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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

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निक्की ने जल्द ही अपने कपड़े पहेन लिए और तब तक कम्मो का नहाना भी नही हो पाया था .... यहाँ निक्की अपने कमरे से बाहर निकली और वहाँ कम्मो बाथ - रूम से नंगे बदन अपने पति और बेटे रघु के सामने चली आई .... उसे इस वक़्त कोई होश नही था कि वह क्या किए जा रही है .... उसे तो बस कैसे भी कर निकुंज के संग पार्क जाना था.

कम्मो ने भरकस प्रयास किए .... उसकी आँखों में आँसू तक आ गये थे परंतु वह सही समय से पहले तैयार ना हो सकी और यह जानते हुए, कि अभी उसने जो सलवार - कमीज़ पहना है .... उसके अंदर वह बिल्कुल नंगी है और काफ़ी हद्द तक वह उसके गीले बदन से चिपक कर, उसके ब्रा - पैंटी ना पहने होने की गवाही दे रहा है .... वह सब कुछ भूल कर अपने कमरे का दरवाज़ा खोलती हुई सीढ़ियाँ उतरने लगी.

कम्मो ने हॉल में देखा जहाँ अब कोई मौजूद नही था और इसके बाद उसके कानो में कार स्टार्ट होने की आवाज़ सुनाई दी .... उसके कदम लड़खड़ाते हुए तेज़ी से घर के मेन गेट की तरफ बढ़े परंतु जब तक वह अपने घर की चौखट को पार कर पाती .... उसका लाड़ला निकुंज उसे यूँ ही तड़प्ता हुआ छोड़ कर .... उससे काफ़ी दूर निकल गया था.

वह असहाय पीड़ा से भर उठी .... निकुंज के साथ अब उसे अपनी बेटी निम्मी पर भी बेहद क्रोध आ रहा था .... एक जलन्भाव उसके अतर्मन्न में पैदा हुआ और वह अपनी फटी छाती पर हाथ की सहलाहट देती हुई .... नीचे ज़मीन पर बैठती चली गयी.

इसके बाद उसके अश्रु तीव्रता से बहने लगे ...... " मैने तुझे नव - जीवन प्रदान किया है निकुंज और तू मेरे साथ ही विश्वास - घात किए जा रहा है " ...... इस कथन को कहते वक़्त उसकी आँखें आग उगलने लगी थी ...... " तुझ पर सिर्फ़ मेरा हक़ है और मैं तुझे कभी पराया नही होने दूँगी " ...... वह ज़मीन से उठ खड़ी हुई और अपने अश्रु पोंछती हुई, वापस घर के अंदर आ गयी .... उसकी आंतरिक पीड़ा को बढ़ाने में आज उसकी बेटी निक्की ने भी कोई कसर नही छोड़ी थी और अब उसे गहन विचार करना था ..... " क्या भाई - बहेन के दरमियाँ वह खुद दीवार बन कर खड़ी हो पाएगी ? "
 

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पापी परिवार--48

उसी सुबह दीप की नींद भी जल्दी खुल गयी .... आँखें खोल कर उसने कमरे में देखा .... कम्मो वहाँ मौजूद नही थी सिर्फ़ रघु लेटा हुआ था.

बिस्तर से नीचे उतरने के बाद उसने प्यार से अपने बड़े बेटे के बालो पर हाथ फेरा और फिर कमरे से बाहर निकल गया.

कम्मो हॉल के सोफे पर सो रही थी .... दीप थोड़ी देर तक सीढ़ियों की ओट में छुप कर उसके ऊपर नज़र रखे रहा और फिर उसके कदम अपनी छ्होटी बेटी निम्मी के कमरे की तरफ मूड गये.

" अंदर से लॉक है " ...... दरवाज़े को ठेलने के पश्चात उसे पता चला निम्मी ने कयि दिनो बाद अपने कमरे को अंदर से लॉक किया हुआ था ..... " हुहह !!! इसे भी आज ही सुधरना था " .... वह उदासी भरा चेहरा लिए अपने कमरे में वापस लौट आया और बाथ - रूम में फ्रेश होने लगा.

वहीं निम्मी ने तो आज अपना नाम .... " लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स " .... में दर्ज़ करवा दिया था .... वह पिच्छले 1 घंटे से अपने बिस्तर पर तैयार बैठी कुछ सोच रही थी कि तभी उसका सेल रिंग हुआ.

" यस डॅड !!! " ...... कॉल पिक करते ही उसके चेहरे पर स्माइल आ गयी.

" तुझे आज कहीं जाना है क्या !!! मेरा मतलब बाहर किसी काम से .. कहीं भी ? " ...... दीप ने जिग्यासावश पूछा तो निम्मी का कमीना दिमाग़ फॉरन हरक़त में आ गया ...... " हां डॅड !!! कल वो कॉंडम छुपाया था ना .. आज सोच रही हूँ उद्घाटन करवा ही लूँ .. वैसे आप क्यों पूच्छ रहे हो .. हमारे रास्ते तो अलग हैं ना ? " ..... निम्मी ने बड़े उदास मन से कहा .. जैसे वह अपने पिता से ही यह उद्घाटन करवाना चाहती हो लेकिन दीप ने उसका गोल्डन प्रपोज़ल ठुकरा दिया था.

" न .. न ..निम्मी !!! पागल मत बन .. तेरे फ्यूचर का सवाल है .. गुस्सा थूक दे बेटा " ...... अपनी बेटी की बात सुनते ही दीप की गान्ड सुलग गयी और वह हकलाने लगा ...... " तो क्या हुआ डॅड !!! सेक्स भी तो फ्यूचर का ही एक पार्ट है .. अभी से एक्सपीरियेन्स ले लूँगी तो बाद में दिक्कत नही आएगी .. आप फोन काटो मुझे कॉलेज जाने के लिए लेट हो रहा है और वहीं से अपने बॉय फ्रेंड के साथ होटेल चली जाउन्गि " ..... शातिर निम्मी ने अपने पिता पर दबाव बनाते हुए कहा.

" नही निम्मी !!! ऐसा मत करना .. खेर ये बता .. तू कब तक अपने कॉलेज के लिए निकलेगी ? " ...... दीप ने वॉर्डरोब खोलते हुए पूछा .. अपनी बेटी के बॉय फ्रेंड का सुनकर तो जैसे उसके चेहरे ही हवाइयाँ ही उड़ गयी थी.

" बस 5 मिनिट .. लेकिन आप को इससे क्या मतलब .. हेलो .. हेलो डॅड " ....... निम्मी चिल्लाति रही लेकिन तब तक दीप कॉल कट कर चुका था ...... " 5 मिनिट " ...... वह भी एक रेकॉर्ड बनाते हुए अपने कपड़े पहनने लगा और दौड़ता हुआ अपने कमरे से बाहर निकल आया.

अपनी बेटी के कमरे के बंद दरवाज़े को देख कर उसने राहत की साँस ली और फिर सीढ़ियाँ उतर कर हॉल में आ गया .... कम्मो अब भी ज्यों - की - त्यों सोफे पर ढेर थी परंतु दीप ने उसके चेहरे को एक नज़र नही देखा और सीधा घर के मेन गेट की चौखट पार कर गया.

निम्मी को भी अपने कमरे के बाहर किसी के तेज़ कदमो से गुज़रने की आहट सुनाई दी थी और वह फॉरन जान गयी कि आहट उसके डॅड के सिवा किसी और की नही हो सकती .... अपने प्लान पर मुस्कुराती हुई वह भी अपने कमरे से बाहर निकल आई और घर के बाहर जाने लगी .... दिखावे के लिए उसने अपने हाथ में कॉलेज बॅग पकड़ रखा था परंतु उस बॅग में उसकी सबसे हॉट ड्रेस और मेक - अप किट के अलावा कुछ और ना था .... यक़ीनन यह भी उसके कमीने प्लान का ही कोई पार्ट होगा.

" क्या हुआ कोई दिक्कत है क्या ? " ..... निम्मी को उसकी अक्तिवा में दर्ज़नो किक मारते देख दीप ने पूछा .... वह अपनी कार के शीशे सॉफ कर रहा था.

" यह स्टार्ट नही हो रही .. कोई बात नही मैं टॅक्सी कर लूँगी .. कॉलेज जल्दी पहुचना है मुझे " ...... निम्मी ने अपना मूँह टेढ़ा करते हुए कहा .... वह जानती थी उसकी अक्तिवा स्टार्ट ना होने की वजह उसके डॅड की कोई कारिस्तानी है ... उसने अपना बॅग कंधे पर टाँगा और चलने लगी.

" अरे सुन !!! मुझे भी आज तेरे कॉलेज की साइड काम है .. आजा !!! तुझे ड्रॉप कर दूँगा " ....... दीप कार में बैठते हुए बोला .... निम्मी ने भी ज़्यादा नाटक ना करते हुए उसके बगल की सीट पकड़ ली.

वे दोनो मेन रोड पर पहुचे ही थे कि निम्मी ने अपने बॅग से मेक - अप किट बाहर निकाल लिया और अपना खूबसूरत चेहरा और भी ज़्यादा खूबसरत बनाने लगी .... जैसे ही उसने अपने बालो की क्लिप हटाई कार के शीशे बंद होने की वजह से एक आनंदमयी सुगंध पूरी कार में फैल गयी ..... " यह शॅमपू मस्त है ना डॅड !!! इसकी स्मेल कितनी अच्छी है " ...... निम्मी ने अपना चेहरा अपने पिता की तरह घूमाते हुए पूछा.

दीप के फॉरन होश उड़ गये .... अपनी बेटी का इतना सुंदर चेहरा तो उसने आज तक नही देखा था .... खुले बालो की कुछ लट निम्मी के चेहरे को काफ़ी ज़्यादा एरॉटिक बना रही थी जिससे हल्का सा स्लट लुक भी दीप को दिखाई पड़ा .... वह तो जैसे अपनी सुध बुध ही खोता चला गया
 

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" ओ हेलो !!! आक्सिडेंट हो जाएगा " ..... निम्मी ने मुस्कुराते हुए उसके कान के पास चुटकी बजाई और दीप यथार्थ में लौट आया.

" ह .. हां अच्छी है " ...... दीप ने सकपकाते हुए स्टियरिंग - व्हील थाम ली .... बेटी के बालो के साथ ही उसके बदन की भीनी - भीनी महक से दीप की नाक किसी कुत्ते के सूंघने की तरह आवाज़ निकालने लगी थी और जिसे सुनकर निम्मी के चेहरे पर तो जैसे हसी रुकने का नाम ही नही ले रही थी .... लेकिन फिर भी उसने खुद तो सम्हाल लिया क्यों कि यह तो सिर्फ़ शुरूवात है .... आज एक लोमड़ी शेर का शिकार करने में हर तरह से सफल होने जा रही थी.

" वाउ डॅड !!! यह लिप ग्लॉस देखा है आप ने ? " ...... निम्मी ने उससे पूछा ...... " क्या है ये !!! मैने नही देखा कभी " ...... अब दीप को क्या पता लिप ग्लॉस क्या होता है उसे तो वह एक लिपस्टिक जैसा दिखाई दे रहा था ..... " हां !!! याद आया .. तेरी मोम के पास है ऐसी लिपस्टिक " ...... उसने जवाब दिया.

" व्हाट !!! लिपस्टिक हे हे हे हे .. अब तो आप भी मुझे 18वी सदी के लग रहे हो " ..... निम्मी ने उसे अपने होंठो पर लगाते हुए कहा ......

" क्यों ऐसा क्या ख़ास है तेरे इस लिप ग्लॉस में .. लिपस्टिक का नाम 21वी सदी के हिसाब से रख दिया है बस .. हुहन !!! बड़ी आई मॉडेल " ..... दीप ने थोड़ा चिढ़ कर जवाब दिया.

" डॅड !!! प्लीज़ ज़रा कार रोकना " ...... ग्लॉस लगाने के बाद उसने दीप से कहा .....

" अब क्या हुआ !!! तू मुझे परेशान क्यों करती है हमेशा " .... नाराज़गी से दीप ने उसकी तरफ देखा ही था कि निम्मी ने फॉरन अपने सॉफ्ट जुवैसी लिप्स उसके कड़क होंठो से चिपका दिए .... हड़बड़ी में दीप ने ब्रेक लगाए और जब तक उनकी कार पूरी तरह से रुक पाती निम्मी ने सारा ग्लॉस उसके होंठो पर रगड़ दिया था ...... " निम्मी ऐसी बदतमीजी मत किया कर " ...... दीप ने उसे डाँट लगाते हुए कहा

" डोंट वरी डॅड !!! मैने देख लिया था रोड खाली है .. अब बताओ कुछ टेस्ट आया ? " ...... निम्मी ने खुद के होंठो पर जीभ घुमाते हुए पूछा .... किस करने के बावजूद भी उसके लिप्स बेहद शाइन कर रहे थे .... " फ्लवॉरड है !!! चॉक्लेट " ..... यह कहते हुए वह मुस्कुराइ और एक बार फिर से अपने होंठ दीप के होंठो के बिल्कुल करीब कर लिए.

" ह्म्‍म्म्म !!! देखो ना डॅड .. चॉक्लेट ही है ना ? " ...... सब इतने जल्दी हुआ कि दीप सम्हल नही पाया .... उसकी बेटी की साँसे बेहद भारी हो चुकी थी और उसके मूँह से बाहर आती गरम हवा वह अपने होंठो से छूता महसूस कर रहा था.

" डॅड !!! किस मी प्लज़्ज़्ज़्ज़ " ...... निम्मी ने अपनी आँखें बंद कर ली और लगभग दीप की छाति से चिपक गयी .... वहीं दीप का भी खुद पर कंट्रोल कर पाना मुश्क़िल होने लगा था लेकिन उसने जल्द ही अपने आप पर काबू पा लिया ..... " अब तुझे कॉलेज के लिए देर नही हो रही .. कहीं तेरा बॉय फ्रेंड तुझे नाराज़ ना हो जाए " ..... दीप ने उसके चेहरे से बालो की लट उसके कान के पीछे सरकाते हुए कहा.

अपने डॅड की इस हरक़त पर निम्मी के गाल टमाटर से लाल हो गये और वह उसके गले से चिपक गयी ...... " मेरे बॉय फ्रेंड का बहुत ख़याल है आप को मगर उसकी गर्ल फ्रेंड को हर बार रुलाते हो " ...... वह सच में रुआंसी होने लगी और फॉरन दीप ने बड़े प्यार से उसके माथे को चूम लिया ...... "

तो फिर जाएगी जहाँ तेरा बॉय फ्रेंड तुझे ले जाएगा .. बोल ? " ...... उसने सॉफ्ट टोन में पूछा.

" ह्म्‍म्म !!! " ..... बस इसी क्षण का तो निम्मी को इंतज़ार था .... उसका सारा नाटक अब दीप पर ज़ाहिर भी हो चुका था .... इसके बाद वह अपने डॅड की गोद में बैठ गयी और दीप ने गियर डालते हुए कार घुमा कर अपने ऑफीस की तरफ बढ़ा दी .... जल्द ही वे दोनो ऑफीस के कॉंपाउंड में एंटर हो गये.

" तू अंदर जा .. मैं 10 मिनट में आता हूँ " ...... इतना कह कर दीप पैदल ही कॉंपाउंड से बाहर निकल गया और निम्मी ऑफीस के अंदर आ गयी.

दीप पास की वाइन शॉप पर पहुचा और उसने विस्की की एक फुल बॉटल खरीद ली ...... " हां !!! अब ठीक है " ....... थोड़ा बहुत स्नॅक्स लेने के बाद वह ऑफीस की तरफ लौटने लगा .... इस वक़्त भी उसके दिमाग़ में पाप - पुन्य की ढेरो बातें चल रही थी और वह जानता था बिना नशे के वह अपनी बेटी के साथ सेक्षुयल इंटरकोर्स कभी नही कर पाएगा .... शायद इसलिए इस मुश्क़िल घड़ी में हौसला बढ़ाने के लिए उसने विस्की की बोटल खरीदी होगी.
 

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वहीं निम्मी सीधे ऑफीस के गेस्ट रूम में एंटर हो गयी थी .... अंदर आते ही सबसे पहले उसकी नज़र बेड की तरफ गयी, जिस पर बिछि चादर काफ़ी अस्त - व्यस्त थी ...... " तो यह है डॅड का चुदाई खाना .. बड़े छुपे रुस्तम निकले .. ऑफीस में ही धमाल " ...... इतना कह कर वा मुस्कुराती हुई बाथ - रूम में चली गयी.

" ओ तेरी !!! फीमेल अंडरगार्मेंट्स " ....... बाथ - रूम के फ्लोर पर निम्मी को शिवानी के अंडरगार्मेंट्स पड़े दिखाई दिए और जिन्हें देखते ही उसकी आँखें बड़ी हो गयी ....... " क्या डॅड यहाँ से लड़कियों को नंगी वापस भेजते हैं ? " ........ अनायास ही उसके मूँह से यह कथन निकल गया और इसके बाद उसके कमीने दिमाग़ में अपने डॅड के इस वाइल्ड नेचर की वाह - वाही उठने लगी .... जितना उसने दीप के बारे में इन दो - तीन दिनो में जाना था उतना तो शयाद कम्मो बीती अपनी पूरी ज़िंदगी में नही जान पाई होगी.

" ड्रेस चेंज कर लेती हूँ .. वैसे तो बाद में उतारनी ही है !!! हे हे हे हे " ..... बाथ - रूम में आने का उसका मेन मोटिव था शवर चेक करना और जिसे चलता देख वह मस्त हो गयी .... दीप के ऑफीस लौटने से पहले उसने अपनी हॉट ड्रेस पहेन ली थी और सोफे पर बैठ कर उसका इंतज़ार करने लगी .... पैंटी ना पहने होने की वजह से उसकी कुँवारी चूत फ्यूचर का सोच कर अभी से बहे जा रही थी और वह चाहती थी जितनी जल्दी हो सके उसके डॅड का विकराल लंड उसकी चूत का कुँवारापन नष्ट कर दे.

इसी बीच इक दम से दीप गेस्ट रूम में एंटर हुआ और उस वक़्त निम्मी अपनी चूत से खेल रही थी .... पर्पल टॉप और डेनिम छोटी सी स्कर्ट में अपनी जवान बेटी की इस कामुक हरक़त को देखते ही दीप के ढीले लंड में जान प्रज्वलित होने लगी और उसने खाँसते हुए सपने में खोई निम्मी को अपनी प्रेज़ेन्स का एहसास दिलाया.

" एहेंम्म !!! अगर तू बुरा ना माने तो क्या मैं यहाँ ड्रिंक कर सकता हूँ ? " ...... दीप ने एक सभ्य लुक देते हुए उससे पूछा और फॉरन हड़बड़ा कर निम्मी ने अपनी टांगे आपस में जोड़ ली ..... " यह भी कोई पूच्छने वाली बात है डॅड !!! गो - अहेड " ...... वा सोफे से उठ कर कमरे में घूमने लगी और वहीं दीप के पीने का सिलसिला शुरू हो गया.

डॅड - डॉटर का इंटरॅक्षन हुए काफ़ी टाइम बीत चुका था और दोनो ही चुप्पी साधे हुए थे ...... " डॅड !!! वो बाथ - रूम में जो फीमेल अंडरगार्मेंट्स रखे हैं .. किसके हैं ? " ...... आख़िर - कार निम्मी ने ही कमरे में छायि शांति भंग करते हुए पूछा और दीप के मूँह में भरी सारी विश्की एक झटके से बाहर आ गयी .... साथ ही बीता हुआ हर लम्हा उसके जहेन में बिजली की तेज़ी से घूमने लगा.

" वो .. वो !!! कहाँ .. मुझे नही पता " ...... दीप ने झेन्प्ते हुए कहा और वह उसे बताता भी कैसे .... शिवानी निम्मी की दोस्त और साथ ही उसके घर की होने वाली बड़ी बहू थी.

" वाह !!! क्या जोक मारा है डॅड .. आप के ऑफीस का गेस्ट रूम और आप को ही नही पता कौन सी लड़की यह अदभुत कारनामा कर के गयी है " ...... निम्मी हस्ती हुई उसके नज़दीक आ गयी और बेड पर रखी प्लेट में से चिप्स का पीस उठाने के लिए आगे को झुकी .... दीप नेक टॉप से उसकी नंगी चूचियों का यूँ खुला दीदार होते ही दीप का लंड फॉरन अकड़ गया और कुछ देर तक वह अपनी आँखें झपकाना भी भूल गया .... यह पहली मर्तबा था जब वह निम्मी के मोटे बूब्स और खड़े निपल्स का सही आकार दिन की सॉफ रोशनी में देख रहा था .... उसकी बेटी की उमर के हिसाब से उसकी चूचियाँ इतनी बड़ी नही होनी चाहिए थी और जल्द ही वे दीप के बढ़ते कौतूहल का विषय बनने लगी.

" आप बहुत नॉटी हो डॅड !!! " ...... निम्मी ने उसके पॅंट में बने तंबू की तरफ देखते हुए कहा .... दीप ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए उसके बूब्स को टच करना चाहा लेकिन निम्मी उसकी मंशा हाल ताड़ गयी और सीधी खड़ी हो कर फिर से कमरे के चक्कर काटने लगी .... दीप के चेहरे पर मायूसी की एक ल़हेर छा गयी और वह अगले दो पेग नीट खीच गया.

" बताओ ना डॅड !!! उस लड़की के साथ आप ने क्या किया था ? " ...... डेनिम की स्कर्ट बेहद छोटी होने से निम्मी के मांसल चूतड़ो की शुरूवात उसके बढ़ते कदमो के हर मूव्मेंट पर शो हो रही थी .... वह खुद भी इतनी एग्ज़ाइटेड हो चुकी थी की उसकी चूत से निकल कर रति - रस उसकी सपाट जाँघो पर बहने लगा था परंतु वह अपने पिता के अत्यधिक नशे में आ जाने का इंतज़ार कर रही थी .... ताकि उसका वाइल्ड नेचर और भी करीब से जान सके.

" पहले तू इधर तो आ .. फिर बताउन्गा " ...... दीप ने अपनी लड़खड़ाती ज़ुबान से कहा ..... " नो वे डॅड !!! आप को च्चढ़ गयी है और मैं इन छोटे कपड़ो में हूँ .. कहीं आप का मन ललचा गया तो ? " ...... यह कहते हुए निम्मी सोफे पर बैठ गयी और अपनी टांगे काफ़ी हद्द तक विपरीत दिशा में फैला ली ..... " आप वहीं से बता दो " ...... कहते हुए वह अपनी मिड्ल फिंगर मूँह में डाल कर चूसने लगी.

" वैसे तो वो यहाँ चुदने के लिए ही आई थी लेकिन ऐसा पासिबल नही हो सका " ...... दीप के नशे में आ जाने का प्रमाण उसके अश्लील शब्दो ने दे दिया ..... " बस ब्लोवजोब देकर चली गयी थी "

" उफफफफ्फ़ !!! " ...... निम्मी ने अपनी मिड्ल फिंगर को चूत के अंदर डालते हुए दर्द भरी आह ली ..... " ब्लोवजोब पसंद है ना आप को डॅड ? " ...... वह तेज़ी से अपनी उंगली अंदर बाहर करते हुए बोली.

" सेक्स स्टार्ट करने से पहले तो हर मर्द यही चाहता है कि लड़की उसका लंड चूस कर खड़ा करे " ..... दीप ने अपने पॅंट में बने तंबू पर हाथ रखते हुए कहा ..... " इसमें ग़लत भी क्या है .. आख़िर वह भी तो अपनी पार्ट्नर की चूत चाट'ता है " ...... कहते हुए स्वतः ही उसकी जीभ उसके होंठो पर घूमने लगी .... वह अब तक खुद पर सैयम रखे हुए था .... एक डर, कि अब वह ऐसा पिता बनने वाला है जो अपनी ही सग़ी बेटी को चोद्ता है और यही वजह थी जो वह अब तक बिस्तर से नीचे नही उतरा था.

" तो डॅड !!! अभी कहाँ है आप की पार्ट्नर ? " ..... यह सवाल पूछते ही निम्मी की साँसे मानो उसके बस से बाहर हो गयी और अपने पिता के मूँह से चुदाई के इस अश्लील वर्णन ने तो जैसे उसका पूरा बदन ही कंपा डाला था .... उसके गाल स्वयं के कथन पर बेहद लाल हो गये और फॉरन उसने शरम से सराबोर अपना कामुक चेहरा नीचे झुका लिया.

आदि - अनादि काल से औरत की इस अवस्था का आशय मर्द की वासना के आगे अपने घुटने टेक देने का संकेत रहा है .... दीप ने भी निम्मी की इस लज्जित हालत से उसके समर्पण की हर संभव मंज़ूरी पा ली और फिर वह बेड से नीचे उतर कर सोफे के नज़दीक आ गया.
 

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निम्मी बेहद सकते में आ चुकी थी .... उसका सोफे से खड़ा होना हुआ और उसकी ढीली डेनिम स्कर्ट, खुद - ब - खुद उसकी चिकनी व सपाट जाँघो से फिसल कर उसके कदमों में आ गिरी .... लेकिन इस बात पर ध्यान ना देते हुए वह अपने पिता के चेहरे पर आए पीड़भाव से बेहद रुवासि होने लगी थी.

" डॅड !!! क्या हुआ आप को ? " ....... उसने देखा दीप अपनी आँखें मून्दे दर्द भरी आहें ले रहा था .... निम्मी से कुछ करते बन नही पाया तो उसने तेज़ी से उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए .... जल्द ही वह इसमें कामयाब हो गयी और इसके फॉरन बाद वह अपने पिता की गोद में बैठने लगी .... उसने अपने हाथ से दीप के विकराल लंड को हल्का सा बेंड किया .... ताकि वह मूसल उसके चूतड़ो की गहरी दरार में पूरी तरह से फिट हो जाए .... अब निम्मी की कुँवारी चूत अपने पिता की घनी झांतो से रगड़ खाने लगी और साथ ही वह अपने अति संवेदनशील गुदा - द्वार पर लंड की अत्यंत गरमाहट महसूस कर सिरहन से भरने लगी.

इसके पश्चात उसने अपने होंठ दीप के होंठो से जोड़ दिए और दोनो नंगे जिस्म आपस में गुथ्ते चले गये .... निम्मी के नुकीले व तने निपल्स उसके पिता की वृहद छाति में धसने से दीप की आँखें खुलने लगी और उसने अपनी मजबूत बाहों में अपनी नन्ही सी जान को समेट लिया.

" किस मी !!! उम्म्म्मम लिक्क माइ टंग ना .. प्लज़्ज़्ज़ डॅड " ....... निम्मी फुसफुसाई .... उसका खूबसूरत चेहरा मारे उत्तेजना के लाल हो उठा था .... पिता के खड़े लंड पर अपने आप उसकी कमर हिलती हुई आगे पिछे होने लगी थी और वह दीवानो की तरह अपने डॅड के होंठो पर अपनी जीभ से चाटने लगी.

दीप ने यह कतयि एक्सपेक्ट नही किया था .... माना उसे पॅशनेट और इनटेन्स किस का काफ़ी एक्सपीरियेन्स था बट अपनी बेटी के साथ यह उसका पहला मौका था .... वह कुछ देर तक बिना कोई हरक़त किए अपनी बेटी की बेकरारी व मदहोशी पर गौर फरमाने लगा .... निम्मी ने कामुकतावश अपने दांतो में अपने पिता का ऊपरी होंठ जाकड़ कर ज़ोर से काटा लेकिन दीप पर तो जैसे इसका कोई असर ही नही हुआ .... बल्कि वह मुस्कुराने लगा ....... " आअहह !!! काट क्यों रही है ? " ....... उसने निम्मी को चिडाते हुए कहा.

" डॅड ह्म्‍म्म्मममम !!! किस मी " ........ निम्मी आउट ऑफ कंट्रोल होकर सिसकी .... नीचे उसकी चूत से लावा बह कर दीप के लंड को और भी ज़्यादा चिकना बना रहा था और जिससे निम्मी अपने चूतड़ो की घाटी बड़ी कठोरता से अपने पिता के बलिष्ठ लंड पर घिसे जा रही थी.

" आहह .......... ओह " ...... इसके बाद उसकी आँखें बंद होने लगी .... दीप ने उसे प्यार जो करना शुरू कर दिया था .... उसने निम्मी के रेशमी बाल उसकी गर्दन से हटाए और वहाँ अपने होंठो से बेतहाशा चूमने लगा .... स्वतः ही उसकी बेटी की मोटी चूचियाँ उसकी साँसें लेने से और ज़्यादा फूलने लगी और उसका संपूर्ण बदन थरथरा उठा.

" फकक्क्क्क मी डॅड !!! मत तडपाओ प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ " ........ वह कराहने लगी और जब तक दीप कुछ अलग प्लान कर पाता .... जल्दबाज़ी में निम्मी ने अपने घुटने सोफे पर टिकाते हुए अपने बदन को ऊपर उठाया .... साथ ही अपने हाथ से अपने पिता के लंड का सूजा सुपाड़ा अपनी कुँवारी चूत के बंद मूँह पर अड़ा लिया.

" ओह माइ गॉड .......... निम्मीईीईईईईईईईई " ....... दीप ज़ोर से चीखा क्यों कि यह पोज़िशन किसी वर्जिन लड़की के फर्स्ट इंटरकोर्स के लिए ज़रा भी सही नही थी .... उसने ताक़त लगा कर अपनी बेटी के जिस्म को ऊपर खीचना चाहा और जिसमें वह पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ .... उत्तेजित निम्मी उसके हाथो से फिसल गयी और उसका मोटा सुपाड़ा बेटी की नाज़ुक कुँवारी चूत में फस्ने लगा.

" फ़चह " ....... इस साउंड के साथ सुपाड़ा उसकी चूत में एंटर हुआ और इसके फॉरन बाद निम्मी का कुँवारापन हमेशा - हमेशा के लिए ख़तम हो गया .... उसकी चूत के होंठ ज़रूरत से ज़्यादा खुल चुके थे और ऐसा लगा जैसे वहाँ कोई बल्लून फटा हो.

" आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ......... ममममी " ........ निम्मी की चीख ने उस बंद कमरे मे भूचाल ला दिया और वह अपने पिता के नंगे जिस्म पर ढेर हो गयी .... वहीं ज्यों ही दीप को अपनी नग्न जाँघो पर पनियल रिसाव होता महसूस हुआ फॉरन उसके होंठ फैलने लगे .... वह अपनी अग्रिम विजय पर मुस्कुरा उठा था.
 

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उसने अपने बीते सेक्षुयल जीवन में दर्ज़नो कुँवारी लड़कियों को कली से फूल बनाया था और उस दौरान लड़कियों की इस मार्मिक दुर्गति से भी वह भली - भाँति परिचित था .... निम्मी कोई अनोखी नही, जो उसके मोटे सुपाडे की पहली चोट पर बेहोश हो गयी .... अक्सर रोज़ चुदने वाली रंडियाँ भी उसकी हैवानियत से बुरी तरह काँप जाया करती थीं .... वह तो उसकी चोदन क्षमता और लंड की विकरालता का प्रभाव है .... जो आज भी उसके नीचे से गुज़र चुकी लौंडीयाँ उसे याद कर, हमेशा अपनी चूत में बढ़ती खुजाल का अनुभव करती होंगी.

लेकिन यहाँ बात अब उन रंडियों से संबंधित नही रही थी .... निम्मी उसकी सग़ी छोटी बेटी है और दीप इस बात को अब तक नही भूला था, हलाकी उसे लग रहा था अपनी बेटी की इस बेहोशी के फ़ायडे में वह इक - दो करारे स्ट्रोक अपनी तरफ से मार दे ताकि बात उसके सुपाडे से आगे बढ़ कर आधे लंड तक पहुच जाए और बाद में तो निम्मी को होश में आना ही है.

वह अपने कंधे पर टिका अपनी बेटी का निष्प्राण चेहरा हाथो से थाम कर अपने चेहरे के ठीक सामने ले आया .... निम्मी की साँसे ज़ारी थी परंतु आँखें पूरी तरह से बंद और उसका चेहरा उसके दर्द को सॉफ बयान कर रहा था .... दीप से रहा नही गया और उसने अपनी बेटी के निच्छले होंठ को अपने होंठो के दरमियाँ फसा लिया .... अब वह उसके लोवर लिप को चूसने लगा, एक अजीब सी गंगनाहट से उसका स्वयं का जिस्म काँपने लगा .... इन्सेस्ट रिलेशन्स में आप भले ही संसर्ग स्थापित करने में कामयाब हो जाओ परंतु होंठो का चुंबन एक ऐसी कामुक अवस्था होती है जो हर शारीरिक सुख से परे जान पड़ती है.

यही इस वक़्त दीप के साथ हुआ .... कितने सॉफ्ट होंठ हैं उसकी बेटी के, चॉक्लेट ग्लॉस का हल्का - हल्का फल्वौर भी वह स्वाद के रूप में महसूस कर पा रहा था .... अब तक जो हुआ उसमें निम्मी सचेत थी लेकिन अब दीप अपनी मर्ज़ी से उसके लिप्स चूसने लगा .... वह इस अधभूत कल्पना में खो सा गया था और अपने हाथ से उसने बेटी के मुलायम गालो पर दबाव दिया .... उसका मूँह खुलते ही दीप ने उसकी गुलाबी जिह्वा को अपने होंठो के बीच फसा लिया और अब उसे खुद होश नही रहा कि कितनी देर तक उसने निम्मी के मुख का रस्पान किया होगा.

हौले - हौले उसकी बेटी भी अपने होंठो को हिलाने लगी .... उसके अचेत जिस्म में हलचल होने लगी और ज्यों ही दीप ने यह जाना .... उसने अपने हाथो को उसकी आर्म्पाइट्स के नीचे करते हुए ताक़त से उसे ऊपर खीचा और उसे अपनी नंगी छाती से चिपका लिया .... एक सोडा की बॉटल का ढक्कन खुलने पर जिस तरह की आवाज़ करता है .... ठीक वैसा ही साउंड दीप ने भी सुना क्यों कि उसका सुपाड़ा उसकी बेटी की टाइट चूत से बाहर निकल आया था.

" म्‍म्म्ममममममम डॅडी !!! " ........ निम्मी एक बार फिर दर्द से तड़प उठी .... दीप उसे सेम पोज़िशन में पकड़े हुए सोफे से उठ कर बेड की तरफ बढ़ने लगा ........ " बस अब सब ठीक है .. तू कोई फिकर मत कर .. मैं हूँ ना तेरे पास " ........ इतना कहते हुए उसने अपनी बेटी को बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया और उसकी लंबी टाँगो को विपरीत दिशा में फैला कर खुद उनके दरमियाँ पसरने लगा.

चूत से ब्लड निकलना तो कब का बंद हो चुका था लेकिन वह बहुत ज़ख़्मी थी .... उसके होंठ भी अब काफ़ी खुले हुए नज़र आ रहे थे .... दीप एक बार फिर हरक़त में आया और उसने फॉरन निम्मी के सूजे भंगूर को चूसना शुरू कर दिया .... अपने वाइल्ड नेचर का बखूबी परिचय देते हुए उसे ज़रा भी घिन महसूस नही हुई कि वह एक खून से लिप्त चूत चाट रहा है .... उसके मश्तिश्क में तो बस कैसे भी कर अपनी बेटी को वापस होश में लाना घूम रहा था और साथ ही वह चाहता था .... बीते छनो में जो भी सूखापन निम्मी की चूत के अंदर आया था वह उससे जल्द ही मुक्त हो जाए.

" आआहह डॅड !!! पेन होता है " ........ निम्मी ने उसके बालो पर अपना हाथ रखते हुए कहा परंतु उसकी आवाज़ में लेशमात्रा भी पीड़ा भाव नही था .... या शायद अपने भज्नासे को अपने पारंगत पिता के अनुभवी होंठो द्वारा चूसा जाना उसे दोबारा मदहोशी से भरने लगा था.

" पागल लड़की !!! जब कुछ पता नही था तो इतनी जल्दबाज़ी की क्या ज़रूरत थी ? " ........ जब दीप जान गया उसकी बेटी अब पूर्ण रूप से अपना खोया होश सम्हाल चुकी है, वह उसकी टाँगो की जड़ से अपना मूँह ऊपर उठाते हुए बोला .... जाने निम्मी को उस वक़्त क्या महसूस हुआ और खुद - ब - खुद उसके चूतड़ अपने पिता के चेहरे के साथ ही ऊपर खींचे चले जाए .... जैसे दीप के होंठो में कोई मॅगनेट लगा हुआ हो .... या शायद वह चाहती थी कुछ देर और दीप उसकी ज़ख़्मी चूत चाटे जिसमें से अब वापस रति - रस का अनियंतित बहाव बहना शुरू हो चुका था.

" तू अब कुँवारी लड़की नही रही .. पता है ना तुझे ? " ......... दीप ने एक आख़िरी बार अपनी बेटी की अति नाज़ुक व रस भीगी चूत का गहरा चुंबन लेते हुए उससे पूछा और इसके बाद वह उसके समानांतर अपनी पीठ के बल लेट गया .... ज्यों ही उसने अपना चेहरा निम्मी की तरफ मोड़ा .... वह उसे मुस्कुराती दिखाई पड़ी .... दीप यह देखते ही असीम आनंद में पहुच गया, अब उसकी बेटी के खूबसूरत तंन के साथ उसके अविकसित मन पर भी उसका पूरा नियंत्रण हो चला था.

" देख कितना रोई थी तू !!! चल छोड़ अब घर चलते हैं .. इससे आगे जाना ठीक नही " ........ वह अपने लंड के सुपाडे की तरफ इशारा करते हुए बोला जिस पर अपनी ही सग़ी बेटी का कुँवारापन नष्ट करने का साक्ष्य लगा हुआ था .... लेकिन निम्मी उसकी इस बात पर स्तंभ रह गयी .... उसकी चूत तो अब भी अपने पिता का विशाल लॉडा खाने को मचल रही थी और उसकी हसरत भरी निगाहें बड़ी लालसा लिए दीप के खड़े लंड पर टिकी हुई थी.

दीप ने जब देखा निम्मी उदास होने लगी है .... वह बिस्तर से फॉरन उठ कर अपनी बेटी के नंगे जिस्म के ऊपर लेट गया ....... " चल नाराज़ मत हो लेकिन यह बात हमारे बीच राज़ रहेगी .. वादा कर मुझसे " ....... अपने पापी पिता के इस कथन पर निम्मी की आँखें खुशी डॅब्डबॉ गयी और दीप ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया.

" डॅड !!! मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ .. प्लज़्ज़्ज़ मुझे अपना बना लो " ......... निम्मी के यह कॉन्फिडेन्स भरे शब्द सुन कर दीप को कामसुरता के आख़िरी पड़ाव को पार करने की पूर्ण मंज़ूरी मिल गयी ........ " मैं भी बेटा " ......... और यह कहते हुए उसने अपना रक्त रंजित सुपाड़ा अपनी बेटी के ज़ख़्मी चूत मुख पर सटा दिया .... जिसके पश्चात ही निम्मी ने अपने जबड़े ताक़त से भींच लिए.

" कुछ दुखन तो नही है ना ? ......... दीप ने अपनी कमर को हल्का सा झटका देते हुए पूछा.

" उफफफफफ्फ़ ..... म्‍म्म्ममममममम !!! न .. न .. नही है " ........ अपने दर्द को पिता पर ज़ाहिर ना करते हुए निम्मी सिसकी परंतु वह अंजान भी नही थी .... वह अच्छे से जानती थी उसके पिता ने यह बात पास्ट में कयि लड़कियों से पूछि होगी लेकिन यह तो अपवाद था जो वे इस तरह आमने सामने आए थे.

चूत के ल्यूब्रिकेशन से अपने सुपाडे को भिगाने के बाद दीप ने देर नही की और उसने निम्मी की जाँघो को ऊपर उठाते हुए उसकी गोल मोटी चूचियों से जोड़ दिया .... चूत उसके विकराल लंड का पहला झटका खाने के बाद अब काफ़ी खुल चुकी थी और दीप ने अपने सुपाडे को उसके ऊपर टारगेट करते हुए बड़े आराम से उसे अंदर धकेला.
 

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" खचह " ........ इस साउंड के साथ ही सुपाड़ा पूरा चूत के अंदर समा गया और निम्मी ने फॉरन अपना बदन ढीला छोड़ दिया.

" अहह ......... ऊओह " ....... वह नाम मात्र को छटपटाई परंतु इस बार उसे बीती जघन्य पीड़ा से ज़्यादा अनुभव नही हुआ .... उसकी आँखें मुन्दने लगी और वह अपने जिस्म में अपने पिता का मिलाप महसूस करने लगी.

इसी बीच थोड़ा रिलॅक्स करने के पश्चात दीप ने एक और हल्का धक्का दिया और निम्मी के भिंचे जबड़े खुल गये.

" उफफफफफफफफफफफ्फ़ डॅड .. रूको थोड़ा प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ " ......... वह फुसफुसाई और अपनी आँखें अपनी चूत की दिशा में नीचे झुकाने लगी परंतु दीप उसका आशय हाल समझ गया .. अब भी उसका आधा लंड चूत से बाहर था और वह नही चाहता था निम्मी इस बात को जाने.

" सुन !!! डॅडी को अपना दूध नही पिलाएगी ? " ......... दीप का कहना हुआ और निम्मी की आँखें बीच रास्ते से लौट कर अपने पिता के हँसते चेहरे पर पहुच गयी .... यह अनएक्सपेक्टेड था और फॉरन उसकी पीड़ा पर उसकी लज्जा हावी होने लगी .... शर्मा कर उसने अपने दोनो हाथो से अपना लाल चेहरा ढँक लिया.

" अरे जवाब तो दे !!! तू बहुत खूबसूरत है निम्मी .. मैने कभी सपने में भी नही सोचा था कि इतनी सुंदर लड़की से मुझे यूँ प्यार हो जाएगा और वह भी मेरी अपनी बेटी .. मेरा अपना खून " ........ दीप के मूँह से निकलते शब्द अब वह खुद नही बोल रहा था उसका दिल उससे बुलवा रहा था और जो अब अपनी बेटी पर पूरी तरह से मोहित हो चुका था.

काफ़ी देर तक जब निम्मी ने अपना चेहरा नही दिखाया तो दीप ने उसकी जांघे और ज़्यादा चौड़ी कर दी ताकि उसके अपने चूतड़ बेटी की चूत में गहरे धक्के लगाने के लिए सबसे बढ़िया स्थिति में आ जाएँ और फिर वह अपने विशाल लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करते हुए स्ट्रोक लगाने लगा .... हर धक्के के साथ वह अपना लंड निम्मी की टाइट चूत में गहरा और गहरा करने भिड़ गया.

" इश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... ह्म्‍म्म्ममम " ...... खुद - ब - खुद निम्मी के हाथ अपने चेहरे से हट कर अपनी चूचियों को मसल्ने लगे और वह अपने खड़े निपल गूँथने लगी.

जल्द ही उसकी नज़रें नीचे की ओर देखने लगी कि कैसे उसके पिता का विशाल लंड अत्यधिक तनाव के कारण बेहद फूल चुका है .... उस पर नसें भी उभर आई हैं और जो उसकी सांकरी चूत में तेज़ी से आगे पीछे हो रहा था .... चूत और लंड के मिलन का यह नज़ारा देखने में बड़ा ही ख़तरनाक था मगर साथ ही साथ बेहद रोमांचित कर देने वाला भी था .... इसके पश्चात ही निम्मी अपनी गान्ड हवा में उछालती हुई अपनी तड़पति चूत अपने अपने पिता के मोटे लौडे पर धकेलने लगी.

" आअहह ..... आहह ....... आहहह ..... फकक्क्क्क मी ...... आइ लाइक यू ........... लव मी " ...... अत्यधिक आनंद से सराबोर निम्मी चीखने चिल्लाने लगी और दीप ने उसकी आन्हो से और भी कठोर धक्के लगाने चालू कर दिए .... वह वाकाई में अपना लंड बेटी की सन्कीर्न, कांपति चूत में इतने बलपूर्वक ठोकने लगा कि निम्मी के जिस्म के सारे अस्थि पंजर फॉरन त्राहि त्राहि मचाने लगे.

आख़िरकार दीप अपना संपूर्ण लंड अपनी अपनी बेटी की छोटी सी चूत की गहराई तक पहुचाने में सफल हो गया .... वहीं निम्मी ने भी जाना कि वह अपने भविश्य की पूरी जिंदगी में .... खुद को कभी इतने लंबे व मोटे लंड द्वारा .... इतना भरा हुआ कभी महसूस नही कर पाएगी और उत्तेजनावश वह अपने होंठ चबाने लगी .... उसकी चूत बुरी तरह ऐंठने लगी .... अब उसके पिता का विकराल लंड उसकी बच्चेदानी के अंदर तक निर्मम चोट मार रहा था.

बेटी की चूत में अपना पूरा लंड ठोक कर दीप कुछ पलों के लिए स्थिर हो गया और अपनी कोहनियों को मोडते हुए वह निम्मी के जिस्म पर पसरने लगा .... जिससे निम्मी की मोटी चूचियाँ अपने पिता की चौड़ी छाती के नीचे दबने लगी.

" यस डॅड .. चोद डालो मुझे .. आहह फाड़ डालो " ........ वह चीखी और अनैतिक व्यभिचार की उसकी कामना और भी प्रबलता से दीप के सामने स्पष्ट हो गयी.

निम्मी ने अपनी टांगे ऊपर की और जितना उठा सकती थी उठा ली और फिर अपनी पिंदलियाँ अपने पिता की नंगी पीठ पर बाँधने लगी .... इसमें सफल होने के बाद वह पागलो की तरह अपने चूतड़ हिलाती हुई .... अपनी गीली और कसी चूत से दीप के लंड को किसी बाज़ारू रंडी की तरह चोदने लगी.

ज्यों - ज्यों दीप अपनी बेटी की कामुतेजित हरक़तों पर गौर फरमाता गया उसके बदन में खुद ब खुद ऐंठन आने लगी ........ " क्या निम्मी भी मेरी तरह वाइल्ड है ? " ......... उसका यह सोचना हुआ और इसके फॉरन बाद निम्मी के मूँह से उसके लिए एक सवाल फूटा.

" डॅड !!! अभी आप क्या कर रहे हो ? " ........ उसने अपने पिता की पीठ पर अपने तीखे व नुकीले नाख़ून गढ़ाते हुए पूछा.

" ओह .......... प्यार कर रहा हूँ अपनी बेटी से " ....... दीप ने अत्यंत पीड़ा भाव से जवाब दिया.

" ज़्यादा झूट मत बोलो डॅड .. आप अपनी बेटी को चोद रहे हो .. अभी उसकी चूत में आप का मोटा लंड है " ........ कामांध निम्मी क्या - क्या बड़बड़ा रही थी उसे कोई होश नही रहा बस वह " चोदो - चोदो " की रट लगाती हुई सिसके जा रही थी.

दीप पर तो जैसे अपनी बेटी की बात का उल्टा असर हुआ .... वह सकते में आने की बजाए और प्रचंडता से उसकी चूत में धक्के लगाने लगा था.

कुछ देर बाद वह अपना लंड चूत से बाहर निकालने लगा वह भी तब तक .... जब तक उसके लंड का गीला और फूला सुपाड़ा उसकी बेटी की चूत के होंठो के बीचो बीच ना आ जाए .... फिर पूरे ज़ोर से उसने अपने चूतड़ नीचे की ओर लाते हुए एक ज़ोरदार झटका मारा और उसका विकराल लंड निम्मी की चूत में जड़ तक समा गया .... अपनी सग़ी बेटी की चूत में लगाए गये इस पहले भयानक धक्के ने उसे ऐसा मनभावन आनंद दिया कि निम्मी के साथ खुद उसका पूरा जिस्म काँप गया.

" आईईईईईईईईईईईईईई डॅड और ज़ोर से " ...... निम्मी किसी बरसों की प्यासी, अतिकामुक लड़की की तरह अपने चूतड़ उच्छालती हुई चुदवाने लगी .... जब वह अपनी चूत अपने पिता के लंड पर मारती तो उसकी गोल मटोल चूचियाँ वाइब्रट करती हुई बुरी तरह से हिलने लगती और दीप अपनी बेटी की ताल से ताल मिलाते हुए अपना लंड उसकी मखमली चिकनी चूत में पूरी गहराई तक पेलने लगता.

" ऐसे ही ज़ोर से डॅड ..... आअहह .......... म्‍म्म्ममममममम " ....... निम्मी ने अपनी बाहें दीप के कंधों के इर्द गिर्द लपेटते हुए उसे अपने ऊपर लिटा लिया .... गहरी साँसों के साथ उसका कराहना घनघोर चीखों में बदल बदल जाता .... जब वह अपनी चूत से अपने पिता के लंड को ज़ोर से भींचने लगती .... दीप ने भी उसके कंधे पर अपना सर रखकर एक गहरी साँस ली और फिर अपने जिस्म की पूरी ताक़त लगाते हुए उसकी चुदाई करने लगा .... वह हुंकार भरते हुए अपने भाले नुमा लंड को बेटी की मलाईदार चूत में पेलता रहा और अति शीघ्रा ही निम्मी को अपने अंदर से रस उमड़ता महसूस होने लगा .... मोटे लंड से पूरी भरी पड़ी उसकी प्यारी चूत बुरी तरह संकुचित होते हुए पिता के लंड को और भी ज़्यादा कसने लगी थी.
 

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" उंगघ !!! मैं गयी डॅड .. उफफफफफफफफ्फ़ मैं गयी " ....... निम्मी की चूत मन्त्रमुग्ध कर देने वाले सखलन के सुखद एहसास से फॅट पड़ी और उससे चुदायि का गाढ़ा रस बह कर बाहर आने लगा .... उसकी चूत की सांकरी गुलाबी दीवारें अपने पिता के उस भयंकर लंड को कसते हुए उसे भींचती रही .... दीप ने अंतिम बार अपना पूरा लंड अपनी बेटी की चूत में जड़ तक पेलते हुए उसे फॉरन बाहर खीचा और तभी उसके लंड से भी वीर्य की असीम फुहारें फूटने लगी.

" आहह " ...... दोनो डॅड - डॉटर अपने पापी मिलन के गवाह बन चुके थे .... दीप का गरम वीर्य निम्मी के पेट से लेकर उसकी चूचियों के हर कोने पर फैला पड़ा था और इसके बाद दीप उसके ऊपर से हटते हुए वापस उसके समानांतर ढेर हो गया.

दोनो अपनी उखड़ी साँसों पर काबू करने की कोशिश करने में व्यस्त हो गये थे .... जहाँ एक और निम्मी अपने कुंवारेपन से बिल्कुल मुक्त हुई वहीं दीप को अब किसी तरह की कोई फिकर नही रही .... अब वह जब चाहे .... जहाँ चाहे अपनी बेटी का भोग कर सकता था.

कुछ देर पश्चात दीप बिस्तर से नीचे उतर कर अपने कपड़े पहनने लगा ....... " कहाँ जा रहे हो डॅड ? " ....... निम्मी ने आश्चर्य में भरते हुए उससे पूछा.

" तू आराम कर मैं आधे घंटे मे आ रहा हूँ और बेड से नीचे मत उतरना .. सो जा थोड़ी देर " ....... यह कहता हुआ दीप कमरे से बाहर निकल गया.

उसके कमरे से निकल जाने के बाद निम्मी अपने बदन पर बिखरे पड़े अपने पिता के गाढ़े सुगंधित वीर्य को .... अपनी उंलगियों पर लपेट कर सूंघने लगी ....... " इससे ही तो मैं पैदा हुई थी " ...... यह कहती हुई वह ज़ोरों से हँसने लगी और जाने कब एक एक कर उसकी वे उंगलियाँ उसके मूँह के अंदर प्रवेश करती गयी उसे पता भी नही चला .... उसके चेहरे के खुशनुमा भाव ज़ाहिर कर रहे थे कि उसे अपने पिता के वीर्य का ज़ायका बहुत स्वादिस्त लगा है और इसके पश्चात वह अपनी आँखें मूंद कर अपने आने वाले सुनहरे भविष्य के नये नये सपने बुनने में खोती चली गयी.
 

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पापी परिवार--49

ऑफीस से बाहर निकलते ही दीप ने एक बहुत बड़ा बोझ अपने मष्टिशक से कम होता पाया .... वह अब खुली हवा में साँसें जो ले पा रहा था .... हलाकी थोड़ी देर पहले गेस्ट रूम के अंदर जो कुछ भी हुआ .... उसे इस बात से कोई ग्लानि महसूस नही हो रही थी बल्कि उसने अपने खून को जम कर एंजाय किया था परंतु जैसे शराब का नशा उतरने के पश्चात हर शराबी की एक ही रट होती है ...... " अब कभी नही पियुंगा " ...... या ....... " अभी मंन नही भरा " ....... बस सेम यही हालत उसकी हो रही थी.

अपनी इसी सोच में डूबा हुआ वह एक बड़े से मेडिकल स्टोर के आगे रुक गया ...... " एक्सक्यूस मी !!! एक पेन रलिएवेर टॅबलेट का पॅक देना & एमर्जेन्सी कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स भी " ...... वह स्टोर कीपर से बोला.

जल्द ही उसने सारा समान समेटा और वापस अपने ऑफीस की तरफ बढ़ने लगे लेकिन जितनी तेज़ी उसके से कदम बाहर आए थे अब लौटते वक़्त उसमें लड़खड़ाहट शामिल हो गयी थी.

" क्या वह सो चुकी होगी ? " ...... दीप की सबसे बड़ी मुश्क़िल थी अपनी बेटी का दोबारा सामना करना .... वह कितना भी बड़ा चोदु इंसान क्यों ना हो लेकिन इस बार उसने दुनिया का सबसे घटिया काम किया था .... ऐसा कौन सा बाप होगा जो अपनी ही सग़ी बेटी को चोदने के बाद उसके लिए मेडिसिन ले कर जाए.

" नही मैने अपना वीर्य अंदर नही छोड़ा था पर फिर भी कोई रिस्क लेना ठीक नही " ...... शायद यही सोच कर उसने पेन किल्लर के साथ कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स भी खरीदी होंगी और अब वह ऑफीस का गेट पार कर अंदर आ गया.

गेस्ट रूम के बाहर कोई पाँच मिनिट्स बिताने के पश्चात उसने बिना कोई एक्सट्रा शोर किए दरवाज़ा खोला .... देखा तो निम्मी जाग रही थी और अपने पिता को देखते ही उसने स्माइल किया लेकिन यहाँ एक बात जो दीप ने कमरे के अंदर आते ही नोट कर ली, वह थी .... ना तो उसकी बेटी ने अपना नंगा बदन ढकने की कोई कोशिश की और ना ही वह शरमा रही थी.

" बिना बताए आप कहाँ चले गये थे डॅड !!! पता है मैं कितनी परेशान थी और इस पॉलितेन बॅग में क्या है ? " ...... निम्मी ने बात चीत का सिलसिला शुरू करते हुए उस पर अपने सवालो की झड़ी लगा दी.

" वो मैं तेरे लिए मेडिसिन लेने गया था " ....... फुसफुसाते हुए दीप ने जवाब दिया .... हलाकी वह थोड़ा नर्वस था सिर्फ़ इस बात से की कहीं निम्मी के माइंड में उसके लिए कुछ उल्टा - पुल्टा ना चल रहा हो .... लेकिन लाइव सीन देखने के बाद वह काफ़ी रिलॅक्स हो हुआ .... वहीं अपने पिता के चेहरे पर निम्मी को नर्वुसनेस सॉफ दिखाई पड़ी लेकिन वह ऐसा बिल्कुल नही चाहती थी .... अब वे दोनो बाप - बेटी के पवित्र रीलेशन से बहुत आगे निकल चुके हैं तो पीछे लौटना कतयि संभव नही था .... खास कर निम्मी के लिए तो बिल्कुल नही.

" मेडिसिन किस लिए डॅड !!! मैं ठीक हूँ एक दम " ...... निम्मी ने बैठने की कोशिश करते हुए कहा और फॉरन उसके चेहरे पर पीड़ा भाव उमड़ आया .... जिसे वह चाह कर भी अपने पिता से छुपा ना सकी.

" इसी लिए तो मेडिसिन लेने गया था .... उठ मत तू लेटी रह .. सब ठीक हो जाएगा " ..... भले ही चुदाई के दौरान दीप इंसान ना रह जाता हो लेकिन इस वक़्त उसकी आवाज़ में केर थी .... वह महसूस कर सकता था कि उसकी बेटी कितना दर्द झेल रही होगी.

" बिना देखे आप कैसे कह सकते हो डॅड !!! उफफफफफफ्फ़ ..... लगता है जैसे .. जैसे मेरी चूत फॅट गयी हो " ...... खिल खिलाती निम्मी यह बोलते टाइम थोड़ा हिचकिचाई मगर उसने जान बूझ कर चूत शब्द का स्पष्ट उच्चारण किया था .... जिससे वह दीप के ऊपर अपनी ओपननेस ज़ाहिर कर सके और साथ ही उसके इस ख़तन में इक इशारा भी शामिल था .... वह अपने पिता को वापस अपनी चूत दिखाना चाहती थी ताकि उसके चेहरे का सही या ग़लत रेस्पॉन्स देख सके.
 

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वहीं दीप के बदन में ज़ोरदार झटका लगा .... इस वक़्त उसकी बेटी ना तो मदहोश थी और ना ही ज़रा भी उत्तेजित फिर कैसे उसने अपने पिता के सामने चूत शब्द का इतना क्लियर इतेमाल कर लिया .... सुन कर वह हैरान हुआ ...... " ले टॅबलेट खा ले .. ठीक हो जाएगी " ...... उसने पोलिबॅग में से पेन किल्लर और पिल .... दोनो एक साथ निकाल कर निम्मी की तरफ बढ़ा दी.

" टॅबलेट तो खा लूँगी डॅड पर आप देखो तो सही मेरी चूत की हालत कैसी है .. क्या अब यह हमेशा ही ऐसी रहेगी ? " ....... निम्मी के अगले अश्लील संवाद ने दीप को उसकी चूत देखने पर मजबूर कर दिया ...... " कम से कम कपड़े से सॉफ ही कर लेती " ...... निम्मी के ऑर्गॅज़म के साथ ही ब्लड का मिक्स्चर सूख कर उसे दूर से भी बेहद ज़ख़्मी शो कर रहा था और यह देख कर दीप थोड़ा सकते में आ गया.

" वाह डॅड !!! क्या मतलब निकल जाने के बाद आप हर लड़की को ऐसा ही कहते हो .. मज़े आप ने लिए हैं .. अब आप ही सॉफ करो इसे " ...... निम्मी बेशर्मी से अपनी टाँगो को विपरीत दिशा में फैलाते हुए मुस्कुराने लगी .... दीप फ्लोर पर खड़ा था और फॉरन उसके बदन में कंपन होने लगा .... बेटी के नंगे बदन ने वापस उसके लंड में तनाव लाना शुरू कर दिया था और साथ ही वह जान गया कि निम्मी उसके साथ बातों में भी खुलना चाह रही है.

" अच्छा !!! मज़े सिर्फ़ मैने ही लिए हैं क्या ? " ......... यह कहते हुए दीप सोफे की तरफ बढ़ गया .... उसे इस हिचकिचाहट में भी एक अलग आनंद का अनुभव हुआ .... ज़ाहिर है, इन्सेस्ट प्ले में इंटरकोर्स से कहीं ज़्यादा सॅटिस्फॅक्षन सेक्सी और वल्गर कॉन्वर्सेशन से आता है .... जो रिलेशन्स पहले इक पर्दे में हों, बेहद सॉफ और शुद्ध हों .... अगर अश्लीलता और लुस्ट से भर जाएँ, तो सिर्फ़ बातों से ही लोगो का पानी छूट जाना संभव हो जाया करता है.

" क्या कहा डॅड !!! आप को मज़े नही आए लेकिन मेरी फटी चूत तो कोई अलग ही कहानी बयान कर रही है " ........ बात पूरी करने से पहले निम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी इंडेक्स फिंगर को अपने मूँह में डाल कर थोड़ी देर चूसा और फिर उसे अपनी चूत की ज़रूरत से ज़्यादा खुल चुकी पंखुड़ियों के बीच रगड़ने लगी ......... " आअहह डॅडी !!! एक बात पूच्छू ? " ......... वह अपने पिता को टीज़ करते हुए बोली .... वहीं उसकी आँखों में वासना के लाल डोरे तैरते देख दीप को ए/सी में भी पसीना आने लगा.

" हां - हां पूच्छ .. क्या पूच्छना चाहती है ? " ......... दीप लालायित होकर बोला .... वह जानता था निम्मी ज़रूर कोई लज्जावीहीन सवाल ही करेगी लेकिन फिर भी वह आतुर था उसका सवाल सुनने के लिए.

" अब तक आप मेरी उमर की कितनी मासूम लड़कियों की चूत इतनी बुरी तरह से फाड़ चुके हो और हमेशा यहीं लाते हो ना कुँवारी कलियों को ? " ........ निम्मी ने अपने मोटी से दाँत बाहर निकालते हुए पूछा ..... बेड पर अपने पिता के सामने भरी जवानी में पूरी नंगी, अपनी चूत खुजाती वह किस छोर से किस छोर तक मासूम थी .... इसका जवाब तो शायद ऊपरवाला भी धरती पर आ कर नही दे सकता था.

" क्यों !!! क्या मेरी बीवी से शिक़ायत करेगी ? ....... बात कहते वक़्त दीप मुस्कुरआया .... पॅंट के अंदर उसके खड़े लंड का ज़ोर था जो अब वह भी खुल कर इन सब वाइल्ड बातों को एंजाय करने का मन बनाने लगा था.

फॉरन निम्मी बेड से नीचे उतर कर सोफे की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगी .... उसकी लड़खड़ाती चाल, उसके गोल मटोल चूतड़ मटकाने का कार्य स्वतः ही किए जा रही थी .... चलते वक़्त वह अपने पिता की आँखों में घूर कर देख रही थी .... उसके ठोस बूब्स बिना ब्रा के बेहद कसे हुए थे, जैसे उनमें सिवाए माँस या हवा के कुछ और भरा ना ही हो .... ज्यों - ज्यों निम्मी का नंगा जिस्म उसके पिता के करीब आता गया, दीप की साँसें उसकी रूह का साथ छोड़ने लगी, आख़िर कार निम्मी उसकी सामने आ कर खड़ी हो गयी.

" मैं क्यों शिक़ायत करने लगी भला आप की बीवी से " ......... वह अपने पिता की टाँगो के बीच अपनी राइट टाँग रखते हुए आगे को झुक गयी .... भला हो उसका जो उसने अपनी टाँग सीधे दीप के तने लंड पर नही रखी वरना पक्के से दीप अकारण ही झाड़ जाता ....... " अब से मैं भी तो आप की बीवी ही हूँ डॅड " ........ निम्मी की इस बिंदास बोली पर दीप चौंक गया .... उसकी यह बात सुनते ही उससे कंट्रोल नही हो पाया और उसके लंड ने उसकी अंडरवेर में रिसना शुरू कर दिया.
 
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