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" शुवर मॅम !!! वेलकम है आप का स्टोर में " ...... काउंटर गर्ल ने एक नज़र मुस्कुराती निम्मी पर डाली और उसके बाद दीप का चेहरा देखने लगी .... पहले तो वह उनके आगे डिफरेन्स को लेकर थोड़ा हैरान हुई फिर ऑटोमॅटिक उसका चेहरा भी स्माइल करने लगा .... आख़िर रोज़ ना जाने कितने ऐसे कपल स्टोर में शॉपिंग करने आते थे और बात जब मुंबई शहेर की हो तो इग्नोर कर देना ही उचित होगा.
" जानू बताओ ना !!! किस हॉट ड्रेस में आप मुझे देखना चाहते हो .. वैसे घर पर तो कुछ पहेन'ने देते नही " ...... निम्मी का स्पष्ट संवाद सुन कर दीप के साथ काउंटर गर्ल के भी कानो से धुआँ निकल गया ..... " ओह्ह्ह !!! डोंट माइंड थोड़ी पर्सनल बात कह गयी " ..... इतना कह कर उसने दीप की कमर में अपना हाथ लपेट लिया .... मानो सारी दुनिया को बताना चाहती हो कि वा वहाँ अपने पिता के साथ नही बल्कि अपने प्रेमी के साथ खड़ी है.
" माफी की ज़रूरत नही मॅम .. आप हैं ही इतनी हॉट " ..... काउंटर गर्ल ने मस्का लगाते हुए कहा ... वह समझ गयी पार्टी पैसे वाली है और यहाँ से वह अच्छा ख़ासा साले कमिशन गेन कर लेगी ..... " वाकाई सर आप बहुत लकी हैं .. काफ़ी कम लॅडीस का फिगर मॅम की तरह फुल्ली शेप्ड होता है .. क्या मैं अपनी तरफ से कुछ हॉट &; लग्षुरी ड्रेसस सजेस्ट कर सकती हूँ .. आप को ज़रूर पसंद आएँगी " ..... इतना कह कर उसने निम्मी का पूरा फिगर अपनी अनुभवी आँखों में क़ैद कर लिया और वाजिब ड्रेसस निकालने लगी.
" यहाँ स्टोर में अलोड है ना .. एक्चूली !!! मैं इन्हे ड्रेसस पहेन कर दिखाना चाहती हूँ, यू नो ... बाद के लफदे " ...... निम्मी को अपने कमीनेपन पर वापस आने में ज़्यादा वक़्त नही लगा और दीप ना चाहते हुए भी उसकी हार बात पर मानो कठ - पुतली की तरह मोहर लगाता रहा.
" बिल्कुल अलाउड है मॅम !!! बट ट्राइयल रूम्स के बाहर कॅमरास लगे हैं जो हर 10 मिनिट्स बाद बीप करते हैं ताकि अंदर कोई दुर्घटना ना हो जाए .... आख़िर लोग कंट्रोल करें भी तो कैसे आंड आप की हॉटनेस्स देख कर तो लगता है .... सर वाकाई कंट्रोल नही कर पाते होंगे " ...... काउंटर गर्ल ने निम्मी की ओपननेस में अपनी नॉटीनेस्स मिक्स करते हुए कहा ...... " मॅम !!! ये सारी ड्रेसस ऊपरवाले ने ख़ास आप के लिए ही बनाई हैं आंड सर बी करेफ़ूल्ल " ....... इतना कहते हुए उसने बाप - बेटी दोनो को ट्राइयल रूम की सिचुयेशन बता दी और अपने अन्य कामो में व्यस्त हो गयी.
दीप ने देखा काउंटर पर इतने छोटे - छोटे कपड़े रखे हुए थे जितने तो शायद निम्मी ने पहले कभी नही पहने होंगे .... नाम मात्र के कपड़े जिन्हे पहेनना - ना पहेनना सब बराबर होता.
वहीं निम्मी कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो गयी और सारे कपड़े समेट'ते हुए उसने दीप से कहा ....... " चलें डॅड !!! " ...... हलाकी यह वाक्य उसके मूँह से हड़बड़ी या अपार आनंद में निकल गया होगा परंतु जब तक वह कुछ समझ पाती .... तब तक वहाँ भूचाल आ गया.
काउंटर गर्ल .... जो उस वक़्त एक्सट्रा ड्रेसस शिफ्ट करने में लग चुकी थी एक दम से उसके हाथ से सारे कपड़े नीचे फ्लोर पर गिर गये और फॉरन पलट'ते हुए उसने बाप - बेटी के चेहरे को देखा .... अपने आप उसका हाथ अपने खुले मूँह पर चला गया और वह हैरान रह गयी.
पल भर में ही अत्यंत बेज़्ज़ती का अनुभव कर दीप का चेहरा शर्मसार हो गया और उसने निम्मी के हाथ में पकड़े हुए सारे ड्रेसस फुर्ती में काउंटर पर रखवा दिए .... वे दोनो स्टोर से बाहर निकलने लगे, दीप ने अपनी बेटी का हाथ थाम रखा था और निम्मी ने जब पलट कर पीछे देखा तो काउंटर गर्ल के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर रही थी .... यह देखते ही निम्मी भी उसी अंदाज़ में मुस्कुराइ और उसे आँख मार दी .... शायद वह उसे एक नयी पापी सीख देना चाहती होगी.
जल्द ही दोनो तेज़ कदमो से चलते हुए पार्किंग में पहुच गये ...... " चल बैठ अंदर और अब एक लफ्ज़ नही सुनना मुझे " ..... इतना कह कर दीप ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और निम्मी ने भी अपनी मुकम्मल जगह पर तशरीफ़ रख दी.
" यू नो डॅड आप की प्राब्लम क्या है .... आप बहुत बड़े फत्तु हो " ..... निम्मी ने उसके गियर डालने से पहले ही हमला बोल दिया .... वह रास्ते में ही तय कर चुकी थी, आज फाइनल बात करने के बाद ही घर जाएगी.
" क्या बोली तू !!! मैं फत्तु हूँ, शरम कर निम्मी ... देखा नही वह लड़की कैसे घूर कर हमे देख रही थी " ........ दीप की टोन निम्मी से ज़्यादा ऊँची हो गयी थी और वह लगभग चिल्लाते हुए बोला.
" तो देखने दो ना डॅड !!! क्या बंद कमरे की हरक़त कोई नही देखता .. हम तो देखते हैं, तब इस शरम को कहाँ ले कर जाएँगे ? " ...... निम्मी ने अपनी साइड का गेट ओपन करते हुए कहा ....... " मैं अब घर पर नही रहूंगी " ....... इतना कहती हुई वह कार से नीचे उतरने लगी.
" चुप चाप बैठ अंदर .. मैं बात कर रहा हूँ ना " ....... दीप ने उसे नीचे नही उतरने दिया और उसका हाथ पकड़ कर वापस उसे अंदर खीच लिया ....... " सुन निम्मी !!! जो हो गया सो हो गया, अब हम नॉर्मल लाइफ जियेंगे और तू भी भूल जा सब कुछ " ....... वह गियर डालते हुए बोला.
" आइ सेड स्टॉप दा कार डॅड !!! मैं कोई बाज़ारू रांड़ नही हूँ जिनसे आज तक आप घर के बाहर अपना जी बहलाते आए हो .. दो बार आप मेरा जिस्म चूस चुके हो, एक बार मैं आप का बदन चूस चुकी हूँ .. क्या इसके बाद भी भूलने की कोई गुंजाइश बचती है ? " ...... निम्मी ने अपनी बात पूरी की और दीप के बलिश्त हाथ की पाँचो उंगलियाँ उसके नर्म व गोरे गाल पर छप गयी .... थप्पड़ की उस करारी गूँज से पूरी कार हिल गयी थी.
" बस अब आपकी यही मर्दानगी बची है डॅड !!! वाकाई आप फत्तु हो .. यह मत समझना क़ी मैं रोने लग जाउन्गि .. निम्मी ने आज तक लोगो को रुलाया है और उसके आँसू जब वह खुद चाहती है तभी बाहर आते हैं .. कहीं ऐसा ना हो जाए किन आप भी अपनी बेटी के आँसुओ की जलन में तप जाओ " ...... निम्मी ने एक पल को भी अपने दर्द पर ध्यान नही दिया और अब वह ख़ूँख़ार शेरनी की तरह दीप पर चढ़ने लगी.
" जानू बताओ ना !!! किस हॉट ड्रेस में आप मुझे देखना चाहते हो .. वैसे घर पर तो कुछ पहेन'ने देते नही " ...... निम्मी का स्पष्ट संवाद सुन कर दीप के साथ काउंटर गर्ल के भी कानो से धुआँ निकल गया ..... " ओह्ह्ह !!! डोंट माइंड थोड़ी पर्सनल बात कह गयी " ..... इतना कह कर उसने दीप की कमर में अपना हाथ लपेट लिया .... मानो सारी दुनिया को बताना चाहती हो कि वा वहाँ अपने पिता के साथ नही बल्कि अपने प्रेमी के साथ खड़ी है.
" माफी की ज़रूरत नही मॅम .. आप हैं ही इतनी हॉट " ..... काउंटर गर्ल ने मस्का लगाते हुए कहा ... वह समझ गयी पार्टी पैसे वाली है और यहाँ से वह अच्छा ख़ासा साले कमिशन गेन कर लेगी ..... " वाकाई सर आप बहुत लकी हैं .. काफ़ी कम लॅडीस का फिगर मॅम की तरह फुल्ली शेप्ड होता है .. क्या मैं अपनी तरफ से कुछ हॉट &; लग्षुरी ड्रेसस सजेस्ट कर सकती हूँ .. आप को ज़रूर पसंद आएँगी " ..... इतना कह कर उसने निम्मी का पूरा फिगर अपनी अनुभवी आँखों में क़ैद कर लिया और वाजिब ड्रेसस निकालने लगी.
" यहाँ स्टोर में अलोड है ना .. एक्चूली !!! मैं इन्हे ड्रेसस पहेन कर दिखाना चाहती हूँ, यू नो ... बाद के लफदे " ...... निम्मी को अपने कमीनेपन पर वापस आने में ज़्यादा वक़्त नही लगा और दीप ना चाहते हुए भी उसकी हार बात पर मानो कठ - पुतली की तरह मोहर लगाता रहा.
" बिल्कुल अलाउड है मॅम !!! बट ट्राइयल रूम्स के बाहर कॅमरास लगे हैं जो हर 10 मिनिट्स बाद बीप करते हैं ताकि अंदर कोई दुर्घटना ना हो जाए .... आख़िर लोग कंट्रोल करें भी तो कैसे आंड आप की हॉटनेस्स देख कर तो लगता है .... सर वाकाई कंट्रोल नही कर पाते होंगे " ...... काउंटर गर्ल ने निम्मी की ओपननेस में अपनी नॉटीनेस्स मिक्स करते हुए कहा ...... " मॅम !!! ये सारी ड्रेसस ऊपरवाले ने ख़ास आप के लिए ही बनाई हैं आंड सर बी करेफ़ूल्ल " ....... इतना कहते हुए उसने बाप - बेटी दोनो को ट्राइयल रूम की सिचुयेशन बता दी और अपने अन्य कामो में व्यस्त हो गयी.
दीप ने देखा काउंटर पर इतने छोटे - छोटे कपड़े रखे हुए थे जितने तो शायद निम्मी ने पहले कभी नही पहने होंगे .... नाम मात्र के कपड़े जिन्हे पहेनना - ना पहेनना सब बराबर होता.
वहीं निम्मी कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो गयी और सारे कपड़े समेट'ते हुए उसने दीप से कहा ....... " चलें डॅड !!! " ...... हलाकी यह वाक्य उसके मूँह से हड़बड़ी या अपार आनंद में निकल गया होगा परंतु जब तक वह कुछ समझ पाती .... तब तक वहाँ भूचाल आ गया.
काउंटर गर्ल .... जो उस वक़्त एक्सट्रा ड्रेसस शिफ्ट करने में लग चुकी थी एक दम से उसके हाथ से सारे कपड़े नीचे फ्लोर पर गिर गये और फॉरन पलट'ते हुए उसने बाप - बेटी के चेहरे को देखा .... अपने आप उसका हाथ अपने खुले मूँह पर चला गया और वह हैरान रह गयी.
पल भर में ही अत्यंत बेज़्ज़ती का अनुभव कर दीप का चेहरा शर्मसार हो गया और उसने निम्मी के हाथ में पकड़े हुए सारे ड्रेसस फुर्ती में काउंटर पर रखवा दिए .... वे दोनो स्टोर से बाहर निकलने लगे, दीप ने अपनी बेटी का हाथ थाम रखा था और निम्मी ने जब पलट कर पीछे देखा तो काउंटर गर्ल के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर रही थी .... यह देखते ही निम्मी भी उसी अंदाज़ में मुस्कुराइ और उसे आँख मार दी .... शायद वह उसे एक नयी पापी सीख देना चाहती होगी.
जल्द ही दोनो तेज़ कदमो से चलते हुए पार्किंग में पहुच गये ...... " चल बैठ अंदर और अब एक लफ्ज़ नही सुनना मुझे " ..... इतना कह कर दीप ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और निम्मी ने भी अपनी मुकम्मल जगह पर तशरीफ़ रख दी.
" यू नो डॅड आप की प्राब्लम क्या है .... आप बहुत बड़े फत्तु हो " ..... निम्मी ने उसके गियर डालने से पहले ही हमला बोल दिया .... वह रास्ते में ही तय कर चुकी थी, आज फाइनल बात करने के बाद ही घर जाएगी.
" क्या बोली तू !!! मैं फत्तु हूँ, शरम कर निम्मी ... देखा नही वह लड़की कैसे घूर कर हमे देख रही थी " ........ दीप की टोन निम्मी से ज़्यादा ऊँची हो गयी थी और वह लगभग चिल्लाते हुए बोला.
" तो देखने दो ना डॅड !!! क्या बंद कमरे की हरक़त कोई नही देखता .. हम तो देखते हैं, तब इस शरम को कहाँ ले कर जाएँगे ? " ...... निम्मी ने अपनी साइड का गेट ओपन करते हुए कहा ....... " मैं अब घर पर नही रहूंगी " ....... इतना कहती हुई वह कार से नीचे उतरने लगी.
" चुप चाप बैठ अंदर .. मैं बात कर रहा हूँ ना " ....... दीप ने उसे नीचे नही उतरने दिया और उसका हाथ पकड़ कर वापस उसे अंदर खीच लिया ....... " सुन निम्मी !!! जो हो गया सो हो गया, अब हम नॉर्मल लाइफ जियेंगे और तू भी भूल जा सब कुछ " ....... वह गियर डालते हुए बोला.
" आइ सेड स्टॉप दा कार डॅड !!! मैं कोई बाज़ारू रांड़ नही हूँ जिनसे आज तक आप घर के बाहर अपना जी बहलाते आए हो .. दो बार आप मेरा जिस्म चूस चुके हो, एक बार मैं आप का बदन चूस चुकी हूँ .. क्या इसके बाद भी भूलने की कोई गुंजाइश बचती है ? " ...... निम्मी ने अपनी बात पूरी की और दीप के बलिश्त हाथ की पाँचो उंगलियाँ उसके नर्म व गोरे गाल पर छप गयी .... थप्पड़ की उस करारी गूँज से पूरी कार हिल गयी थी.
" बस अब आपकी यही मर्दानगी बची है डॅड !!! वाकाई आप फत्तु हो .. यह मत समझना क़ी मैं रोने लग जाउन्गि .. निम्मी ने आज तक लोगो को रुलाया है और उसके आँसू जब वह खुद चाहती है तभी बाहर आते हैं .. कहीं ऐसा ना हो जाए किन आप भी अपनी बेटी के आँसुओ की जलन में तप जाओ " ...... निम्मी ने एक पल को भी अपने दर्द पर ध्यान नही दिया और अब वह ख़ूँख़ार शेरनी की तरह दीप पर चढ़ने लगी.