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" निम्मी शरम कर थोड़ी .... तू इतनी बेशरम कैसे हो गयी ? " ........ उसने अपने लफ्ज़ पूरी तरह से कह नही पाया कि उसकी बेटी ने अपनी वही उंगली .... जिससे वह कुछ देर पहले अपनी चूत की फान्खो पर रगड़ दे रही थी .... थोड़ी देर अपने पिता के खुले होंठो पर फेर कर उसके मूँह के अंदर थेल दी ......... " ष्ह्ह्ह्ह्ह डॅड !!! अब बस करो यह शरम का ढोंग, हम इससे बहुत आगे निकल आए हैं .. क्या अब भी हम एक दूसरे का लिहाज़ करें, जब कि मैं आपका लंड चूस चुकी हूँ .. आप मेरी टांगे फैला कर मेरा कुँवारापन्न लूट चुके हो .. नही डॅड अब हमे इस दीवार को मिटा कर अपनी लाइफ .. पूरी तरह से एंजाय करनी चाहिए " ......... निम्मी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा.
उसका लुस्थफुल्ली संवाद सुनकर दीप के होश उड़ गये .... वह हैरान रह गया जैसे उसके सामने उसकी बेटी नही कोई अजूबा खड़ा हो .... उससे कोई जवाब देते नही बॅन पाया, हलक से आवाज़ बाहर आती भी तो कैसे .... निम्मी ने अपनी उंगली उसके मूँह में घुमानी जो शुरू कर दी थी.
" क्या सोच रहे हो डॅड !!! ओह कम ऑन .. प्लज़्ज़्ज़्ज़ मुझे बताओ ना अब तक आप कितनी लड़कियों को कली से फूल बना चुके हो ? " ....... निम्मी ने अब अपनी उंगली उसके मूँह से बाहर खीच ली और खुद उसे चूसने लगी .... ऐसा करते ही इक सनसनी उसके नंगे बदन में समाने लगी और उसकी चूत का पिघलना शुरू हो गया.
" बस कर निम्मी !!! तेरी बातों से मुझे शरम आने लगी है .. यह अचानक से इतनी निर्लज्ज कैसे हो गयी तू ? " ....... अपनी बेटी का रॅनडिपना देख कर दीप पानी पानी हुआ जा रहा था .... भले उसने अपने जीवन में हमेशा इसी खुलेपन्न वा नन्ग्पन्न की कल्पना की थी लेकिन कहाँ जानता था कि इसको अंजाम तक उसकी सग़ी बेटी ही पूछने में जुट जाएगी.
वहीं निम्मी हस्ती हुई उसकी गोद में बैठ गयी ....... " उफफफफफ्फ़ !!! आपको उस वक़्त शरम क्यों नही आई डॅड .... जब आपने अपना लंड दोबारा अपनी मर्ज़ी से मेरे मूँह में डाला था " ........ वह अपनी गान्ड पर अपने पिता के विकराल लौडे की छुअन से मदहोश हो कर उसका कान चाटने लगी.
वहीं दीप से ज़रा भी सबर नही हो पाया .... अब वह कुछ और नही सोचना चाहता था सिवाए इसके कि उसकी गोद में एक जवान नंगी लड़की बैठी है और जल्द ही वह अपनी बेटी की अन्छुइ चूचियों को अपने कठोर पंजो में जकड़ने लगा ......... " आऐईयईईईईई डॅड !!! बेटी समझ कर दबाओ .. दर्द होता है " ......... निम्मी अपनी गान्ड को उसके खड़े लंड पर रगड़ती हुई सिसकी .... दीप तो जैसे मंत्रमुग्ध था उसके बूब्स की सुंदर कसावट पर.
" निम्मी !!! मैं अब तक बहुत तडपा हूँ लेकिन तू ठीक कहती है .. हम बाप बेटी के रीलेशन से बहुत आगे निकल चुके हैं और अब हमे खुल कर एंजाय करना चाहिए " ....... दीप अपना चेहरा बेटी की मांसल चुचियों पर झुकाते हुए बोला .... उसकी मंशा अब निम्मी के बड़े बड़े उरोजो का रास्पान करने की होने लगी थी.
" डॅड !!! आइ लव यू .. अब मैं आप को कभी तड़पने नही दूँगी .. आप ने कहा था ना मैने आप को अपना दूध नही पिलाया .. सक देम डॅड .. सब आप के लिए ही है, सिर्फ़ आप के लिए " ....... निम्मी उत्तेजना के भंवर में गहरे गोते लगाती हुई बोली .... अपने बाप के ज़ालिम होंठो का स्पर्श अपने बूब्स के तने निपल पर महसूस कर वह सिरहन से काँपने लगी थी ....... " चूसो डॅड .. सक देम हार्डर " ....... अपने हाथो से अपनी चूचियाँ पकड़ कर अपने पिता के मूँह मे डालती हुई वह ज़ोरों से उन्हे मसल्ने लगी.
दीप ने किसी छोटे बच्चे की भाँति अपनी बेटी के दाँये निपल को अपने कड़क होंठो से चूसना शुरू कर दिया .... जैसे - जैसे उसकी कामोत्तजना बढ़ी वह निपल को हल्के दांतो से काटने भी लगा, बड़ा अजीब एहसास था यह .... दोनो चन्द लम्हों में जैसे पूरी तरह से पागल हो गये थे ....... " ओउउउउउउउउउउउछ्ह्ह्ह !!! डॅड नहाने चलें ? " ........ एग्ज़ाइटेड निम्मी की चूत वापस तैयार हो चुकी थी अपने पिता का मूसल अंदर लेने के लिए .... वह दीप की शर्ट के बटन ओपन करती हुई बोली.
दीप पर तो जैसे उसकी बात का कोई असर ही नही हुआ और अब वह उसके बाएँ निपल पर अपने दाँत गढ़ाने लगा था ......... " ह्म्म्म्म डॅड !!! चा .. चलो ना बाथरूम चलते हैं " ......... निम्मी की आँखों मे शरारत, वासना और बेशरामी की पराकाष्ठा उतर आई थी .... उसके पिता ने जिस बेरहमी और कठोरता से अपनी बेटी के विकसित उरोज चूसे और दबाए थे .... निम्मी तो बहती ही जा रही थी.
" उफफफफफ्फ़ डॅड !!! आज ही चूस लोगे क्या सारा दूध .... मुझे नहाना है, आप चलो .. अपने हाथो से नहलाना अपनी बेटी को " ......... निम्मी ने उसकी शर्ट को उसके जिस्म से उतार कर दूर फेंक दिया और किसी काम लूलोप रंडी की तरह ज़ोरदार आँहे भरने लगी .... ज़ाहिर था नीचे उसकी बहती चूत के मुहाने पर दीप के खड़े लंड की अग्रिम चोटें उसकी सहनशक्ति से बाहर हो चली थी.
" नही निम्मी !!! दूसरे राउंड के लिए तू तैयार नही है अभी .. हमे वापस घर भी जाना है " ......... दीप ने कुछ देर सोच कर जवाब दिया .... उसे डर था कहीं निम्मी की बिगड़ी चाल - ढाल घर पर चर्चा का विषय ना बन जाए .... हलाकी उसकी बेटी का कुँवारापन्न ख़तम हो जाने से अब कितने भी राउंड चुदाई की जा सकती थी लेकिन दीप ज़्यादा रिस्क नही लेना चाहता था.
" मेरी चूत में आग लगी है डॅड और मुझे आप का मोटा लंड चाहिए इसके अंदर " ......... निम्मी मचल कर बोली .... उस पर अपनी पिता की समझाहीश का कोई असर नही हुआ था बल्कि वह सोफे से उठ खड़ी हुई और दीप का पॅंट उतारने लगी.
" समझा कर निम्मी !!! मैं रात में तेरे कमरे में आउन्गा ना लेकिन अभी मान जा बेटा " ........ दीप के मूँह से निकले सारे शब्द झूठे साबित हुए जब उसने अपने कूल्हे उचका कर अपनी पॅंट उतारवाने में अपनी बेटी की मदद की .... निम्मी के हाथो की तेज़ी देखने लायक थी और जल्द ही उसने अपने पिता को अपने जैसा नंगा कर दिया.
उसका लुस्थफुल्ली संवाद सुनकर दीप के होश उड़ गये .... वह हैरान रह गया जैसे उसके सामने उसकी बेटी नही कोई अजूबा खड़ा हो .... उससे कोई जवाब देते नही बॅन पाया, हलक से आवाज़ बाहर आती भी तो कैसे .... निम्मी ने अपनी उंगली उसके मूँह में घुमानी जो शुरू कर दी थी.
" क्या सोच रहे हो डॅड !!! ओह कम ऑन .. प्लज़्ज़्ज़्ज़ मुझे बताओ ना अब तक आप कितनी लड़कियों को कली से फूल बना चुके हो ? " ....... निम्मी ने अब अपनी उंगली उसके मूँह से बाहर खीच ली और खुद उसे चूसने लगी .... ऐसा करते ही इक सनसनी उसके नंगे बदन में समाने लगी और उसकी चूत का पिघलना शुरू हो गया.
" बस कर निम्मी !!! तेरी बातों से मुझे शरम आने लगी है .. यह अचानक से इतनी निर्लज्ज कैसे हो गयी तू ? " ....... अपनी बेटी का रॅनडिपना देख कर दीप पानी पानी हुआ जा रहा था .... भले उसने अपने जीवन में हमेशा इसी खुलेपन्न वा नन्ग्पन्न की कल्पना की थी लेकिन कहाँ जानता था कि इसको अंजाम तक उसकी सग़ी बेटी ही पूछने में जुट जाएगी.
वहीं निम्मी हस्ती हुई उसकी गोद में बैठ गयी ....... " उफफफफफ्फ़ !!! आपको उस वक़्त शरम क्यों नही आई डॅड .... जब आपने अपना लंड दोबारा अपनी मर्ज़ी से मेरे मूँह में डाला था " ........ वह अपनी गान्ड पर अपने पिता के विकराल लौडे की छुअन से मदहोश हो कर उसका कान चाटने लगी.
वहीं दीप से ज़रा भी सबर नही हो पाया .... अब वह कुछ और नही सोचना चाहता था सिवाए इसके कि उसकी गोद में एक जवान नंगी लड़की बैठी है और जल्द ही वह अपनी बेटी की अन्छुइ चूचियों को अपने कठोर पंजो में जकड़ने लगा ......... " आऐईयईईईईई डॅड !!! बेटी समझ कर दबाओ .. दर्द होता है " ......... निम्मी अपनी गान्ड को उसके खड़े लंड पर रगड़ती हुई सिसकी .... दीप तो जैसे मंत्रमुग्ध था उसके बूब्स की सुंदर कसावट पर.
" निम्मी !!! मैं अब तक बहुत तडपा हूँ लेकिन तू ठीक कहती है .. हम बाप बेटी के रीलेशन से बहुत आगे निकल चुके हैं और अब हमे खुल कर एंजाय करना चाहिए " ....... दीप अपना चेहरा बेटी की मांसल चुचियों पर झुकाते हुए बोला .... उसकी मंशा अब निम्मी के बड़े बड़े उरोजो का रास्पान करने की होने लगी थी.
" डॅड !!! आइ लव यू .. अब मैं आप को कभी तड़पने नही दूँगी .. आप ने कहा था ना मैने आप को अपना दूध नही पिलाया .. सक देम डॅड .. सब आप के लिए ही है, सिर्फ़ आप के लिए " ....... निम्मी उत्तेजना के भंवर में गहरे गोते लगाती हुई बोली .... अपने बाप के ज़ालिम होंठो का स्पर्श अपने बूब्स के तने निपल पर महसूस कर वह सिरहन से काँपने लगी थी ....... " चूसो डॅड .. सक देम हार्डर " ....... अपने हाथो से अपनी चूचियाँ पकड़ कर अपने पिता के मूँह मे डालती हुई वह ज़ोरों से उन्हे मसल्ने लगी.
दीप ने किसी छोटे बच्चे की भाँति अपनी बेटी के दाँये निपल को अपने कड़क होंठो से चूसना शुरू कर दिया .... जैसे - जैसे उसकी कामोत्तजना बढ़ी वह निपल को हल्के दांतो से काटने भी लगा, बड़ा अजीब एहसास था यह .... दोनो चन्द लम्हों में जैसे पूरी तरह से पागल हो गये थे ....... " ओउउउउउउउउउउउछ्ह्ह्ह !!! डॅड नहाने चलें ? " ........ एग्ज़ाइटेड निम्मी की चूत वापस तैयार हो चुकी थी अपने पिता का मूसल अंदर लेने के लिए .... वह दीप की शर्ट के बटन ओपन करती हुई बोली.
दीप पर तो जैसे उसकी बात का कोई असर ही नही हुआ और अब वह उसके बाएँ निपल पर अपने दाँत गढ़ाने लगा था ......... " ह्म्म्म्म डॅड !!! चा .. चलो ना बाथरूम चलते हैं " ......... निम्मी की आँखों मे शरारत, वासना और बेशरामी की पराकाष्ठा उतर आई थी .... उसके पिता ने जिस बेरहमी और कठोरता से अपनी बेटी के विकसित उरोज चूसे और दबाए थे .... निम्मी तो बहती ही जा रही थी.
" उफफफफफ्फ़ डॅड !!! आज ही चूस लोगे क्या सारा दूध .... मुझे नहाना है, आप चलो .. अपने हाथो से नहलाना अपनी बेटी को " ......... निम्मी ने उसकी शर्ट को उसके जिस्म से उतार कर दूर फेंक दिया और किसी काम लूलोप रंडी की तरह ज़ोरदार आँहे भरने लगी .... ज़ाहिर था नीचे उसकी बहती चूत के मुहाने पर दीप के खड़े लंड की अग्रिम चोटें उसकी सहनशक्ति से बाहर हो चली थी.
" नही निम्मी !!! दूसरे राउंड के लिए तू तैयार नही है अभी .. हमे वापस घर भी जाना है " ......... दीप ने कुछ देर सोच कर जवाब दिया .... उसे डर था कहीं निम्मी की बिगड़ी चाल - ढाल घर पर चर्चा का विषय ना बन जाए .... हलाकी उसकी बेटी का कुँवारापन्न ख़तम हो जाने से अब कितने भी राउंड चुदाई की जा सकती थी लेकिन दीप ज़्यादा रिस्क नही लेना चाहता था.
" मेरी चूत में आग लगी है डॅड और मुझे आप का मोटा लंड चाहिए इसके अंदर " ......... निम्मी मचल कर बोली .... उस पर अपनी पिता की समझाहीश का कोई असर नही हुआ था बल्कि वह सोफे से उठ खड़ी हुई और दीप का पॅंट उतारने लगी.
" समझा कर निम्मी !!! मैं रात में तेरे कमरे में आउन्गा ना लेकिन अभी मान जा बेटा " ........ दीप के मूँह से निकले सारे शब्द झूठे साबित हुए जब उसने अपने कूल्हे उचका कर अपनी पॅंट उतारवाने में अपनी बेटी की मदद की .... निम्मी के हाथो की तेज़ी देखने लायक थी और जल्द ही उसने अपने पिता को अपने जैसा नंगा कर दिया.