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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

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" निम्मी शरम कर थोड़ी .... तू इतनी बेशरम कैसे हो गयी ? " ........ उसने अपने लफ्ज़ पूरी तरह से कह नही पाया कि उसकी बेटी ने अपनी वही उंगली .... जिससे वह कुछ देर पहले अपनी चूत की फान्खो पर रगड़ दे रही थी .... थोड़ी देर अपने पिता के खुले होंठो पर फेर कर उसके मूँह के अंदर थेल दी ......... " ष्ह्ह्ह्ह्ह डॅड !!! अब बस करो यह शरम का ढोंग, हम इससे बहुत आगे निकल आए हैं .. क्या अब भी हम एक दूसरे का लिहाज़ करें, जब कि मैं आपका लंड चूस चुकी हूँ .. आप मेरी टांगे फैला कर मेरा कुँवारापन्न लूट चुके हो .. नही डॅड अब हमे इस दीवार को मिटा कर अपनी लाइफ .. पूरी तरह से एंजाय करनी चाहिए " ......... निम्मी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा.

उसका लुस्थफुल्ली संवाद सुनकर दीप के होश उड़ गये .... वह हैरान रह गया जैसे उसके सामने उसकी बेटी नही कोई अजूबा खड़ा हो .... उससे कोई जवाब देते नही बॅन पाया, हलक से आवाज़ बाहर आती भी तो कैसे .... निम्मी ने अपनी उंगली उसके मूँह में घुमानी जो शुरू कर दी थी.

" क्या सोच रहे हो डॅड !!! ओह कम ऑन .. प्लज़्ज़्ज़्ज़ मुझे बताओ ना अब तक आप कितनी लड़कियों को कली से फूल बना चुके हो ? " ....... निम्मी ने अब अपनी उंगली उसके मूँह से बाहर खीच ली और खुद उसे चूसने लगी .... ऐसा करते ही इक सनसनी उसके नंगे बदन में समाने लगी और उसकी चूत का पिघलना शुरू हो गया.

" बस कर निम्मी !!! तेरी बातों से मुझे शरम आने लगी है .. यह अचानक से इतनी निर्लज्ज कैसे हो गयी तू ? " ....... अपनी बेटी का रॅनडिपना देख कर दीप पानी पानी हुआ जा रहा था .... भले उसने अपने जीवन में हमेशा इसी खुलेपन्न वा नन्ग्पन्न की कल्पना की थी लेकिन कहाँ जानता था कि इसको अंजाम तक उसकी सग़ी बेटी ही पूछने में जुट जाएगी.

वहीं निम्मी हस्ती हुई उसकी गोद में बैठ गयी ....... " उफफफफफ्फ़ !!! आपको उस वक़्त शरम क्यों नही आई डॅड .... जब आपने अपना लंड दोबारा अपनी मर्ज़ी से मेरे मूँह में डाला था " ........ वह अपनी गान्ड पर अपने पिता के विकराल लौडे की छुअन से मदहोश हो कर उसका कान चाटने लगी.

वहीं दीप से ज़रा भी सबर नही हो पाया .... अब वह कुछ और नही सोचना चाहता था सिवाए इसके कि उसकी गोद में एक जवान नंगी लड़की बैठी है और जल्द ही वह अपनी बेटी की अन्छुइ चूचियों को अपने कठोर पंजो में जकड़ने लगा ......... " आऐईयईईईईई डॅड !!! बेटी समझ कर दबाओ .. दर्द होता है " ......... निम्मी अपनी गान्ड को उसके खड़े लंड पर रगड़ती हुई सिसकी .... दीप तो जैसे मंत्रमुग्ध था उसके बूब्स की सुंदर कसावट पर.

" निम्मी !!! मैं अब तक बहुत तडपा हूँ लेकिन तू ठीक कहती है .. हम बाप बेटी के रीलेशन से बहुत आगे निकल चुके हैं और अब हमे खुल कर एंजाय करना चाहिए " ....... दीप अपना चेहरा बेटी की मांसल चुचियों पर झुकाते हुए बोला .... उसकी मंशा अब निम्मी के बड़े बड़े उरोजो का रास्पान करने की होने लगी थी.

" डॅड !!! आइ लव यू .. अब मैं आप को कभी तड़पने नही दूँगी .. आप ने कहा था ना मैने आप को अपना दूध नही पिलाया .. सक देम डॅड .. सब आप के लिए ही है, सिर्फ़ आप के लिए " ....... निम्मी उत्तेजना के भंवर में गहरे गोते लगाती हुई बोली .... अपने बाप के ज़ालिम होंठो का स्पर्श अपने बूब्स के तने निपल पर महसूस कर वह सिरहन से काँपने लगी थी ....... " चूसो डॅड .. सक देम हार्डर " ....... अपने हाथो से अपनी चूचियाँ पकड़ कर अपने पिता के मूँह मे डालती हुई वह ज़ोरों से उन्हे मसल्ने लगी.

दीप ने किसी छोटे बच्चे की भाँति अपनी बेटी के दाँये निपल को अपने कड़क होंठो से चूसना शुरू कर दिया .... जैसे - जैसे उसकी कामोत्तजना बढ़ी वह निपल को हल्के दांतो से काटने भी लगा, बड़ा अजीब एहसास था यह .... दोनो चन्द लम्हों में जैसे पूरी तरह से पागल हो गये थे ....... " ओउउउउउउउउउउउछ्ह्ह्ह !!! डॅड नहाने चलें ? " ........ एग्ज़ाइटेड निम्मी की चूत वापस तैयार हो चुकी थी अपने पिता का मूसल अंदर लेने के लिए .... वह दीप की शर्ट के बटन ओपन करती हुई बोली.

दीप पर तो जैसे उसकी बात का कोई असर ही नही हुआ और अब वह उसके बाएँ निपल पर अपने दाँत गढ़ाने लगा था ......... " ह्म्‍म्म्म डॅड !!! चा .. चलो ना बाथरूम चलते हैं " ......... निम्मी की आँखों मे शरारत, वासना और बेशरामी की पराकाष्ठा उतर आई थी .... उसके पिता ने जिस बेरहमी और कठोरता से अपनी बेटी के विकसित उरोज चूसे और दबाए थे .... निम्मी तो बहती ही जा रही थी.

" उफफफफफ्फ़ डॅड !!! आज ही चूस लोगे क्या सारा दूध .... मुझे नहाना है, आप चलो .. अपने हाथो से नहलाना अपनी बेटी को " ......... निम्मी ने उसकी शर्ट को उसके जिस्म से उतार कर दूर फेंक दिया और किसी काम लूलोप रंडी की तरह ज़ोरदार आँहे भरने लगी .... ज़ाहिर था नीचे उसकी बहती चूत के मुहाने पर दीप के खड़े लंड की अग्रिम चोटें उसकी सहनशक्ति से बाहर हो चली थी.

" नही निम्मी !!! दूसरे राउंड के लिए तू तैयार नही है अभी .. हमे वापस घर भी जाना है " ......... दीप ने कुछ देर सोच कर जवाब दिया .... उसे डर था कहीं निम्मी की बिगड़ी चाल - ढाल घर पर चर्चा का विषय ना बन जाए .... हलाकी उसकी बेटी का कुँवारापन्न ख़तम हो जाने से अब कितने भी राउंड चुदाई की जा सकती थी लेकिन दीप ज़्यादा रिस्क नही लेना चाहता था.

" मेरी चूत में आग लगी है डॅड और मुझे आप का मोटा लंड चाहिए इसके अंदर " ......... निम्मी मचल कर बोली .... उस पर अपनी पिता की समझाहीश का कोई असर नही हुआ था बल्कि वह सोफे से उठ खड़ी हुई और दीप का पॅंट उतारने लगी.

" समझा कर निम्मी !!! मैं रात में तेरे कमरे में आउन्गा ना लेकिन अभी मान जा बेटा " ........ दीप के मूँह से निकले सारे शब्द झूठे साबित हुए जब उसने अपने कूल्हे उचका कर अपनी पॅंट उतारवाने में अपनी बेटी की मदद की .... निम्मी के हाथो की तेज़ी देखने लायक थी और जल्द ही उसने अपने पिता को अपने जैसा नंगा कर दिया.
 

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" डॅड !!! मैं थोड़ी देर के लिए आप का लंड चूसना चाहती हूँ .. आप को यह पसंद है ना ? " ........ अपने पिता का मूड बनाने के लिए निम्मी अपनी गरम व अशील बातों से उसे उत्तेजित करने लगी और साथ ही उसके कोमल हाथो ने उसके विशाल लंड को मुठियाना शुरू कर दिया .... वहीं दीप को लगा जैसे वह अगले पल ही झाड़ जाएगा .... उसके दिमाग़ में तो बस अनाचार ही अनाचार समाया हुआ था.

" बोलो ना डॅड !!! आप चाहते हो ना आप की सग़ी बेटी आपका लंड चूसे ? " ......... निम्मी का यह संबाद दीप के लिए प्राणघातक साबित हुआ और अपने आप उसका हाथ अपनी बेटी की टाँगो की जड़ पर पहुच गया .... दोनो के नंगे जिस्म एक साथ झुलस गये और इसके फॉरन बाद दीप उसके सूजे भांगूर को अपनी इंडेक्स फिंगर और अंगूठे के दरमियाँ फसा कर उसे उमेठने लगा.

" ओह निम्मी !!! हां मैं यही चाहता हूँ बेटा .. डू इट फास्ट .. चूस कर निचोड़ दे अपने डॅडी का लंड " ........ दीप हौले से फुसफुसाया .... वह अपनी कमर हिलाने लगा, लंड पहले से ही निम्मी के हाथो की मजबूत गिरफ़्त में था और आती रोमाचवाश उसके मोटे सुपाडे से प्रेकुं का अनियंत्रित रिसाव भी होना शुरू हो गया.

अपनी घायल चूत पर अपने डॅड की अनुभवी उंगिलयों का घर्षण निम्मी से बर्दास्त नही हो पाया और चन्द लम्हो में ही वह ज़ोरदार चीख देती हुई झड़ने लगी ........ " अहह ........ आहह .. मोर डॅड .. मैं - मैं गयी " ........ अत्यधिक उन्माद में अक्सर ऐसा हो जाया करता है और यह दीप ने जान बूझ कर किया था .... वह किसी भी कीमत पर निम्मी के साथ 2न्ड राउंड खेलने को तैयार ना था .... सबर का साथ तो उसने आज तक नही छोड़ा था और अब उसकी सेक्षुयल लाइफ की स्टार्टिंग दुनिया की सबसे हॉट & सेक्सी लड़की के साथ शुरू हो चुकी थी .... भले ही वे समाज की नज़रों में हमेशा बाप - बेटी बने रहते.

" म्‍म्म्मम !!! आप पूरे जानवर हो डॅड .. अब समझ आता है मोम आप को झेल क्यों नही पाती हैं " ........ निम्मी मुस्कुराइ .... दीप ने उसका संपूर्ण ऑर्गॅज़म अपने हाथ में लपेटा हुआ था और ज्यों ही उसने अपने हाथ को अपनी लंबी जीभ से चाटना शुरू किया .... निम्मी ने ज़बरदस्ती उसके हाथ को अपने अपने हाथ में पकड़ लिया ........ " मैं भी टेस्ट करूँगी डॅड .. मेरे लोवर लिप्स का स्वाद कैसा है " ....... इतना कह कर निम्मी ने उसकी आँखों में देखते हुए एक एक कर उसकी सारी उंगलियाँ चाट ली .... तब भी उसका मन नही भरा, अपने ही रति - रस के अद्धूत स्वाद और सुगंध से वह आनंदित थी .... अब उसके वाइल्ड नेचर ने अपना सही रूप दिखाना भी शुरू कर दिया था.

" यूम्मिईिइ .. इट वाज़ अवेसम डॅड !!! आप को कैसा लगता है अपनी बेटी की चूत का पानी ? " ....... वह दोबारा अपने पिता के खड़े लौडे को सहलाती हुई बोली.

" सच कहूँ निम्मी !!! तेरे नंगे बदन की कशिश ने आज तेरे डॅड का तंन और मन जीत लिया है और अब मैं अपनी हर वह इक्षा तेरे साथ पूरी करना चाहता हूँ .. कभी जिसकी हसरत मैने तेरी मोम के साथ की थी और जिसमे में मैं हमेशा ही नाक़ाम रहा हूँ " ...... दीप ने उसके गोरे गाल को चाटते हुए कहा .... उसका यह कथन निम्मी के अंतर्मंन में चोट कर गया और वह शरम से भर उठी ....... " डॅड !!! मैं भी आप की हर हसरत को पूरा करूँगी .. आप की बीवी बन कर " ........ इतना कहते हुए उसने अपना चेहरा अपने पिता की नंगी चौड़ी छाती में छुपा लिया.

" निम्मी यह सही है या ग़लत मैं नही जानता लेकिन अब मुझे कोई फ़र्क़ नही पड़ता .. तू तेरी मोम की सौतन बन गयी है " ....... दीप ने उसकी नंगी पीठ पर अपना हाथ फेरते हुए कहा .... निम्मी की गद्देदार चूचियाँ उसकी छाती में धँसती जा रही थी और अब वह चाहता था .... जल्द ही उसके हार्ड लंड को झाड़ कर मुक्ति मिल जाए.

" निम्मी !!! " ....... दीप ने बड़े प्यार से अपनी बेटी का नाम पुकारा.

" हुन्न्ञणन् दाद !!! " ........ निम्मी ने भी सेम टोन में उसकी बात का जवाब दिया लेकिन अब तक उसने अपना चेहरा अपने पिता की छाती से अलग नही किया था .... उसकी नाक में दीप के स्वीट जिस्म की मर्दाना महक समाती जा रही थी और जाने कब वह उसकी बालो से भरी छाती को अपनी जीभ से चाटने लगी .... उसे खुद अनुमान नही हो पाया.

" मेरा लंड चूसेगी ? " ....... दीप ने सॉफ महसूस किया कि जैसे जैसे वह अपनी बेटी के साथ निक्रिस्ट वा अश्लील बातों का सहारा लेता जा रहा है .... उसके विकराल लंड में और ज़्यादा विकरालता आती जा रही है .... उसने निम्मी पर कोई ज़ोर नही डाला और अब वह उसके जवाब की प्रतीक्षा करने लगा.

निम्मी उसकी गोद से उठ कर सोफे से नीचे अपने घुटने मोड़ कर बैठ गयी परंतु अब तक उसके मूँह से अपने पिता के सवाल का कोई उत्तर नही निकला था ........ " निम्मी पहले मेरी आँखों में देख कर मेरे सवाल का जवाब दे .. फिर चूसना " ........ दीप ने मुस्कुराते हुए कहा.

निम्मी का चेहरा लज्जा से भरने लगा .... हलाकी वह इतना शर्मा नही रही थी लेकिन कुछ बंदिशें तो अब भी दोनो बाप - बेटी के दरमियाँ बाकी थी .... जिससे निम्मी चाह कर भी बाहर नही निकाल पा रही थी .... उसने बिना कोई जवाब दिए अपनी खुरदूरी जीभ अपने पिता के सूजे सुपाडे पर गोल - गोल घुमानी शुरू कर दी.

" आहह निम्मी !!! ऐसे नही .... पहले जवाब दे मेरी बात का " ........ दीप ने फॉरन अपने लंड को बेटी के हाथ से छुड़ा लिया और अपने हाथ से लंड की खाल ऊपर नीचे करते हुए उसे हौले हौले हिलाने लगा.

" नो डॅड !!! प्लज़्ज़्ज़ .. यह मुझसे नही होगा " ........ निम्मी ने उसकी सुडोल जाँघो पर अपना चेहरा रखते हुए कहा ....... " क्या नही होगा तुझसे .. अपने डॅड का लंड चूस नही पाएगी या मेरी बात का जवाब नही दे पाएगी ? " ......... दीप ने शरारत में भरते हुए उसकी चुटकी ली.

" आप बहुत नॉटी हो .. भला कोई डॅड अपनी बेटी से इस तरह के सवाल करता है .. मैं नहाने जा रही हूँ, आप को आना हो तो आ जाना " ....... यह कहते हुए निम्मी ने अपने पैरो पर खड़ा होना चाहा लेकिन दीप ने उसे कंधो को मजबूती से थाम कर वापस उसे उसके घुटनो पर बैठने पर मजबूर दिया.

" जवाब दे दे .. फिर चली जाना " ....... दीप ने दोबारा से वही राग अलापा ........ " क्या सुनना है आप को डॅड ? " ........ निम्मी ने अपना चेहरा ऊपर उठाते हुए अपनी वासना से परिपूर्न आँखें अपने पिता की आँखों से जोड़ दी.

" सवाल तुझे पता है निम्मी .. मुझे सिर्फ़ तेरा जवाब चाहिए ? " ....... दीप ने अपने खड़े लंड का सुपाड़ा अपने चूतड़ हवा में उठाते हुए .... निम्मी के बंद होंठो पर रगड़ दिया और जिससे एक लिसलिसा तार उसकी बेटी व उसके लंड की टिप के साथ अटॅच हो गया.

" हां दाद मैं आप का लंड चूसना चाहती हूँ क्यों कि अब आप की बेटी आपके इस हार्ड & लोंग डिक की दीवानी हो चुकी है " ........ निम्मी ने बड़े कॉन्फिडेन्स से यह बात कही और फिर अपने होंठो से अटॅच हुआ वह लिसलिसा तार सुड़कते हुए अपने पिता के छोटे सेब समान सुपाडे तक खींची चली आई .... लंड दोबारा उसकी मुट्ठी में समा चुका था
 

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" आप से अब मुझे कभी कोई इजाज़त लेने की ज़रूरत नही डॅड .... मैं जब चाहु .. जहाँ चाहु ज़बरदस्ती आप के मोटे लंड से खेल सकती हूँ .. इसे चूस सकती हूँ और इससे चुद सकती हूँ " ....... निम्मी ने इसके बाद कोई और शब्द मूँह से बाहर नही निकाले और जैसे कोई फरमान सुनाते हुए दीप को फ्यूचर की शर्तों पर अमल करने की चेतावनी दी हो .... इसके बाद उसने अपने पिता की आँखों में देखते हुए दो तीन बार अपनी भोहे उच्छाली जैसे दीप से अपनी बात का प्रण करवाना चाहती हो.

" हां मंज़ूर है .. उफफफफफफफ्फ़ निम्मी !!! तू आग है बेटा " ........ दीप ने जैसे ही अपनी रज़ामंदी दी निम्मी ने उसके सुपाडे को अपने मुलायम होंठो के कठोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया .... उसके मूँह में पिता के अग्रिम वीर्य का रस घुलने लगा और वह तेज़ी से सुपाड़ा चूस्ति हुई उस रस को अपने गले के नीचे उतारने लगी.

" ओह " ....... एक दम से दीप पर झड़ने का भूत सवार हो गया और जैसे ही निम्मी की जीभ की तीखी नोक ने अपने पिता के सूजे सुपाडे पर बने अति नाज़ुक छेदो पर चोट की .... दीप कंट्रोल नही कर पाया और उसके वीर्य का विस्फोट उसकी बेटी के मूँह में फूट पड़ा.

" आहह निम्मी ....... उहह " ....... दीप के बदन की ऐंठन से रुक रुक कर निम्मी के गले में उसके वीर्य की लंबी लंबी फुहारें छूट रही थी .... वहीं निम्मी ने झट उसके सुपाडे को और ताक़त से चूसना शुरू कर दिया .... वह सॉफ महसूस कर रही थी उसके पिता का वीर्य बेहद गाढ़ा, गरम और आती स्वदिस्त है और जिसकी एक बूँद भी ज़मीन पर गिराना उसके लिए पाप समान होगा लेकिन वीर्य की अधिक मात्रा और सुपाडे के आकार ने निम्मी के छोटे से मूँह में रुकना स्वीकार नही किया और उसके गुलाबी होंठो की दोनो कीनोर छलक उठी.

अपनी बेटी के गले से बाहर आती गलल गलल की ध्वनियाँ दीप सॉफ सुन पा रहा था और लगभग आधे मिनिट तक उसका लंड वीर्य की असीम बौछारें अपनी बेटी के मूँह में छोड़ता रहा .... इसके पश्चात निम्मी ने अपने होंठो को ढीला किया और किसी एक्सपीरियेन्स्ड रांड़ की भाँति अपना मूँह खोल कर अपने पिता को उसका गाढ़ा वीर्य दिखाने लगी.

उफफफफफ्फ़ क्या उत्तेजक नज़ारा था यह ... दीप तो जैसे पागाल ही हो गया .... उसने निम्मी को कंधो से पकड़ कर सोफे पर खीचा ....... " मैं भी टेस्ट करूँगा निम्मी " ........ एक पल को वह अपनी बात कहने के लिए रुका और फिर अपने होंठो को निम्मी के होंठो से जोड़ दिया .... दोनो की जीभ आपस में रगड़ खाने लगी और अब वे पूरी तरह से इस पापी अनाचार का हिस्सा बन चुके थे .... उसे स्वीकार कर चुके थे और जिससे उनका निकट भविष्य आगे ना जाने कैसा होने वाला
 

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पापी परिवार--50

निकुंज कार को बेहद स्पीड में पार्क की तरफ ले जा रहा है .... ज़ाहिर है इस वक़्त निक्की को मनाना ही उसकी अंतिम ख्वाहिश थी और इसके लिए आज वह अपनी मा को दिया जाने वाला गिफ्ट भी अपनी बहेन के हवाले करने जा रहा था.

" बेटा !!! रात में ठीक से नींद आई थी ना ? " ....... निकुंज ने बड़े प्यार से अपनी बहेन से पूछा लेकिन निक्की को लगा जैसे उसका भाई उसके जले जख़्मो पर नमक छिड़क रहा हो.

बीती रात उसे निकुंज के प्यार की सख़्त ज़रूरत थी और यदि उसका भाई उसे उत्तेजना के एग्ज़ाइट्मेंट में अकेला घिरा छोड़ कर उसके कमरे से बाहर नही जाता .... वह अवश्य ही उसे अपना जिस्म सौंप देती .... उसे तो वह आनंद दोबारा चाहिए था जो उसे अपने भाई की गोद में झाड़ते वक़्त आया था.

" हां भाई !!! मैं बहुत अच्छे से सोई थी रात को " ....... निक्की ने अपना मुरझाया चेहरा स्माइल में बदल कर जवाब दिया .... अभी उसे निकुंज से बहुत सी शिक़ायतें थी मगर वह उस पर अपनी मंशा ज़ाहिर नही होने देना चाहती थी.

" लेकिन मुझे तो रात भर नींद नही आई " ...... निकुंज ने उदास होते हुए कहा .... हुआ भी कुछ यही था, रात भर उसकी बंद आँखों में अपनी सग़ी छोटी बहेन निक्की के मोटे बूब्स और झान्टो भरी चूत घूमती रही थी .... सपनो में ही सही लेकिन बीती सारी रात वह निक्की के काल्पनिक नंगे जिस्म से खेलता रहा था .... जाने कितनी दफ़ा उसने अपनी प्यारी बहेन की कुँवारी चूत का रस पिया होगा और उसकी चूचियों को मसला होगा .... उसे खुद याद नही और शायद सुबह बेड छोड़ते वक़्त उसने जो फ़ैसला लिया ..... " निक्की चाहेगी तभी वह उसके साथ सेक्स करेगा .. वरना नही " ....... यह इसका सबूत था.

" ऐसा क्यों भाई !!! आप को नींद क्यों नही आई ? " ........ निक्की ने सिंप्ली सवाल पूछा.

" बस नही आई मतलब नही आई " ...... निकुंज ने जवाब तो दिया लेकिन उसके चेहरे पर छाई स्माइल ने निक्की को हैरान कर दिया .... उसकी क्यूरीयासिटी बढ़ गयी कि आख़िर उसके भाई को सारी रात नींद क्यों नही आई और बात कहते वक़्त वह मुस्कुरा क्यों रहा है.

" कोई ख़ास वजह तो होगी भाई .... क्यों कि अभी आप की आँखें लाल दिख रही हैं " ........ निक्की ने अपने क्वेस्चन मे हल्का सा चेंज लाते हुए कहा .... उसके चेहरे पर जिगयासा के भाव थे लेकिन कार ड्राइव करते हुए निकुंज की नज़र उसके चेहरे पर ठीक से ठहर नही पा रही थी.

" मेरी छोड़ निक्की !!! तू यह बता .. क्या अब भी नाराज़ है अपने भाई से ? " ........ निकुंज असली मुद्दे पर आते हुए बोला साथ ही उसने कार की स्पीड धीमी कर ली.

" मैं आप से नाराज़ कैसे हो सकती हूँ भाई .. नाराज़ तो कल रात आप थे मुझसे " ....... निक्की के इस दो टुक जवाब की आशा निकुंज को कतयि नही थी .... सुन कर वह थोड़ी निराशा मे आ गया .... हलाकी सुबह कमरे में भी उसकी बहेन उस पर नाराज़ थी लेकिन अब तक तो उसे नॉर्मल हो जाना था.

" वैसे भाई !!! ठीक ही किया जो आप कमरे से बाहर चले गये थे .. वरना मैं चैन से कैसे सो पाती " ........ निक्की ने उस पर व्यंग कसते हुए कहा .... एक इशारा भी उसके कथन में शामिल था, माना बीती रात वह पूरी तरह से मदहोश थी लेकिन कुछ देर के लिए उसके भाई ने भी अपना नियंत्रण खोया था और जब निकुंज ने अपनी मर्ज़ी से उसकी चूची मसली .... परिणामस्वरूप निक्की का मन हुआ, उसका भाई उसकी चूत में उठते दर्द का भी निवारण करे.

" निक्की तू सॉफ लफ़ज़ो में क्यों नही कहती .. आख़िर तुझे मुझसे दिक्कत क्या है ? " ........ काफ़ी कंट्रोल करने के बावजूद निकुंज ने झल्ला कर उससे पूछा .... कहाँ वह अपनी बहेन को मनाने आया था और बदले में निक्की उसका मज़ाक उड़ा रही थी.

" आप से दिक्कत नही है भाई .. मुझे दिक्कत अपने आप से है लेकिन आप परेशान मत हो " ........ अपने भाई का इस तरह गुस्से में बात करना निक्की को भी अच्छा नही लगा और वह अपना मूँह फेर कर चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगी .... बाद में निकुंज ने रिलाइज किया, उसे अपनी बहेन से इस कदर नाराज़गी में बात नही करनी चाहिए थी.

" निक्की !!! क्या इस तरह चुप हो जाना किसी दिक्कत का सल्यूशन है .... हमे बात करनी चाहिए " ......... निकुंज ने कार में ब्रेक लगाते हुए कहा और इसके बाद वह अपना चेहरा अपनी बहेन की तरफ मोड़ कर बैठ गया.

" मैने कहा ना भाई !!! आप परेशान मत हो .... मैं अपनी दिक्कत का सल्यूशन खुद ढूँढ लूँगी " ......... हलाकी निक्की ने यह बात भी बिल्कुल नॉर्मल वे में कही मगर निकुंज ने इसका कोई दूसरा ही अर्थ लगा लिया.

उसने सोचा कहीं उसकी बहेन अपनी जिस्म की प्यास बुझाने के लिए किसी बाहरी इंसान का साथ तो नही लेना चाहती और यह बात उसके दिल ओ दिमाग़ में काफ़ी अंदर तक चोट कर गयी .... अपने आप उसकी आँखों में बीती रात का सारा द्रश्य ज्यों का त्यों घूमने लगा जिसमें उसने निक्की को बेहद उत्तेजित अवस्था में देखा था .... निकुंज के मन में इस वक़्त अपनी बहेन के लिए पाप समाया हुआ था और तभी वह अपनी गिरी सोच में .... प्यार और लस्ट के दरमियाँ ज़रा भी अंतर नही कर पाया.
 

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" फिर क्या सल्यूशन आया तेरे माइंड में ? " ....... फॉरन उसके मूँह से यह बात निकली लेकिन निक्की ने कोई जवाब नही दिया.

" फॉर गॉड सेक निक्की !!! कुछ तो बोल बेटा .. अब हम बड़े हो गये हैं .. भला ऐसी छोटी मोटी बातों पर कब तक एक दूसरे से खफा रह पाएँगे " ....... यह बात कहते हुए जल्दबाज़ी में निकुंज ने अपना हाथ निक्की की जाँघ पर रख दिया.

वैसे देखा जाए तो भाई - बहेन के बीच यह एक सिंपल टच माना जा सकता है लेकिन वर्तमान हालात काफ़ी बदल चुके थे और ज्यों ही निक्की को एहसास हुआ कि उसकी जाँघ पर उसके भाई का हाथ है .... एक सिरहन के साथ उसका पूरा जिस्म काँप उठा .... उसे लगा जैसे निकुंज ने सीधे उसकी तड़पति चूत पर अपना हाथ रख दिया हो.

वहीं निकुंज को भी महसूस हुआ उसकी बहेन की बॉडी वाइब्रट कर रही है लेकिन निक्की का चेहरा दूसरी तरफ घूमा होने से उसे इस बात का कोई क्लियर प्रूफ नही मिल पाया.

" मेरी बात का जवाब तो दे निक्की " ....... निकुंज ने उसकी जाँघ पर अपने हाथ का दबाव देते हुए कहा.

" भा .. भाई हमे पार्क चलना चाहिए " ....... निक्की हौले से फुसफुसाई .... वह रात में अपने भाई के इसी टच से रोमांचित हुई थी .... सुबह भी कुछ पल के लिए उसकी चूत से रिसाव हुआ और अब भी उसे कुछ अलग सी फीलिंग आना शुरू हो गयी थी.

" पार्क में बात नही हो पाएगी .. हमे यहीं बात करनी होगी " ...... निकुंज ने कहा और इस बार अपने हाथ को उसकी जाँघ से हटा कर उसके कंधे पर रखते हुए ज़बरदस्ती उसे अपनी तरफ टर्न करने लगा.

" भाई !!! प्लज़्ज़्ज़ घर लौट चलो " ....... निक्की सिसकी लेकिन अब तक उसने खुद तो अपने भाई की तरफ देखने से रोक रखा था .... वह डर के मारे सहमी जा रही थी कि कहीं उसके भाई को उसकी सेडक्षन भरी हालत का पता ना चल जाए और यदि ऐसा हुआ तो बेवजह ही उसे अपने भाई के सामने शर्मसार होना पड़ेगा.

" घर बाद में जाएँगे .. पहले मैं तुझसे बात करना चाहता हूँ " ........ यह कहते हुए निकुंज ने अपने हाथ का ज़ोर लगाया और ना चाहते हुए भी निक्की को उसकी तरफ मुड़ना पड़ा.

अपनी बहेन के चेहरे पर नज़र पड़ते ही निकुंज का दिमाग़ काम करना बंद कर गया .... उसने सॉफ देखा, उसकी बहेन के होंठ बुरी तरह फडक रहे हैं और उसकी साँसे इस तेज़ी से चल रही हैं जैसे वह मीलों दौड़ कर आई हो .... साथ ही उसकी पनियल आँखों की सुर्खियत भी काफ़ी हद तक उसकी खुमारी को बयान कर रही थी.

" तू ठीक तो है .. रो क्यों रही है ? " ....... टॉपिक में हल्का सा बदलाव लाते हुए निकुंज ने उससे पूछा.

" मैं कहाँ रो रही हूँ " ....... निक्की ने फॉरन अपने हाथ की उंगलियों से अपनी आँखों की पलकें चेक की और पॉज़िटिव रिज़ल्ट देख कर शॉक्ड रह गयी.

वाकयि उसकी आँखों में सिवाए उत्तेजना के कुछ शेष ना था और इसी चक्कर में निकुंज की आँखें उसके चेहरे से हट कर उसके तन चुके बूब्स पर टिक गयी .... निक्की की साँसों से ताल मिलाती उसकी चूचियों का आकार निरंतर तेज़ी से घटता व बढ़ता जा रहा था और निकुंज के हाथ का पाँजा खुद ब खुद पंप होने लगा .... आख़िर अपने इसी पंजे से उसने दो बार अपनी सग़ी बहेन की चूची दबाई थी और इतना सोचने के बाद तो किसी कीमत पर उसके लंड में कदकपन्न आना नही टाल पाया .... जो अब ढीलेपन से विकरालता में परिवर्तित होकर .... उसके छोटे से शॉर्ट्स के ऊपर बड़ा सा तंबू बनाने लगा था.

वह अपनी सोच से एक झटके में बाहर आ गया .... जब उसके कानो में उसकी कार के पिछे खड़ी कार का हॉर्न सुनाई पड़ा .... शायद उनकी कार किसी ऐसी जगह खड़ी थी जहाँ ज़्यादा देर की पार्किंग अलोड नही होगी.

" भाई घर चलो .. मुझे पार्क नही जाना " ........ अपनी बहेन की बात को अनसुना करते हुए निकुंज ने कार वहाँ से आगे बढ़ा दी .... वह कुछ देर पहले की ग़लतफहमी का शिकार था जिसमें निक्की ने अपनी दिक्कत का सल्यूशन खुद ढूँढने की बात कही थी और निकुंज के माइंड में उसकी यह बात बुरी तरह से खलबली मचा रही थी.

" तू यह बता !!! मैं तुझे कैसा लगता हूँ ? " ...... अजीब सवाल था यह लेकिन निकुंज को पूछना पड़ा और सुनते ही निक्की मे माथे में बल पड़ने लगे.

" मतलब ? " ...... निक्की ने आश्चर्य में भरते हुए कहा.

" मतलब !!! तू मुझे कितना प्यार करती है ? " ....... निकुंज के इस सवाल ने निक्की को वाकाई परेशानी में डाल दिया .... वे दोनो ही एक दूसरे से बेशुमार प्रेम करते हैं लेकिन अब उस प्रेम में वासना ने अपनी जगह बना ली थी.

" हां भाई !!! प्यार करती हूँ " ....... निक्की ने जवाब दिया परंतु वह अपनी पूरी लाइफ में आज पहली बार अपने भाई से साथ अकेले बैठने में अनकंफर्टबल महसूस कर रही थी .... हलाकी उसके असहज होने की मुख्य वहज वह खुद थी जो बीते कयि दीनो से निकुंज के संपर्क में आते ही बहकना शुरू हो जाया करती थी.

" कैसा प्यार !!! भाई - बहेन वाला या कुछ और भी इसमें शामिल है " ........ असल मुद्दे की बात पूच्छने के पश्चात निकुंज ने कार वहीं रोक दी .... वे अब बिल्कुल सुनसान रास्ते पर थे और जिसका कोई अंदाज़ा निक्की को नही हो पाया था.

अपने प्रश्न का उत्तर जानने के लिए निकुंज ने जितनी तेज़ी से अपनी बहेन के चेहरे पर नज़र डाली .... शरम्वश उतनी ही गति से निक्की का चेहरा नीचे झुकने लगा .... अत्यधिक घबराहट में वह अपने होंठो को यूँ चबा रही थी जैसे वे कोई बेजान चूयिंग गम हों .... एक अंजाना डर उसके मन में घर कर चुका
 

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एक बार फिर निकुंज ने अपने हाथ को निक्की की जाँघ पर रख दिया और फॉरन उसकी बहेन का कांपता जिस्म बुरी तरह लहराने लगा.

" ओह भाई मत छुओ !!! मुझे कुछ कुछ होता है " ....... निक्की ने अपनी नशीली आँखों को अपने भाई की आँखों से जोड़ कर कहा .... उसकी उमंग, उत्तेजना, कामुकता सब उसके शरीर पर हावी हो चली थी.

" वही तो मैं जानना चाहता हूँ निक्की .. तुझे कुछ कुछ क्या होता है " ....... निकुंज ने अपने हाथ को मूव्मेंट देना शुरू कर दी .... हौले हौले उसकी उंगलियाँ निक्की के सॉफ्ट कपड़े के लोवर में गढ़ती जा रही थी और कुछ देर पश्चात ही वह अपने हाथ को अपनी बहेन की कुँवारी चूत की दिशा में आगे बढ़ाने लगा.

निक्की की आँखें इशारों में अपनी भाई को समझाने की व्यर्थ कोशिशें करती रही परंतु इसके ठीक ऑपोसिट वह निकुंज के हाथ को जल्द से जल्द अपनी स्पंदानशील चूत के मुहाने पर महसूस करना चाहती थी.

वहीं दूसरी तरफ सत्यता कुछ ऐसी थी कि निकुंज का सॉफ दिल उसे लाख बार इस घ्रनित कार्य को बंद करने की चेतावनी दे चुका था लेकिन उसका पापी मन उसे अपने दिल की कोई बात नही मानने दे रहा था और इसीलिए वह अपनी बहेन के जवाब को जाने बिना पिछे लौटने को कतयि तैयार नही था.

" तुझे अच्छा लग रहा है ना निक्की ? " ....... आख़िरकार निकुंज के शॉर्ट्स में क़ैद उसका हार्ड लंड अपनी आज़ादी की गुहार लगाने लगा और इसके चलते उसका दूसरा हाथ खुद ब खुद अड्जस्टमेंट की गरज से अपने लंड के ऊपर घूमने लगा .... निक्की की चोर नज़रो ने जब अपने भाई की शॉर्ट्स में बड़ा सा तंबू बनता देखा इसके फॉरन बाद उसके बदन में ऐंठन आनी शुरू हो गयी.

" माफ़ करना बेटा !!! मैं उत्तेजित हूँ " ....... निकुंज बेशर्मी से बोला और तेज़ी से अपने विशाल लंड को मसल्ने लगा .... निक्की अपने भाई की इस नीच हरकत को सहेन नही कर पाई और उसके मन में निकुंज के प्रति जो भी लालसाएँ जन्मी थी .... उसने फ़ैसला कर लिया कि अब वह सारे भेद अपने भाई पर ज़ाहिर कर देगी.

निकुंज की अश्लील हरकतों ने निक्की के जिस्म में आग लगा कर रख दी थी और बाकी का काम उसकी सोच ने पूरा कर दिया .... " बस बहुत हुआ !!! अब मेरी बारी है " .... उसने अपने मन ने सोचा .... " हमेशा मैं ही क्यों मजबूर हो जाती हूँ और भाई मेरी लाचारी को मेरी कमज़ोरी समझते हैं " .... उसे याद आया ... जब जब वह अति उत्तेजना वश काम विभोर हुई, उसके भाई ने हर बार उसे अधर में लटकाया था और इस वक़्त भी हालात सेम हैं.

निकुंज खुद तो अपने लंड को मसल कर मज़े ले रहा है लेकिन अब तक उसने अपना हाथ अपनी बहेन की चूत तक नही पहुचाया था और तभी निक्की समझ गयी ... उसका भाई सिर्फ़ उसकी भावनाओ से खिलवाड़ कर रहा है.

" भाई !!! मुझे सुसू जाना है " ....... निक्की ने अचानक से नया राग अलाप दिया और शायद इसके ज़रिए वह कुछ देर के लिए अपने भाई की गिरफ़्त से आज़ाद होना चाहती थी .... साथ ही पेशाब करने से उसकी चूत में भड़कते प्रेशर का भी काफ़ी हद्द तक निवारण हो जाना था और यक़ीनन इसके पश्चात वह डाट कर निकुंज की हर्कतो का सामना कर सकती थी.

" लेकिन अभी कैसे .. हम रोड पर हैं निक्की " ....... यह कह कर निकुंज ने अपने हाथ को ऊपर सरकाते हुए ठीक उसे अपनी बहेन की चूत से चार अंगुल नीचे रोक लिया.

" तो क्या हुआ भाई .... मैं उस झाड़ी के पीछे कर लूँगी, मुझसे अब कंट्रोल नही होगा " ........ निक्की ने अपने हाथ से निकुंज का हाथ पकड़ कर कहा और अपना निच्छला होंठ दांतो में दबा कर अपनी सारी शक्ति एक जगह केंद्रित कर ली .... इसके फॉरन बाद उसने बिना किसी अतिरिक्त घबराहट के अपने भाई का हाथ सीधे अपनी रस छोड़ती चूत पर दबा दिया.

" उफफफफफफ्फ़ !!! देखो ना भाई .. आधी तो मैने लोवर में कर दी " ....... हलाकी चन्द लम्हो के पश्चात ही उसने निकुंज का हाथ वापस अपनी चूत से अलग कर दिया था लेकिन वह नही जानती थी इसका रिज़ल्ट कितना घातक हो सकता है .... निकुंज क्या किसी भी मर्द के लिए इस हमले को सह पाना नामुमकिन होता और अब उसका भाई खो चुका था.

" भाई !!! मैं जाउ सूसू करने ? " ...... कुछ देर चुप रहने के बाद निक्की ने उससे पूछा लेकिन निकुंज का माइंड तो कहीं और ही घूम रहा था .... जब निक्की ने उसके चेहरे पर गौर किया तो पाया उसका भाई एक टक अपने हाथ को घूरे जा रहा है और यह नज़ारा देखते ही निक्की की हसी छूट गयी .... उसने अपने भाई की जाँघ पर हाथ रख कर ज़ोर से उसे झकझोर दिया और दोबारा अपना सवाल दोहराया.

" मैं सच कह रही थी ना भाई .. देखो आप का हाथ भी गीला हो गया .. अब मैं जाउ सूसू करने ? " ...... बड़ी मासूमियत अपने चेहरे पर लाते हुए वा बोली ........ " क .. क्या .. ओह हां .. तू चली जा " ........ निकुंज ने हड़बड़ाते हुए उसकी बात का जवाब दिया और अपनी नज़रें उसके चेहरे से फेर ली.

अपनी अग्रिम विजय पर निक्की मुस्कुरा उठी और गेट खोल कर कार से नीचे उतर गयी .... अभी वे लोग हाइवे पर थे और जिस झाड़ी के पिछे उसे पेशाब करने जाना था उसकी दूरी कार से महज दस बारह कदमो के डिस्टेन्स पर होगी.

झाड़ी के पिछे जाने से पूर्व निक्की ने पलट कर एक नज़र कार की तरफ देखा .... बंद शीशे में भी वह सॉफ देख पा रही थी कि निकुंज अपने हाथ पर लगे .... अपनी बहेन की चूत के पानी को सूंघ रहा है या शायद चाट रहा हो और उसी क्षण निक्की की चूत उबल पड़ी.

अब वह जान कर ऐसी जगह बैठना चाहती थी कि यदि उसके भाई की आँखें झाड़ियों के पीछे का नज़ारा देखना चाहें तो उसे अपनी बहेन के हर मूव्मेंट का बिल्कुल क्लियर व्यू दिखाई दे और जल्द ही निक्की ने वह जगह ढूँढ ली .... जहाँ पट्टियों की डेन्सिटी नाम मात्र की थी.

इसके बाद वह पलट कर खड़ी हो गयी ताकि पहले उसकी गान्ड का नज़ारा निकुंज को दिखाई पड़े .... हलाकी वह फुल्ली श्योर नही थी कि उसका भाई उसकी तरफ देखेगा लेकिन उसे ऐसी आशा थी कि वह ज़रूर देखे.

निक्की ने बड़े सेडक्टिव वे में अपनी गान्ड को बाहर की तरफ निकाला और फिर दोनो हाथ कमर पर रखते हुए अपने लोवर की एलास्टिक में उंगलियाँ फसा ली .... वह जानती थी यह काफ़ी नीच कार्य है लेकिन अपने भाई को सबक सिखाने के लिए उसे यह करना था और इसके बाद उसने किसी पोर्न्स्टार की तरह अपनी गान्ड मटकाते हुए लोवर को नीचे सरकाना शुरू कर दिया .... मन ही मन वह ऊपरवाले से दुआ माँग रही थी कि उसका भाई उसकी गान्ड देखे और लोवर को अपने घुटनो तक उतारने के बाद उसने सेम अंदाज़ में अपनी गीली पैंटी भी नीचे सरका ली.
 

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शायद ही निक्की अपनी पूरी लाइफ में कभी खुले आसमान के नीचे ऐसी अध नंगी हालत में आई होगी और यह उसके लिए एक रोमांच का विषया बनता जा रहा था .... सूसू करने के लिए नीचे बैठने से पूर्व उसने कुछ नॉटी आइडिया प्लान किया और फिर हल्का सा आगे को झुक कर अपनी गान्ड की दरार खोल दी .... उसके दिमाग़ में तो यही घूम रहा था, निकुंज उसकी गान्ड देख रहा है और इसके बाद वह अपने हाथ को कमर से पिछे ले जा कर ... उंगलियों से अपनी गान्ड का छेद खुजाने लगी.

कार के अंदर निकुंज बुरी तरह बौखला चुका था .... निक्की अंजाने में भी उसके जज़्बातों से इस कदर खिलवाड़ करेगी उसने सोचा ना था और जैसे ही उसकी आँखों ने निक्की को अपनी गान्ड की दरार में हाथ घुसाते पाया .... उसकी साँसें रुक गयी ........ " मैं पागल हो जाउन्गा " ....... यह शब्द कहते हुए वह सच में पागल होने लगा .... उसके अंडकोषों में उस वक़्त भी इतना वीर्य नही उमड़ा होगा .... जब उसकी सग़ी मा अपने कठोर होंठो से उसका लंड चूस रही थी .... निकुंज ने अपना हाथ अपने शॉर्ट्स के अंदर एंटर कर लिया और तेज़ी से अपना विशाल लंड हिलाने लगा.

वहीं निक्की की हालत अपने भाई से कयि गुना ज़्यादा खराब हो चली थी .... माना अपनी गान्ड का छेद उसने लाइफ में सैकड़ों बार टच किया होगा लेकिन इस वक़्त उसके आनंद का कोई ठिकाना ना था .... वह अपनी उंगलियों को जल्द ही अपनी कुवारि चूत पर ले गयी और फॉरन उसकी टांगे काँपने लगी ....... " अब मुझसे और नही खड़ा रहा जाएगा " ....... बस इतना कहते ही उसके घुटने अपने आप मुड़ते चले गये और वह नीचे बैठ गयी.

" ष्ह !!! " ....... हल्का सा ज़ोर लगाते ही उसकी चूत सीटी की ध्वनि बजाने लगी और पेशाब का अखंड सैलाब उसकी चूत की नाज़ुक पंखुड़ियों को चीरते हुए बाहर निकलने लगा .... निक्की को लगा जैसे उसके बदन की सारी जलन ख़तम होती जा रही हो और लगभग दो मिनिट तक उसकी चूत से बेहद गरम मूत्र का बहना ज़ारी रहा.

इस बाद उसका माइंड डाइवर्ट हुआ और उसने अपने भाई को रंगे हाथो पकड़ने का फ़ैसला किया .... अगर सच में निकुंज उसे पेशाब करते हुए देख रहा होगा तो फ्यूचर के कॉन्वर्सेशन का बेहतरीन टॉपिक उसे हासिल हो जाता.

ऐसा सोच कर वह सेकेंड्स में खड़ी हुई और बिना किसी देरी के पलट गयी .... कार की तरफ नज़र डालते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी .... वाकयि उसकी दुआ कूबुल हुई थी और उसका भाई झाड़ियों की तरफ ऐसे घूरता पकड़ा गया जैसे आज के बाद उसकी आँखें काम करना ही बंद कर देंगी.

निकुंज के लिए यह बहुत बड़ा झटका था और सकपकाते हुए उसने अपना चेहरा नीचे झुका लिया .... हड़बड़ी में उसने अपना हाथ अपनी शॉर्ट्स से बाहर खीचा और निक्की कुछ ही पलो में कार के अंदर आ गयी.

" ओह गॉड भाई !!! बहुत ज़्यादा प्रेशर था " ...... वह मुस्कुराते हुए बोली .... निकुंज तो पहले से ही अपना सर झुकाए बैठा था लेकिन अब तक उसका लंड झटके मार रहा
 

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" भाई एक बात पूच्छू ? " ...... निक्की ने जान कर अपना हाथ उसकी जाँघ पर रख दिया .... अब उसकी बारी थी अपने भाई को तड़पाने की.

" ह .. हां श्योर " ...... निकुंज की आवाज़ में ज़रा भी दम नही बचा था और वह शूकर मनाने लगा कि निक्की अपने हाथ को जल्द से जल्द उसकी जाँघ से हटा ले वरना शॉर्ट्स के अंदर उसका लंड कभी शांत नही हो पाएगा.

" भाई !!! अब तो आप नॉर्मल हो ना " ...... निक्की ने यह बात अपने भाई के तंबू को देखते हुए कही ... जो उसके शॉर्ट्स से करीबन 6 इंच ऊपर की तरफ निकला हुआ था लेकिन इसके बाद तो जैसे उसकी आँखें अपने भाई के लंड की विकरालता पर चिपकी रह गयी.

" माइंड मत करना निक्की .. मजबूर मर्द हूँ " ...... यह कहते वक़्त निकुंज बेहद शर्मसार हो रहा था .... उसकी लगाई आग अब उसे ही जलन दे रही थी मगर निक्की पर तो मानो उसकी बात का कोई असर नही पड़ा .... वह सर्प्राइज़्ड होकर अपने होश खो चुकी थी.

" ऐसे मत देख निक्की .. मैं और सह नही पाउन्गा " ...... निकुंज रुवासा होकर बोला और अपने भाई की गमगीन आवाज़ सुनकर निक्की वर्तमान में लौट आई ....... " क्या लंड ऐसा होता है ? " ....... किसी वर्जिन लड़की के लिए यह द्रश्य कितना कौतूहल से भरा होता होगा .... अभी निक्की से बेहतर कौन जान सकता है.

" डोंट वरी भाई !!! मैं समझ सकती हूँ .. आप प्लज़्ज़्ज़ परेशान मत हो " ....... निक्की ने स्लो वाय्स में कहा .... वह चाहती तो अपने भाई को सच में रुला सकती थी और इसके लिए उसके पास बहुत सी बातें थी लेकिन उसके दिल में निकुंज के लिए नफ़रत कम ... प्यार ज़्यादा था.

कुछ देर तक उनकी कार में एक दम सन्नाटा छाया रहा लेकिन निक्की अपनी चोर नज़र अपने भाई के तंबू पर गढ़ाने से खुद को रोक नही पा रही थी ... उसके दिमाग़ के सारे तार धीरे धीरे वापस उसकी चूत से जुड़ते जा रहे थे और अब उसकी आँखों में नशीलापन तैरने लगा था.

ज़ाहिर था अब उसकी इक्षा अपने भाई के लंड को वास्तविकता में देखने की हो रही थी और जिगयसावस कि उसके भाई का लंड हक़ीकत में कैसा होगा .... सोचते ही उसकी चूत में सुरसुरी उठने लगी.

" क्या करूँ .. क्या करू ? " ....... निक्की को इस बात का कोई हल नही मिल पा रहा था कि कैसे वह निकुंज से उसका शॉर्ट्स उतरवाए और उसका हाथ जो अब तक उसने अपने भाई की जाँघ पर रखा हुआ था .... उसकी उंगलियाँ मचल रही थी उसका विशाल लंड छुने को.

अचानक से निक्की के होंठ मुस्कुराने लगे .... शायद उसे सल्यूशन मिल गया था ...... " भाई आप चाहो तो मास्टरबेट कर लो .. आप को रिलॅक्स मिल जाएगा "
 

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पापी परिवार--51

अचानक से निक्की के होंठ मुस्कुराने लगे .... शायद उसे सल्यूशन मिल गया था ...... " भाई आप चाहो तो मास्टरबेट कर लो .. आप को रिलॅक्स मिल जाएगा "

अपनी सग़ी छोटी बहेन के यह लफ्ज़ कान में सुनाई पड़ते ही निकुंज ने फटी आँखों से निक्की को देखा .... अभी उसने जो कुछ भी सुना, उसे अपने कानो पर यकीन नही हो रहा था ....... " मेरी बहेन मुझे मूठ मारने की सलाह दे रही है " ....... सोचने मात्र से ही उसके कठोर लंड ने कयि झटके खाए और इससे उसके शॉर्ट्स के ऊपर ज़ोरो की हलचल होने लगी.

" भाई क्या हुआ ? " ....... निकुंज की शॉर्ट्स में बने तंबू को अचानक से और भी ज़्यादा टांट देख निक्की की निगाहें हैरत से खुलने, बंद होने लगी .... कुछ देर तक उसने अपनी पैनी नज़र उस तंबू की विशालता पर गढ़ाए रखी और फिर निकुंज के बनते बिगड़ते चेहरे की तरफ देखा ...... " भाई आप तकलीफ़ में हो, मास्टरबेट कर लोगे तो आराम मिलेगा " ....... जाने क्यों यह बात कहते वक़्त निक्की की टांगे आपस में रगड़ खा रही थी या शायद उस कुँवारी अनियंत्रित लड़की की चूत मे खुजली मचने लगी होगी.

बीते पिच्छले 24 घंटों में निक्की ने क्या कुछ महसूस नही किया .... वह अपनी जवानी के फुल शबाब पर थी लेकिन अपनी उमर की अन्य लड़कियों से बिल्कुल अलग और आज पहली बार उसे लग रहा था .... उसने अपनी जवानी को सहेजकर, उसे केवल बर्बाद ही किया है .... जिन बातों को कल तक वह बिल्कुल ऑर्डिनरी वे में लेती थी आज उसे यह नये एहसाह बेहद रोमांचित कर रहे थे.

चूचियों के मसले जाने का मज़ा .... हल्की फुल्की अश्लील बातें .... खुले आसमान के नीचे नंगी होना .... एक जवान मर्द को अपने नाज़ुक अंग दिखा कर उत्तेजित करना और सबसे बड़ा एग्ज़ाइट्मेंट .... इन सारी हरकतों में मेल इन्वॉल्व्मेंट उसके सगे भाई निकुंज का था और जो कभी उसने अपने सपनो में भी नही सोचा होगा.

" न .... नही निक्की !!! मैं भला तेरे सामने, ऐसा कैसे .. नही मुझसे नही होगा " ...... निकुंज झेन्प्ते हुए बोला लेकिन उसके इस कथन से निक्की खुश हुई क्यों कि उसके भाई का इशारा अपनी बहेन की तरफ था और यदि कार में निक्की की मौजूदगी का इश्यू नही होता .... तो वह मास्टरबेट करने को अग्री हो जाता.

" क्यों भाई !!! क्या मेरे सामने करने से आप को कोई तकलीफ़ होगी ? " ...... निक्की ने नॉटी स्माइल देते हुए पूछा, वह जानती थी कि यह सारा कमाल उसके नंगे बदन का है जो उसके भाई की इस कदर बुरी हालत हो गयी और इस बात के लिए उसे खुद पर काफ़ी प्राउड भी फील हो रहा था लेकिन वह ऐसे शो कर रही जैसे यह कोई नॉर्मल टॉपिक हो.

" नही मैं नही कर सकता " ..... निकुंज ने बेहद लो वाय्स में कहा .... उसके लिए तो यह सिचुयेशन मरने से भी कयि गुना ज़्यादा पीड़ा - दाई हो चली थी .... पहले निक्की ने उसे पेशाब करते देख पकड़ा था और अब अपनी बहेन के सामने मूठ मारना .... वह कंट्रोल करने की जितनी कोशिश कर रहा था, उसके लंड में उतना ही तनाव बढ़ता जा रहा था
 

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काफ़ी देर तक निकुंज की ना नुकुर से निक्की तंग गयी ...... " भाई मुझसे कैसा शरमाना .. आप मुझे सूसू करते हुए देख रहे थे ना ? " ...... इतना कह कर वह थोड़ा रुकी और अपनी चढ़ती सांसो को काबू में किया ..... " मगर मैने आप को पकड़ने के बाद भी कोई शिकायत नही की, तो अब शरमाओ मत और जल्दी से कर डालो .. मैं जानती हूँ आप को बहुत मज़ा आएगा "

अपनी भोली भली बहेन के मूँह से निकली यह बात सुनते ही निकुंज का लंड लोहे की रोड बन गया .... उसने आश्चर्य से एक नज़र निक्की को देखा जो बेहद जिग्यासा से भरी, एक टक उसके बड़े से तंबू को निहार रही थी .... अपने भाई के लंड के अचंभित उभार पर तो मानो उसकी ललचाई आँखें पालक झपकना ही भूल चुकी थी.

निकुंज से रहा नही गया और अपनी गर्दन खिड़की से बाहर घुमा ली .... वह सोचने लगा ........ " यह निक्की को आज क्या हो गया है .. इतनी बेशरम तो वह कभी ना थी लेकिन आज तो यह एक के बाद एक नये रेकॉर्ड बनाती जा रही है "

" भाई अगर आप को शरम आ रही हो तो मैं कर दूं ? " ....... निक्की ने अपने हाथ को उसकी जाँघ से उसके गुप्ताँग की तरफ बढ़ाते हुए पूछा.

सब कुछ इतनी तेज़ी से हो रहा था की निकुंज के लिए सम्हल पाना असंभव होने लगा, अजीब सी सनसनाहट से उसका बदन काँप रहा था .... निक्की की उंगलियों का कोमल स्पर्श उसे रोमांचित किए जा रहा था और उसमे इतनी भी शक्ति नही बची थी कि वह अपनी बहेन के बढ़ते हुए हाथ को रोक सके.

वहीं निक्की की शरारत करती उंगलियाँ उसकी जाँघ के जोड़ से थोड़ा पहले आ कर रुक गयी .... जाने क्यों लेकिन उसके हाथ का यूँ रुकना निकुंज को बिल्कुल भी अच्छा नही लगा और उसने पलट कर निक्की को देखा.

" क्या हुआ ? " ..... उसने धीमे व काँपते स्वर में अपनी बहेन से पुचछा.

" क्या हुआ ? " ...... उल्टे निक्की ने उस पर सवाल दाग दिया .... इस वक़्त उसके गुलाबी होंठों पर लज्जा लिए, हल्की मुस्कुराहट शामिल थी.

निकुंज ने अपनी आँखें बंद कर अपने दिल में उठती उस आवाज़ को दबा दिया जो उसे चिला चिल्ला कर समझा रही था कि निक्की उसकी सग़ी बहेन है और आख़िर कार इसमें जीत निकुंज के उत्तेजित शरीर की हुई .... वापस उतनी ही तेज़ी से उसने दोबारा अपनी आँखें खोल कर देखा तो पाया अब तक उसकी बहेन ने अपना हाथ उसी जगह रोक रखा था.

" प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ......" ..... निकुंज हौले से फुसफुसाया मानो अपनी बहेन की खुशामद कर रहा हो.

अपने भाई की असहाय आवाज़ सुनकर निक्की को अंदाज़ा हो गया था कि वह क्या चाहता है और अगले ही पल उसका हाथ फिसला .... उसकी मचलती उंगलियों ने शॉर्ट्स के ऊपर से निकुंज के विशाल लंड को अपनी गिरफ़्त में क़ैद कर लिया.

"आहह........" ...... दोनो के मूँह से एक साथ आनंद भरी सिसकारी फूट पड़ी और इसके बाद ही निक्की की उंगलियों की कसावट अपने भाई के लंड के इर्द गिर्द कसती जाने लगी.

अत्यधिक खुमारी से निकुंज का बदन झन्झना उठा ... उसका लंड तो जैसे लोहे की तरह सख़्त हो गया था .... उसने अपने दोनो हाथ स्टियरिंग व्हील से हटाते हुए अपनी जाँघो पर रख लिए और फिर खुद को ढीला छोड़ कर .... अपना पूरा भार सीट पर डाल दिया.

मस्ती से सराबोर निकुंज की आँखें अब बंद होने की कगार पर पहुच चुकी थी .... निक्की के हाथ में उसका लंड जकड़ा हुआ था .... वह चाह रहा था उसकी बहेन ज़ोर ज़ोर से उसके लंड पर अपना हाथ ऊपर नीचे करे लेकिन निक्की ने तो जैसे उसे तड़पाने का मन बना लिया था.

कभी वह अपने भाई के कठोर व सख़्त लंड को अपने कोमल हाथ में ताक़त से कस लेती तो कभी ढीला छोड़ देती .... जब उसकी उंगलियों का कसाव लंड पर बढ़ता तो निकुंज का पूरा जिस्म लहरा जाता .... शायद निक्की की यह पंपिंग वह टीज़िंग थी जो बीती रात उसके भाई ने उसकी अन्छुइ चूची के साथ की थी.

अपनी बहेन की इस हरकत से निकुंज सिहर उठा .... अचानक वह पलटा और निक्की के चेहरे पर अपनी निगाह डाली .... उसकी बहेन की आँखें नशे की खुमारी से चूर चूर हो रही थीं और उसका संपूर्ण चेहरा अती उत्तेजनावश लाल हो चुका था.

अपने भाई को अपनी और हैरत भरी नज़रों से घूरता पाकर निक्की के शरारत करते हाथ वहीं रुक गये ...... " भाई कैसा लग रहा है आप को ? " ..... और यह पुच्छने के बाद उसने शर्मा कर अपनी आँखें बंद कर ली.

" ओह ...... अच्छा लग रहा है निक्की !!! करती रह .... प्लज़्ज़्ज़ अपने हाथों को मत रोकना " ...... निकुंज आहें भरते हुए बोला.

" ह्म्‍म्म !!! " ....... जवाब में निक्की ने सिर्फ़ इतना ही कहा .... फिर अपने हाथ को उसके शॉर्ट्स और अंडरवेर के अंदर एंटर करते हुए सीधे उसके लंड तक ले गयी लेकिन ज्यों ही उसकी कोमल उंगलियों ने अपने भाई का विशाल वा गरम लंड छुआ, वह बुरी तरह काँप उठी और कुछ सेकेंड्स के लिए उसकी पूरी बॉडी फ्रीज़ हो गयी .... पर जल्द ही वह अपने होश में वापस लौटी और फॉरन अपनी उंगलियाँ लंड की पहुच से दूर कर ली.
 
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