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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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बापु शायद आप सही कह रहे हो मगर मुझे इन्हें उतारते हुए शर्म आ रही है। आप ही उतार दो ना" मनीषा ने अपने पिता की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
"ठीक है बेटी मैं ही उतार देता हूँ वैसे भी सही तरीके से नहाने के लिए पूरा नंगा होना ही पड़ता है" अनिल ने अपनी बेटी को उल्टा करके उसकी ब्रा का हुक खोलते हुए बोला।

अनिल ने ब्रा के हुक खोलकर अपनी बेटी को सीधा कर दिया और उसकी ब्रा को मनीषा के जिस्म से अलग कर दिया।
"वाह बेटी तुम भी न देखो तुम्हारी चुचियां कितनी प्यारी हैं और तुम इन्हें क़ैद में रखे हुए हो । थोडा इनको भी ठन्डे पानी का मजा लेने दो" अनिल ने अपनी बेटी की ब्रा के उतरते ही उसकी नंगी चुचियों को घूरते हुए कहा।

शॉवर से गिरता हुआ ठण्डा पानी मनीषा के सर से होता हुआ उसकी गोरी चुचियों को भिगो रहा था । अनिल का लंड अपनी बेटी की चुचियों पर पानी को गिरता हुआ देखकर बुहत ज़ोर के झटके खा रहा था।
"बापु इस बदमाश को अचानक क्या हो गया?" मनीषा ने अपने पिता के झटके खाते हुए लंड को देखते हुए कहा ।
"बेटी यह बेचारा तुम्हारे जिस्म को देखकर पागल हो गया है" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनकर उसकी एक चूचि के दाने को अपनी उँगलियों के बीच लेकर मसलते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह बापू आप भी ना" मनीषा ने अपनी चूचि के दाने के मसलने से चीखते हुए कहा।
"बेटी सच तो कह रहा हूँ। इस बेचारे का तुम्हारी चुचियों को देखते ही यह हाल है तो जब यह तुम्हारी नीचे वाली जन्नत को देखेगा तब तो जाने बेचारे का क्या हाल होगा" अनिल ने अपनी बेटी की चूचि को पूरी तरह अपनी मुठी में भरकर दबाते हुए कहा ।
"बापु अब बातों को छोड़ीये हम यहाँ पर नहाने आये है" मनीषा ने अपने पिता का हाथ पकडकर अपनी चूचि से हटाते हुए कहा।
"ठीक है बेटी" अनिल अपनी बेटी की बात सुनकर अपने हाथ से उसकी पेंटी को पकडकर नीचे सरका दिया और नीचे झुकते हुए अपनी बेटी की पेंटी को उसकी टांगों से अलग कर दिया।
 
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Rakesh1999

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अनिल वैसे ही नीचे झुके हुए अपनी बेटी की नंगी चूत को घूर रहा था और शावर से गिरता हुआ पानी मनीषा के पूरे जिस्म को भिगोता हुए उसकी चूत से होता हुआ अनिल के चेहरे पर गिर रहा था । अनिल ने अचानक अपना मुँह अपनी बेटी की चूत पर रख दिया और उसकी चूत पर गिरता हुआ पानी अपनी जीभ से चाटने लगा ।
"आह्ह्ह्ह बापू क्या कर रहे हो" मनीषा अचानक अपने पिता की जीभ को अपनी नंगी चूत पर महसूस करते ही ज़ोर से सिसकने लगी।
"ओहहहहहह बेटी मुझे प्यास लगी है ज़रा पानी पी रहा था" अनिल ने कुछ देर तक अपनी बेटी की चूत पर गिरते हुए पानी को चाटने के बाद अपना मुँह वहां से हटाते हुए कहा।

"बापु आप भी बड़े बदमाश हो । प्यास लगी थी तो उठकर पानी पी लेते" मनीषा ने अपने पिता की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"बेटी उस पानी में इतना स्वाद कहाँ होता जो यहाँ पर था" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनकर उसकी चूत को घूरते हुए कहा।
"बापु अब साबुन उठाओ और मेरे शरीर पर लगाओ?" मनीषा ने अपने पिता को देखते हुए कहा ।

अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनकर उठते हुए साबुन उठा लिया और अपनी बेटी की पीठ की तरफ जाते हुए साबुन को उसके गोरे चिकने पीठ पर मलने लगा । अनिल अपनी बेटी के पीठ पर साबुन को पूरी तरह मलने के बाद अपना हाथ नीचे ले जाते हुए उसके चूतड़ो तक आ गया ।
अनिल साबुन को अपनी बेटी के चूतडों पर ज़ोर से मलने लगा । अनिल अपनी बेटी के चूतडों पर साबुन को मलते हुए अपनी एक ऊँगली को उसके दोनों चूतड़ो के बीच डालकर रगड रहा था।
"आआह्ह्ह्ह बापू ऊँगली को क्यों वहां पर डाल रहे हो?" मनीषा ने अपने पिता की ऊँगली को अपने चूतडों के बीच महसूस करते ही सिसकार कहा।

"बेटी तुम शायद इस जगह को सही तरीके से साफ़ नहीं कर पाती इसीलिए मैं इसे अपनी ऊँगली से साफ़ कर रहा हू" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनकर अपनी ऊँगली को उसके चूतड़ो के बीच में रगडते हुए उसकी गांड तक ले जाते हुए कहा।
"ओहहहह बापू " मनीषा की मज़े के मारे हालत ख़राब हो चुकी थी । इसीलिए उसने ज़ोर से सिसकते हुए अपने चूतडों को थोडा पीछे की तरफ मोड़ दिया ।
 
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Rakesh1999

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मानिषा के ऐसा करने से उसकी चूत भी थोडा पीछे की तरफ निकल आई । अनिल ने अपने एक हाथ की ऊँगली को वैसे ही उसके चूतडों के बीच रगडते हुए अपने दुसरे हाथ से साबुन को उठाते हुए सीधा अपनी बेटी की पीछे निकली हुयी चूत पर रख दिया और साबुन को वहां पर ज़ोर से मलने लगा ।
"आह्ह्ह्ह ओहह बापू" अनिल के ऐसा करने से मनीषा के मुँह से बुहत ज़ोर की सिस्कियाँ निकलने लगी। अनिल कुछ देर तक वैसे ही करने के बाद साबुन को अपनी बेटी की चूत से हटा दिया, मनीषा की चूत पर साबुन के रगडने से ढेर सारा झाग बन चूका था।

अनिल ने अपनी बेटी की कमर को पकडकर और नीचे झुका दिया । मनीषा ने नीचे झुकते हुए सामने वाली दीवार पर अपने हाथों को रख दिया, अनिल ने अपनी ऊँगली को मनीषा के चूतडों से हटाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और वहां पर बने साबुन के झाग को अपनी ऊँगली से ऊपर करते हुए मनीषा की गांड तक ले जाने लगा ।

अनिल ने झाग को अपनी बेटी की गांड पर लगाने के बाद अपनी ऊँगली को उसकी गांड पर रखकर दबाब ड़ालते हुए अपनी ऊँगली को मनीषा की गांड में अंदर घुसा दिया।
"ऊईई बापू वहां पर क्यों घुसा रहे हो" मनीषा ने अपनी गांड में ऊँगली के घुसते ही चीखते हुए कहा ।
अनिल ने अपनी बेटी की कोई बात सुने बगैर साबुन को नीचे फ़ेंकते हुए अपना लंड मनीषा की चूत पर टिकाते हुए एक जोर का धक्का देते हुए उसकी चूत में घुसा दिया।
"उह्ह्ह आह्ह्ह्ह हह बापू आपका कितना मोटा और गरम है" एक ही झटके में अपने पिता का पूरा लंड अपनी चूत में घूसने से मनीषा ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
 
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Rakesh1999

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अपडेट 77




अनिल अपनी ऊँगली को वैसे ही अपनी बेटी की गांड में घुसाए हुए था और अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर कर रहा था।
"आजहहहह बापु आपका लंड इस उम्र में भी कितना टाइट है" मनीषा ने अपने चूतडों के पीछे की तरफ धकेलते हुए अपने पिता का लंड अपनी चूत में लेते हुए कहा ।
"बेटी तुम्हारी चूत भी अब तक बुहत कसी हुयी है" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनते हुए कहा । वह अब अपनी ऊँगली को मनीषा की गांड और अपना लंड उसकी चूत में भी अंदर बाहर कर रहा था।
"ओहहहहह बापू आप तो मेरे दोनों छेदों को रगड दे रहे है" मनीषा ने अपने दोनों छेदों में ज़ोर की रगड महसूस करते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"बेटी कभी तुम्हारे पति ने अपने लंड को तुम्हारी गांड में घुसाया है" अनिल ने वैसे ही अपनी बेटी को चोदते हुए कहा।
"आहहह नहीं बापू उसे मेरी चूत चोदने का टाइम नहीं मिलता गांड कहाँ से मारेंगा" मनीषा ने वेसे ही अपने चूतडो को पीछे की तरफ धकेलते हुए कहा ।

अनिल अपनी बेटी की बात सुनकर अपने लंड को बुहत तेज़ी के साथ उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
"आह्ह्ह्ह ओहहहह बापू में झडने वाली हूँ" मनीषा ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा । अनिल अपनी बेटी की बात सुनकर उसकी गांड से अपनी ऊँगली को निकालकर अपने हाथों से उसके दोनों चूतड़ों को पकडते हुए उसे बुहत ज़ोर से पेलने लगा।

"आहहह हहह बापु" मनीषा की साँसें उखडने लगी और वह ज़ोर से चिल्लाते हुए अपनी आँखें बंद करते हुए झडने लगी । अनिल अपनी बेटी के पूरा झडने तक उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करता रहा और जब मनीषा पूरी तरह झड़कर शांत हो गई तो अनिल ने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया ।
अनिल ने नीचे से साबुन उठाया और उसे अपने लंड पर मलने लगा । अनिल ने साबुन से अपने लंड पूरी तरह चिकना करने के बाद अपनी बेटी की गांड पर भी साबुन मलने लगा।

"आहहह बापू क्या कर रहे हो । मैं अब खडा नहीं रह सकती" मनीषा ने अपने पिता से सिसकते हुए कहा। वह बुहत थक चुकी थी।
"बेटी तुम नीचे उल्टा होकर बैठ जाओ" अनिल ने साबुन को उसकी गांड से हटाते हुए कहा । मनीषा अपने पिता की बात सुनकर सीधा नीचे होकर बैठ गयी ।
अनिल ने अपनी बेटी के नीचे बैठते ही उसके पीछे बैठते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में घुसा दी और कुछ देर तक उसे अपनी बेटी की गांड में अंदर बाहर करते रहने के बाद अपनी एक ऊँगली को निकालकर मनीषा की गाँड में अपनी दो उँगलियाँ घुसा दी।
 
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Rakesh1999

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उईई बापू क्या ईरादा है" मनीषा ने अपनी गांड में दो उँगलियों के घुसते ही ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा।
"बेटी मैं आज अपनी बेटी के गांड की सील खोलूँगा" अनिल ने अपनी उँगलियों को बुहत ज़ोर से अपनी बेटी की गांड में अंदर बाहर करते हुए कहा ।
"ओहहहह बापू मगर आपका तो बुहत बड़ा और मोटा है यह मेरी गांड को फाड देगा" मनीषा ने अपने पिता की बात सुनकर अपनी चिंता जताते हुए कहा।
"कुछ नहीं होगा बेटी मैं हूँ ना" अनिल ने अपनी दो उँगलियों को मनीषा की गांड से निकालते हुए अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह बापू मुझे बुहत डर लग रहा है प्लीज आराम से अंदर घुसाना" मनीषा ने अपने पिता के लंड को अपनी गांड पर लगते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।अनिल ने अपने लंड के मोटे सुपाडे को मनीषा की गांड के छेद पर टिका दिया और अपनी बेटी की कमर को पकडकर एक ज़ोर का धक्का मार दिया।
"उईई माआआ ओहहहहहह निकालो बापू बुहत दर्द हो रहा है" अनिल का आधा लंड मनीषा की गांड को फाडता हुए अंदर घुस चूका था और मनीषा दर्द के मारे तड़पते हुए चिल्ला रही थी ।

"बस बेटी एक मिनट में दर्द ग़ायब हो जायेगा" अनिल ने अपनी बेटी को बुहत ज़ोर से पकड रखा था ताकी वह उसके लंड को अपनी गांड से निकाल न सके।
"ओहहहहह बापू आपका लंड बुहत मोटा है लगता है मेरी गांड फट गयी है" मनीषा ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"बेटी कुछ नहीं हुआ तुम्हें । क्यों छोटी लड़कियों की तरह चिल्ला रही हो" अनिल ने अपनी बेटी को टोकते हुए कहा और अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा ।

"ओहहहहह बापू पहली बार में ही मेरी गांड में आपका गधे जितना लम्बा लंड घुसेगा तो दर्द तो होगा ना" मनीषा ने अपने पिता की बात सुनकर ज़ोर से सिसकते हुए कहा । अनिल अपनी बेटी की बात सुनकार हंसने लगा और उसको कमर से पकडते हुए अपना लंड उसकी गांड में धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा ।
"आआह्ह्ह बापू आराम से अब भी दर्द हो रहा है" मनीषा ने अपने पिता के लंड को अपनी गांड में अंदर बाहर होने से सिसकते हुए कहा।
"बस बेटी थोडी ही देर में तुम्हारी गांड को मेरा लंड छोटा लगने लगेगा और तुम्हें भी मजा आने लगेगा" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनकर उसकी गांड में अपने लंड को वैसे ही अंदर बाहर करते हुए कहा।
 
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Rakesh1999

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थोड़ी ही देर में मनीषा को अपनी गांड में दर्द न होने के बराबर महसूस होने लगा और वह मज़े से अपने चूतडों को पीछे की तरफ ढकेलने लगी । अनिल समझ गया की उसकी बेटी की गांड का दर्द ख़तम हो गया है । इसी लिए वह अब अपने लंड को उसकी गांड में बुहत तेज़ी के साथ अंदर बाहर करने लगा। अनिल का लंड हर धक्के के साथ उसकी बेटी की गाँड में और अंदर घुस रहा था ।

अनिल का लंड अब पूरा उसकी बेटी की गांड में घुस चूका था और वह बुहत तेज़ी के साथ उसकी गांड में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था । मनीषा भी मज़े से अपने चूतडों को पीछे धकलते हुए अपने पिता के लंड को अपनी गांड में ले रही थी ।
अनिल १० मिनट तक लगातार अपनी बेटी की गांड मारने के बाद ज़ोर से हाँफते हुए डरने लगा।
"आआह्ह्ह बेटी ओह्ह्ह्हह" अनिल अपनी बेटी की गांड में अपना वीर्य छोडते हुए बुहत ज़ोर से चिल्ला रहा था।

"आआह्ह्ह्ह बापू ओहहहह आपका वीर्य कितना गरम है" मनीषा भी अपने हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए ज़ोर से सिसककर झडने लगी । अनिल का लंड पूरी तरह झडने के बाद उसकी बेटी की गांड से सिकुड़ कर निकल गया, मनीषा सीधा होते हुए खडी हो गई ।
मानिषा को सीधा खडे होते हुए अपनी टांगों के बीच ज़ोर का दरद हो रहा था । इसीलिए उसने अपने पिता को पकड लिया । अनिल ने अपनी बेटी को कमर से पकडते हुए शावर के नीचे खडा कर दिया और उसकी चूत और गांड को पूरी तरह साफ़ करने के बाद अपने लंड को भी साफ़ कर दिया।

अनिल ने शावर बंद किया और अपनी बेटी को अपनी बाहों में उठाते हुए बाथरूम से निकलकर बेड पर लिटा दिया । अनिल ने कुछ देर रेस्ट करने के बाद एक बार और अपनी बेटी की चूत और गांड मारी, मनीषा अपने पिता से दो बार चुदवाने के बाद बुहत थक चुकी थी और उसकी हालत भी बुहत खराब हो चुकी थी। वह जैसे तैसे चलते हुए अपने कमरे में आ गयी और अपने बेड पर आकर ढेर हो गयी, अनिल भी बुहत थक चूका था इसीलिए अपनी बेटी के जाते ही वह भी अपने बेड पर ढेर हो गया ।
 
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Rakesh1999

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सूबह को मुकेश तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया और मुकेश के जाते ही रेखा फिर से अपने कमरे में आकर लेट गयी । घर के दुसरे सभी लोग भी सोये हुए थे इसीलिए रेखा ने भी कुछ देर और आराम करने का फैसला किया, रेखा कुछ देर आराम करने के बाद उठकर नहाने बाथरूम में चलि गयी और फ्रेश होकर घर के काम काज में लग गयी ।

रेखा ने घर का सारा काम किया और फिर सभी के लिए खाना बनाने लगी । जब खाना तैयार होने के क़रीब था तो रेखा किचन से निकलकर सभी को उनके कमरों से उठाने लगी, रेखा सभी को उठाने के बाद खाने को टेबल पर लगाने लगी ।
सभी खाना खाने के लिए आ चुके थे सिर्फ मनीषा नहीं आई थी।
"अरे यह दीदी अभी तक नहीं आई। मैं उसे देखती हूँ आप लोग नाश्ता शुरू करो" रेखा ने सभी से कहा और खुद मनीषा के कमरे में जाने लगी।

"दीदी क्या हुआ खाना नहीं खाना क्या?" रेखा ने मनीषा के कमरे में दाखिल होते ही उसकी तरफ देखते हुए कहा।
"वोह दीदी मैं नहाते हुए बाथरूम में गिर गयी थी। इसीलिए में ठीक तरीके से चल नहीं पा रही हूँ आप प्लीज मेरा खाना यहीं पर ले आओ ना" मनीषा को अपनी गांड मरवाने की वजह से बुहत दर्द था इसीलिए उसने बहाना बनाते हुए कहा ।

"क्या कहा दीदी आप बाथरूम में गिर गयी? दीदी कहाँ पर चोट लगी है" रेखा ने मनीषा की बात सुनकर हैंरान होते हुए कहा।
"वो दीदी टाँग में" मनीषा ने रेखा का जवाब देते हुए कहा।
"दीदी मुझे तो कोई और ही चक्कर लगता है" रेखा ने मनीषा की बात सुनकर सोचते हुए कहा ।
"दीदी आप भी कोई चक्कर नहीं है" मनीषा ने रेखा पर गुस्सा करते हुए कहा।
"दीदी कहीं विजय ने तो आपकी हालत खराब नहीं की?" रेखा ने मनीषा की तरफ देखते हुए हैंरानी से कहा।

"दीदी आप क्या कह रही हो। विजय को मैंने देखा तक नहीं है" मनीषा ने फिर से गुस्सा करते हुए कहा।
"फिर किसने आपका यह हाल किया है" रेखा ने फिर से मनीषा पर शक करते हुए कहा।
 
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Rakesh1999

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दीदी आपको तो पुलिस में होना चाहिए वह रात को बापू ने मेरी गांड मार दी थी" मनीषा समझ गयी की रेखा ऐसे मानने वाली नहीं । इसीलिए उसने अपना सर झुकाकर हार मानते हुए रेखा से कहा ।

"दीदी मैं भी कहुँ। इस उम्र में आपको तकलीफ कैसे हुई" रेखा ने अपना एक हाथ अपने मुँह पर रखते हुए हैंरानी से कहा।
"दीदी मैंने पहले कभी वहां पर नहीं लिया था" मनीषा ने वैसे ही अपने सर को झुकाये झूठ बोलते हुए कहा।
"दीदी मैंने भी कभी वहां नहीं लिया। आप बताओ कुछ मजा भी आया या बस सिर्फ दर्द ही सहा?" रेखा ने मनीषा को घूरते हुए कहा ।
"दीदी मजा तो आया मगर जब वह वहां पर घुसा रहे थे तो दर्द के मारे मेरी जान ही निकल रही थी।" मनीषा ने रेखा का जवाब देते हुए कहा।
"ठीक है दीदी। मैं आपका खाना यहीं ले आती हू" रेखा ने वहां से जाते हुए कहा।

रेखा बाहर आकर मनीषा के लिए खाना अलग प्लेटस में भरने लगी।
"क्या हुआ बेटी। मनीषा बेटी नहीं आयी?" अनिल ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा।
"बापु वह दीदी को पाँव में चोट लगी है। इसीलिए वह चल नहीं पा रही है" रेखा ने खाना उठाते हुए अपने ससुर की तरफ देखकर मुस्कराते हुए कहा ।
अनिल समझ गया की उसकी बेटी क्यों नहीं चल पा रही है इसीलिए वह खामोश हो गया । रेखा मनीषा को खाना देकर खुद वहीँ पर बैठकर सबके साथ खाना खाने लगी।

खाना खाने के बाद सभी अपने अपने कमरों में चले गए नरेश और विजय वही पर बैठे थे।
"क्या हुआ बेटों कोई बात है?" रेखा ने नरेश और विजय को एक साथ बैठे देखकर मुस्कराते हुए पुछा।
"नही माँ हम ऐसे ही बैठे थे आपसे बाते करने का मन हो रहा है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा ।
"ठीक है बर्तन उठाने में मेरी मदद करो" रेखा ने विजय की बात सुनकर कहा । नरेश और विजय बर्तन उठाकर किचन की तरफ ले जाकर रखने लगे, सभी बर्तन रखने के बाद दोनों कुरसियाँ लेकर किचन में बैठ गए और रेखा से बाते करने लगे।

"क्या बात है आज दोनों लाडलों को एक साथ मेरी याद आ गई" रेखा ने बर्तनों को धोते हुए दोनों की तरफ देखकर कहा।
 

Rakesh1999

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"मामी आपसे बातें करने का टाइम ही नहीं मिलता इसीलिए आज दोनों एक साथ आ गये" नरेश ने इस बार बोलते हुए कहा।
"हाँ भाई जब जवान बहनों से फुर्सत मिले तभी तो इस बुढ़ी की याद आएगी" रेखा ने नरेश की बात सुनकर मुँह बनाते हुए कहा ।

माँ आप और बुढ़ी । आज भी आपका जिस्म हमें जवान लड़कयों से ज्यादा सेक्सी दीखता है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उसकी तारीफ करते हुए कहा।
"छोड़ो बेटा यह झूटी तारीफ किसी और से करना" रेखा ने वैसे ही बर्तनों को धोते हुए कहा ।
"मामी विजय सच कह रहा है मुझे तो साले से जलन होती है की मेरी माँ आप जीतनी सेक्सी क्यों नही" नरेश ने रेखा की बात सुनकर कहा।
"भान्जे वह भी कम सेक्सी नहीं है । साली ने रात को ही अपने बापू से गांड फडवाई है" रेखा ने नरेश की तरफ देखते हुए कहा।

"क्या कहा मामी। माँ ने नाना से गांड मरवाई हम क्या मर गए थे" नरेश ने रेखा की बात सुनकर हैंरान होते हुए कहा।
"हाँ भान्जे इसीलिए तो वह चल ही नहीं पा रही है" रेखा ने नरेश को देखते हुए कहा।
"मामी मगर उस बूढ़े का लंड अब भी इतना उठता है की उसने माँ की गांड फाड़ दी" नरेश ने वैसे ही हैंरानी से पुछा ।

"भान्जे वह बूढा ज़रूर है मगर उसका लंड आज भी तुम्हारे लन्डों की तरह बुहत ज्यादा उछलता रहता है" रेखा ने नरेश को उसके नाना के बारे में बताते हुए कहा।
"नरेश तेरी माँ से पहले यह भी उस बूढ़े का लंड चख चुकी है" विजय ने नरेश की तरफ देखते हुए कहा ।
"क्या कहा विजय। साला यह बूढा तो हमसे भी तेज़ निकला" नरेश ने विजय की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"नरेश तुम्हारी माँ हमारे पिता से भी चुदवा चुकी है" विजय ने नरेश को आगे बताते हुए कहा।

"यार विजय यह मेरी माँ तो साली बुहत बड़ी छिनाल निकली हर किसी का लंड लेती रहती है" नरेश ने विजय की बात सुनकर कहा।
"मगर साले उसने अभी तक मेरा लंड नहीं चखा है" विजय ने नरेश की बात सुनकर कहा।
"साले जाकर अभी उसकी चूत में अपना लंड घुसा। मुझे तो सिर्फ अपनी मामी अच्छी लगती है" नरेश ने विजय की बात सुनकर अपनी मामी की तरफ देखते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

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साले मेरे सामने मेरी माँ को लाइन मारते हो" विजय ने नरेश की बात सुनकर गुस्सा होते हुए कहा।
"साले मेरी माँ को तो मेरे सामने चोद लेना। गुस्सा क्यों होते हो" नरेश ने विजय की तरफ देखते हुए कहा।
"तुम दोनों को मेरे सामने ऐसी बातें करते हुए शर्म नहीं आती निकलो यहाँ से" रेखा ने बर्तन धोने के बाद उठकर गुस्से से दोनों की तरफ देखते हुए कहा ।

"मामी आप गुस्सा क्यों होती हो। जबसे आपने मेरी माँ की गांड मारने की बात की है मेरा लंड आपके इन बड़े बड़े बड़े चूतडों को देखकर आहें भर रहा है" नरेश ने अपनी कुर्सी से उठकर रेखा के पीछे खडा होकर अपनी पेण्ट में खडे लंड को उसके चूतडों पर दबाते हुए कहा ।

"साले तो जाकर अपनी माँ की गांड मार न। यहाँ क्या कर रहे हो" रेखा ने गुस्से से नरेश को धक्का देते हुए कहा।
"मामी मुझे उसकी नहीं आपकी गांड मारनी है प्लीज ना मत करना" नरेश ने रेखा से मिन्नत करते हुए कहा।

"साले कमीने । मेरी माँ की गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है" विजय ने अचानक कुर्सी से उठकर नरेश को अपनी माँ से परे धकेलते हुए कहा।
"यार तुम गुस्सा मत हो । पहले तुम ही मार लेना मगर मुझे मामी की गांड ज़रूर मारनी है" नरेश ने विजय को ठण्डा करते हुए कहा ।
"च तो तुम दोनों यहाँ इसीलिए आये थे। अब जाओ यहाँ से तुम दोनों में से किसी ने भी कुछ बकवास की तो आजके बाद में उससे बात नहीं करूँगी" रेखा ने दोनों की तरफ देखकर गुस्से से चीखते हुए कहा।

"माँ आप गुस्सा क्यों होती हैं ।साला यह सही कह रहा है जब आपके चूतड़ कपड़ों के ऊपर से ही इतने नरम और फूली हुई हैं तो जब हमारा लंड बेचारी के अंदर घुसेगा तो आप नहीं जानती हमें कितना मजा आयेगा" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा ।
"विजय अपनी माँ से ऐसे बात करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती" रेखा ने गुस्से से अपने बेटे को घूरते हुए कहा।
"मामी आप गुस्सा क्यों कर रही हो। जब आप और मेरी माँ को शर्म नहीं आती किसी से भी चुदवाते हुए तो हमें कैसी शरम" नरेश ने रेखा के साड़ी के बीच अपना हाथ उसके नंगे पेट पर रखते हुए कहा।
 
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