आप भी कमाल की हैं...पिछवाड़े का स्वाद
लेकिन अभी तो खेल सिर्फ चवन्नी का हुआ था , असली खेल तो अभी बाकी था ,
मेरी हाथों की पकड़ अब एकदम ढीली हो गयी थी ,पर उनकी ममेरी बहन , सपड़ सपड़ उनके चूतड़ के छेद पर कभी ऊपर नीचे तो कभी गोल गोल कभी पूरी जीभ से तो कभी सिर्फ जीभ की नोक से ,.... लपड़ लपड़ ,
लेकिन जबतक जीभ अंदर न घुसे गाँड़ में ,अंदर का मजा ,स्वाद न ले ,... तो मेरे भौजाई होने का फायदा क्या ,
वैसे भी गुड्डी की जीभ तीन साढ़े तीन इंच से कम लम्बी नहीं होगी ,मेरी ,गीता मंजू बाई किसी की भी जीभ से ज्यादा लम्बी ,वो अपनी नाक और ठुड्डी दोनों आलमोस्ट,.... एक बार ये मंजू बाई के हाथ लगेगी न , बस दो तीन दिन की बात और है , इसके गाँव जाने के पहले , पक्की गंडचट्टो बना के छोड़ेगी इसे वो , और फिर इतनी लम्बी जीभ तो ,गाँड़ के अंदर तो छोड़िये , गांड का छल्ला पार करवाएगी वो इससे ,
पर अभी तो मैं ,
" हे यार जरा ,सा बहुत ज़रा सा अंदर डाल जीभ , मेरी अच्छी ननदो। "
वो थोड़ा सा सकपकायी , हिचकी ,.... बहुत नेचुरल था ये ,... मैंने कुछ सोचा ,फिर वही ब्रम्हास्त्र चलाया , वो तीर जो फेल नहीं हो सकता था , जवानी आने के पहले से ही ये अपने भैय्या पर ,...
" यार बस ज़रा सा , ... बस एक बार ,... अरे तेरे भैय्या को बहुत मजा आएगा , सच्ची , चाट तो रही ही है तू , बस थोड़ा सा ,... "
वो हिचकिचा रही थी ,मन कर रहा था पर दिमाग रोक रहा था और ऐसे मौके पर थोड़ी सी जबरदस्ती बहुत काम देती है। मैंने उनके गांड के छेद को पूरी ताकत से फैलाया , , उनकी ममेरी बहन की जीभ वही पर थी ,बस एक बार फिर मैंने दोनों हाथ से कस के उस टीनेजर के सर को दबा के पुश किया , और दबा के रखा ,
उसकी जीभ की टिप अंदर थी।
मैंने दबा के रखा और फुसफुसाती रही ,
" अरे यार ,बस ज़रा और , थोड़ा सा ,कोशिश कर न , ... देख तेरे भैया कब से तेरे लिए तड़प रहे हैं ,तू हाईस्कूल में आयी उसके पहले से , अरे यार थोड़ा मजा दे दे , .उन्हें बहुत अच्छा लगेगा , "
और जीभ की टिप का असर उनके ऊपर हुआ , जोर से उन्होंने सिसकी भरी , ओह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह ईईईई उन्हहह्ह।
बस थोड़ा सा और पुश ननद रानी की जीभ धीरे धीरे ऊँगली के एक पोर के बराबर अंदर थी ,
कुछ देर तक तो उसने कुछ नहीं किया ,पर मुझे अपनी ननद पर पूरा विश्वास था , कुछ ही देर के बाद हलके हलके जीभ घूमने लगी , गोल गोल , लपड़ लपड़
मैंने हाथ का जोर हल्का कर दिया , एक हाथ हटा दिया , पर अभी भी गुड्डी के होंठ उनके पिछवाड़े के छेद से चिपका था और जीभ अंदर।
बहुत देर से मेरा ध्यान सिर्फ अपनी टीनेजर ननद की ओर था , अब मैंने उनकी ओर देखा मस्ती में उनकी आँखे बंद थी , अपनी बहन से चुसवाते , चटवाते , रुक रुक के सिसक रहे थे। और 'वो ' उनका झंडा एकदम तना , कड़ा
मुझसे नहीं रहा गया।
गपुच।
मेरे कोमल हाथ ने हलके से उसे पकड़ लिया और फिर धीरे धीरे कभी सहलाती तो कभी छेड़ती और तर्जनी की ऊँगली सीधे पेशाब के छेद पर , सुरसुरी करती ,छेड़ती ,
आज मेरे सामने इसमें से मलाई निकलकर इनकी बहना की बुर में जायेगी। मुठियाते हुए कभी कभी मेरी ऊँगली इनके बॉल्स को भी छेड़ देती।
एक साथ दो दो , एक के होंठ पिछवाड़े और दूसरे की उँगलियाँ लंड को छेड़ती सहलाती , कुछ देर के लिए मैंने गुड्डी पर से ध्यान हटा दिया , वो किशोरी अब खुद ही अपने होंठ से इनकी 'स्टारफिश' चूस रही थी , उसकी जीभ , पिछवाड़े के छेद के अंदर सैर सपाटा कर रही थीं।
मेरे दोनों हाथ अब उसके सर के ऊपर से हट गए थे और मेरी टीनेजर ननद खुद ही , ... दो तीन मिनट ही बहुत होते हैं और चार पांच मिनट तक वो अंदर ,... पहली बार के लिए इतना बहुत था।
मैंने खुद उसका सर हटाया और उन्हें चैलेंज किया ,
" हे तुम न ,ये मेरी बारी ननदिया , तुझे इत्ते मजे दे रही है , और तुम आराम से लेटे लेटे , तुम भी तो कुछ करो।
इतना इशारा बहुत था , उन्होंने खुद उठा कर अपनी ममेरी बहन को पलंग पर पीठ के बल ,
झिझक दोनों की हटानी है... साजन और गुड्डी...
खासकर बचपन के प्यार को याद दिला के...