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इसी बीच कम्मो बाथ - रूम से बाहर निकली और फिर वही हुआ जो आप पढ़ चुके हैं.
पेशाब से मुक्ति पा कर निकुंज ने अपने दैनिक कार्य आरंभ कर दिए ...उसके लंड में तनाव आ गया, मूत भी निकला था ...लेकिन उसे इस बात से कोई खुशी नही महसूस हो पा रही थी, बार - बार उसका ध्यान बस इस बात पर चला जाता ....... " मैं कितना पापी बेटा हूँ !!! अपनी प्यारी और भोली मा को कितना विवश कर दिया था मैने, वह कितना प्रेम करती है मुझसे और मैं उससे अपना ....छीईईइ !!! " .......निकुंज पॉट पर बैठा बस खुद को कोसने में मगन हो गया ...... " ऐसी मा किसी की नही होगी, जो अपने बेटे के लिए इस हद्द तक टूट जाए ..कहाँ मैने मोम को हमेशा व्यवस्थित कपड़ो में देखा था, लेकिन मेरी चोट के चलते मेरे लंड को खड़ा करने के लिए ..वह कयि बार नग्न हुई, आख़िर कार जब सफलता नही मिली ..मोम को विवश हो कर मेरा लंड चूसना ही पड़ा और उस पर भी मैने उन्हे दो बार अपनी तरफ से टोका ..छीईइ !!! लानत है मुझ पर " ......यह सोचते वक़्त निकुंज को रोना आ गया लेकिन उसने अपने आँसू नही बहने दिए ..... " सिर्फ़ मेरे रोने से कुछ नही होगा ..मुझे प्राशयाचित करना पड़ेगा और इसका एक ही उपाए है, मैं मोम से दूरी बना लूँगा ..उसने बातें कम करूँगा और जितना हो सकेगा उनकी नज़रो के सामने अपना पापी चेहरा नही आने दूँगा " ......इतना प्रण कर वह बाथ - रूम से बाहर निकल आया.
" आप नहा लीजिए ..हमे आधे घंटे से हॉस्पिटल पहुचना है और हम आज ही रघु को लेकर मुंबई वापस निकल जाएँगे " .....निकुंज ने भर्राई गले से कहा और खुद के कपड़े ले कर बाथ - रूम में वापस चला गया ...अगले 5 मिंट से ज़्यादा का वक़्त नही लिया उसने और वहीं से तैयार हो कर उतनी ही तेज़ी से ...कमरे से बाहर भी निकल गया.
कम्मो भी सोफे से उठ कर हौले - हौले कदमो से बाथ - रूम पहुचि और जल्द ही दोबारा उसी लिबास को धारण कर कमरे से बाहर निकल गयी.
होटेल के नीचे निकुंज सफ़ारी में बैठा उसकी मा के आने का इंतज़ार कर रहा था और कम्मो के आते ही वे दोनो हॉस्पिटल जाने के लिए आगे बढ़ गये.
चलती कार में निकुंज ने एक - बार भी अपनी मा की तरफ निगाह नही डाली, बस अपना सारा ध्यान रोड पर केंद्रित किए ड्राइव करता रहा ...जब कम्मो उसके इस रूखे बर्ताव से अत्यधिक तंग गयी ..तब उसके मश्तिश्क में फिर से द्वन्द शुरू हो गया.
" ये ऐसे रिक्ट क्यों कर रहा है जैसे हमारे बीच कोई बहुत बड़ा पाप हो गया हो ..अरे !!! मा हू इसकी ..लंड चूस भी लिया तो क्या ग़लत किया, नीमा तो रोज़ाना चूस्ति है और तो और वह चुदवाने भी लगी है अपने बेटे से ..मैने तो फिर भी इसके इलाज के रूप में ऐसा किया था " ......कम्मो ने क्रोध में बढ़ते हुए सोचा ...... " और मैं अकेली ऐसी मा नही जिसने यह किया होगा, फिर क्यों ये मूँह फुलाए बैठा है ..बस मेरी ग़लती इतनी रही कि मैने बहुत ज़्यादा प्यार कर लिया इससे, अरे !!! मैं भी तो औरत हूँ ..मेरी भी कयि लालसाएँ हैं, सबसे बड़ी बात ..लाख मनाने के बावजूद भी जो सुख मैने कभी अपने पति को नही दिया, वह मैने इसे दिया ..मैं तो वापस भी लौट रही थी, पर इसने खुद नही लौटने दिया ..अब जब मुझे इससे अत्यधिक प्रेम हो गया है, तब क्यों ये ऐसी बातें सोच रहा है " ......कम्मो ने एक नज़र निकुंज पर डाली लेकिन हालात पहले जैसे रहे ....... " देखो !!! जान कर भी अंजान बना बैठा है ..मैं ग़लत नही, ग़लत ये खुद है ..पहले मुझसे ग़लती करवाई, मुझे नग्न होने पर मजबूर किया और जब मैने अपनी ग़लती को सुधारा तो अब इसके भाव बढ़ रहे हैं ..इतना सब होने के पश्चात यदि मेरी कुछ नयी इक्छाये पैदा हो गयी हैं, तो क्या ग़लत है ..मैं कोई चुदाई थोड़ी करवाना चाहती हू इससे, मैं तो चाहती हूँ अब यह मेरा बेटा नही दोस्त बने ..मैं जो भी कहु मेरी सुने, मुझे छेड़े ..परेशान करे, मुझे बेहद प्यार करे, अपना वक़्त दे ..हां !!! मानती हूँ, रोमांच के वशीभूत बहेक कर मैने दोबारा अपनी मर्ज़ी से इसका लंड चूसा ..तो इसमें इसका क्या बिगाड़ दिया, मैं उसे काट कर तो अपने पास रखने नही वाली ..भले शादी के बाद इसके लंड के ऊपर तनवी का हक़ होगा, पर मैं बहकी क्यों ..अरे !!! इतना झुकाने के बाद तो मेरी बात समझनी चाहिए थी ....मैने कभी कोई शिक़ायत नही की ऊपर वाले से, हर दुख और ज़ुल्म से कर भी कभी उदास नही हुई और अब जब मेरी उदासी छ'टनी चाहिए ..तब यह मेरे साथ ऐसा कर रहा है " ......सोचते - सोचते कम्मो की आँखों की किनोरे गीली होने लगी ...... " मुझे सब ने धोखा दिया, एक आस थी कि मेरा बेटा मेरे साथ है, लेकिन अब मैं कहाँ जाउ ..पिछे हट कर भी क्या फ़ायदा, मैने तुझसे बहुत सी आशायें लगा रखी थी निकुंज ..पर तूने मेरे पूरे विश्वास की धज्जियाँ उड़ा कर रख दी, तू क्या सोचता है तेरी मा बाज़ारू है ..जो यूज़ किया और छोड़ दिया, अरे !!! मुझ जैसी मा तुझे 7 जन्मो में नही मिलेगी लेकिन मैं तो ऊपर वाले से हमेशा यही प्रार्थना करूँगी, जब भी मेरी कोख भरे ..उसमें से तू ही बाहर निकले " ......कम्मो का सिसकना शुरू हुआ और उनकी कार हॉस्पिटल की पार्किंग में जा कर खड़ी हो गयी.
बेहद टूट जाने पर कम्मो को रघु से मिलने की भी कोई खुशी नही रही ...वे दोनो जल्द ही उसके कमरे में पहुच गये, वह चेर पर बैठा था ...जैसा की निर्देश मिला था, उसकी दाढ़ी काफ़ी बढ़ी हुई थी ...स्टाफ को सॉफ कहा गया था, उसे शेव्ड रहना कतयि पसंद नही ...बदन पर हॉस्पिटल के कपड़े और उसका सर चेर स्टॅंड के साथ बाँधा गया था.
" जी आप बिल्कुल ले जा सकते हैं इसे ...मैं कुछ ज़रूरी बातें बता दूँगा, बस उनका ख़याल रखें ...बाकी सच कहूँ तो मैं भी यही चाहता था, इसे फेमिलियर एन्वाइरन्मेंट की सख़्त ज़रूरत है ..अगर फ्यूचर में कभी सही होगा, तो उसमें आप सब का योगदान प्रमुख रहेगा " .....ड्र. शर्मा इतना कह कर वॉर्ड से बाहर जाने लगे और अपने साथ उन्होने कम्मो को भी आने को कहा.
" मिसेज़. चावला !!! चूँकि आप घर की बड़ी हैं, कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान आप ही रख सकती हैं ..इसी लिए मैने निकुंज को यहाँ नही बुलाया " ......ड्र. शर्मा ने अपनी चेर पर बैठते हुए कहा.
" जी कहिए " ......कम्मो ने जवाब दिया पर उसकी आवाज़ में उतना दम नही था.
" जी थॅंक्स !!! मैं डाइरेक्ट मुद्दे पर आता हूँ ...रघु की बॉडी का कोई भी पार्ट वर्क नही करता, यह आप जानती हैं ..तो आप को या परिवार के अन्य सदस्यो को दिन - रात इसका ध्यान रखने की ज़रूरत है, वह पूरी तरह से आप सब के ऊपर आश्रित रहेगा ..गर्मियाँ ज़ोरो पर हैं, दिन में दोनो टाइम आप इसे ज़रूर नहलवाएँ ..साथ ही बड़ी बारीकी से इसके प्राइवेट पार्ट्स, जहाँ अक्सर गंदगी ज़्यादा रहती है ..हमेशा सॉफ और सूखे रखें ताकि कोई इन्फेक्षन उन्हे ना घेरे, इसके कपड़े नियमित बदलें ..बाकी मेडिकल संबंधी जितनी भी दिक्कतें हैं, मुंबई में भी हल हो जाएँगी ..आप के घर पर साप्ताह में दो बार वहाँ की ब्रांच से नर्स आ जाया करेगी ..मैं समझता हूँ आप को बड़े सैयम से काम लेना पड़ेगा, वादा तो नही करता पर मेरा अनुभव कहता है, वह ज़रूर ठीक होगा ..बेस्ट ऑफ लक मिसेज़. चावला, आप के बेटे को अब उसके परिवार का प्यार ही दोबारा से जीवित कर सकता है " .......इतनी समझाइश देने के बाद ड्र. शर्मा चुप हो गये और रघु के हॉस्पिटल छोड़ने के मैन दस्तावेज़ो पर दस्तख़त करने लगे.
" हम इसे कब तक ले जा सकते हैं ? " ......कम्मो ने पूछा साथ ही वह अपने मन में कुछ प्रण भी करने लगी ..... " निकुंज से नाराज़ हूँ तो क्या हुआ, मैं रघु को कोई कष्ट नही होने दूँगी ..हर हाल में उसका ख़याल रखूँगी, अगर मा अपने बच्चों का ध्यान नही रख पाई ..तो उसके मा होने पर लानत है " ......वह फिर से जीवित हो उठी, रघु भी उसे कम प्रिय नही था ...लेकिन वह चाह कर भी कभी उसके लिए कुछ कर नही पाई थी ....... " अब करूँगी ..मेरा बेटा ज़रूर ठीक होगा "
" चाहें तो 2 घंटे बाद ले जा सकते हैं ..बस एक लास्ट आंड; फाइनल चेक - अप करना चाहता हूँ, उसके बाद मैं निकुंज को कॉल कर दूँगा " ......इतना बोलने और सुनने के बाद दोनो चेंबर से बाहर आए ...ड्र. शर्मा ने निकुंज को भी कुछ हिदायतें दी और फिर दोनो मा बेटे सामान पॅक करने की गरज से वापस होटेल पहुच गये ..
पेशाब से मुक्ति पा कर निकुंज ने अपने दैनिक कार्य आरंभ कर दिए ...उसके लंड में तनाव आ गया, मूत भी निकला था ...लेकिन उसे इस बात से कोई खुशी नही महसूस हो पा रही थी, बार - बार उसका ध्यान बस इस बात पर चला जाता ....... " मैं कितना पापी बेटा हूँ !!! अपनी प्यारी और भोली मा को कितना विवश कर दिया था मैने, वह कितना प्रेम करती है मुझसे और मैं उससे अपना ....छीईईइ !!! " .......निकुंज पॉट पर बैठा बस खुद को कोसने में मगन हो गया ...... " ऐसी मा किसी की नही होगी, जो अपने बेटे के लिए इस हद्द तक टूट जाए ..कहाँ मैने मोम को हमेशा व्यवस्थित कपड़ो में देखा था, लेकिन मेरी चोट के चलते मेरे लंड को खड़ा करने के लिए ..वह कयि बार नग्न हुई, आख़िर कार जब सफलता नही मिली ..मोम को विवश हो कर मेरा लंड चूसना ही पड़ा और उस पर भी मैने उन्हे दो बार अपनी तरफ से टोका ..छीईइ !!! लानत है मुझ पर " ......यह सोचते वक़्त निकुंज को रोना आ गया लेकिन उसने अपने आँसू नही बहने दिए ..... " सिर्फ़ मेरे रोने से कुछ नही होगा ..मुझे प्राशयाचित करना पड़ेगा और इसका एक ही उपाए है, मैं मोम से दूरी बना लूँगा ..उसने बातें कम करूँगा और जितना हो सकेगा उनकी नज़रो के सामने अपना पापी चेहरा नही आने दूँगा " ......इतना प्रण कर वह बाथ - रूम से बाहर निकल आया.
" आप नहा लीजिए ..हमे आधे घंटे से हॉस्पिटल पहुचना है और हम आज ही रघु को लेकर मुंबई वापस निकल जाएँगे " .....निकुंज ने भर्राई गले से कहा और खुद के कपड़े ले कर बाथ - रूम में वापस चला गया ...अगले 5 मिंट से ज़्यादा का वक़्त नही लिया उसने और वहीं से तैयार हो कर उतनी ही तेज़ी से ...कमरे से बाहर भी निकल गया.
कम्मो भी सोफे से उठ कर हौले - हौले कदमो से बाथ - रूम पहुचि और जल्द ही दोबारा उसी लिबास को धारण कर कमरे से बाहर निकल गयी.
होटेल के नीचे निकुंज सफ़ारी में बैठा उसकी मा के आने का इंतज़ार कर रहा था और कम्मो के आते ही वे दोनो हॉस्पिटल जाने के लिए आगे बढ़ गये.
चलती कार में निकुंज ने एक - बार भी अपनी मा की तरफ निगाह नही डाली, बस अपना सारा ध्यान रोड पर केंद्रित किए ड्राइव करता रहा ...जब कम्मो उसके इस रूखे बर्ताव से अत्यधिक तंग गयी ..तब उसके मश्तिश्क में फिर से द्वन्द शुरू हो गया.
" ये ऐसे रिक्ट क्यों कर रहा है जैसे हमारे बीच कोई बहुत बड़ा पाप हो गया हो ..अरे !!! मा हू इसकी ..लंड चूस भी लिया तो क्या ग़लत किया, नीमा तो रोज़ाना चूस्ति है और तो और वह चुदवाने भी लगी है अपने बेटे से ..मैने तो फिर भी इसके इलाज के रूप में ऐसा किया था " ......कम्मो ने क्रोध में बढ़ते हुए सोचा ...... " और मैं अकेली ऐसी मा नही जिसने यह किया होगा, फिर क्यों ये मूँह फुलाए बैठा है ..बस मेरी ग़लती इतनी रही कि मैने बहुत ज़्यादा प्यार कर लिया इससे, अरे !!! मैं भी तो औरत हूँ ..मेरी भी कयि लालसाएँ हैं, सबसे बड़ी बात ..लाख मनाने के बावजूद भी जो सुख मैने कभी अपने पति को नही दिया, वह मैने इसे दिया ..मैं तो वापस भी लौट रही थी, पर इसने खुद नही लौटने दिया ..अब जब मुझे इससे अत्यधिक प्रेम हो गया है, तब क्यों ये ऐसी बातें सोच रहा है " ......कम्मो ने एक नज़र निकुंज पर डाली लेकिन हालात पहले जैसे रहे ....... " देखो !!! जान कर भी अंजान बना बैठा है ..मैं ग़लत नही, ग़लत ये खुद है ..पहले मुझसे ग़लती करवाई, मुझे नग्न होने पर मजबूर किया और जब मैने अपनी ग़लती को सुधारा तो अब इसके भाव बढ़ रहे हैं ..इतना सब होने के पश्चात यदि मेरी कुछ नयी इक्छाये पैदा हो गयी हैं, तो क्या ग़लत है ..मैं कोई चुदाई थोड़ी करवाना चाहती हू इससे, मैं तो चाहती हूँ अब यह मेरा बेटा नही दोस्त बने ..मैं जो भी कहु मेरी सुने, मुझे छेड़े ..परेशान करे, मुझे बेहद प्यार करे, अपना वक़्त दे ..हां !!! मानती हूँ, रोमांच के वशीभूत बहेक कर मैने दोबारा अपनी मर्ज़ी से इसका लंड चूसा ..तो इसमें इसका क्या बिगाड़ दिया, मैं उसे काट कर तो अपने पास रखने नही वाली ..भले शादी के बाद इसके लंड के ऊपर तनवी का हक़ होगा, पर मैं बहकी क्यों ..अरे !!! इतना झुकाने के बाद तो मेरी बात समझनी चाहिए थी ....मैने कभी कोई शिक़ायत नही की ऊपर वाले से, हर दुख और ज़ुल्म से कर भी कभी उदास नही हुई और अब जब मेरी उदासी छ'टनी चाहिए ..तब यह मेरे साथ ऐसा कर रहा है " ......सोचते - सोचते कम्मो की आँखों की किनोरे गीली होने लगी ...... " मुझे सब ने धोखा दिया, एक आस थी कि मेरा बेटा मेरे साथ है, लेकिन अब मैं कहाँ जाउ ..पिछे हट कर भी क्या फ़ायदा, मैने तुझसे बहुत सी आशायें लगा रखी थी निकुंज ..पर तूने मेरे पूरे विश्वास की धज्जियाँ उड़ा कर रख दी, तू क्या सोचता है तेरी मा बाज़ारू है ..जो यूज़ किया और छोड़ दिया, अरे !!! मुझ जैसी मा तुझे 7 जन्मो में नही मिलेगी लेकिन मैं तो ऊपर वाले से हमेशा यही प्रार्थना करूँगी, जब भी मेरी कोख भरे ..उसमें से तू ही बाहर निकले " ......कम्मो का सिसकना शुरू हुआ और उनकी कार हॉस्पिटल की पार्किंग में जा कर खड़ी हो गयी.
बेहद टूट जाने पर कम्मो को रघु से मिलने की भी कोई खुशी नही रही ...वे दोनो जल्द ही उसके कमरे में पहुच गये, वह चेर पर बैठा था ...जैसा की निर्देश मिला था, उसकी दाढ़ी काफ़ी बढ़ी हुई थी ...स्टाफ को सॉफ कहा गया था, उसे शेव्ड रहना कतयि पसंद नही ...बदन पर हॉस्पिटल के कपड़े और उसका सर चेर स्टॅंड के साथ बाँधा गया था.
" जी आप बिल्कुल ले जा सकते हैं इसे ...मैं कुछ ज़रूरी बातें बता दूँगा, बस उनका ख़याल रखें ...बाकी सच कहूँ तो मैं भी यही चाहता था, इसे फेमिलियर एन्वाइरन्मेंट की सख़्त ज़रूरत है ..अगर फ्यूचर में कभी सही होगा, तो उसमें आप सब का योगदान प्रमुख रहेगा " .....ड्र. शर्मा इतना कह कर वॉर्ड से बाहर जाने लगे और अपने साथ उन्होने कम्मो को भी आने को कहा.
" मिसेज़. चावला !!! चूँकि आप घर की बड़ी हैं, कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान आप ही रख सकती हैं ..इसी लिए मैने निकुंज को यहाँ नही बुलाया " ......ड्र. शर्मा ने अपनी चेर पर बैठते हुए कहा.
" जी कहिए " ......कम्मो ने जवाब दिया पर उसकी आवाज़ में उतना दम नही था.
" जी थॅंक्स !!! मैं डाइरेक्ट मुद्दे पर आता हूँ ...रघु की बॉडी का कोई भी पार्ट वर्क नही करता, यह आप जानती हैं ..तो आप को या परिवार के अन्य सदस्यो को दिन - रात इसका ध्यान रखने की ज़रूरत है, वह पूरी तरह से आप सब के ऊपर आश्रित रहेगा ..गर्मियाँ ज़ोरो पर हैं, दिन में दोनो टाइम आप इसे ज़रूर नहलवाएँ ..साथ ही बड़ी बारीकी से इसके प्राइवेट पार्ट्स, जहाँ अक्सर गंदगी ज़्यादा रहती है ..हमेशा सॉफ और सूखे रखें ताकि कोई इन्फेक्षन उन्हे ना घेरे, इसके कपड़े नियमित बदलें ..बाकी मेडिकल संबंधी जितनी भी दिक्कतें हैं, मुंबई में भी हल हो जाएँगी ..आप के घर पर साप्ताह में दो बार वहाँ की ब्रांच से नर्स आ जाया करेगी ..मैं समझता हूँ आप को बड़े सैयम से काम लेना पड़ेगा, वादा तो नही करता पर मेरा अनुभव कहता है, वह ज़रूर ठीक होगा ..बेस्ट ऑफ लक मिसेज़. चावला, आप के बेटे को अब उसके परिवार का प्यार ही दोबारा से जीवित कर सकता है " .......इतनी समझाइश देने के बाद ड्र. शर्मा चुप हो गये और रघु के हॉस्पिटल छोड़ने के मैन दस्तावेज़ो पर दस्तख़त करने लगे.
" हम इसे कब तक ले जा सकते हैं ? " ......कम्मो ने पूछा साथ ही वह अपने मन में कुछ प्रण भी करने लगी ..... " निकुंज से नाराज़ हूँ तो क्या हुआ, मैं रघु को कोई कष्ट नही होने दूँगी ..हर हाल में उसका ख़याल रखूँगी, अगर मा अपने बच्चों का ध्यान नही रख पाई ..तो उसके मा होने पर लानत है " ......वह फिर से जीवित हो उठी, रघु भी उसे कम प्रिय नही था ...लेकिन वह चाह कर भी कभी उसके लिए कुछ कर नही पाई थी ....... " अब करूँगी ..मेरा बेटा ज़रूर ठीक होगा "
" चाहें तो 2 घंटे बाद ले जा सकते हैं ..बस एक लास्ट आंड; फाइनल चेक - अप करना चाहता हूँ, उसके बाद मैं निकुंज को कॉल कर दूँगा " ......इतना बोलने और सुनने के बाद दोनो चेंबर से बाहर आए ...ड्र. शर्मा ने निकुंज को भी कुछ हिदायतें दी और फिर दोनो मा बेटे सामान पॅक करने की गरज से वापस होटेल पहुच गये ..