईया आप जानो , तो वो बोला,... आप तो जानती हैं भैया खुद तहसील आफिस में ऊँची पोस्ट पे हैं और ऊपर से उनका असर ,...

तो वो बोले की उस तहसील का नायब तहसीलदार भी मेरा जानने वाला है और एक सब रजिस्ट्रार भी , एक दो दिन में जा के सब पता कर लूंगा , सब डिटेल,... हो सकता है लेखपाल को कुछ खिलाना विलाना पड़े ,



जेठानी ने दूर होने के चक्कर में अपनी होने वाली देवरानी को गले तो नहीं लगाया लेकिन फोन पर बलैया ले ली,... और बोलीं


"ये अच्छा आइडिया दिया तूने ,... संदीप को काम लगाते हैं वो तहसील में है भी ,... लेकिन ये बता की सिर्फ जमींन खेत बतियाया या चोदा भी,..."

होने वाली देवरानी देर तक खिलखिलाती रही फिर बोली ,

"दी ,आप तो जानती हैं उसको , चूत का भुखड़,... चुदाई पहले , ... और जब से उस का मुन्ना पेट में आया है कोई रात नहीं जब तीन बार से कम कभी नहीं,... ""

" लेकिन बच्चा , पेट दबता तो नहीं ,... "

जेठानी ने चिंता जाहिर की उन्हें अपने वंश के चिराग की चिंता बहुत ज्यादा थी ,आखिर इसी नाम पे तो सास को पटाया था ,...

" अरे नहीं दी , बच्चे की चिंता मुझसे ज्यादा बच्चे का बाप करता है,... पीछे से निहुरा के , दोनों चूतड़ उठा के,...




या तो मैं ऊपर आ जाती हूँ ,... आखिर आप के देवर को भी चोदना है , वो बेचारा नौसखिया,... तो मेरी अच्छी प्रैक्टिस भी हो रही है ,... " हँसते हुए होने वाली देवरानी बोली।




" और जब हम दोनों के नाम हो जायेगी तो उस के बाद,... कुछ सोच के जेठानी बोलीं,... धीरे धीरे सब बटाईदारों को बदलना पडेगा , सब के सब सास के वफादार हैं और ये काम मैं तेरे जेठ से कराउंगी ,... हम तुम चलेंगे साथ ,... गाँव वालो को भी मालूम हो जाए की निजाम बदल रहा है। ...

" एकदम दी , ... और न हो तो आज कल फ़ार्म हाउस का बड़ा फैशन है , और वो गाँव सड़क और शहर दोनों से बहुत दूर भी नहीं है ,... तो फ़ार्म हाउस बनवा देंगे,... शादी ब्याह के सीजन में , कभी कभी पार्टी में ,... अरे साल में महीना डेढ़ महीना भी उठ गया,... और जब खाली होगा तो हम दोनों , संदीप भैया को भी बुला लेंगे,... " छोटी बोली।

" तू सही कह रही है , संदीप का दिमाग बहुत तेज चलता है इन सब बातों में और तहसील में उसकी इज्जत भी बहुत है ,... " जेठानी ने हामी भरी , तो होनेवाली देवरानी ने अगला सवाल ये पूछ दिया ,..

" और दी , वो गाँव से तो फसल वसल का काफी पैसा निकलता होगा , वो किसके खाते में आता है ?"



और जेठानी बिफर पड़ीं,...

" नागिन है नागिन , खजाने पर कुंडली मार के बैठी है , कहने को ससुर जी ने हमको तुम को ,... लेकिन प्रापर्टी मिलने के दस साल के अंदर कुछ भी नहीं बेच सकते ,... "


"बात काटती हुयी हँस के जेठानी बोलीं, " अरे उन की चिंता न कर, बस तू आ जा , तेरे जीजा तो,... उनकी तो ऐसी एक चाभी मेरे पास है , उनके सामने तेरी उस कंटाइन सास को मैं नंगे भी भी नचा दूँ तो वो कुछ नहीं बोल सकते,... वो मैं जैसे कहूँगी वैसे ही तेरे वाले से कहेंगे,... "

बेहतरीन अपडेट कोमल जी,
और सबसे अच्छी बात ये है आपकी लेखनी मै की आप मनोविज्ञान का या कोई अव्यक्त सन्देश का बेतरीन उपयोग करती हैं जो कई बार छुपा हुआ होता है. जैसा की इन ऊपर लेखे शब्दों मै हुआ है. इस कहानी की नायिका कोमल और उसकी जेठानी के पति दोनों किसी न किसी परेशनी से घिरे हुए थे. कोमल का पति सेक्सुअल डेप्रेवशन और बिसुअल behaviour से और जेठानी का पति भी shayad किसी प्रॉब्लम से घिरा हुआ है जो कहानी मै जयादा खुलकर नहीं बताया गया है. एक तरफ कोमल ने आपने पति की प्रोब्लेम्स को समझा और उससे accept किया और उसे इसमे से निकलने मै मदद की वहीँ दूसरी और जेठानी ने आपने पति को अपमानित और नियंत्रण मै rakhne की कोशिश की. उसी का परिणाम है की कोमल अब खुश है और वहीं जेठानी अब छनछनाती रहती है.

वैसे आम जिंदगी मै भी तो यही होता है. हम सब आपने partner मै perfection ढूँढ़ते रहते हैं. मगर परफेक्ट तो कोई होता नहीं है. और शायद यही सारी परेशानियों का कारन है. हमें आपने साथी की imperfection को वैसे ही अपनाना होगा जैसे कोमल ने इस कहानी मै किया है.
 

motaalund

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दुनिया की पहचान है नारी,
हर घर की जान है नारी।
बेटी, बहन, माँ और पत्नी बनकर,
घर घर की शान है नारी।।

Happy women’s Day

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नारी के बिना घर घर नहीं होता..
 

motaalund

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बधाइयाँ अंतराष्ट्रीय नारी दिवस की





यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।। मनुस्मृति ३/५६ ।।



Anvaya: यत्र तु नार्यः पूज्यन्ते तत्र देवताः रमन्ते, यत्र तु एताः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः (भवन्ति) ।

जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।
Where women are worshiped, there lives the Gods. Wherever they are not worshiped, all actions result in failure.
महिला दिवस की शुभकामनाएं
 

motaalund

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On the day of IWD a perfect picture by Arushi Ji, ,most apt and befitting to you, thank so much. I am always against commodification and objectification of women even in erotic stories and try to present her point, your picture, attitude and approach gives me strength, may your tribe increase.🙏🙏🙏🙏🙏
सही कहा... नारी अपनी सभी भूमिकाओं में अनन्य है...
यह चित्र आत्मविश्वास से भरी नारी के भावनाओं को उचित ढंग से चित्रित करता है...
 

motaalund

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Dedicated to Arushi's post on Women's day


when i first wrote JKG ( this story ) it was in English and had a marginally different slant, and i am sharing the last part where the story JKG ended.


[FONT=Lobster, cursive]this also underlines the spririt of story and spirit of IWD.[/FONT]


I had sent an article about ‘feminine approach’…it was basically in reference to “Make poverty history”.
I had suggested a three fold approach to this issue.
First was that defence spending, it is 2.5 % of GDP and more over the way it is increasing…touching, 1204 billion dollars in 06, US spending more money than any other country, and its defence budget which was 300 Billion dollars in 2001 is now crossing 700 Billion dollar. If was can divert most of it to development….and shutting down of defence conglomerates will not only release financial capital but human capital, scientists administrators, managers…it will unleash huge amount of human capital. And then the issue of environment most important global concern now, In 2006, the US operations in Iraq and Afghanistan burned about 16 gallons of fuel per soldier on average per day , almost twice as much as the year before. The US Air Force spends about $5 billion a year on fuel, mostly to support flight operations. The Navy and Army are close behind. But the big issue was how…peaceniks are talking about since centuries, but business interests all over the world favors things other wise.



But the question of influencing decision comes next and that was the third corner stone, where ‘feminine approach’ came.

Enron, Taliban and Roman ******** Church have one thing in common, they never permitted women to go on top, and we know where they are now. I presented a study of 50 companies led by business women and compared it to those where strong masculine culture is prevalent, and indicated that how growth is faster and smother in first category. My focus was not on gender issues, but attitudes and value systems which define its organizational culture. It was typically Atenian vs Spartan, Athenian loved to love, enjoy and discuss poetry, focused on softer aspects of life and in Sparta; they knew how to fight and liked to fight. My contention was in post competitive, post modern world war is obsolete. We should show care, cooperation and instead of wasting time in fighting learn to show compassion, karuna.
And women innately have that characteristic, that cashmere glove approach. Contemporary successful women leaders do it their way, utilizing the positive feminine characteristics in a visible and conscious way that helps instead of hinders their careers.
And they are by nature opposed to wars and violence as well evidenced in Lysistarta projects which declares ‘The Lysistrata Project recognizes that in the widening spiral of escalation now gripping our world, each act of violence, blamed on the previous one, necessarily begets another. "An eye for an eye," Gandhi said, "leaves the whole world blind.”

My paper had a lot of practical suggestions too, apart from bringing more women to decision making arena, it suggested on focusing more on EQ rather than IQ, along with process, focus on attitudes and cultural issues and went into lot of details. Like it had a suggestion that weekends should be extended to 4 days, where for one and half days people will telecommute, work from home and company will share their household infra expenses as house will be an extension of office. It will save power, maintenance staff, support staff and moreover, commuting hours…on Fridays there will be club afternoons where apart from meeting socially managers can sort our issues in more relaxed atmosphere.



Thanks Arushi Ji as your post goaded me to share almost forgotten past of this story,

Happy Women's day
मैं आप जितना ज्ञानी तो नहीं...
लेकिन यहाँ मैं एक बात अमिष के लेटेस्ट क्रिएशन से जरुर कहना चाहूंगा..
एक बैलेंस्ड अप्रोच जरूरी है...
अगर फेमिनिन कैरेक्ट्रिस्टिस्क्स(यहाँ फिमेल नहीं पढ़ें... बल्कि उनके कैरेक्ट्रिस्टिस्क्स की बात है... जो पुरुषों में भी पाई जा सकती है) हावी जो जाए तो ओवर अ पीरियड ऑफ टाईम समाज कमजोर हो जाता है.... और बाहरी शक्तियाँ उन्हें हराने के लिए.. उनके संसाधनों पर कब्जा जमाने के लिए लड़ाई छेड़ देती हैं... और अंततः अपना सबकुछ लुटा देती हैं...
भारत अपने जिस काल में सोने की चिड़िया था... उसके अगले दो शताब्दी बाद आक्रांताओं के हाथों लुटी हुई स्थिति में आ चुका था...
और ये लूटने खसोटने की प्रक्रिया अगले १२०० साल तक चली आई. और अपना चमक दूसरों के हाथों लुटा बैठी...
विदेशी ताकतें उन संसाधनों के लालच में बार-बार आप पर आक्रमण करती रहेंगी और स्पार्टन कैरेक्ट्रिस्टिस्क्स के बिना आप उनका प्रतिरोध नहीं कर पाएंगे...
इसलिए मेरा मानना है कि दोनों कैरेक्ट्रिस्टिस्क्स में एक संतुलन जरुरी है...
 

motaalund

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इसी छेड़ छाड़ के तो सब दीवाने हैं । जितनी ज्यादा मनुहार । उतना ज्यादा प्यार
मनुहार... प्यार... दुलार... छेड़छाड़... आपने दिल की बात कह दी...
यही बातें इस कहानी का दीवाना बना देती है...
 

motaalund

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ऐसी नन्द भौजाई मिली हैं कि गुड्डू जो नहीं सीख के आई वह सब यही सिखा दिया जाएगा ।
और फिर अपनी गुड्डी तो है ही क्विक लर्नर ।
ये बारी उमरिया ऐसी होती है जिसमें सबकुछ जल्द सीखने की ललक होती है...
 
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