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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

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पापी परिवार--41

इन पुणे :-
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काफ़ी देर तक पार्क में समय बिताने के बाद निकुंज वापस होटेल की तरफ लौटने लगा ...हॉस्पिटल जाने का टाइम नज़दीक था और शायद उससे पहले कम्मो शॉपिंग करने जाती.
कार में बैठ कर वो मेन रोड पर आ गया, उसका पीड़ित मन बार - बार उससे कह रहा था ...... " मत जा होटेल !!! कहीं भाग जा, तेरी पूरी फ्यूचर लाइफ स्पायिल हो गयी है ..अब तू किसी काम का नही रहा " ......सहसा उसे गालो पर आँसुओ की धार बहने लगी ...जिनमे कुछ बूँदें उसकी बहेन निक्की के पागलपन की भी साक्षी थी.
" तनवी से शादी के लिए मना करना पड़ेगा, वरना उस बेचारी की ज़िंदगी भी नर्क में तब्दील हो जाएगी ..बहुत बड़ा अन्याय हो जाएगा उसके साथ " ........निकुंज सोचने लगा, जब वो उससे पहली बार मिला था ...कितना मासूम भोला चेहरा, शरारती आँखें ...कैसे उसने निकुंज की बोलती बंद कर दी थी यह कह कर कि ...... " उसे खाना बनाना तो नही आता पर बना खाना ज़रूर आता है " ........उसकी बात सुनकर तो जैसे निकुंज के कानो से धुआ निकल गया था, एक पल तो लगा वहाँ से भाग जाए ...पर अगले ही पल जब वो ज़ोरो से हसी, निकुंज उसकी मुस्कुराहट पर मर मिटा था.
बाद में वे दोनो ज्यूयलरी शॉप पहुचे, तनवी के लाख मना करने के बावजूद उसने उसे कर्ध्नी गिफ्ट की ...यहाँ तक कि अपने हाथो से पहनाई भी, कितना कोमल बदन है उसका ...सोचने मात्र से भी मैला हो जाने वाला जिस्म और तो और शॉप से बाहर आते वक़्त कैसे उस अंजान लड़की ने, उसके डॅड के दोस्त के पैर छु कर आशीर्वाद माँगा था ...वो नज़ारा देख कर वाकाई निकुंज का सीना फक्र से चौड़ा हो गया था.
वहाँ से निकलने के बाद तनवी ने उसे बताया कि यह उनकी आख़िरी मुलाक़ात है ...अब वो सीधे शादी के मंडप में मिलेंगे, उससे पहले ना कोई फोन कॉल ना कोई डेट ...सिर्फ़ हिचक़ियों में एक दूसरे को याद करेंगे.
" मगर मैने उसे याद ही कहाँ किया, कभी निक्की और कभी मोम ..इनसे उबर पाउ तो याद करू भी " ......एक चिड के साथ निकुंज ने खुद से कहा, निक्की के रूप में उसकी एक परेशानी ख़तम नही हो पाई थी कि दूसरी ... कम्मो के रूप में चली आई.
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इन्ही सोचो के बीच वो होटेल पहुच गया ...लगभग 15 मिनिट तक खुद को नॉर्मल करने के बाद, लिफ्ट से वो अपने रूम कॉरिडर में आया और 2न्ड के से दरवाज़ा खोलने लगा.
गेट अनलॉक कर वो कमरे में एंटर हुआ, पर अंदर का नज़ारा देखते ही उसकी आँखें चौंधिया गयी, उसकी मा बेड पर करवट लिए लेटी थी और उसकी पीठ निकुंज की तरफ थी ...इस वक़्त कम्मो के ऊपरी बदन पर सिवाए ब्रा के कुछ और नही था, एक पतली सी स्ट्रीप के अलावा उसकी पूरी पीठ नेकेड थी ... 1स्ट टाइम ऐसा मौका आया जब निकुंज ने अपनी मोम की अधनंगी बॅक का दीदार किया, चाह कर भी कुछ पल के लिए उसकी निगाहें मा के गोरे बदन से ना हट सकी ... ब्रा स्ट्रीप ब्लॅक थी और अस्तव्यस्त साड़ी में कम्मो के चूतड़ो की स्टार्टिंग दरार सॉफ दिखाई पड़ रही थी ... एक भारी औरत के बदन में जितनी कशिश और सुदोलता होती है उतनी नौजवान लड़कियों में कहाँ, निकुंज के कदम जहाँ थे वही जमे रह गये.
अचानक से कम्मो ने करवट बदली और अपनी पीठ के बल लेट गयी, पिछले 1 घंटे से सिवाए करवट बदलने के वो और कर भी क्या रही थी ... हड़बड़ा कर निकुंज फॉरन फ्लोर पर लेट गया ताकि कम्मो, कमरे में उसकी मौजूदगी को महसूस ना कर सके ...डर तो आख़िर डर होता है, निकुंज की सोच में अगर मोम जान जाती, उनका बेटा इस वक़्त कमरे में उनके साथ मौजूद है ... वाकाई वो उससे और भी ज़्यादा खफा हो जाती और ऐसा सोचने के बाद निकुंज के माइंड में छुप्ने के अलावा और कोई बात नही आ सकी.
5 मिनिट तक वो ज़मीन पर ऐसे लेटा रहा जैसे कमरे में कोई बॉम्ब लगा हो ...साँसे तक थम सी गयी थी, जब उसने कोई और हरक़त की आवाज़ नही सुनी ...उठ कर वापस खड़ा हुआ, पर इस बार का नज़ारा तो कामुक़पन्न की सारी हदें पार करने लायक था.
 

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पीठ के बल लेटी उसकी मा इस वक़्त तेज़ी से अपनी साँसे अंदर बाहर कर रही थी, जैसे नींद में कोई डरावना सपना देख रही हो, उसके ऐसा करने से ब्रा में क़ैद उसकी पहाड़ सी चूचियों का यौवन चरम पर पहुच कर वापस लौट आता ...निकुंज तो जैसे पत्थर बन गया और आँखों के साथ मूँह फेड एक - टक उसकी चूचियों में खो कर रह गया, अपने आप उसकी नज़र फिसलती हुई मा के नंगे पेट पर पहुचि, जो थोड़ा उभरा था और दूर से भी उसकी नाभि का गहरापन सॉफ दिखाई पड़ रहा था.
निकुंज को यह सीन देखते हुए पसीने आ रहे थे उसे यह भी ग्यान नही रहा ....... " अगर मा उठ गयी तो उसकी आँखों में उतरा वहशिपन देख सकती है "
उसे असली झटका तब लगा जब उसने बेड पर उतरे पड़े ब्लाउस को देखा और इसके साथ ही उसका हाथ अपने खुले मूँह को बंद करने की गर्ज से चेहरे पर पहुच गया ...वजह वो ब्लाउस ना हो कर उसके ऊपर पड़ी महरूण पैंटी थी, जो कम्मो ने नीमा से बातें करने के दौरान उतार कर फैंक दी थी.
" मोम ने ब्लाउस के साथ पैंटी भी उतार दी " .........उसके मूँह से यह शब्द निकले और ठीक इसी वक़्त कम्मो ने साड़ी के ऊपर से अपनी चूत को खुजाना शुरू कर दिया ...उसके चेहरे को देख कर लग रहा था वो कितनी प्यासी है, निकुंज किसी हरक़त में आ पाता इससे पहले ही कम्मो ने एक मादक सिसकी ली और जुंझलाहट भरा चेहरा बना कर अपना एक हाथ पेट पर रगड़ते हुए साड़ी के अंदर डाल दिया.
" नही !!! यह सरासर ग़लत है " ........फॉरन निकुंज पलटा और अपना मोबाइल सोफे पर फैकते हुए बाथरूम की तरफ जाने लगा ...मगर जाते - जाते उसने एक नज़र कम्मो को फिर से देखा, अब उसके चेहरे के हाव - भाव पूरी तरह बदल चुके थे और साड़ी के अंदर उसका हिलता हुआ हाथ यह ज़ाहिर करने को काफ़ी था कि वो अपनी चूत से खेल रही है, उसे मसल रही है और इसके साथ ही बौखलाया निकुंज बाथ - रूम में परवेश कर गया.
बाथ - रूम का गेट बंद हुआ ...हैरान - परेशान निकुंज हथ्प्रद बस अपनी मा और उसकी हरक़तों से झूझे जा रहा था ...बोझिल कदमो से वो आगे बढ़ा और सीध शवर के नीचे खड़ा हो गया, एक पल की भी देरी नही हुई और भर - भर करता पानी उसके कपड़ो को भिगोने लगा.
" डॅड के बगैर मोम परेशान होंगी " ........उसने खुद को सांत्वना दी, ठंडे पानी के प्रेशर ने उसके पूरे बदन की गर्मी बहा दी थी ...अब वो काफ़ी नॉर्मल हो गया था और किसी तरह का कोई रोमांच बाकी नही रहा, उसकी नज़रो में कम्मो ने जो किया हर औरत की नीद होती है ...यही सोचते - सोचते उसने अपने भीगे कपड़े उतार दिए और जैसे ही उसकी नज़र छुहारे की भाँति ढीले पड़े अपने लंड पर गयी ....वापस उसके दिल में पीड़ा का ज्वर समाया और वो दीवार के सहारे फ्लोर पर बैठ कर आँसू बहाने लगा.
वहीं दूसरी तरफ कम्मो अपने कान बाथ - रूम के गेट से टिकाए खड़ी थी ...आक्चुयल में जब उसका बेटा कमरे का गेट अनलॉक कर रहा था उसकी आहट से कम्मो की नींद टूट गयी और उसने यह सब निकुंज को उत्तेजित करने के लिए किया था ...या शायद इस चक्कर में उसने अपनी उत्तेजना को बढ़ा लिया, अब वो की होल से बाथ - रूम के वर्तमान हालात जान'ना चाहती थी ...पर यह उसकी हिम्मत से परे जान पड़ा.
" मुझे यह तो जान'ना पड़ेगा कि निकुंज के लंड में तनाव आया या नही ...क्यों कि मैने एक नज़र भी उसकी हरक़त पर गौर नही कर पाई थी " ........आख़िर उसके मन ने उसे मजबूर कर ही दिया और वो घुटने के बल बैठ कर के होल से अंदर झाँकने लगी.
निकुंज उसे अपना सर नीचे झुकाए बैठा दिखाई दिया ...होल से कम्मो बेहद क्लियर व्यू से उसे देख पा रही थी ...अब बारी थी अपने सगे बेटे की टाँगो की जड़ में तान्क - झाक करने की ...कम्मो ने अपना थूक गट्का और होंठो को तीव्रता से चबाने लगी, परंतु उसकी नज़र अपने बेटे के झुके सर से नीचे जाने को तैयार नही हुई ...शवर ठीक दरवाज़े के सामने था और कम्मो किसी दूरदर्शी यन्त्र की तरह अपनी दाँयी आँख के होल से चिपकाई बैठी थी.
" कम्मो !!! सोच क्या रही है, यह सब तेरी ही ग़लती का नतीज़ा है ..जो निकुंज को जीवन पर्यंत भुगतना पड़ेगा " ........अंतर्मन की तोचना उससे सहन ना हो सकी और आँख की पुतली हौले - हालूए नीचे झुकती चली गयी.
" इचह !!! " ......एक ज़ोरदार हिचकी से उसका सामना हुआ और उसके होश उड़ गये ...निकुंज पूर्न नागन हालत में अपनी गान्ड ज़मीन पर टिकाए बैठा था साथ ही उसकी टांगे विपरीत दिशा मैं फैली थी ...उसका झुका सर इस बात का सबूत था, वो अपने ढीले लंड को देख कर उदासी में कुछ बड़बड़ा रहा है ...हलाकी कम्मो को उसके मूँह से निकलते स्वर शवर की तेज़ आवाज़ में सुनाई नही दे पाए, परंतु वा अंजान नही थी ....... " ज़रूर इसी बात से दुखी होगा कि भरी जवानी में यह अन्याय झेलना पड़ रहा है " .......मन मसोस कर कम्मो ने उसके लंड पर अपनी नज़रें गढ़ा दी, इस वक़्त यदि कोई और औरत यह नज़ारा देख रही होती, ज़रूर इस अकल्पनीया दृश्य में खोकर अपनी योनि सहलाने लगती ...अपने खुश्क होंठो पर जीब फेरने लगती पर ना तो कम्मो को कोई हैरानी हुई और ना ही उसे उत्तेजना का कोई अनुभव हुआ ...क्यों कि यहाँ बात दिल से जुड़ी थी ना कि किसी वासना के.
कम्मो ने सॉफ देखा उसके बेटे के लंड में कोई उबाल नही था ...उसके बड़े - बड़े परंतु ढीले अंडकोष ज़मीन पर टिके हुए थे, एक वक़्त को तो उसके ज़ख़्मी दिल में आया, इसी वक़्त दरवाज़ खटखटा दे और अंदर जा कर कोई भी ऐसा जतन करे जिससे उसके बेटे की बर्बाद ज़िंदगी में वापस रंग उमड़ पड़ें.
 

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लंड के आस पास बालो का कोई नाम - ओ - निशान नही था ...ढीले पन में भी उसकी लंबाई और गोलाई दीप के लंड से बड़ी आसानी से मान्पि जा सकती थी ...अग्र भाग की खाल से बाहर को निकलता सुपाडा बेहद गुलाबी और एक - दम छोटे आलू बुखारे की भाँति नज़र आ रहा था.
" नीमा ने कहा था, उसे अपने बेटे का लंड चूसने में बहुत मज़ा आता है ...पर जब उसे इतना मज़ा आता है तो फिर उसके बेटे विक्की को कितना मज़ा आता होगा " .......यह बात सोचते ही कम्मो का चेहरा फीका पड़ गया ...उसने फॉरन अपनी आँख के होल से हटाई और अपनी उखड़ती सांसो पर क़ब्ज़ा करने लगी ...यहाँ लंड चुसाई के मज़े से उसका तात्पर्य कुछ भी कर अपने बेटे के ढीले व मृत लंड को खड़ा करना था, फिर चाहे इस कुकर्म को करने के बाद वो कभी अपना सर उठा कर खड़ी ना रह पाती ...परंतु उसके बेटे के दुखी चेहरे पर लौट'ती मुस्कुराहट की मात्र एक झलक देखने के लिए वह आज हर हद्द से गुज़रने को तैयार जान पड़ी.
" मुझे करना होगा ...वो भी इसी पल " .........कम्मो खड़ी हो गयी ...दो चार बार अपने सुन्न हाथो को झटकने के उपरांत उसने दरवाज़े को खटखटाने की गार्ज से हाथ ऊपर उठाया और तभी सोफे पर पड़ा निकुंज का सेल फोन बजने लगा.
कम्मो फॉरन पलटी और दौड़ कर सीधे बेड पर लेटने लगी ...उसे डर महसूस हुआ कि निकुंज कमरे में ना आ जाए, यहाँ एक बात तो थी ....... " औरत चाहे कितना भी कठोर दिल पा ले, परंतु एक वक़्त उसे नरम होना ही पड़ता है ..ऐसा कतयि नही कि जिगरे वाली औरतें संसार में पैदा नही होती, लेकिन कहीं ना कहीं उनके मन में भी डर व्याप्त होता है " ......कम्मो !!! जो अभी थोड़ी देर पहले बाथ - रूम के अंदर जाने का पक्का मन बना चुकी थी ...और अभी एक हल्की से आहट पर कैसे दम - दबाकर बेड पर वापस लेट गयी कि कहीं उसका बेटा उसे बाथ - रूम के इर्द - गिर्द, तान्क - झाँक करते ना देख ले.
सेल पूरी रिंग दे कर बंद हो गया ...निकुंज बाथ - रूम दरवाज़े पर ही खड़ा था, पर उसके पास ना तो सूखे कपड़े थे और ना ही जल्दबाज़ी में टवल अपने साथ ले गया था ...कम्मो भी इस बात को समझ गयी और फॉरन बेड से नीचे उतर कर उसने आए कॉल का नंबर देखने की कोशिश की ...मगर सेल हाथो में उठाते ही वो वापस रिंग करने लगा और इस बार कम्मो ने बिना नंबर या नाम देखे कॉल पिक कर लिया.
" हेलो !!! साले अभी भी मूठ मा रहा है क्या ...अच्छा सुन, मैने मेरी एक पुरानी गर्ल फ्रेंड को पटा लिया है और वो तेरी मदद करने को तैयार भी हो गयी है ..भेन्चोद !!! ग़ज़ब की गर्मी है उसमें, और क्या मस्त लंड चूस्ति है यार ..मैं तो कहता हूँ, खड़ा होते ही पटक लेना साली को ..रुक मैं नंबर देता हूँ, लाइन होल्ड कर निकालने में टाइम लगेगा " ........कम्मो ने स्पीकार पर अपना हाथ रख रखा था ...तभी बाथ - रूम का गेट खुला और निकुंज गीले निक्कर में बाहर आ गया ...उसकी मा बिना किसी पल्लू के केवल ब्लॅक ब्रा में सोफे पर बैठी दिखाई दी, थिटाक कर वो वापस बाथ - रूम के अंदर जाने लगा.
" सुन बेटा !!! तेरे किसी दोस्त का फोन है और वो तुझसे कुछ ज़रूरी बातें करना चाहता है " .......कम्मो ने कोई भी अजीब रिक्षन नही दिया बल्कि मुस्कुराती हुई सेम पोज़ीशन में बैठी रही ...मजबूरन निकुंज को ही उसके पास आना पड़ा ...उसकी मा ने अपना हाथ स्पीकर से हटाया और ऊपर उठाते हुए निकुंज के सामने कर दिया ...इसी के साथ कुछ पल के लिए दोनो आमने सामने आ गये.
" उफ्फ !!! क्या नज़ारा था " .......कम्मो अपना एक हाथ ऊपर उठाए हुए थी जिससे कुछ पल के लिए निकुंज को उसका नेकेड आर्म्पाइट काफ़ी क्लियर दिखाई दिया ...वहाँ बालो का अंबार था और ब्रा में क़ैद उसकी बड़ी - बड़ी चूचियाँ मानो ब्रा को फाड़ बाहर आने के लिए मचल रही थी.
उस दौरान कम्मो ने यह सॉफ महसूस किया ...जितना वो अपने अंदर साहस समेटे हुए थी, इस वक़्त उसका बेटा उतने ही डर में उसे अधनंगा देख रहा था ...अपनी भोयें उछालते हुए उसने निकुंज को होश में लाया और अपनी ग़लती पर शर्मिंदा होते हुए निकुंज बाथ - रूम की तरफ मूड गया.
" मैं जाउन्गि !!! " .......कम्मो ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया, उसने ध्यान रखा था कि फोन के दूसरी तरफ उसकी आवाज़ ना जा सके ...निकुंज वहीं रुक गया और उसकी मा सोफे से उठ कर बेड पर पहुच गयी.
" हां लिख !!! " .......नंबर मिलते ही फोन पर निकुंज को यह आवाज़ सुनाई थी और आवाज़ पहचानते ही वो बुरी तरह से घबरा गया ....... " कहीं मोम ने ? " .......एक अंजाने डर के साथ उसका हाथ अपने दिल पर पहुच गया, पर फोन पर आती लगातार आवाज़ें सुनकर उसे बोलना ही पड़ा.
" कहाँ खो जाता है चूतिए ..ले नंबर लिख " .........उसके दोस्त ने उसे डाँट लगाते हुए कहा.
" किसका नंबर ? " ........निकुंज को पता तो था नही आख़िर बात क्या है और उसके इस रिप्लाइ को सुन कर ...जहाँ उसका दोस्त उसे गालियाँ बकने लगा वहीं कम्मो के चेहरे पर स्माइल आ गयी ...वो बेड पर पड़ी अपनी पैंटी उठाने का नाटक कर रही थी और उसके झुकने मात्र से निकुंज को उसके चूतड़ो का सही आकार दिखाई देने लगा, फुल नेकेड बॅक के साथ, कुछ सोच कर उसने खुद पर कंट्रोल किया और पलट कर खड़ा हो गया ...वो अकेले में अपने दोस्त से बातें करना चाहता था पर कम्मो थी, जो लागातार देरी किए जा रही थी.
 

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" फिर खो गया भेन्चोद !!! " .......एक और गाली सुनने के बाद निकुंज ने हार मान ली ....... " पहले बता तो सही नंबर किस का है " .......तैश में आ कर निकुंज ने जवाब दिया.
" गान्डू हो गया है तू !!! लंड की चोट कहीं दिमाग़ पर तो नही पहुच गयी ना ..साले अभी तो बताया, मेरी एक्स गर्ल फ्रेंड है, जो तेरी हेल्प करने के लिए राज़ी हो गयी है ..वो लंड भी चूसेगी और उसके बाद चुदवायेगि भी ..अब नंबर लिखेगा या कॉल कट कर दूं " ........यह बात सुनते ही निकुंज की गान्ड फट गयी ..... " यानी मोम को पता है " ......इस बार वो जान कर कम्मो की तरफ पलटा, उसकी मा अपनी पैंटी हाथ में पकड़े बाथ - रूम की तरफ बढ़ चुकी थी ..... नही चाहिए " ......एका - एक उसके मूँह से ना शब्द निकले और कम्मो जहाँ तक पहुचि थी झटके के साथ वहीं रुक गयी ...निकुंज ने कॉल कट कर दिया.
" बेटा !!! मेरी साड़ी और अंडरगार्मेंट्स खराब हो चुके हैं, अब मैं क्या पहन कर हॉस्पिटल जाउन्गि ? " ......कम्मो ने बिना किसी हिचकिचाट के यह बात कही और निकुंज के जवाब का इंतज़ार करने लगी ...हाथ में पकड़ी पैंटी छुपाने की कोई कोशिश ना करते हुए उसने मुस्कुराहट के साथ उससे पूछा, शायद यह वो खुशी थी जो उसके बेटे ने किसी अंजान रंडी का सहारा लेने से मना करने के बाद उसे पहुचाई थी.
" ह्म्म्म !!! आप पहले फ्रेश हो जाइए बाद में सोचेंगे " .......कोई जवाब ना सूझा तो निकुंज के मूँह से यही बात निकली ...... " ठीक है " ......और इतना कह कर कम्मो बाथ - रूम के अंदर चली गयी.
" ये क्या किया मैने ..मोम क्या सोच रही होंगी मेरे बारे में " .......किस्मत के हाथो हर बार चुतियापा झेलने से निकुंज थक चुका था ...गीले निक्कर में सोफे पर बैठने के बाद उसे कुछ भान नही रहा और रह - रह कर उसके दिमाग़ में उसकी मा का नया चरित्र घूमे लगा ...... " इतनी ओपन तो मोम कभी ना थी " .......एक प्रश्नवाचक एक्सप्रेशन चेहरे पर लाते हुए वो बीते 10 - 12 दिनो के हलातो पर गौर फरमाने लगा.
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बाथ - रूम में जल्द ही कम्मो नहा धो कर फ़ुर्सत हो गयी ...पिच्छले कयि सालो बाद उसने अपने बदन को इस तरह रगड़ - रगड़ कर धोया था, जैसे आज उसकी चुदाई निश्चित हो ...... " टवल !!! " ......उसने हर तरफ नज़र दौड़ाई पर टवल होती तो निकुंज नही पहन लेता.
" बेटा !!! अपना टवल पास कर दे ..मेरा बेग तो घर पर ही छूट गया था " ........हल्का सा गेट खोल कर उसने निकुंज को सपने की दुनिया से बाहर लाया ...वो तुरंत सोफे से उठा और बेग से अपना टवल निकाल कर गेट के नज़दीक पहुचा ...दरवाज़े से बाहर निकला कम्मो का हाथ शोल्डर तक नंगा था, निकुंज ने तेज़ी से उसके हाथ में टवल थमाया और पलट गया.
" बस एक आख़िरी ट्राइ करूँगी ..अगर हुआ तो ठीक वरना मुझे " ........कम्मो इससे ज़्यादा कुछ और ना सोच सकी, अपने बदन को पोंच्छ कर उसने निचले धड़ पर टवल लपेट लिया और ब्रा से चूचियों को कवर करने के बाद निकुंज को फिर से आवाज़ दी ...... " बेटा टवल तो बहुत छ्होटा है, अगर तुझे दिक्कत ना हो तो बाहर आ जाउ " .......उसके गाल टमाटर से लाल हुए जा रहे थे.
 

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" ब ..ब ..बाहर !!! लेकिन मोम आप ने कुछ पहना तो है ना ? " .........निकुंज घबरा गया, उसे अपनी मा के इतने खुले पन की आशा बिल्कुल नही थी ...वहीं कम्मो ने उसकी आवाज़ में सॉफ कंपन महसूस किया और कहा ....... " हां पहेन रखा है ..आ जाउ बाहर " ......कम्मो के जवाब देते ही निकुंज अपने बेग की तरफ दौड़ा, शायद खुद का बदन ढँकने के पश्चात वो कमरे से बाहर जाना चाहता था.
" बोल ना !!! फिर मुझे तैयार भी तो होना है ? " ......इस सवाल को कहने के बाद कम्मो ने जवाब का कोई इंतज़ार नही किया और बाथ - रूम से बाहर आ गयी.
" तू इतना छोटा टवल क्यों यूज़ करता है ? " .......बेटे को अपनी तरफ देखने की गरज से मजबूर करते हुए कम्मो बोली ...पलट कर निकुंज ने देखा, उसे तो झटके पर झटके लग रहे थे ....... " वो मोम !!! मेल टवल इसी साइज़ के आते हैं " ......इसके फॉरन बाद उसने अपनी नज़रें मा के बदन से दूसरी तरफ मोड़ ली, पर आँखों में उतरा सीन नही भूल पाया.
कम्मो केवल ब्रा और टवल में उसके सामने खड़ी थी, ऐसा लग रहा था जैसे ब्रा के साथ उसने स्कर्ट पहेन रखी हो ...खुले गीले बालो से टपकता पानी हौले - हौले ब्रा को भिगोता जा रहा था.
" अब बोल क्या करना है ..मैं तो मार्केट जाने से रही " .......बार - बार कम्मो वही हरक़त दोहरा देती और ना चाहते हुए भी निकुंज को उसकी तरफ देखना पड़ता ...उसकी कमर पर लिपटी टवल मात्र घुटनो तक सीमित थी और ऊपरी बदन तो लगभग पूरा नंगा था.
" आप मुझे बता दो ..मैं ले आउन्गा " ......निकुंज शर्ट पहेन कर बोला और गीले निक्कर पर जीन्स चढ़ाते देख कम्मो ने उसे टोक दिया ....... " तो अंडरवेर साथ नही लाया क्या, जो इस पर जीन्स पहेन रहा है ? " .....बोलने के साथ ही वो ज़ोरो से हंस दी, उसका मैं मोटो माहौल को खुशनुमा बनाना और हैरत पन दूर करना था.
" हां लाया हूँ ..सॉरी " .....एका - एक निकुंज को भी इस बात का एहसास हो गया कि वो क्या ग़लती करने जा रहा था और उसके उदास चेहरे पर भी कुछ पॅलो के लिए मुस्कुराहट तैर गयी.
" जा बाथ रूम फ्री है और मेरा ब्लाउस साथ लेते जाना, दुकान दार सेम नाप का ब्लाउस दे देगा ..बाकी साड़ी अपनी पसंद की ले आना " ......कम्मो की बात सुन वो बाथ - रूम चला गया ..अंडरवेर पहेन कर जल्दी से जीन्स डाला और फिर बिना पिछे मुड़े, ब्लाउस हाथ में पकड़े तेज़ी से कमरे के बाहर निकल गया.
 

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घर से निकल कर दीप सीधा मेन रोड पर आ गया ...ना तो उसके पास कार थी ना ही पहन'ने को फॉर्मल कपड़े, बस पागलो की तरह भटकता हुआ चला जा रहा था ...तभी उसे सरकारी ( नगर निगम उद्द्यान ) पार्क दिखाई पड़ा और खुद ब खुद उसके कदम पार्क के अंदर जाने के लिए बढ़ गये.
हलाकी अभी इतनी धूप नही निकली थी कि पार्क टोटल खाली होता ...कुछ इकके - दुक्के कपल और आस - पड़ोस की गलियों के लड़के उसे वहाँ उच्छल खूद करते हुए दिखाई पड़े, वो पार्क के सेंटर में लगी सेमेंट की पट्टी पर बैठ गया.
" साला !!! ये बैठ क्यों नही रहा ? " ........निक्कर में बने तंबू को कोसते हुए उसने उस पर हल्के हाथ की चपत लगा दी, यकीन से परे था ...अभी थोड़ी देर पहले उसकी सग़ी छोटी बेटी उसका लंड चूसने वाली थी.
" सब उल्टा - पुल्टा मेरे साथ ही क्यों होता है ? " ......उसने खुद से सवाल किया और तभी उसे कम्मो की कही बात याद आ गयी ...... " निम्मी आज कल बहुत गरम रहने लगी है " .......फॉरन दीप झुंझला गया ...... " अगर गरम रहती है तो क्या अपनी गर्मी बाप के हाथो ख़तम करवाएगी ..पूरी दुनिया पड़ी है, जिससे चाहे ..उससे चुदवा ले "
कुछ देर इसी उधेड़ बुन में लगे रहने के बाद उसके दिमाग़ की बत्ती जली ....... " तौबा !!! यह गुस्से में मैं क्या बोल गया ..वो मेरी बेटी है, ऐसे तो समाज में मेरी नाक कट जाएगी और उसकी लाइफ खराब होगी सो अलग ..नही - नही मैं ऐसा कभी नही होने दूँगा, सम्झाउन्गा उसे ..लेकिन कैसे ? " .......दीप का दिमाग़ घूमने लगा, उसकी आँखें अब भी वही सीन देख रही थी ...जब निम्मी ने उसके लंड को नेकेड देखा था, वो एक - दम से कितना डर गयी थी ...लेकिन बाद में उसी लंड को चूसने के लिए मचल उठी, वो तो भला हो निक्की का जिसकी आवाज़ सुनने के बाद निम्मी ने उसे बक्श दिया ...वरना आज अनर्थ हो जाता.
" मैं खुद भी तो पापी हूँ, ज़रा भी सहेन नही कर पाया ..अकेले निम्मी की ग़लती नही, मैं तो खुद चाह रहा था वो मेरा लंड चूसे " .....आख़िरकार सच बात दीप के होंठो पर आ ही गयी ...उसकी के इशारे पर तो निम्मी ने लंड के सुपाडे को चूमा था, यदि वो उस वक़्त खुद पर कंट्रोल कर लेता ...तो शायद अभी चूतियों जैसा पार्क मे नही बैठा होता.
" मैं अब कहाँ जाो, घर जा नही सकता ..जेब भी खाली पड़ी है, भिखारी बन गया हूँ आज तो " .......पार्क के बीचों - बीच सूर्यादेव का प्रकोप बढ़ा और दीप तुरंत पसीने से तर - बतर होने लगा.
" फोन होता तो निक्की का पता कर लेता, भरोसा नही निम्मी का ..कहीं उसी के सामने मेरा रेप ना कर दे " .........चिलचिलाती धूप दीप की सहेंशक्ति से बाहर हो गयी, थक हार कर वो बैंच से उठा और वापस घर की तरफ जाने लगा.
" अब जो होगा देखा जाएगा ..घर पहुचते ही चुपके से अपने कमरे में घुस जाउन्गा, निम्मी लाख दरवाज़ा पीटे ..गेट नही खोलूँगा " .......दीप के बढ़ते कदम बार - बार लड़खड़ा कर उसे घर ना जाने की चेतावनी दे रहे थे ...पर उसके लिए एक - एक पल की गर्मी बर्दास्त से बाहर होती जा रही थी, जैसे - तैसे वो घर के बाहरी कॉंपाउंड तक आया और सबसे पहले उसने निक्की की अक्तिवा चेक ही ...जो वहाँ मौजूद नही थी.
" उफफफफफ्फ़ !!! बच गया " ......इसके बाद उसके कदम घर की चौखट तक पहुचे, किसी चोर की भाँति उसने अंदर झाक कर निम्मी की वर्तमान स्थिति का जायज़ा लिया ...लेकिन महारानी हॉल में बिछे सोफे पर आँखें मूंद कर लेटी दिखाई दी.
वो दबे पाओ घर के अंदर आया और बिना कोई खटपट किए हौले - हौले सीढ़ियों तक पहुच गया ...लेकिन यहाँ उसकी किस्मत खराब रही, जो स्लीपर पहने सीढ़ियाँ चढ़ने लगा था ...ज़रा सी आहट से निम्मी उठ कर बैठ गयी.
" डॅड सुनो तो सही ..मुझे आप से ज़रूरी काम है " .......एक कामुक अंगड़ाई लेते हुए निम्मी ने कहा और सोफे से नीचे उतरने लगी ......" अभी कोई काम नही ..मुझे नींद आ रही है " ........बेटी के सोफे से फ्लोर पर पाओ रखते ही दीप ने दौड़ लगा दी, जैसे कोई पागल कुत्ता उसके पीछे छोड़ दिया गया हो और सीधा वो अपने कमरे में एंटर हो गया ...उतनी ही तेज़ी से उसने गाते भी अंदर से बोल्ट कर लिया.
" हहेहहे !!! कब तक बचोगे डॅड " .......एक चिर - परिचित कमीनी मुस्कान छोड़ते हुए निम्मी वापस सोफे पर ढेर हो गयी ...... " मैं भी थोड़ा सो लेती हूँ ..रात में डॅड की नींद जो हराम करनी है " .......थोड़ी देर तक अपनी कुँवारी चूत को सहलाने के बाद उसने भी आँखें मूंद ली और नींद के आगोश में जाने लगी.

इन पुणे :-
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निकुंज के कमरे से बाहर जाते ही कम्मो ने गेट को अंदर से बोल्ट कर लिया और कुछ गहरी साँसें लेने के बाद, सामने लगे बड़े से मिरर में अपना अक्स देखने लगी.
" हे भगवान !!! यह मैं कितना नीचे गिरती जा रही हूँ " .......ब्रा और टवल नुमा स्कर्ट में खुद का उघरा बदन देखते ही कम्मो की सिट्टी पिटी गुम हो गयी और वो तेज़ कदमो से शीशे के सामने आ कर खड़ी हो गयी.
" औरत चाहे 100 साल की उमर पार क्यों ना कर ले पर शीशा उसे कभी बूढ़ा नही होने देता " ........यही इस वक़्त कम्मो के साथ भी हुआ, दो चार पल अपने बदन को निहारने के बाद उसे कुछ कमी सी दिखाई पड़ी ...एक लंबी साँस खिचते हुए उसने अपना पेट अंदर को सिकोडा और खुद ब खुद उसका सीना बाहर की तरफ निकल आया, फॉरन उसके होंठ फैल गये ...वो मुस्कुरा उठी.
गीले बालों का जूड़ा बनाने के बाद उसने ड्रेसिंग टेबल का पहला ड्रॉयर खोला और जिस चीज़ के मिलने की उसे आशा थी ...वो उसके हाथो के क़ब्ज़े में आ गयी.
होटेल काफ़ी महँगा था और अक्सर वहाँ रुकने वाले गेस्ट भी वीआइपी ही आते थे, शायद किसी ने रूम छोड़ने से पहले ध्यान ना दे पाया हो और जो मेक - अप कीट कम्मो के हाथ लगी ...वो ज़रूर किसी गेस्ट की भूल का नतीजा जान पड़ी.
" इसमें तो सब कुछ है " ........वो खुशी से झूमते हुए बोली और इसके तुरंत बाद उसने अपना चेहरा सजाना शुरू कर दिया.

कम्मो ने जी जान लगा दी, जैसे आज के बाद उसे अपने प्रेमी को रिझाने का मौका दोबारा नही मिलने वाला ...पर वह प्रेमी है कौन, कहीं स्वयं उसका लाड़ला निकुंज तो नही ...वो इस बात से भी अंजान नही थी, बस उसे तो सनक चढ़ि थी अपने बेटे को उत्तेजित करने की ...वो चाहती थी आज उसे कुछ भी करना पड़ जाए लेकिन बेटे का लिंग तनाव में आना चाहिए.
" बस एक बार मैं अपनी आँखों से उसका वीर्य - पात देख लूँ ...फिर अपने कदम वापस पीछे खीच लूँगी, जानती हूँ यह सरासर ग़लत है ...एक मा हो कर मेरे मन में अपने सगे बेटे के लिए इस तरह की पापी भावना नही आनी चाहिए, पर मैं उसका उदास चेहरा और उदास नही देख सकती ...मेरे बेटे को ज़रूर न्याय मिलेगा और मेरी बहू तनवी को भी, फिर चाहे जीवन पर्यंत मुझे अपनी नज़रो से नीचे गिरना क्यों ना पड़े ...मुझे मज़ूर है " ...कम्मो ने प्रन करते हुए कहा, उसका दृढ़ - संकल्प देखने लायक था ...फिर अपने बालो को संवार कर वो सोफे पर बैठ गयी और निकुंज के लौट आने का इंतज़ार शुरू हो गया.
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कमरे से बाहर निकल कर निकुंज लिफ्ट तक पहुचा जो टॉप फ्लोर से नीचे लौट रही थी, बटन प्रेस करने के 10 सेकेंड्स बाद उसका डोर ओपन हुआ और वह उसके अंदर एंटर कर गया.
कुछ ही पल बीत पाए होंगे, उसे अपने पीछे से ख़ुसर - फुसर की आवाज़ें सुनाई देने लगी, ऐसा लगा जैसे कोई हंस रहा हो ...उसने पलट कर देखा तो अपने पीछे एक यंग कपल खड़ा पाया, थोड़ा नाराज़गी भरा फेस एक्सप्रेशन देते हुए वो अपनी पहली पोज़िशन में मुड़ा ही था कि उसकी नज़र उन दोनो के चेहरे पर पड़ी और उनकी आँखों का पीछा करते हुए वह अपने हाथ तक पहुच गया ...तुरंत उसे मालूम पड़ गया, वह हसी का पात्र क्यों बना.
 

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शर्मिंदा होते हुए उसने अपनी मा का ब्लाउस फोल्ड कर अपनी शर्ट के अंदर कर लिया और इसके बाद लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर टच कर गयी ...तीनो बारी - बारी लिफ्ट से बाहर निकले लेकिन निकुंज का झुका सर क्षुब्ड़ अवस्था में और झुक चुका था ...काश उसके आंतरिक मन की पीड़ा यूँ आम ना होती और वो मज़ाक का पात्र नही बनता, उसने कपल से आगे निकलते हुए मेन गेट क्रॉस किया और जल्दी ही उसकी सफ़ारी हवा से बातें करने लगी ...चलती कार से उसकी आँखें किसी माल या लॅडीस गारमेंट स्टोर ढूँढने में व्यस्त हो गयीं और 2 किमी बाद ही उसे एक छोटा सा माल दिखाई पड़ गया.
सफ़ारी पार्क कर वो माल में एंटर हुआ और सीधे अपनी मतलब की शॉप पर पहुच गया.
काउंटर गर्ल से मिलने के पश्चात उसने जल्द ही एक सिंपल ब्लॅक साड़ी पसंद कर ली लेकिन जब उसके माप का ब्लाउस और पेटिकोट की बारी आई, वह बुरी तरह झेप गया ...थक हार कर उसने अपनी शर्ट के अंदर हाथ डाला और ब्लाउस को काउंटर गर्ल के सुपुर्द करते हुए, वहाँ से थोड़ा दूर बने वॉश - रूम की तरफ बढ़ गया ...शायद वह शर्मिंदा था और उसकी शर्मिंदगी जायज़ भी थी.
" पहले निक्की और अब मोम ..मेरा सर फटा जा रहा है " .......बाथ - रूम के अंदर आते ही उसने अपना सर पकड़ लिया ....... " क्या इस तरह कभी किसी बेटे ने अपनी मा के लिए शॉपिंग की होगी ..लानत है मुझ पर " ........वह रुवासे स्वर में बोला, इस वक़्त उसकी तीन प्रॉब्लम्स बढ़ कर चार में तब्दील हो चुकी थी ...निक्की, कम्मो, नमार्दी और अब बाहरी लोगो का तिरस्कार, उनकी तोचना ...जो उसे लिफ्ट में मिले कपल के हाथो झेलनी पड़ी थी और अब काउंटर गर्ल का मुस्कुराना उस पर सितम धाने को काफ़ी था.
वह ज़्यादा देर तक वॉश - रूम में नही रुका और वापसी में उसने देखा उसका सामान लगभग पॅक हो चुका था.
" सर !!! इस ड्रेस के अंदर पहनने के लिए हमारे पास एक से बढ़ कर एक लाइनाये सेट हैं ..आप वे भी देख सकते हैं, होप आप की पार्ट्नर को बेहद पसंद आएगा " .......पॅकेट हाथ में उठाते ही काउंटर गर्ल ने उससे पूछा.
" शुक्रिया !!! अभी ज़रूरत नही ..फिर कभी ले जाउन्गा " ......इतना कह कर उसने मैं काउंटर पर बिल चुकाया और शॉप से बाहर निकल गया.
सफ़ारी वापस होटेल की तरफ लौटने लगी, पर उसकी रफ़्तार मानो साइकल से भी कम थी ...शॉप की काउंटर गर्ल द्वारा कही बात उसके दिमाग़ में थी ज़रूर पर अब उसने रिक्ट करना छोड़ दिया था.
" पार्ट्नर !!! हुह ..इनका बस चले तो ज़रूर एक ना एक दिन हर बेटा अपनी मा के लिए लाइनाये खरीद कर ले जाएगा, ज़रा भी शरम नही आती इन्हे ..बस अपने बिज़्नेस से मतलब है " .......कार पार्किंग में लगाते हुए निकुंज ने पॅकेट थामा और टूटे कदमो से अपने कमरे की तरफ चल पड़ा.
रूम के ठीक सामने आ कर उसने अपना सर ऊपर उठाया ...शायद भगवान से प्रार्थना करना चाहता था कि कमरे के अंदर के हालात सही हों ....... " क्या पता मोम अंदर किसी सिचुयेशन में होंगी ? " .......उसने सोचा लेकिन तभी कॉरिडर की स्टार्टिंग से होटेल के दो करम्चारि उसे अपनी तरफ आते दिखाई दिए ...यहीं उसकी सोच पर पूरी तरह से विराम लग गया और उसने 2न्ड के लॉक के अंदर प्रवेश करवा दी.
" बड़ी जल्दी आ गया बेटा " ........जिस स्पीड से वो अंदर आया सेम उसी स्पीड से उसे दरवाज़ा वापस बंद करना पड़ा, नही तो स्टाफ के बंदे कमरे के अंदर झाँक सकते थे.
" हां मोम !!! शॉप पास में थी तो ज़्यादा वक़्त नही लगा " ......दरवाज़ा बोल्ट करते हुए वा बोला और उसके पलटने पर कम्मो सोफे से उठ कर बेड पर बैठ गयी.
" ला दिखा !!! देखूं तेरी पसंद " ....कम्मो ने उसे स्माइल दी और अपना हाथ हवा में ऊपर उठाते हुए कहा.
निकुंज जहाँ खड़ा था अपलक उसका चेहरा देखने में खो गया ...ना एक कदम इधर ना एक कदम उधर, वह अपनी मा की खूबसूरती देखने के बाद बुत बन चुका था ...लेकिन अबकी बार इसका सीधा असर कम्मो की चूत पर हुआ, टवल के अंदर पैंटी ना पहनी होने की वजह से उसकी योनि की कोमल फांके फदक उठी और ना चाहते हुए भी उसे अपनी टाँगो में हलचल पैदा करनी पड़ी ...सिर्फ़ ब्रा और एक छोटी सी टवल उसका भारी व सुडोल बदन धाँकने में बिल्कुल असमर्थ थी, ऊपर से बेटे का अपनी मा को इस तरह से देखना ...कम्मो की पलकें झुक गयी और चेहरा शरम से लाल हो गया.
" जानती हूँ !!! एक मा को अपने बेटे के सामने इस हालत में कभी नही आना चाहिए ..माफ़ करना निकुंज, पर मेरे पास और कोई चारा भी तो नही है " .......मा के द्वारा कही बात सुनकर निकुंज अपने होश में लौटा और फॉरन कदम आगे बढ़ा कर उसके हाथ में पॅकेट थमा दिया.
" ऐसी बात नही है मोम !!! मजबूरी और लाचारी इंसान से कुछ भी करवा सकती है, आप फिकर ना करो मुझे कोई आपत्ति नही " ........यह बोलते वक़्त निकुंज मुस्कुराया या शायद जान कर मुस्कुराने का नाटक किया ताकि कम्मो और ज़्यादा शर्मिंदा ना हो ....... " आप चेक कर लीजिए, मुझे तो यही पसंद आया " .......इतना कह कर वह बेड के सामने रखे सोफे पर बैठ गया, चाहता तो नही था लेकिन उसके यहाँ - वहाँ होने से कम्मो का दिल दुख़्ता.
" अरे वाह !!! बड़ी अच्छी साड़ी है और मॅचिंग का ब्लाउस - पेटिकोट भी है ..लेकिन ... " .........कम्मो बोलते - बोलते रुक गयी ..वहीं उसका आशय समझ कर निकुंज ने कहा ....... " भूल गया मोम ..वापस जाउ क्या ? "
" नही ज़रूरत नही ..वैसे भी कलर ब्लॅक है, बिना अंडरगार्मेंट्स के भी काम चल जाएगा ..इधर आ ज़रा " ......कम्मो ने उसे अपने पास बुलाते हुए कहा और निकुंज के खुद के पास आते ही वह भी बेड से उठ खड़ी हुई.
अब दोनो आमने - सामने थे और इसके फॉरन बाद कम्मो अपने बेटे के गले लग गयी ...... " निकुंज !!! मुझे माफ़ कर दे " ......उसने कस कर उसे को अपने अंदर समेटा, जैसे इसी पल उसकी सारी हड्डियाँ चूर - चूर कर देगी ...वहीं निकुंज एक पल के लिए हड़बड़ाया और हतप्रत हो कर पीछे हटना चाहा, लेकिन ऐसा मुमकिन ना हो सका ...उसे खुद किसी अपने के सहारे की ज़रूरत थी ...एका - एक उसके मूँह से ....." मोम !!! " .....शब्द फूटा और उसने अपनी तरफ से ज़ोर देते हुए कम्मो की बाहों के नीचे अपने दोनो हाथ डाल दिए.
 

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हालात बनते - बिगड़ते देर नही लगती ...यहाँ कम्मो ने उसकी पीठ को सहलाना शुरू किया और खुद - ब - खुद निकुंज के हाथ भी आगे बढ़ते हुए उसकी अधनंगी पीठ से लिपट गये ...शुरूवात में कम्मो की पकड़ अपने बेटे पर ज़्यादा मजबूत थी लेकिन जैसे ही निकुंज ने अपने हाथ उसकी पीठ पर कसे, कम्मो को अपने पैरो के पंजो पर खड़ा होना पड़ा और साथ ही निकुंज उस पर झूल सा गया ...हलाकी हाइट में वह निकुंज से ज़्यादा छोटी नही थी पर इस वक़्त दोनो लगभग बराबरी पर आ चुके थे और यहीं से उनके दरमियाँ जो प्यार भरा एहसाह था ...अब छट कर वासना का रूप लेने लगा.
ब्रा में क़ैद कम्मो की पहाड़ सी चूचियों का निकुंज की छाती से टकराना कमरे में चिंगारियाँ पैदा कर चुका था ...कम्मो !!! जिसे काफ़ी बरसो बाद महसूस हुआ आख़िर सही गले लगाना किसे कहते हैं, वहीं निकुंज भी कयि दिनो से दुख और अजीबो - ग़रीब हलातो से गुज़र रहा था ...वह इस वक़्त उत्तेजित तो था, लेकिन उसके लिंग में तनाव ना आ पाना उसे मजबूर कर रहा था अपनी मा के और भी ज़्यादा नज़दीक जाने के लिए ...सहसा उसके हाथो की उंगलिया घूमती हुई कम्मो की ब्रा स्ट्रीप मे उलझने लगी और जुंझलाहट में वह ब्रा का हुक खोलने की कोशिश करने लगा.
दोनो के चेहरे बिल्कुल करीब थे और आँखें थी जो झपकने का नाम नही ले रही थी ...दोनो की गरम साँसे टकरा जाती और दोनो आनंद के सागर में गोते लगाने लगते.
इसी बीच कम्मो के बदन में अकड़न आना शुरू हुई और जिसकी मुख्य वजह थी उसकी कमर पर लिपटी टवल का झटके से खुल जाना, पर यह जानते हुए भी कि टवल हौले - हौले नीचे को सरकती जा रही है ...वो टस से मस ना हुई, बल्कि उसने अपना निचला धड़ बेटे के सुप्त लिंग से रगड़ना शुरू कर दिया और इसी जद्दो - जहद में टवल खुल कर नीचे ज़मीन पर आ गिरी.
अब कम्मो आज़ाद थी, उसने पूरी ताक़त लगा कर अपनी रस भीगी योनि बेटे के लंड से चिपका दी और अपने बदन का सारा भार भी उसके ऊपर डाल दिया ...वहीं निकुंज उसकी ब्रा का हुक खोलने में नाकाम रहा और फॉरन उसके हाथ तेज़ी से मा के चूतड़ो की दिशा में बढ़ गये.
ज्यों - ज्यों उसकी कपकापाती उंगलियों का स्पर्श कम्मो के निचले धड़ की ओर बढ़ता, वह कसमसा कर उससे दोगुनी तेज़ी से लिपट जाती ...आख़िर वक़्त आ गया जब बेटे के दोनो हाथ मा के नंगे चूतड़ो को छु गये और ठीक इसी वक़्त कम्मो ने कामुकता भरी सिसकी ले कर अपने खुश्क होंठ, उसके होंठो से चिपकाने के लिए आगे बढ़ा दिए.
पल भर में एक तगड़े झटके के साथ निकुंज इस गहरी नींद से बाहर आया और होश समहालते ही उसे अपने हाथों में मा के नगन कोमल चूतड़ो के पाट महसूस हुए, लेकिन इसे उसकी हड़बड़ी कहें या ग़लती, उसने कन्फर्म करने की गरज से अपने हाथ के पंजो को 2 - 4 बार तेज़ी से पंप किया और वाकाई उसका अनुमान सही निकला ...नरम - नरम चूतड़, जिनमें सिवाए माँस भरा होने के कुछ और नही था ..... " मोम !!! " ......फॉरन उसके मूँह से दर्दनाक चीख निकली, जिसे सुनकर कम्मो भी सपने से बाहर आ गयी और एक प्रश्नवाचक निगाह से अपने बेटे की आँखों में झाँका ..... " जैसे पूच्छ रही हो क्या हुआ ? " ......लेकिन जब तक निकुंज उसके नंगे बदन से अपने हाथ दूर कर चुका था.
बेटे द्वारा छितकाए जाने से कम्मो को अपने निचले धड़ पर काफ़ी हलकापन महसूस हुआ और यह संकेत मिलते ही कि टवल उसके बदन से हट चुकी है ...वह भौचक्की रही गयी और जिन हाथो से वह अपने बेटे की पीठ को सहला रही थी ...अपने आप लकवा मार जाने की स्थिति में नीचे गिरते चले गये.
दोनो एक दूसरे की पकड़ से अब पूरी आज़ाद थे ...कम्मो की आँखों की कीनोर छलक पाती उससे पहले ही निकुंज ने नीचे गिरा टवल उठा कर अपनी मा कर उघरा बदन ढँक दिया और खुद तेज़ी से दौड़ता हुआ कमरे का गेट खोलने लगा.
" निकुंज !!! " .....कम्मो ने उसे पुकारा, रोकने की कोशिश की लेकिन उसकी आवाज़ में दम नही था ...वहीं निकुंज ने एक पल भी व्यर्थ नही जाने दिया और गेट बंद हुए कमरे से बाहर निकल गया.
 

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पापी परिवार--42

इतना सब हो जाने के बाद भी कमरे के हालात तेज़ी से बदले ...एक अंजाने भय ने कम्मो को झगझोर कर रख दिया, निकुंज का इस तरह दौड़ कर कमरे से बाहर जाना यक़ीनन किसी बड़ी अनहोनी का पूर्व संकेत था.

आँसू बहाती कम्मो ने फॉरन टवल उतार फेका और साथ ही ब्रा का हुक खोलने लगी ...इसके बाद उसने पॅकेट से पेटिकोट निकाल कर पहना और उतनी ही तेज़ी से ब्लाउस पहन कर, साड़ी बदन पर लपेटने लगी ...उसने ज़्यादा प्लेट्स नही बनाई, बस एक मजबूत गठान बाँध कर उसे पेटिकोट के अंदर ठूंस लिया और रूम की 1स्ट के खोजने की परवाह ना करते हुए ...कमरे से बाहर जाने को अपने कदम बढ़ा लिए.

होटेल के बाहर पहुचने के बाद निकुंज के मन में भी सेम यही ख़याल आया और डर से बुरी तरह काँप कर वह, कमरे में वापस जाने को मूड गया ...दोनो जल्द से जल्द अपने जायज़ मुक़ाम पर पहुचना चाहते थे, जिसके लिए कम्मो को लिफ्ट का सहारा मिल गया पर बेचारा निकुंज दौड़ता हुआ सीढ़ियाँ चढ़ने लगा.

कम्मो रिसेप्षन से होती हुई होटेल के बाहर निकल गयी, रास्ते में उसकी बाज़ नज़र ने अपने बेटे को कहीं नही पाया था ...बाहर आने पर उसने पार्किंग में अपनी सफ़ारी तलाश की और उस पर निगाह पड़ते ही उसकी जान में जान वापस आई ...... " इसका मतलब वह यहीं कहीं है या ज़्यादा दूर नही गया होगा " .....अपने मन में ऐसा विचार कर वह मेन रोड की तरफ चल पड़ी.

दूसरी तरफ निकुंज हान्फ्ते हुए कमरे के सामने पहुचा और बिना कोई अग्रिम सूचना दिए गेट धकेल कर अंदर एंटर हो गया ...... " मोम !!! " ......उसे चिल्लाते देर नही हुई और फ्लोर पर उतरी पड़ी ब्रा और टवल से उसका सामना हुआ ...बेड पर रखा पॉलीबेग भी खाली था, यह देखते ही उसकी साँस फूलने लगी.

" मैं खुद को कभी माफ़ नही करूँगा " .......कदम पीछे खीचते हुए वह फिर से दौड़ पड़ा और इस बार भी उसके नसीब में सीढ़ियाँ ही लिखी थी ...थकान से चूर वह जल्दी ही होटेल के बाहर पहुच गया, चारो तरफ नज़र दौड़ाने के बाद उसने मेन रोड की तरफ अपनी निगाह कस दी ...जहाँ आख़िरी चोर पर उसकी मा उसे पागलो की तरह भटकती दिखाई दी.

" मोम !!! " .......वह पुरज़ोर ताक़त लगा कर चीखा और उसकी आवाज़ सुनकर फॉरन कम्मो ने पीछे पलट कर देखा ...निकुंज को देखते ही उसके आँसुओ की गति उतनी ही तेज़ हो गयी, जितनी तेज़ उसका बेटा दौड़ता हुआ उसके नज़दीक चला आ रहा था.

मेन रोड पर आने - जाने वालो का अंबार लगा हुआ था, लेकिन उनकी परवाह किसे थी ...निकुंज बिल्कुल अपनी मा के करीब पहुच कर रुका गया, एक नज़र गुस्से से उसके रोते चेहरे को निहारा और अगले ही पल उसे अपने आगोश में समेट'ते हुए ...डाँट लगाने लगा ...... " अगर दो पल की देरी और हुई होती मोम ..मैं अपनी जान दे देता, मत रूठो मुझसे ..मैं अपनी ग़लती के लिए शर्मिंदा हूँ " ......यह कहते ही उसका रहा - सहा सबर टूट गया और वह भी भावुक हो उठा ...कम्मो ने तो इसकी कल्पना तक नही की थी और यहाँ उसकी परेशानी बढ़ गयी, खुद रोना बंद करे या अपने बेटे को चुप करवाए ...उसकी समझ से परे था.

" नही बेटा !!! मैं तुझसे कभी नाराज़ नही हो सकती ..चुप हो जा निकुंज और जो हुआ उसका सच मैं तुझे बताती हूँ " .......सेकेंड्स मे फ़ैसला कर कम्मो ने उसे अपने सीने से अलग किया और अगली बात कहने से पहले निकुंज ने उसके खुले होंठो पर अपना हाथ रख उसे चुप करवा दिया.

" मुझे कोई सच नही सुन'ना मोम, अब हॉस्पिटल चलो ..रघु की बहुत याद आ रही है " .......इतना कहने के बाद उसने मा का हाथ थामा और वे दोनो हॉस्पिटल जाने के लिए सफ़ारी में बैठ गये, जहाँ कम्मो का रोम - रोम अपने बेटे के इस बिहेवियर से पुलकित हुआ वहीं निकुंज भी बीती बात भुला कर कार में गियर डालने लगा ...गियर डालने के उपरांत उसकी आँखें अपने पॅंट पर बने उस गीले दाग पर टिक गयी, जो ठीक उसके लंड वाले पार्ट पर लगा हुआ था ...वापस दोनो का आइ कॉंटॅक्ट जुड़ा और इस बार कम्मो बुरी तरह लजा गयी ...निकुंज भी गंभीर हो उठा, समझदार को इशारा काफ़ी होता है ...यह गीला निशान प्रमाण था उसकी माँ की उत्तेजना का, मा का अपनी रस से सराबोर योनि उसके सुप्त लिंग पर रगड़ना फॉरन उसे याद आ गया.
 

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" रूमाल नही है तेरे पास ? " .......जाने कम्मो क्या सोच कर बोल गयी और तभी निकुंज कार को मेन रोड पर दौड़ाने लगा ...... " रहने दीजिए मोम !!! सूख जाएगा " ......बात कहते वक़्त निकुंज को भी भान नही रहा वह अपनी मा के साथ है, ना की किसी गर्ल फ्रेंड के साथ ...मगर एक बात जो दोनो ने महसूस की वह थी ओपेनेसस, कहाँ पहले ऐसे टॉपिक होने की गुंजाइश तक नही होती थी और आज कितने आराम से दोनो खुल कर बात करने लगे थे.

इसी तरह आँख मिचोली होती रही, कभी बेटा संकोची हो जाता तो कभी मा और कुछ देर बाद दोनो हॉस्पिटल पहुच गये.

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ड्र. शर्मा !!! जो विगत पिच्छले 4 सालो से रघु की देख रेख कर रहे थे ...उन्होने मा - बेटे का स्वागत किया और पर्मिशन लेटर मिलने के बाद तीनो रघु से मिलने उसके प्राइवेट रूम की तरफ बढ़ गये.

वे कमरे में एंटर हो पाते तभी ड्र. शर्मा की सहायक ड्र. नीलिमा भी वहाँ पहुच गयी और उन्हें बताया, आज किसी भी मरीज़ को उनके रिलेटिव्स से मिलने की अनुमति नही है ...पूच्छने पर पता चला आज हॉस्पिटल में फॉरिन से आए कुछ सीनियर्स की विज़िट है, इस वजह से मरीज़ को किसी से भी मिलने नही दिया जा सकता ...बल्कि उन की दिनचर्या पर आज पूरे दिन गौर किया जाएगा.

कम्मो और निकुंज तड़प उठे ...उनके और रघु के दरमियाँ सिर्फ़ एक दरवाज़े का फासला था फिर भी वे उससे कोसो दूर जान पड़े ...कम्मो के बहते आँसू देख कर दोनो डॉक्टर'स ने उसे साहस दिया और निकुंज को समझाइश देने के बाद वे अपने रेग्युलर कामो को पूरा करने निकल गये.

" चलो मोम !!! हम कल आ जाएँगे " .......अपनी मा का कंधा थामे निकुंज हॉस्पिटल से बाहर आने लगा, वह खुद भी बेहद दुखी था ...रघु से मिलने का सोच कर तो उसके माइंड से बीती सारी बातें जाती रही थी, पर वे दोनो अब कर भी क्या सकते थे ...दोनो वापस होटेल लौट आए.

लंच पर भी दोनो के बीच कोई बात नही हुई और देखते ही देखते रात का वक़्त नज़दीक आने लगा.

रात के 8 बजे हैं ...होटेल के रूम में एक दम सन्नाटा छाया हुआ है ...निकुंज सोफे पर और कम्मो बेड पर, लेकिन इतने दूर - दूर बैठे होने के बावजूद भी दोनो एक दूसरे के बारे में ही सोच रहे थे.

हलाकी निकुंज अपने मन से दोपहर वाली घटना को काफ़ी हद्द तक बाहर निकाल चुका था, पर फिर भी बात कोई छोटी - मोटी तो थी नही, जो इतनी जल्दी भुलाई जाती ...उसकी हैरत भरी सोच की मुख्य वजह, अपनी मा के बिहेवियर में काफ़ी सारे चेंजस का आना था ...वो भी सिर्फ़ 1 दिन में.

जिस औरत ने कभी अपने बदन से पल्लू नही सरकने दिया हो, आज वह कयि घंटो तक अपने सगे बेटे के सामने ...बिना किसी संकोच के केवल ब्रा में खुले आम घूमती रही थी और साथ ही बिना पैंटी पहने उसने बेटे का छोटा सा टवल अपने निच्छले धड़ पर लेपेट रखा था ...चलो यह तो उसकी मजबूरी मानी जा सकती है क्यों कि उस औरत के पास कपड़ो से रिलेटेड, कोई दूसरा ऑप्षन नही था ...पर यह कैसे मुमकिन हुआ कि कामुकता वश अंधी होकर वह औरत अपने बेटे के जिस्म से लिपट कर, सारी दीन - दुनिया ...लाज - शरम, पल भर में सब कुछ भूल गयी ...यहाँ तक की उत्तेजना में भरने के बाद उसे अपने निच्छले धड़ के बे - परदा होने का भी कोई अनुमान नही लग पाया और बेतहाशा अपनी रस भीगी योनि बेटे के लिंग पर रगड़ती जा रही थी, वो तो उसके बेटे को सही वक़्त पर होश आ गया ...वरना आज उन मा - बेटे का पवत्र रिश्ता ज़रूर पाप की बलि चढ़ जाता.

" सबसे ज़्यादा परेशान करने वाली बात, वह औरत कोई पराई स्त्री नही ...मेरी सग़ी मा है " ......निकुंज ने गंभीरता पूर्वक इस पूरे वाक़या को अपने गहन - चिंतन में कयि बार उतारा ...पर उसे इसका उत्तर कहीं से कहीं तक नही मिल पा रहा था ...... " क्या एक औरत उत्तेजना की कामग्नी में रिश्ते नाते तक भूल जाने को विवश हो जाती है ..अगर ऐसा नही तो मा को मेरे साथ उस हालत में इतना आनंद क्यों मिल रहा था " .......सहसा सोचते हुए निकुंज की नज़र अपने पॅंट के उस हिस्से पर पहुच गयी, जहाँ उसकी मा की योनि से निकला तरल पदार्थ अब सूख कर दाग बना चुका था
 
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