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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

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वहीं कम्मो की सोच में भी अपने बेटे की सोच की मिलावट देखी जा सकती थी ...उसकी सारी प्रतिग्या, सारा द्रढ संकप चुटकियों में समाप्त होता नज़र आया.

" जाने निकुंज मेरे बारे में क्या - क्या सोच रहा होगा ..कहीं मैने कोई जलबाज़ी तो नही कर दी " ......कम्मो ने टीस में भरते हुए सोचा ......" लेकिन मैं नंगी हो गयी और पता भी नही चला, यह कैसे संभव हुआ ..क्या उस वक़्त मैं अपने होश - ओ - हवास खो चुकी थी, फिर मेरी चूत में रस क्यों आया ..जबकि मेरे दिल में तो अब तक उसके लिए कोई ग़लत ख़यालात नही हैं " .......कम्मो ने महसूस किया, जबसे उसने नीमा और उसके बेटे की चुदाई वाली बात सुनी है ...तब से लेकर अभी तक उसकी चूत एक पल को भी सूखी नही रह पाई है, लेकिन क्यों ...बस यही उसकी समझ में नही आ रहा था.

निकुंज ने चोर नज़र से अपनी मा का चेहरा देखा लेकिन हाल पकड़ा गया ...कम्मो उसकी तरफ ही देख रही थी, हड़बड़ाहट में उसके मूँह से कुछ शब्द फूटे, पर वह क्या बोला ...ना उसे पता चला ना ही उसकी मा को.

कम्मो ने बेड पर पसरते हुए अपनी आँखें बंद कर ली, शायद वह अब सोना चाहती थी ....... " मोम !!! डिन्नर कर के सोना ..मैं ऑर्डर कर देता हूँ " .......फॉरन निकुंज सोफे से उठ खड़ा हुआ और लॅंड लाइन पर नंबर डाइयल करने लगा ...... " मुझे भूख नही ..तू खा ले " ...... बिना आँखें खोले कम्मो ने जवाब दिया और सोने की व्यर्थ कोशिश शुरू कर दी.

" अब तक नाराज़ हो मुझसे ? " ......निकुंज ने उससे पूछा पर कम्मो ने कोई जवाब नही दिया.

निकुंज ने कॉल कट कर दिया और हौले हौले कदमो से बेड के नज़दीक आ कर खड़ा हो गया ....... " मोम मैने अपनी ग़लती मान तो ली !!! हां उस वक़्त मैं बहेक गया था ..पर यदि आप इस तरह रूठ गयी मुझसे, मैं जी नही पाउन्गा " .......अपने बेटे के मूँह से निकली इस बात को सुनकर कम्मो के होश उड़ गये ....... " यह क्या कह रहा है ..सारी ग़लती इसने अपने ऊपर ले ली " .......कम्मो ने अपनी आँखें खोल कर देखा, निकुंज ठीक बेड के सामने अपने कान पकड़े खड़ा हुआ था.

" माफ़ कर दो ना मोम " .......एक याचक की भाँति उसका बेटा गिडगिडाने लगा था ...कम्मो हत्प्रद कभी उसके काँपते होंठो को देखती तो कभी हाथो को, जिन्होने बड़ी कठोरता से उसके के कान मरोड़े हुए थे ...यह दृश्य कम्मो ज़्यादा देर का देख नही पाई और उसके बेड पर बैठते ही निकुंज ने अपने हाथ जोड़ लिए ...... " मोम !!! रघु को घर छोड़ने के बाद मैं खुद कहीं दूर चला जाउन्गा और फिर कभी आप की नज़रो के सामने वापस नही आउन्गा ..बस एक बार माफ़ कर दो, मैं बहुत शर्मिंदा हूँ अपने किए पर " ........निकुंज रुवासे स्वर में बोला और मजबूरन उसके प्रार्थना स्वरूप जुड़े हाथो को खुलवाने के लिए कम्मो को बेड से नीचे उतरना पड़ा.

" तू पागल हो गया है क्या ..मैं तेरे बागेयर जी पाउन्गि ..बोल ? " ........कम्मो ने उसके जुड़े हाथ तो खुलवा लिए पर दोबारा हिम्मत ना कर सकी उसे अपने गले से लागाने की.

" फिर आप खाना क्यों नही खा रही मोम और क्या इतनी जल्दी आप को नींद आ सकती है ..बोलो ? " .......उल्टे निकुंज ने उससे सवाल किया ....... " मोम !!! क्या एक आख़िरी बार आप के गले लग सकता हूँ, फिर चाहे लाइफ टाइम के लिए मुझे अपने करीब मत आने देना " ......यह कहते हुए उसने अपना सर शरम से नीचे झुका लिया
 

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" क्या इसके लिए भी तुझे मेरी इजाज़त की ज़रूरत है और अगर तू मेरे करीब नही आएगा तो क्या मैं तेरे करीब नही आ पाउन्गि ..पागल लड़के !!! मैं तेरी मा हूँ, तुझे पूरा हक़ है मेरे गले लगने का, लाड करने का ..प्यार करने का ..आजा निकुंज !!! तेरी मा तुझे बहुत प्यार करती है ..और मत सता उसे " .......यह कहने के बाद कम्मो ने उसके दोनो हाथ पकड़ कर अपने कंधे के पार निकाल दिए और उससे लिपट गयी ....... " आज तो तूने इतनी बड़ी - बड़ी बातें कह दी, लेकिन आज के बाद फिर कभी कही ..वरना मैं तुझसे कभी बात नही करूँगी " .......कम्मो ने उसकी छाति पर अपना चेहरा टिकाते हुए कहा, जिसके सहारे वह फुट - फुट कर रोना चाहती थी ...लेकिन यह पल तो खुशी का था, उसने अपनी पलकें तक गीली नही होने दी.

" नही कहूँगा मोम ..कभी नही " .......निकुंज ने अपने हाथ उसकी पीठ पर कस दिए और दोनो सही आलिंगन की पोज़िशन में गुथ गये.

हाइट ज़्यादा होने से निकुंज ने अपना चेहरा मा के कंधे पर रख लिया था और मन ही मन खुद के प्लान पर मुस्कुराने लगा ....... " ग़लती मोम की थी तो क्या हुआ ..आख़िर झूट बोल कर भी मैने उन्हें मना ही लिया ......वह खुशी से झूम उठा था.

" थोड़ा ताक़त तो लगा बदमाश ..एहसाह तो करा मुझे, मैं अपने बेटे के गले लगी हूँ " .......कम्मो ने हँसते हुए कहा और निकुंज ने फॉरन अपना एक हाथ उसके कंधे से नीचे उतारते हुए उसकी कमर पर लपेट लिया.

" देखोगी अपने बेटे की ताक़त " ......अगले ही पल कामो उसकी गोद में टंग गयी ...... " बचपन में तो आप ने मुझे हमेशा ऐसे ही उठाया होगा ना ..आज मैने आप को उठा लिया मोम " ......निकुंज ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा.

" मेरा लाड़ला इतना बड़ा हो गया और मुझे पता भी नही चला " ......कम्मो ने खुश होते हुए उसके माथे को काई बार चूमा और प्यार के वशीभूत उसके गले में अपनी बाहें डाल कर मुस्कुराने लगी.

" ये हुई ना बात ..मोम आप हँसते हुए बहुत खूबसूरत लगती हो, अब कभी उदास मत होना " ......निकुंज ने कहा और उसे बेड पर बैठाते हुए खुद भी उसके नज़दीक बैठ गया.

" मेरा बेटा भी उदास अच्छा नही लगता " .......वह कहना तो यही चाहती थी पर बोल ना सकी और तुरंत उसके जहेन में पुरानी बात ने अपना क़ब्ज़ा जमा लिया.

" चल बहुत हुआ लाड - प्यार, अब खाना ऑर्डर कर और सो जाते हैं ..कल जल्दी हॉस्पिटल चलेंगे " .......काफ़ी चिंतन करने के बाद कम्मो बोली और निकुंज ने उसकी पसंद का खाना ऑर्डर कर दिया, खाना भी यूँ ही हसी - मज़ाक में ख़तम हुआ और इसके बाद दोनो सोने की तैयारी में जुट गये.

बाथ - रूम में निकुंज ने एक शॉट्स और टी-शीत अपने बदन पर डाल ली और कम्मो के बगल में आ कर लेट गया ...फिर दोनो एक दूरसे की आँखों में देखते हुए नींद की गिरफ़्त में जाने लगे.
 

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दोनो को लेटे अभी 30 मिनिट भी नही हो पाए और निकुंज बेहोशी की हालत में पहुच गया ...पिच्छली रात से ही बेचारा सोने को तरस रहा था, लेकिन अब जा कर उसे नींद नसीब हो पाई थी.

कम्मो अपनी आँखें खोल चुकी थी और एक - टक उसके सोते चेहरे को निहारती रही, जब उसका पूरी तरह से मन भर गया ..वा बेड से नीचे उतरी और सीधे बाथ - रूम में एंटर हो गयी.

बालो का जूड़ा खोलने के बाद उसने अपनी साड़ी उतार कर हॅंगर पर टाँग दी ...फिर बारी आई पेटिकोट और फिर ब्लाउस की ...पूर्न रूप से नगन होने के बाद उसने शवर ऑन कर दिया और उसके नीचे खड़ी हो कर अपना गरम बदन ठंडा करने लगी.

लगभग 20 मीं तक नहाने के बाद उसने अपने गीले नीचूड़ते बालो की गठन बाँधी और बिना बंदन पोंछे नंगी ही बाथ - रूम से कमरे में लौट आई.

इस वक़्त उसके अंदर की मा मर कर पूरी तरह से बाज़ारू रंडी में परिवर्तित हो चुकी थी, कोई लाज - कोई शरम नही और वह बेड पर आ कर बैठ गयी.

निकुंज तेज़ी से अपनी साँसे - अंदर बाहर कर रहा था ....... " मेरा बेटा अब कभी उदास नही रहेगा " .......उसने झुक कर निकुंज का माथा चूमा और ठीक उसके बाद कुछ पल के लिए अपने गीले होंठो को बेटे के होंठो से सटा दिया ...तेज़ी एक करेंट उसके तन - बदन को झकझोर गया और वह फॉरन सीधी होकर बैठ गयी ...इतने में ही उसे हन्फायि आना शुरू हो गयी थी.

निकुंज नींद में कुछ बड़बड़ाया ...कम्मो ने बड़े गौर से उसके होंठो को हिलते देखा पर कोई अनुमान नही लगा सकी ...आख़िर उसका बेटा कह क्या रहा है.

उसने उसके चेहरे से अपनी नज़रें हटा कर नीचे को उतारनी शुरू कर दी ...जो पहले उसका सीना, फिर पेट और फिर उस जगह आ कर थम गयी ...जहाँ उसके बेटे की मर्दानगी का अंत हुआ था.

" माफ़ करना निकुंज !!! पर यह तेरी ज़िंदगी का सवाल है " .......इतना कह कर उसने अपने कपकापाते हाथो को बेटे की जाँघो पर रख दिया और हौले - हौले ऊपर की तरह ले जाते हुए अचानक से रुक गयी.

" ऐसा नही कि इसकी नींद ना खुले और जागने के बाद यह मेरे नंगे शरीर को देख कर घबरा जाएगा ..मुझे ज़रूर कुछ पहन लेना चाहिए " ........ऐसा सोच कर कम्मो बेड से नीचे उतरती हुई, उसके के बॅग तक पहुचि और कुछ देर बॅग को खंगालने के बाद उसके हाथ ...निकुंज का कुर्ता - पाजामा लग गया.

" कुर्ता तो मुझे आ जाएगा पर इस पाजामे का कोई मतलब नही " .......उसने देर ना करते हुए कुर्ते को अपने ऊपरी जिस्म पर चढ़ा लिया ...हलाकी वह कुर्ता उसे बेहद टाइट था और काफ़ी कोशिशों के बाद उसके बदन से नीचे खिसक पाया था ...पर फिर भी कम्मो खुश हो गयी.

" नंगी रहने से तो अच्छा ही है " .......इतना सोच कर वा सीधा बेड पर चढ़ गयी ...अब उसे कोई बंधन या दुनिया की कोई ताक़त, अपने मन की करने से नही रोक सकती थी.

उसने अपने दोनो हाथो की उंगलियों से निकुंज के शॉर्ट्स की एलास्टिक पकड़ी और उसे नीचे खीचने लगी, शॉर्ट्स आगे की तरफ से तो नीचे सकारने लगा पर दूसरी तरफ से भी उसका उतरना ज़रूरी था ...कम्मो को शॉट्स के अंदर पहनी हुई ग्रे अंडरवेर दिखाई दी और उसने अपनी उंगलियों की पकड़ में उसे भी शामिल कर लिया.

थोड़ी ताक़त की आज़माइश काम आई और वह अपने बेटे का निचला धड़ नेकेड करने में कामयाब हो गयी ...उसे एक अनुमान भी मिल गया, उसका बेटा वाकाई काफ़ी गहरी नींद में था.

कम्मो ने अब तक अपनी आँखें लंड से नही मिलाई थी, शॉर्ट्स और अंडरवेर उसके पैरो से बाहर निकालते हुए उसने उन्हें दूर फेक दिया.

" अब मालिश के लिए तेल कहाँ से लाउ ? " .......यह तो उसने सोचा ही नही था पर तेल के अलावा भी दूसरा ऑप्षन उसके पास मौजूद था.

उसने अपना जी कठोर किया और बेटे के लंड पर अपनी आँखें गढ़ा दी, जो अगले ही पल बड़ी से बड़ी होती चली गयी ...एका - एक उसका हाथ भी अपने खुले मूँह पर पहुच गया ...... " हे भगवान !!! " .....इससे पहले उसे चक्कर आता उसने अपने फ्री हाथ को लंड पर रख दिया ...ताकि कुछ पल के लिए वह विकराल वास्तु उसकी आँखों से ओझल हो सके.

हाथ लंड पर रख देने से उसे और ज़्यादा तक़लीफ़ महसूस होने लगी, लगा जैसे उसकी चूत में सैकड़ो चींतियों ने काटना शुरू कर दिया हो ...अपने दिल की धड़कती धधकने वह सॉफ सुन पा रही थी ...उसके लिए तो वहाँ बैठना तक मुश्क़िल जान पड़ा.

" मैं पीछे नही हट सकती " .......अपना यही संकल्प उसने काई बार मन में दोहराया और लंड के ऊपर से हाथ हटा लिया ...वाकाई उसका बेटा मर्दो का मर्द था, खाल से बाहर निकला एक दम गुलाबी सुपाड़ा, काफ़ी मोटा और गोलाई में 2½" से ज़्यादा दिखाई दे रहा था और लंबाई सुषुप्त अवास्ता मैं भी 6" से कम नही जान पड़ी.

" थूक !!! " .......कम्मो ने पाया उसका गला तो बिल्कुल सूखा पड़ा था, ज़रा भी गीलापन उसके मूँह के अंदर मौजूद नही ....... " फिर कैसे होगी मालिश " .......उसके लिए परेशानी ख़तम होने का नाम ही नही ले रही थी.

थक हार कर भी जब उसका सलाइवा नही बन पाया, वह लंड को अपने हाथ मे पकड़ने लगी ...कुछ देर उसे अपनी मुट्ठी में दबा कर रखा और फिर हल्के - हल्के स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए.

इसी बीच निकुंज के बदन में कंपन आना शुरू हो गया, उसने नींद में कसमसाते हुए अपने हाथ को लंड पर ले जाना चाहा ...पर कम्मो ने उसे ऐसा नही करने दिया और उसे हाथ को बीच में रोक दिया ...फॉरन निकुंज की नींद खुल गयी और आँखें खोलने के बाद वह हड़बड़ा कर उठने लगा.

" लेटा रह निकुंज ..मैं कर रही हूँ ना, तू फिकर मत कर, इस में तनाव आएगा " .......कम्मो ने लंड पर हाथ के झटको की स्पीड को तेज़ करते हुए कहा ..... " मोम !!! " ......निकुंज नही माना और उसके स्ट्रोक देते हाथ को अपने हाथ से पकड़ लिया.
 

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" मोम !!! आप यह क्या करी रही हो ..मैं ठीक हूँ " .......और इतना बोल कर वह बेड पर बैठने लगा ...कम्मो दुखी हो गयी, अगर आज वह सफल नही हुई ...तो अपने आप को कभी माफ़ नही कर पाएगी.

" निकुंज समझ मेरी बात ..मैं तेरी मा हूँ, मुझसे तेरा दर्द नही सहा जाता बेटे ...मत उठ, लेटा रह " ......उसने एक बार फिर लंड पर अपना हाथ कस दिया और दूसरे से उसकी छाति नीचे की तरफ दबाने लगी.

" मोम !!! मैं किसी डॉक्टर को दिखा लूँगा ..आप रहने दो " ......निकुंज की यह बात पूरी नही हो पाई और कम्मो ने उसके होश उड़ा दिए ....... " डॉक्टर या वह लड़की ..जिसका नंबर तेरा दोस्त तुझे दे रहा था " .......बस यहीं निकुंज की बोलती बंद हो गयी और वह कुछ भी कहने की स्थिति में नही आ पाया.

" मुझे सब पता है बेटा ..यह चोट भी तुझे मेरी ही वजह से लगी है, अब अगर मैं इस वक़्त अपने बेटे का साथ नही दूँगी ..तो कब दूँगी " ......बात कहते हुए कम्मो ने भरकस कोशिश की पर लंड मुठियाने की सही ग्रिप नही बन पा रही थी.

" फिर भी मोम ..मुझे सही नही लग रहा है, नही होगा आप से ..छोड़ दो प्लीज़ " .......निकुंज ने वापस अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर कहा ...... " कैसे नही होगा ..मैं सब कर लूँगी, तू चुप चाप लेटा रह " .....कम्मो ने उसे डाँट लगाते हुए कहा और वापस स्ट्रोक देने लगी.

वह इस वक़्त अपने घुटने मोड बैठी थी ...कुर्ते के साइड कट्स से उसके भारी - भरकम चूतड़ो के पाट बाहर को निकले दिखाई दे रहे थे, और साथ ही कुर्ता बेहद टाइट होने से उसकी चूचियाँ ...निप्पल सहित अपना सही आकार शो रही थी ...कम्मो ने अपनी आँखें निकुंज के चेहरे पर डाली तो पाया वह उसके निचले धड़ को बड़े गौर से देख रहा था ...या कहो, उसके चूतड़ की खूबसूरती मे खो सा गया था.

" तुझे अंदर से कुछ महसूस हो रहा है बेटा ? " ......अचानक से पूछे गये सवाल को सुन कर निकुंज होश में लौटा, उसकी मा उसकी चोरी को पकड़ चुकी थी ...वह झेप गया और अपनी आँखें बंद कर ली.

" कैसा महसूस मोम ? " .......बात समझ में ना आने पर निकुंज ने रिटर्न सवाल किया.

" मतलब ..मतलब " ......कम्मो को भी अपनी बात समझाने का सही वर्ड नही मिल पा रहा था ...एका - एक उसके मूँह से उत्तेजना शब्द निकल गया ....... " तुझे उत्तेजना महसूस हो रही है क्या ? " ......और अपनी ही बात पर वह शर्मा गयी ...उसकी योनि तो इस वक़्त लावा ही लावा उगले जा रही थी, जो नीचे की तरफ बह कर उसकी गान्ड के छेद को टच कर रहा था, सिकोड रहा था ...लगातार उसके बूब्स भी आकार में बढ़ते जा रहे थे और निपल तन कर कॅंटो मे परिवर्तित हो चुके थे.

" नही मोम !!! नही महसूस हो रही, आप रहने दो " ......निकुंज ने बिना अपनी आँख खोले जवाब दिया ...आँख खोल कर तो वह एक पल को भी अपनी मा की तरफ नही देख पाता ...जिन में सिवाए शरम के अब कुछ भी बाकी नही था ...अपनी मा का हाथ लंड पर स्ट्रोक लगाता हुआ उसे रोमांचित ज़रूर करने लगा था पर लंड में तनाव का ना आ पाना, सारे रोमांच की धज्जियाँ बिखेरने को काफ़ी था.

कम्मो के हाथ अब दुखने लगे, बारी - बारी वह अपने दोनो हाथो से बहुत ज़्यादा काम ले चुकी थी ...अचानक से उसने निकुंज को बैठने को बोला और वह बेड पर बैठ गया.

" बेटा अपनी आँखें खोल ...मुझे कुछ बात करनी है " .........अब कम्मो ने अपना बीता सेक्षुयल एक्सपीरियेन्स यूज़ करने का सोचा ...वह इतना तो जानती थी, सेक्स के वक़्त मर्द सबसे ज़्यादा उत्तेजित तब होता है जब औरत खुल कर उससे बातें करे ...उसकी आँखों में झाँक कर उसका सपोर्ट करे, यही एक आख़िरी रास्ता बचा था कम्मो के पास ...जो वह अब यूज़ करने जा रही थी.

" म .. मोम !!! मैं कह रहा हूँ नही होगा ..आप मानिए " .......निकुंज के लिए यह दृश्य बेहद कामुक बन गया ...आँखे खोलने के बाद उसने देखा, उसकी मा लंड को अपनी मुट्ठी में कसे तेज़ी से उसे स्ट्रोक कर रही है ...तभी बोलते वक़्त उसके होंठ काँपने लगे थे.

" होगा बेटा, ज़रूर होगा !!! अच्छा यह बता, तुझे इस में कहीं दर्द महसूस हो रहा है क्या ? " ........कम्मो ने अपना आइ कॉंटॅक्ट उसकी आँखों से जोड़ते हुए पूछा ...साथ ही अपने दूसरे हाथ से उसके अंडकोष थाम लिए, इस बार उसने लंड के गुलाबी सुपाडे पर अपनी उंगलियों का क़ब्ज़ा ज़्यादा कस रखा था.

" नही मोम दर्द तो नही है " ......उसकी आँखें नीचे झुकती उससे पहले ही कम्मो ने उसके अंडकोष ताक़त से दबा दिए ....... " आहह !!! मोम " .......निकुंज चीख पड़ा और स्वतः उसके हाथ लंड को थामने के लिए आगे बढ़ गये.

" नही निकुंज छुना मत !!! यह जो दर्द तुझे अभी महसूस हुआ ..सबूत है तेरे लिंग में ज़रा भी खराबी नही, बस कोई नस वगेरा ग़लत दब जाने से इस में तनाव आना बंद हो गया है ..एक तो मेरे हाथो की सही ग्रिप नही बन पा रही " .......कम्मो बोलते - बोलते रुक गयी, एक नज़र अपने बेटे की आँखों से हटाई और उसकी टाँगो को विपरीत दिशा में फैलाने लगी ....... " मुझे इनके बीच में आने दे ..साइड में बैठ कर ठीक से स्ट्रोक नही दे पा रही " .......और इतना कह कर वह अपने बेटे की टाँगो के बीच आ कर बैठ गयी.

पहली बार निकुंज ने अपनी मा के मूँह से लिंग शब्द का उच्चारण सुना और चौुक्ते हुए उसका सीना ज़ोरो से धड़कने लगा ...इसकी एक और वजह भी थी, कम्मो के जगह चेंज करते वक़्त उसका कुर्ता नीचे से काफ़ी ऊपर उठ गया था, जिससे निकुंज को अनुमान लग गया उसकी मा ने कुर्ते के नीचे ना तो ब्रा पहनी है ना पैंटी ...उसे कुछ पल के लिए अपनी मा के गोल चूतड़ का साइड व्यू दिखाई पड़ा था, कुर्ते के साइड कट्स लोंग होने से ऐसा मुमकिन हो पाया.
 

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" तेरा यह कुर्ता तो बेहद टाइट है " ........कम्मो वापस अपने घुटने मोड़ कर बैठ गयी और अब उसके मूँह में लार बन'ना भी शुरू हो गयी थी ..उसने निकुंज की आँखों में देखते हुए उसकी टांगे थोड़ा नीचे को सर्काई और अपना सर हौले - हौले उसकी जड़ में झुकाने लगी ...... " नही मोम !!! प्लीज़ " .......निकुंज हड़बड़ा गया, उसे लगा मोम उसके लंड को मूँह में ले जाने वाली हैं और वह अपनी गान्ड को बेड पर मटकाने लगा.

" इहह इहह " .......कम्मो ने अपनी आँखें बड़ी कर उसे हिलने से रोका और मूँह में इकट्ठा किया थूक लंड पर उडेल दिया ....फॉरन निकुंज के मूँह से करारी आह निकल गयी, जैसे उसके गरम लंड पर किसी ने बरफ का टुकड़ा रख दिया हो.

" अब ठीक है " ......कम्मो मुस्कुराइ लेकिन अब उसकी साँसें भी उखाड़ने सी लगी थी ...वह बहुत गरम हो चुकी थी पर बेटे को अपनी हालत का एहसास कराना उसे गवारा ना हुआ ...अपने थूक से लंड को नहलाने के बाद उसने उसे वापस अपने हाथ में पकड़ा, थोड़ी देर ताक़त से पंप किया और फिर ज़ोरो से ऊपर नीचे कर ...हिलाने लगी.

" एक बात कहूँ निकुंज ..इसकी लंबाई बहुत अच्छी है, काफ़ी कम मर्दो के पास इतना विकराल लिंग होता है " ........कम्मो ने लगातार उसे अपनी बातों से गरम करना ज़ारी रखा ........ " और हां तनवी नसीब वाली है " .........वह ज़ोरो से हसी तो निकुंज की आँखें बंद हो गयी.

" शरमा रहा है ..अब मैने ऐसा क्या ग़लत कह दिया, तारीफ़ ही तो कर रही हूँ ..आँखें खोल निकुंज " .......कम्मो ने वापस उसके अंडकोष दबाए ...हलाकी इस बार उसने ज़्यादा प्रेशर नही लगाया था पर फिर भी निकुंज के चेहरे पर दर्द भरे भाव ज़रूर आ गये और साथ ही उसकी आँखें भी खुल गयी.

" मोम आप कितनी कोशिश कर लो ..यह खड़ा नही होगा " .......निकुंज अपने अंदर आते सेडक्षन को झेल नही पा रहा था और यह उसने बात थोड़ी नाराज़गी में कह दी ...कम्मो भी समझ रही थी यह बहुत मुश्क़िल भरा काम है, पर इतने आगे जा कर वापस पीछे कैसे लौटा जा सकता था ...अब उसके दिमाग़ में फाइनल बात आई और जल्द ही उसने उसे अपने बेटे पर ज़ाहिर भी कर दी.

" निकुंज मैं आज कुछ भी करूँगी पर तेरा उदास चेहरा खुशी में ज़रूर बदलेगा " .........कम्मो ने अपना सर तेज़ी से लंड के ऊपर झुका लिया और अगले ही पल उस पर से अपना हाथ हटाते हुए ...थूक से भीगा सुपाड़ा, अपने होंठो के अंदर प्रवेश करा लिया.

दोनो के जिस्म मे सनसनी फैल गयी, जहाँ निकुंज पत्थर में तब्दील हो गया वहीं कम्मो को एक दम से हक - बकाई आने लगी, लगा उसे फॉरन उल्टी हो जाएगी.
 

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पापी परिवार--43

सेम पोज़िशन में कम्मो ने निकुंज के चेहरे को देखा ...वह अपलक उसकी ओर ही देख रहा था, पर एक दम शांत ...जैसे उसके पंख - पखेरू उड़ चुके हों, अपने आप कम्मो के होंठ हिलने लगे और उसकी जीब ने मुरझाए सुपाडे पर गोल - गोल घूमना शुरू कर दिया ...एक अजीब सी गंध उसने अपनी सांसो में फैलती महसूस की और इसके बाद उसके आँखें पनिया गयी ...एक हाथ से उसने लंड को अपनी मुट्ठी में जाकड़ लिया और फिर शुरू हुआ सिलसिला लंड चुसाई का.

निकुंज को होश में लाने के लिए उसने तीसरी बार उसके अंडकोष दबाए और इस बार भी लगभग चीखते हुए वह यथार्थ में लौट आया ...कितना आनंदतीरेक नज़ारा बन गया था ....... " घबरा मत !!! मैं सब सही कर दूँगी " .......फॉरन कम्मो ने लंड को अपने मूँह से बाहर निकाल कर उसे साहस दिया और उसकी आँखों में देखते हुए सुपाडे को जीभ से चाटने लगी

बेटे के लंड का गुलाबी अग्र भाग और उसकी मा की उतनी ही गुलाबी जीब, दोनो में एक द्वंद सा छिड़ गया ...कम्मो अपनी जीभ को नचाने में पारंगत होती जा रही थी और निकुंज यह नज़ारा बड़े गौर से देख रहा था ...आगे को झुकी होने से उसकी मोम के चूतड़ हवा में काफ़ी ऊँचे उठ चुके थे और सरक कर कुर्ता, कब उसकी कमर तक खिच आया उसे होश नही था.

लंड मुठियाने में भी कम्मो ने कोई कमी नही छोड़ी और एक बार फिर उसे अपने मूँह में ठूंस लिया ...धीरे - धीरे उसके होंठ अपने बेटे के लंड की कोमल त्वचा पर फिसलने लगे और वह लगभग आधा उसके मूँह में प्रवेश कर गया ...हलाकी अब भी लंड में बिल्कुल उबाल नही था पर कम्मो तीव्रता से उसे चूस्ति रही, शायद इस आशा में ..... " कभी तो उसकी मेहनत सफल होगी "

" मोम !!! हम कल डॉक्टर को दिखा लेंगे ..आआहह " ......बोलते ही निकुंज की आह से पूरा कमरा गूँज उठा, वजह अंजाने में उसकी मा के दांतो का लंड पर ज़ोर से गढ़ जाना था और इसके फॉरन बाद एक चमत्कार हो गया, कुछ लिसलिसा सा गाढ़ा पदार्थ सुपाडे के छेद से बाहर आते ही ...लंड फूलने लगा.

एक - दम से कम्मो को अपना सर ऊपर की तरफ उठाना पड़ा क्यों कि ढीलेपन से मुक्ति पा कर, लंड अब विकराल होने लगा था ...कम्मो ने निकुंज की आँखों में झाँका, जो बहने लगी थी और यह देख कर उसकी भी आँखें छलक उठी.

असली खुशी क्या होती है, अब कम्मो को समझ आ गयी और उसने रुंधने की परवाह ना करते हुए ...खड़े होते लंड के साथ भी अपने मूँह को अड्जस्ट करना शुरू कर दिया ........ " उमल्ल्लप्प्प्प्प !!! " ........सुपाडे से हल्का नीचे उतर कर वह उसके मूँह में फँसने लगा, लेकिन उसने हार नही मानी और सुड़कते हुए अपना सर ज़बरदस्ती और नीचे को ठेलने लगी ...जब आधा लंड उसके मूँह में समा गया वह रुक गयी और थोड़ी देर तक गहरी साँसे लेने लगी ...वह जानती थी इससे ज़्यादा लिंग वह अपने मूँह में नही ले सकती है, वरना उसका गला अवरुद्ध हो जाएगा और उसका दम भी घुट सकता है.

इसके बाद वह अपने बेटे की आँखों में देखते हुए लंड को अत्यधिक कठोरता से चूसने लगी ...बार - बार उसका हाथ अपनी योनि दिशा में जाता और उतनी ही तेज़ी से वापस भी लौट आता, वह चाह कर भी खुद की पीड़ा के साथ न्याय नही कर पा रही थी ...उसकी बंद होती कामोत्तेजित आँखें सन्तुस्तिपुर्वक उस आकड़े लंड को और ज़्यादा विकराल बना रही थी, लेकिन अबकी बार कम्मो को अपनी तत्परता और लंड चूसने की तेज़ी पर अचंभा होने लगा ....... " वह यह क्या कर रही है, अब तो लिंग में तनाव भी आ गया है ..फिर क्यों वह उसे चूसने में इतनी मगन है " .......सोचते ही उसने अपने होंठ खोल दिए और ठीक इसी वक़्त निकुंज के मूँह से कुछ शब्द फूट पड़े ....... " नही मोम !!! चूसो प्लीज़ " .......अत्यधिक आनंद की प्राप्ति ने उसके बेटे से अपने आप यह शब्द कहलवा दिए, जिसे सुनते ही कम्मो का चेहरा शरम से बेहद लाल हो गया और सकुचाते हुए वह वापस उसका लंड निगलने लगी ...लेकिन अब उसके अंदर उत्साह समा चुका था इसलिए वह निकुंज की बात टाल नही पाई थी.
 

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बलपूर्वक चुसाई आरंभ करते हुए उसने बड़ी कोशिशो के बाद लंड को आधे से ज़्यादा अपने छोटे से मुख में प्रवेश करवा लिया और इसके साथ ही निकुंज की गान्ड हवा में ऊपर की तरफ धक्का लगाने लगी ...कम्मो ख़ासना चाहती थी लेकिन ऐसा संभव नही हो सका ....... " उंगग्घह !!! " ......घुटि - घुटि सी आवाज़े उसके भरराए गले से बाहर आने लगी और जल्द ही वे आवाज़ें थोड़ी ज़्यादा ऊँची हो कर कमरे में गूंजने लगी ...उत्तेज्ञापूर्वक वह अपना सर ऊपर - नीचे करती हुई बेटे के लंड को मूँह से चोदना चालू कर चुकी थी और उसकी उंगलियाँ लिंग की जड़ पर बेहद कठोरता से कस्ति चली गयी ...फिर वह प्रचंडता के साथ सुपाड़ा चूस्टे हुए लंड मुठियाने भी लगी.

आलू - भूखारे जैसे सुपाडे पर अपनी जीभ गोल - गोल घूमाते हुए, उसने उसे अपनी थूक से नहला दिया ..वह उसके नमकीन रस को चाटने लगी, जो उस विशाल लंड से टपकता जा

रहा था, जल्दी ही उसे उसकी मेहनत का फल मिलने लगा और निकुंज के मूँह से सीत्कार की ध्वनियाँ आनी प्रारंभ हो गयी.

जिसे सुन कर कम्मो के कानो में रस घुल गया, उसका चेहरा लाल हो उठा और वह जितनी कठोरता से उसके लंड को चूस सकती थी, चूसने लगी ...कामरस से भरे उस लंड के, उसके मूँह में होने के कारण कम्मो के गाल अति शीघ्रता से फूलते और सिकुड़ते जाते ...वह बेताबी थी, एक बहुत भारी फुहारे के फूटने के लिए ...यहीं उसके मन में एक नयी लालसा ने जनम लिया कि उसका बेटा उसे, उसका पूरा वीर्य निगलने

के लिए बाधित कर दे.

" आअहह मोम !!! मैं आ रहा हूँ, रुकना मत मोम ..मैं आ रहा हूँ " .......निकुंज उसके मूँह में धक्के लगाते हुए चीखा और साथ ही उसने अपने हाथो की मजबूत पकड़ मा के सर पर बना ली ...उससे सबर होता भी तो कैसे, कम्मो के नंगे चूतड़ो के दोनो पाट लकीर सहित उसे दिखाई पड़ रहे थे ...वह अत्यधिक बौखला गया था, जानते हुए भी कि वह पाप का भागीदार बन रहा है उसने अपने हाथ आगे बढ़ाते हुए मा के चुतडो के दोनो भाग अपने पंजो में कस लिए ....... " ह्म्‍म्म्ममम !!! " ......फॉरन कम्मो उच्छल पड़ी पर निकुंज उसकी पीठ पर अपना भार डाल चुका था और स्वतः ही उसका लंड ठोकर देते हुए मा के गले के अंतिम छोर को टच करने लगा.

कम्मो की साँसे रुकने लगी, मगर आख़िरकार उसकी इतनी जबरदस्त, कामुक लंड चुसाई की मेहनत का फल उसे मिला था ...

लंड के सूजे हुए सुपाडे से वीर्य की एक असीम बौछार फूटी, जो उस कामरस की प्यासी ...उस मा के गले की गहराई में थर्राहट से चोट कर कर गयी.

" उम्म्मल्ल्लप्प्प्प !!! " ........कम्मो के मूँह से गलल - गलल की आवाज़ आने लगी,

लंड उसके मूँह में रस उगले जा रहा था ...उसके गले में बेटे के गाढ़े वीर्य की तेज़ - तेज़ धाराएँ फूटने लगी, जो गले में नीचे की ओर बहने लगा था ...उत्तेजनावश

वह उस विशालकाए रस फेंक रहे लिंग से चिपक गयी, उसे अपने नवयुवक बेटे के वीर्य का स्वाद अत्यधिक स्वादिष्ट लगा था ...कामोत्तेजित मा पूरी बेशरमी से लंड को चूसने का, मुठियाने का और उसका रस पीने का ...तीनो काम एक साथ करने लगी, उसने अपने बच्चे के लंड को तब तक नही

छोड़ा जब तक वह उससे निकलने वाले नमकीन रस की आख़िरी बूँद तक ना पी गयी
 

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तकरीबन आधे मिनिट बाद वीर्य का विस्फोट रुक गया और कम्मो को उसका पेट लंड रस से भरा हुआ महसूस जान पड़ा, जिसकी उसने मंन ही मंन में लालसा पाल रखी थी ...कुछ वक़्त बाद उसने अपना सर बेटे के लंड से ऊपर उठाया, स्तब्ध और अपर्चित उत्तेजना में वह अपनी

जीभ को होंठो के चारों ओर घुमा कर बाकी का वीर्य भी चाट गयी.

निकुंज की आँखें यह दृश्य बड़ी हैरत से देख रही थीं ...अब भी उसके लंड में हल्का सा उबाल बाकी था, कम्मो ने खुशी से झूमते हुए एक बार फिर से उसके गुलाबी सुपादे को अपने मूँह में डाल लिया और उस पर चिपकी सारी मलाई चूस्ति हुई अपने गले से नीचे उतारने लगी ...उसने जानबूचकर यह क्रिया अपने बेटे की आँखों में देखते हुए की, ताकि उसे समझा सके कि उसकी मा ने यह सब उस पर कोई एहसान के रूप में नही किया ...अपना चेहरा ऊपर उठाते वक़्त कम्मो ने एक आख़िरी बार अपनी जीभ को सुपाडे पर गोल - गोल घुमाया और फिर फाइनली सीधी हो कर बैठ गयी.

" अब कभी उदास मत होना ..अब तो तनवी की खेर नही " .......माहुल खुश नुमा बनाने के लिए कम्मो ने मज़ाक शुरू कर दिया, पर असल में तो उसका दिल अंदर से फूट - फूट कर रो रहा था ..उसे तोच रहा था उसकी बेशर्मी पर, निक्रिस्ट हरक़त पर.

इसके बाद कम्मो बाथ - रूम गयी ...हॅंगर पर तंगी साड़ी, ब्रा - पैंटी के साथ पहनी और बाहर निकल कर उसने निकुंज का माथा चूम कर उसे गुड नाइट बोला ...फिर सोने के लिए लेट गयी.

निकुंज भी ज़्यादा देर तक अपनी आँखों को गीला होने से नही रोक पाया ...उसकी सारी कामुत्तेज्ना ढल कर असहनीय पीड़ा में तब्दील हो गयी, उसने एक नज़र अपनी मा के चेहरे पर डाली और इसके बाद उसे खुद पता नही चला कब वह नींद के आगोश में जा पहुचा.

इन पुणे

.

सुबह के 7 बजे कम्मो ने एक भारी भरकम अंगड़ाई लेते हुए अपनी आँखें खोल दी ...उसकी नींद खुलने की मुख्य वजह थी ...... " ज़ोर से लगती प्यास " ......कुछ देर आँखों को मलने के बाद उसने अपना हाथ अपने गले पर फेरा, उसे महसूस हुआ उसके गले के अंदर काफ़ी कॅफ जमा है ....एक ज़ोरदार खखार लेती हुई वह बेड पर बैठ गयी, बेहद सूखे अपने मूँह और उससे कहीं ज़्यादा सूखे होंठो पर खुद की जीभ का स्पर्श होते ही, उसके जहेन में काफ़ी सारे सवालो ने एक साथ हमला बोल दिया.

होंठो पर अपनी जिहवा फेरते वक़्त, जिहवा पर आती चिकनाई और उससे उठती अजीब सी गंध कम्मो को बीती रात का सारा स्मरण ...चुटकियों में करा गयी और उसने बगल में सोए अपने बेटे, अपने लाड़ले की तरफ अपना चेहरा मोड़ लिया.

कमरे में चारो तरफ उजाला ही उजाला फैला हुआ था, चेहरा घुमाते ही जो भयानक दृश्य उसकी आँखों ने देखा ...उसने उसकी रूह कंपा दी, हलाकी बीती रात में भी उसने वही नज़ारा देखा था ...पर उस वक़्त वह किसी मक़सद के हाथो मजबूर थी और अभी इस वक़्त उसकी सफलता का प्रमाण उसके सामने सर उठाए खड़ा था.

निकुंज अपनी रात वाली स्थिति में ही लेटा हुआ था, और सबसे बड़ी बात उसका लिंग पूर्न रूप से विकसित अवस्था में खड़ा था ...फॉरन कम्मो की निगाह उस पर गिध्ह की भाँति जम गयी और कुछ पल के लिए वह कलयुगी मा स्तब्ध होकर ...बड़ी बेशर्मी के साथ उसे देखने में खो कर रह गयी और जल्द ही उसने महसूस कर लिया ...कछि के अंदर उसकी योनि में कुलबुलाहट, ज़ोरो की सरसराहट आना शुरू हो गयी है.

" नही यह सरासर ग़लत है " ......वह अपना चेहरा घुमा कर बेड से नीचे उतरने को हुई और जैसे ही वह धरातल पर अपने पैर जमा पाती उसका मन बदल गया ...वह नीचे उतरने की बजाए बेटे की तरह घूम कर बैठ गयी और अनियंत्रित कामुकता, निराशा, गुस्से में वापस उसके विशाल लौडे को घूर्ने लगी.

इस वक़्त उस मा को अपने बेटे का लिंग कल रात की अपेक्षा ज़्यादा फूला, विशालकाय और अकल्पनीय दिख रहा था ...कल जो सुपाड़ा मुरझाया सा, लिंग की खाल से बाहर शरम से झाक पा रहा था ...अभी गहरा लाल और किसी छोटे सेब बराबर काफ़ी मोटा नज़र आया.

कम्मो के दिल की धधकने यह सोच कर रुक गयी, कल उसके बेटे का मूसल उसके छोटे से मुख में समाया कैसे ...... " असंभव " .....यह शब्द मूँह से बाहर आते ही उसने सुपाडे के असल साइज़ को अपने जहेन में उतारा और बड़ी निकृष्ट'ता के साथ अपने मूँह को जितना खोल सकती थी ...खोल कर इमॅजिन करने लगी, लेकिन अपनी बात का सही अनुमान तो वह तब लगा पाती ...जब वह मोटा सुपाड़ा उसके मूँह के अंदर होता या उस बराबर कोई और वास्तु, जो कि इस वक़्त कमरे में मौजूद नही थी.

काम लुलोप वह मा खुल्लंखुल्ला अपने घुटनो पर आ गयी, यह जानते हुए कि उसका बेटा किसी भी पल नींद से बाहर आ जाएगा और वह ज़रूर पड़की जाएगी ...पकड़े जाने पर वह उसे क्या जवाब देगी, क्या ये कहेगी उसे खुद को सत्य साबित करना है ...इसलिए वह उसके पूर्ण विकसित लिंग को एक आख़िरी बार अपने मूँह में प्रवेश करवा कर देखना चाह रही थी.

कुछ ही पॅलो में उसने उस विशाल और तंन कर खड़े लंड को ठीक अपनी आँखों के सामने पाया, कम्मो ने जाना वह बहुत गहरी साँसे ले रही है और अपने दिल की तेज़ धड़कनो को अपनी छाति से कहीं ज़्यादा अपनी योनि पर महसूस कर रही है ...उसे लगा जैसे वा खुद के ऊपर बनाया सारा नियंत्रण खो बैठी हो और उसके लिए इस बात में अंतर करना नामुमकिन था ....कि वह क्या अनर्थ करने जा रही है, उसे विश्वास नही हो पा रहा था कि वा दोबारा से अपने बेटे के लिंग को अपनी मर्ज़ी से ...अपने मूँह में प्रवेश करवाने के लिए कितना विवश हो गयी है.

कम्मो ने अपनी उंगलियाँ उस फड़फदा रहे लौडे को पकड़ने के लिए, उसके इर्द - गिर्द लपेटनी चाही ...लेकिन वह इसमें नाकाम रही, वा जानती थी उसका बेटा लिंग पर ज़रा सा स्पर्श पाते ही ...उठ कर बैठ जाएगा, इसलिए फॉरन उसने लिंग को थामने का मन बदल दिया और कुछ पल एक - टक उस गहरे लाल रंगत लिए सुपाडे को बेहद करीब से देखती रही ...कैसे वह मुकुट, खिली रोशनी में बेहद चमकीला और सुंदर नज़र आ रहा था.

कम्मो ने अपनी नाक सुपाडे से सटा दी और उसमें से उठती मादक खुश्बू सूंघते ही उसका रोम - रोम पुलकित हो गया, वह उस अजीब सी सुगंध में खो सी गयी ...उसने स्पष्ट देखा सुपाडे पर दो छिद्र बने हुए हैं, एक जिससे बेटे का मूत्र बाहर आता होगा और दूसरे से उसका वीर्य ...जिससे कल रात उसने अपने पेट को भरता महसूस किया था, इसके बाद वह नीचे को उतरती हुई उस गोल घेरे पर पहुचि, जहाँ से उसके बेटे के मोटे सुपाडे के, लिंग की खाल से बाहर निकालने की शूरवात हुई थी ...कम्मो ने बड़े ध्यान से उस घेरे को देखा, उसने अनुमान लगाया जब कभी वह अपनी हाथ की उंगली में पहनी अंगूठी को उतारती है तब बिल्कुल ऐसा ही घेरा उसकी उंगली पर बन जाता है.
 

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इसके बाद वह ओर नीचे झुकती गयी, शायद मन से भी और अपने तंन से भी ...बेटे के संपूर्ण लिंग की गोरी रंगत उसे बेहद पसंद आ रही थी और जब वह लिंग के नीचे लटके दोनो अंडकोषो पर पहुचि, उसका चेहरा मुस्कुराहट से भर गया ...... " कहाँ कल रात सिर्फ़ खाल ही खाल दिखाई दे रही थी और आज लिंग के समान ही फूले नज़र आ रहे हैं ...जैसे उनमें वीर्य ही वीर्य भर गया हो " ......फॉरन कम्मो ने अपनी सफलता पर गर्व महसूस किया और खुशी से झूमती हुई उसी रास्ते सुपाडे पर वापस लौट आई.

अब उसकी आँखों में एक इरादे की झलक तैरने लगी और खुद - ब - खुद उस चंचल और अनियंत्रित मा के होंठो ने आगे बढ़ते हुए सुपाडे का अग्र भाग चूम लिया ...इसके फॉरन बाद वह पीच्चे हटी और अपने बेटे के चेहरे को निहारा, जो बड़ी शांत और गहरी नींद में सो रहा था.

कम्मो की सारी खुशी का अंत पल भर में हो गया, जब उसे महसूस हुआ वह कितनी घ्रानित हरक़तें किए जा रही है ...बेटा तो नींद में है, अब ठीक भी हो चुका है ...फिर क्या ज़रूरत थी उसकी मा को दोबारा वही क्रिया दोहराने की, माना कल रात उस मा को मजबूरीवश अपने बेटे का सुषुप्त लिंग चूसना पड़ा था और पहली बार इस कला की शुरूवात भी उसने अपने बेटे के लिंग से ही की थी ...बाद में उस नौजवान के अंडकोषो से बाहर आया गाढ़ा स्वदिस्त वीर्य भी पिया था ...लेकिन अब क्यों वह मचल रही है, क्यों तड़प रही है ...क्या वह बुरी लालसा और पाप के माया जाल में फस चुकी है ...या फासना चाहती है.

" नही !!! मैं नीमा जैसी हिम्मत वाली नही और ना ही बन'ना चाहती हूँ ..बस इस अध्ध्याय का अंत मुझे यहीं कर देना चाहिए " .....यह प्रण करते हुए उसने बेटे का माथा चूमा और बेड से नीचे उतर कर बाथ - रूम की तरफ जाने लगी, लेकिन ज्यों - ज्यों उसके कदम आगे बढ़ते जाते ...उसका मन उतना ही दुखी होता जाता.

वह ज़्यादा आगे नही जा पाई और एक बार फिर से पलट कर उसने अपने बेटे का सोता चेहरा देखा, लेकिन जल्द ही उसकी नज़र वापस अपने लाड़ले के विकराल और मूसल लिंग पर टिक गयी ...उसकी साँसे भारी होने लगी, जाने क्यों उसे बेटे के लिंग से बिछड़ते हुए दुख हो रहा था ...वह जानती थी कुछ देर बाद निकुंज उठ कर कपड़े पहन लेगा और शायद यह आख़िरी बार है जो वह उस सुंदर, मनभावन बलिष्ठ वास्तु के दर्शन कर रही है.

वह अधर में लटक गयी, चाहती थी अभी दौड़ कर जाए और बेटे के लिंग को फॉरन अपने मूँह में भर ले ...उसे चूसे, चाटे और घंटो उसके गाढ़े वीर्य से अपना गला तर करती रहे, पर यह अब संभव नही ...सहेली नीमा की तरह उसे भी अपने बेटे के लिंग से बेहद प्यार हो चुका था, परंतु इस पर भी उसकी मनोदशा ...इतनी नही बदली थी की अपने सगे बेटे के साथ संसर्ग स्थापित कर ले, बस उसे अपने बेटे और खुद के बीच की मर्यादित दीवार से दो - चार ईंटे निकालनी अच्छी लग रही थी.

वह चाहती थी उसका बेटा उससे थोड़ा खुल जाए ...उसे अच्छा ख़ासा वक़्त दे, हसी - मज़ाक करे ...घुमाने ले जाया करे, अपने प्राइवेट - से - प्राइवेट सीक्रेट्स उससे शेर किया करे ...उसका क्लोज़ फ्रेंड बने, जिससे वह भी अपने सुख - दुख बेटे से साथ बाँट सके ...यक़ीनन कपड़ो के बंधन से वह तो आज़ाद नही हो सकती पर बेटा ज़रूर अपनी लाज - शरम छोड़ दे, कुछ रोमांच उनके दरमियाँ हो ...जिसमे बेटा बार - बार उसे कयि अजीबो - ग़रीब कामो को करने के लिए बाधित किया करे ...कितना रस घुल गया था उसके कानो में जब निकुंज ने उससे कहा था .......मोम !!! चूस्ति रहो ..रुकना मत " ......सोचते ही कम्मो के गाल फिर से लाल हो उठे ...वह बुरी तरह से निकुंज की तरफ आकर्षित हो चुकी थी या शायद अपने पति के हाथो हुए हमेशा से तिरस्कार का भान तक अपने मश्तिश्क से मिटा देना चाहती थी ...उसका बीता पूरा जीवन सिर्फ़ कुढते हुए ज़ाया हुआ था और अब वह अपने बेटे के साथ इस नये खुशनुमा जीवन का प्रारंभ करना चाहती थी.

" हां !!! मैं बस यही चाहती हूँ !!! " ........उसके बोल फूटे और वह तेज़ कदमो से वापस बेटे के नज़दीक पहुच गयी और बिना किसी संकोच के फॉरन उसके कठोर लिंग को चूसने लगी, उसे ज़रा भी लज्जा नही आई ...जैसे ही उसके होंठो ने अपना कमाल दिखाया निकुंज नींद में कसमसा गया लेकिन कम्मो पीछे नही हटी और बड़ी परचंडता के साथ लंड मुठियाने भी लगी ...वह प्यासी थी, शायद इसी वजह से उसकी नींद भी खुली थी और अब वह चाहती थी ...पूरी तरह से उसका गला तर हो जाए.

कुछ ही पल बीत पाए होंगे ...कम्मो का मोबाइल बजने लगा और इसकी परवाह किया बगैर वह अपने काम को द्रुत गति से पूरा करने में जुटी रही, हलाकी निकुंज अब भी नींद में था और यक़ीनन उसे महसूस भी हो रहा था कि उसके लिंग पर किसी के गीले होंठ तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहे हैं ...परंतु इसे सपना समझ कर वह तड़प्ता ही रहा ...उसकी आँखों ने खुलने की कोई कोशिश नही की.

फोन लगातार बजता रहा और कम्मो को इस बात पर गुस्सा भी आ रहा था ...वह फॉरन झल्ला गयी और ना चाहते हुए भी उसने लिंग को अपने मूँह से बाहर निकाल दिया ...... " कोई बात नही बेटा तो मेरा अपना है ..कहाँ जाएगा " ......एक स्लट स्माइल के साथ उसने सुपाडे पर मौजूद अपना थूक बड़ी कठोरता से अंदर सुड़का ...जैसे इसी वक़्त वह सुपाडे को रस सहित अपने गले के नीचे तोड़ कर ले जाएगी और उसकी इस हरकत पर निकुंज के हाथ भी स्वतः ही अपनी मा के सर पर पहुच गये.

" फिकर मत कर ..अभी आती हूँ " .....कम्मो मुस्कुरकर बोली ...जैसे उसका बेटा हक़ीक़त में उसकी बात सुन रहा हो और सुपाडे को मूँह से बाहर करती हुई वह अपने मोबाइल की वर्तमान स्थिति खोजने लगी.

सेल उस वक़्त टीवी पर रखा हुआ था और कम्मो को बड़ी ज़ोर की पेशाब भी लग रही थी ...वह तेज़ी से अपने मोबाइल पर झपटी और बिना नंबर देखे, बाथ - रूम की तरफ जाने के लिए दौड़ लगा दी ...उसे तो जल्दी थी वापस अपने बेटे को दुलार करने की.

हलाकी बाथ - रूम में वेस्टर्न पॉट था पर कम्मो से उठता प्रेशर सहेन नही हो पाया और ठीक उसी वक़्त कॉल भी डिसकनेक्ट हो गया ...उसने तेज़ी से अपनी साड़ी कमर तक उठाई और जब तक पैंटी उतार पाती वह बह गयी, शायद यह प्रेशर पेशाब का नही सेडक्षन था ......" ह्म्‍म्म्म !!! " एक झटके से कम्मो को रिलॅक्स मिल गया ...लेकिन वह झटका भी किसी करेंट से कम नही था, गरम - गरम पेशाब की धार ज़मीन पर बहती उसके नंगे तलवो को टच करने लगी ...उसे लगा जैसे अत्यधिक गरम पानी से उसके तलवे झुलस रहे हों, पूरे दो मिनिट तक वह इस क्रिया में लगी रही और इसके पश्चात जब उसे चैन मिला ...पैंटी सरकाकर उसने उसे वहीं फ्लोर पर फेंक दिया, अपनी हालत में कुछ सुधार किए और खुशी - खुशी बाथ - रूम से बाहर निकल आई.

बाहर निकल कर कमरे में प्रवेश करते ही उसकी नज़र निकुंज पर पड़ी ...वह नींद से जाग कर बेड पर टेक लगाए बैठा हुआ था और उसे उठता देख ...कम्मो का चेहरा और ज़्यादा मुस्कुराहट से भर गया लेकिन जल्द ही उसकी मुस्कुराहट गेहन उदासी में तब्दील हो गयी, उसका बेटा अब नग्न नही ...बल्कि उसने अपना अंडवर और शॉर्ट्स पहेन लिया था.
 

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अपनी मा को कमरे में आता जान कर भी निकुंज ने उसकी तरफ निगाह नही डाली ...बस अपना चेहरा झुकाए ग्लानिस्वरूप वह चुप - चाप बेड से नीचे उतरता हुआ बथ - रूम की तरफ बढ़ने लगा, एक पल ऐसा आया जब दोनो एक दूसरे को क्रॉस कर रहे थे ...लेकिन ना तो निकुंज कुछ बोल पाया और ना ही कम्मो की कोई हिम्मत हो सकी.

" धम्म्म्म !!! " ......एक ज़ोरदार आवाज़ कम्मो के कानो से टकराई, जो यक़ीनन निकुंज के गुस्से का प्रमाण थी ...बाथ - रूम का गेट उसने इतनी ज़ोर से बंद किया था, एक तरह से कम्मो घबरा कर वहीं जम कर रह गयी ...जहाँ तक उसके बोझिल कदम पहुच पाए थे.

" थोड़ी देर पहले तक तो सब ठीक था, उसने अपने हाथो से मेरा सर भी नीचे दबाया था ...लेकिन अब क्यों गुस्सा हो गया ? " .......कम्मो ने सोफे पर बैठते हुए सोचा, इस वक़्त वह प्यासी भी थी और उदासी भी ...स्वतः ही उसकी आँखों में नमी आने लगी ...... " कहीं मैने कोई जल्दबाज़ी तो नही कर दी " ......अपनी वर्तमान दशा उसे उस पल का एहसास करा गयी, जब वह अपनी मर्ज़ी व पूरी तत्परता से ...लिंग चूसने में जुटी हुई थी ......" क्या जो मैं चाहती हूँ, निकुंज नही चाहता " ......ऐसे काई सवाल उसके मश्तिश्क में भ्रमण करने लगे ...जिमने से एक का भी हल उसके पास मौजूद नही था.

वहीं बाथ - रूम के अंदर जाते ही निकुंज ने पेशाब करनी शुरू कर दी ...वह रात भर से तड़प रहा था, चाहत तो उसकी कयि बार हुई थी की थोड़ी सी हिम्मत कर के बाथ - रूम तक चला जाए ...परंतु उसके ढीले बदन ने रात भर उसने उठने क्या ...हिलने तक नही दिया था.

कम्मो का बाथ - रूम जाना हुआ और ठीक उसी वक़्त निकुंज की नींद भी खुल गयी थी ...या शायद उसे थोड़ी देर और वही सपना देखना था, जो कम्मो उसे, उसका लिंग चूस कर दिखा रही थी ...यदि वह फोन उठाने की गर्ज से अपनी ज़ोरदार चुसाई ना रोकती ...निकुंज कतयि नींद से बाहर ना आ पाता, उसे तो बस इतना भान हो रहा था ...जैसे कोई शॅक्स उसे, उसके लंड में उठते तनाव से मुक्ति दिलाने में ...उसकी मदद कर रहा हो.

जब वह नींद से बाहर आया उसे अपनी नग्नता पर अचंभा हुआ और उससे ज़्यादा हैरत तब हुई ...जब उसने अपने लंड पर गीलापन महसूस किया, उसने फॉरन होश में आते हुए अपनी नज़र पूरे कमरे में दौड़ाई और फिर तेज़ी से फ्लोर पर पड़ी अपनी अंडरवेर - शॉर्ट्स पहेन कर वापस बेड पर बैठ गया ....... " अच्छा हुआ मोम अभी कमरे में नही हैं, वरना उन्हे दुख होता कि मैं नींद में भी मूठ मारे जा रहा हूँ " ......उसका सर तो रात में ही झुक गया था ...जो सुबह भी नही उठ पाया.
 
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