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वहीं कम्मो की सोच में भी अपने बेटे की सोच की मिलावट देखी जा सकती थी ...उसकी सारी प्रतिग्या, सारा द्रढ संकप चुटकियों में समाप्त होता नज़र आया.
" जाने निकुंज मेरे बारे में क्या - क्या सोच रहा होगा ..कहीं मैने कोई जलबाज़ी तो नही कर दी " ......कम्मो ने टीस में भरते हुए सोचा ......" लेकिन मैं नंगी हो गयी और पता भी नही चला, यह कैसे संभव हुआ ..क्या उस वक़्त मैं अपने होश - ओ - हवास खो चुकी थी, फिर मेरी चूत में रस क्यों आया ..जबकि मेरे दिल में तो अब तक उसके लिए कोई ग़लत ख़यालात नही हैं " .......कम्मो ने महसूस किया, जबसे उसने नीमा और उसके बेटे की चुदाई वाली बात सुनी है ...तब से लेकर अभी तक उसकी चूत एक पल को भी सूखी नही रह पाई है, लेकिन क्यों ...बस यही उसकी समझ में नही आ रहा था.
निकुंज ने चोर नज़र से अपनी मा का चेहरा देखा लेकिन हाल पकड़ा गया ...कम्मो उसकी तरफ ही देख रही थी, हड़बड़ाहट में उसके मूँह से कुछ शब्द फूटे, पर वह क्या बोला ...ना उसे पता चला ना ही उसकी मा को.
कम्मो ने बेड पर पसरते हुए अपनी आँखें बंद कर ली, शायद वह अब सोना चाहती थी ....... " मोम !!! डिन्नर कर के सोना ..मैं ऑर्डर कर देता हूँ " .......फॉरन निकुंज सोफे से उठ खड़ा हुआ और लॅंड लाइन पर नंबर डाइयल करने लगा ...... " मुझे भूख नही ..तू खा ले " ...... बिना आँखें खोले कम्मो ने जवाब दिया और सोने की व्यर्थ कोशिश शुरू कर दी.
" अब तक नाराज़ हो मुझसे ? " ......निकुंज ने उससे पूछा पर कम्मो ने कोई जवाब नही दिया.
निकुंज ने कॉल कट कर दिया और हौले हौले कदमो से बेड के नज़दीक आ कर खड़ा हो गया ....... " मोम मैने अपनी ग़लती मान तो ली !!! हां उस वक़्त मैं बहेक गया था ..पर यदि आप इस तरह रूठ गयी मुझसे, मैं जी नही पाउन्गा " .......अपने बेटे के मूँह से निकली इस बात को सुनकर कम्मो के होश उड़ गये ....... " यह क्या कह रहा है ..सारी ग़लती इसने अपने ऊपर ले ली " .......कम्मो ने अपनी आँखें खोल कर देखा, निकुंज ठीक बेड के सामने अपने कान पकड़े खड़ा हुआ था.
" माफ़ कर दो ना मोम " .......एक याचक की भाँति उसका बेटा गिडगिडाने लगा था ...कम्मो हत्प्रद कभी उसके काँपते होंठो को देखती तो कभी हाथो को, जिन्होने बड़ी कठोरता से उसके के कान मरोड़े हुए थे ...यह दृश्य कम्मो ज़्यादा देर का देख नही पाई और उसके बेड पर बैठते ही निकुंज ने अपने हाथ जोड़ लिए ...... " मोम !!! रघु को घर छोड़ने के बाद मैं खुद कहीं दूर चला जाउन्गा और फिर कभी आप की नज़रो के सामने वापस नही आउन्गा ..बस एक बार माफ़ कर दो, मैं बहुत शर्मिंदा हूँ अपने किए पर " ........निकुंज रुवासे स्वर में बोला और मजबूरन उसके प्रार्थना स्वरूप जुड़े हाथो को खुलवाने के लिए कम्मो को बेड से नीचे उतरना पड़ा.
" तू पागल हो गया है क्या ..मैं तेरे बागेयर जी पाउन्गि ..बोल ? " ........कम्मो ने उसके जुड़े हाथ तो खुलवा लिए पर दोबारा हिम्मत ना कर सकी उसे अपने गले से लागाने की.
" फिर आप खाना क्यों नही खा रही मोम और क्या इतनी जल्दी आप को नींद आ सकती है ..बोलो ? " .......उल्टे निकुंज ने उससे सवाल किया ....... " मोम !!! क्या एक आख़िरी बार आप के गले लग सकता हूँ, फिर चाहे लाइफ टाइम के लिए मुझे अपने करीब मत आने देना " ......यह कहते हुए उसने अपना सर शरम से नीचे झुका लिया
" जाने निकुंज मेरे बारे में क्या - क्या सोच रहा होगा ..कहीं मैने कोई जलबाज़ी तो नही कर दी " ......कम्मो ने टीस में भरते हुए सोचा ......" लेकिन मैं नंगी हो गयी और पता भी नही चला, यह कैसे संभव हुआ ..क्या उस वक़्त मैं अपने होश - ओ - हवास खो चुकी थी, फिर मेरी चूत में रस क्यों आया ..जबकि मेरे दिल में तो अब तक उसके लिए कोई ग़लत ख़यालात नही हैं " .......कम्मो ने महसूस किया, जबसे उसने नीमा और उसके बेटे की चुदाई वाली बात सुनी है ...तब से लेकर अभी तक उसकी चूत एक पल को भी सूखी नही रह पाई है, लेकिन क्यों ...बस यही उसकी समझ में नही आ रहा था.
निकुंज ने चोर नज़र से अपनी मा का चेहरा देखा लेकिन हाल पकड़ा गया ...कम्मो उसकी तरफ ही देख रही थी, हड़बड़ाहट में उसके मूँह से कुछ शब्द फूटे, पर वह क्या बोला ...ना उसे पता चला ना ही उसकी मा को.
कम्मो ने बेड पर पसरते हुए अपनी आँखें बंद कर ली, शायद वह अब सोना चाहती थी ....... " मोम !!! डिन्नर कर के सोना ..मैं ऑर्डर कर देता हूँ " .......फॉरन निकुंज सोफे से उठ खड़ा हुआ और लॅंड लाइन पर नंबर डाइयल करने लगा ...... " मुझे भूख नही ..तू खा ले " ...... बिना आँखें खोले कम्मो ने जवाब दिया और सोने की व्यर्थ कोशिश शुरू कर दी.
" अब तक नाराज़ हो मुझसे ? " ......निकुंज ने उससे पूछा पर कम्मो ने कोई जवाब नही दिया.
निकुंज ने कॉल कट कर दिया और हौले हौले कदमो से बेड के नज़दीक आ कर खड़ा हो गया ....... " मोम मैने अपनी ग़लती मान तो ली !!! हां उस वक़्त मैं बहेक गया था ..पर यदि आप इस तरह रूठ गयी मुझसे, मैं जी नही पाउन्गा " .......अपने बेटे के मूँह से निकली इस बात को सुनकर कम्मो के होश उड़ गये ....... " यह क्या कह रहा है ..सारी ग़लती इसने अपने ऊपर ले ली " .......कम्मो ने अपनी आँखें खोल कर देखा, निकुंज ठीक बेड के सामने अपने कान पकड़े खड़ा हुआ था.
" माफ़ कर दो ना मोम " .......एक याचक की भाँति उसका बेटा गिडगिडाने लगा था ...कम्मो हत्प्रद कभी उसके काँपते होंठो को देखती तो कभी हाथो को, जिन्होने बड़ी कठोरता से उसके के कान मरोड़े हुए थे ...यह दृश्य कम्मो ज़्यादा देर का देख नही पाई और उसके बेड पर बैठते ही निकुंज ने अपने हाथ जोड़ लिए ...... " मोम !!! रघु को घर छोड़ने के बाद मैं खुद कहीं दूर चला जाउन्गा और फिर कभी आप की नज़रो के सामने वापस नही आउन्गा ..बस एक बार माफ़ कर दो, मैं बहुत शर्मिंदा हूँ अपने किए पर " ........निकुंज रुवासे स्वर में बोला और मजबूरन उसके प्रार्थना स्वरूप जुड़े हाथो को खुलवाने के लिए कम्मो को बेड से नीचे उतरना पड़ा.
" तू पागल हो गया है क्या ..मैं तेरे बागेयर जी पाउन्गि ..बोल ? " ........कम्मो ने उसके जुड़े हाथ तो खुलवा लिए पर दोबारा हिम्मत ना कर सकी उसे अपने गले से लागाने की.
" फिर आप खाना क्यों नही खा रही मोम और क्या इतनी जल्दी आप को नींद आ सकती है ..बोलो ? " .......उल्टे निकुंज ने उससे सवाल किया ....... " मोम !!! क्या एक आख़िरी बार आप के गले लग सकता हूँ, फिर चाहे लाइफ टाइम के लिए मुझे अपने करीब मत आने देना " ......यह कहते हुए उसने अपना सर शरम से नीचे झुका लिया