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Thanks so much for nice wordsBilkul Sahi
Thanks so much for nice wordsBilkul Sahi
वो अपनी उपमा आप हैंइसलिए लाजवाब हैं...
और ये तूलिका इन्द्रधनुषी है...अद्भुत
मन की बात जो जुबान पे आते आते रुक जाती है, कहते हैं महिलाये अपनी भवानायें कई तरीके से अभिवयक्त करती है तो उन सब अधकही बातों को जो आपने चित्र का स्वरूप दिया, आप लिखती नहीं हैं पेण्ट करती हैं शब्दों के रंग और कल्पना की तूलिका से
और रंगों के इस पर्व पर आपका स्वागत है मेरे होली के सूत्र रंग प्रसंग पर,
प्लीज प्लीज जरूर पधारें और उस सूत्र पर भी अपने शब्दों और चित्रों के साथ होली खेलें
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Erotica - रंग -प्रसंग,कोमल के संग
https://exforum.live/threads/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8-%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0.126857/page-81भाग ६ -चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी Phagun ke din chaar update postedplease read, like, enjoy and commentतेल...exforum.live
इन्तजार रहेगाअवश्य ... लेकिन उसी थ्रेड पर...
रंग प्रसंग में भी आपने खूब छटा बिखेरी है... लेकिन उसका जिक्र उसी थ्रेड पर...बहुत बहुत धन्यवाद, आभार,....
और अब रंग प्रसंग में यही अमृत मिल रहा है
बिछड़े बटोही से पुनर्मिलन....soni ji aap purani mitra hain agali post bhi thodi der baad aapke comments ka wait karungi
वो इस सम्मान की अधिकारी हैं...इस कहानी का अगला भाग आरुषि जी से अनुप्राणित और उन्ही को समर्पित है
यही संगम तो एक नई ऊर्जा और हलचल उत्पन्न कर देती है...एकदम कहते हैं की क़यामत तब होगी जब दोनों एक साथ आसमान पर नजर आयंगे और आरुषि जी की लाइने किसी क़यामत से कम है क्या। उनकी लाइनों में आफताब की गर्मी और महताब की नरमी और खूबसूरती दोनों हैं.
जा तन लागे वो तन जानेभाग १७५
लो मेरे भैया बन गयी घोड़ी
( आरुषि जी से प्रेरित उन्ही को समर्पित, होली के अवसर पर यहपोस्ट )
पति, पत्नी और
वो ( पति की बहिनिया)
दस पंद्रह मिनट में वो भी आ गए ,साथ में चाइनीज खाना।
……………….
लो मेरे भइया बन गयी घोड़ी
डाल दो लौडा कर दो चौड़ी
इनके आने के पहले मैंने गुड्डी को आरुषि दयाल की यह पंक्तिया पढ़वाई थीं तो गुड्डी खिलखिला के बोली,
" अरे आरुषी जी को मेरे मन की ये बातें कैसे पता चल गयीं " तो मैंने उसे हँस के समझाया,
" जिसे तन की सब एक नजर में देख के पता चल जाए उसे डाक्टर साहिबा कहते हैं और जिस बिन देखे मन की बात पता चल जाए उसे आरुषि दयाल कहते हैं , लेकिन ये बोल तेरा मन करता है घोड़ी बनने का "
" एकदम भाभी, आपके साजन का घोड़े जैसा है तो घोड़ी तो बनना बनता है न " वो गुड्डी मेरी ननद कम छिनार नहीं थी , और अभी खाना खाते हुए भी मैं उसे वही दो लाइने बार बार सुना के चिढ़ा रही थी,....
खाना बाद में ख़तम हुआ , इनकी नयी नयी रखैल को हम दोनों ने पहले ही खाना शुरू कर दिया। सामने इत्ते मस्त कच्चे टिकोरे हों तो कौन छोड़ता है। उसकी वही हाईस्कूल वाली फ्राक , और अब तो ब्रा का कवच भी नहीं था कच्ची अमिया के ऊपर , हम दोनों कुतरने लगे , वो हलके हलके प्यार से , और मैं कचकचा कर।
कुछ देर में हम तीनों बेड रूम में थे , और ननद रानी की फ्राक जमीन पर ( उसके अलावा कुछ पहना भी नहीं था उसने ).
बस उस को हम दोनों ने बाँट लिया , बाएं वाला उस छिनार के बचपन के यार के हिस्से , और दाएं वाला मेरे।
यही तो मैं चाहती थी उनकी इस सो कॉल्ड सीधी साधी बहना की हम दोनों मिल के बिस्तर पर , ... और आज तो गुड्डी रानी की ऐसी की तैसी होने वाली थी , और ये बस शुरुआत थी।
सच में मैं उनको ब्लेम नहीं करती , स्साली के नए नए आये छुटके जुबना थे ही ऐसे , किसी का ईमान डोल जाय। मैं कभी हलके से तो कभी कचकचा के उसकी कच्ची अमिया कुतर रही , दांतो के निशान पड़ने हो तो पड़ें ,
कुछ देर में हम दोनों के कपडे भी फर्श पर ,जहाँ गुड्डी की फ्राक पड़ी थी।
हाँ अपने भइया की शार्ट तो उसी ने खोली ,और जैसे बटन दबाने पर स्प्रिंग वाला चाक़ू उछल कर बाहर , उसी तरह वो मोटा मूसल भी ,एकदम खड़ा तना ,तन्नाया ,बौराया।
और हम दोनों ने साथ चाटना शुरू कर दिया ,जैसे दो सहेलियां मिल कर लॉलीपॉप चाटती हैं , बस उसी तरह से। एक ओर से उनकी किशोर ममेरी बहन की जीभ सपड़ सपड़ और दूसरी ओर से मेरी जीभ लपड़ लपड़ लंड के बेस से लेकर , एक दम ऊपर तक , कभी सुपाड़े को वो अपनी जीभ से चाटती तो कभी मैं , और फिर लिक करते हुए वापस लंड के बेस तक , मस्त लिक कर रही थी वो अपने भैया के खूंटे को एकदम जैसे कोई हाईस्कूल वाली लड़की सॉफ्टी चाटती है ,
बिचारे उनकी हालत ख़राब हो रही थी , पर हालत तो उनकी तबसे ख़राब थी जबसे उनकी इस बहना पर जवानी चढ़ी थी ,
'सॉफ्टी ' शेयर करते हुए मैं और गुड्डी एक दूसरे को देख भी रहे थे ,मुस्करा भी रहे थे , सुपाड़ा उनका गजब का कड़ा , तना , और मुझसे नहीं रहा गया ,
गप्प
पूरा सुपाड़ा मैं घोंट गयी और चूसने चुभलाने लगी , नीचे का हिस्सा उनकी टीनेजर बहन के हिस्से में था , पर मेरे रसीले होंठ सरकते हुए और नीचे ,और नीचे , ,
मेरे और मेरी ननद की लार ने इनके लंड को एकदम मस्त चिकना कर दिया था और सटक लिया मैंने आधे से ज्यादा , पांच छह इंच , ... गुड्डी की जीभ अब सिर्फ बेस के आसपास ,
एक पल के लिए मैंने होंठ बाहर किये और अपनी ननद को समझाया ,
" अरे यार बाँट लेते हैं न , मैं गन्ना चूस रही हूँ तो तू रसगुल्ले का मजा ले न। "
समझ तो वो गयी ,पर जो नहीं समझी तो मेरे हाथ ने समझा दिया।
अबकी गन्ना आलमोस्ट पूरा मेरे मुंह के अंदर और मेरे हाथ ने मेरी किशोर ननदी के होंठ उनके बॉल्स पर , और उस नदीदी ने उनके एक बॉल को अपने रसीले होंठ के बीच गड़प कर लिया ,और लगी चूसने चुभलाने। उनका गन्ना अब सीधे मेरे हलक पर ठोकर मार रहा था , मैं मजे से उस मोटे मीठे डंडे को चूस रही थी , और इनकी ममेरी बहन इनके पेल्हड़ ( बॉल्स )को
मैंने गुड्डी को जरा सा इशारा किया तो उसने पैतरा बदला और अब दूसरा वाला उस किशोरी के मुंह में था , कुछ देर तक तो बारी बारी से उसने ,फिर एक बार बड़ा सा मुंह उसने खोला , कल जैसे गीता ने उसका मुंह खोलवाया
और
गप्प
दोनों रसगुल्ले उनकी ममेरी बहन के मुंह में ,
पूरा खूंटा मेरे मुंह में ,... कुछ देर चूस के मेरे होंठ खूंटे को चाटते हुए ऊपर और एक बार फिर मेरी जीभ उनके पेशाब के छेद को छेड़ रही थी ,सुरसुरी कर रही थी ,
मेरी ननद ने भी मेरी देखा देखी दोनों बॉल्स को आजाद किया पर उसकी जीभ अब बॉल्स को कस कस के चाट रही थीं और जैसे ही मेरे होंठ सरकते हुए एक बार फिर उनके बालिश्त भर के लंड के बेस तक पहुंचे ,
मेरी टीनेजर ननद ने ,एक बार फिर से रसगुल्लों को अपने मुंह में लेकर चूसना चुभलाना शुरू कर दिया।
बीबी और बहन के इस डबल अटैक ने उनकी हालत खराब कर दी थी , वो सिसक रहे थे चूतड़ पटक रहे थे , पर अभी तो बाजी हम दोनों के हाथ में थी। मै कसकस के चूस रही थी और उनकी बहन भी ,
खसम की बहन नहीं खसम की रखैल...मस्त थ्रीसम
खसम, बीबी और खसम की बहन
मैं जानती थी की इन्हे सबसे ज्यादा मजा उस जगह पर आता है ,जो बॉल्स और पिछवाड़े के छेद के बीच में हैं , वहां लिक करने से एकदम उनकी हालत ख़राब हो जाती है ,
एक पल के लिए मैंने इनके खूंटे को आजाद किया ,इनकी ममेरी बहन के कान में फुसफुसाया , समझाया और अपने हाथ से उस टीनेजर के सर को पकड़ के गाइड किया ,
अगर भाई से उसकी बहन को चुदवाना है तो भौजाई को ननद को थोड़ी ट्रेनिंग तो देनी पड़ेगी।
और गुड्डी तो सच में पैदायशी छिनार , क्विक लर्नर ,उसकी जीभ आगे पीछे ,आगे पीछे , लपड़ लपड़
और एक बार फिर मैं भी साथ साथ पहले तो साइड से इनका खड़ा खूंटा चाट रही थी ,फिर गप्प से मैंने मुंह में ले लिया , और एक बार फिर डीप थ्रोट
उस किशोरी की जीभ चाटते चाटते लगता है , इनके पिछवाड़े के छेद पर लग गयी और ये बहुत जोर से चिहुंके और मैंने गुड्डी का सर वही दबा दिया ,
एक बार फिर मेरे होंठ मेरी ननद के कान पर
" अरे यार यही पर चाट , हाँ , हाँ , "
अब मैंने खूंटे को छोड़ दिया था , मेरे दोनों हाथ उनके नितम्बों पर , उन्होंने खुद अपने चूतड़ अच्छी तरह ऊपर उठा दिए और में ढेर सारे कुशन वहां लगा दिए ,
गुड्डी के होंठ अब सीधे , अपने भइया के पिछवाड़े के छेद पर , मैंने कस के उस किशोरी के सर को जकड़ रखा था।
" हे एक चुम्मा ले ,और कस कस के , .. हाँ सीधे वहीँ ले न , एक दम होंठ सटा दे वहां।"
थोड़ी देर तक सकपकायी वो , उचकी भी पर मेरे हाथों की पकड़ के आगे कोई रास्ता बचा भी नहीं था मेरी छुटकी ननदिया के सामने। उस किशोरी इंटर वाली , के रसीले होंठ अपने भैया के पिछवाड़े वाले छेद पर ,और मैंने भी एक बार पूरी ताकत से उनके नितम्बों को फैलाया और गुड्डी के होंठ 'सीधे वहीँ' सेट किया, एक बार फिर मेरे दोनों हाथ हाथ उस नयी आयी जवानी के सर को दबोचे ,पुश करती ,
थोड़ा जोर जबरदस्ती तो करनी ही पड़ती है , और थोड़ा क्यों ,जरूरत पड़ने पर तो ज्यादा भी ,
और अब गुड्डी की लम्बी मीठी शहद सी जीभ लपड़ लपड़ , उसे सिखाने की बहुत ज्यादा जरूररत नहीं पड़ती थी ,बस थोड़ा सा इशारा ,
उस टीनेजर की जीभ , ऊपर से नीचे ,नीचे से ऊपर फिर खुद उसने थोड़ी देर में जीभ की टिप से छेद के किनारे किनारे गोल गोल ,मैंने सर पर पकड़ अपनी हलकी कर दी , फिर भी उनकी ममेरी बहन ने अपने भैया के पिछवाड़े से अपने होंठ नहीं हटाए। मस्ती से उनकी हालत ख़राब थी। कभी चूतड़ उचका रहे थे , कभी सिसक रहे थे , और ये बात मैं ही नहीं उनकी बचपन की माल , भी देख रही थी और समझ रही थी।
लेकिन अभी तो खेल सिर्फ चवन्नी का हुआ था , असली खेल तो अभी बाकी था ,
मेरी हाथों की पकड़ अब एकदम ढीली हो गयी थी ,पर उनकी ममेरी बहन , सपड़ सपड़ उनके चूतड़ के छेद पर कभी ऊपर नीचे तो कभी गोल गोल
कभी पूरी जीभ से तो कभी सिर्फ जीभ की नोक से ,.... लपड़ लपड़ ,
लेकिन जबतक जीभ अंदर न घुसे गाँड़ में ,अंदर का मजा ,स्वाद न ले ,... तो मेरे भौजाई होने का फायदा क्या