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बाहर आते ही उसे निम्मी सोफे पर बैठी दिखाई दी ...वह सोई नही थी, इस वक़्त उसकी पीठ दीप की तरफ थी और वह अपने लॅपटॉप को गोद में रखे ...उसकी स्क्रीन पर नज़र गढ़ाए हुए थी.
" उफफफफफफ्फ़ !!! यह लड़की भी ना पूरी पागल है ..घड़ी - घड़ी रंग बदलते हैं इसके " .......दीप हौले - हौले सीढ़ियाँ उतरने लगा, उसके पैरो की आवाज़ निम्मी आराम से सुन सकती थी ...पर ताज्जुब की बात, ना तो अब तक उसने पीछे मूड कर देखा था ना ही उसके बदन में आवाज़ को लेकर कोई कंपन हुआ था ...बस निरंतर वह लॅपटॉप की स्क्रीन देखने में खोई हुई थी.
जैसे - जैसे दीप सोफे के नज़दीक आता गया, स्क्रीन पर छायि ढुँधलाहट का भी अंत होता गया और जब उसने स्क्रीन पर अपनी खुद की तस्वीर देखी वह चौंक पड़ा ...स्वतः ही उसके कदम जहाँ थे वहीं जमे रह गये.
तस्वीर कुल 4 - 5 साल पुरानी थी, जिसमें वह रघु की मार से रोती निम्मी को अपनी गोद में बिठाए चुप करवा रहा था, साथ ही फोटो खीचने वाला भी कोई और नही वह खुद था ...हलाकी जल्दबाज़ी में क्लिक हुई वह फोटो ज़्यादा क्लियर तो नही थी पर जितनी थी, उसे देख कर कोई भी अन्य शॅक्स बाप - बेटी के निर्मल प्यार को नमन ज़रूर करता.
" कितना बदलाव आ गया है " .......उसने सोचा और फॉरन वह अधीर हो उठा, बेटी का मासूम रोता चेहरा ना तो वह पहले कभी देख सकता था ना ही आज देखने की हिम्मत कर सका ...उसके अवरुद्ध पाँव खुद - ब - खुद आगे बढ़ गये और जल्द ही वह निम्मी के ठीक सामने पहुच गया.
" निम्मी !!! " ......प्रेम से सराबोर उसका अपनी बेटी को पुकारना हुआ, तभी उसे एक करारा झटका लगा और जब तक वह खुद को संभाल पाता, बाप के दिल को मार कर उसके अंदर छिपा मर्द अंगड़ाई लेने लगा ...निच्छले धड़ से पूरी नंगी उसकी सग़ी बेटी, अपने पिता की तस्वीर देखते हुए अपनी कुँवारी चूत सहलाने में मग्न थी.
दीप के जड़ होते शरीर का सिर्फ़ एक भाग निरंतर तरक्की पाए जा रहा था और जाने कब निम्मी ने उसे आवाज़ दी उसे पता भी ना चला.
" बैठ जाइए डॅड !!! " .......उसने ने अपनी लेटी, सीधी टाँगो को विपरीत दिशा में फैलाते हुए कामुकता का वह नज़ारा पेश किया कि दीप स्थिर अवस्था में भी उसके आदेश का पालन करने को विवश हो उठा.
" आप मुझे कितना प्यार करते थे लेकिन आज मुझे कोई प्यार नही करता ..ना मोम, ना दोनो भाई और ना ही दीदी " .......लॅपटॉप फोल्ड करते हुए निम्मी ने उसे नीचे फ्लोर पर रख दिया और पूरी बेशर्मी से अपनी रस से भीगी चूत की फाँकें मरोड़ती रही, इस वक़्त उसके चेहरे पर उत्तेजना का अंबार छाया हुआ था और उसकी रक्त - रंजीत आँखें एक - टक अपने पिता की पॅंट में बने विशाल तंबू पर टिकी हुई थी.
दीप की चेतना तब लौटी जब उसने अपने लंड में उठते दर्द को महसूस किया और इसके तुरंत बाद ही उसकी आँखें नीचे को झुकती चली गयी, वह असमंजस की स्थिति में फस चुका था ...नग्न बेटी के साथ सोफे पर बैठा रहे या उठ कर अपने कमरे में वापस चला जाए.
" डॅड !!! प्लीज़ मेरी तरफ देखो ना ..क्या आप को अपनी बेटी की इस बुरी हालत पर ज़रा भी तरस नही आता ..आख़िर इतने कठोर कैसे हो सकते हो आप ? " .......निम्मी ने उसे अपनी तरफ देखने को मजबूर करते हुए कहा और साथ ही वह अपनी चूत की लकीर के ऊपर विराजमान, मोटे भग्नासे को ज़ोरो से मसल्ति हुई आहें भरने लगी.
दीप किन्कर्तव्य विमूढ़, अपनी बेटी के नीच कर्म को चोर निगाहो से देखने लगा साथ ही उसने जाना ...उसके लंड में आते तनाव ने उसके दिमाग़ पर अपना क़ब्ज़ा करना शुरू कर दिया है ....... " नही !!! मैं इतनी जल्दी नही हार सकता, वह मेरी सग़ी बेटी है ..मुझे उससे बात करनी होगी " ......ऐसा फ़ैसला कर दीप ने अपना चेहरा निम्मी की तरफ मोड़ लिया.
" उफफफफफफ्फ़ !!! यह लड़की भी ना पूरी पागल है ..घड़ी - घड़ी रंग बदलते हैं इसके " .......दीप हौले - हौले सीढ़ियाँ उतरने लगा, उसके पैरो की आवाज़ निम्मी आराम से सुन सकती थी ...पर ताज्जुब की बात, ना तो अब तक उसने पीछे मूड कर देखा था ना ही उसके बदन में आवाज़ को लेकर कोई कंपन हुआ था ...बस निरंतर वह लॅपटॉप की स्क्रीन देखने में खोई हुई थी.
जैसे - जैसे दीप सोफे के नज़दीक आता गया, स्क्रीन पर छायि ढुँधलाहट का भी अंत होता गया और जब उसने स्क्रीन पर अपनी खुद की तस्वीर देखी वह चौंक पड़ा ...स्वतः ही उसके कदम जहाँ थे वहीं जमे रह गये.
तस्वीर कुल 4 - 5 साल पुरानी थी, जिसमें वह रघु की मार से रोती निम्मी को अपनी गोद में बिठाए चुप करवा रहा था, साथ ही फोटो खीचने वाला भी कोई और नही वह खुद था ...हलाकी जल्दबाज़ी में क्लिक हुई वह फोटो ज़्यादा क्लियर तो नही थी पर जितनी थी, उसे देख कर कोई भी अन्य शॅक्स बाप - बेटी के निर्मल प्यार को नमन ज़रूर करता.
" कितना बदलाव आ गया है " .......उसने सोचा और फॉरन वह अधीर हो उठा, बेटी का मासूम रोता चेहरा ना तो वह पहले कभी देख सकता था ना ही आज देखने की हिम्मत कर सका ...उसके अवरुद्ध पाँव खुद - ब - खुद आगे बढ़ गये और जल्द ही वह निम्मी के ठीक सामने पहुच गया.
" निम्मी !!! " ......प्रेम से सराबोर उसका अपनी बेटी को पुकारना हुआ, तभी उसे एक करारा झटका लगा और जब तक वह खुद को संभाल पाता, बाप के दिल को मार कर उसके अंदर छिपा मर्द अंगड़ाई लेने लगा ...निच्छले धड़ से पूरी नंगी उसकी सग़ी बेटी, अपने पिता की तस्वीर देखते हुए अपनी कुँवारी चूत सहलाने में मग्न थी.
दीप के जड़ होते शरीर का सिर्फ़ एक भाग निरंतर तरक्की पाए जा रहा था और जाने कब निम्मी ने उसे आवाज़ दी उसे पता भी ना चला.
" बैठ जाइए डॅड !!! " .......उसने ने अपनी लेटी, सीधी टाँगो को विपरीत दिशा में फैलाते हुए कामुकता का वह नज़ारा पेश किया कि दीप स्थिर अवस्था में भी उसके आदेश का पालन करने को विवश हो उठा.
" आप मुझे कितना प्यार करते थे लेकिन आज मुझे कोई प्यार नही करता ..ना मोम, ना दोनो भाई और ना ही दीदी " .......लॅपटॉप फोल्ड करते हुए निम्मी ने उसे नीचे फ्लोर पर रख दिया और पूरी बेशर्मी से अपनी रस से भीगी चूत की फाँकें मरोड़ती रही, इस वक़्त उसके चेहरे पर उत्तेजना का अंबार छाया हुआ था और उसकी रक्त - रंजीत आँखें एक - टक अपने पिता की पॅंट में बने विशाल तंबू पर टिकी हुई थी.
दीप की चेतना तब लौटी जब उसने अपने लंड में उठते दर्द को महसूस किया और इसके तुरंत बाद ही उसकी आँखें नीचे को झुकती चली गयी, वह असमंजस की स्थिति में फस चुका था ...नग्न बेटी के साथ सोफे पर बैठा रहे या उठ कर अपने कमरे में वापस चला जाए.
" डॅड !!! प्लीज़ मेरी तरफ देखो ना ..क्या आप को अपनी बेटी की इस बुरी हालत पर ज़रा भी तरस नही आता ..आख़िर इतने कठोर कैसे हो सकते हो आप ? " .......निम्मी ने उसे अपनी तरफ देखने को मजबूर करते हुए कहा और साथ ही वह अपनी चूत की लकीर के ऊपर विराजमान, मोटे भग्नासे को ज़ोरो से मसल्ति हुई आहें भरने लगी.
दीप किन्कर्तव्य विमूढ़, अपनी बेटी के नीच कर्म को चोर निगाहो से देखने लगा साथ ही उसने जाना ...उसके लंड में आते तनाव ने उसके दिमाग़ पर अपना क़ब्ज़ा करना शुरू कर दिया है ....... " नही !!! मैं इतनी जल्दी नही हार सकता, वह मेरी सग़ी बेटी है ..मुझे उससे बात करनी होगी " ......ऐसा फ़ैसला कर दीप ने अपना चेहरा निम्मी की तरफ मोड़ लिया.