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विजय भी रेखा के मूह के पास अपना लंड रख देता हैं और फिर रेखा की ओर देखने लगता हैं. रेखा भी अपनी आँखों से उसे अंदर डालने का इशारा करती हैं. विजय अपनी माँ के सिर को पकड़कर धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर डालने लगता हैं और रेखा भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं. धीरे धीरे उसका लंड रेखा के मूह के अंदर जाने लगता हैं. विजय करीब 5 इंच तक रेखा के मूह में लंड पेल देता हैं और फिर उसके मूह में अपना लंड आगे पीछे करके चोदने लगता हैं.
रेखा की गरम साँसें उसको पल पल पागल कर रही थी. वो धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगता हैं और साथ साथ अपना लंड भी अंदर पेलने लगता हैं. रेखा की हालत धीरे धीरे खराब होनी शुरू हो जाती हैं. वैसे ये रेखा का ऐसा फर्स्ट एक्सपीरियेन्स था. वो अपने पति या ससुर का लंड कई बार चूसी थी पर कभी अपने मूह में पूरा नही ली थी. इसलिए तकलीफ़ होना लाजमी था. विजय करीब 7 इंच तक लंड अपनी माँ के मूह में पेल देता हैं और रेखा की साँसें उखाड़ने लगती हैं.
विजय एक टक रेखा को देखता हैं और फिर अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर एक झटके में पूरा अंदर पेल देता हैं. लंड करीब 8 इंच से भी ज़्यादा रेखा के मुँह में चला जाता हैं. रेखा को तो ऐसा लगता हैं कि अभी उसका गला फट जाएगा. उसकी आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं और आँखें भी बाहर की ओर आ जाती हैं.तकलीफ़ तो उसे बहुत हो रही थी मगर वो अपने बेटे के लिए सारी तकलीफो को घुट घुट कर पी रही थी. रेखा को कुछ राहत मिलती हैं मगर विजय कहाँ रुकने वाला था वो फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकालकर फिर से उतनी ही स्पीड से वो अपनी माँ के मुँह में पूरा पेल देता हैं.
इस बार विजय अपना पूरा लंड अपनी माँ के हलक तक पहुँचने में सफल हो गया था. रेखा के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसका दम घुट जाएगा और वो वही मर जाएगी.विजय ऐसे ही करीब 10 सेकेंड्स तक रेखा के हलक में अपना लंड फँसाए रखता हैं. रेखा के मूह से गो................गू............. की लगातार दर्द भरी आवाज़ें निकल रही थी. जब उसकी बर्दास्त की सीमा बाहर हो गयी तो अपना दोनो हाथों से विजय के पैरों पर मारने लगती हैं विजय को भी तुरंत आभास होता हैं और वो एक झटके से अपना पूरा लंड अपनी माँ के हलक से बाहर निकाल देता हैं. रेखा वही ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं वो वही धम्म से बिस्तेर पर पसर जाती हैं.
रेखा की गरम साँसें उसको पल पल पागल कर रही थी. वो धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगता हैं और साथ साथ अपना लंड भी अंदर पेलने लगता हैं. रेखा की हालत धीरे धीरे खराब होनी शुरू हो जाती हैं. वैसे ये रेखा का ऐसा फर्स्ट एक्सपीरियेन्स था. वो अपने पति या ससुर का लंड कई बार चूसी थी पर कभी अपने मूह में पूरा नही ली थी. इसलिए तकलीफ़ होना लाजमी था. विजय करीब 7 इंच तक लंड अपनी माँ के मूह में पेल देता हैं और रेखा की साँसें उखाड़ने लगती हैं.
विजय एक टक रेखा को देखता हैं और फिर अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर एक झटके में पूरा अंदर पेल देता हैं. लंड करीब 8 इंच से भी ज़्यादा रेखा के मुँह में चला जाता हैं. रेखा को तो ऐसा लगता हैं कि अभी उसका गला फट जाएगा. उसकी आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं और आँखें भी बाहर की ओर आ जाती हैं.तकलीफ़ तो उसे बहुत हो रही थी मगर वो अपने बेटे के लिए सारी तकलीफो को घुट घुट कर पी रही थी. रेखा को कुछ राहत मिलती हैं मगर विजय कहाँ रुकने वाला था वो फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकालकर फिर से उतनी ही स्पीड से वो अपनी माँ के मुँह में पूरा पेल देता हैं.
इस बार विजय अपना पूरा लंड अपनी माँ के हलक तक पहुँचने में सफल हो गया था. रेखा के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसका दम घुट जाएगा और वो वही मर जाएगी.विजय ऐसे ही करीब 10 सेकेंड्स तक रेखा के हलक में अपना लंड फँसाए रखता हैं. रेखा के मूह से गो................गू............. की लगातार दर्द भरी आवाज़ें निकल रही थी. जब उसकी बर्दास्त की सीमा बाहर हो गयी तो अपना दोनो हाथों से विजय के पैरों पर मारने लगती हैं विजय को भी तुरंत आभास होता हैं और वो एक झटके से अपना पूरा लंड अपनी माँ के हलक से बाहर निकाल देता हैं. रेखा वही ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं वो वही धम्म से बिस्तेर पर पसर जाती हैं.